गुरुवार, 3 जुलाई 2014

उदयपुर 9 महिलाओं सहित 20 को उम्रकैद



उदयपुर। नाई थाना क्षेत्र के डोडावली गांव में पांच वर्ष पूर्व मौत के बदले मौत की आग में पिता-पुत्र के हत्या करने वाले एक ही परिवार के बीस जनों को न्यायालय ने उम्रकैद की सजा सुनाई। आरोपियों में नौ महिलाएं शामिल है। निर्णय के बाद आरोपियों के परिजन व मासूम न्यायालय परिसर में बिलख पड़े।
9 Women gets life imprisonment in murder case with 20 people
डोडावली के आम्बा खादरा में गत 26 जून 2009 को दो परिवार के बीच हुए खूनी संघर्ष मे नारू गमेती (45) व उसका पुत्र नानजी (20) की मौत हो गई और नारू की पत्नी झमकू (40) व कुछ परिवार के सदस्य घायल हो गए थे। पुलिस ने झमकू की रिपोर्ट पर दोहरा हत्याकांड का मामला दर्ज कर बीस आरोपियों के विरूद्ध न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया।

सुनवाई के दौरान अपर लोक अभियोजक सैय्यद हुसैन बंटी ने 28 गवाह व 111 दस्तावेज पेश किए। आरोप सिद्ध होने पर अपर जिला एवं सत्र न्यायालय क्रम-2 की पीठासीन अधिकारी ईश्वरीलाल वर्मा ने सभी आरोपियो को उम्र कैद की सजा सुनाई। पढ़ें उम्रकैद ञ्च पेज 21

इन्हे मिली सजा

न्यायालय ने आम्बा का खादरा निवासी वक्ता पुत्र धन्ना, लोगर पुत्र वक्ता, तकुड़ी पत्नी वक्ता, लीला पत्नी लोगर, वजा पुत्र चतरा, हरकू पत्नी चतरा, कमला पत्नी मोहन, मंगला पुत्र वागा, कालिया पुत्र मंगला, तकतिया पुत्र मंगला, चम्पा पत्नी तकतिया, देवला पुत्र भीमा, लक्ष्मी पत्नी देवला, चोखला पुत्र खीमा, झमकू पत्नी राजू, प्रभू पुत्र खीमा, सवली पत्नी कालिया, राजू पुत्र बागा, धूलिया पुत्र कन्ना व वरदी पत्नी धूलिया गमेती को धारा 302 व विभिन्न धाराओं में उम्रकैद व 38-38 हजार रूपए जुर्माने की सजा सुनाई। आरोपी लोगर व वक्ता को धारा 4/25 में दो-दो वर्ष की कैद व दो-दो हजार रूपए जुर्माने की अलग से सजा सुनाई।

घटनास्थल पर ही तोड़ा था दम

आरोपियों ने नारू के परिवार पर पहले पथराव किया और बाद में मकान में घुसकर तलवार, कुल्हाड़ी से ताबड़तोड़ वार कर दिए। हमले में नारू की एक टांग कट कर अलग हो गई व सिर में गहरी चोट लगी। उसके पुत्र नानजी के सिर व पेट में गंभीर चोटें आई। दोनों ने घटनास्थल पर ही दम तोड़ दिया था।

मौत का बदला मौत से

परिवादिया झमकू ने रिपोर्ट में बताया था कि घटना से करीब आठ माह पूर्व उसके पुत्र केसूलाल ने उसकी पत्नी वालकी को डोडावली निवासी मोहन पुत्र वक्ता के साथ आपत्तिजनक अवस्था में देख लिया था। केसू ने आवेश में आकर मोहन की हत्या कर दी थी। तब से वह जेल में ही है। इस हत्या के बाद मृतक के परिवार वालों के भय से केसा का पूरा परिवार गांव छोड़कर जंगल में चला गया। जून माह में बारिश होने यह परिवार खेतीबाड़ी के लिए वापस डोडावली गांव आया था। इन्हें देखते ही आरोपी वक्ता व उसके परिवार ने हमला कर दिया।

 

जायका। … पुरानी दिल्ली के पकवान



जायका।  … पुरानी दिल्ली के पकवान



चांदनी चौक क्षेत्र

जब आप पुरानी दिल्ली में आओगे, तो आप यहां के खानों को नहीं भूल पाओगे। यहां चहल-पहल भरी गलियां मिलेंगी, जो विभिन्न व्यंजनों की महक से सरोबर होती हैं। व्यंजनों के कद्रदानों के लिए करीम जैसे रेस्तरां हैं, साथ ही मांसाहारी खानों के पुराने शौकीन हैं, वे मोती महल में बटर-चिकन का लुत्फ उठा सकते हैं।


स्ट्रीट फूड




चांदनी चौक को प्रायः भारत की फूड-कैपिटल भी कहा जाता है, जो अपने स्ट्रीट फूड के लिए प्रसिद्ध है। यहां अनेक प्रकार के स्नैक्स, विशेषकर चाट, मिलते हैं।
टदि आप इनका आनंद लेना चाहते हैं तो सब-कुछ भूलकर इनके स्वाद और खुश्बुओं में खो जाएं। आप सभी यहां आएं...और मिल-जुलकर इनका आनंद उठाएं। चांदनी चौक में प्रतिदिन मेले जैसा माहौल रहता है। गलियों में हलवाई, नमकीन बेचने वालों तथा परांठे-वालों की कतार में दुकाने हैं।

बेहतर होगा कि आप परांठे वाली गली से शुरुआत करें, 1870 के दशक से, जब यहां परांठों की दुकान खुली थी, तभी से यह स्थान चटोरों के स्थान के नाम से लोकप्रिय हो गया था। इस गली में भारत की कई नामी हस्तियां आ चुकी हैं। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद पं.जवाहरलाल नेहरु और उनके परिवारजन - इंदिरा गांधी और विजयलक्ष्मी पंडित यहां आ चुके हैं तथा यहां के परांठों का स्वाद ले चुके हैं। नियमित रूप से आने वाली हस्तियों में जयप्रकाश नारायण और अटल बिहारी बाजपेयी का नाम भी शामिल है।




यद्यपि इस गली में कई दुकानें अब नहीं रही हैं, आपको अचरज होगा कि इनके मालिक मैकडॉनाल्डकी फ्रैंचाइज़ी में ज्यादा रूचि दिखा रहे हैं - अब पुराने दौर की कुछ ही दुकानें यहां रह गई हैं। संभवतः इनमें सबसे पुरानी दुकान 1872 में स्थापित, पंडित गया प्रसाद-शिव चरण की है। अन्यों में पंडित देवी दयाल (1886) और कन्हैया लाल-दुर्गा प्रसाद (1875) की दुकानें अभी मौजूद हैं। परांठों को लोहे की कड़ाही में देसी घी में फ्राई किया जाता है। इन परांठों के साथ पोदीने की चटनी, केले व इमली की चटनी, सब्जी के अचार तथा आलू की सब्जी के साथ परोसा जाता है। आधा सदी पहले यहां कुछ किस्में जैसे - आलू परांठा, गोभी परांठा और मटर परांठा, क्रमशः आलू, फूलगोभी और मटर से भरकर बनाया जाता था। इनके अलावा कई नई किस्में जैसे मसूर की दाल, मैथी, मूली,पापड़, गाजर और मिक्स परांठे शामिल हैं। इसके अलावा, कुछ महंगे परांठे भी हैं, जो पनीर, पोदीने, नींबू, मिर्ची, सूखे मेवों, काजू, किशमिश, बादाम, रबड़ी, खुर्चन केले, करेले, भिंडी तथा टमाटर के बनते हैं।




दिल्ली स्ट्रीट फूड का प्रमुख स्वादिष्ट व्यंजन यहां की चाट है। मूल चाट में उबले आलू के टुकड़े, करारी तली ब्रेड, दही भल्ले, छोले तथा स्वादिष्ट चाट मसाले मिले होते हैं। इस मिश्रण को मिर्च और सौंठ (सूखी अदरक और इमली की चटनी) से बनी चटनी ताजे हरा धनिया और मट्ठे की दही के साथ सजाकर परोसा जाता है। बहरहाल, इसके अलावा और भी मशहूर व्यंजन हैं, जिनमें आलू की टिक्की भी शामिल है। कुछ चाट की दुकानों जैसे - श्री बालाजी चाट भंडार (1462, चांदनी चौक; दोपहर से रात्रि 10 बजे तक) चांदनी चौक की संभवतः सबसे मशहूर और सर्वश्रेष्ठ दुकान है। हम विशेषकर चाट-पापड़ी, जिसमें कचालू की चटनी, खस्ता पापड़ी और सौंठ शामिल है, खाने के लिए आपसे आग्रह करेंगे। दूसरी मशहूर दुकान बिशन स्वरूप (1421, चांदनी चौक; प्रातः 10 बजे से रात्रि 10 बजे तक) की है, जो चांदनी चौक की बाईं लेन में है, इसका भी अपना विशेष आकर्षण, विशेष स्वाद है।

1923 से इस छोटे से स्टाल में केवल तीन आइटम : सुस्वादु आलू चाट, आलू के स्वादिष्ट कुल्ले और फ्रूट चाट बेचे जाते हैं।




आप लाला बाबू चाट भंडार (77, चांदनी चौक, मैक्डॉनाल्ड्स के निकट; प्रातः 11 बजे से रात्रि 10 बजे तक) भी जाना न भूलें। यहां स्वादिष्ट गोलगप्पों के साथ हींग वाला पाचक जलजीरा भरकर परोसा जाता है। साथ ही आलू और मटर की स्टफ कचौड़ी, गोभी मटर के समोसे, दही-भल्ले तथा मटर-पनीर की टिक्की यहां ज्यादा बिकती है। फ्रूट-चाट के लिए जुगल किशोर-रामजी लाल (23, दुजाना हाउस, चावड़ी बाज़ार, चांदनी चौक; प्रातः 10.30 बजे से रात्रि 10 बजे तक) सुविख्यात है, हालांकि यहां पाव-भाजी और आलू की टिक्की भी मिलती है किंतु फ्रूट चाट अधिक बिकती है। दही-भल्ले सदैव चाट के साथ नहीं दिए जाते बल्कि इसे नटराज दही भल्ले वाले के यहां मुख्य व्यंजन के तौर पर बेचा जाता है। दही-भल्ले उड़द की दाल की पिट्ठी से डीप फ्राई करके बनाए जाते हैं और दही-सौंठ के साथ परोसे जाते हैं। नटराज चांदनी चौक के मेट्रो स्टेशन के मोड़ पर भाई मतिदास चौक के निकट स्थित है।



एक अन्य सुस्वादु व्यंजन कचौड़ी है, जो पिसी दालों और आलू की करी के साथ परोसी जाती है, जो आपके मुंह में पानी ले आएगी। जंग बहादुर कचौड़ी वाला (1104, छत्ता मदन गोपाल, चांदनी चौक; प्रातः 10.30 बजे से रात्रि 8 बजे तक) संभवतः उड़द की दाल की कचौड़ी के लिए मशहूर है जिसे आलू की चटपटी सब्जी के साथ परोसा जाता है। यह जगह वस्तुतः जाने लायक है।




मिठाई में सबसे पहला नाम, रबड़ी फलूदा का आता है। इसके लिए फतेहपुरी मस्जिद के निकट ज्ञानी दी हट्टी पर पधारें। अब यह आइसक्रीम पार्लर बन गया है जहां लीची और बबलगम तक के ज़ायके मिल सकते हैं। आइसक्रीम के अलावा यहां मिल्क-शेक, फ्रूट-शेक, आइसक्रीम-शेक और सनडीज़ भी उपलब्ध हैं। यदि आप कुल्फी (ज़ायकेदार जमाया गया दूध) के शौकीन हैं तो अजमेरी गेट की तरफ जाएं, सियाराम-नन्नूमल कुल्फी वाले (629, गली लोडन, अजमेरी गेट; प्रातः 7 जे से सायं 4 बजे तक) मशहूर नाम है। यहां की कुल्फी बेहद स्वादिष्ट है। आप किसी भी ज़ायके जैसे -केसर, पिस्ता, रोज़, केवड़ा, बनाना, मैंगो और अनार से बनी ज़ायकेदार कुल्फी उपलब्ध हैं अथवा इससे भी बेहतर होगा...इनमें से प्रत्येक का आनंद उठाएं!



वापस चांदनी चौक की बात करें तो आपको दरीबां कलां में प्रवेश करते समय दाहिने ओर प्राचीन एवं प्रख्यात जलेबीवाला दिखाई देगा। आप यहां गर्मा-गर्म जलेबी का आनंद उठाएं, जलेबी - एक मिष्ठान है जो मैदे के खमीर से बनाई जाती है, इसे सेंककर, चाश्नी में डुबाकर छाना जाता है। साथ ही, चहल-पहल से भरपूर जामा मस्जिद क्षेत्र की ओर जाना भी न भूलें। जामा मस्जिद के गेट नं. 1 के आगे उर्दू बाज़ार और अंदर जाती मटियामहल नामक सड़क पर भी विभिन्न व्यंजनों के स्टाल देखने को मिलेंगे। यहां आपको मछली, खुश्बूदार कबाब और फ्राइड चिकन की महक की नुभूते होगी। यहां आपको दुकानदार रुमाली रोटी (पतली रोटी) में लिपटे सस्ते दाम वाले कबाब और टिक्का (भैंस के मांस से बने) बेचते दिखेंगे। यहां शहर का सबसे अच्छा मटन-बर्राह बेचा जाता है। यह एक ऐसा स्थान है जहां आपको निहारी और पाया मिल सकते हैं, जो प्रातः 8.30 बजे तक बिक जाते हैं। अन्य मुख्य व्यंजनों में इस्टु, मटन कोरमा, शामी कबाब और शाहजहानी कोरमा शामिल है।




चांदनी चौक स्थित घंटेवाला हलवाई 200 वर्ष से भी अधिक पुराना है। यहां मिठाइयां शुद्ध देसी घी में तैयार की जाती हैं। सोहन हलवा पापड़ी, पिस्ता समोसा और बादाम की बर्फी- धरती पर वस्तुतः जैसे स्वर्गिक आनंद की अनुभूति देते हैं।


दिल्ली का एकमात्र टी-बुटीक अपना नाम सिद्ध करता है, यहां का माहौल देखने लायक होता है। यह नई और पुरानी दिल्ली के मध्य स्थित है, यहां स्टोर-सह-ड्राइंग रूम के अद्भुत कुप्पे मिलेंगे। यदि आपको चाय पसंद नहीं है, तो आप अपने दोस्तों के लिए अन्य उपहार चुन सकते हैं। इस रेस्तरां में शहर के विख्यात व्यंजन जैसे - दाल मक्खनी, बटर चिकन, रेशमी कबाब, मुर्ग मुसल्लममिलते हैं। तंदूरी चिकन हमेशा से रसीला व्यंजन रहा है। चोर बिजारे में कुछ ऐसे रेस्तरांओं में से एक है, जहां कश्मीरी व्यंजन परोसे जाते हैं। यहां की सजावट में 'चोर-बाज़ार' का रूप प्रस्तुत करने का प्रयास किया गया है। तबाक माज़ मांसाहारी के शौकीनों के लिए विशेष रूप से उल्लेखनीय है। साथ ही यहां रोचक ग्रीन्स हॉक के अलावा यखनी, रिश्ता और गोश्तबा भी बहुत अच्छे हैं।



दिल्ली में बटर चिकन

बटर चिकन की शुरुआत 1950 के दशक में मोती महल, दरिया गंज में हुआ था। यह अपने तंदूरी चिकन के लिए मशहूर है। यहां के खानसामे चिकन जूस में मक्शन और टमाटर मिक्स करके इसे रिसाइकिल करते हैं। इसे संयोग कहिए या डिजाइन, इस चटनी को तंदूरी चिकन के टुकड़ों के साथ सजाकर परोसा जाता है। इस प्रकार इस बटर चिकन का आविष्कार हुआ और पूरे विश्व में यह मन-पसंदीदा व्यंजन बन गया। बटर चिकन मक्खन और गाढ़े लाल टमाटर की ग्रेवी से बनाया जाता है। इसका स्वाद थोड़ा मीठा होता है। मुंह में घुल जाने वाला बटर चिकन तंदूरी रोटी या नान के साथ खाया जाता है।

दिल्ली के धार्मिक और पर्यटन स्थल

दिल्ली के धार्मिक और पर्यटन स्थल 

निज़ामुद्दीन दरगाह


यह दिल्‍ली का प्रमुख स्‍थल है । यहां विख्‍यात संत हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा है। इसके परिसर में एक टैंक है जिसके चारों तरफ कई अन्‍य ऐतिहासिक मकबरे हैं। यहां अमीर खुसरो और सम्राट शाहजहां की पुत्री राजकुमारी जहांआरा की कब्रें भी हैं। साल में दो बार एक बारी हज़रत निज़ामुद्दीन औलिया और दूसरी बार अमीर खुसरो की जयंती पर मेला आयोजित किया जाता है और जब सम्‍पूर्ण भारत से तीर्थ-यात्री यहां आते हैं तो यह स्‍थान जीवंत हो जाता है।




जामा मस्जिद

लालकिला के निकट यह भारत की सबसे बड़ी मस्जिद है। प्रत्‍येक शुक्रबार को मध्‍याह्न में दो घंटों के दौरान यह गैर-मुस्लिमों के लिए बंद कर दिया जाता है। कुछ मस्जिदों में से यह भी एक मस्जिद है जहां महिलाएं प्रवेश कर सकती हैं। उपयुक्‍त पोशाक पहनकर जिसे उत्‍तरी गेट से किराये पर लिया जाता है, और नंगे पांव जाना यहां अनिवार्य है। इसके प्रांगण में 25000 तक श्रद्धालु समाहित हो सकते हैं। शाहजहां की इस भव्‍य वास्‍तुकला की सौगात 1658 में पूरी हुई थी इसके तीन द्वार हैं और चार मीनार तथा दो छोटी मीनारें हैं। इसकी सबसे बड़ी विशेषता यह है कि दिन के किसी भी पहर में, किसी भी दिशा से देखें तो यह एक समान दिखेगा इसकी भव्‍यता आपको अवश्‍य रोमांचित करेगी।



गुरूद्वारा रकाब गंज

संसद भवन के नजदीक इसका निर्माण 1732 में लक्‍खी बंजारा ने कराया था जिन्‍होंने शहीद सिख गुरू तेगबहादुर जी का अंतिम संस्‍कार किया था। इसमें सिक्‍ख गुरूद्वारों की स्‍थापत्‍य शैली का अनुकरण किया गया है। एडविन ल्‍यूटन की टीम ने केवल ये ही कहा कि इस सिक्‍ख धार्मिक स्‍थल को “किसी भी सूरत में विस्‍थापित नहीं किया जा सकता।”



गुरूद्वारा शीशगंज

लालकिला के सामने चांदनी चौक से थोड़ी दूरी पर गुरूद्वारा शीश गंज स्थित है। यह गुरूद्वारा सिक्‍खों के नौवें गुरू तेगबहादुर की याद में बनाया गया था। जिनका यहां 1675 ई. में मुगल सम्राट औरंगज़ेब के आदेश पर इस्‍लाम न कबूलने के फलस्‍वरूप इनका शीश काट दिया गया था। आज भी उस बरगद के वृक्ष को देखा जा सकता है जहां उन्‍हें शहीद किया गया था और वह अपनी कैद के दौरान जिस दीवार पर बैठकर वे दैनिक स्‍नान करते थे उसे देखा जा सकता है।


बहाई टैम्‍पल

नेहरू प्‍लेस के पूर्व में यह मंदिर “कमल के फूल” के आकार में निर्मित किया गया है और बहाई टैम्‍पल श्रृंखला के तहत यह विश्‍व का सातवां और अंतिम टैम्‍पल है । इसे 1986 में पूरा किया गया और इसके आस-पास हरे-भरे मनमोहक बाग हैं। वास्‍तुविद् फारीबर्ज सबहा ने प्रतीक के रूप में “कमल” को चुना जो हिन्‍दुत्‍व बुद्धवाद, जैनवाद और इस्‍लाम सभी में सर्व ग्राहय प्रतीक है।

किसी भी समुदाय या सम्‍प्रदाय के अनुयायी यहां आकर प्रार्थना या ध्‍यान कर सकते हैं। पुष्पित फूल-पंखुड़ियों के आस-पास यहां पानी की नौ पुलियाँ हैं। जिसे प्राकृतिक प्रकाश द्वारा प्रकाशमय कराया गया है। जब इस पर फ्लडलाइट डाली जाती है तो सायंकाल में यह गौधूलि का अदभुत दृश्‍य प्रदान करता है।

खुलने का समय (रविवार को बंद रहता है) : प्रात: 8.30 से 12.30 और सायं 4.00 से 7.30 बजे तक।


लक्ष्‍मी नारायण मंदिर

इसे बिरला मंदिर के नाम से भी जानते हैं। यह दिल्‍ली का प्रमुख मंदिर और पर्यटकों के लिए दर्शनीय–स्‍थल है। इसे उद्योगपति जी. डी. बिरला ने 1938 में बनवाया था। यह सुंदर मंदिर कनॉट प्‍लेस (राजीव चौक) के पश्चिम में स्थित है। यह मंदिर लक्ष्‍मी (संपन्‍नता की देवी) और नारायण (प्रजापति/संरक्षक) को समर्पित है इस मंदिर का उद्घाटन महात्‍मा गांधी ने इस शर्त पर किया था कि इसमें सभी जाति वालों को प्रवेश की अनुमति दी जाए।


अहिंसा स्‍थल

कुतुब के पीछे एक छोटी सी ऊंची पहाड़ी पर महावीर की एक बड़ी प्रतिमा स्‍थापित की गई है। जिसे 1980 के दशक में स्‍थापित किया था। इसके आस-पास के क्षेत्र को समर्पित भाव से विकसित करके बाग में परिवर्तित किया गया है। इसे “अहिंसा स्‍थल ”या “एरिया ऑफ पीस” के नाम से पुकारा जाता है।


गुरूद्वारा बंगला साहिब

यह कनॉट प्‍लेस से आधा किलोमीटर की दूरी स्थित है। जब 1664 में सिक्‍खों के अष्‍टम गुरू हरकृष्‍ण देव इस “हवेली” में शाही मेहमान के तौर पर रह रहे थे तो उसके बाद मिर्ज़ा राजा जयसिंह ने इस “हवेली” को गुरूद्वारा के रूप में समर्पित किया था। इसके बाद यह सिक्‍खों का धार्मिक स्‍थल बना और आज इसे बंगला साहिब के नाम से जाना जाता है। ऐसी जनश्रुति है कि इस मंदिर के अंदर जो जल का तालाब जिसे गुरू हरिकृष्‍ण देव ने पवित्र किया और इसके जल से चेचक और हैजा के रोगियों को चंगा किया था और आज भी जिनका विश्‍वास है, उन्‍हें उसका जल वितरित किया जाता है। सिक्‍ख इतिहास को दर्शाने वाला एक संग्रहालय भी गुरूद्वारा परिसर में स्थित है।




इस्‍कान मंदिर

हरे कृष्‍णा मूवमेन्‍ट के सौजन्‍य से इस बेहतरीन मं‍दिर का निर्माण किया गया है। और इस अदभुत मंदिर को अवश्‍य देखा जाए। न यह केवल मंदिर बल्कि यहां हरे कृष्‍णा सम्‍प्रदाय और ड्राविनिज़्म व आंतरिक विज्ञान के रहस्‍यात्‍मक दृष्टिकोण को प्रदर्शित करने के लिए अत्‍याधुनिक मल्‍टी‍मीडिया शो में एनीमेशन साउंड एन्‍ड लाइट, पेंटिंग डायोरामस तथा शिल्‍पकला का प्रयोग किया जाता है। राधा और कृष्‍ण की हस्‍त-निर्मित चित्रकला इस मंदिर को सुसज्जित बनाती है। इसके परिसर में गोविन्‍दा नाम रेस्‍तरां में कोई भी लजीज़ शाकाहारी भोजन का आनन्‍द उठा सकता है।


सेन्‍ट जेम्‍स चर्च

कश्‍मीरी गेट से थोड़ी दूरी पर स्थित सेन्‍ट जेम्‍स गिरजाघर जेम्‍स स्किनर ने निर्मित कराया और 1836 में प्रतिष्ठित किया गया था। दिल्‍ली का यह बेहद पुराना गिरजाघर है। इसका निर्माण ग्रीक क्रास शैली के साथ प्राचीन पश्चिमी वास्‍तु-शैली में किया गया है। क्रॉस के तीनों भुजाओं में पोर्टिको बनाई गई है। जबकि पूर्वी भुजा को वदिका का रूप दिया गया है। गिरजाघर का मध्‍य क्षेत्र एक गुम्‍बद से ढका है जो ब्रर्नेलैस्की द्वारा निर्मित फलोरेन्‍स केथेड्रल के गुम्‍बद से मेल खाता है।


सेन्ट थॉमस चर्च

मंदिर मार्ग, नई दिल्‍ली स्थित इस चर्च का निर्माण 1930-32 में हुआ था। यह उन भारतीयों के लिए बनाया गया था जिन्होंने ईसाई धर्म को अपनाया था। यह लाल ईंटों से निर्मित है जो वास्‍तुविद वॉल्‍टर जार्ज की प्रिय सामग्री थी।


सेक्रेड हार्ट केथेड्रल

दिल्‍ली की यह शानदार और अदभुत चर्च इमारत है। यह कनॉट प्‍लेस में गुरूद्वारा बंगला साहिब के सामने गोल डाकखाने के निकट स्थित है। इस चर्च की संरचना फादर ल्‍यूक ने तैयार की थी और तत्‍कालीन सुप्रसिद्ध वास्‍तुविद हेनरी मैडॅड ने निर्मित कराया था । फादर ल्‍यूक ने 14 एकड़ भूमि अधिग्रहित की थी जो दो स्‍कूलों सेन्‍ट कोलंबिया और कॉन्‍वेन्‍ट ऑफ जीसस एन्‍ड मैरी के मध्य स्थित है । चर्च का मुख्‍य वेदिका शुद्ध मार्बल की बनी है और विशेष अवसरों तथा क्रिसमस आदि पर चर्च की घंटियों को तरन्‍नुम में बजाया जाता है। 1930 में निर्मित केथेड्रल ऑफ सेक्रेड हार्ट दिल्‍ली में नायाब स्‍थापत्‍यकला की निशानी है।




बौद्ध मंदिर

यह मंदिर मार्ग पर स्थित है। इस मंदिर की आधारशिला 31 अक्‍टूबर, 1936 को रखी गई थी और 18 मार्च, 1939 को महात्‍मा गांधी ने इसका उद्घाटन किया था।



हनुमान मंदिर

इसे महाराजा जयसिंह ने उसी दौरान बनाया था जब जन्‍तर-मन्‍तर निर्मित कराया था। तब से इसकी मौलिक संरचना में कई परिर्वतन किए जा चुके हैं। यहां प्रत्‍येक मंगलवार और शनिवार को मेले जैसी बहार आ जाती है। बाबा खड़ग सिंह मार्ग पर स्थित यह मंदिर जन्‍तर मन्‍तर से दो-तीन मिनट की दूरी पर है।



छतरपुर मंदिर

सुविख्‍यात छतरपुर मंदिर कुतुबमीनार से 4 किलामीटर की दूरी पर स्थित है। मंदिर का परिसर तीन भागों में विभाजित किया गया है। मुख्‍य मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। दूसरा भाग का मंदिर देवी लक्ष्‍मी और भगवान गणपति को समर्पित है जबकि तीसरा भाग मंदिर के संस्‍थापक सन्‍त बाबा नागपाल को समर्पित है। यह विशालकाय क्षेत्र में स्‍थापित है जिसमें कई मूर्तियां पत्‍थरों और लकड़ी से उकेरकर बनाई गई है। आज आधुनिक हिन्‍दू मंदिरों में जो शैली और भव्‍यता विलुप्‍त हो गई थी उसे यहां सफेद संगमरमर के व्‍यापक प्रयोग द्वारा पुनजीवित किया गया है। दशहरा और नवरात्रों में सितंबर-अक्‍टूवर के दौरान बड़ी संख्‍या में श्रद्धालु यहां एकत्रित होते हैं। यह मंदिर सदैव खुला रहता है और यहां देवी दुर्गा को समर्पित संगीत बजता रहता है।




कैथेड्रल चर्च ऑफ रिडेम्‍पशन

मध्‍य दिल्‍ली के केन्‍द्रीय टर्मिनल के निकट एक भव्‍य भवन स्थित है। हेनरी मेड द्वारा डिजाइन चर्च की आधार शिला 1927 में लार्ड इर्विन ने रखी थी। 15 फरवरी 1931 को लाहौर के बिशॅप ने इसे प्रतिष्ठित किया था। इस चर्च का निर्माण कार्य 1935 में पूरा हुआ, यह चर्च एक क्रॉस-प्लान पर निर्मित हुआ जिसका प्रवेश-द्वार पश्चिम में है और पूर्व में एक वेदिका है।

मुख्य धार्मिक स्थल - भारतवर्ष के प्रधान शक्तिपीठ





तन्त्रचूडामणि में पीठों की संख्या बावन दी गई है, शिवचरित्र में इक्यावन और देवीभागवत में एक सौ आठ। कालिकापुराण में छब्बीस उपपीठों का वर्णन है। पर साधारणतया पीठों की संख्या इक्यावन मानी जाती है। इनमें से अनेक पीठ तो इस समय अज्ञात हैं।



तन्त्रचूडामणि के अनुसार बावन पीठों की संख्या इस प्रकार है:-

1. हिंगलाज, 2.शर्कररे (करवीर), 3.सुगंधा- सुनंदा, 4.कश्मीर- महामाया, 5.ज्वालामुखी- सिद्धिदा (अंबिका), 6 त्रिपुरमालिनी - जालंधर, 7. वैद्यनाथ- जयदुर्गा, 8. नेपाल- महामाया, 9.मानस- दाक्षायणी, 10.विरजा- विरजाक्षेत्र, 11.गंडकी- गंडकी, 12.बहुला- बहुला (चंडिका), 13.उज्जयिनी- मांगल्य चंडिका, 14.त्रिपुरा- त्रिपुर सुंदरी, 15.चट्टल - भवानी, 16. त्रिस्त्रोता- भ्रामरी, 17.कामगिरि- कामाख्या, 18. प्रयाग- ललिता, 19. जयंती- जयंती, 20.युगाद्या- भूतधात्री, 21.कालीपीठ- कालिका, 22. किरीट- विमला (भुवनेशी), 23. वाराणसी- विशालाक्षी, 24. कन्याश्रम- सर्वाणी, 25. कुरुक्षेत्र- सावित्री, 26. मणिदेविक- गायत्री, 27.श्रीशैल- महालक्ष्मी, 28. कांची- देवगर्भा, 29. कालमाधव- देवी काली, 30. शोणदेश- नर्मदा (शोणाक्षी), 31. रामगिरि- शिवानी, 32. वृंदावन- उमा, 33.शुचि- नारायणी, 34. पंचसागर- वाराही, 35. करतोयातट- अपर्णा, 36. श्रीपर्वत- श्रीसुंदरी, 37. विभाष- कपालिनी, 38. प्रभास- चंद्रभागा, 39. भैरवपर्वत- अवंती, 40. जनस्थान- भ्रामरी, 41. सर्वशैल स्थान, 42. गोदावरीतीर, 43. रत्‍‌नावली- कुमारी, 44. मिथिला- उमा (महादेवी), 45.नलहाटी- कालिका तारापीठ, 46. कर्णाट- जयदुर्गा, 47. वक्रेश्वर- महिषमर्दिनी, 48.यशोर- यशोरेश्वरी, 49.अट्टाहास- फुल्लरा, 50. नंदीपूर- नंदिनी, 51. लंका- इंद्राक्षी एवं 52.विराट- अंबिका।

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बुधवार, 2 जुलाई 2014

अमित शाह को जेड प्लस सुरक्षा दी गई



नई दिल्ली  बीजेपी महासचिव अमित शाह को अत्यधिक खतरे की आशंका के बाद गृह मंत्रालय ने उन्हें जेड प्लस कैटिगरी की सुरक्षा दी है।BJP's Amit Shah Gets Z+ Category Security
आधिकारिक सूत्रों ने बुधवार को बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी सहयोगी शाह की चौकसी सीआरपीएफ के कमांडो चौबीसों घंटे करेंगे और सशस्त्र प्रहरी उनके आवास पर तैनात किए जाएंगे।

वह देश में जहां कहीं जाएंगे, वहां उच्च स्तर की सुरक्षा पाएंगे। बीजेपी नेता ने उत्तर प्रदेश में पार्टी को मिली शानदार जीत में अहम भूमिका निभाई थी। उन्हें अब तक गुजरात पुलिस की सुरक्षा उपलब्ध थी।

 गुजरात के पूर्व गृह मंत्री शाह को सोहराबुद्दीन शेख, उसकी पत्नी कौसर बी और शेख के सहयोगी तुलसीराम प्रजापति फर्जी मुठभेड़ के सिलसिले में 2010 में गिरफ्तार किया गया था।

प्याज और आलू को आवश्यक वस्तु अधिनियम की लिस्ट में शामिल



नई दिल्ली। अच्छे दिन के इंतजार में जुलाई की दो तारीख तक पहुंच चुकी देश की जनता को महंगाई और मुश्किल में डाल रही है। दिल्ली के खुले बाजारों में प्याज की कीमत 40 रुपए प्रति किलो तक पहुंच गई है। ऐसे में आज केंद्र सरकार ने बेहद अहम फैसला लेते हुए प्याज और आलू को आवश्यक वस्तु अधिनियम की लिस्ट में शामिल कर लिया। इस फैसले के बाद अब राज्य सरकारें तय कर सकेंगी कि कारोबारी स्टॉक में कितना आलू-प्याज रखें। सरकार ने जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारों की जिम्मेदारी बढ़ा दी है।

बढ़ती महंगाई के खिलाफ देश के अलग-अलग हिस्सों में बुधवार को भी विरोध प्रदर्शन हुआ। प्रदर्शन में विपक्षी दलों के साथ ही आम आदमी भी शामिल रहा जो अच्छे दिनों के इंतजार में महंगी चीजें खरीद रहा है। ऐसे में करीब दो घंटे तक चली कैबिनेट की बैठक के बाद सरकार ने ताबड़तोड़ कई अहम फैसलों का ऐलान कर दिया।

अब आलू और प्याज आवश्यक वस्तु अधिनियम की लिस्ट में आ गए हैं। मतलब ये कि अब राज्य सरकारें तय कर सकेंगी कि कारोबारी स्टॉक में कितना आलू-प्याज रखें। इस तरह आलू प्याज की कीमत पर अब राज्य सरकारें नियंत्रण रख पाएंगी। यही नहीं आलू-प्याज की जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारें छापेमारी अभियान भी चला सकेंगी।



केंद्र की कोशिश जमाखोरी रोकने के लिए राज्य सरकारों को ज्यादा से ज्यादा अधिकार देने की है। इस बीच दिल्ली सरकार ने बुधवार से ही 300 अलग-अलग जगहों पर सस्ता प्याज बेचना शुरू कर दिया। सरकारी स्टालों पर प्याज 20 रुपये किलो और आलू 18 रुपए किलो बेचा जा रहा है।

कालाबाजारी रोकने के लिए फूड सप्लाई विभाग भी लगातार छापेमारी भी कर रहा है। हालांकि उप राज्यपाल नजीब जंग की मानें तो लोग डर के मारे ज्यादा खरीदारी कर रहे हैं। वैसे दिल्ली में थोक और खुदरा बाजार में सब्जियों की कीमत में अंतर चौंकाने वाला है।

गाजीपुर मंडी में प्याज की थोक कीमत थी 18 से 22 रुपए...जबकि खुदरा बाजार में प्याज बिक रहा है 40 रुपए प्रति किलो। आलू की थोक कीमत थी 14 से 17 रुपए...जबकि खुले बाजार में आलू बिक रहा है 25 रुपए किलो। टमाटर की थोक कीमत थी 5 से 8 रुपए किलो, जबकि खुले बाजार में टमाटर 20 रुपए किलो बिक रहा है।

साफ है थोक मंडी से खुले बाजार तक पहुंचने के बीच सब्जियों के दाम दोगुने हो रहे हैं। ऐसे में स्टाल लगाकर सब्जियां बेचने के साथ ही सप्लाई चेन की इस मुनाफाखोरी को रोकना भी जरूरी है। कीमतों को काबू करने और कालाबाजारी को रोकने के लिए सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं, लेकिन जरुरत है इसे आगे जारी रखने कि जिससे की हालात बेकाबू ना हो जाए।



केंद्र सरकार ने कहा कि आलू, प्याज और अन्य खाद्य सामग्री का देश में पर्याप्त भंडार है और लोगों को इसकी कीमतें बढ़ने की आशंका से घबराने की जरूरत नहीं है। केद्रीय दूरसंचार और कानून मंत्री रवि शंकर प्रसाद ने मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मीडियाकर्मियों से मुखातिब होते हुए कहा कि मैं लोगों से आग्रह करता हूं कि वे बिल्कुल नहीं घबराएं। सरकार कीमत वृद्धि में नियंत्रण के लिए वचनबद्ध है। प्रसाद ने आशा जताई कि आने वाले समय में मानसून में सुधार होगा, जिसका खाद्य कीमतों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। परेशान मत हों, अच्छी बारिश होगी।



लगातार बढ़ती महंगाई को लेकर सरकार बेहद सतर्क दिख रही है। इसे लेकर आज कैबिनेट की बैठक हुई जिसमें ये महत्वपूर्ण फैसला लिया गया। इसके अलावा जमाखोरों पर भी सख्त कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।

हैरतअंगेज मगर सच, यहां छुपा है सोने का बेशकीमती खजाना! -

 प्राचीन सोने के भंडार की खोज करने के लिए लोग अपना जीवन लगा देते हैं लेकिन फिर भी उनके हाथ कुछ नहीं लगता। 
this hidden treasure of gold
कारण चाहे कुछ भी हो लेकिन यह सभी जानते हैं कि सोने के यह अपार भंडार धरती के इतने अंदर समाए होते हैं कि वहां तक पहुंचना किसी भी इंसान के लिए नामुमकिन होता है। 

ऎसा ही एक सोने का भंडार मौर्य साम्राज्य के प्रतापी राजा बिंबसार का हुआ करता था जो कि बिहार के नालंदा जिले के राजगिर शहर की अंधेरी गुफाओं में दफन है। इन गुफाओं को सोन भंडार गुफाओं का नाम दिया गया है।

प्राचीन समय में यह मगध की राजधानी थी। यही पर भगवान बुद्ध ने मगध के सम्राट बिम्बिसार को धर्मोपदेश दिया था। यह शहर बुद्ध से जुड़े स्मारकों के लिए विशेष रूप से जाना जाता है।

इस गुफा के पास उस जेल के अवशेष है जहां पर बिम्बिसार को उनके पुत्र अजातशत्रु ने बंदी बना कर रखा था।

लेकिन यह भी सच है कि इस बेशकीमती खजाने को आज तक कोई नहीं खोज पाया है। 

चट्टानों को काटकर बनाई गई सोन भंडार गुफा 
सोन भण्डार गुफा मे प्रवेश करते हि 10 . 4 मीटर लम्बा, 5 . 2 मीटर चोडा तथा 1 . 5 मीटर ऊंचा एक कक्ष आता है, इस कमरा खजाने कि रक्षा करने वाले सैनिकों के लिए था। 

इसी कमरे कि पिछली दीवार से खजाने तक पहूंचने का रास्ता जाता है। इस रास्ते का प्रवेश द्वार पत्थर कि एक बहुत बडी चट्टान नुमा दरवाजे से बन्द किया हुआ है। इस दरवाजे को आज तक कोई नही खोल पाया है।

गुफा कि दीवार पर लिखी जानकारी 
कुछ लोगो का यह भी मानना है कि खजाने तक पहुचने का यह रास्ता वैभवगिरी पर्वत सागर से होकर सप्तपर्णी गुफाओ तक जाता है, जो कि सोन भंडार गुफा के दुसरी तरफ तक पहुँचती है। 

अंग्रजों ने एक बार तोप से इस चट्टान को तोड़ने कि कोशिश कि थीं लेकिन वो इसे तोड़ नही पाये। तोप के गोले का निशान आज भी चट्टान पर मौजुद है। 

गुफा की एक दीवार पर शंख लिपि मे कुछ लिखा है जो कि आज तक पढ़ा नही जा सका है। कहा जाता है की इसमें ही इस दरवाजे को खोलने का तरीका लिखा है। - 

पचपदरा में खुलेगा औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान

बालोतरा। पचपदरा क्षेत्र के अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं के लिए अच्छी खबर है। बेरोजगार युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने व रोजगार के अवसर सुलभ करवाने के लिए राज्य सरकार पचपदरा में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान खोलने जा रही है। सब ठीक रहा तो आने वाले वर्षो में अल्पसंख्यक वर्ग के बेरोजगार युवाओं को पचपदरा में प्रशिक्षण की सुविधा मुहैया होगी। वर्ष2013-14 की बजट घोषणा में मुख्यमंत्री ने पचपदरा में नवसृजित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को हरी झण्डी दी थी। इसे अमलीजामा पहनाने के लिए महकमे ने कवायद शुरू कर दी है। पचपदरा में औद्योगिक संस्थान खुलने से युवाओं को काफी फायदा होगा।Industrial Training Institute will open in Pcpdra
इसलिए खुली राह
पचपदरा में राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की राह प्रशस्त करने का एकमात्र क्षेत्र यहां खुलने वाली रिफाइनरी तथा बायो पेट्रोकेमिकल हब को माना जाता है। पचपदरा में अरबों रूपए की लागत से तैयार होने वाली ये महत्वपूर्ण योजनाएं मंजूर की गई है। रिफाइनरी तथा बायो पेट्रोकेमिकल हब के दौरान तक निजी क्षेत्र में नौकरियों की संभावनाए रहेगी।तकनीकी अनुभव रखने वाले दक्ष युवाओं को निश्चित तौर पर नौकरियां की सौगात मिलेगी। युवाओं को इसके लिए तैयार रखने की सोच को लेकर सरकार ने औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को मंजूरी दी है।

जमीन के जुगाड़ की कवायद
पचपदरा में नवसृजित राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान को मूर्त रूप देने के लिए महकमे ने कवायद तेज कर दी है। जमीन आंवटन करवाने को लेकर महकमे की ओर से प्रयास किए जा रहे हैं। औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान सिवाना के नोडल अधिकारी व अधीक्षक ने इसको लेकर जिला कलक्टर को पत्र भेजकर पचपदरा में स्वीकृत संस्थान के भवन के लिए 10 -15 एकड़ जमीन आवंटन करने का आग्रह किया है। साथ ही संबंधित दस्तावेज भूमि आवंटन पत्र,साइड प्लान,खसरा खतौनी,म्यूटेशन पट्टा अभिलेख की प्रतियां दिलवाने का आग्रह भी किया है।

ताकि रहे सहूलियत
औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए पचपदरा के नजदीक दायरे की जमीन चाही गई है। जिला कलक्टर को भेजी गईइस चिट्ठी में खास तौर पर उल्लेख किया गया है कि आवंटित की जाने वाली जमीन पचपदरा के आबादी क्षेत्र के नजदीक हो। ।छात्र-छात्राओं के लिए सुरक्षित व मुख्य सड़क पर स्थित हो,जहां संस्थान के लिए भवन,छात्रावास,स्टॉफ क् वार्टस का निर्माण करवाया जा सके।

यह हो सकता है विकल्प
पचपदरा में नवसृजित औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए वर्षो से आरक्षित जमीन काफी उपयुक्त हो सकती। पचपदरा के मण्डापुरा में विभिन्न 13 खसरों में आरक्षित 103 बीघा व 2 बिस्वा यह जमीन करीब तीन दशक पहले जिला औद्योगिक अधिकारी के नाम से आवंटित व आरक्षित की गईथी। अरसे से यह जमीन अनुपयोगी पड़ी है। अतिक्रमी कब्जे कर रहे हैं। यह पचपदरा के आबादी क्षेत्र से सटी जमीन है। लिहाजा राजकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान के लिए यह काफी उपयुक्त साबित हो सकती है।


सराहनीय कदम
अल्पसंख्यक वर्ग के युवाओं को तकनीकी तालीम व प्रशिक्षण देने के लिए पचपदरा में औद्योगिक प्रशिक्षण संस्थान की मंजूरी निश्चित रूप से सरकार का सराहनीय कदम है। हाजी सलीम, सामाजिक कार्यकर्ता

नियमानुसार होगा आंवटन
आईटीआईके लिए जमीन उपलब्ध करवाने की मांग पर नियमानुसार कार्रवाईकी जाएगी। जमीन की उपलब्धता होने पर आवंटन की प्रक्रिया की जाएगी।
-उदयभानु चारण , उपखंड अधिकारी

रेल की चपेट में आने से कटे पैर

 Catching the train severed leg

बालोतरा। जोधपुर-बाड़मेर साधारण सवारी रेलगाड़ी की चपेट में आने से एक व्यक्ति के दोनों पैर कट गए। यह रेल मंगलवार सुबह बालोतरा से रवाना हुईतो खेड़ से पहले सराणा (जालोर) निवासी भीमाराम पुत्र उदाराम प्रजापत रेलगाड़ी की चपेट में आ गया।उसके दोनों पैर घुटनों से ऊपर तक कट कर अलग हो गए।गंभीर अवस्था में उसे बालोतरा के राजकीय नाहटा अस्पताल लाया गया।प्राथमिक उपचार के बाद उसे जोधपुर रैफर किया गया।