मंगलवार, 4 फ़रवरी 2014

पत्नी की शिकायत, 'मेरे पति की 6 और पत्नियां'

मध्यप्रदेश के भोपाल में रहने वाले 35 वर्षीय सैयद शहजाद अली की पत्नी ने पुलिस में शिकायत की कि उसके पति की 6 और पत्नियां हैं।
पति की शिकायत
महिला सेल में की गई पत्नी की शिकायत के मुताबिक वह अपने पति शहजाद से पहली बार तब मिली जब वह भोपाल के ऐशबाग इलाके में काम करता था।

शहजाद ने उससे कहा कि वह उससे प्यार करता है और और उन्होंने पिछली फरवरी में शादी कर ली।

 
भागकर की शादी

पत्नी के मुताबिक उसके परिवार के लोग इस शादी के खिलाफ थे लेकिन उसने अपने परिवार के खिलाफ जाकर घर से भागकर शादी की।

बाद में पत्नी को पता चला कि उनकी शादी कहीं रजिस्टर ही नहीं कराई गई थी।

और शादी के काफी समय बाद यह भी पता चला कि शहजाद ने इसी तरह 6 और शादियां कर रखी हैं और वह सभी फर्जी हैं।

पति की शिकायत
इस बीच पत्नी ने पुलिस में शिकायत की लेकिन पति के माफी मांग लेने के बाद उसने अपनी शिकायत वापस ले ली।

लेकिन कुछ महीनों पहले शहजाद अचानक गायब हो गया और कभी लौट कर नहीं आया।

जांच पड़ताल में यह बात सामने आई कि शहजाद ने जिन अन्य महिलाओं से फर्जी तरीके से शादी की थी उन्होंने भी पुलिस मे एफआईआर करा रखी है। इसी के साथ 6 में से कुछ 'पत्नियां' ऐसी भी हैं जो इस बारे में बात तक नहीं करना चाहती हैं।

मामला फिलहाल पुलिस में है और आरोपी की तलाश की जा रही है।

 

बाड़मेर फरार आरोपी को ढूंढ रही बारह थानो कि पुलिस

बाड़मेर इलाका छावनी में तब्दील

बाड़मेर फरार आरोपी को ढूंढ  रही बारह थानो कि पुलिस


बाड़मेर सरहदी जिला बाड़मेर जिला मुख्यालय से फास्ट ट्रैक अदालत से गत शनिवार को भगाए गए हत्या के आरोपी कैदी को बाड़मेर जिले के बारह थानो कि पुलिस तलास रही हें। इस तलास में बाड़मेर पुलिस ने बाड़मेर शहर और आसपास के ग्रामीण इलाको को छावनी में तब्दील कर हैझियारबन्द पुलिस जवानो को उसकी तलास में जुटा रखा हें। उल्लेखनीय हें कि गत शनिवार को पेशी पर फास्ट ट्रैक अदालत में लाये जा रहे हत्या के आरोपी कैदी को एक सोचे समझे उसके साथियो ने भरी कलेक्टर परिसर से भगा के ले गए। हालांकि एक दिन बाद पुलिस ने इस वारदात में शामिल कैदी कंवराराम जात के सहयोगी को भुरटिया से गिरफ्तार कर लिया। इस कि निशानदेही पर बाड़मेर पुलिस फरार कैदी को ढूंढने में पूरी ताकत लगा रही हें। मंगलवार को बाड़मेर जिले के बारह पुलिस थानो कि पुलिस और अधिकारी गाँव गाँव ढाणी धनि कंवराराम को तलाश रहे हें। मगर उसका कोई ठोश सुराग पुलिस के रहा। बाड़मेर पुलिस के जवानो ने बाड़मेर शहर और ग्रामीण इलाको में चप्पे चप्पे पर निगरानी शुरू कि हें।

जोदड़ो से प्राप्त कलाकृतियां वापस करे भारत: पाक


कराची। पाकिस्तान के सिंध प्रांत में चल रहे उत्सव ने उस समय एक नया मोड ले लिया जब सिंध सरकार ने पाकिस्तान सरकार से निवेदन किया कि वह विश्व के प्रसिद्ध प्राचीन स्थलों में से एक मोहन जोदड़ो से प्राप्त की गई नर्तकी की मूर्ति को भारत से जल्द लौटाने की मांग करें।

वर्ष 1946 से यह मूर्ति भारत के पास है । सिंध प्रांत के मंत्रीमंडल के मंत्री ने समाचार पत्र (डान) को बताया कि इस संबंध में उन्होंने पाकिस्तान सरकार से आग्रह किया है ।

मोहन जोदड़ो में हुई खुदाई से दो मूर्तियां प्राप्त हुई थी जिनमें एक राजा तथा एक महिला नर्तकी की मूर्ति है। अधिकारियों ने कहा कि वर्ष 1946 में भारत में संपन्न हुई प्रर्दशनी के दौरान ये मूर्तियां ब्रिटेन के पुरातत्वविद सर मोर्टिमर व्हीलर द्वारा भारत पहुंचाई गई थी लेकिन उसके बाद से वे वापस पाकिस्तान नहीं भेजी गई।

वर्ष 1947 में विभाजन के बाद भारत से पृथक होकर अलग देश के रूप में अस्तित्व में आए पाकिस्तान ने भारत से इन मूर्तियों समेत अन्य मूर्तियों को वापस भेजने का अनुरोध किया था। कुछ समय पहले एक पाकिस्तानी अधिकारी ने नई दिल्ली में नर्तकी तथा बुद्ध की मूर्ति को अपने साथ पाकिस्तान ले जाने की बात कही लेकिन भारत ने उन्हे ऎसा करने की अनुमति नहीं दी।

पुरातत्वविदों के अनुसार यूनेस्को की नियमावली 1972 के तहत इस प्रकार की ऎतिहासिक कला कृतियों पर उस देश का मालिकाना हक होगा जहां पर ये कला कृतियां पाई जाएंगी।

वसुंधरा शुरू करने जा रही हैं "नई पारी"

जयपुर। राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे जल्द ही प्रदेश में राजनीति महत्व की अपनी अगली यात्रा शुरू करने जा रही है। राजस्थान भाजपा में वसुंधरा राजे की ये "नई पारी" केन्द्र में नरेन्द्र मोदी की तस्वीर भी साफ करेगी।
उल्लेखनीय है कि भाजपा ने प्रदेश में चुनावी अभियान शुरू कर दिया है एक ओर जहां विभिन्न स्थानों पर नमो टी चौपाल के जरिए चर्चाएं आयोजित हो रही हैं। वहीं हर लोकसभा क्षेत्र में सुराज संकल्प रथ यात्रा निकालने की तैयारियां चल रही हैं। इसी के साथ महिला मोर्चा ने एक बार फिर से कमल मेहंदी अभियान चालू किया है।


लोकसभा चुनाव को लेकर भाजपा ने अभी से प्रदेश स्तर पर कई कार्यक्रम तैयार किए हैं। इसी के चलते मंडलों में सम्मेलन, लोकसभा क्षेत्र स्तर पर बैठकें करने की रणनीति तैयार की है।

उम्मीदवार चयन के लिए लोकसभा क्षेत्र के वरिष्ठ पदाधिकारी एवं विधायकों की बैठकों के कार्यक्रम भी बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा हर लोकसभा क्षेत्र में दो सुराज संकल्प का रथ रवाना किए जाएंगे। इनमें मोदी के विकास और राजे की सुराज की कल्पना के संबंध में प्रचार सामग्री होगी।

दूसरी ओर आम लोगों में पकड़ के लिए पूरे प्रदेश में मोदी टी चौपाल का आयोजन किया जा रहा है। प्रतिदिन प्रदेश के पचास स्थानों पर मोदी टी चौपाल हो रही हैं। इनमें भाजपाई लोगों से परिचर्चा कर रहे हैं।

भाजपा के प्रदेश महामंत्री सतीश पूनिया के मुताबिक, पार्टी ने 13 दिसंबर को आयोजित प्रदेशस्तर की बैठक में कार्यक्रम तय किए हैं। इन कार्यक्रमों के मुताबिक विभिन्न रथ यात्रा सहित अन्य कार्यक्रम आयोजित हो रहे हैं।

चाय नहीं पिलाने वाली बीवी को दिया तलाक

नई दिल्ली। चाय बनाने में देरी जैसी बात पर बीवी से रिश्ता टूट सकता है। रूड़की क्षेत्र के खंजरपुर गांव में ऎसा ही मामला सामने आया है। बीवी ने चाय बनाने में जरा देर क्या कर दी, नशेड़ी शौहर ने आपा खोकर तीन बार तलाक, तलाक, तलाक कह दिया। बीवी भी बिना देर किए मायके चली गई।
पुलिस के सामने यह मामला पहुंचने पर ससुराल पक्ष ने 15 दिन में मेहर और दहेज का सामान लौटाने का वादा किया है। लंढौरा क्षेत्र के भगवानपुर-चंदनपुर गांव निवासी की युवती का विवाह करीब आठ माह पहले हुआ था।

बताया गया कि नशे के आदी शौहर ने सुबह- सुबह पत्नी को चाय बनाने के लिए कहा। वह किसी और काम में बिजी थी, उसने थोड़ी देर में चाय बनाने की बात कही। इस पर आपा खो बैठे पति ने भला बुरा कहते हुए उसने तीन बार जोर से तलाक, तलाक, तलाक कह दिया।

यह सुनकर पत्नी सन्न रह गई। मामला इतना बढ़ा कि उन्होंने भी रिश्ता तोड़ने का फैसला कर लिया। जब विवाहिता मायके पहुंची तो घरवाले उसे लेकर कोतवाली पहुंचे और मेहर की रकम और दहेज वापस दिलाने की मांग की।

मानवेन्द्र सिंह गुरूवार से चौहटन क्षैत्र के दौरे पर

मानवेन्द्र सिंह गुरूवार से चौहटन क्षैत्र के दौरे पर
बाड़मेर:-4 फरवरी  क्षैत्रीय विधायक एंव भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय कार्यकारी सदस्य मानवेन्द्र सिंह आज से बाड़मेर जिले के विभिन्न गांवों को दोैरा कर ग्रामीणों की जनसमस्या सुनुगें।

विधायक मानवेन्द्र सिंह के निजी सचिव रामसिंह ने बताया कि विधायक मानवेन्द्र सिंह 6 फरवरी कों 11 बजे गंगाला, 12बजे उपरला, 2बजे धारासर, 3बजे रतासर,4बजे नवातला एंव 5.30बजे देदूसर में आम ग्रामीणो से रूबरू होकर जन समस्या सुनेगें एंव ग्रामीणो को धन्यवाद देगें। विधायक 7फरवरी को बाड़मेर शहर में सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेेगें ।उसके बाद 12बजे आकली,2बजे कोटडा, 3बजे बीसू, 4बजे धारवी एंव 5बजे राजडाल में ग्रामीणो से रूबरू होगें । विधायक 8फरवरी को 11बजे बबुगुलेरिया, 11.30बजे कटंल का पार,1बजे पांधी का पार, 2बजे बीण्डे का पार, 3बजे पादरिया,5बजे बूठिया में ग्रामीणो से रूबरू होगें । 9फरवरी को विधायक 11बजे सेलाउ 2बजे हरसाणी में उसके बाद साय 4बजे बाउ़मेर मुख्यालय पर राजपूत हास्टल के वार्षिक उत्सव में भाग लेगें 6बजे राजकिय उच्च माध्यमिक विधालय स्टेशन रोड़ बाड़मेर में बास्केट बांल के कार्यक्रम में भाग लेेगें ।

भारतीय वायुसेना में ग्रुप 'एक्स ;तकनीकीद्ध ट्रेड हेतु वायुसैनिकों की भर्ती


भारतीय वायुसेना में ग्रुप 'एक्स ;तकनीकीद्ध ट्रेड हेतु वायुसैनिकों की भर्ती


भारतीय वायुसेना में ग्रुप 'एक्स ;तकनीकीद्ध ट्रेड हेतु वायुसैनिकों की भर्ती के लिए भारतीय अविवाहित पुरूष नागरिकों से आवेदन पत्र आमंत्रित किए गए हैं। ;नेपाल के नागरिक भी इस हेतु आवेदन कर सकते हैंद्ध प्रत्याशी ने न्यूनतम 50 प्रतिशत कुल अंकों सहित गणित, भौतिकी और अंगे्रजी विषयों के साथ इंटरमीडिएट 10+2समकक्ष परीक्षा उत्तीर्ण की हो एवं अंग्र्रेजी में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों या किसी सरकारी मान्यता प्राप्त पालिटेकिनक संस्थान से इंजीनियरिंग ;मैकेनिकल इलैकिट्रकल इलैक्ट्रानिक्स आटोमोबाइल कम्प्यूटर विज्ञान इंस्ट्रूमेंटेशन प्रौधोगिकी सूचना प्रौधोगिकीद्ध से तीन वर्ष का डिप्लोमा कोर्स न्यूनतम 50 प्रतिशत अंकों के साथ उत्तीर्ण किया हो एवं अंग्रेजी विषय में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों, यदि डिप्लोमा कोर्स में अंग्रेजी एक विषय के रूप में नहीं पढ़ी हो तो इण्टरमीडिएट मैटि्रक में अंग्रेजी विषय में 50 प्रतिशत अंक प्राप्त किए हों। प्रत्याशी का जन्म 01 फरवरी 1994 से 30 नवम्बर 1997 ;दोनों दिन मिलाकरद्ध के बीच हुआ हो, वे इस हेतु आवेदन कर सकते हैं। उक्त भर्ती हेतु चयन परीक्षा जून 2014 में आयोजित होगी। इस हेतु आवेदन प़त्र 17 फरवरी 2014 तक केन्द्रीय वायुसैनिक चयन बोर्ड, नर्इ दिल्ली पहुंच जाने चाहिए। भर्ती हेतु पात्रता एवं फार्म संबंधी विस्तृत जानकारी के लिए कृपया 01 फरवरी 2014 का 'एम्प्लायमेंट न्यूज रोजगार समाचार अथवा भारतीय वायुसेना की वेबसाइटूूूwww.indiaairforce.nic.in देखें।

प्लेसमेंट के नाम पर नशा और सेक्स

नई दिल्ली। तीन युगांडाई महिलाओं ने मंगलवार को दिल्ली पुलिस के सामने राज खोला है कि यहां नौकरी दिलाने का झांसा देकर प्लेसमेंट एजेंसी ने उन्हें सेक्स और नशे के दलदल में फंसा दिया। गौरतलब है कि दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने दिल्ली में मध्य रात्रि दौरान खिड़की एक्सटेंशन पर छापा मार था। इस मुद्दे को लेकर उनकी पुलिस अधिकारियों से भी तू-तू-मैं-मैं हुई थी। विवाद भी उत्पन्न हुआ था।
इन युगांडाई महिलाओं ने पुलिस उपायुक्त (दक्षिण और दक्षिणपूर्व) नीला मोहन के पास शिकायत दर्ज कराई है। उन्होंने कहा है कि इस तरह की कई प्लेसमेंट एजेंसियां दिल्ली में और आसपास संचालित हो रही हैं।

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि शिकायत पर पुलिस ने साकेत जिला अदालत से आदेश हासिल करने के बाद मंगलवार को महिलाओं के बयान कलमबंद किए हैं। तीनों महिलाओं ने यह भी कहा कि सोमनाथ भारती की छापेमारी के बाद कुछ लोगों ने उन पर पुलिस में मामला दर्ज कराने का दबाव दिया था।

उल्लेखनीय है कि दिल्ली के कानून मंत्री सोमनाथ भारती ने खिड़की एक्सटेंशन में स्थानीय लोगों की शिकायत पर छापेमारी की थी। इस छापे के दौरान पुलिस के असहयोगी रवैए के खिलाफ दिल्ली की आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार ने धरना दिया और छापे में कथित रूप से ज्यादती की शिकार बनी युगांडाई महिलाओं ने अदालत में मंत्री के साथ आए लोगों के खिलाफ शिकायत दर्ज कराई।

शिकायत दर्ज होने के बाद दिल्ली की आप सरकार और कानून मंत्री सोमनाथ सभी विपक्षी दलों के निशाने पर रहे। इतना ही नहीं, दिल्ली महिला आयोग के साथ भी दिल्ली सरकार का टकराव हुआ।

यौन हमले के बाद मर्डर, 2 भारतीय अरेस्ट

वेनिस। वेनिस के लिबो द्वीप पर एक ईरानी महिला पर यौन हमले और फिर उसकी हत्या के आरोप में एक भारतीय युगल की गिरफ्तारी हुई है। इस युग पर आरोप है कि ईरानी महिला अहदसावोजी की हत्या करने के बाद उसके शव को एक सूटकेस में रखकर नहर में फेंक दिया था।
गिरफ्तार होने वाले भारतीय मूल के राजेश्वर सिंह (29) और गगनदीप कौर (30) मिलान के एक अपार्टमेंट में मृतक महफाब अहदसावोजी (30) के साथ रहते थे।

पुलिस की माने तो भारतीय युगल ने पहले तो मर्डर के आरोपों को खारिज कर दिया था लेकिन जब सीसीटीवी फुटेज में पोल खुलती दिखी तो अपराध स्वीकार कर लिया है।


यौन हमले का किया था विरोध

मिलान पुलिस के अनुसार ईरानी महिला अहदसावोजी वहां एकेडमी ऑफ फाइन आर्ट्स ऑफ बेरिया में दो महीने का स्पेशल कोर्स करने पहुंची थी। वह भारतीय युगल के साथ एक अपार्टमेंअ में रह रही थी। एक न्यूज ऎजेंसी के अनुसार राजेश्वर ने अहदसावोजी पर यौन हमला किया था जिसका विरोध करने पर उसकी हत्या कर दी गई।

7वां वेतन आयोग गठित, माथुर अध्यक्ष

नई दिल्ली। केन्द्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारियों, अधिकारियों के नए वेतनमान तय करने के लिए गठित 7वें वेतन आयोग के अध्यक्ष सुप्रीमकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश अशोक कुमार माथुर को बनाया गया है।
प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने न्यायाधीश माथुर के नाम को स्वीकृति दे दी है। तेल एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय में सचिव विवेक राय इसके पूर्णकालिक सदस्य होंगे।

वित्त मंत्रालय की तरफ से जारी बयान में मंगलवार को इसकी जानकारी देते हुए कहा गया है कि एनआईपीएफपी निदेशक राथिन राय इसके अंशकालिक सदस्य होंगे। व्यय विभाग में विशेष कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी (ओएसडी) मीना अग्रवाल आयोग की सचिव होंगी।

सरकार ने सितम्बर 2013 में सातवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दी थी। आयोग को दो साल के भीतर अपनी रिपोर्ट सौंपनी है।

आयोग की रिपोर्ट एक जनवरी 2016 से क्रियान्वित की जाएंगी। केन्द्र सरकार के 50 लाख से अधिक कर्मचारी और अधिकारी आयोग की सिफारिशों से लाभान्वित होंगे।

इनमें रक्षा और रेलवे विभाग के कर्मचारी भी शामिल हैं। तीस लाख पेंशनभोगियों को भी आयोग की सिफारिशों का लाभ मिलेगा। सरकार अमूनन हर दस वर्ष के बाद वेतन आयोग का गठन करती है। छठा वेतन आयोग एक जनवरी 2006 से लागू हुआ था।

एमबीबीएस का पेपर भी आउट

जयपुर। राजस्थान मेडिकल यूनिवर्सिटी की ओर से सोमवार को हुई एमबीबीएस तृतीय भाग द्वितीय (मुख्य) परीक्षा का ऑब्सट्रेटिक्स एंड गायनोकोलोजी के अधिकांश प्रश्न परीक्षा से पहले ही छात्रों के हाथों में आ गए थे। छात्रों का कहना है विवि की इन ज्यादातर परीक्षाओं में ऎसे पेपर 2-4000 रूपए में बेचे जा रहे हैं। एमबीबीएस का पेपर भी आउट
एक छात्र ने परीक्षा खत्म होने से करीब सवा घंटे पहले ही यह पेपर राजस्थान पत्रिका को पहुंचा दिया था, जिससे मूल पेपर के 80 फीसदी से ज्यादा प्रश्न मेल खा रहे थे। परीक्षा सुबह 9 से दोपहर 12 बजे तक थी। कई छात्रों का कहना है, पेपर तड़के 3 बजे ही उनके हाथ में था। एक दिन पहले ही डिस्कॉम परीक्षा का पेपर आउट हुआ था।

40 में से 30 पक्के

पेपर 40 नंबर का था। राजस्थान पत्रिका ने परीक्षा से पहले मिले प्रश्नों और मूल पेपर का मिलान किया तो 30 से ज्यादा नंबर के प्रश्न पेपर में थे।

किसी छात्र ने परीक्षा के दौरान टॉयलेट में जाकर मोबाइल से फोटो खींच प्रश्न बाहर भेज दिए होंगे। पेपर आउट नहीं हुआ।विनोद बिहाणी, परीक्षा नियंत्रक, आरयूएचएस

नियमानुसार कोई छात्र परीक्षा के बीच में मोबाइल लेकर बाहर निकल ही नहीं सकता। फिर यह कैसे हो गया...?

रिश्ते के भाई ने ही लूट ली इज्जत

सतना। एक कलियुगी भाई ने अपनी ही रिश्ते की नाबालिग बहन को हवस का शिकार बना दिया। इतना ही नहीं उसने किशोरी को तरह-तरह से गुमराह भी किया। पुलिस आरोपी युवक को गिरफ्तार कर मामले की जांच कर रही है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक मध्यप्रदेश के सतना जिले के कोलगवां थाना क्षेत्र के ग्राम शिवपुरवा से लापता एक किशोरी को पुलिस ने पीथमपुर से बरामद करने के साथ ही एक युवक को गिरफ्तार किया है।

पुलिस के अनुसार 21 नबंवर से लापता इस किशोरी को रविवार को पीथमपुर से बरामद किया गया था । बताया गया कि रिश्ते का भाई लगने वाला आरोपी युवक किशोरी को गुमराह कर पीथमपुर ले गया और उसके साथ दुष्कर्म करता रहा।

पुलिस ने आरोपी युवक को सोमवार को न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया।

मोटरसाइकिलों की भिड़ंत में दो मरे, एक घायल

नोख। जैसलमेर जिले के नोख थाना क्षेत्र में सोमवार को दो मोटरसाइकिलों की आमने सामने हुई भिड़ंत में दो जनों की मौत हो गई और एक व्यक्ति गंभीर रूप से घायल हो गया।
प्रत्यक्षदर्शियों के अनुसार नोख से करीब आठ किमी दूर बीमकपुर सड़क मार्ग पर मोटरसाइकिलें आमने सामने टकरा गई, जिसमें नोख निवासी अमराराम पुत्र सुरजाराम सुथार, मगसिंह पुत्र भंवरसिंह निवासी भुरासर बीकानेर व गोविन्दसिंह पुत्र मानसिंह निवासी भूरासर गंभीर रूप से घायल हो गए, जिन्हें नोख पीएचसी लाया गया। वहां से उन्हें बाप सीएचसी रेफर किया गया। बाप ले जाते बीच रास्ते में अमराराम व मगसिंह ने दम तोड़ दिया, वहीं गंभीर रूप से घायल गोविन्दसिंह को अस्पताल में भर्ती करवाया गया।

इन्द्रा ने खुद के खिलाफ कार्रवाई को बताया गलत

जोधपुर।एएनएम भंवरी देवी अपहरण व हत्या के मामले में फरार चल रही आरोपी इन्द्रा विश्नोई ने अपर मुख्य महानगर मजिस्ट्रेट (सीबीआई मामलात) द्वारा उनके खिलाफ जारी गैरजमानती वारंट व सम्पत्ति कुर्की के आदेश को विधिविरूद्ध बताते हुए प्रार्थना पत्र पेश किया है।

इन्द्रा विश्नोई की ओर से पेश प्रार्थना पत्र में कहा गया कि दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 25 के तहत मजिस्ट्रेट की कोर्ट में राज्य सरकार सहायक लोक अभियोजक की ही नियुक्ति कर सकती है। इस मामले में सीबीआई की ओर से वरिष्ठ लोक अभियोजक व विशिष्ट लोक अभियोजक ने पैरवी की है, जो कि अनुचित है। लिहाजा उनके खिलाफ की गई समस्त कार्रवाई विधिविरूद्ध है।

इस प्रार्थना पत्र पर सीबीआई की ओर से 18 फरवरी को जवाब पेश किया जाएगा। उधर, इन्द्रा की ओर से हाईकोर्ट में दायर आपराधिक याचिका पर सुनवाई टल गई है। इन्द्रा ने इस याचिका में सीबीआई की चार्जशीट को चुनौती दी है।

बसंत पंचमी प्रसिद्ध भारतीय त्योहार विद्या की देवी सरस्वती की पूजा





बसंत पंचमी प्रसिद्ध भारतीय त्योहार है। इस दिन विद्या की देवी सरस्वती की पूजा की जाती है। यह पूजा सम्पूर्ण भारत में बड़े उल्लास के साथ की जाती है। इस दिन स्त्रियाँ पीले वस्त्र धारण करती हैं। बसंत पंचमी के पर्व से ही 'बसंत ऋतु' का आगमन होता है। शांत, ठंडी, मंद वायु, कटु शीत का स्थान ले लेती है तथा सब को नवप्राण व उत्साह से स्पर्श करती है। पत्रपटल तथा पुष्प खिल उठते हैं। स्त्रियाँ पीले-वस्त्र पहन, बसंत पंचमी के इस दिन के सौन्दर्य को और भी अधिक बढ़ा देती हैं। लोकप्रिय खेल पतंगबाज़ी, बसंत पंचमी से ही जुड़ा है। यह विद्यार्थियों का भी दिन है, इस दिन विद्या की अधिष्ठात्री देवी माँ सरस्वती की पूजा आराधना भी की जाती है।
बसंत का अर्थ

बसंत ऋतु तथा पंचमी का अर्थ है- शुक्ल पक्ष का पाँचवां दिन अंग्रेज़ी कलेंडर के अनुसार यह पर्व जनवरी-फ़रवरी तथा हिन्दू तिथि के अनुसार माघ के महीने में मनाया जाता है।


बसंत ऋतु

बसंत को ऋतुओं का राजा अर्थात सर्वश्रेष्ठ ऋतु माना गया है। इस समय पंचतत्त्व अपना प्रकोप छोड़कर सुहावने रूप में प्रकट होते हैं। पंच-तत्त्व- जल, वायु, धरती, आकाश और अग्नि सभी अपना मोहक रूप दिखाते हैं।

सरसों का फूल

आकाश स्वच्छ है, वायु सुहावनी है, अग्नि (सूर्य) रुचिकर है तो जल पीयूष के समान सुखदाता और धरती, उसका तो कहना ही क्या वह तो मानो साकार सौंदर्य का दर्शन कराने वाली प्रतीत होती है। ठंड से ठिठुरे विहंग अब उड़ने का बहाना ढूंढते हैं तो किसान लहलहाती जौ की बालियों और सरसों के फूलों को देखकर नहीं अघाते। धनी जहाँ प्रकृति के नव-सौंदर्य को देखने की लालसा प्रकट करने लगते हैं तो वहीं निर्धन शिशिर की प्रताड़ना से मुक्त होने पर सुख की अनुभूति करने लगते हैं। सच! प्रकृति तो मानो उन्मादी हो जाती है। हो भी क्यों ना! पुनर्जन्म जो हो जाता है। श्रावण की पनपी हरियाली शरद के बाद हेमन्त और शिशिर में वृद्धा के समान हो जाती है, तब बसंत उसका सौन्दर्य लौटा देता है। नवगात, नवपल्लव, नवकुसुम के साथ नवगंध का उपहार देकर विलक्षण बना देता है।

 पौराणिक इतिहास

विष्णुधर्मोत्तर पुराण में वाग्देवी को चार भुजा युक्त व आभूषणों से सुसज्जित दर्शाया गया है। स्कंद पुराण में सरस्वती जटा-जुटयुक्त, अर्धचन्द्र मस्तक पर धारण किए, कमलासन पर सुशोभित, नील ग्रीवा वाली एवं तीन नेत्रों वाली कही गई हैं। रूप मंडन में वाग्देवी का शांत, सौभ्य व शास्त्रोक्त वर्णन मिलता है। संपूर्ण संस्कृति की देवी के रूप में दूध के समान श्वेत रंग वाली सरस्वती के रूप को अधिक महत्त्वपूर्ण माना गया है। बसंत पर्व का आरंभ बसंत पंचमी से होता है। इसी दिन श्री अर्थात विद्या की अधिष्ठात्री देवी महासरस्वती का जन्मदिन मनाया जाता है। सरस्वती ने अपने चातुर्य से देवों को राक्षसराज कुंभकर्ण से कैसे बचाया, इसकी एक मनोरम कथा वाल्मिकी रामायण के उत्तरकांड में आती है। कहते हैं देवी वर प्राप्त करने के लिए कुंभकर्ण ने दस हज़ार वर्षों तक गोवर्ण में घोर तपस्या की। जब ब्रह्मा वर देने को तैयार हुए तो देवों ने कहा कि यह राक्षस पहले से ही है, वर पाने के बाद तो और भी उन्मत्त हो जाएगा तब ब्रह्मा ने सरस्वती का स्मरण किया। सरस्वती राक्षस की जीभ पर सवार हुईं। सरस्वती के प्रभाव से कुंभकर्ण ने ब्रह्मा से कहा- स्वप्न वर्षाव्यनेकानि। देव देव ममाप्सिनम। यानी मैं कई वर्षों तक सोता रहूँ, यही मेरी इच्छा है।


सरस्वती पूजन एवं ज्ञान का महापर्व

सरस्वती देवी

ब्राह्मण-ग्रंथों के अनुसार वाग्देवी सरस्वती ब्रह्मस्वरूपा, कामधेनु तथा समस्त देवों की प्रतिनिधि हैं। ये ही विद्या, बुद्धि और ज्ञान की देवी हैं। अमित तेजस्विनी व अनंत गुणशालिनी देवी सरस्वती की पूजा-आराधना के लिए माघमास की पंचमी तिथि निर्धारित की गयी है। बसंत पंचमी को इनका आविर्भाव दिवस माना जाता है। अतः वागीश्वरी जयंती व श्रीपंचमी नाम से भी यह तिथि प्रसिद्ध है। ऋग्वेद के 10/125 सूक्त में सरस्वती देवी के असीम प्रभाव व महिमा का वर्णन है। माँ सरस्वती विद्या व ज्ञान की अधिष्ठात्री हैं। कहते हैं जिनकी जिव्हा पर सरस्वती देवी का वास होता है, वे अत्यंत ही विद्वान व कुशाग्र बुद्धि होते हैं। बहुत लोग अपना ईष्ट माँ सरस्वती को मानकर उनकी पूजा-आराधना करते हैं। जिन पर सरस्वती की कृपा होती है, वे ज्ञानी और विद्या के धनी होते हैं। बसंत पंचमी का दिन सरस्वती जी की साधना को ही अर्पित है। शास्त्रों में भगवती सरस्वती की आराधना व्यक्तिगत रूप में करने का विधान है, किंतु आजकल सार्वजनिक पूजा-पाण्डालों में देवी सरस्वती की मूर्ति स्थापित कर पूजा करने का विधान चल निकला है। यह ज्ञान का त्योहार है, फलतः इस दिन प्रायः शिक्षण संस्थानों व विद्यालयों में अवकाश होता है। विद्यार्थी पूजा स्थान को सजाने-संवारने का प्रबन्ध करते हैं। महोत्सव के कुछ सप्ताह पूर्व ही, विद्यालय विभिन्न प्रकार के वार्षिक समारोह मनाना प्रारंभ कर देते हैं। संगीत, वाद- विवाद, खेल- कूद प्रतियोगिताएँ एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किये जाते हैं। बसंत पंचमी के दिन ही विजेयताओं को पुरस्कार बांटे जाते हैं। माता-पिता तथा समुदाय के अन्य लोग भी बच्चों को उत्साहित करने इन समारोहों में आते हैं। समारोह का आरम्भ और समापन सरस्वती वन्दना से होता है। प्रार्थना के भाव हैं-


ओ माँ सरस्वती ! मेरे मस्तिष्क से अंधेरे (अज्ञान) को हटा दो तथा मुझे शाश्वत ज्ञान का आशीर्वाद दो!

 नवीन कार्यों के लिए शुभ दिन



बसंत पंचमी को सभी शुभ कार्यों के लिए अत्यंत शुभ मुहूर्त माना गया है। मुख्यतः विद्यारंभ, नवीन विद्या प्राप्ति एवं गृह प्रवेश के लिए बसंत पंचमी को पुराणों में भी अत्यंत श्रेयस्कर माना गया है। बसंत पंचमी को अत्यंत शुभ मुहूर्त मानने के पीछे अनेक कारण हैं। यह पर्व अधिकतर माघ मास में ही पड़ता है। माघ मास का भी धार्मिक एवं आध्यात्मिक दृष्टि से विशेष महत्व है। इस माह में पवित्र तीर्थों में स्नान करने का विशेष महत्व बताया गया है। दूसरे इस समय सूर्यदेव भी उत्तरायण होते हैं। पुराणों में उल्लेख मिलता है कि देवताओं का एक अहोरात्र (दिन-रात) मनुष्यों के एक वर्ष के बराबर होता है, अर्थात उत्तरायण देवताओं का दिन तथा दक्षिणायन रात्रि कही जाती है। सूर्य की क्रांति 22 दिसम्बर को अधिकतम हो जाती है और यहीं से सूर्य उत्तरायण शनि हो जाते हैं। 14 जनवरी को सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं और अगले 6 माह तक उत्तरायण रहते हैं। सूर्य का मकर से मिथुन राशियों के बीच भ्रमण उत्तरायण कहलाता है। देवताओं का दिन माघ के महीने में मकर संक्रांति से प्रारंभ होकर आषाढ़ मास तक चलता है। तत्पश्चात आषाढ़ मास में शुक्ल पक्ष की एकादशी से कार्तिक मास शुक्ल पक्ष एकादशी तक का समय भगवान विष्णु का निद्रा काल अथवा शयन काल माना जाता है। इस समय सूर्यदेव कर्क से धनु राशियों के बीच भ्रमण करते हैं, जिसे सूर्य का दक्षिणायन काल भी कहते हैं। सामान्यतः इस काल में शुभ कार्यों को वर्जित बताया गया है। चूंकि बसंत पंचमी का पर्व इतने शुभ समय में पड़ता है, अतः इस पर्व का स्वतः ही आध्यात्मिक, धार्मिक, वैदिक आदि सभी दृष्टियों से अति विशिष्ट महत्व परिलक्षित होता है।[1]


ज्योतिषीय दृष्टिकोण सरसों का फूल

ज्योतिषीय दृष्टि से सूर्य को ब्रह्माण्ड की आत्मा, पद, प्रतिष्ठा, भौतिक समृद्धि, औषधि तथा ज्ञान और बुद्धि का कारक ग्रह माना गया है। इसी प्रकार पंचमी तिथि किसी न किसी देवता को समर्पित है। बसंत पंचमी को मुख्यतः सरस्वती पूजन के निमित्त ही माना गया है। इस ऋतु में प्रकृति को ईश्वर प्रदत्त वरदान खेतों में हरियाली एवं पौधों एवं वृक्षों पर पल्लवित पुष्पों एवं फलों के रूप में स्पष्ट देखा जा सकता है। सरस्वती का जैसा शुभ श्वेत, धवल रूप वेदों में वर्णित किया गया है, वह इस प्रकार है-

"या कुन्देन्दु-तुषार-हार धवला या शुभ्रवस्त्रावृता, या वीणा-वर दण्डमण्डित करा या श्वेत पद्मासना। या ब्रह्मा-च्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता, सा मां पातु सरस्वती भगवती निः शेषजाडयापहा।"

अर्थात "देवी सरस्वती शीतल चंद्रमा की किरणों से गिरती हुई ओस की बूंदों के श्वेत हार से सुसज्जित, शुभ वस्त्रों से आवृत, हाथों में वीणा धारण किये हुए वर मुद्रा में अति श्वेत कमल रूपी आसन पर विराजमान हैं। शारदा देवी ब्रह्मा, शंकर, अच्युत आदि देवताओं द्वारा भी सदा ही वन्दनीय हैं। ऐसी देवी सरस्वती हमारी बुद्धि की जड़ता को नष्ट करके हमें तीक्ष्ण बुद्धि एवं कुशाग्र मेधा से युक्त करें।"



मत्स्यपुराण का उल्लेख  मत्स्य पुराण
सरस्वती देवी के इसी रूप एवं सौंदर्य का एक प्रसंग मत्स्यपुराण में भी आया है, जो लोकपूजित पितामह ब्रह्मा के चतुर्मुख होने का कारण भी दर्शाता है। जब ब्रह्मा जी ने जगत की सृष्टि करने की इच्छा से हृदय में सावित्री का ध्यान करके तप प्रारंभ किया, उस समय उनका निष्पाप शरीर दो भागों में विभक्त हो गया। इसमें आधा भाग स्त्री और आधा भाग पुरुष रूप हो गया। वह स्त्री सरस्वती, ‘शतरूपा’ नाम से विख्यात हुई। वही सावित्री, गायत्री और ब्रह्माणी भी कही जाती है। इस प्रकार अपने शरीर से उत्पन्न सावित्री को देखकर ब्रह्मा जी मुग्ध हो उठे और यों कहने लगे- "कैसा सौंदर्यशाली रूप है, कैसा मनोहर रूप है"। तदनतर सुंदरी सावित्री ने ब्रह्मा की प्रदक्षिणा की, इसी सावित्री के रूप का अवलोकन करने की इच्छा होने के कारण ब्रह्मा के मुख के दाहिने पार्श्र्व में एक नूतन मुख प्रकट हो गया पुनः विस्मय युक्त एवं फड़कते हुए होठों वाला तीसरा मुख पीछे की ओर उद्भूत हुआ तथा उनके बाईं ओर कामदेव के बाणों से व्यथित एक मुख का आविर्भाव हुआ। अतः स्पष्ट है कि ऐसी शुभ, पवित्र तथा सौंदर्यशाली देवी अति धवल रूप सरस्वती देवी की उपासना भी तभी पूर्णतया फलीभूत हो सकती है, जब उसके लिए स्वयं ईश्वर तथा प्रकृति ऐसा पवित्र एवं शांत वातावरण निर्मित करें, जबकि हम अपने मन को पूर्णतया निर्मल एवं शांत बनाकर पूर्ण रूपेण देवी की उपासना में लीन कर दें एवं नैसर्गिक पवित्र वातावरण में रहकर मन, वचन एवं कर्म से पूर्ण निष्ठा एवं भक्ति से शारदा देवी की उपासना करें एवं उनकी कृपा दृष्टि के पूर्ण अधिकारी बन जाएं।

सरस्वती व्रत का विधान और फल


बसंत पंचमी के दिन सरस्वती पूजन और व्रत करने से वाणी मधुर होती है, स्मरण शक्ति तीव्र होती है, प्राणियों को सौभाग्य प्राप्त होता है, विद्या में कुशलता प्राप्त होती है। पति-पत्नी और बंधुजनों का कभी वियोग नहीं होता है तथा दीर्घायु एवं निरोगता प्राप्त होती है। इस दिन भक्तिपूर्वक ब्राह्मण के द्वारा स्वस्ति वाचन कराकर गंध, अक्षत, श्वेत पुष्प माला, श्वेत वस्त्रादि उपचारों से वीणा, अक्षमाला, कमण्डल, तथा पुस्तक धारण की हुई सभी अलंकारों से अलंकृत भगवती गायत्री का पूजन करें। फिर इस प्रकार हाथ जोड़कर मंत्रोच्चार करें-


"यथा वु देवि भगवान ब्रह्मा लोकपितामहः।

त्वां परित्यज्य नो तिष्ठंन, तथा भव वरप्रदा।।

वेद शास्त्राणि सर्वाणि नृत्य गीतादिकं चरेत्।

वादितं यत् त्वया देवि तथा मे सन्तुसिद्धयः।।

लक्ष्मीर्वेदवरा रिष्टिर्गौरी तुष्टिः प्रभामतिः।

एताभिः परिहत्तनुरिष्टाभिर्मा सरस्वति।।
महालक्ष्मी देवी
अर्थात् "देवि! जिस प्रकार लोकपितामह ब्रह्मा आपका कभी परित्याग नहीं करते, उसी प्रकार आप भी हमें वर दीजिए कि हमारा भी कभी अपने परिवार के लोगों से वियोग न हो। हे देवि! वेदादि सम्पूर्ण शास्त्र तथा नृत्य गीतादि जो भी विद्याएँ हैं, वे सभी आपके अधिष्ठान में ही रहती हैं, वे सभी मुझे प्राप्त हों। हे भगवती सरस्वती देवि! आप अपनी- लक्ष्मी, मेधा, वरारिष्टि, गौरी, तुष्टि, प्रभा तथा मति- इन आठ मूर्तियों के द्वारा मेरी रक्षा करें।"

उपरोक्त विधि से पूजन कर मौन होकर भोजन करना चाहिए। प्रत्येक मास की पंचमी को सुवासिनी स्त्रियों का भी पूजन करें, उन्हें यथाशक्ति तिल, चावल, दुग्ध व घृत पात्र प्रदान करें और 'गायत्री में प्रीयताम्' ऐसा बोलें। इस प्रकार वर्ष भर व्रत करें। व्रत की समाप्ति पर ब्राह्मण को चावलों से भरा पात्र, श्वेत वस्त्र, श्वेत चंदन, घंटा, अन्न आदि पदार्थ भी दान करें। यदि हो तो अपने गुरु देव का भी वस्त्र, धन, धान्य और माला आदि से पूजन करें। इस विधि से जो भी सरस्वती पूजन करता है वह विद्वान, धनी और मधुर वाणी से युक्त हो जाता है। भगवती सरस्वती की कृपा से उसे महर्षि वेदव्यास के समान ज्ञान प्राप्त हो जाता है। स्त्रियाँ यदि इस प्रकार सरस्वती पूजन करती हैं तो उनका अपने पति से कभी वियोग नहीं होता।


घरों में बसंत महोत्सव  
लड्डू

पूजा कक्ष को अच्छी तरह साफ़ किया जाता है, तथा सरस्वती देवी की प्रतिमा को पीले फूलों से सजे लकड़ी के मंडप पर रखा जाता है। मूर्ति को भी पीत पुष्पों से सजाया जाता है। एवं पीत परिधान पहनाये जाते हैं। पीला रंग हिन्दुओं का शुभ रंग है। इसी प्रतिमा के निकट गणेश का चित्र या प्रतिमा भी स्थापित की जाती है। परिवार के सभी सदस्य तथा पूजा में सम्मिलित होने वाले सभी व्यक्ति भी पीले वस्त्र धारण करते हैं। बच्चे वयस्क देवी को प्रणाम करते हैं। बेर व संगरी प्रसाद की मुख्य वस्तुएँ हैं तथा इन्हीं के साथ पीली बर्फी या बेसन लड्डू भी रखे जाते हैं। प्रसाद की थाली में नारियल व पान के पत्र भी रखे जाते हैं। बसंत पंचमी, बसंत ऋतु के प्रादुर्भाव की भी तिथि है अर्थात इसी दिन ऋतुराज बसंत का पृथ्वी पर प्रादुर्भाव हुआ था। साथ ही इसी दिन काम के देवता अनंग का भी आविर्भाव हुआ था। यानी कि इस दिन सम्पूर्ण प्रकृति में एक मादक उल्लास व आनन्द की सृष्टि हुई थी। वह मादक उल्लास व आनन्द की अनुभूति अब भी ज्यों की त्यों है, और बसंत पंचमी के दिन यह फूट पड़ती है। पीला रंग परिपक्वता का प्रतीक है।


बसंतोत्सव और पीला रंग

बसंत पंचमी का आनंद उठाते लोग

यह रंग हिन्दुओं का शुभ रंग है। बसंत पंचमी पर न केवल पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, अपितु खाद्य पदार्थों में भी पीले चावल पीले लड्डू व केसर युक्त खीर का उपयोग किया जाता है, जिसे बच्चे तथा बड़े-बूढ़े सभी पसंद करते हैं। अतः इस दिन सब कुछ पीला दिखाई देता है और प्रकृति खेतों को पीले-सुनहरे रंग से सज़ा देती है, तो दूसरी ओर घर-घर में लोग के परिधान भी पीले दृष्टिगोचर होते हैं। नवयुवक-युवती एक -दूसरे के माथे पर चंदन या हल्दी का तिलक लगाकर पूजा समारोह आरम्भ करते हैं। तब सभी लोग अपने दाएं हाथ की तीसरी उंगली में हल्दी, चंदन व रोली के मिश्रण को माँ सरस्वती के चरणों एवं मस्तक पर लगाते हैं, और जलार्पण करते हैं। धान व फलों को मूर्तियों पर बरसाया जाता है। गृहलक्ष्मी बेर, संगरी, लड्डू इत्यादि बांटती है। प्रायः बसंत पंचमी के दिन पूजा समारोह विधिवत नहीं होते हैं, क्योंकि लोग प्रायः घर से बाहर के कार्यों में व्यस्त रहते हैं। हाँ, मंदिर जाना व सगे-संबंधियों से भेंट कर आशीर्वाद लेना तो इस दिन आवश्यक ही है।

बसंतोत्सव और मनोरंजन

बसंत पंचमी पर पतंगों की दुकान
बच्चे व किशोर बसंत पंचमी का बड़ी उत्सुकता से इंतज़ार करते हैं। आखिर, उन्हें पतंग जो उड़ानी है। वे सभी घर की छतों या खुले स्थानों पर एकत्रित होते हैं, और तब शुरू होती है, पतंगबाजी की जंग। कोशिश होती है, प्रतिस्पर्धी की डोर को काटने की। जब पतंग कटती है, तो उसे पकड़ने की होड़ मचती है। इस भागम-भाग में सारा माहौल उत्साहित हो उठता है।

मथुरा का मेला

माघ शुक्ल पंचमी को बसंत पंचमी के दिन मथुरा में दुर्वासा ऋषि के मन्दिर पर मेला लगता है। सभी मन्दिरों में उत्सव एवं भगवान के विशेष शृंगार होते हैं। वृन्दावन के श्रीबांके बिहारीजी मन्दिर में बसंती कक्ष खुलता है। शाह जी के मंदिर का बसंती कमरा प्रसिद्ध है। यहाँ दर्शन को भरी-भीड़ उमड़ती है। मन्दिरों में बसंती भोग रखे जाते हैं और बसंत के राग गाये जाते हैं बसंम पंचमी से ही होली गाना शुरू हो जाता है। ब्रज का यह परम्परागत उत्सव है। इस दिन सरस्वती पूजा भी होती है। ब्रजवासी बंसती वस्त्र पहनते हैं।

बसंतोत्सव पर प्रसाद और भोजन
बांके बिहारी मन्दिर, वृन्दावन

बसंत पंचमी के दिन वाग्देवी सरस्वती जी को पीला भोग लगाया जाता है और घरों में भोजन भी पीला ही बनाया जाता है। इस दिन विशेषकर मीठा चावल बनाया जाता है। जिसमें बादाम, किशमिश, काजू आदि डालकर खीर आदि विशेष व्यंजन बनाये जाते हैं। इसे दोपहर में परोसा जाता है। घर के सदस्यों व आगंतुकों में पीली बर्फी बांटी जाती है। केसरयुक्त खीर सभी को प्रिय लगती है। गायन आदि के विशेष कार्यक्रमों से इस त्योहार का आनन्द और व्यापक हो जाता है।


ज्योतिष में बसंत पंचमी

शाह जी का मन्दिर, वृन्दावन, मथुरा


सूर्य के कुंभ राशि में प्रवेश के साथ ही रति-काम महोत्सव आरंभ हो जाता है। यह वही अवधि है, जिसमें पेड़-पौधे तक अपनी पुरानी पत्तियों को त्यागकर नई कोपलों से आच्छादित दिखाई देते हैं। समूचा वातावरण पुष्पों की सुगंध और भौंरों की गूंज से भरा होता है। मधुमक्खियों की टोली पराग से शहद लेती दिखाई देती है, इसलिए इस माह को मधुमास भी कहा जाता है। प्रकृति काममय हो जाती है। बसंत के इस मौसम पर ग्रहों में सर्वाधिक विद्वान ‘शुक्र’ का प्रभाव रहता है। शुक्र भी काम और सौंदर्य के कारक हैं, इसलिए रति-काम महोत्सव की यह अवधि कामोद्दीपक होती है। अधिकतर महिलाएं इन्हीं दिनों गर्भधारण करती हैं। जन्मकुण्डली का पंचम भाव-विद्या का नैसर्गिक भाव है। इसी भाव की ग्रह-स्थितियों पर व्यक्ति का अध्ययन निर्भर करता है। यह भाव दूषित या पापाक्रांत हो, तो व्यक्ति की शिक्षा अधूरी रह जाती है। इस भाव से प्रभावित लोग मां सरस्वती के प्राकटच्य पर्व माघ शुक्ल पंचमी (बसंत पंचमी) पर उनकी पूजा-अर्चना कर इच्छित कामयाबी हासिल कर सकते हैं। इसके लिए माता का ध्यान कर पढ़ाई करें, उसके बाद गणेश नमन और फिर मन्त्र जाप करें। इसके अलावा संक्षिप्त विधि का सहारा भी लिया जा सकता है। हर राशि के छात्र अपनी राशि के शुभ पुष्पों से मां महासरस्वती की साधना कर सकते हैं। मेष और वृश्चिक राशि के छात्र लाल पुष्प विशेषत: गुड़हल, लाल कनेर, लाल गैंदे आदि से आराधना करके लाभ उठाएं। वृष और तुला राशि वाले श्वेत पुष्पों तथा मिथुन और कन्या राशि वाले छात्र कमल पुष्पों से आराधना कर सकते हैं। कर्क राशि वाले श्वेत कमल या अन्य श्वेत पुष्प से, जबकि सिंह राशि के लोग जवाकुसुम (लाल गुड़हल) से आराधना करके लाभ पा सकते हैं। धनु और मीन के लोग पीले पुष्प तथा मकर और कुंभ राशि के लोग नीले पुष्पों से मां सरस्वती की आराधना कर सकते हैं।

अगर आप मंदिर जा रहे हैं, तो पहले ॐ गं गणपतये नम: मन्त्र का जाप करें। उसके बाद माता सरस्वती के इस मन्त्र ॐ ऐं ह्रीं क्लीं महासरस्वती देव्यै नम: का जाप करके आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं। इस मन्त्र के जाप से जन्मकुण्डली के लग्न (प्रथम भाव), पंचम (विद्या) और नवम (भाग्य) भाव के दोष भी समाप्त हो जाते हैं। इन तीनों भावों (त्रिकोण) पर श्री महाकाली, श्री महासरस्वती और श्री महालक्ष्मी का अधिपत्य माना जाता है। मां सरस्वती की कृपा से ही विद्या, बुद्धि, वाणी और ज्ञान की प्राप्ति होती है। देवी कृपा से ही कवि कालिदास ने यश और ख्याति अर्जित की थी। वाल्मीकि, वसिष्ठ, विश्वामित्र, शौनक और व्यास जैसे महान ऋषि देवी-साधना से ही कृतार्थ हुए थे।