नागपुर. जब इंसान को अपनों से दर्द मिले और समाज से तिरस्कार तो ऐसी हालत में या तो वह टूट जाता है या फिर बदले की भावना में कोई खौफनाक कदम उठा लेता है।
कुछ ऐसा ही वाकया शहर की दो औरतों के मामले में सामने आया है। उन्हें पति से एड्स जैसी जानलेवा बीमारी मिली, तो उन्होंने उसे अन्य लोगों से अवैध संबंध बनाकर समाज में बांटना शुरू कर दिया।
पहला मामला
कलमना निवासी सुनीता (परिवर्तित नाम) अपने पति के कारण जानलेवा बीमारी एड्स की चपेट में आ गई। सुनीता के तीन बच्चे भी एड्स से ग्रस्त हो गए। 2007 में पति की एड्स के कारण मौत हो गई। बेसहारा और कुंठित सुनीता ने अन्य लोगों से अनैतिक संबंध बनाकर जानलेवा बीमारी बांटने का काम शुरू कर दिया। सुनीता के ही एक शिकार अजय (परिवर्तित नाम) ने यह जानकारी एचआईवी पीड़ितों के लिए काम करने वाले गैर सरकारी संगठन ‘एफिकोर’ को दी।
दूसरा मामला
पारडी निवासी काजल (परिवर्तित नाम) का पति ट्रक ड्राइवर था। पति से ही काजल को एचआईवी वायरस मिले, जो उसके मासूम बेटे तक भी जा पहुंचे। पति की मौत के बाद लोगों के तानों से आजिज आकर उसने अपना घर बदल दिया और लोगों से अवैध संबंध बनाना शुरू कर दिया। काजल की जानकारी ‘एफिकोर’ को उसका इलाज करने वाले डॉक्टर से मिली। काजल ने बताया कि उसने अभी तक कुल 12 लोगों को एड्स पीड़ित बनाया है।
आर्थिक सहायता कर बदलाव की कोशिश
‘एफिकोर’ ने सुनीता व काजल को काउंसलिंग के जरिए समझाया और जीवन का मकसद बदलने में मदद की। संस्था ने दोनों महिलाओं को आर्थिक मदद देकर स्वरोजगार शुरू करने में सहायता की। अब दोनों सामान्य जीवन व्यतीत कर रही हैं। दोनों महिलाओं को अपने किए पर पछतावा है।
एड्स पीड़ितों के साथ समाज का रवैया नकारात्मक होने पर ऐसे लोग कुंठित होकर कोई भी कदम उठा सकते हैं। समय रहते उनकी जीवन की राह बदलने की कोशिश होनी चाहिए।
- हरसन के. वाई., निदेशक एफिकोर संस्था
पतियों से बीमारी मिलने के कारण महिलाओं में बेकसूर होते हुए भी मौत जैसी सजा मिलने का भाव पैदा हो जाता है। मनोविज्ञान में इसको बिहेवियरल चेंज कहते हैं। ऐसे में पीड़ित अपने जैसा समाज को बनाने की सोचता है। समय से उपचार मिलने पर पीड़ित में सुधार संभव है।
- डा. सुहाष बाघे, मेडिकल अधीक्षक, शासकीय मनोचिकित्सालय, नागपुर
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