जयपुर। शहर के एक निजी अस्पताल के डॉक्टरों ने अजमेर निवासी 48 वर्षीय किशनलाल का रीमा लीमा वाई तकनीक से ऑपरेशन किया है। मरीज स्वस्थ है तथा अब हार्ट अटैक व एंजाइना जैसी बीमारी की संभावना नहीं रहेगी।
कार्डियो थोरेसिक सर्जन डॉ.सी.पी. श्रीवास्तव ने इसमें सीने के दोनों तरफ की नसें निकालकर दायीं से बायी से जोड़ा है। वाई आकृति में कितने भी बाईपास किए जा सकते हैं। डॉ.श्रीवास्तव ने बताया कि दुबारा सर्जरी की संभावना जीरो फीसदी रहती है। जबकि सामान्य सर्जरी में 5 से 6 वर्ष बाद दुबारा सर्जरी या एंजियोप्लास्टी की संभावना बनी रहती है।
ये होगा फायदा
लंबे समय तक प्रभावी। हाथ व पैर में चीरा लगाने की आवश्यकता नहीं। ऑपरेशन के बाद शरीर स्वस्थ व हृदय घात की संभावना खत्म हो जाती है, जबकि प्रचलित सर्जरी में हार्ट अटैक की संभावना 2 से 3 प्रतिशत होती है। हाथ पैर के द्वारा निकाली गई नसों में 5 से 6 वर्ष बाद एथिरोस्किलोरोसिस हो जाता है, जो की धमनी के ब्लॉकेज होने का मुख्य कारण है, जबकि इंटरनल मेमेरी आर्टरी में यह संभावना 100 फीसदी खत्म हो जाती है। क्योंकि हाथ पैर की नसों के मुकाबले आईएमए में रक्त संचार कई गुना अधिक होता है।
एंजाइना से मिलेगी मुक्ति
डॉ.श्रीवास्तव के अनुसार आरएलवाई तकनीक से एंजाइना फ्री हो जाता है। बाईपास सर्जरी का गोल्ड स्टैंडर्ड है। इससे 100 फीसदी परिणाम सफल होते हैं। हाथ-पैर की नसों की कोशिकाएं कुछ समय बाद समाप्त हो जाती हैं, जिससे वह एक कृत्रिम ट्यूब की तरह काम करती है। जबकि आईएमए एक जीवित ग्राफ्ट रहता है तथा हृदय की आवश्यकता अनुसार रक्त की सप्लाई को कम या ज्यादा किया जा सकता है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें