शनिवार, 9 जनवरी 2016

जयपुर परिचित ने जबरन घर में घुसकर किया दुष्कर्म, मामला दर्ज



जयपुर परिचित ने जबरन घर में घुसकर किया दुष्कर्म, मामला दर्ज


जयपुर के कानोता थाना इलाके में एक परिचित द्वारा महिला से दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। इस संबधं में पीडि़ता ने इस्तगासे जरीए अभियुक्त के खिलाफ नामदज मामला दर्ज करवाया।

जानकारी के अनुसारचेतक विहार जामडोली निवासी एक महिला ने मामला दर्ज करवाया कि 30 दिसम्बर को वह घर पर अकेली थी, इस दौरान उसके पास में रहने वाले जगदीश नाम के रहने वाले एक अभियुक्त अपने साथ तीन साथियों के साथ उसके घर में घुसा और अभियुक्त जगदीश ने उसके साथ जबरदस्ती से दुष्कर्म किया।

किसी को बताने पर जान से मारने की धमकी देकर फरार हो गया। गत दिनों पीडि़ता के गुमशुन रहने पर घरवालों ने पूछा तो जब पीडि़ता ने आपबीती बता दी।

जिससे चलते इस्तगासे के जरीए थाने में अभियुक्त सहित तीन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज करवाया। इस मामले की जांच एसीपी बस्सी द्वारा की जा रही है।

अजमेर,सड़क सुरक्षा - अमल का समय थीम के साथ मनाया जाएगा सड़क सुरक्षा सप्ताह

अजमेर,सड़क सुरक्षा - अमल का समय थीम के साथ मनाया जाएगा सड़क सुरक्षा सप्ताह18 जनवरी से 24 जनवरी के मध्य सड़क सुरक्षा सप्ताह

अजमेर, 9 जनवरी। सड़क सुरक्षा - अमल का समय थीम के साथ 27वां राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह 18 जनवरी से 24 जनवरी तक मनाया जाएगा। इसकी कार्ययोजना की बैठक प्रभारी मंत्राी एवं शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी, जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक एवं पुलिस अधीक्षक डाॅ. नीतिन दीप बलगन की उपस्थिति में सम्पन्न हुई।
प्रादेशिक परिवहन अधिकारी श्री विनोद कुमार ने बताया कि सड़क सुरक्षा सप्ताह का शुभारम्भ परिवहन विभाग तथा पुलिस विभाग के संयुक्त तत्वावधान में किया जाएगा। इस अवसर पर समस्त विद्यालयों के प्रधानाचार्य, शारीरिक शिक्षक और विद्यार्थी उपस्थित होंगे। जिले के समस्त उच्च माध्यमिक विद्यालयों में यातायात संकेतकों का फ्लेक्सी बोर्ड प्रदर्शित किया जाएगा जिसे प्रधानाचार्य द्वारा अजमेर, ब्यावर, किशनगढ़ एवं केकड़ी के निकटवर्ती जिला परिवहन अधिकारी कार्यालय से प्राप्त किया जाएगा। सप्ताह के दौरान सड़क सुरक्षा की आकर्षक रैली आयोजित की जाएगी। विद्यार्थियों में यातायात नियमों की पालना के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए महाविद्यालयों में व्याख्यानमाला का आयोजन किया जाएगा। राजस्थान राज्य पथ परिवहन निगम एवं आॅटो चालकों की चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग द्वारा निःशुल्क नेत्रा जांच करके चश्मा वितरित किया जाएगा। सड़क सुरक्षा के दौरान चालकों एवं विद्यार्थियों का रिफ्ररेशर कोर्स करवाया जाएगा। प्रत्येक कृषि मण्डी स्तर पर 5 हजार वाहनों पर रिफ्लेक्टिव प्लेट लगवाएं जाएंगे। जिले के चालकों तथा विद्यार्थियों के समूह बनाकर उन्हें जयपुर रोड़ पर निर्मित ट्रेफिक पार्क में प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।
उन्होंने बताया कि राजमार्गों पर स्थित ढ़ाबों तथा पेट्रोल पम्प के कार्मिकों को प्राथमिक सहायता का प्रशिक्षण प्रदान किया जाएगा। अजमेर शहर की बालवाहिनियों के चालकों के लिए व्याख्यानमाला आयोजित होगी जिसमें भाग नहीं लेने वाले विद्यालयों के विरूद्ध नियमानुसार कार्यवाही की जाएगी। 22 जनवरी को जिले के नगरीय निकायों में सड़क सुरक्षा जनजाग्रती अभियान के अन्तर्गत सड़क सुरक्षा कीट सामग्री का वितरण किया जाएगा। यातायात संकेतकों पर पोस्टर आदि चिपकाने वालों के विरूद्ध सार्वजनिक सम्पत्ति विरूपण अधिनियम के तहत कार्यवाही की जाएगी।
इस अवसर पर अतिरक्त जिला कलक्टर श्री किशोर कुमार, हरफूल सिंह यादव, जिला परिषद के मुख्यकार्यकारी अधिकारी श्री राजेश कुमार चैहान जिला रसद अधिकारी श्री सुरेश सिंधी, जिला कोषाधिकारी श्री सुरेश प्रकाश मोंगा सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

अजमेर, प्रभारी मंत्राी प्रो. देवनानी ने ली समीक्षा बैठक



अजमेर, प्रभारी मंत्राी प्रो. देवनानी ने ली समीक्षा बैठक
अजमेर, 9 जनवरी। जिले के प्रभारी मंत्राी एवं शिक्षा राज्य मंत्राी प्रो. वासुदेव देवनानी की अध्यक्षता में शनिवार को कलेक्ट्रेट सभागार में विभिन्न विभागों की मासिक समीक्षा बैठक आयोजित हुई जिसमें उन्होंने मानवीय पक्ष को ध्यान में रखते हुए संवेदनशीलता के साथ जनहित के कार्य करने के लिए अधिकारियों को कहा। बैठक में जिला कलक्टर डाॅ. आरूषी मलिक एवं पुलिस अधीक्षक नीतिन दीप बलगन भी उपस्थित थे।

प्रो. देवनानी ने सार्वजनिक निर्माण विभाग के अधीक्षण अभियंता श्री बी.एल.बैरवा को निर्देशित किया कि जिले में प्रक्रियाधीन सम्पूर्ण निर्माण कार्य जनवरी में शुरू कर दिए जाए तथा उनको इसी वित्तीय सत्रा में पूर्ण करने का प्रयास किया जाए। आदर्श ग्राम को समय पर विकसित करने के लिए उनसे जुड़े कार्य प्राथमिकता के साथ पूर्ण करवाएं। उन्होंने जन स्वास्थ्य अभियांत्रिकी विभाग के अधिकारियों को निर्देशित किया की अवैध नल कनेक्शन हटाने के लिए नामजद रिपोर्ट दी जाए। जिससे कार्यवाही में आसानी रहती है। बैठक में विभाग के अधिकारियों ने अवगत कराया कि जिले में एक वर्ष में 3 हजार 166 अवैध नल कनेक्शन हटाएं गए जिससे 109 गांवों में पेयजल सप्लाई बहाल की जा सकी।

उन्होने मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. लक्ष्मण हरचन्दानी को निर्देशित किया कि भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना का लाभ प्रत्येक पात्रा व्यक्ति को मिले यह सुनिश्चित किया जाए। सरकार द्वारा रियायती दरों पर जमीन तथा अन्य सुविधाएं प्राप्त करने वाले निजी अस्पतालों को भामाशाह स्वास्थ्य योजना के माध्यम से गरीब तबके का ईलाज आवश्यक रूप से करना चाहिए। नगर निगम के अधिकारियों ने अवगत कराया कि शहर में नालों की सफाई का विशेष अभियान चलाया जा रहा है। वार्डों से निःश्ुल्क कचरा संग्रहण के लिए रिक्शे उपलब्ध करवाएं गए है। प्रभारी मंत्राी ने सिवरेज कनेक्शन के लिए प्राप्त आवेदनों को तुरन्त जोड़ने की आवश्यकता बतायी और निगम को सफाई रोड लाईट अतिक्रमण तथा बेसहारा जानवरों पर विशेष कार्य करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि शहर के मुख्य मार्गों तथा व्यस्त चैराहों पर से बेसहारा पशुओं को पकड़कर यातायात व्यवसथा को दुरूस्त करने में सहयोग करावें। जवाहर रंगमंच तथा रामप्रसाद घाट पर खड़ी होने वाली बसों को अन्यत्रा स्थानानांतरित करने की आवश्यकता बतायी।

प्रभारी मंत्राी ने मुख्यमंत्राी जल स्वावलम्बन अभियान की समीक्षा के दौरान 108 ग्रामों में प्रस्तावित एक हजार 991 कार्यों के बारे में विस्तार पूर्वक जाना। जिला परिषद के मुख्यकार्यकारी अधिकारी श्री राजेश कुमार चैहान ने अवगत कराया कि जल संरक्षण व संग्रहण कार्यों को जन आंदोलन का रूप देने के लिए 11 जनवरी को महिलाओं तथा 13 जनवरी को विद्यार्थियों की रैलियां ग्राम स्तर पर आयोजित की जाएगी। 18 जनवरी को बड़ी कक्षाओं के विद्यार्थियों की निबंध व चित्राकला प्रतियोगिता आयोजित की जाएगी। जन में जल के प्रति जागरूकता विकसित करने के लिए 13 जनवरी से 25 जनवरी तक जल रथ विविध गांवों में जाएंगे। इनके साथ कला जत्था भी कठपूतली, नाटक तथा गीत-संगीत के साथ जल संरक्षण एवं संग्रहण का मनोरंजक संदेश देंगे।

इस अवसर पर अतिरक्त जिला कलक्टर श्री किशोर कुमार, हरफूल सिंह यादव, जिला रसद अधिकारी श्री सुरेश सिंधी, जिला कोषाधिकारी श्री सुरेश प्रकाश मोंगा सहित जिला स्तरीय अधिकारी उपस्थित थे।

डूंगरपुर.देश में 65 एेसे गांव जहां कई सालों से नहीं हुआ कोई अपराध



डूंगरपुर.देश में 65 एेसे गांव जहां कई सालों से नहीं हुआ कोई अपराध


गंभीर अपराधों में लगातार वृद्धि से पुलिस व नीति निर्धारकों को जहां परेशानी से रूबरू होना पड़ रहा है, वहीं डूंगरपुर जिले में 12 पुलिस थाना क्षेत्रों में 65 गांव एेसे भी हैं, जहां बीते तीन वर्षों वर्ष 2013 से 2015 में एक भी आपराधिक घटना नहीं हुई है। इन गांवों के लोग छोटे-मोटे विवादों को स्थानीय स्तर पर बातचीत से सुलझा लेते हैं तथा उन्हें पुलिस थाने तक जाने की जरूरत ही नहीं रहती है। अपराधविहीन गांवों के रूप में यह जिले के अन्य गांवों के लिए नजीर बन रहे हैं।

अभियान से सफलता

इन 65 गांवों को अपराधविहीन बनाने में सबसे बड़ी भूमिका पुलिस, सीएलजी सदस्यों, जनप्रतिनिधियों , सामाजिक प्रतिनिधियों, मुिखयाओं के अथक प्रयास तथा पुलिस के विशेष अभियान व कार्यक्रमों ने निभाई है। पुलिस बीट कांस्टेबल, बीट प्रभारी, थाना प्रभारी तथा अन्य वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की ओर से समय-समय पर इन गांवों के लोगों से लगातार सम्पर्क कर बैठकें भी की गई। ग्रामीणों को सामाजिक बुराइयों से दूर रहने की प्रेरणा दी गई। विद्यालयों में भी आवश्यक जानकारी दी गई। युवाओं को भी जागृत किया गया। उन्हें बाल विवाह, मौताणा, नाता प्रथा जैसी सामाजिक कुप्रथाओं तथा समाज पर पडऩे वाले विपरीत प्रभावों से अवगत कराने से नवचेतना का संचार हुआ।

आपस में होता है समाधान

इन गांवों में दो पक्षों में विवाद होने पर गांव के बड़े-बुजुर्गो, पंचायत सदस्यों की ओर से उनकी समस्या का आपस में मिल बैठकर समाधान किया जाता है। इससे उन्हें पुलिस थाने तक जाने की आवश्यकता नहीं रहती है।

अन्य गांवों के लिए बनेंगे प्रेरणादायी

इस संबंध में डूंगरपुर जिला अधीक्षक अनिल कुमार जैन ने बताया कि अपराधविहीन गांव जिले के अन्य गांवों के लिए भी प्रेरणादायी बनेंगे। इनकी तर्ज पर अन्य गांव भी इसकी ओर अग्रसयर होंगे। इन अपराधविहीन गांवों को जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित कराने के प्रयास कर रहे हैं। कांस्टेबल, बीट प्रभारी तथा थाना प्रभारी के लोगों से लगातार सम्पर्क से अपराधों पर अंकुश लगने के साथ ही शांति व आपसी सौहार्द की भावना भी विकसित होगी।

भीलवाड़ा।भीलवाड़ा: पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उपद्रवियों का खदेड़ा



भीलवाड़ा।भीलवाड़ा: पुलिस ने हल्का बल प्रयोग कर उपद्रवियों का खदेड़ा

हर के गुलअली नगरी क्षेत्र में शुकवार देर रात दो पक्षों के लोगों में विवाद के बाद पथराव की घटना के बाद शनिवार को भी माहौल गरमाया रहा। सांगानेरी गेटी पर पुलिस के फ्लैग मार्च पर पथराव के बाद उपद्रवियों को खदेडऩे के लिए पुलिस ने हल्का बल प्रयोग किया। उपद्रवियों ने इस दौरान पथराव भी किया। तनाव को देखते हुए दुकानों के शटर नीचे गिर गए। क्षेत्र में भारी पुलिस बल तैनात किया गया। पुलिस ने कुछ वाहनों को जब्त किया है।










गौरतलब है कि शुक्रवार रात भी गुलअलीनगरी में दो पक्षों में हुए पथराव के बाद एक पुलिसकर्मी सहित दो जने घायल हो गए थे। पथराव में कई वाहनों के कांच भी टूट गए और सड़क पर ईंट-पत्थर फैल गए थे। देर रात हुई इस घटना की जानकारी मिलते ही पुलिस अधिकारी भारी जाब्ते के साथ मौके पर पहुंचे और हल्का बल प्रयोग कर पथराव कर रहे लोगों को नियंत्रित किया। पुलिस व प्रशासन के आला अधिकारी मामले पर निगाह रखे हुए हैं।

श्रीडूंगरगढ़ -पत्नी की हत्या कर पति ने खुदकुशी की

श्रीडूंगरगढ़ -पत्नी की हत्या कर पति ने खुदकुशी की

श्रीडूंगरगढ़ श्रीडूंगरगढ़ के कालू बास में शुक्रवार अलसुबह घर में झगड़े के बाद पत्नी की कुल्हाड़ी से हत्या कर पति ने फांसी लगा खुदकुशी कर ली।

गत सात दिन में जिले में यह इस तरह की दूसरी घटना है। थानाधिकारी निकेत पारीक ने बताया कि चिनाई का काम करने वाला इन्द्रसिंह राजपूत (35) पत्नी शोभा कंवर (30) एवं दो पुत्र आठ वर्षीय अजीतसिंह और चार वर्षीय आनन्द के साथ रहता था। शराब की लत के कारण आए दिन उसका पत्नी से झगड़ा होता रहता था।

गुरुवार रात को भी झगड़े के बाद उसने शुक्रवार सुबह 5 बजे बच्चों के साथ सो रही पत्नी की हत्या कर दी और बच्चों को कमरे में बन्द कर दूसरे कमरे में जा खुदकुशी कर ली।

बच्चों ने दी राहगीर को सूचना

घटनाक्रम से बुरी तरह डरे बच्चों अजीत व आनंद ने कमरे की खिड़की को खोल वहां से गुजर रहे दिनेश प्रजापत को आवाज दे बुलाया व घटना के बारे में बताया।

फिर आस-पास के लोगों ने पुलिस को इतला की। पारीक ने बताया कि पुलिस ने अजीत के बयान पर पिता इन्द्रसिंह के खिलाफ हत्या का मामला दर्ज किया है।

उधर, शवों को पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिया गया है। डरे-सहमे बच्चों को पड़ौसी व परिवार की अन्य महिलाएं संभाल रही हैं।

पहले हुआ था बीकानेर में

इससे पूर्व दो जनवरी की रात बीकानेर के गंगाशहर थानाक्षेत्र में रंगा कॉलोनी में जगदीश सुथार ने अपनी पत्नी को मार आत्महत्या कर ली थी। दोनों घटनाओं में पति-पत्नी परिजनों से अलग रह रहे थे और दोनों के दो-दो बच्चे थे।

चूरू/सरदारशहर.दो बेटियों के साथ कुंड में गिरी विवाहिता, एक बेटी ही बच पाई जिंदा, वो भी इनकी वजह से



चूरू/सरदारशहर.दो बेटियों के साथ कुंड में गिरी विवाहिता, एक बेटी ही बच पाई जिंदा, वो भी इनकी वजह से


भालेरी थाना इलाके के गांव डालमाण में को पानी में गिरने से मां-बेटी की मौत के दूसरे दिन शनिवार को पोस्टमार्टम के बाद पुलिस ने शव परिजनों को सौंप दिए। पुलिस के अनुसार डालमाण निवासी गौरादेवी(32) का पति रोहिताश्व मेघवाल शुक्रवार को मजदूरी करने चला गया। गौरा अपनी दो बेटी आरती(4) व सपना (2) को लेकर गांव के निकट स्थित खेत पर चली गई। बड़ा बेटा गणेश (8) घर पर ही रह गया।

सुबह करीब 11 बजे गौरा देवी दोनों मासूम बेटियों के साथ कुंड में गिर गई। आस-पास पशु चरा रहे लोगों ने गौरा को बेटियों के साथ कुंड में गिरता देख दौड़कर मौके पर पहुंचे। उन्होंने बेटी सपना को बचा लिया। गौरा और आरती की कुंड के पानी में डूबने से मौत हो गई।

रात को लाए अस्पताल

हादसे की सूचना पर ग्रामीण मौके पर पहुंचे। शवों को कुंड से बाहर निकलवाकर पुलिस को सूचना दी। सपना को सरदारशहर के निजी चिकित्सालय में भर्ती कराया। ग्रामीणों की सूचना पर शाम को पुलिस मौके पर पहुंची। पीहर पक्ष के लोग भी आ गए। रात को मां-बेटी के शवों को राजकीय अस्पताल,सरदारशहर की मोर्चरी में रखवाया।

10 वर्ष पहले हुई थी शादी

सूत्रों के अनुसार हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के गांव धाणसिया निवासी गौरादेवी की शादी करीब 10 वर्ष पहले गांव डालमाण निवासी रोहिताश्व के साथ हुई थी।

देर रात तक ससुराल एवं पीहर

पक्ष की ओर से कोई रिपोर्ट नहीं कराई। शवों का पोस्टमार्टम शनिवार को कराया जाएगा। महिला ने आत्महत्या की या या हादया है इसकी जांच की जा

रही है। श्यामसिंह, थानाधिकारी, भालेरी

बाड़मेर: बच्चों को काटने के बाद पिता ने की आत्महत्या



बाड़मेर: बच्चों को काटने के बाद पिता ने की आत्महत्या
प्रदेश के दो जिलों से रिश्तों की मर्यादा तोड़ने के दो मामले सामने आए हैं। बाड़मेर में एक पिता ने अपने दो बच्चों का खून कर आत्महत्या कर ली। वहीं बीकानेर में एक युवक ने अपने परिवार को कुल्हाड़ी से काट दिया।

बाड़मेर के सिवान थाना इलाके में ठाकुरलाई गांव निवासी भैराराम शुक्रवार शाम घर पर था। पास के ही कमरे में बेटी मंशा (15) और बेटा पक्काराम (13) सो रहे थे। भैराराम ने दोनों पर कुल्हाड़ी से कई वार किए। दोनों की मौत हो गई। उसके बाद भैराराम ने फांसी लगा ली। देर रात उसकी पत्नी घर लौटी तो पुलिस को सूचना दी गई।

वहीं बीकानेर के दंतोर थाना इलाके में 11 डीडब्ल्यूडी गांव में रहने वाले अर्जुन ने आज सवेरे अपने माता-पिता पर कुल्हाड़ी से वार कर किए। फिर बहन और पत्नी पर हमला किया। चारों को अचेत हालात में छोड़कर अर्जुन फरार हो गया। पुलिस ने चारों को अस्पताल में भर्ती कराया है। चारों की हालत गंभीर है।

जोधपुर अपहरण के बाद युवती का देह शोषण



जोधपुर अपहरण के बाद युवती का देह शोषण


प्रतापनगर थाना पुलिस ने शादीशुदा होने के बावजूद एक युवती को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने व करीब एक महीने तक देह शोषण करने के मामले में आरोपी युवक को गिरफ्तार किया। भगवईया को अहमदाबाद की एक होटल से दस्तयाब कर यहां लाया गया है।

एएसआई सुखराम के अनुसार गत 10 दिसम्बर की रात घर में सो रही 19 वर्षीय युवती को चानणा भाखर में अशोक नगर निवासी सत्यनारायण पुत्र बाबूलाल प्रजापत भगा ले गया था। उसे गायब देख परिजन ने प्रतापनगर थाने में गुमशुदगी दर्ज कराई। साथ ही हाईकोर्ट में बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका भी लगाई। तब पुलिस हरकत में आई।

उधर, अहमदाबाद की एक होटल में युवक ने युवती से दुष्कर्म किया। कुछ दिन तक वहां रूकने के बाद वह उसे बेंगलुरू ले गया, जहां भी उसके साथ खोटा काम किया गया। पुलिस बेंगलुरू पहुंची, लेकिन भनक लगने पर दोनों फिर से अहमदाबाद आ गए।

सुराग के आधार पर पुलिस ने गत दिनों अहमदाबाद की एक होटल में दबिश देकर दोनों को पकड़ लिया और जोधपुर लेकर आए। युवती को हाईकोर्ट में पेश किया गया, जहां से उसे परिजन संग भेजने के आदेश दिए गए।

जोधपुर पहुंचने के बाद युवती ने युवक पर अहमदाबाद व बेंगलुरू में 28 दिन तक देह शोषण करने का आरोप लगाया। जिस पर पुलिस ने उसके खिलाफ अपहरण व दुष्कर्म का मामला दर्ज किया गया। मेडिकल व बयान दर्ज होने के बाद पुलिस ने सत्यनारायण प्रजापत (21) को गिरफ्तार किया। पुलिस का कहना है कि युवक पहले से शादीशुदा है।

भावी मिनी ट्रक की चपेट में आई बाइक, दो की मौत



भावी मिनी ट्रक की चपेट में आई बाइक, दो की मौत


जोधपुर-जयपुर राजमार्ग पर बाला फांटा के पास शुक्रवार देर शाम एक मोटर साइकिल मिनी ट्रक की चपेट में आने से मोटरसाइकिल पर सवार दोनों युवकों की मौके पर मौत हो गई।

पुलिस के अनुसार मसूरिया (जोधपुर) निवासी जगदीश प्रजापत (44) पुत्र चैनाराम अपने एक अन्य मित्र के साथ मोटरसाइकिल से बिलाड़ा स्थित चावण्डा कॉलोनी में अपने रिश्तेदार के यहां जा रहा था। इस दौरान 36 मील के पास सामने से आ रहे मिनी ट्रक ने मोटरसाइकिल की चपेट में ले लिया।

इससे जगदीश व उसका साथी उछल कर सड़क पर गिर गया और दोनों की मौके पर ही मौत हो गई। घटना के बाद चालक मिनी ट्रक छोड़ कर भाग गया। देर रात तक दूसरे व्यक्ति की पहचान नहीं हो सकी। पुलिस ने दोनों के शव मोर्चरी में रखवाए।

श्रीगंगानगर कॉलेज छात्रा ने फंदे से लटक की आत्महत्या



श्रीगंगानगर कॉलेज छात्रा ने फंदे से लटक की आत्महत्या


निजी गर्ल्स कॉलेज के हॉस्टल में रह रही एक युवती ने आत्महत्या कर ली है। घटना शुक्रवार दोपहर को सूरतगढ़ बाइपास स्थित कॉलोनी में हुई। सदर पुलिस ने कमरे में लगे पंखे से बंधी चुन्नी से लटका शव बरामद कर लिया है। मृतका के पिता की रिपोर्ट पर मर्ग दर्ज की गई है।

सदर थाना के सेकंड इंचार्ज सुशील कुमार अरोड़ा ने बताया कि दोपहर करीब तीन बजे सूचना मिली थी कि रिद्धि-सिद्धि सेकंड में एक निजी गर्ल्स कॉलेज का हॉस्टल है। इसके प्रथम मंजिल स्थित दस नंबर कमरे में मनीवाली निवासी 19 वर्षीय ज्योति यादव ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली है। कमरे का दरवाजा अंदर से बंद था और खिड़की खुली थी। शव को जिला अस्पताल की मोर्चरी में पहुंचाया गया। पोस्टमार्टम के बाद शाम को शव परिजनों को सौंप दिया। मृतका के पिता विजय यादव की रिपोर्ट पर मर्ग दर्ज की गई है।

पांच जनवरी को घर से आई थी हॉस्टल

हॉस्टल वार्डन ने जांच अधिकारी सुशील अरोड़ा को बताया कि ज्योति यादव पांच जनवरी को गांव से वापस हॉस्टल लौटकर आई थी। उसके बाद से वह बीमार थी और उसे बुखार था। इस कारण वह कॉलेज भी नहीं जा रही थी। रूममेट सुनीता, रेणु और सुमन ने भी पुलिस को ज्योति के बारे में कुछ अधिक जानकारी नहीं दी। सुसाइड करने की सूचना पर निजी कॉलोनी में सनसनी फैल गई। सूचना पर कॉलेज प्राचार्य और स्टाफ मौके पर पहुंचे। हॉस्टल की अन्य छात्राएं डरी सहमीं इधर-उधर खड़ी देखती रहीं। पुलिस के पहुंचने से पहले ही आस-पास के लोग भी सड़क पर जमा हो गए।

2016 की पहली शनिश्चरी अवामस्या 9 जनवरी 2016 को, कष्ट दूर करने के ये हैं उपाय----

2016 की पहली शनिश्चरी अवामस्या 9 जनवरी 2016 को, कष्ट दूर करने के ये हैं उपाय----पंडित दयानंद शास्त्री 


नया साल सभी के लिए कुछ ना कुछ नया और शुभ लेकर आता है।

इस साल भी शनि दोष से पीडि़त या फिर अन्य ग्रहों की उल्टी चाल से ग्रस्त लोगों को अपनी पीड़ा दूर करने के लिए लंबा इंतजार नहीं करना पड़ेगा।

नए साल 2016 की पहली शनिश्चरी अमावस्या 9 जनवरी 2016 को है। इसे लेकर शनि मंदिरों में तैयारियां शुरू की जा चुकी हैं। इसी के साथ पीडि़त लोग भी अपने कष्टों से निजात पाने के लिए खास उपाय कर सकते हैं।




शनिश्चरी अमावस्या शनिवार को सुबह 7:40 बजे से शुरू होकर दूसरे दिन 10 जनवरी 2016, रविवार सुबह 7:20 बजे तक रहेगी।




ये उपाय करें----

---सुंदरकांड का पाठ, हनुमानजी को चोला चढ़ाएं।

---सरसों या तिल के तेल के दीपक में दो लोहे की कीलें डालकर पीपल पर रखें।

-----शनिदेव पर तिल या सरसों के तेल का दान करें।

-----चीटीं को शक्कर का बूरा डालें।

----अपने वजन के बराबर सरसों का खली (पीना) गौशाला में डालें।

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श्री शनिस्तोत्रम्-----




यह स्तोत्र जातकों के हर प्रकार के कष्टों को दूर करने वाला है। यह स्तोत्र मानसिक अशांति, पारिवारिक कलह व दांपत्य सुख में दरार पाटने में समर्थ है।




यदि इस स्तोत्र का 21 बार प्रति शनिवार को लगातार 7 शनिवार को पाठ किया जाये साथ ही शनिदेव का तैलाभिषेक से पूजन किया जाए तो निश्चय ही इन बाधाओं से मुक्ति मिलती है।




‘‘तुष्टोददाति वैराज्य रुष्टो हरति तत्क्षणात्’’ धन्य है शनिदेव। शिव का आशीर्वाद प्राप्त कर स्वयं भी आशुतोष बन गये।

प्रस्तुत स्तोत्र ज्वलंत उदाहरण है।




राजा दशरथ शनि से युद्ध करने उनके पास गये थे, किन्तु धन्य है शनिदेव - जिसने शत्रु को मनचाहा वरदान देकर सेवक बना लिया। विशेष कहने की आवश्यकता नहीं, स्वयं शनि-स्तोत्र ही इसका प्रमाण है। अत: इसका स्तवन, श्रवण से लाभान्वित हो स्वयं को कृतार्थ करना चाहिए।

शनि का प्रकोप शान्त करने के लिए पुराणों में एक कथा भी मिलती है कि महाराजा दशरथ के राज्यकाल में उनके ज्योतिषियों ने उन्हें बताया कि महाराज, शनिदेव रोहिणी नक्षत्र को भेदन करने वाले हैं। जब भी शनिदेव रोहिणी नक्षत्र का भेदन करते हैं तो उस राज्य मेें पूरे बारह वर्ष तक वर्षा नहीं होती है और अकाल पड़ जाता है। इससे प्रजा का जीवित बच पाना असम्भव हो जाता है। महाराज दशरथ को जब यह बात ज्ञात हुई तब वह नक्षत्र मंडल में अपने विशेष रथ द्वारा आकाश मार्ग से शनि का सामना करने के लिए पहुँच गये।

शनिदेव महाराज दशरथ का अदम्य साहस देखकर बहुत प्रसन्न हुए और वरदन मांगने के लिए कहा। शनिदेव को प्रसन्न देख महाराज दशरथ ने उनकी स्तुति की और कहा कि हे शनिदेव! प्रजा के कल्याण हेतु आप रोहिणी नक्षत्र का भेदन न करें। शनि महाराज प्रसन्न थे और उन्होंने तुरन्त उन्हें वचन दिया कि उनकी पूजा पर उनके रोहिणी भेदन का दुष्प्रभाव नहीं पड़ेगा और उसके साथ यह भी कहा कि जो व्यक्ति आप द्वारा किये गये इस स्तोत्र से मेरी स्तुति करेंगे, उन पर भी मेरा अशुभ प्रभाव कभी नहीं पड़ेगा।

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श्री शनि चालीसा-----




शनि चालीसा का पाठ सबसे सरल है।

अतः यहां सर्वाधिक प्रचलित चालीसा प्रस्तुत की जा रही है। शनि चालीसा भी हनुमान चालीसा जैसे ही अति प्रभावशाली है।




शनि प्रभावित जातकों के समस्त कष्टों का हरण शनि चालीसा के पाठ द्वारा भी किया जा सकता है।




सांसारिक किसी भी प्रकार का शनिकृत दोष, विवाह आदि में उत्पन्न बाधाएं इस शनि चालीसा की 21 आवृति प्रतिदिन पाठ लगातार 21 दिनों तक करने से दूर होती हैं और जातक शांति सुख सौमनस्य को प्राप्त होता है।




अन्य तो क्या पति-पत्नी कलह को भी 11 पाठ के हिसाब से यदि कम से कम 21 दिन तक किया जाये तो अवश्य उन्हें सुख सौमनस्यता की प्राप्ति होती है।




श्री शनि चालीसा----




दोहा----




जय-जय श्री शनिदेव प्रभु, सुनहु विनय महराज।

करहुं कृपा हे रवि तनय, राखहु जन की लाज।।




चौपाई----




जयति-जयति शनिदेव दयाला।

करत सदा भक्तन प्रतिपाला।।

चारि भुजा तन श्याम विराजै।

माथे रतन मुकुट छवि छाजै।।

परम विशाल मनोहर भाला।

टेढ़ी दृष्टि भृकुटि विकराला।।

कुण्डल श्रवण चमाचम चमकै।

हिये माल मुक्तन मणि दमकै।।

कर में गदा त्रिशूल कुठारा।

पल विच करैं अरिहिं संहारा।।

पिंगल कृष्णो छाया नन्दन।

यम कोणस्थ रौद्र दुःख भंजन।।

सौरि मन्द शनी दश नामा।

भानु पुत्रा पूजहिं सब कामा।।

जापर प्रभु प्रसन्न हों जाहीं।

रंकहु राउ करें क्षण माहीं।।

पर्वतहूं तृण होई निहारत।

तृणहंू को पर्वत करि डारत।।

राज मिलत बन रामहि दीन्हा।

कैकइहूं की मति हरि लीन्हा।।

बनहूं में मृग कपट दिखाई।

मात जानकी गई चुराई।।

लषणहि शक्ति बिकल करि डारा।

मचि गयो दल में हाहाकारा।।

दियो कीट करि कंचन लंका।

बजि बजरंग वीर को डंका।।

नृप विक्रम पर जब पगु धारा।

चित्रा मयूर निगलि गै हारा।।

हार नौलखा लाग्यो चोरी।

हाथ पैर डरवायो तोरी।।

भारी दशा निकृष्ट दिखाओ।

तेलिहुं घर कोल्हू चलवायौ।।

विनय राग दीपक महं कीन्हो।

तब प्रसन्न प्रभु ह्नै सुख दीन्हों।।

हरिशचन्द्रहुं नृप नारि बिकानी।

आपहुं भरे डोम घर पानी।।

वैसे नल पर दशा सिरानी।

भूंजी मीन कूद गई पानी।।

श्री शकंरहि गहो जब जाई।

पारवती को सती कराई।।

तनि बिलोकत ही करि रीसा।

नभ उड़ि गयो गौरि सुत सीसा।।

पाण्डव पर ह्नै दशा तुम्हारी।

बची द्रोपदी होति उघारी।।

कौरव की भी गति मति मारी।

युद्ध महाभारत करि डारी।।

रवि कहं मुख महं धरि तत्काला।

लेकर कूदि पर्यो पाताला।।

शेष देव लखि विनती लाई।

रवि को मुख ते दियो छुड़ाई।।

वाहन प्रभु के सात सुजाना।

गज दिग्गज गर्दभ मृग स्वाना।।

जम्बुक सिंह आदि नख धारी।

सो फल ज्योतिष कहत पुकारी।।

गज वाहन लक्ष्मी गृह आवैं।

हय ते सुख सम्पत्ति उपजावैं।।

गर्दभहानि करै बहु काजा।

सिंह सिद्धकर राज समाजा।।

जम्बुक बुद्धि नष्ट करि डारै।

मृग दे कष्ट प्राण संहारै।।

जब आवहिं प्रभु स्वान सवारी।

चोरी आदि होय डर भारी।।

तैसहिं चारि चरण यह नामा।

स्वर्ण लोह चांदी अरु ताम्बा।।

लोह चरण पर जब प्रभु आवैं।

धन सम्पत्ति नष्ट करावैं।।

समता ताम्र रजत शुभकारी।

स्वर्ण सर्व सुख मंगल भारी।।

जो यह शनि चरित्रा नित गावै।

कबहुं न दशा निकृष्ट सतावै।।

अद्भुत नाथ दिखावैं लीला।

करैं शत्राु के नशि बल ढीला।।

जो पंडित सुयोग्य बुलवाई।

विधिवत शनि ग्रह शान्ति कराई।।

पीपल जल शनि-दिवस चढ़ावत।

दीप दान दै बहु सुख पावत।।

कहत राम सुन्दर प्रभु दासा।

शनि सुमिरत सुख होत प्रकाशा।।




दोहा---

प्रतिमा श्री शनिदेव की, लोह धातु बनवाय।

प्रेम सहित पूजन करै, सकल कष्ट कटि जाय।।

चालीसा नित नेम यह, कहहिं सुनहिं धरि ध्यान।

नि ग्रह सुखद ह्नै, पावहिं नर सम्मान।।




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दशरथ कृत शनि स्तोत्र----

(हिन्दी पद्य रूपान्तरण)----




हे श्यामवर्णवाले, हे नील कण्ठ वाले।

कालाग्नि रूप वाले, हल्के शरीर वाले।।

स्वीकारो नमन मेरे, शनिदेव हम तुम्हारे।

सच्चे सुकर्म वाले हैं, मन से हो तुम हमारे।।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे।।

हे दाढ़ी-मूछों वाले, लम्बी जटायें पाले।

हे दीर्घ नेत्र वालेे, शुष्कोदरा निराले।।

भय आकृति तुम्हारी, सब पापियों को मारे।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे।।

हे पुष्ट देहधारी, स्थूल-रोम वाले।

कोटर सुनेत्र वाले, हे बज्र देह वाले।।

तुम ही सुयश दिलाते, सौभाग्य के सितारे।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे।।

हे घोर रौद्र रूपा, भीषण कपालि भूपा।

हे नमन सर्वभक्षी बलिमुख शनी अनूपा ।।

हे भक्तों के सहारे, शनि! सब हवाले तेरे।

हैं पूज्य चरण तेरे।

स्वीकारो नमन मेरे।।

हे सूर्य-सुत तपस्वी, भास्कर के भय मनस्वी।

हे अधो दृष्टि वाले, हे विश्वमय यशस्वी।।

विश्वास श्रद्धा अर्पित सब कुछ तू ही निभाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

हे पूज्य देव मेरे।।

अतितेज खड्गधारी, हे मन्दगति सुप्यारी।

तप-दग्ध-देहधारी, नित योगरत अपारी।।

संकट विकट हटा दे, हे महातेज वाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो नमन मेरे।।

नितप्रियसुधा में रत हो, अतृप्ति में निरत हो।

हो पूज्यतम जगत में, अत्यंत करुणा नत हो।।

हे ज्ञान नेत्र वाले, पावन प्रकाश वाले।

स्वीकारो भजन मेरे।

स्वीकारो नमन मेरे।।

जिस पर प्रसन्न दृष्टि, वैभव सुयश की वृष्टि।

वह जग का राज्य पाये, सम्राट तक कहाये।।

उत्तम स्वभाव वाले, तुमसे तिमिर उजाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे।।

हो वक्र दृष्टि जिसपै, तत्क्षण विनष्ट होता।

मिट जाती राज्यसत्ता, हो के भिखारी रोता।।

डूबे न भक्त-नैय्या पतवार दे बचा ले।

स्वीकारो नमन मेरे।

शनि पूज्य चरण तेरे।।

हो मूलनाश उनका, दुर्बुद्धि होती जिन पर।

हो देव असुर मानव, हो सिद्ध या विद्याधर।।

देकर प्रसन्नता प्रभु अपने चरण लगा ले।

स्वीकारो नमन मेरे।

स्वीकारो भजन मेरे।।

होकर प्रसन्न हे प्रभु! वरदान यही दीजै।

बजरंग भक्त गण को दुनिया में अभय कीजै।।

सारे ग्रहों के स्वामी अपना विरद बचाले।

स्वीकारो नमन मेरे।

हैं पूज्य चरण तेरे।।

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आरती श्री शनिदेव की----




कर्मफल दाता श्री शनिदेव की भक्ति और आरती करने से हर प्रकार के कष्टों का शमन हो जाता है। श्री शनिदेव को काला कपड़ा और लोहा बहुत प्रिय है। उन्हें आक का फूल बहुत भाता है। शनिवार और अमावस्या तिथि को उनको उड़द, गुड़, काले तिल और सरसों का तेल चढ़ाना लाभप्रद रहता है। श्रद्धापूर्वक उनकी आरती करने से सब प्रकार की प्रतिकूलताएं समाप्त हो जाता हैं।




दोहा----




जय गणेश, गिरजा, सुवन,

मंगल करण कृपाल।




दीनन के दुख दूर करि,

कीजै नाथ निहाल।।




जय-जय श्री शनिदेव प्रभु,

सुनहं विनय महाराज।




करहंु कृपा रक्षा करो,

राखहुं जन की लाज।।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

प्रेम विनय से तुमको ध्याऊं, सुधि लो बेगि हमारी।।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

देवों में तुम देव बड़े हो, भक्तों के दुख हर लेते।

रंक को राजपाट, धन-वैभव, पल भर में दे देते।

तेरा कोई पार न पाया तेरी महिमा न्यारी।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

वेद के ज्ञाता, जगत-विधाता तेरा रूप विशाला।

कर्म भोग करवा भक्तों का पाप नाश कर डाला।

यम-यमुना के प्यारे भ्राता, भक्तों के भयहारी।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

स्वर्ण सिंहासन आप विराजो, वाहन सात सुहावे।

श्याम भक्त हो, रूप श्याम, नित श्याम ध्वजा फहराये।

बचे न कोई दृष्टि से तेरी, देव-असुर नर-नारी।।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

उड़द, तेल, गुड़, काले तिल का तुमको भोग लगावें।

लौह धातु प्रिय, काला कपड़ा, आक का गजरा भावे।

त्यागी, तपसी, हठी, यती, क्रोधी सब छबी तिहारी।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

शनिवार प्रिय शनि अमावस, तेलाभिषेक करावे।

शनिचरणानुरागी मदन तेरा आशीर्वाद नित पावे।

छाया दुलारे, रवि सुत प्यारे, तुझ पे मैं बलिहारी।

आरती श्री शनिदेव तुम्हारी।।

जयपुर।कमिश्नर की कार में चालक आपत्तिजनक स्थिति में मिला



जयपुर।कमिश्नर की कार में चालक आपत्तिजनक स्थिति में मिला


प्रारंभिक शिक्षा विभाग कमिश्नर के नाम से आवंटित कार में चालक और एक महिला का अनैतिक कृत्य का शुक्रवार को वीडियो वायरल होने से दिनभर विभाग में इसकी चर्चा बनी रही। मामला कमिश्नर तक पहुंचा तो चालक को तुरंत नौकरी से निकाल दिया गया।

शिक्षा संकुल में प्रारंभिक शिक्षा सचिव कुंजीलाल मीणा ने बताया कि जैसे ही मामला उनकी जानकारी में आया चालक को तुरंत नौकरी से निकाल दिया है। वह लोक जुम्बिश में संविदा पर कार्यरत था। निर्देश दिए हैं कि उसके खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई जाए।

अधिकारी को छोड़कर गाड़ी ले गया

शिक्षा विभाग सूत्रों के मुताबिक, जोसफ नाम का चालक अधिकारी को छोडऩे के बाद गाड़ी ले गया था। अन्य किसी जगह गाड़ी में एक महिला के साथ था। कुछ लोगों ने उसको रंगे हाथ पकड़ लिया था और उसकी वीडियो बना ली थी।

जैसलमेर का आधा शाका , लूणकरनोत , सूरजमलोत, और कानावत भाटी



जैसलमेर का आधा शाका , लूणकरनोत , सूरजमलोत, और कानावत भाटी

:: जैसलमेर का आधा शाका ::

काबुल कंधार का अमीर अली खां राज्च्युत होने पर 1550 ईस्वी में जैसलमेर के रावल लूणकरण भाटी की सरण आया | महारावल ने उसका बड़ा आदर सम्मान किया | कुछ दिनों बाद अली खां के दिल में बेईमानी आ गयी | और उसने जैसलमेर का राज्य हडपने का विचार किया | ऐक दिन लूणकरण को कहलाया की मेरी बेगमे | आपकी रानियों से मिलना चाहती हे | लूणकरण ने बात स्वीकार कर ली विक्रमी संवत 1607 बैसाख सुदी 14 तारिख २९ अप्रैल 1550 ईस्वी को सुबह अली खां ने बेगमों के स्थान पर मुसलमान सेनिकों को बिठाकर किले में भेज दिया और स्वयं 500 सैनिकों के साथ सुसज्जित होकर किले के बहार खड़ा हो गया | जब डोलियाँ अंतपुर के द्वार पर पहुंची तो सारा भेद खुल गया | राजपूतों व् मुसलमानों में घमासान युद्ध हो चला राजपूतों को इस षड़यंत्र का पहले पता नहीं था | किले के दरवाजे खुले थे | अली खां सेना सहित किले में घुस गया | अन्नतपुर के द्वार पालों ने देखा की मुस्लिम सेना का जोर ज्यादा हे | तो उन्होंने रानियों के सतीत्व की रक्षा के लिए उन्हें तलवार से क़त्ल कर दिया | इस युद्ध में महारावल के भाई मंडलीक जी , प्रताप सिंह , राजसिंह और कुंवर हीरजी और कुंवर हरदास , दुरजनसाल और सूरजमल पुत्रों सहित ऐक हजार शेनिकों के साथ शहीद हुए | उस वक्त कुंवर मालदेव बाडी से आये और खिड़की से होकर किले चढ़कर अली खां को मारा 500 लोग अली खां का काम आया | ३०० किले ऊपर और 200 बाहर मारे गए |

:: कुंडलिया :::

रावल लूणकरण जी पाट बिराजे राज

पनरे सो पिच्यासिये आय हुआ महाराज

आय हुआ महाराज कोठार कराया भारी

उदेपुर बीकानेर परणीज्या करके तेयारी

नवाब अली खां आप दगो कर दीनो कावल

मारे मुसला सर्व अर्ध साके में रावल

:: लूणकरनोत भाटी 111::

महारावल लूणकरण जी के पुत्र हिंगोलदास रायपाल , रायमल , दुर्जनसाल , शिवदास , हरदास इन छह पुत्रों के वंशज लूण करनोत भाटी कहलाये है | गाँव बूड़ा में निवास करते हे |

::: सूरजमलोत भाटी 112 ::

महारावल लूणकरण जी के पुत्र सूरजमल के वंशज सूरजमलोत भाटी कहलाये | इनका गाँव जैसलमेर में जैसलमेर से बाड़मेर सड़क पर सांगड़ गाँव के पास ऊँडा गाँव हे |

:: कानावत भाटी 113::

महारावल लूणकरण के पुत्र हीरजी के धीरजी के पुत्र कानजी के वंशज कानावत भाटी कहलाये | इनका गाँव बाड़मेर जिले के शिव तहसील में झान्फली और स्वामी के गाँव के बीच में स्थति हे | कुछ घर कापराऊ तहसील चोह्टन जिला बाड़मेर में हे |

लगातार

जय श्री कृष्णा

कृष्‍ण लीला: रुक्मणि की प्रेम कथा

कृष्‍ण लीला: रुक्मणि की प्रेम कथा
कृष्‍ण लीला: रुक्मणि की प्रेम कथा
श्रीकृष्ण के जीवन में जिस दूसरी महिला की अहम भूमिका रही, वह उनकी पहली पत्नी रुक्मणि थीं। राजकुमारी रुक्मणि विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थीं। जब कृष्ण बाहु युद्ध के महारथी चाणूर के साथ अखाड़े में उतरे थे, उस समय रुक्मणि मथुरा में ही थीं। वह उन पलों की भी साक्षी थीं, जब कृष्ण ने मथुरा के राजा कंस को झटके में ढेर कर दिया था। मथुरा राज्य में कंस के अत्याचारी शासन को खत्म करने और समता स्थापित करने की ओर श्रीकृष्ण का यह पहला कदम था। सोलह वर्ष की उम्र में जब कृष्ण ने वृंदावन छोड़ा था, उससे पहले ही सारे संसार में उनकी रासलीला की कहानियां मशहूर हो गई थीं।

लोग कृष्ण के नृत्य और वृन्दावन में होने वाली खूबसूरत घटनाओं का वर्णन लोक गीतों के माध्यम से करते थे और बताते थे कि कैसे एक साधारण से गांव के लोग कृष्ण की मौजूदगी में एक साथ इकठ्ठा होकर आनंद और स्नेह से सराबोर हो जाते हैं। रुक्मणि ने बचपन से ही से सब बातें सुन रखी थी। जब कृष्ण ने कंस का वध किया था तो रुक्मणि लगभग बारह साल की थीं। उसी समय से उन्होंने अपना मन बना लिया था कि वह कृष्ण के अलावा किसी और से शादी नहीं करेंगी। उस समय कृष्ण एक मामूली ग्वाले से ज्यादा कुछ नहीं थे, जिसने एक बहादुरी का काम किया था, लेकिन रुक्मणि एक बहुत बड़े साम्राज्य की राजकुमारी थीं। फिर भी वो कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं। उन्होंने कृष्ण के सामने अपने प्रेम का इजहार करने के लिए कई तरीके भी आजमाए। कृष्ण भी इस बात से अनजान नहीं थे, क्योंकि उन्हें हर किसी की भावनाओं और इरादों के बारे में पता होता था।









अगले कुछ साल कृष्ण ब्रह्मचारी बनकर घूमते रहे। रुक्मणि ने यह तय कर लिया कि जब भी वे विदर्भ पहुंचकर ‘भिक्षांदेहि’ कहेंगे तो वह उन्हें भिक्षा देने वालों में सबसे आगे होंगी। वो कृष्ण के साथ-साथ घूमती रहीं, हालांकि वह उनके झुंड से अलग रहती थीं। कृष्ण जहां भी जाते, वह वहां पहुंचतीं और उन्हें भिक्षा देतीं। वह उन्हें भिक्षा देने वाली अकेली महिला नहीं थीं लेकिन सबसे खास जरूर थीं, क्योंकि वो कृष्ण से विवाह करना चाहती थीं। ऐसे कई लोग थे जो कृष्ण का पीछा करने की कोशिश करते थे और चाहते थे कि कैसे भी उनकी नजर में आ जाएं। उनके नीले जादू ने लोगों को पागल बना दिया था।









कृष्ण को इसमें बड़ा मजा आता था लेकिन उन्होंने अपने इस जादू का दुरुपयोग कभी नहीं किया। वह बस यही सोचते थे कि लोगों को कैसे ऊपर उठाया जाए। आप चाहे किसी आदमी से प्यार करें या किसी औरत से या फिर किसी गधे से या किसी और से, जब किसी के मन में प्रेम पैदा हो जाता है तो कोई भी समझदार इंसान उसे विकसित ही करना चाहता है, उसे खत्म करना नहीं चाहता। संभव है कि किसी तरह की भावनात्मक विवशता के चलते वह अपने प्यार की दिशा मोडऩे की कोशिश करे, लेकिन उसे खत्म कभी नहीं करना चाहेगा। इसी तरह कृष्ण भी अपने इस नीले जादू को जारी रखते थे। वे लोगों को प्रेम करने के लिए प्रेरित तो करते थे लेकिन साथ ही यह कोशिश भी करते थे कि लोग उस प्यार को एक सही दिशा दे सकें जिससे वह उनके लिए लाभकारी हो सके। वह यह नहीं चाहते थे कि लोगों के मन में निराशा और ईष्र्या आए कि वे उन्हें पा नहीं सके। उनके जीवन में न जाने कितनी ही ऐसी स्थितियां आईं, जब उन्होंने एक स्त्री के स्नेह को ज्यादा सकारात्मक और उपयोगी बनाने के लिए उसे दूसरी दिशा देने की कोशिश की ताकि वह अपने प्रेम को मात्र एक शारीरिक इच्छा न समझे और खुद को एक उच्च संभावना में रूपांतरित कर सके। उनकी इस कोशिश का एक उदाहरण राजकुमारी रुक्मणि भी थीं।









जब भी रुक्मणि को किसी त्योहार या किसी उत्सव का बहाना मिलता तो वह कृष्ण की एक झलक पाने और उनसे बात करने की आस में मथुरा पहुंच जातीं। कृष्ण ने अपनी ओर उनके इस दृढ़ आकर्षण को महसूस किया था, लेकिन वह उनके इस प्रकार के प्रेम को बढ़ावा नहीं देना चाहते थे। वह जानते थे कि रुक्मणि एक राजकुमारी थीं, जबकि वो खुद कहीं के राजा नहीं थे। चूंकि रुक्मणि से विवाह का प्रश्न ही नहीं उठता था, इसलिए वह उनकी इस तरह की प्रेम भावना को और भडक़ाना नहीं चाहते थे। वह हमेशा उनके प्रेम की आग को शांत करने की कोशिश करते थे, लेकिन साथ ही वह उस प्रेम को पूरी तरह कुचलना भी नहीं चाहते थे। इसलिए रुक्मणि के इस प्रेम की ओर बस इतना ही ध्यान दिया कि उसे सही दिशा में मोड़ा जा सके। लेकिन रुक्मणि का निश्चय दृढ़ था।









जब कृष्ण के मित्र उद्धव विदर्भ आए तो रुक्मणि ने अपना निर्णय उन्हें बताते हुए कहा- ‘चाहे जो हो जाए, मैं केवल कृष्ण से ही विवाह करूंगी। अगर उन्होंने मुझसे शादी करने से मना किया तो मैं आग में कूदकर जान दे दूंगी।’ उधर रुक्मणि का भाई रुक्मी उनकी शादी चेदि के राजा शिशुपाल से कराना चाहता था, क्योंकि यह एक बहुत अच्छी संधि होती। रुक्मी की महत्वाकांक्षाएं बहुत बढ़ चुकी थीं। वह अपनी बहन रुक्मणि का विवाह शिशुपाल से कराकर एक बहुत महत्वपूर्ण गठबंधन बनाना चाहता था। खुद वह राजा जरासंध की पोती से विवाह करना चाहता था। चूंकि जरासंध बूढ़ा हो गया था, इसलिए रुक्मी ने अंदाजा लगाया कि अगर जरासंध अपने पूर्वजों की दुनिया में चला जाए तो आसपास के क्षेत्र में वही सबसे शक्तिशाली व्यक्ति होगा और इस तरह वह इस पूरे साम्राज्य का राजा बन जाएगा। उसकी इस मंशा को पूरा करने में रुक्मणि एक बहुत खास मोहरा साबित हो सकती थीं।









रुक्मणि को यह सब पता चल गया। वह उन लड़कियों में से नहीं थीं, जो महिला होने के नाते शांत रह जाएं। रुक्मणि ने इतनी तीव्रता के साथ अपनी बात रखी कि वे समझ ही नहीं पाए कि आखिर उनके साथ क्या किया जाए।









कई बार उनके भाई ने उन्हें जबरदस्ती झुकाने की सोची, लेकिन वह ऐसा करने की हिम्मत नहीं जुटा पाया क्योंकि रुक्मणि बहुत तेज स्वभाव की थीं। विदर्भ से लौटकर उद्धव ने कृष्ण को बताया कि रुक्मणि केवल आपसे ही विवाह करने की जिद पर अड़ी हुई हैं और अगर ऐसा नहीं हुआ तो वह खुद को खत्म कर लेंगी। उद्धव की यह बात सुनकर कृष्ण मुस्कुराए और बोले – ‘मैंने न जाने कितनी ही राजकुमारियों को यही कहते सुना है, लेकिन बाद में सबने किसी और से शादी कर ली, और अब वे सब खुशी-खुशी जी रही हैं। ऐसा कहना लड़कियों के लिए आम बात है लेकिन बाद में वे सभी अपने लिए योग्य वर से शादी करके उनके साथ आराम से रहने लगती हैं।









कृष्ण की बात सुनकर उद्धव बोले – ‘नहीं, वासुदेव तुम गलत समझ रहे हो। वो बहुत जिद्दी हैं और अपनी मर्जी की मालकिन हैं।’ इस पर कृष्ण ने पूछा, ‘इतनी दृढ़ संकल्प वाली महिला मुझ जैसे ग्वाले से विवाह क्यों करेगी भला? वह अपने लिए कोई सुंदर सा राजकुमार ढूंढ लें और उससे विवाह कर लें।’ लेकिन रुक्मणि ने अपना इरादा नहीं बदला और वह इस पर अड़ी रहीं।









जब कृष्ण और बलराम को जरासंध के आगमन को टालने और नगर को जलने से बचाने के लिए मथुरा छोडऩा पड़ रहा था तो रुक्मणि के दादा कैशिक ने उन दोनों को आसरा दिया था। ऐसा उन्होंने इसलिए किया, क्योंकि रुक्मणि ने उन्हें धमकी दी थी कि अगर उन्होंने उन दोनों जरूरतमंदों की मदद नहीं की तो वह उनके सामने ही अपनी जान दे देंगी। ऐसे में कैशिक के सामने इन दोनों लडक़ों को सहारा देने के अलावा और कोई चारा नहीं बचा था। कुछ समय बाद रुक्मणि के लिए एक स्वयंवर का आयोजन किया गया। स्वयंवर एक ऐसा आयोजन होता था, जिसमें राजकुमारी अपना मनपसंद वर चुन सकती थी। हालांकि यह स्वयंवर दिखावे के लिए किया गया था क्योंकि इसमें केवल उन्हीं राजाओं को आमंत्रित किया गया था, जो रुक्मणि के योग्य ही नहीं थे। सबकुछ पहले से तय था, क्योंकि किसी भी हालत में रुक्मणि की शादी शिशुपाल से होनी थी। यह सुनिश्चित करने के लिए खुद जरासंध भी वहां मौजूद था।




जब यह योजना बन रही रही थी, तो रुक्मणि ने अपने पिता और भाई से झगड़ा करके ये सब रोकने की हर संभव कोशिश की, लेकिन वे दोनों नहीं माने।