बलिया। उत्तर प्रदेश के बलिया में दो लड़कों ने सामाजिक रीतिरिवाजों को पीछे छोड़ते हुए आपस में शादी कर ली। तुर्रा यह कि उनकी शादी 'रजिस्टर्ड' भी हो गई है। दोनों ने हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत अपनी शादी 'रजिस्टर्ड' कराई थी, जबकि इस कानून में ऐसे संबंधों की कोई जगह नहीं है।अब दोनों जेल जाने के डर से घर छोड़कर फरार हो गए हैं।
चुनमुन कुमार और सिमरन के मुताबिक उन दोनों ने अपने लिंग के बारे में रजिस्ट्री अधिकारियों को बताया था। अधिकारियों का कहना था कि उन दोनों ने दो शपथ-पत्र प्रस्तुत किए थे जिसमें एक ने खुद को आदमी और दूसरे ने औरत होने का वर्णन किया था।
चुनमुन बलिया के गढ़वार इलाके के एक गांव का रहने वाला है और सिमरन जो कि एक पुरुष डांसर है के साथ पिछले आठ सालों से उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों में होने वाली विभिन्न शादियों में काम कर चुका है। सिमरन को पहले सिमान सिंह के नाम से जाना जाता था। सिमरन का जन्म बरेली में हुआ था और वो पिछले आठ सालों से बलिया में रह रहा है। उन दोनों ने पिछले महीने ही शादी कर लेने का फैसला किया था।
चुनमुन ने बताया कि, "हम बलिया सिविल कोर्ट गए और वहां एक वकील से मिले जिसने हमसे तीन हजार रुपए लिए और एक दिन बाद आने को कहा।"उसने आगे बताया कि जब वो दूसरे दिन रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे तो वहां के एक अधिकारी ने उसका नाम पुकारा तो उसने हां में जवाब दे दिया; उसके बाद ऑफिसर ने सिमरन का नाम लिया और उसने भी हां कह दिया। इसके बाद उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट दे दिया गया और वो वापस गढ़वार आ गए।
उन दोनों की शादी 29 मार्च को रजिस्टर्ड हुई थी। उसने कहा, "अगर हम अपने संबंधों को छुपा कर रखना चाहते तो अपनी शादी रजिस्टर्ड ही क्यूं कराते? मैंने वकीलों को यह बात बता दी थी कि हम दोनों ही पुरुष हैं।"
चुनमुन ने आगे बताया कि उसके इलाके के लोगों ने उसे बताया कि उसे गलत सूचना देने के जुर्म में जेल हो सकती है, इसी वजह से उन लोगों ने सोमवार को अपना घर छोड़ दिया था। चुनमुन के घर वालों ने शुरुआती दौर में तो सिमरन को अपनाने से मना कर दिया था पर बाद में वो मान गए थे।
बलिया के उप रजिस्ट्रार सुभाष चंद्र मिश्रा ने बताया कि शादी के दौरान पेश किए गए शपथ पत्रों में सिमरन को एक औरत की तरह दर्शाया गया है। मिश्रा ने यह भी बताया कि सिमरन उनके ऑफिस में लड़की की तरह दिख रहा था और उसने साड़ी पहन रखी थी। उसने अपना शपथ पत्र, शादी का आमंत्रण पत्र और गांव के प्रधान का लिखा पत्र पेश किया था जिसमें यह बात लिखी हुई थी कि वो दोनों पति-पत्नी के तौर पर गांव में रह रहे हैं। इसी सबको नजर में रखते हुए उन्होंने सिमरन और चुनमुन की शादी हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत कर दी। बलिया सिविल कोर्ट के दो वकीलों ने गवाहों के तौर पर दस्तखत भी किए थे।
गांव प्रधान के पत्र में भी प्रधान के तौर पर रामा देवी नाम लिखा है जबकि गांव के असली प्रधान का नाम विद्यावती देवी है और उन्होंने ऐसा कोई पत्र जारी करने की बात से साफ मना कर दिया है। मिश्रा ने बताया कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत केवल एक पुरुष और महिला के बीच ही शादी हो सकती है, लेकिन उनके पास उन दोनों के लिंगों से संबंधित कोई प्रमाण नहीं है इसलिए फिलहाल उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है
चुनमुन कुमार और सिमरन के मुताबिक उन दोनों ने अपने लिंग के बारे में रजिस्ट्री अधिकारियों को बताया था। अधिकारियों का कहना था कि उन दोनों ने दो शपथ-पत्र प्रस्तुत किए थे जिसमें एक ने खुद को आदमी और दूसरे ने औरत होने का वर्णन किया था।
चुनमुन बलिया के गढ़वार इलाके के एक गांव का रहने वाला है और सिमरन जो कि एक पुरुष डांसर है के साथ पिछले आठ सालों से उत्तर प्रदेश के पूर्वी क्षेत्रों में होने वाली विभिन्न शादियों में काम कर चुका है। सिमरन को पहले सिमान सिंह के नाम से जाना जाता था। सिमरन का जन्म बरेली में हुआ था और वो पिछले आठ सालों से बलिया में रह रहा है। उन दोनों ने पिछले महीने ही शादी कर लेने का फैसला किया था।
चुनमुन ने बताया कि, "हम बलिया सिविल कोर्ट गए और वहां एक वकील से मिले जिसने हमसे तीन हजार रुपए लिए और एक दिन बाद आने को कहा।"उसने आगे बताया कि जब वो दूसरे दिन रजिस्ट्री ऑफिस पहुंचे तो वहां के एक अधिकारी ने उसका नाम पुकारा तो उसने हां में जवाब दे दिया; उसके बाद ऑफिसर ने सिमरन का नाम लिया और उसने भी हां कह दिया। इसके बाद उन्हें मैरिज सर्टिफिकेट दे दिया गया और वो वापस गढ़वार आ गए।
उन दोनों की शादी 29 मार्च को रजिस्टर्ड हुई थी। उसने कहा, "अगर हम अपने संबंधों को छुपा कर रखना चाहते तो अपनी शादी रजिस्टर्ड ही क्यूं कराते? मैंने वकीलों को यह बात बता दी थी कि हम दोनों ही पुरुष हैं।"
चुनमुन ने आगे बताया कि उसके इलाके के लोगों ने उसे बताया कि उसे गलत सूचना देने के जुर्म में जेल हो सकती है, इसी वजह से उन लोगों ने सोमवार को अपना घर छोड़ दिया था। चुनमुन के घर वालों ने शुरुआती दौर में तो सिमरन को अपनाने से मना कर दिया था पर बाद में वो मान गए थे।
बलिया के उप रजिस्ट्रार सुभाष चंद्र मिश्रा ने बताया कि शादी के दौरान पेश किए गए शपथ पत्रों में सिमरन को एक औरत की तरह दर्शाया गया है। मिश्रा ने यह भी बताया कि सिमरन उनके ऑफिस में लड़की की तरह दिख रहा था और उसने साड़ी पहन रखी थी। उसने अपना शपथ पत्र, शादी का आमंत्रण पत्र और गांव के प्रधान का लिखा पत्र पेश किया था जिसमें यह बात लिखी हुई थी कि वो दोनों पति-पत्नी के तौर पर गांव में रह रहे हैं। इसी सबको नजर में रखते हुए उन्होंने सिमरन और चुनमुन की शादी हिन्दू मैरिज एक्ट के तहत पंजीकृत कर दी। बलिया सिविल कोर्ट के दो वकीलों ने गवाहों के तौर पर दस्तखत भी किए थे।
गांव प्रधान के पत्र में भी प्रधान के तौर पर रामा देवी नाम लिखा है जबकि गांव के असली प्रधान का नाम विद्यावती देवी है और उन्होंने ऐसा कोई पत्र जारी करने की बात से साफ मना कर दिया है। मिश्रा ने बताया कि हिंदू मैरिज एक्ट के तहत केवल एक पुरुष और महिला के बीच ही शादी हो सकती है, लेकिन उनके पास उन दोनों के लिंगों से संबंधित कोई प्रमाण नहीं है इसलिए फिलहाल उन्होंने कोई शिकायत दर्ज नहीं कराई है