रविवार, 11 नवंबर 2018

देखे सूची।।भाजपा ने 131 उम्मीदवारों की सूची जारी की,कर्नल बाड़मेर, हमीर सिंह सिवाना, बायतु कैलाश,लादूराम गुड़ा, अमराराम पचपदरा

 भाजपा ने 131 उम्मीदवारों की सूची जारी की,कर्नल बाड़मेर, हमीर सिंह सिवाना, बायतु कैलाश,लादूराम गुड़ा, अमराराम पचपदरा







जैसलमेर, शिव,पोकरण,चोहटन,अगली सूची तक इंतजार



*भाजपा की यह सूची वसुंधरा राजे के रंग में रंगी है।।न अमित शाह ,न नरेंद्र मोदी की चली। प्रभारी,संगठन मंत्री,संयोजक सब बेचारे।।कोई नया प्रयोग नही।।।वसुंधरा राजे ने अपने चहेतों और वफादारों को टिकट दिलवा दिए।*

बाड़मेर । अच्छी यादों से ही होता है अच्छे जीवन का निर्माण :- बोहरा

बाड़मेर। अच्छी आदतों से ही होता है अच्छे जीवन का निर्माण:- बोहरा

 रिपोर्ट:-  कवि मुकेश अमन/ बाड़मेर

बाड़मेर । जिला मुख्यालय से महज् 6 किलोमीटर दूर राष्ट्रीय राजमार्ग 68 अहमदाबाद रोड़ कुशल वाटिका के पास स्थित सांसियों का तला में अभियान ग्रामोदय एवं होप फाउण्डेशन के संयुक्त तत्वावधान में रविवार को एक दिवसीय संस्कार शिविर का आयोजन हुआ ।

सांसियों के तला में चल रहे अभियान ग्रामोदय, 2018 के तहत् रविवार को स्थानीय बच्चों में नैतिक गुणों एवं संस्कारों के नवनिर्माण तथा स्वच्छता, शिक्षा एवं स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता लाने को लेकर एक दिवसीय संस्कार शिविर का आयोजन हुआ ।


संस्कार शिविर में बच्चों को जीवन में अच्छी आदतों व व्यवहारों की जानकारी देते हुए अभियान प्रेरक मुकेश बोहरा अमन ने कहा कि अच्छी आदतों से ही अच्छे जीवन का निर्माण होता है जिससे हमारा जीवन उन्नत, सरल एवं समृद्ध बनता है । उन्होंनें कहा कि प्रातः भोर जागरण, नित्य स्नान के साथ-साथ शारीरिक स्वच्छता एवं परिवेश स्वच्छता के प्रति सजगता से ही जीवन आनंदित होता है ।


संस्कार शिविर में होप फाउण्डेशन, बाड़मेर की टीम की ओर से भरत संखलेचा, विपुल बोथरा, पायल जैन आदि ने बच्चों से संवाद करते हुए अच्छा बनने एवं स्वयं के स्वास्थ्य व जीवन के प्रति सजग होने की प्ररेणा दी । संस्कार शिविर में बच्चों के साथ-साथ उनकी माताएं भी उपस्थिति रही और महिलाओं ने संस्कार शिविर की सहराना की । संस्कार शिविर में होप फाउण्डेशन, बाड़मेर के विपुल बोथरा, भरत संखलेचा, शुभम कोटड़िया, धीरज तातेड़, ऋतिक सिंघवीं, ऋतिक छाजेड़, वर्षित माहेश्वरी, पायल जैन, मुस्कान वड़ेरा, हिमानी भंसाली, भाविका सिंघवीं, निराली छाजेड़, हेतल माहेश्वरी, भारती माहेश्वरी आदि कार्यकर्ताओं ने अपनी सेवाएं दी । वहीं संस्कार शिविर के समापन पर शिविर के बच्चों एवं उपस्थित महिलाओं को मिठान्नादि का अल्पाहार करवाया गया ।
शिविर के दौरान कालाराम, सुनिल सिसोदिया, लालसिंह, चंदा सिसोदिया, नंदा सिसोदिया, मदन, अनिल सिसोदिया, सहित बड़ी संख्या में बच्चें, युवा व महिलाएं उपस्थित रही । 

बाड़मेर। भयंकरों दुःखों से परिपूर्ण होगा छठा आरा : साध्वी सुरंजनाश्री

बाड़मेर। भयंकरों दुःखों से परिपूर्ण होगा छठा आरा : साध्वी सुरंजनाश्री

रिपोर्ट :- चन्द्रप्रकाश छाजेड़ बी. / बाड़मेर

बाड़मेर। ६ वर्ष की बालिका गर्भ धारण कर बालको को जन्म देगी वो भी 1 या 2 नहीं सूअर के समान सद्रश अधिकाधिक बच्चे पैदा कर महा क्लेश का अनुभव करेगी, अतिशय दुःख के कारण अशुभ कर्म उपार्जन कर नरक- त्रियंच गति प्राप्त करेंगे, यह छठा आरा भयंकरों दुःखों से परिपूर्ण होगा। यह उद्बोधन साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने चातुर्मासिक प्रवचनमाला के दौरान रविवार को स्थानीय जैन न्याति नोहरा में उपस्थित जनसमुदाय को दिया।


साध्वी श्री ने छठे आरें की भयंकरता का वर्णन करते हुए कहा कि अभी पांचवा आरा चल रहा हे, और पांचवे आरे के अंत में और छठे आरे में इंसान का क्या हाल होगा शायद ही कुछ लोगो को मालूम होगा। उन्होंने कहा कि हम लोग अभी 5वें आरे के अंदर जी रहे हैं। यहां एक उत्तरता काल है और यह साढ़े 18 हजार साल चलने वाला है। बाद में छठा आरा शुरू होगा और यह भी 21 हजार साल का रहेगा। यह दुखों से भरा रहेगा, इस काल के अंदर रोटी, कपड़ा, मकान, झाड़, पान, पत्ते, धातु वगैरह कुछ भी नहीं रहेगा। इसके बाद का 21 हजार साल का पहला आरा चलेगा जो आगे का छठे और जैसा होगा। इन 42 हजार साल के अंदर बिल्कुल बारिश भी नहीं होगी और इस समय के लोग झील यानी कि गुफा में रहेंगे और गंगा नदी में से पानी पिएंगे और इस नदी में से मिली मछली, कच्छ, वगैरह जलचर आदि का प्राणी आहार करेगा। दूसरा आरा बैठेगा तभी आषाढ़ सुदी एकम से लेकर भद्रावती चौथ तक कुल 49 दिन का ऐसा 7 हफ्ते में से 5 हफ्ते सतत बारिश होगी और 2 हफ्ते सूखा जाएगा और इसके कारण 68 प्रकार के धन-धान्य पैदा होंगे। फिर शाकाहारी बन जाएंगे और बाकी के मांसाहारी रहेंगे और ऐसा करके शाकाहारी लोग संवत्सर यानी कि नई जिंदगी जीना चालू करेंगे।

इसी काल चक्र के पांचवे आरे के अंत में अग्नि की बारिश होगी, और उसमे भरत क्षेत्र के बहुत से लोग जल जायेंगे, कुछ लोग वैताढय पर्वत के बिल में रहेंगे। वहां पर मनुष्य का शरीर एक हाथ जितना होगा और आयुष्य 20 वर्ष का ही होगा, दिन में सक्त ताप, और रात में भयंकर ठण्ड रहेगी। बिलवासी मानव सूर्योदय के समय मछलिया और जलचरो को पकड़ कर रेती में दबा कर रखेंगे दिन में इतनी प्रचंड गर्मी पड़ेगी की वो रेती में दबाया हुवा मछली आदि अपने आप भुन जायेगा, और फिर रात में उसका भक्षण करेंगे परस्पर कलेश वाले, दीन-हीन, दुर्बल, रोगीष्ठ, अपवित्र, नग्न, आचारहीन और माता-बहन-पत्नी के प्रति विवेकहीन होंगे, और ६ वर्ष की बालिका गर्भ धारण कर बालको को जन्म देगी वो भी 1 या 2 नहीं सूअर के समान सद्रश अधिकाधिक बच्चे पैदा कर महा क्लेश का अनुभव करेगी, अतिशय दुःख के कारण अशुभ कर्म उपार्जन कर नरक- त्रियंच गति प्राप्त करेंगे, इस आरे में दुःख ही दुःख हे। अब आप सोच रहे होंगे की इतना दुःख हे वहा तो सुख कहा और कैसे प्राप्त करना, क्यों की ये तो हमने भूमिका मात्र बताई हे वहा दुःख की पूरी जानकारी अभी आपको बताएँगे तो आपके रौंगटे खड़े हो जाये, अभी अगर आपको छ्टे आरे में जन्म ना लेना हो और सुखी जीवन जीकर अपना जीवन सफल बनाना हो तो उसके लिए वीर प्रभु फरमाते हे उसे जीवन भर रात्रि भोजन का त्याग करना चाहिए, नहीं तो रात्रि भोजन और कन्दमूल आदि के कुसंस्कार वाले छ्टे आरे में जन्म धारण करने के फल स्वरूप अनेकविध कष्ठ, दुःख और यातनाओ के भागी बनेंगे, इस प्रकार कषाय की परंपरा से दुखों की परंपरा का सर्जन होता हे।

ज्ञान पंचमी की आराधना सोमवार को- खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के सहसंयोजक मनसुखदास पारख व शिवाजी गु्रप अध्यक्ष कैलाश मेहता ने बताया कि सोमवार को गुरूमैया की निश्रा में स्थानीय जैन न्याति नोहरा में ज्ञान पंचमी की आराधना करवाई जायेगी तथा विभिन्न मंडलों के सहयोग से ज्ञान के उपकरणों की सजवाट की जायेगी व ज्ञान की पूजा की जायेगी। ज्ञान की वृद्धि के लिए पुस्तक, कलम आदि ज्ञान के उपकरण चढ़ाये जायेगें।


सामुहिक 1008 आयंबिल का आयोजन 25 को-  खरतरगच्छ चातुर्मास समिति के मिडिया प्रभारी चन्द्रप्रकाश छाजेड़ व खरतरगच्छ जैन युवक परिषद के वीरचंद भंसाली ने बताया कि कलिकाल कल्पतरू जैन जगत के तृतीय दादा गुरूदेव जिनकुशलसूरिजी की 739वीं जन्म जयंती के उपलक्ष में दिनांक 25 नवम्बर रविवार को गुरूमैंया श्री सुरंजनाश्रीजी म.सा. की पावन प्रेरणा व निश्रा में सामुहिक 1008 आयंबिल का आयोजन खरतरगच्छ संघ द्वारा किया गया है। सम्पूर्ण आयंबिल करवाने का लाभ नेमीचंद बोहरीदास पारख परिवार हरसाणीवालों द्वारा लिया गया है। आयंबिल की व्यवस्था वसी कोटड़ा चौबीस गांव भवन में की गई है।

बाड़मेर। संतों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करता है पत्रकारिता जगत - साध्वी सुरंजनाश्री


बाड़मेर। संतों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य करता  है पत्रकारिता जगत - साध्वी सुरंजनाश्री 

बाड़मेर। साध्वी सुरंजनाश्री महाराज ने चातुर्मासिक के दौरान सराहनीय सेवा के लिए रविवार को स्थानीय जैन न्याति नोहरा बाड़मेर में चातुर्मास समिति द्वारा बहुमान कार्यक्रम आयोजित किया गया । 



इस दौरान साध्वी श्री ने पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि पत्रकार बंधु जो सेवाएं दे रहे है वो महापुरूषों की सेवा है। जो चाहे महावीर है, राम या कृष्ण है वो इस दुनिया में व्यक्ति के रूप में विद्यमान नही है लेकिन उनकी अमृतमयी वाणी है, उनकी हितकार जीवन के लिए वाणी, व्यक्ति को जीवन जीने की कला की वाणी साधु-संतो के माध्यम से निकलती है उन्हें एक मोती की तरह चुन-चुन कर अखबार के अंदर आप प्रकाशित करते है। कहीं ऐसे प्राणी है जो आलस में भी धर्म-ध्यान नहीं करते है केवल अपने परिवार के लिए खाना, कमाना, जीना एस-आराम में रह जाते है उन्हें पता नही कि सुख कहां से आता है और दुःख कहां से आता है, व्यक्ति निरोग कैसे बनता है, व्यक्ति स्वस्थ कैसे बनता है, व्यक्ति सम्पन्न कैसे होता है, व्यक्ति निर्धन कैसे होता है और ये सब करने के लिए कोई मार्केटिंग नही है ?, इसके लिए कोई डॉक्टर नही है जो व्यक्ति को सुखी करने का ईलाज कर सके। यह सब करने के लिए जगत में सारे ही धर्म के स्थान है चाहे मंदिर है, मठ, है, चर्च है, गुरूद्वारा है चाहे मस्जिद है उन्हीं के माध्यम से व्यक्ति धर्म की राह जानते है और राह जानने के बाद उस पथ पर वो चलते है फिर व्यक्ति धीरे-धीरे धर्म की बातों से अपने जीवन के अवगुण शराब पीना, गंदी चीजे खाना, रात्रि भोजन करना को छोड़ देता है। 

साध्वी श्री ने कहा कि महापुरूषों के मार्ग को जगत के सभी संत हमें बताते है। और संतों की वाणी को जन-जन तक पहुंचाने का कार्य पत्रकारिता जगत के लोग करते है। जो हर व्यक्ति के घर तक धर्म की वाणी को पहुंचाने का कार्य करते है। गुरूवर्या श्री ने पत्रकार बंधुओं को संस्कारित व व्यसन रहित जीवन जीने का बोध दिया। जो धर्म की बातें अखबार में छपती है वो हमारे दैनिक जीवन में उतारे।

*मानवेन्द्र सिंह भँवर जितेंद्र सिंह की राजनीतिक मन्त्रणा,टिकटों को लेकर

*मानवेन्द्र सिंह भँवर जितेंद्र सिंह की राजनीतिक मन्त्रणा,टिकटों को लेकर*

*दिल्ली स्थित मानवेन्द्र सिंह के आवास पर आक कांग्रेस के दिग्गज भँवर जितेंद्र सिंह पहुंचे।।मानवेन्द्र सिंह के साथ लम्बी राजनीति मन्त्रणा हुई जिसमें पश्चिमी राजस्थान को टिकटो पर भी व्यापक चर्चा हुई।।किसान नेता  केसर सिंह राठौड़,हुकम अजित सिंह, भी मौजूद थे।।इस मन्त्रणा को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।।भँवर जितेंद्र सिंह राहुल गांधी के सबसे विश्वसनीय है।।*

बाड़मेर जेसलमेर बगावत से सहमे दोनो दलों में कई नामो पर पेचीदगियां,अंतिम समय मे करेंगे घोषित*




*बाड़मेर जेसलमेर बगावत से  सहमे दोनो दलों में कई नामो पर पेचीदगियां,अंतिम समय मे करेंगे घोषित*

*भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनो दल बगावत की आशंका से सहमे हुए है।इसी डर से बाड़मेर जेसलमेर की सीट पर प्रत्यासियो को लेकर अंतिम निर्णय नही हो रहा।।बाड़मेर जिले की शिव विधानसभा क्षेत्र में अमीन खान और शम्मा खान में दावेदारी को लेकर कांटे की टक्कर है।।इनमें से किसी एक को मिलनी है टिकट।।दूसरे दावेदार से कांग्रेस को बगावत का खतरा।।शिव में हनुमान बेनिवल की पार्टी से उदाराम मेघवाल मैदान में है जो कांग्रेस के परंपरागत जाट दलित वोट का ध्रुवीकरण करेंगे।।बाड़मेर विधानसभा में कहने को वर्तमान विधायक मेवाराम जैन को टिकट के संकेत मिल गए।।इस बार यहां युथ आइकॉन आज़ाद सिंह राठौड़ प्रबल दावेदार है उनकी दावेदारी की जबरदस्त चर्चा दिल्ली मीटिंग में हुई।।कांग्रेस को नया चेहरा उतारना चाहिए।।मेवाराम जैन दो बार भाजपा की मेहरबानी से जीते।।इस बार भाजपा के वोटों पर सख्ती होगी।।भाजपा के लिए डॉ प्रियंका चौधरी और कर्नल सोनाराम के बीच टिकट युद्ध है।कर्नल सोनाराम ने इतना दबाव बना लिया कि पार्टी को टिकट देनी पड़ेगी।ऐसे में प्रियंका चौधरी कितना सहयोग करेगी देखने की बात होगी।।पचपदरा गुड़ामालानी में भाजपा अगर मंत्री पुत्र को उतरती है तो मुकाबले से पहले  हथियार डालने वाली बात होगी।।शिव में भाजपा के पास उम्मीदवारों की लंबी सूची है।।धन सिंह मौसेरी,खुमान सिंह,स्वरूप सिंह लाइन में है।।जजेसलमेर में सबसे बुरी फंसी है कांग्रेस ।।गत चुनाव में सामान्य सीट पर रूपाराम धनदे को टिकट देकर भँवर जाल में फंस गई।।इस सीट पर पांच राजपूत  विधायक कांग्रेस से जीत कर गए है राजपूत अपनी सीट पुरजोर तरीके से मांग रहे।।सुनीता भाटी पूरा जोर लगा रही है।तो रूपाराम धनदे आश्वसत नजर आ रहे ।।दोनो के बीच राजपरिवार की महारानी राशेश्वरी राज्य लक्ष्मी खामोशी से अपने काम मे जुटी है।।यहां रूपाराम धनदे और सुनीता भाटी दोनो फ़क़ीर परिवार की पसन्द नही है।।जो भी टिकट लाएगा उसको बगावत का खतरा होगा।।सिवाणा में कांग्रेस कलबी या राजपुरोहित को टिकट देगी तो भाजपा भी राजपुरोहित मैदान में ला सकती है ऐसे में राजपूत निर्दलीय ताल ठोक सकते है। दोनो दलों में एक एक टिकट सही वितरण नही की तो उसका प्रभाव साथ वाली सीटों पर होगा।।इसी से  सहमे दोनो दल बार बार उम्मीदवारों पर चर्चा कर रहे है।।अंतिम दौर में प्रत्यासी कुछ सीटों पर घोषिक्त होंगे जिसमे पचपदरा,शिव,सिवाणा, जेसलमेर सीट है।।पोकरण में स्वामी प्रतापपुरी और गजेंद्र सिंह शेखावत में से कोई एक उम्मीदवार होगा तो कांग्रेस के ओएस दूसरा विकल्प नही होने से फ़क़ीर परिवार के खाते में सीट जानी तय है।पोकरण में चुनाव साम्प्रदायिक रंग में रंगे होने की आशंका से इनकार नही किया जा सकता।।बहरहाल 48 घण्टे का इंतज़ार और करना होगा।।

पोकरण स्वामी प्रतापपुरी की संभावित उम्मीदवारी का भाजपा का विरोध शुरू,बाहरी प्रत्यासी मंजूर नही

पोकरण स्वामी प्रतापपुरी की संभावित उम्मीदवारी का 

भाजपा का विरोध शुरू,बाहरी प्रत्यासी मंजूर नही

*पोकरण समाचार डेस्क*
सोशल मीडिया के जरिये चर्चा में आये पोकरण विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के संभावित उम्मीदवार  प्रताप पूरी जी महाराज का भाजपा कार्यकर्ताओं ने किया विरोध
--- क्या भाजपा को पोकरण विधानसभा क्षेत्र से निष्ठावान कार्यकर्ता नजर नही आया जो बाहरी को उतारने को मजबूर है
---संत को संत ही रहना ठीक रहता है यही उनकी मर्यादा है
---भाजपा युवा शक्ति खुलकर करेगी बाहरी प्रत्याशी का विरोध

अभी अभी बाड़मेर कुड़ी पटाऊ में प्रेमी युगल ने फंदा लगाया ,पुलिस मौके पे

अभी अभी बाड़मेर कुड़ी पटाऊ  में प्रेमी युगल ने फंदा लगाया ,पुलिस मौके पे 


बाड़मेर जिले के बालोतरा उपखण्ड के जोधपुर हाई वे स्थित कुड़ी पतौ गांव में एक प्रेमी युगल के आत्महत्या की खबर आ रही हैं,

सूत्रानुसार पतौ गांव के हाई वे रोड पर एक पेड़ पर प्रेमी प्रेमिका  पेड़ पर लटके दिखने से हड़कंप मच गया ,ग्रामीणों ने पचपदरा पुलिस को सुचना दी गयी,मृतकों की शिनाख्त नहीं हुई अभी ,

भारतीय इतिहास के सबसे 'मूर्ख' राजा को, जिसके नाम पर बना चर्चित मुहावरा

भारतीय इतिहास के सबसे 'मूर्ख' राजा को, जिसके नाम पर बना चर्चित मुहावरा

साभार [नलिन चौहान]। 
जानें- भारतीय इतिहास के सबसे 'मूर्ख' राजा को, जिसके नाम पर बना चर्चित मुहावरा
मध्यकालीन बादशाह मोहम्मद बिन तुगलक (1324-51) अपने अनेक प्रयोगधर्मी निर्णयों के कारण चर्चित रहा। उसके व्यक्तित्व की जल्दबाजी और बेसब्री की प्रवृत्ति के कारण उसे ‘बुद्धिमान मूर्ख राजा’ कहा जाता था। अंग्रेज इतिहासकार एम एम्फिस्टन के अनुसार तुगलक में पागलपन का कुछ अंश था, जबकि आशीर्वाद लाल श्रीवास्तव के अनुसार उसमें ‘विरोधी तत्वों का मिश्रण’ था।
...तो अकाल में मनुष्यों ने एक-दूसरे को खाया


उल्लेखनीय है कि तुगलक के समय दिल्ली में (सन् 1344) भयंकर अकाल पड़ा था। 1912 के ‘दिल्ली डिस्ट्रिक्ट गजेटियर’ के अनुसार, दिल्ली में अकाल का इतिहास मोहम्मद तुगलक के समय तक पहुंचता है। जिसकी फिजूलखर्ची के कारण 1344 ईस्वी का अकाल पड़ा। कहा जाता है कि मनुष्यों ने एक-दूसरे को खाया।

...इसलिए बिकने लगा छह दीनार में बिकने लगा था एक मन गेहूं
इब्नबतूता की भारत यात्रा या चौहदवीं शताब्दी का भारत पुस्तक के अनुसार, भारत वर्ष और सिंधु प्रांत में दुर्भिश पड़ने के कारण जब एक मन गेहूं छह दीनार में बिकने लगे। फरिश्ता तथा बदाऊंनी के अनुसार हिजरी सन् 742 में सैयद अहमदशाह गवर्नर (माअवर-कनार्टक) का विद्रोह शांत करने के लिए, बादशाह के दक्षिण ओर कुछ एक पड़ाव पर पहुंचते ही यह दुर्भिश प्रारंभ हो गया था।

तुगलक के दरबार में रहा था इब्नबतूता
बादशाह के दक्षिण से लौटते समय तक जनता इस कराल-अकाल के चंगुल में जकड़ी हुई थी। उल्लेखनीय है कि उत्तरी अफ्रीका का निवासी इब्नबतूता चौहदवीं सदी में भारत आया और आठ वर्षों तक मोहम्मद तुगलक के दरबार में रहा। तुगलक ने उसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया और अपना दूत बनाकर चीन भेजा।





खुशफहमी में उपहार देने की आदत

दुर्भाग्य से इन्हीं दिनों अकाल पड़ा और चारों ओर विद्रोह की अग्नि भड़क उठी। शाही सेनाओं ने विद्रोहियों को कठोर दंड दिए। इस पर लोग खेती छोड़कर जंगलों में भाग गए। खेत वीरान हो गए और गांवों में सन्नाटा छा गया। शाही सेना ने लोगों को जंगलों से पकड़कर उन्हें कठोर यातनाएं दीं। इन यातनाओं से बहुत से लोग मर गए। यह मोहम्मद की अंतिम असफल योजना थी। तुगलक के बारे में इब्नबतूता ने लिखा कि उसके दो प्रिय शौक थे, खुशफहमी में उपहार देना और क्रोध में खून बहाना।



जॉन डाउसन की पुस्तक ‘हिस्ट्री ऑफ इंडिया बॉएं इट्स ओन हिस्टोरियंस’ के अनुसार, माना जाता है कि कम या अधिक समूचा हिंदुस्तान (1344-45 का भारत) अकाल की चपेट में था, खासकर दक्कन में उसकी मार ज्यादा तकलीफदेह थी।

‘मध्यकालीन भारत’ पुस्तक के लेखक व इतिहासकार सतीशचन्द्र के अनुसार, एक भयानक अकाल ने, जिसने इस क्षेत्र को छह वर्षों तक तबाह रखा, स्थिति को और बिगाड़ा। दिल्ली में इतने लोग मरे कि हवा भी महामारक हो उठी। यहां तक कि सुल्तान दिल्ली छोड़कर करीब 1337-40 तक स्वर्गद्वारी नामक शिविर में रहा जो दिल्ली से 100 मील दूर कन्नौज के पास गंगा के किनारे स्थित था।



प्रजा रही कष्ट में
तुगलक के शासनकाल के आरंभ में ही गंगा के दोआब में एक गंभीर किसान विद्रोह हो चुका था। किसान गांवों से भाग खड़े हुए थे तथा तुगलक ने उनको पकड़कर सजा देने के लिए कठोर कदम उठाए थे। गौरतलब है कि दिल्ली के तख्त पर बैठने के कुछ दिन बाद तुगलक ने दोआब क्षेत्र में भू राजस्व कर में वृद्धि की। इतिहासकार बरनी के अनुसार बढ़ा हुआ कर, प्रचलित करों का दस तथा बीस गुना था। किसानों की भूमि कर के अतिरिक्त घरी, अर्थात गृहकर तथा चरही अर्थात चरागाह कर भी लगाया गया। प्रजा को इन करों से बड़ा कष्ट हुआ।

यह भी जानें

सत्ता पर काबिज होते ही ‘मुहम्मद बिन तुगलक’ ने अपने साम्राज्य को अपने हिसाब से बदलना शुरु कर दिया. इसके लिए उसने कई परिवर्तन किए। उसने 1329 में दिल्ली की जगह देवगिरी को अपनी राजधानी बना दिया, जिसे दौलताबाद के नाम से जाना गया। दिलचस्प बात तो यह थी कि इस फैसले के तहत सिर्फ राजधानी को नहीं बदला गया था, बल्कि दिल्ली की आबादी को भी दौलताबाद में स्थानांतरित होने का आदेश दिया था।

तुगलक अपने एक दूसरे सख्त फैसले के लिए वह जाना जाता है। इसके तहत उसने रातों-रात चांदी के सिक्कों की जगह तांबे के सिक्कों को चलन में लाने का आदेश दे दिया था, जबकि उसने तांबे के जो सिक्के जारी किए थे, वे अच्छे नहीं थे। आसानी से उनकी नकल की जा सकती थी।



हुआ भी यही लोगों ने नकली सिक्के अपने घर में ही बनाने लगे, इससे राजस्व की भारी क्षति हुई और फिर उस क्षति को पूरा करने के लिए उसने करों में भारी वृद्धि भी की, जिस कारण लोग उससे नाराज रहने लगे।

30 लाख सैनिक फिर भी था कमजोर...

तुगलक भारत में अपना विस्तार चाहता था, इसीलिए 1329 तक उसने करीब 30 लाख सैनिक इकट्ठा कर लिए। इस दौरान उसकी सेना में कुछ ऐसे भी लोग भी भर्ती थे जो सैनिक थे ही नहीं। वह लड़ना ही नहीं जानते थे, सिर्फ संख्या बल बढ़ाने के लिए सैनिक बनाए गए थे। तुगलक ने इन सैनिकों को साल भर तक भुगतान करने का जिम्मा ले रखा था, इसलिए इस तरह उसके राजस्व पर इसका गहरा असर पड़ा।

(लेखक दिल्ली के अनजाने इतिहास के खोजी हैं)

 दैनिक जागरण 

लोहार्गल सूर्य मंदिर जहां किया पाण्‍डवों ने प्रायश्‍चित

लोहार्गल सूर्य मंदिर जहां किया पाण्‍डवों ने प्रायश्‍चित



लोहार्गल राजस्थान के शेखावाटी इलाके में झुन्झुनू जिले से 70 किलोमीटर दूर आड़ावल पर्वत की घाटी में बसे उदयपुरवाटी कस्बे के पास स्‍थित है। लोहार्गल का अर्थ होता है वह स्थान जहां लोहा भी गल जाए। इस मंदिर का नाम इसी तथ्‍य पर आधारित है और पुराणों में भी इस स्थान का जिक्र मिलता है। नवलगढ़ तहसील में स्थित इस तीर्थ लोहार्गल जी को स्थानीय अपभ्रंश भाषा में लुहागरजी भी कहा जाता है। इस मंदिर के साथ पाण्‍डवों के प्रायश्‍चित की कथा के साथ परशुराम से संबंधित एक कथा भी प्रचलित है।

पांडवों ने यहां किया था प्रायश्‍चित
इस स्‍थान के बारे में सबसे प्रचलित कथा है कि महाभारत युद्ध समाप्ति के बाद पाण्डव जब आपने भाई बंधुओं और अन्य स्वजनों की हत्या करने के पाप से अत्यंत दुःखी थे, तब भगवान श्रीकृष्ण की सलाह पर वे पाप मुक्ति के लिए विभिन्न तीर्थ स्थलों के दर्शन करने के लिए गए। श्रीकृष्ण ने उन्हें बताया था कि जिस तीर्थ में तुम्हारे हथियार पानी में गल जाए वहीं तुम्हारा पाप मुक्ति का मनोरथ पूर्ण होगा। घूमते-घूमते पाण्डव लोहार्गल आ पहुंचे तथा जैसे ही उन्होंने यहां के सूर्यकुण्ड में स्नान किया, उनके सारे हथियार गल गये। तब उन्होंने इस स्थान की महिमा को समझ इसे तीर्थ राज की उपाधि प्रदान की। लोहार्गल से जुड़ी परशुराम जी की कथा इस प्रकार है। माना जाता है कि इस जगह पर उन्‍होंने भी पश्चाताप के लिए यज्ञ किया तथा पाप मुक्ति पाई थी। उन्‍होंने ये प्रायश्‍चित क्रोध में क्षत्रियों का संहार करने के बाद शान्त होने पर अपनी गलती का अहसास होने पर किया था।

विशाल बावड़ी
यहां एक विशाल बावड़ी भी है जिसका निर्माण महात्मा चेतनदास जी ने करवाया था। यह राजस्थान की बड़ी बावड़ियों में से एक है। पास ही पहाड़ी पर एक प्राचीन सूर्य मन्दिर बना हुआ है। इसके साथ ही वनखण्डी जी का मन्दिर है। कुण्ड के पास ही प्राचीन शिव मन्दिर, हनुमान मन्दिर तथा पाण्डव गुफा स्थित है। इनके अलावा चार सौ सीढ़ियां चढने पर मालकेतु जी के दर्शन किए जा सकते हैं।

सूर्यकुंड और सूर्य मंदिर की कहानी
यहां प्राचीन काल से निर्मित इस सूर्य मंदिर के पीछे भी एक अनोखी कथा प्रचलित है। प्राचीन काल में काशी में सूर्यभान नामक राजा हुए थे, जिन्हें वृद्धावस्था में अपंग लड़की के रूप में एक संतान हुई। राजा ने पंडितों को बुलाकर उसके पिछले जन्म के बारे में पूछा। तब विद्वानों ने बताया कि पूर्व के जन्म में वह मर्कटी अर्थात बंदरिया थी, जो शिकारी के हाथों मारी गई थी। शिकारी उस मृत बंदरिया को एक बरगद के पेड़ पर लटका कर चला गया, क्योंकि बंदरिया का मांस अभक्ष्य होता है। हवा और धूप के कारण वह सूख कर लोहार्गल धाम के जलकुंड में गिर गई किंतु उसका एक हाथ पेड़ पर रह गया। बाकी शरीर पवित्र जल में गिरने से वह कन्या के रूप में आपके यहां उत्पन्न हुई है। विद्वानों ने राजा से कहा, आप वहां पर जाकर उस हाथ को भी पवित्र जल में डाल दें तो इस बच्ची का अंपगत्व समाप्त हो जाएगा। राजा तुरंत लोहार्गल आए तथा उस बरगद की शाखा से बंदरिया के हाथ को जलकुंड में डाल दिया। जिससे उनकी पुत्री का हाथ स्वतः ही ठीक हो गया। राजा इस चमत्कार से अति प्रसन्न हुए। विद्वानों ने राजा को बताया कि यह क्षेत्र भगवान सूर्यदेव का स्थान है। उनकी सलाह पर ही राजा ने हजारों वर्ष पूर्व यहां पर सूर्य मंदिर व सूर्यकुंड का निर्माण करवा कर इस तीर्थ को भव्य रूप दिया। एक यह भी मान्यता है, भगवान विष्णु के चमत्कार से प्राचीन काल में पहाड़ों से एक जल धारा निकली थी जिसका पानी अनवरत बह कर सूर्यकुंड में जाता रहता है।




भगवान महावीर का मोक्ष स्थल पावापुरी ,पवित्र शहर

भगवान महावीर का मोक्ष स्थल पावापुरी ,पवित्र शहर 

राजगीर और बोधगया के समीप पावापुरी भारत के बिहार प्रान्त के नालंदा जिले मे स्थित एक शहर है। यह जैन धर्म के मतावलंबियो के लिये एक अत्यंत पवित्र शहर है क्यूंकि माना जाता है कि ,भगवान महावीर को यहीं मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। यहाँ के जलमंदिर की शोभा देखते ही बनती है। संपूर्ण शहर कैमूर की पहाड़ी पर बसा हुआ है।पावापुरी वह स्थल है जहाँ जैनियो के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर ने निर्वाण यानि ज्न्म मरण के चक्र से 527 ई०पु० मे परचम मुक्ति पाई थी| पावापुरी के पाँच मुख्य मंदिरों मे से एक है जल मंदिर जिसमे ची. “चरण पाड़ुका” को दर्शाते हैं| यह उस स्थान को चिन्हित करता है जहाँ भगवान महावीर के पार्थिव अवशेष हैं|

लगभग 2600 वर्ष पूर्व प्राचीन काल मे पावापुरी मगध साम्राज्य का हिस्सा था जिसे मध्यम “वापा” या “अपापपुरी” कहा जाता था| राजा श्रेनिक (बिम्बिसार) का पुत्र आजातशत्रु जो एक महान जैन अनुयायी था भगवान महावीर का समकालीन मगध भासक था| आजातशत्रु के भससंकाल मे राजकिए औषधालया पावापुरी मे स्थित था| जब भलगवान महावीर पावापुरी आए थे तो वी राजकीय औषधलया पावापुरी मे था| जब भगवान महावीर पावापुरी आए थे तो वे राजकिय औषधलया “समाशरण” भी वहाँ स्थित है



13वीं शती ई॰ में जिनप्रभसूरी ने अपने ग्रंथ विविध तीर्थ कल्प रूप में इसका प्राचीन नाम अपापा बताया है। पावापुरी का अभिज्ञान बिहार शरीफ रेलवे स्टेशन (बिहार) से 9 मील पर स्थित पावा नामक स्थान से किया गया है। यह स्थान राजगृह से दस मील दूर है। महावीर के निर्वाण का सूचक एक स्तूप अभी तक यहाँ खंडहर के रूप में स्थित है। स्तूप से प्राप्त ईटें राजगृह के खंडहरों की ईंटों से मिलती-जुलती हैं। जिससे दोनों स्थानों की समकालीनता सिद्ध होती है। कनिंघम के मत में जिसका आधार शायद बुद्धचरित में कुशीनगर के ठीक पूर्व की ओर पावापुरी की स्थिति का उल्लेख है, कसिया जो प्राचीन कुशीनगर के नाम से विख्यात है, से 12 मील दूर पदरौना नामक स्थान ही पावा है। जहाँ गौतम बुद्ध के समय मल्ल-क्षत्रियों की राजधानी थी।

महावीर की मृत्यु 72 वर्ष की आयु में अपापा के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी। उस दिन कार्तिक की अमावस्या थी। पालीग्रंथ संगीतिसुत्तंत में पावा के मल्लों के उब्भटक नामक सभागृह का उल्लेख है। जीवन के अंतिम समय में तथागत ने पावापुरी में ठहरकर चुंड का सूकर-माद्दव नाम का भोजन स्वीकार किया था। जिसके कारण अतिसार हो जाने से उनकी मृत्यु कुशीनगर पहुँचने पर हो गई थी।




जल मंदिर – जल मंदिर यह नाम ही दर्शाता है की मंदिर खिले कमलों मे भरे जलाषये के मध्य मे स्थित होगा| यह मंदिर एक प्रमुख जैन तीर्थस्तल है| इस ख़ूबसूरत मंदिर का मुख्य पूजा स्थल भगवान महावीर की एक प्राचीन “चरण पदुका” है| यह उस स्थान को दर्शाता है जहाँ भगवान महावीर के पार्थव अवशेषों को दफ़नाया गया था| यह विश्वास किया जाता है की इस मंदिर का निर्माण भगवान महावीर के बड़े भाई राजा नंदिवधन के द्वारा करवाया गया था|
जात मंदिर का निर्माण “विमान” के आकार मे किया गया है और जलाशय के किनारों से मंदिर तक लगभग 600 फुट लम्बा पत्थर का पुल बनाया गया है| अनुश्रतिओ के अनुसार भगवान महावीर के अंतिम संस्कार मे भाग लेनेवाले लोगों के द्वारा बड़ी गढ़ा बन गया जो वर्तमान जलशय मे तब्दील हो गया| इस मंदिर का अदभुत सौन्द्र्य मीया अप्रतिम भाँति पयर्टकों की आँखों को सुकून प्रदान करती है|
समोशरण – यह सफेद संगमरमर से निर्मित एक गोलाकार मंदिर है जिसमें मधुमक्खी के छ्त्ते के आकार का पवित्र स्थल है जिसके भिर्श पर भगवान महावीर के चरणचिन्ह खुदे हैं| यह वही स्थान है जहाँ भगवान महावीर ने अपने धर्म का अंतिम उपदेश दिया था| कनिंघम ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है। जैन ग्रंथ कल्पसूत्र के अनुसार महावीर ने पावा में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन संम्प्रदाय का सारनाथ माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा जैन संघ की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी।




परिवहन: –

वायूमार्ग – सबसे निकटतम हवाई अड्डा पटना (100 की० मी०) में स्थित है| इंडियन ऐरलयंस पटना को कालकत्ता, मुम्बई, दिल्ली, राँची और लखनऊ से जोड़ता है|

रेलमार्ग – वैसे राजगीर स्वय भी रेलवे स्टेशन है लेकिन सबसे सुविधा युक्त निकटतम रेलवे स्टेशन पटना (90 कि०मी०) में है|

सड़क मार्ग- टैक्सी, बस, द्वारा पटना, राजगीर, गया या बिहार, के अन्य प्रमुख भहरों से पावापुरी की यात्रा की रा सकती है|

शनिवार, 10 नवंबर 2018

बाड़मेर बालोतरा में प्रेमी युगल ट्रेन के आगे कूदे,प्रेमी की मौत प्रेमिका घायल

बाड़मेर बालोतरा में प्रेमी युगल ट्रेन के आगे कूदे,प्रेमी की मौत प्रेमिका घायल 


बाड़मेर हादसे में युवक की मौके पर मौत,गम्भीर घायल युवती को लाया नाहटा अस्पताल,
बालोतरा कस्बे के तीसरी रेलवे क्रॉसिंग की घटना, बालोतरा पुलिस व जीआरपी पहुंची मौके पर मौके पर पर लोगो की भीड़ हुई जमा, बाड़मेर दिल्ली एक्सप्रेस के आगे कूदे प्रेमी युगल।

राजसमन्द सघन जांच गतिविधियां जारी, बड़ी रकम ले जाने पर विशेष चौकसी,

विधानसभा आम चुनाव - 2018

जिला निर्वाचन अधिकारी गुर्जर ने दिए निर्देश,

राजसमन्द सघन जांच गतिविधियां जारी, बड़ी रकम ले जाने पर विशेष चौकसी,

       राजसमन्द, 10 नवम्बर/विधानसभा आम चुनाव-2018 के मद्देनज़र सर्वत्र व्यापक चौकसी रखी जा रही है। इसके लिए निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार क्षेत्र भर में चल रही सघन जाँच में एसएसटी/फ्लाईंग स्क्वाड़ द्वारा विशेष सतर्कता बरती जा रही है। ऎसे में यदि किसी वाहन में या व्यक्ति के पास 50 हजार से अधिक की धनराशि, शस्त्र, उपहार, बेनर,पोस्टर, वोटर स्लिप, मदिरा, ड्रग्स आदि पाई जाती है तो उसके खिलाफ कार्यवाही की जाकर आपराधिक मामला बनाया जाएगा और वाहन को सीज कर दिया जाएगा।

       जिला निर्वाचन अधिकारी एवं जिला कलक्टर श्यामलाल गुर्जर ने यह जानकारी देते हुए जिले के नागरिकों से अपील की है कि यदि 50 हजार से अधिक की राशि साथ ले जाएं तो इसके बारे में अपने पास राशि के बारे में पुख्ता प्रमाण रखें। यह स्पष्ट  निर्देशित किया गया है कि इस समय चुनाव प्रक्रिया का दौर जारी है और ऎसे में कोई भी व्यक्ति बड़ी धनराशि अपने साथ नहीं ले जा सकता।

       जिला निर्वाचन अधिकारी ने जिले में विधानसभा चुनाव के लिए फ्लाईंग स्क्वाड़ में तैनात सभी अधिकारियों एवं कार्मिकों से कहा है कि वे इस बारे में निर्वाचन आयोग द्वारा जारी दिशा-निर्देशों का सख्ती से पालन सुनिश्चित करें।

जैसलमेर युवराज चैतन्यराज सिंह ने शहीद पुनम सिंह स्मार्क दर्शन कर किया जनसम्पर्क।*

जैसलमेर युवराज चैतन्यराज सिंह ने शहीद पुनम सिंह स्मार्क दर्शन कर किया जनसम्पर्क।*

जैसलमेर युवराज चैतन्यराज सिंह ने शहीद पूनमसिंह स्मार्क पूनमनगर में दर्शन के विभिन्न गांवों में जनसम्पर्क कर आगामी विधानसभा चुनावों में राजपरिवार के समर्थन के लिए अपील की। युवराज जैसलमेर ने मूलसागर, बागे की ढाणी, पूनमनगर, मोकला, सेरावा, हेमा, नेतसी, मियो की ढाणी, नवल सिंह की ढाणी, जोगा, सोनू गाँवो का किया दौरा। युवराज जैसलमेर के साथ सुल्तान सिंह, पदम सिंह, जितेन्द्र सिंह, मेघराज सिंह बारू ने भी सभी गाँवो का दौरा कर राजपरिवार के समर्थन के लिए जनसम्पर्क किया। ग्रामीण क्षेत्रों में राजपरिवार के आगामी विधानसभा चुनाव में आने पर भारी उत्साह देखने को मिल रहा है। जगह जगह पर युवराज जैसलमेर का ढोल नगाड़ों के साथ स्वागत किया और पूर्ण समर्थन देने का भरोसा दिलाया।
युवराज जैसलमेर ने पर्यावरण का संदेश देते हुए हर जगह एक एक पौधा लगाया और सबको पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूक किया।

जोधपुर। *लम्बे समय से फरार हार्डकोर बदमाश कैलाश मांजू गिरफ्तार*

जोधपुर। *लम्बे समय से फरार हार्डकोर बदमाश कैलाश मांजू गिरफ्तार*



- रंगदारी के लिए चिकित्सक के मकान व ट्रैवल्स मालिक के ऑफिस पर फायरिंग में था वांछित
- पिता के निधन पर अंतिम संस्कार में शामिल होने पहुंचा था पैतृक गांव बालेसर के निकटवर्ती भाटेलाई पुरोहितान
- सूचना मिलने पर वृत्ताधिकारी (बालेसर) अजीत सिंह के नेतृत्व में पुलिस ने घेराबंदी की
- खुद को घिरा देख हार्डकोर ने शाम को किया समर्पण
- कड़ी सुरक्षा में आरोपी को बालेसर थाने ले गई पुलिस
- बालेसर थाने में भी रिश्तेदार पर हमला व वाहन जलाने में है वांछित