2G केस: फैसला सुनाने वाले जज ने कहा- सात साल इंतजार किया कोई सबूत लेकर नहीं आया
नई दिल्ली: देश के सबसे बड़े घोटाले 2जी केस में आज दिल्ली की पटियाला हाउस कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया. कोर्ट ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को बरी कर दिया.
पटियाला हाउस कोर्ट के जज ओम प्रकाश सैनी ने इतने बड़े केस का फैसला सुनाया. फैसला सुनाते समय उन्होंने अपनी जो पीड़ा सुनाई है उससे पता चला है कि 2जी घोटाले का हंगामा मचाने वाले केस को अंजाम तक पहुंचाने के लिए कितने गंभीर थे.
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क्या कहा जज ओम प्रकाश सैनी ने?
फैसला सुनाते हुए जज सैनी ने कहा, ''मैं 7 साल तक लगातार 10 से 5 बजे तक सुनवाई करता रहा. गर्मी की छुट्टियों में भी सुनवाई की. मैं इंतज़ार करता रहा कि कभी कोई कोर्ट में ऐसा सबूत लेकर आए जिसे कानूनी तौर पर माना जा सके लेकिन ऐसा नहीं हुआ.''
जज ने कहा, ''इससे पता चलता है कि हरकोई अफवाह, सुनी सुनाई बातों, अटकलों पर अपना नजरिया बना रहा था. लेकिन सुनी सुनाई बातों की कानून की प्रक्रिया में कोई जगह नहीं होती है.''
सुप्रीम कोर्ट और विशेष सीबीआई कोर्ट के फैसलों में अंतर को इन पॉइंटर्स के ज़रिए समझें
2 फरवरी 2012 को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया. सभी ए राजा के मंत्री रहते बांटे गए सभी 2जी लाइसेंस रद्द किए.
इसके 5 साल 10 महीने बाद 21 दिसंबर 2017 को आज विशेष सीबीआई कोर्ट ने माना है कि लाइसेंस बांटने में गड़बड़ी को आरोप पक्ष साबित नहीं कर पाया है
सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि इस मामले में प्राकृतिक संसाधनों की लूट हुई. खास लोगों को फायदा पहुंचाने के लिए नियमों में बदलाव किया गया.
CBI कोर्ट ने कहा कि ये पूरा मामला लोगों में बनी धारणा, अफवाहों और अनुमानों पर आधारित है. इन्हें किसी आपराधिक मामले में फैसले का आधार नहीं बनाया जा सकता
सुप्रीम कोर्ट ने लाइसेंस प्रक्रिया में गड़बड़ी और अलग फर्म बना कर लाइसेंस लेने के लिए यूनिटेक, टाटा टेलेसर्विसेस, स्वान, लूप, सिस्टम श्याम जैसी कंपनियों पर 50 लाख से 5 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगाया.
सुप्रीम कोर्ट ने ये भी कहा कि 10 जनवरी 2008 को अचानक नियम बदले गए. कंपनियों को आवेदन के लिए कुछ घंटे का समय मिल. जो लोग टेलीकॉम मंत्री ए राजा के करीबी थे, उन्हें पहले से जानकारी थी. उन्होंने तुरंत आवेदन कर दिया.