बुधवार, 10 अगस्त 2011

maang lunga main tujhe taqdeer se

फिर नहीं होगा हार्ट अटैक, जयपुर के डॉक्टर का कमाल!



जयपुर। शहर के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने अजमेर निवासी 48 वर्षीय किशनलाल का रीमा लीमा वाई तकनीक से ऑपरेशन किया है। मरीज स्वस्थ है तथा अब हार्ट अटैक व एंजाइना जैसी बीमारी की संभावना नहीं रहेगी।


कार्डियो थोरेसिक सर्जन डॉ.सी.पी. श्रीवास्तव ने इसमें सीने के दोनों तरफ की नसें निकालकर दायीं से बायी से जोड़ा है। वाई आकृति में कितने भी बाईपास किए जा सकते हैं। डॉ.श्रीवास्तव ने बताया कि दुबारा सर्जरी की संभावना जीरो फीसदी रहती है। जबकि सामान्य सर्जरी में 5 से 6 वर्ष बाद दुबारा सर्जरी या एंजियोप्लास्टी की संभावना बनी रहती है।




ये होगा फायदा



लंबे समय तक प्रभावी। हाथ व पैर में चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं। ऑपरेशन के बाद शरीर स्वस्थ व हृदय घात की संभावना खत्म हो जाती है, जबकि प्रचलित सर्जरी में हार्ट अटैक की संभावना 2 से 3 प्रतिशत होती है। हाथ पैर के द्वारा निकाली गई नसों में 5 से 6 वर्ष बाद एथिरोस्किलोरोसिस हो जाता है, जो की धमनी के ब्लॉकेज होने का मुख्य कारण है, जबकि इंटरनल मेमेरी आर्टरी में यह संभावना 100 फीसदी खत्म हो जाती है। क्योंकि हाथ पैर की नसों के मुकाबले आईएमए में रक्त संचार कई गुना अधिक होता है।

एंजाइना से मिलेगी मुक्ति

डॉ.श्रीवास्तव के अनुसार आरएलवाई तकनीक से एंजाइना फ्री हो जाता है। बाईपास सर्जरी का गोल्ड स्टैंडर्ड है। इससे 100 फीसदी परिणाम सफल होते हैं। हाथ-पैर की नसों की कोशिकाएं कुछ समय बाद समाप्त हो जाती हैं, जिससे वह एक कृत्रिम ट्यूब की तरह काम करती है। जबकि आईएमए एक जीवित ग्राफ्ट रहता है तथा हृदय की आवश्यकता अनुसार रक्त की सप्लाई को कम या ज्यादा किया जा सकता है।

बदमाशों ने एक महिला की गला घोंटकर हत्या कर दी

जयपुर। गांधी नगर रेलवे स्टेशन के प्लेटफॉर्म नंबर दो की ओर बने पार्किग परिसर के पास मंगलवार शाम बदमाशों ने एक महिला की गला घोंटकर हत्या कर दी। हत्या के बाद बदमाश महिला के सोने के कड़े, टॉप्स तथा पायजेब लेकर फरार हो गए।

जड़ाव देवी (55) गांधी नगर स्टेशन के पास मानसिंहपुरा की रहने वाली थी। वह रोजाना गांधी नगर पार्किग परिसर के पास से घास काटकर लेकर जाती थी। मंगलवार शाम को भी वह घास काटने आई थी। जब काफी देर तक वह घर नहीं पहुंची तो परिजनों ने आसपास तलाश किया। इस दौरान किसी ने पुलिस को सूचना दी कि एक गांधी नगर पार्किग परिसर में महिला की लाश पड़ी है। तब तक परिजन भी तलाशते हुए वहां पहुंच गए।

महिला की लाश पार्किग परिसर में खड़े ट्रक के पीछे उग रही घास में पड़ी थी। ट्रक के टायर के पीछे लगे रबर से महिला का गला घोंटा गया था। वारदात के तरीके के आधार पर पुलिस का मानना है कि ट्रेनों में सफर करने वाले बदमाशों ने वारदात को अंजाम दिया है, जो किसी काम से वहां आए। उन्होंने महिला को अकेली देखकर गला दबाकर हत्या कर दी और सोने की चूड़ियां तथा टॉप्स लूटकर फरार हो गए। पुलिस ने पार्किग में काम संभाल रहे कर्मचारियों से भी पूछताछ की है। जहां पर पार्किग कर्मचारी बैठते हैं, वहां से काफी दूर वारदात हुई है। मामले की जांच जीआरपी कर रही है।

जयपुर में सीबीआई छापे, 8 अफसरों पर केस



जयपुर। कॉमनवेल्थ गेम्स घोटाले में सीबीआई ने दिल्ली, गाजियाबाद (उप्र) एवं जयपुर में 16 स्थानों पर मंगलवार को छापे मारे। साथ ही केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (सीपीडब्ल्यूडी) के आठ अधिकारियों एवं दो निजी फर्मो के खिलाफ मामला दर्ज किया।

सीबीआई ने यह कार्रवाई नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (कैग) की तीन दिन पहले संसद में पेश रिपोर्ट के बाद की है। इसमें कॉमनवेल्थ गेम्स से जुड़ी विभिन्न योजनाओं तथा अन्य मामलों में हुए कदाचार पर अहम सवाल उठाए गए हैं।सीबीआई की प्रवक्ता धारिणी मिश्रा ने कहा कि छापामार कार्रवाई में महत्वपूर्ण दस्तावेज हाथ लगे हैं। श्यामाप्रसाद मुखर्जी स्विमिंग पूल कॉम्प्लेक्स में निजी कंपनियों के साथ इन अफसरों ने साठ-गांठ की। साथ ही सामग्री की कीमतों में बढ़ोतरी को आधार बनाकर प्रोजेक्ट की लागत बढ़ाई।

कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि अहलूवालिया कॉन्ट्रेक्ट्स को यह ठेका 229.73 करोड़ रुपए में दिसंबर 2007 में दिया गया, जबकि अक्टूबर 2007 में इस काम की अनुमानित लागत 176 करोड़ रुपए बताई गई थी। इसके अलावा घटिया निर्माण कार्य की शिकायतें भी आई हैं।

आठ अफसरों में एक जयपुर का

जिन आठ अफसरों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है उनमें जयपुर के अंबाबाड़ी निवासी ईई (पी) प्रदीप गुप्ता भी हैं। उन्होंने स्वीमिंग पूल निर्माण का कार्य कराया था। उनके अलावा तत्कालीन परियोजना प्रबंधक एसएस मंडल, अधीक्षण अभियंता राजेंद्र बल्ला, कार्यपालक अभियंता मनु मित्तल, सहायक अभियंता-1 एके अरोड़ा, सहायक अभियंता-2 मनीव कुमार रावत, कनिष्ठ अभियंता संजीव कुमार एवं सहायक अभियंता (पी) सोम दत्त पर मामला दर्ज हुआ है। अहलूवालिया कॉन्ट्रेक्ट्स (इंडिया) लि. तथा कंसल्टिंग इंजीनियरिंग सर्विस और जर्मनी की श्लैस बर्गरनैन के संयुक्त उपक्रम पर भी केस दर्ज किया गया है।

aaj subah jab main jaaga teri kasam.. FILM AAG AUR SHOLA..

पहली बार राजस्‍थान के पास पहुंची चीनी सेना, पाकिस्‍तान को सिखा रही लड़ाई के गुर


भारत की सीमा से महज 25 किलोमीटर दूर चीन और पाकिस्‍तान साझा युद्धअभ्‍यास कर रहे हैं। यह अभ्‍यास राजस्‍थान में जैसलमेर-बीकानेर जिलों से लगती सीमा के पास हो रहा है। इसमें चीन की पीपुल्‍स लिबरेशन आर्मी की 101 इंजीनियरिंग रेजीमेंट और पाकिस्‍तान रेंजर्स के जवान भाग ले रहे हैं। 


युद्ध अभ्‍यास शुरू हुए एक सप्‍ताह हो चुका है। एक महीने के इस युद्ध अभ्‍यास के बारे में जानकार बताते हैं कि ऐसा पहली बार हुआ है कि चीन की सेना पश्चिम में भारतीय सीमा के पास सक्रिय देखी गई है। 


खुफिया रिपोर्टों के मुताबिक चीन की ओर से पाकिस्‍तान को हर तरह की सैन्‍य मदद मिल रही है। वह पाकिस्‍तान को भारत के पश्चिमी क्षेत्र से सटे इलाकों में ताकत बढ़ाने के लिए टैंक अपग्रेड टेक्‍नोलॉजी और मानवरहित विमान (यूएवी) भी मुहैया करा रहा है। 


ताजा साझा युद्ध अभ्‍यास के बारे में जानकारी होने से भारतीय सेना इनकार कर रही है। आधिकारिक सूत्र बताते हैं कि पाकिस्‍तान रेंजर्स सालाना अभ्‍यास करती है, लेकिन अभी इस तरह का कोई युद्ध अभ्‍यास चलने के बारे में खबर नहीं है। पर खुफयिा सूत्र बताते हैं कि पीएलए पाकिस्‍तानी सैनिकों को यह सिखा रही है कि दुर्गम क्षेत्रों से टैंक और दूसरे भारी सैन्‍य वाहनों को कैसे लाया-ले जाया जा सकता है। और यह भी कि सेना को रास्‍ता देने के लिए पुल कैसे बनाया जाए। यह अभ्‍यास पाकिस्‍तान के रहिमियार खान इलाके के सेम नाला में चल रहा है। इस जगह की सीमा जैसलमेर के टनोट-किशनगढ़ इलाके से लगती है। अभ्‍यास में भाग लेने के लिए चीन की पूरी ब्रिगेड मौजूद है।

सिवाना विख्यात हल्देश्वर की पहाडिय़ों में भीड़

सिवाना सोमवार व मंगलवार को क्षेत्र में हुई बारिश के बाद मिनी माउंट आबू के नाम से विख्यात हल्देश्वर की पहाडिय़ों में भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने अरावली की पर्वतमालाओं के बीच स्थित हल्देश्वर की वादियों में प्राकृतिक नजारें का लुत्फ उठाने के साथ हल्देश्वर महादेव मंदिर में मत्था टेका।
यहां शिव मंदिर में शिवलिंग पर दही, दूध व फलों के रस से अभिषेक भी किए जा रहे हैं। करीब 9 किलोमीटर की चढ़ाई पर स्थित प्राचीन हल्देश्वर महादेव मंदिर पर दिन भर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। यहां आने वाले सैलानी पहाडिय़ों में स्थित जलकुंडों व प्राकृतिक झरनों में भी नहाने का लुत्फ उठाते रहे। विकसित हो सकता है पर्यटन क्षेत्र   अरावली की पर्वतमालाओं में स्थित हल्देश्वर
क्षेत्र पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। यहां की प्राकृतिक छटाओं में
सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाता है। बारिश के दिनों में चलने वाले प्राकृतिक झरने हर किसी का मन
मोह लेते हैं। विडंबना यह है कि यहां सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को पैदल यात्रा करने को
मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा खाने-पीने का सामान भी साथ लेकर पहुंचना पड़ता है। रहने के लिए यहां कोई पुख्ता प्रबंध नहीं होने व
जानकारी के अभाव में भी बाहरी सैलानी
यहां पहुंच ही नहीं पाते।

मुख्यमंत्री की सभा के बाद हुड़दंग, लाठीचार्ज, हिंडौन बंद आज

जोधपुर। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की सभा के बाद मंगलवार को हिंडौन में जमकर हुड़दंग हुआ। बेकाबू भीड़ ने कृषि राज्यमंत्री भरोसीलाल जाटव और कलेक्टर विष्णु चरण मल्लिक के काफिले को घेर लिया।


भीड़ से बचकर मंत्री और कलेक्टर को दूसरे रास्ते से निकलना पड़ा। भीड़ ने एक पुलिस अधिकारी से बदसलूकी भी की। बाद में पुलिस बल ने हुड़दंग कर रही भीड़ को स्टेशन रोड पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटा और लाठियां बरसाईं। इसके विरोध में गुर्जर युवाओं ने बुधवार को हिंडौन के बाजार को बंद रखने का ऐलान किया है। जाटव ने हंगामे को मुख्यमंत्री की सभा की सफलता से बौखलाई भाजपा और विरोधियों की करतूत बताया। लाठीचार्ज कर भीड़ को खदेड़ती पुलिस।

जैसलमेर. का .856 स्थापना दिवस......अजब देश जैसाणा, हर जन है इसका दीवाना .










भारत की पश्चिमी सीमा पर राजस्थान का जैसलमेर जिला। आक्षिजित पसरे हुए मरुथल में रेत के धोरों वाली यह धरा अपने आप में कई खासियतों का समावेश किए हुए है। जितना यह सबसे बडा जिला है उतना ही इसका विशाल हृदय है, और इससे कहीं अधिक उदारता कूट-कूट कर भरी हुई है। शेष दुनिया से सुदूरवर्ती होने की वजह से पहले के दशकों में इसकी खासियतों के बारे में प्रदेश और देश के आमजन तक जानकारी का जो अभाव रहा उसे हाल के वर्षों में आए बदलाव ने पाट दिया है। व्यापक संचार क्रांति के साथ ही जैसे-जैसे इस धरा की खूबियों के बारे में देश और दुनिया के लोगों को पता चलता गया, उनका रूख जैसलमेर की ओर होता गया। आजह जैसलमेर दुनिया के लोगों के लिए पर्यटन का केन्द्र बन गया है। किसी जमाने में समुद्र का हिस्सा रहे जैसलमेर की जमीं में रंगों और रत्नों की खूब भरमार है। कहीं कला संस्कृति और शिल्प स्थापत्य के मोती बिखरे हुए हैं कहीं धर्म-अध्यात्म और मानवता के बीज तत्वों का अखूट खजाना। आत्मीयता और स्नेह के रसों का यहाँ ज्वार उमडता है। इस धरा की खूबियों को वही जान सकता है जिसने यहाँ की आबोहवा में आकर कुछ क्षण व्यतीत किए हों। जैसाण की धरती का हर क्षण असीम आनंद और आत्मतोष देने वाला है। शुद्घ पर्यावरण देता है दिली सुकून आधुनिकता को आत्मसात करने के बावजूद आज के बहुआयामी प्रदूषण से कोसों दूर जैसलमेर का पर्यावरण शुद्घ और सुकून देने वाला है। हवा-पानी और मिट्टी की मौलिक शुद्घता ही वजह है कि भीषण गर्मी और तपन, रेतीली आंधियों और जीवन संघर्ष से जुडी कई कठिनाइयों के बावजूद जैसलमेर का जनजीवन पूरी ताजगी के साथ गतिमान दिखता है। 856 वर्ष पूर्व महारावल जैसल ने रखी नींव जैसलमेर की स्थापना आज से 856 वर्ष पूर्व विक्रम संवत् 1212 में श्रावण शुक्ल द्वादशी बुधवार को हुई। इस दिन महारावल जैसल ने त्रिकूट पर्वत पर जैसलमेर दुर्ग की नींव रखी। कृष्ण युगीन मिथकों से जुडे जैसलमेर में सभी धर्मों के लोगों का आपसी समन्वय और स बंध सा प्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश करता है। जैसलमेर अपने आप में लोक जीवन से लेकर परिवेशीय विलक्षणताओं का खजाना है जिसे देखने प्रदेश और देश के विभिन्न हिस्सों के साथ ही सात समन्दर पार से मेहमान आते हैं। यहाँ कई-कई दिन घूम-फिर कर देखने के बाद भी जैसलमेर को पूरा देख पाने की प्यास अधूरी ही रहती है। हर दिन की शुरूआत उत्सवी पर परा से साल भर यहाँ लोक लहरियों और तीज-त्याहारों की भरमार रहती हैं, यहाँ का हर दिन उत्सवी पर पराओं से शुरू होता है। यहाँ की सामाजिक पर पराओं का आकर्षण हर किसी को अपने मोहपाश में बाँध लेने का जबर्दस्त सामर्थ्य रखता है। सूर्य की आभा को अपनी बनाकर स्वर्ण आभा बिखेरने वाला सोनार दुर्ग अपने आप में ऐसा नगर है जहाँ पुरातन से लेकर आधुनिकताओं से जुडे सरोकारों को देखा जा सकता है। दुर्ग में भगवान श्री लक्ष्मीनाथजी का मन्दिर, विभिन्न प्रोलें, जैन मन्दिर समूह, राजप्रासाद सहित कई दर्शनीय बि ब हैं। विश्ववि यात हैं हवेलियाँ शहर में गडसीसर सरोवर का नजारा रेगिस्तान में अमृत कुण्ड का अहसास कराता है। जैसलमेर की हवेलियाँ विश्ववि यात हैं। इनमें पटवों की हवेली, नथमल की हवेली, दीवान सालमसिंह की हवेली, मन्दिर पैलेस, बादल निवास जैसे कई महत्वपूर्ण स्थल हैं। इनके साथ ही अमरसागर, बडा बाग, लौद्रवा, मूमल-महेन्द्रा की मेडी, पुरातत्व के धाम, पालीवालों की संस्कृति के पुरावशेषों का दिग्दर्शन कराते कुलधरा और खाभा, सम और खुहडी के लहरदार मखमली रेतीले धोरे, बैसाखी, रामकुण्डा, बरमसर, गजरूप सागर आदि का महत्व सर्वविदित है। जैसलमेर की धरती शाक्त उपासना का आदि धाम रही है जहाँ देवियों की स्नेहधाराओं ने सदियों तक लोक जीवन को संरक्षण देते हुए सींचा है। इनमें तनोटराय, तेमडेराय, देगराय, भादरिया राय, स्वांगिया माता, काले डूंगर राय, नभ डूंगर राय, पन्नौधर राय आदि प्रमुख हैं। लोगो की इन देवियों में अगाध आस्था और विश्वास साल भर देखा जा सकता है। सा प्रदायिक सद्भाव के प्रतीक बाबा रामदेव के प्रति देश के करोडों लोगों में अगाध आस्था का भाव रहा है। इन्हीं बाबा रामदेव का मन्दिर जैसलमेर जिले के ही रामदेवरा में है जहां हर साल भाद्रपद में बीज से ग्यारस तक लगने वाले मेले में देश के कोने-कोने से लाखों श्रद्घालु जातरु आते हैं। जैसलमेर जिले का पोकरण क्षेत्र शौर्य भूमि के रूप में प्रसिद्घ है जहां परमाणु परीक्षण का गौरवशाली इतिहास कायम हुआ है। सीमावर्ती जिला होने से यह सामरिक दृष्टि से भी महत्वपूर्ण है जहाँ मीलों तक सेना के ठिकाने हैं। हर कोना भरा है कला से देश-दुनिया के अन्य पर्यटन और दर्शनीय स्थलों के मुकाबले यहाँ का परिवेश इस मायने में अलग है कि यहाँ सूक्ष्म और कलात्मक शिल्प स्थापत्य के सुन्दर दृश्य हर कहीं सहज ही दर्शनीय हैं जो जैसलमेर की पुरातन कला संस्कृति की विलक्षणताओं का नमूना है। यही कारण है कि यहाँ के सुनहरे और चित्ताकर्षक मनोहारी बि बों ने कला पारखियों और फिल्मकारों को इस धरा की ओर आकर्षित किया है। पर्यटन ने बदली तस्वीर स्थानीय विशेषताओं और विलक्षणओं को देखकर जब से इसे पर्यटन के साथ जोडा गया है तभी से जैसलमेर भारतवर्ष और संसार के पर्यटन मानचित्र पर लोकप्रिय स्थल के रूप म अंकित हो चला है। भीषण गर्मी भरे दो-चार माह छोड दिए जाएं तो साल भर यहाँ देशी-विदेशी पर्यटकों का सैलाब उमडता रहता है। पर्यटन केन्द्र के रूप में स्थापित होने के बाद यहाँ की अर्थव्यवस्था के साथ ही जनजीवन के सभी क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव आया है। विकास का मंजर इन्दिरा गांधी नहर परियोजना की बदौलत सदियों से सूखी धरती पर फिर पानी का मंजर दिखने लगा है। इससे पेयजल का संकट दूर हो चला है वहीं खेती-बाडी की राहें भी आसान हो उठी हैं। सौर और पवन ऊर्जा के पंखें यहां खुशहाली की हवा देने लगे हैं। आम आदमी से लेकर क्षेत्रीय विकास के लिए सरकार की पहल ने अब जैसलमेर को प्रगतिशील जिलों की डगर दे दी है। जैसलमेर अब वह नहीं रहा जो कभी पहले हुआ करता था, आज जैसलमेर बदला-बदला सा है। हर कहीं विकास का मंजर साफ नजर आ रहा है और जीवन निर्वाह की मुश्किलें काफी हद तक समाप्त हो चली हैं। इन नौ सदियों में जैसलमेर ने कई उतार-चढाव देखे हैं मगर अब हर कहीं विकास की नई राहों से लोकजीवन में संतुष्टि और सुकून पसरता ही जा रहा है। ---000---
Source : - डॉ. दीपक आचार्य