सिवाना सोमवार व मंगलवार को क्षेत्र में हुई बारिश के बाद मिनी माउंट आबू के नाम से विख्यात हल्देश्वर की पहाडिय़ों में भीड़ उमड़ पड़ी। लोगों ने अरावली की पर्वतमालाओं के बीच स्थित हल्देश्वर की वादियों में प्राकृतिक नजारें का लुत्फ उठाने के साथ हल्देश्वर महादेव मंदिर में मत्था टेका।
यहां शिव मंदिर में शिवलिंग पर दही, दूध व फलों के रस से अभिषेक भी किए जा रहे हैं। करीब 9 किलोमीटर की चढ़ाई पर स्थित प्राचीन हल्देश्वर महादेव मंदिर पर दिन भर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। यहां आने वाले सैलानी पहाडिय़ों में स्थित जलकुंडों व प्राकृतिक झरनों में भी नहाने का लुत्फ उठाते रहे। विकसित हो सकता है पर्यटन क्षेत्र अरावली की पर्वतमालाओं में स्थित हल्देश्वर
क्षेत्र पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। यहां की प्राकृतिक छटाओं में
सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाता है। बारिश के दिनों में चलने वाले प्राकृतिक झरने हर किसी का मन
मोह लेते हैं। विडंबना यह है कि यहां सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को पैदल यात्रा करने को
मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा खाने-पीने का सामान भी साथ लेकर पहुंचना पड़ता है। रहने के लिए यहां कोई पुख्ता प्रबंध नहीं होने व
जानकारी के अभाव में भी बाहरी सैलानी
यहां पहुंच ही नहीं पाते।
यहां शिव मंदिर में शिवलिंग पर दही, दूध व फलों के रस से अभिषेक भी किए जा रहे हैं। करीब 9 किलोमीटर की चढ़ाई पर स्थित प्राचीन हल्देश्वर महादेव मंदिर पर दिन भर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। यहां आने वाले सैलानी पहाडिय़ों में स्थित जलकुंडों व प्राकृतिक झरनों में भी नहाने का लुत्फ उठाते रहे। विकसित हो सकता है पर्यटन क्षेत्र अरावली की पर्वतमालाओं में स्थित हल्देश्वर
क्षेत्र पर्यटन क्षेत्र के रूप में भी विकसित किया जा सकता है। यहां की प्राकृतिक छटाओं में
सैलानी मंत्रमुग्ध हो जाता है। बारिश के दिनों में चलने वाले प्राकृतिक झरने हर किसी का मन
मोह लेते हैं। विडंबना यह है कि यहां सुविधाओं के अभाव में सैलानियों को पैदल यात्रा करने को
मजबूर होना पड़ता है। इसके अलावा खाने-पीने का सामान भी साथ लेकर पहुंचना पड़ता है। रहने के लिए यहां कोई पुख्ता प्रबंध नहीं होने व
जानकारी के अभाव में भी बाहरी सैलानी
यहां पहुंच ही नहीं पाते।
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