रविवार, 6 जुलाई 2014

हैरतअंगेज, अरबो का खजाना दबा पड़ा हिमाचल की इस झील में

आज हम आपको एक ऎसी झील के बारे में बताने जा रहे है जिसके बारे में कहा जाता है की उसमे अरबो रूपए का खजाना दफन है।there is a hidden treasure in this stream
यह है हिमाचल प्रदेश के पहाड़ो में स्थित कमरूनाग झील।

पूरे साल में 14 और 15 जून को यानी देसी महीने के हिसाब से एक तारीख और हिमाचली भाषा में साजा। गर्मियों के इन दो दिनों में बाबा कमरूनाग पूरी दुनिया को दर्शन देते है। इसलिए लोगों का यहां जन सेलाव पहले ही उमड़ पड़ता है। क्योंकि बाबा घाटी के सबसे बड़े देवता हैं और हर मन्नत पूरी करते हैं।

हिमाचल प्रदेश के मण्डी से लगभग 60 किलोमीटर दूर आता है रोहांडा, यहीं से पैदल यात्रा शुरू होती है। कठिन पहाड़ चड़कर घने जंगल से होकर गुजरना पड़ता है। इस तरह लगभग 8 किलोमीटर चलना पड़ता है।

कहां से आया यह खजाना?
मंदिर के पास ही एक झील है, जिसे कमरूनाग झील के नाम से जाना जाता है। यहां पर लगने वाले मेले में हर साल भक्तों की काफी भीड़ जुटती है और पुरानी मान्यताओं के अनुसार भक्त झील में सोने-चांदी के गहनें तथा पैसे डालते हैं। सदियों से चली आ रही इस परम्परा के आधार पर यह माना जाता है कि इस झील के गर्त में अरबों का खजाना दबा पड़ा है।

बाबा कमरूनाग की पौराणिक गाथा
कमरूनाग जी का जिक्र महाभारत में भी आता है। इन्हें बबरूभान जी के नाम से भी जाना जाता था। ये धरती के सबसे शक्तिशाली योद्धा थे। लेकिन कृष्ण नीति से हार गए। इन्होने कहा था कि कौरवों और पांडवों का युद्ध देखेंगे और जो सेना हारने लगेगी में उसका साथ दूंगा। लेकिन भगवान् कृष्ण भी डर गए कि इस तरह अगर इन्होने कौरवों का साथ दे दिया तो पाण्डव जीत नहीं पाएंगे।

कृष्ण जी ने एक शर्त लगा कर इन्हे हरा दिया और बदले में इनका सिर मांग लिया। लेकिन कमरूनाग जी ने एक खवाइश जाहिर की कि वे महाभारत का युद्ध देखेंगे। इसलिए भगवान् कृष्ण ने इनके काटे हुए सिर को हिमालय के एक उंचे शिखर पर पहुंचा दिया। लेकिन जिस तर्फ इनका सिर घूमता वह सेना जीत की ओर बढ्ने लगती।

तब भगवान कृष्ण जी ने सिर को एक पत्थर से बाँध कर इन्हे पांडवों की तरफ घुमा दिया। इन्हें पानी की दिक्कत न हो इसलिए भीम ने यहाँ अपनी हथेली को गाड कर एक झील बना दी।

खजाने की चोरी करने वाले को सजा
यह भी कहा जाता है कि इस झील में सोना चांदी चढ़ाने से मन्नत पूरी होती है। लोग अपने शरीर का कोई भी गहना यहाँ चढ़ा देते हैं। झील पैसों से भरी रहती है, ये सोना-चांदी कभी भी झील से निकाला नहीं जाता क्योंकि ये देवताओं का होता है।

ये भी मान्यता है कि ये झील सीधे पाताल तक जाती है। इस में देवताओं का खजाना छिपा है। हर साल जून महीने में 14 और 15 जून को बाबा भक्तों को दर्शन देते हैं। झील घने जंगल में है और इन् दिनों के बाद यहाँ कोई भी पुजारी नहीं होता। यहाँ बर्फ भी पड़ जाती है।

यहाँ से कोई भी इस खजाने को चुरा नहीं सकता। क्योंकि माना जाता है कि कमरूनाग के खामोश प्रहरी इसकी रक्षा करते हैं। एक नाग की तरह दिखने बाला पेड इस पहाड के चारों ओर है। जिसके बारे मे कहते हैं कि ये नाग देवता अपने असली रूप में आ जाता है। अगर कोई इस झील के खजाने को हाथ भी लगाए।

एक अद्भूत मंदिर: राधा-कृष्ण के इस स्वर्ण मंदिर पर रीझेगी दुनिया



मथुरा। ब्रज भूमि में अब भव्यता की बहार है। प्रेम मंदिर से भव्य देवालयों की शुरुआत हुई। अब ब्रह्मजी की नगरी चौमुहां में हाइवे किनारे श्रीराधा-कृष्ण का स्वर्ण मंदिर बनेगा, जो दुनिया में संभवत: सबसे भव्य और महंगा होगा। 108 एकड़ भूमि पर प्रस्तावित मंदिर के चारों ओर ताज की तरह चार मीनार जैसे स्ट्रकचर होंगे।

वैदिक संस्कृति, विज्ञान व नौ गृहों के प्रारूप से प्रस्तावित मंदिर का शिलान्यास भी शानदार होगा। भगवान श्री लक्ष्मीनारायन महाशक्ति पीठ धाम नई दिल्ली द्वारा इस भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाएगा। देश के नामचीन दो दर्जन इंजीनियरों की टीम पिछले एक साल से मंदिर की डिजायन बनाने के लिए दुनियाभर में भव्य मंदिर, गुरुदारा, मस्जिद व खास इमारतों का अध्ययन कर रही है।

कान्हा की नगरी मथुरा के वृंदावन में भव्य मंदिरों के निर्माण का सिलसिला शुरू हुआ। प्रेम मंदिर और वैष्णो माता मंदिर बनने के बाद वात्सल्य ग्राम में सर्वमंगला मंदिर और भव्य चंद्रोदय मंदिर निर्माणाधीन हैं। इसके बाद अब श्रीराधा-कृष्ण स्वर्ण मंदिर का प्रस्ताव तैयार है। भगवान श्रीलक्ष्मी नारायन धाम नई दिल्ली के महासचिव गुरुदास सुशील वर्मा और चीफ कोर्डिनेटर विश्व रमण निर्मल ने 'जागरण' को बताया कि प्रस्तावित मंदिर के लिए 108 एकड़ जमीन में मंदिर खास होगा। इसमें ताज जैसी कुछ झलक मिलेंगी। इसमें राधा-कृष्ण की स्वर्ण जड़ित मूर्तियां होंगी और मंदिर भी सोने का ही होगा। सभी प्रमुख देवी-देवताओं की स्वचालित झांकियां मंदिर में स्थापित होंगी। इसके लिए दुनियाभर में अध्ययन का दौर चल रहा है। उन्होंने बताया कि एक टीम तिरुपति बालाजी के पास नारायणी स्वर्ण मंदिर गई है, जो वहां प्लान नोट करेगी।

मनचाही भाषा में दिखेंगी कान्हा की लीलाएं- प्रस्तावित मंदिर में आधा घंटे में भगवान श्री कृष्ण व राधा की सभी बाल लीलाओं का सजीव चित्रण होगा। इसमें बहुभाषी डबिंग होगी। हिंदी, अग्रेजी, बंगाली, ब्रजभाषा, भोजपुरी, राजस्थानी, हरियाणवी, तमिल व अन्य मनचाही भाषा को क्लिक कर राधा-कृष्ण की लीलाओं का बखान भी सुन सकेंगे। मंदिर में दर्शनार्थियों के ठहरने का इंतजाम भी होगा, जो पांच सितारा होटल से कम नहीं होगा। अस्पताल, स्कूल, विधवाश्रम और गौशाला भी- धर्म लोगों के हित के लिए होता है। यह बात अब तेजी से समझ आ रही है। इसीलिए मंदिर प्रांगण में आयुर्वेद, होम्योपैथिक, एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के अस्पताल बनेंगे। दिव्य बीज मंत्रों के जरिए सभी रोगों का इलाज मुफ्त में होगा। कष्ट निवारक कक्ष में बैठने मात्र से रोगी की जांच हो सकेगी। यह भी जनहित के काम

-पांच एकड़ की गौशाला ब्रज की गायों को संरक्षण देगी।

-स्कूल में गरीब छात्र-छात्रओं को हाईटेक एजुकेशन व प्लेसमेंट की व्यवस्था होगी।

-विधवा महिलाओं के संरक्षण को एक आश्रम भी बनाया जाएगा।

-मंदिर में 24 घंटे नि:शुल्क लंगर चलेगा।

शराब से भरी बोलेरो केम्पर पलटी, चालक घायल

बालोतरा। जोधपुर-बाड़मेर नेशनल हाइवे पर सरहद दूदवा में शराब से भरी बोलेरो केम्पर बेकाबू होकर पलट गई।हादसे में चालक को चोटें आई है।बाड़मेर स्थित आबकारी विभाग के डिपो से भारत निर्मित अंग्रेजी शराब के कर्टन लादकर चालक कैलाश पुत्र जालूराम ब्राह्मण निवासी ब्लाऊ जाटी सिमरखिया के लिए रवाना हुआ था। The alcohol-fired Kemper Bolero, driver injured
सरहद दूदवा में शनिवार मध्याह्न चालक के हाथों से बेकाबू होकर वाहन पलट गया। इससे इसमें भरे शराब के कर्टन बिखर गए। शराब की बोतलें फूट गई। चालक कैलाश घायल हो गया। सूचना मिलने पर 108 एम्बुलेंस बालोतरा के पायलट उम्मेदसिंह, ओमप्रकाश माली व ईएमटी धर्मपालसिंह जुगतावत ने मौके पर पहुंचकर घायल चालक को बालोतरा के राजकीय नाहटा अस्पताल पहुंचाया। -  

शनिवार, 5 जुलाई 2014

नए राज्यपालों के नामों की घोषणा कर सकता है केंद्र



नई दिल्ली: केंद्र सरकार आज उन राज्यों के लिए राज्यपाल की घोषणा कर सकती है जहां के राज्यपालों ने हाल के दिनों में इस्तीफ़ा दिया है। माना जा रहा है कि बीजेपी अपने वरिष्ठ नेताओं को इन राज्यों का राज्यपाल नियुक्त कर सकती है।
Centre may announce names of new Governors
यशवंत सिन्हा, लालजी टंडन, मुरली मनोहर जोशी, कल्याण सिंह सहित कई नेताओं को राज्यपाल बनाए जाने की अटकलें हैं। नई सरकार बनने के बाद से अब तक पांच राज्यों के राज्यपालों ने अपना इस्तीफ़ा सौंपा है, जिनमें उत्तर प्रदेश के राज्यपाल बीएल जोशी पश्चिम बंगाल के राज्यपाल एमके नारायणन, छत्तीसगढ़ के राज्यपाल शेखर दत्त, नगालैंड के राज्यपाल अश्विनी कुमार, गोवा के राज्यपाल बीवी वांचू हैं, जबकि कर्नाटक के राज्यपाल एचआर भारद्वाज और त्रिपुरा के राज्यपाल देवानंद कुंवर पिछले महीने रिटायर हो गए।

बिहार के एक स्कूल में मिड-डे मील में निकला सांप, 54 बच्चे बीमार



सितामढ़ी। सरकारी स्कूलों में बच्चों को दिए जाने वाले मिड-डे मील में लापरवाही बरते जाने के मामले हर दिन सामने आते रहते हैं। अब ताजा मामला बिहार के सितामढ़ी जिले का हैं, जहां पर एक सरकारी स्कूल में मिड-डे मील में एक सांप निकला है। मिड-डे मील खाने के बाद स्कूल के 54 बच्चें बीमार हो गए हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि जिले के मेघपुर मिडल स्कूल में बच्चों को मिड-डे मील खाने के बाद उल्टियों की शिकायत होने लगी और फिर वे बेहोश हो गए। बाद में बच्चों को नजदीकी अस्पताल में भर्ती कराया गया है। अस्पताल में उनका इलाज चल रहा है। हालांकि बच्चों की स्थिती नियंत्रण में बताई गई है।
`Snake` found in mid-day meal, 54 children taken ill in Bihar
एक अधिकारी ने बताया कि बच्चों को दी गई खिचड़ी को जब्त कर लिया गया है। साथ ही बताया कि उसमें एक काले रंग की कोई लंबी चीज पाई गई है। हमें उसके सांप होने की आशंका है, जिसे खाने के साथ पकाया गया था। खिचड़ी के सैम्पल लेकर जांच के लिए भेजे जाएंगे।

वहीं पुलिस का कहना है कि छात्रों को खाना परोसे जाने के बाद देखा गया कि मिड-डे मील में एक काले रंग की लंबी चीज है, जो कि खाने के साथ पकाई गई है। खाना खाने के बाद बच्चों की तबियत खराब होनी शुरू हो गई और उन्होंने उल्टियां करनी शुरू कर दी।

गौरतलब है कि एक साल पहले बिहार के सारण जिले में जहरीला मिड-डे मील खाने की वजह से एक स्कूल के 23 छात्रों की मौत हो गई थी।

बाड़मेर समसुद्दीन रेलवे स्टेशन उड़ाने की धमकी का हिस्सा तो नहीं ?प्रशिक्षित आंतकवादी तो नहीं ?


बाड़मेर समसुद्दीन रेलवे स्टेशन उड़ाने की धमकी का हिस्सा तो नहीं ?प्रशिक्षित आंतकवादी तो नहीं ?


बाड़मेर चार रोज पूर्व भारत पाकिस्तान सरहद पर स्थित अंतराष्ट्रीय रेलवे स्टेशन मुनाबाव की टोह लेते पकड़ा गया बांग्ला देशी कट्टरपंथी युवक सम्मासुदीन आंतकवादी गतिविधि को अंजाम देने आया था,उसके साथ कितने साथी बाड़मेर में रह रहे हैं , ख़ुफ़िया एजेंसियों के दिमाग में घूम रहा हैं। समशुदीन के पकडे जाने के बाद बाड़मेर सहित राजस्थान के दस रेलवे स्टेशनों को उड़ने की धमकी मुस्लिम कट्टरपंथी आंतकवादी संगठनो से मिलना साज़िश का एक हिस्सा लगती हैं ,


सम्शुद्दीन पर गहराया शक ?
शम्शुद्दीन पुत्र सल्लाउद्दीन सप्ताह पहले मुनाबाव रेलवे स्टेशन पर सीमा सुरक्षा बल के हत्थे चढ़ा था ,चूँकि वह रेलवे स्टेशन पर पकड़ा गया था इसीलिए उसे रेल वे पुलिस को सुपुर्द किया गया ,उसके पास पाकिस्तानी सिम थी जिसे उसने तत्काल तोड़ कर नष्ट करने का प्रयास किया। सवाल यह उठता हेमन की मुनाबाव रेलवे स्टेशन पर देश की आधा दर्जन से अधिक ख़ुफ़िया और सुरक्षा एजेंसिया कार्य करती हैं ,इनसे आँख बचा कर सम्शुद्दीन मुनाबाव रेलवे स्टेशन पहुंचा कैसे ,पहुंचा तो स्थानीय सुरक्षा एजेंसियों ने उसे क्यों नहीं पकड़ा ,सम्शुद्दीन पकडे जाने के बाद बाड़मेर लाया गया मगर वह रेलवे देकर भगा गया। चार दिन बादफ उसे पुनः पकड़ा ,इन चार दिनों मरे वह कहा पनाह लिए था इसकी तहकीकात जरुरी हैं। सम्शुद्दीन बाड़मेर में ही रेलवे कुआं नंबर तीन के पास स्थित एक मदरसे में रह कर मौलवी बन कर कार्य करता रहा सुरक्षा और ख़ुफ़िया एजेंसियों को भनक तक नहीं लगी ,


देवबंद से प्रशिक्षित हे सम्शुद्दीन?

पकड़ा गया बांग्लादेशी सम्शुद्दीन सहारनपुर में देवबंद के मडराओ में प्रशिक्षित मौलवी हैं ,उसने उर्दू जुबान और शिक्षा वाही से प्राप्त की ,सम्शुद्दीन के हाव भाव और व्यव्हार से साफ़ लगता हैं की वह बाड़मेर जिले में किसी गतिविधि को अंजाम देने आया था। उसके कुछ साथी बाड़मेर जिले के विभिन स्थानो पर होने की संभावना हैं। सम्शुद्दीन बाड़मेर में लम्बे समय से रह रहा था ,आखिर किस उद्देश्य से वह बाड़मेर ठहरा था ,


आंतकवादी संगठनो की धमकी , तो उन्होंने की हे तैयारी ?


बाड़मेर सहित राजस्थान के दस रेलवे स्टेशनों को उड़ने की आंतकवादी संगठनो की धमकी से साफ़ हैं की वो इन क्षेत्रो में अपने गुर्गे उतार चुके हैं जो धीरे धीरे तैयारियों को अंजाम दे रहे हैं। इन आंतकवादी संगठनो के प्रशिक्षित लोग आम लोगो के साथ रह कर कार्य कर रहे हैं ,सुरक्षा और ख़ुफ़िया एजेंसियों को इसकी भनक नहीं ,सम्शुद्दीन किसी भी तरह से बंगलादेशी प्रतीत नहीं होता , फिर उसका भारतीय निर्वाचन आयोग से पहचान पात्र कैसे बना बड़ा सवाल हैं।

सरहद पर कट्टरता का पाठ क्यों?

भारत पाकिस्तान की सीमा पर बेस बाड़मेर जिले में कोई साढ़े पांच सौ मदरसे संचालित हो रहे हैं ,इन मदरसो में बाहरी प्रांतो के मुल्ला मौलवी कार्य कर रहे हैं ,इन लोगो के बारे ख़ुफ़िया और सुरक्षा एजेंसियों को कोई जानकारी नहीं ,सरहदी इलाको में यह लोग धार्मिक कट्टरता का पाठ पढ़ा रहे हैं। सरहदी क्षेत्र के मुस्लिम परिवारो के पारम्परिक जीवन शैली में पिछले पांच सालो तेजी से बदलाव आया हैं। सम्शुद्दीन जैसे सेकड़ो संदिग्ध मदरसो में कार्य ,जिससे देश की सरहद की सुरक्षा को हैं। इन बाहरी प्रांतो के मौलाना मौलवियो बाड़मेर में भारतीय निर्वाचन आयोग से मतदाता पहचान पात्र भी हासिल कर लिए , जिसकी जाँच होना जरुरी हैं ,फ़िलहाल उसे जयपुर पूछताछ के लिए ले जाया गया हैं।





त्वरित टिपणी। … वसुंधरा राजे की मनरेगा को योजना में बदलने की सार्थक पहल ,स्वागत होना चाहिए


त्वरित टिपणी। … वसुंधरा राजे की मनरेगा को योजना में बदलने की सार्थक पहल ,स्वागत होना चाहिए

चन्दन  सिंह भाटी 

राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे ने केंद्रीय ग्रामीण मंत्री नितिन गडकरी को पत्र लिख कर मनरेगा को गारंटी कानून से योजना में बदलने को लिख सार्थक और दूरदर्शी प्रयास किया हैं जिसका स्वागत होना चाहिए ,वसुंधरा मनरेगा की धरातलीय स्थति लिखी हैं की इस कानून से कोई फायदा जनता को नहीं हो रहा ,यही हकीकत हैं ,इस समय मनरेगा में सर्वाधिक भरष्टाचार ,हैं इस स्कीम से जुड़ा हर अधिकारी और कर्मचारी योजना का आनंद लेकर अपने घर भर रहे हैं ,जबकि जिन लोगो कानून को लाया गया उन्हें एक ढेले का फायदा नहीं हो रहा ,इस योजना से जुड़े अंतिम सरकारी व्यक्ति मेट से लेकर उच्च स्तरीय अधिकारी प्रति माह लाखो रुपयो से खेलते हैं जिन आवाम को रोजगार और मज़दूरी उपलब्ध करनी थी नहीं करा पाये ,कानून तो बना दिया मगर इसे व्यवस्थित रूप से लागु करने की सरकार नाकाम ,रही आज ग्राम पंचायत का सरपंच ,और ग्राम सेवक करोड़पति हो गए मेट लाखो में खेलता हैं ,मगर मज़दूर को उसकी मज़दूरी नहीं मिल रही। वसुंधरा की यह सोच की इसे योजना के रूप में चलाया सकारात्मक रूख हैं ,बाड़मेर हे ग्राम पंचायतो में आबादी से अधिक जॉब कार्ड जारी हो रखे हैं ,प्रत्येक में पचास से साठ फीसदी जॉब कार्ड फर्जी बने हे जिसका भुगतान सहायक से लेकर सरपंच तक मिलजुल कर बांटते हैं ,मनरेगा में एक भी काम सार्थक रूप से पुरे राजस्थान में नज़र नहीं आ रहा ,कहने को इस योजना में को दो लाख टांके बाड़मेर जिले हे मगर ऐसी से नब्बे फीसदी टांको का निर्माण हुए बिना भुगतान उठा लिया ,इस योजना में स्वीकृत कार्यो की उच्च स्तरीय जाँच हो जाये तो साड़ी पोल पट्टी सामने आ जाएगी ,बाड़मेर जिले में गत तीन सालो में कोई अठारह मगर धरातल पर पंचायत में कोई काम होता आपको दिखाई नहीं देगा ,मनरेगा कागजी गयी हे जिसका फायदा चंद प्रभावी लोग उठा रहे हैं ,इसे कानून से योजना में बदलने से शायद आम जान को रोजगार उपलब्ध हो जाये ,

प्रेमियों की मुराद पूरी करते हैं यह भगवान


प्रेमियों का मिलन करवाने वाले मंदिर

यूं तो हर मुहल्ले और शहर में मंदिर मिल जाएंगे। लेकिन कुछ मंदिर ऐसे हैं जो किसी खास बात को लेकर बहुत प्रसिद्घ हो जाते हैं।

ऐसे ही कुछ मंदिर हैं जो प्रेमियों का मिलन करवाने के लिए बहुत प्रसिद्घ हो चुके हैं। इन मंदिरों के विषय में माना जाता है कि यहां आकर जो प्रेमी मिलन की मन्नत मांगते हैं उनकी मुराद पूरी होती है।



गणेश जी करवाते हैं प्रेमियों का मिलन

राजस्थान का जोधपुर शहर, यहां गणेश जी का एक प्रसिद्घ मंदिर है। यहां हर बुधवार भक्तों की लंबी कतार लगती है।

इनमें अधिकतर ऐसे लोग होते हैं जो गणेश जी से यह मन्नत मांगने आते हैं कि जिसे चाहते हैं उससे शादी हो जाए। इस कारण गणेश जी इश्किया गजानन के नाम से भी प्रसिद्घ हैं।

गणेश जी की ख्याति इसलिए भी ही है कि यहां मांगी गई प्रेम की मिन्नतें गणेश जी पूरी करते हैं। किसी समय गणेश जी का यह मंदिर गुरु गणपति के नाम से जाना जाता था।


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प्रेमियों की शादी करवाते हैं हनुमान
मध्यप्रदेश के जबलपुर शहर से महज 20 किलोमीटर की दूरी पर है आगासौद कस्बा। यहीं पर है हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर जो पूरे इलाके में शादी वाले हनुमान जी के नाम से प्रसिद्घ है।

माना जाता है कि शादी वाले हनुमान जी को लाल गुलाब का फूल बहुत पसंद है। जो भक्त हनुमान जी को लाल गुलाब का फूल भेंट करते हैं हनुमान जी उसकी मनोकामना पूरी करते हैं।

मंदिर के पुजारी पंडित राजकुमार का कहना है कि शादी वाले हनुमान जी यूं तो सभी तरह की मुरादें पूरी करते हैं। लेकिन यहां ऐसे युवक युवतियां अधिक आते हैं जिनकी शादी में बाधा आ रही होती है। हनुमान जी की कृपा से विवाह में आने वाली बाधाएं दूर हो जाती हैं।

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प्रेम के देवता विनायक
उत्तर भारत की तरह दक्षिण भारत में भी गणेश और हनुमान जी का एक मंदिर प्रेमियों के बीच काफी प्रसिद्घि है। तमिलनाडु में गणेश जी का एक मंदिर है जो कधाल विनयागार यानी प्रेम के देवता विनायक के नाम से प्रसिद्घ है।

यहां प्रेमी प्रेमिका विवाह की प्रार्थना लेकर गणेश जी के पास आते हैं। इस मंदिर में कई प्रेमी युगलों की शादी हो चुकी है।



खम्मम में प्रेम का प्रसिद्घ मंदिर
आंध्रप्रदेश के खम्मम जिले में हनुमान जी का एक प्राचीन मंदिर है। इस मंदिर में हनुमान जी के साथ उनकी पत्नी के भी दर्शन प्राप्त होते हैं। यह मंदिर इकलौता गवाह है हनुमान जी के विवाह का।

मान्यता है कि हनुमान जी के इस मंदिर में आकर जो दंपत्ति हनुमान और उनकी पत्नी के दर्शन करते हैं उनके वैवाहिक जीवन में प्रेम और आपसी तालमेल बना रहता है। वैवाहिक जीवन में चल रही परेशानियों से मुक्ति दिलाते हैं विवाहित हनुमान जी।

 


शब्दों में ऊँ इसलिए है अलग



देखा जाए तो हर धर्म में कोई न कोई प्रतीक चिह्न हुआ ही करता है। हिंदुओं में ऊँ को पवित्र अक्षर माना जाता है। हर धार्मिक अनुष्ठान की शुरुआत ऊँ के उच्चारण से किया जाता है।

ऊँ शब्द तीन अक्षरों अ, उ और म से मिलकर बना है। पर इसमें ऐसा क्या खास है कि इसे हिन्दुओं ने अपना पवित्र धार्मिक प्रतीक मान लिया है। असंख्य शब्दों और चिह्नों में से ऊँ और स्वास्तिक को ही क्यों चुना गया। ये सवाल महत्त है। जरा देखें ओम के उच्चारण से क्या घटित और परिवर्तित होता है।


ऊँ की ध्वनि मानव शरीर के लिए प्रतिकूल डेसीबल की सभी ध्वनियों को वातावरण से निष्प्रभावी बना देती है।

विभिन्न ग्रहों से आनेवाली अत्यंत घातक अल्ट्रावायलेट किरणें ओम उच्चारित वातावरण में निष्प्रभावी हो जाती हैं।



इसके उच्चारण से इंसान को वाक्य सिद्धि की प्राप्त होती है।


चित्त एवं मन शांत एवं नियंत्रित हो जाते हैं।

सनातन धर्म ही नहीं, भारत के अन्य धर्म-दर्शनों में भी ऊँ को महत्व प्राप्त है।

बौद्ध दर्शन में ऊँ का प्रयोग जप एवं उपासना के लिए प्रचुरता से होता है। इस मंत्र के अनुसार, ऊँ को मणिपुर चक्र में अवस्थितमाना जाता है। यह चक्र दस दल वाले कमल के समान है। जैन दर्शन में भी ऊँ के महत्व को दर्शाया गया है। कबीर निर्गुण संत एवं कवि थे। उन्होंने भी ऊँ के महत्व को स्वीकारा और इस पर साखियां भी लिखीं।

गुरुनानक ने ऊँ के महत्व को प्रतिपादित करते हुए लिखा- ओम सतनाम कर्ता पुरुष निर्भोनिर्बेरअकालमूर्त। ऊँ सत्य नाम जपने वाला पुरुष निर्भय, बैर-रहित एवं अकाल-पुरुष के सदृश हो जाता है।

इस तरह ऊँ के महत्व को सभी संप्रदाय के धर्म-गुरुओं, उपासकों, चिंतकों ने प्रतिपादित किया है, क्योंकि यह एकाक्षरी मंत्र साधना में सरल है और फल प्रदान करने में सर्वश्रेष्ठ।

यह ब्रह्मांड का नाद है एवं मनुष्य के अंतर में स्थित ईश्वर का प्रतीक। किसी भी मंत्र के पहले ऊँ जाेडने से वह शक्ति संपन्न हो जाता है। एक बार ऊँ का जाप हजार बार किसी मंत्र के जाप से अधिक महत्वपूर्ण माना जाता है।