मंगलवार, 15 अक्टूबर 2013

बाड़मेर एक नारी की बहादुरी कहानी एक राजपूतानी की...

 रतन सिंह शेखावत बाड़मेर एक नारी की बहादुरी 

गर्मियों का मौसम था बाड़मेर संभाग में रेत के टीले गर्मी से गर्म होकर अंगारों की तरह दहक रहे थे| लूएँ ऐसे चल रही थी कि बाहर बैठे जीव को झुलसा दे| इस तरह नीचे धरती गर्मी से तप रही थी तो ऊपर आसमान झुलस रहा था| वहीँ खेजडे के एक पेड़ की छाया में बैठा एक सोढा राजपूत जवान बाहर की गर्मी की साथ भीतर से उठ रहे विचारों के दावानल से दहक रहा था| पेड़ की छाया में बैठ विचारों में खोये उस सोढा राजपूत जवान को पता ही नहीं चला कि कब छाया ढल गयी और उसके चेहरे पर कब तपते सूरज की किरणे पड़ने लग गयी| वह तो विचारों के भंवर में ऐसा खोया था कि उसके लिए तो आज चारों दिशाएँ व सभी मौसम एक जैसे ही थे| आज ही उसके होने वाले ससुर का सन्देश आया था कि –

“यदि उसकी बेटी के साथ शादी करनी है तो दो हजार रूपये भेजवा दें नहीं तो तुम्हारा रिश्ता तोड़कर तुम्हारी मंगेतर की शादी कहीं और करवा दी जाएगी|”

ये सन्देश सुनने के बाद उस जवान सोढा राजपूत का गुस्सा सातवें आसमान था, गुस्से में उसके दांत कटकटा रहे थे चेहरा लाल था आखों में भी लाल डोरे साफ़ नजर आ रहे थे| सन्देश पढ़ते ही अपने आप उसका हाथ कमर पर बंधी तलवार की मूंठ पर जा ठहरा| आखिर उसकी मंगेतर जिसकी उसके माँ बाप ने आज से दस वर्ष पहले गोद भराई की रस्म पुरी कर उसके साथ रिश्ता किया था और बेचारे पुत्र की शादी करने के मंसूबे मन में बांधे ही इस दुनियां से चल बसे| माता पिता की मृत्यु के बाद बड़ी मुश्किल से उसने अपने आपको संभाला पर फिर भी जी तो गरीबी में ही रहा है इसलिए अब ससुर को देने के लिए दो हजार रूपये कहाँ से लाये| बचपन से ही खेत खलिहान भी सेठ धनराज के यहाँ गिरवी पड़े है| अब क्या गिरवी रखे कि उसे दो हजार जैसी बड़ी रकम मिल जाए ?

यही सब सोचते हुए उस जवान सोढा राजपूत की आँखों में खून उतर आया था| उसने मन में सोच लिया था उसके जिन्दा रहते उसकी मंगेतर जिससे शादी करने के सपने वह पिछले दस वर्षों से देख रहा था किसी और की हो ही नहीं सकती| यही सोचकर वह सेठ धनराज के पास दो हजार रूपये के कर्ज के लिए पहुंचा|

सेठ को सारी बात बताते हुए उसने कहा- “सेठ काका ! अब मेरी इज्जत बचाना आपके हाथ में है|

सेठ बोला- “इज्जत तो मैंने बहुतों की बचाई है तेरी भी बचा दूंगा पर यह बता दो हजार जितनी बड़ी रकम के लिए तेरे पास गिरवी रखने को क्या है ?”

सेठ काका- “जमीन तो जितनी थी पहले ही आपके पास गिरवी रखी है अब मेरे पास तो सिर्फ यह तलवार बची है और आपको पता है ना कि एक राजपूत के लिए तलवार की क्या कीमत होती है ? आप इसे ही गिरवी रखलें|

सेठ बोला- “इस तलवार का मैं क्या करूँ ? तूं किसी और सेठ के जा कर कर्ज ले ले|

सोढा जवान सेठ की बात सुनकर अन्दर तक तड़फते हुए कहने लगा- “सेठ काका ! मेरे पुरखों की वो जमीन जिसे पाने के लिए उन्होंने सिर कटवाए थे उसको आपने झूंठ लिख लिखकर अपने पास गिरवी रख लिया मेरे घर का एक एक बर्तन तक आपने अपनी कलम की झूंठ के बल से ठग लिए| फिर भी मैंने आपको सब कुछ दिया और अब भी आप जो मांगे वो देने के लिए तैयार हूँ| यह मेरे घराने की साख का सवाल है| आपको पता है मेरे जीते जी मेरी मंगेतर का विवाह किसी और से हो जायेगा तो मेरे लिए तो यह जीवन बेकार है| मैं तो जीवित ही मरे समान हो जाऊंगा| आपको जितना ब्याज लेना है ले लो पर अभी आज मुझे दो हजार रूपये का कर्ज दे दो| आपका कर्ज में ईमानदारी से चूका दूंगा यह एक राजपूत का वादा है|”

सेठ-“ठीक है ! यदि तूं राजपूतानी का जाया है तो एक वचन दे| मैं जो लिखूंगा उस पर दस्तखत कर देगा ?

सोढा जवान ने हाँ कह वचन देने की हामी भर ली| सेठ ने एक पत्र पर एक शर्त लिखी और सोढा राजपूत के हाथ में यह कहते हुए थमा दी कि- “असल राजपूत है और हिम्मत है तो ये पत्र ले शर्त पढ़कर दस्तखत करदे| उस पत्र में शर्त लिखी थी- “जब तक सेठ धनराज का कर्ज ब्याज सहित ना चूका दूंगा तब तक अपनी पत्नी को बहन के समान समझूंगा|”

पत्र में लिखी शर्त पढ़ते ही सोढा की आँखों में अंगारे बरसने लगे उसकी आँखें लाल हो गयी पर उसने अपने गुस्से को दबाते हुए पिसते दांतों को होठों के पीछे छुपाकर दस्तखत कर दिए|

सेठ से मिले कर्ज के दो हजार रूपये ससुर के पास समय से पहले भिजवाकर सोढा ने अपनी मंगेतर से शादी कर अपना घर बसा लिया| आज कई वर्षों बाद उसका दीमक लगा टुटा फूटा घर लिपाई पुताई कर सजा संवरा था| ससुराल से दहेज़ में आया सामान भी घर में तरतीब से सजा था| आँगन में आज छम छम पायल की आवाज सुनाई दे रही थी तो शाम को बाजरे की रोटियों को थपथपाने के साथ चूड़ियों की आवाज भी साफ़ सुनाई दे रही थी| सोढा खाने के लिए बैठा था और उसकी सजी संवरी पत्नी अपने हाथों से उसे खाना परोस रही थी| सोढा खाना खाते हुए भी बड़ा गंभीर नजर आ रहा था तो दूसरी और उसकी पत्नी की आँखों में उसके लिए जो प्यार उमड़ रहा था उसे सोढा साफ़ देख रहा था| पत्नी खाने में ये परोसूं या ये कह कह कर बात करने की कोशिश कर रही थी| सोढा भी बोलना तो चाह रहा था पर बोल नहीं पा रहा था| सोढा खाना खाकर उठा राजपूतानी ने झट से खड़े होकर पानी का लौटा ले सोढा के हाथ धुलवाये| हाथ धोते समय घूंघट के पीछे उसका दमकता चेहरा देख सोढा के हाथ कांप गए| रात पड़ी, सोने का समय हुआ, दोनों ढोलिया पर सो गए पर यह क्या ? सोढा ने म्यान से तलवार निकाली और दोनों के बीच रख मुंह फिरा सो गया|

राजपूतानी सोचने लगी- “शायद मेरे से किसी बात पर नाराज है या मेरे पिता द्वारा शादी से पहले दो हजार रूपये लेने के कारण नाराज है|

एक, दो, तीन इस तरह कोई बीस दिन बीत गए हर रोज सोते समय दोनों के बीच तलवार होती| राजपूतानी को सोढा का यह व्यवहार समझ ही नहीं आ रहा था दिन में तो बात करते सोढा के मुंह से फूल बरसते है आखों से बरसता नेह भी साफ़ झलकता है पर रात होते ही वह नजर नहीं मिलाता, उसका चेहरा मुरझाया होता है, बोल होठों से बाहर आते ही नहीं| राजपूतानी ने रोज सोढा का व्यवहार का बारीकी से देखा समझा और एक दिन बोली-
“यदि आप मेरे पिता द्वारा रूपये मांगे जाने से नाराज है तो इसमें मेरी कोई गलती नहीं पर यदि मेरे द्वारा कोई अनजाने में गलती हुयी हो तो उसके लिए बताएं मैं आपसे माफ़ी मांग लुंगी पर आप नाराज ना रहे|”

सोढा ने कहा-“ऐसी कोई बात नहीं है यह कोई और ही बात है जो मैं आपको चाहते हुए भी बता नहीं सकता| बताने की कोशिश भी करता हूँ तो शब्द होठों तक नहीं आते|” और कहते कहते सोढा ने वह सेठ द्वारा लिखा पत्र राजपूतानी को पकड़ा दिया|

दिये की बाती ऊँची कर उसके टिम टिम करते प्रकाश में राजपूतानी ने वह पत्र पढना शुरू किया उसने जैसे जैसे वह पत्र पढ़ा उसके चेहरे पर तेज बढ़ता गया उसके बेसब्र मन ने राहत की साँस ली| पत्र पढने के बाद उसे अपने पति पर गर्व हुआ कि वह राजपूती धर्म निभाने वाले एक सच्चे राजपूत की पत्नी है और एक राजपूतानी के लिए इससे बड़ी गर्व की क्या बात हो सकती है|

पूरा पत्र पढ़ राजपूतानी बेफिक्र हो बोली –“बस यही छोटी सी बात थी| मुझे तो दूसरी ही चिंता थी| वचन निभाना तो एक राजपूत और राजपूतानी के लिए बहुत ही आसान काम है|” और कहते हुए राजपूतानी ने अपने सारे गहने आदि लाकर पति के आगे रख दिए| और बोली-
“इनको बेचकर घोड़ा खरीद लाईये| कर्ज उतरना सबसे पहला धर्म है और वो घर बैठे नहीं चुकेगा| घर तो कृषक बैठते है राजपूत को घर बैठना वैसे भी शोभा नहीं देता| राजपूत की शोभा तो किसी राजा की सेना में ही होती है|

सोढा बोला-“ठीक है फिर घोड़ा ले मैं किसी की राजा की नौकरी में चला जाता हूँ और तुझे अपने मायके छोड़ देता हूँ|”

राजपूतानी बोली-“मैंने भी एक राजपूत के घर जन्म लिया है, एक राजपूतानी का दूध पिया है, मुझे भी कमर पर तलवार बंधना व चलाना और घुड़सवारी करना आता है| बचपन में पिता के घर खूब घोड़े दौड़ाये है इसलिए मायके क्यों जाऊं आपके साथ चलूंगी| दोनों कमाएंगे तो कर्ज जल्दी चुकेगा|”

ऐसे शब्द बोलती हुयी राजपूतानी के चेहरे को तेज को देख सोढा तो देखता रह गया|




सुबह का निकला सूरज अब आकाश में काफी ऊँचा चढ़ चूका था| चितौड़ किले की तलहटी से दो एक किलोमीटर दूर दो बांके जवान घोड़े दौड़ाते हुए किले की तरफ आते नजर आ रहे थे| उनके हाथों में पकड़े भाले सूरज की किरणों से पल पल कर चमक रहे थे| दोनों की कमर में बंधी तलवारें दोड़ते घोड़ों की पीठ से रगड़ खा रही थी| उन्हें देखकर कौन कह सकता था कि- इनमें से एक मर्द की पौशाक में नारी है| राजपूतानी इस वक्त मर्दाना भेष में जोश से भरा एक जवान लग रही थी| हाथों में भाला पकड़े उसने अपनी कोयल सी मधुर आवाज को भी मर्दों की तरह भारी कर लिया था| घूंघट में रहने वाला चेहरा आज सूरज की रौशनी में दमक रहा था| बड़ी बड़ी आँखों ने लाल लाल डोरे ऐसे नजर आ रहे थे जैसे देश प्रेम का मतवाला कोई बांका जवान दुश्मन की सेना पर आक्रमण के लिए चढ़ा हो| घोड़ो को दौड़ाते हुए थोड़ी ही देर में वे किले की तलहटी में जा पहुंचे| उधर उनका किले के मुख्य दरवाजे की और जाना हुआ उधर से किले से राणा का अपने दल बल सहित शिकार के लिए निकलना हुआ| दो बाकें जवानों को देखते ही राणा की नजरें दोनों पर एकटक अटक गयी| पास बुलाकर पूछा-

कौन हो ? कहाँ से आये हो ? क्यों आये हो ?

राणा को जबाब मिला- “राजपूत है|”

कौन से ?

सोढा ! और आपकी सेवा में चाकरी करने आयें है|

ठीक है शिकार में ही साथ हो जाओ| राणा ने उनकी सेवा स्वीकारते हुए कहा|

दोनों राणा के साथ हो गए| जंगल में शिकार शुरू हुआ, एक सूअर पर शिकारी दल ने तीरों भालों से हमला किया पर सूअर भाग खड़ा हुआ और राणा के सरदारों ने उसके पीछे घोड़े दौड़ा दिए| चारों और से हाका करने वालों ने हाका करना शुरू कर दिया उधर गया है, घोड़ा पीछे दौड़ाओ, सूअर भाग ना पाये|

राणा ने देखा सभी सरदारों व शिकारी दल के घोड़े सूअर के पीछे लग गए उनमें से एक घोड़ा अचानक बिजली की गति से आगे निकला और घोड़े के सवार ने सूअर का पीछा कर उस पर भाला फैंका जो सूअर की आंते बाहर निकालता हुआ सूअर के शरीर से पार हो गया| राणा के मुंह से अचानक निकल पड़ा –शाबास ! आजतक ऐसा नजारा नहीं देखा कि किसी का भाला सूअर की आंते निकालकर पार निकल गया हो|

घोड़े से उतर पसीना पोंछते सवार ने राणा को झुककर मुजरा किया और वापस घोड़े की पीठ पर जा सवार हुआ| कोई नहीं पहचान सका कि एक हाथ से भाले का वार कर सूअर को धुल चटाने वाला जवान मर्द नहीं एक औरत है|

राणा उनकी वीरता से खुश व प्रभावित होते हुए और उन्हें अपनी सेवा में नियुक्त करते हुए हुक्म दिया कि –“वे दोनों उनके महल में उनके शयन कक्ष की सुरक्षा में तैनात रहेंगे|”

“खम्मा अन्न दाता” कह दोनों ने राणा की चाकरी स्वीकारी|

सावन का महिना, रिमझिम रिमझिम फुहारों से बारिश बरस रही, नदी नाले भी खल खल कर बह रहे, चारों और हरियाली ही हरियाली छा रही, तालाब पानी से भरे हुए और रात भर मेंडकों की टर्र टर्र आवाजें आ रही, अंधरी रात्री और ऊपर से काले काले बादल छाये हुए, बिजली चमके तो आँखें बंद हो जाए, बादल ऐसे गरज रहे जैसे इंद्र गरज कर कह रहा हो कि धरती को इसी तरह पीस दूंगा, ऐसे अंधरी व भयानक पर मनोहारी रात, ऐसी रात जिसमें हाथ को हाथ ना दिखे जिसमें दोनों राणा के शयन कक्ष के बाहर पहरा दे रहे और राणा जी अपने शयन कक्ष में निश्चिन्त हो रानी के साथ सो रहे थे|

दोनों हाथों में नंगी तलवारे लिए पहरा दे रहे थे जैसे ही बिजली चमकती तो टकराने वाले प्रकाश से तलवारें भी अँधेरी काली रात में चमक उठती| आधी रात का वक्त हो चूका था राणा जी गहरी नींद में सो रहे थे पर आज पता नहीं क्यों रानी को नींद नहीं आ रही थी| सो वह पलंग पर लेटी लेटी महल की खिड़की से प्रकृति के अद्भुत नज़ारे देख रही थी| महल के द्वार पर दो राजपूत हाथों में तलवारें लिए पहरा देते हुए चौकस हो खड़े थे|

इतनी ही देर में उतर दिशा से बिजली चमकी जिसे देख राजपूतानी को याद आई कि यह तो मेरे देश की तरफ से चमकी है और वह इस याद के साथ ही विचारों में खो गयी उसके नारी हृदय में विचारों की उथल पुथल मच गयी कि आज ऐसे मौसम में सभी स्त्रियाँ अपने पति के साथ घर में सो रही है और वह खाने कमाने के लिए मर्दाना भेष में तलवार हाथ में पकड़े यहाँ पहरे पर खड़ी है| तभी पपीहे की मधुर आवाज उसे सुनाई दी और सुनते ही उसका नारी हृदय कराह उठा और मन में फिर विचार आने लगा कि वह तो सुहागन होते हुए वियोगन हो गयी, पति के पास होते हुए भी ऐसा लग रहा है जैसे वह पति से कोसों दूर है| पति के साथ रहते हुए भी वह वियोगी है उससे तो पति से दूर रहने वाली वियोगी नारी ही अच्छी और सोचते सोचते उसकी सब्र का बाँध टूट गया और सोढा के पास जाकर धीरे से उसके कंधे पर हाथ रख दिया| हाथ रखते ही दोनों ऐसे कांप गए जैसे उन पर बिजली टूट पड़ी हो| सोढा ने चेताते हुए कहा-“राजपूतानी संभल ! राजपूतानी सोढा द्वारा चेताने पर अपने आपको एक गहरी निस्वाश: छोड़ते हुए सँभालते हुए बोली-

देस बिया घर पारका, पिय बांधव रे भेस | जिण जास्यां देस में, बांधव पीव करेस ||



अपना देश छुट गया और अब परदेश में है| पति पास है पर वह भाई रूप में है | जब कभी अपने वतन जायेंगे तो पति को पति बनायेंगे|

चमकती बिजली की रौशनी में रानी सोये सोये दोनों की पुरी लीला देख रही थी| सुबह होते ही रानी ने राणा जी से कहा कि –
“इन दोनों सोढा राजपूत भाइयों में कोई भेद है क्योंकि इनमें से एक औरत है|”

नहीं रानी ! ऐसा नहीं हो सकता और ऐसा है तो धोखा करने के जुर्म में मैं इनका सिर तोड़ दूंगा| राणा ने कहा| “राणा जी ! तोड़ने की जरुरत नहीं जोड़ने की जरुरत है क्योंकि इनमें एक औरत है|” रानी ने राणा को जबाब दिया| राणा बोले-“रानी भोली बात मत किया करो ! इनकी रोबदार सूरत, इनकी आँखों के तेवर व इनके चेहरे के तेज को देखो ऐसा तेज किसी मर्द में ही हो सकता है फिर मैंने तो एक खतरनाक सूअर को एक ही वार में मारते हुए इनकी वीरता भी देखी है|”

राणा और रानी में इस बात को लेकर विवाद हुआ और फिर इनकी परीक्षा लेनी की बात तय हुई| रानी ने दोनों की परीक्षा लेने की जिम्मेदारी खुद ली और दोनों को रानी ने दोनों को अपने में बुला लिया, साथ ही राणा जी को जाली से छुपकर देखने को कहा|

रानी ने चूल्हे पर दूध चढ़ा अपनी दासी को चुपचाप बाहर जाने का ईशारा कर दिया दासी रसोई से चली गयी, थोड़ी देर में दूध उफनने ही वाला था | जिसे पर नजर पड़ते ही राजपूतानी तुरंत चिल्ला पड़ी- “दूध उफनने वाला है दूध उफनने वाला है !
सुनते ही पास के कक्ष से निकल रानी बोल पड़ी- “बेटी सच बता तूं कौन है ? और इस भेष में क्यों ? मुझसे कुछ भी मत छुपा सच सच बता|”

राजपूतानी आँखों पर हाथ दे रानी की गोद में चिपट गयी और सोढा बे रानी को पुरी बात बताई| राणा जी भी कक्ष के बाहर जाली के पीछे खड़े सब सुन रहे थे| पुरी बात सुनकर राणा जी बड़े खुश हुए बोले-
“मैं एक सवार को रूपये देकर तुम्हारे गांव आज ही भेज देता हूँ वह सेठ धनराज से तुम्हारे कर्ज का पूरा हिसाब कर ब्याज सहित रकम चुका आयेगा| और तुम यहीं रहो और अपनी गृहस्थी बसावो|”

राणा जी के आगे हाथ जोड़ते हुए सोढा बोला- “अन्न दाता का हुक्म सिर माथे ! पर अन्न दाता जब तक मैं अपने हाथ से सेठ का कर्ज नहीं चूका देता तब तक शर्तनामा लिखा पत्र नहीं फाड़ सकता| इसलिए मुझे कर्ज चुकाने के लिए स्वयं जाने की इजाजत बख्सें|”

राणा जी ने सोढा को ब्याज सहित पूरा कर्ज चुकाने व गृहस्थी बसाने लायक धन देकर विदा किया|
अब सोढा और राजपूतानी को जब भी उस रात की याद आती दोनों को बड़ी मीठी लगती|

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राजस्थान का भूतहा भानगढ़ किला



भारत में कई पर्यटन स्थलों के नाम आपने सुने होंगे। शायद कहीं की हरियाली, कहीं की ऐतिहासिक स्थापत्य कला के नमूने, कहीं की बर्फबारी देखने के लिए आप वहां घूमने जाना पसंद करते होंगे। पर क्या आपको पता है कि भारत का एक पर्यटन स्थल ऐसा भी है जहां लोग इसके भूतहा होने के लिए प्रसिद्ध होने के कारण जाते हैं। ऐसा भी नहीं है कि यह मात्र कोरी कल्पना और अफवाह है। स्वयं भारत सरकार ने इसे हॉंटेड प्लेसेज की लिस्ट में सबसे ऊपर रखते हुए दिन ढलने के बाद यहां जाना मना कर रखा है।

दिल्ली और जयपुर के बीच पड़ने वाला राजस्थान का भानगढ़ किला भूतहा किले के नाम जाना जाता है। 17वीं शताब्दी में बनाया गया यह किला पूरी तरह नेस्तोनाबूद है। कहते हैं कि यहां जो भी मकान बनाया जाता है उसकी छत कभी नहीं टिकती। इस तरह यहां कभी कोई मकान नहीं बन पाता। कहते हैं शाम ढलते ही यहां आत्माएं घूमने लगती हैं और सूर्यास्त के बाद जो भी यहां जाता है कभी वापस लौटकर नहीं आता।

हालांकि यह एक पर्यटन स्थल के रूप में भी प्रसिद्ध है और बड़ी संख्या में सैलानी यहां घूमने आते हैं, पर भारत सरकार ने सूर्यास्त के बाद यहां किसी का भी जाना मना कर रखा है। कहते हैं कि यह पाबंदी लगाने से पहले यहां की असलियत जानने के लिए सरकार ने अर्धसैनिक बलों की टुकड़ी भी लगाई, पर सैनिक भी इस बारे में कोई वैज्ञानिक तथ्य नहीं ढूंढ़ पाए। अंतत: इसके रहस्य को सार्वजनिक रूप से मानते हुए सरकार ने सूर्यास्त के बाद किसी के भी यहां जाने पर पाबंदी लगा दी।

अभी कुछ समय पहले यह जगह उस वक्त काफी चर्चा में रही जब आमिर खान ने अपनी फिल्म तलाश के प्रमोशन के लिए यहां जाने की घोषणा की। इस जगह के भूतहा होने के पीछे दो कहानियां प्रसिद्ध हैं। पहली मान्यता के अनुसार यह शहर गुरु बालू नाथ द्वारा शापित है। कहते हैं कि गुरु बालू नाथ ने ही इस शहर को बनाने की अनुमति दी थी, पर साथ ही यह भी हिदायत दी थी कि इसकी छाया उन पर न पड़े। निर्माण से पहले ही उन्होंने कहा था कि अगर इसकी छाया उन पर पड़ी, तो यह नष्ट हो जाएगा। पर उनकी हिदायत पर ध्यान न देते हुए इस किले को इतना ऊंचा बनाया गया कि इसकी छाया गुरु बालू नाथ पर पड़ी और यह शहर किले समेत नष्ट हो गया। कहते हैं गुरु बालू नाथ ने यहीं समाधि ले ली थी, इसलिए यहां किसी भी मकान की छत नहीं टिकती।

दूसरी मान्यता के अनुसार, यहां की राजकुमारी रत्‍‌नावती को एक जादूगर सिंघई पसंद करता था और शादी करना चाहता था। उसे पता था कि रत्‍‌नावती उसे कभी पसंद नहीं करेगी। इसलिए एक दिन बाजार में उसकी दाई को देखकर उसने धोखे से उसके सामान में एक इत्र रख दिया जिसे लगाकर रत्‍‌नावती स्वयं उसके पास आती। किंतु रत्‍‌नावती को उसकी धृष्टता का एहसास हो गया और उसने इत्र की बोतल एक पत्थर पर दे मारी। कहते हैं कि उस पत्थर ने सिंघई का पीछा करते हुए आखिरकार उसकी जान ले ली और मरते हुए सिंघई ने ही रत्‍‌नावती के साथ ही भानगढ के नष्ट हो जाने और पुनर्जन्म न लेने का शाप दिया था। कहते हैं इसके एक महीने बाद ही एक दूसरे राज्य से युद्ध में भानगढ़ नष्ट हो गया और साथ ही राजकुमारी रत्‍‌नावती भी, जिनकी आत्माएं आज भी यहां भटकती रहती हैं।

भानगढ़ के इस किले की असली कहानी कोई नहीं जानता। इन्हीं दोनों कहानियों के आधार पर यहां कुछ बहुत बुरा घटित हुआ ऐसा अनुमान लगाया जाता है। बहरहाल एक भूतहा पर्यटन स्थल के रूप में तो इसने एक पहचान बना ही ली है।

सोमवार, 14 अक्टूबर 2013

शारीरिक संबंध बनाने से इंकार करना तलाक का आधार: कोर्ट



दिल्ली हाई कोर्ट ने कहा है कि शारीरिक संबंध विवाह का अनिवार्य पहलू है और पत्नी का पति से इस तरह के संबंध से बार-बार इंकार करना तलाक का आधार हो सकता है। पति को तलाक देने वाले एक कुटुंब अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली महिला की याचिका खारिज करते हुए न्यायमूर्ति एस रवींद्र भट और न्यायमूर्ति नजमी वजीरी की पीठ ने फरवरी में निचली अदालत द्वारा पति के पक्ष में सुनाए गए आदेश को बरकरार रखा।
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अदालत ने इस तथ्य पर गौर किया कि साल 2009 में दंपति ने मुद्दों को सुलझा लिया था लेकिन इसके बाद भी पत्नी ने पति के साथ यौन संबंध बनाने से इंकार कर दिया। अदालत ने कहा कि कुटुंब अदालत ने यह निष्कर्ष निकाला था कि दोनों के बीच तकरीबन 8 से 9 साल से कोई दांपत्य संबंध नहीं था क्योंकि अपीलकर्ता- पत्नी प्रतिवादी- पति से दूर गुजरात में अपने वैवाहिक घर में रह रही थी या उसने उसके साथ शारीरिक संबंध नहीं बनाया।



अदालत ने कहा कि वैवाहिक सहवास का वादे से पत्नी मुकर गई क्योंकि वह पति के साथ शारीरिक संबंध बनाने से लगातार इंकार करती रहीं। साल 2013 में फैसला सुनाए जाने तक पक्षकारों के बीच शारीरिक दूरी बनी रही। विवाहित जोड़े के बीच शारीरिक संबंध शादी का एक महत्वपूर्ण पहलू है और शारीरिक संबंध से लगातार इंकार करना वैवाहिक संबंध की जड़ पर प्रहार करता है।



पीठ ने प्रतिवादी की इस दलील को भी स्वीकार किया कि उसकी पत्नी ने उस पर अपनी भाभी के साथ नाजायज संबंध रखने का आरोप लगाया था जो मानसिक क्रूरता है। अदालत ने कहा कि इस अदालत की राय है कि परिवार अदालत का फैसला ठोस सबूत पर आधारित है और उसके निष्कर्ष सही हैं। क्रूरता के आधार पर शादी को खत्म करने के फैसले में हस्तक्षेप करने की कोई आवश्यकता नहीं है।

अयोध्या में विहिप के संकल्प दिवस पर लगी रोक



लखनऊ। अयोध्या में होने वाले विश्व हिंदू परिषद के संकल्प दिवस पर रोक लग गई है। फैजाबाद के डीएम ने पुलिस की रिपोर्ट के बाद ये रोक लगाई है। गौरतलब है कि वीएचपी 18 अक्टूबर को संकल्प दिवस मनाने वाली है, जिसके तहत अयोध्या समेत देश भर में रैली और सभाएं की जानी हैं।



डीएम ने संकल्प यात्रा को एसएसपी की रिपोर्ट पर बैन किया है। डीएम के मुताबिक इस संकल्प दिवस पर रोक के लिए 5 एएसपी, 50 इंस्पेक्टर, 150 से 200 सबइंस्पेक्टर, 1000 से ज्यादा कांस्टेबल, 5 कंपनी पीएसी और ट्रैफिक पुलिस टीम वगैरह स्टैंड बाई पर लगाए गए हैं। प्रशासन के मुताबिक बकरीद के बाद आरएएफ भी पर्याप्त तादाद में डिप्लॉय कर दिए जाएंगे।



ये संकल्प दिवस है न कि संकल्प यात्रा। ये सिर्फ यूपी में नहीं बल्कि पूरे देश में मनाया जाना है। फैजाबाद के डीएम ने एसपी की रिपोर्ट के बाद इस संकल्प दिवस के आयोजन पर फैजाबाद में रोक लगा दी है। ये संकल्प दिवस वीएचपी मनाएगा जिसमें मांग की जाएगी कि संसद में कानून बनाकर अयोध्या में राममंदिर का निर्माण कराया जाए। इसकी रूपरेखा इसी साल कुंभ में वीएचपी और धर्म संसद बुलाकर साधु संतों ने की थी। चूंकि मुद्दा राम मंदिर से जुड़ा है और इसका ताल्लुक अयोध्या से है लिहाजा फैजाबाद में इस पर रोक लगाई गई है।



इसी संकल्प दिवस को लेकर जो बैठक आज होनी थी, इस बैठक की जो चिट्ठी जारी की गई थी उस चिट्ठी के "विषय" में गृह विभाग के सचिव एससी मिश्र ने लिख दिया था कि सोमनाथ मंदिर पुनर्निमाण की तर्ज पर राममंदिर निर्माण के संबंध में संसद में कानून बनाने की मांग पर बैठक। इस चिट्ठी ने सरकार की खासी किरकिरी कराई बाद में गृह सचिव और सेक्शन अफसर को सस्पेंड किया गया। क्योंकि बैठक इस यात्रा पर कानून व्यवस्था के मद्देनजर बुलाई गई थी।

गाय की कुर्बानी नहीं करें मुसलमान: दारुल उलूम



देश की प्रमुख इस्लामी शिक्षण संस्था दारुल उलमू देवबंद ने ईद-उल-अजहा (बकरीद) के मौके पर देश भर के मुसलमानों से अपील की है कि वे गाय की कुर्बानी नहीं करें क्योंकि इससे एक धर्म विशेष के लोगों की भावनाएं आहत होती हैं और ऐसा करने से सामाजिक सद्भाव बिगड़ने का खतरा होता है।




दारुल उलूम के मुहतमिम (कुलपति) मुफ्ती अबुल कासिम नोमानी ने एक बयान में कहा कि देश के कुछ राज्यों में गाय की कुर्बानी पर पाबंदी है तथा कुछ राज्यों में नहीं हैं। मुसलमानों से अपील की जाती है कि वे गाय की कुर्बानी से बचें क्योंकि इससे सदभाव बिगड़ सकता है। यह संस्था हर साल बकरीद के मौके पर मुसलमानों को गाय की कुर्बानी से बचने की सलाह देती है। आगामी 16 अक्तूबर को देश में बकरीद का त्यौहार मनाया जाएगा।

छोटे लड़के से सेक्स के लिए छुपाई उम्र

फ्लोरिडा। अमरीका की एक बढ़े उम्र की युवती ने अपने से आधी उम्र के लड़के से सेक्स करने के लिए उम्र छिपाई। लड़के से उसने कई बार सेक्स किया। लड़के की शिकायत पर उसे गिरफ्तार कर लिया गया।छोटे लड़के से सेक्स के लिए छुपाई उम्र
पुलिस के अनुसार अमरीका के फ्लोरिडा की नओमी डिक्सन असल में 31 साल की है और उसने एक 14 वर्षीय लड़के से शारीरिक संबंध बनाने के लिए अपनी उम्र 17 वर्ष ही बताई।

फ्लोरिडा पुलिस के मुताबिक डिक्सन इस लड़के से एक पार्टी में मिली थी और इसने अपनी उम्र 17 साल बताई थी। दोनों ने इस मुलाकात के दौरान ही पहला सेक्स किया। इसके बाद भी दोनों के शारीरिक संबंध डिक्सन के घर पर बनते रहे।

लड़के की ओर से दायर शिकायत में आरोप लगाया गया कि डिक्सन उसे हर वक्त अपने घर में ही रहने को मजबूर करती थी। अगर वह घर से निकलने की कोशिश करता, तो डिक्सन बेहद खफा हो जाती। एक बार तो युवती ने इसे गला दबाकर मारने की कोशिश भी की। इसके अलावा युवती ने अपनी बांह पर भी लड़के के नाम का पहला अक्षर गोदना चाहा।

उधर डिक्सन ने आरोपों के जवाब में कहा कि उसे लगा लड़का 18 साल का है।

प्रधानमंत्री कार्यालय ने विधायक साले मोहम्मद और परिवार के खिलाफ की गयी कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की



प्रधानमंत्री कार्यालय ने विधायक साले मोहम्मद और परिवार के खिलाफ की गयी कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की




बाड़मेर सरहदी जिले जैसलमेर के गाजी फ़क़ीर की हिस्ट्रीशीट खुलने और उनके विधायक पुत्र साले मोहम्मद पर पाक जासूस देने के प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार से अब तक की गयी कार्यवाही की तथ्यात्मक रिपोर्ट मांगी हें। जानकारी के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय के राजनितिक अनुभाग ने गाजी फ़क़ीर और उनके परिवार के विरुद्ध अब तक की गयी कार्यवाही की रिपोर्ट तलब की हें। इस मामले में लक्ष्मी नगर दिल्ली स्थित भारतीय चरित्र निर्माण संघठन के राष्ट्री सचिव शरद वैष्णव की शिकायत पर राजस्थान सरकार से विधायक साले मोहम्मद और उनके परिवार के खिलाफ अब तक की गई कार्यवाही की तथ्यात्मक रिपोर्ट ,मुख्य सचिव कार्यालय से यह पत्र डी आई जी सी आई डी सी बी को तथा सी आई डी सी बी ने पुलिस महा निरीक्षक जोधपुर रेंज को लिख कर रिपोर्ट मांगी हें ,प्रद्शंमंत्री कार्यालय से यह पत्र उनीस अगस्त को डिस्पेच किया जो मुख्य सचिव कार्यालय राजस्थान सरकार ने इसे छ सितम्बर को प्राप्त किया। मुख्य सचिव ने सुलह सितम्बर को डिस्पेच किया। छबीस सितम्बर को गृह विभाग से यह पत्र डिस्पेच। हुआ। चार अक्तूबर को ऐ डी जी सी आई डी अपराध शाखा ने महा निरीक्षक को भेज रिपोर्ट मांगी। उलेखनीय हें की गत महीनो जैसलमेर के तत्कालीन पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी द्वारा विधायक के पिता गाजी फ़क़ीर की बंद पड़ी हिस्तीशीत पुनः खोल सियासी हलचल मचा दी। बाद में पंकज चौधरी का तबादला हो गया था। गाजी फ़क़ीर की क्षेत्र में मुस्लिम मतो पर बड़ी पकड़ हें। कांग्रेस वोट बेंक खिसकने के दर से इस मामले को ठन्डे बसते में डाल चुकी थी ,मगर प्रधानमंत्री कार्यालय की इस चिठ्ठी ने फिर तूफ़ान खडा कर दिया।


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बेटी को मारकर पी गया खून!

पापुआ न्यूगिनी। शायद इस बाप को बाप नहीं बल्कि पिसाच कहना ही उचित होगा, क्योंकि इसने वो किया जो आज तक शायद ही कि सी ने किया हो। पापुआ न्यूगिनी के रहने वाले इस ख्सख्श ने अपनी मासूम सी बेटी के साथ वो किया जिसको सुनकर किसी के भी रो ंगटे खड़े हो सकते हैं।
दरअसल इस व्यक्ति ने अपनी तीन साल की बेटी को जान से मारा ही नहीं बल्कि उसका सारा खून भी पी गया। अपनी बेटी को मारने का तरीका इस व्यक्ति ने अजीब ही चुना जो बहुत ही खतरनाक तथा डरावना है।

पहले तो यह आदमी अपनी बेटी को झाडियों में ले गया और गला घोंटकर मार दिया। उसके बाद इस छोटी सी बच्ची की गर्दन में दांत गाड़कर खून पीने लग गया। इस वाकये को पास में नारियल के पेड़ पर चढ़ रहे दो लोगो ने देख लिया जिसका पता इस पिसाची बाप को भी चल गया। लेकिन इसके बाद भी वो अपनी बेटी का खून पीने में मशगूल रहा।

हालांकी बाद में उन दोनो प्रत्यक्षदर्शियों ने पुलिस को सारा वाकया बता दिया। जिसके बाद मौके पर पहुंची पुलिस इस आदमी हिरासत में ले लिया

"मुस्लिम ही कर सकते हैं अल्लाह शब्द का इस्तेमाल

पुत्राजया। मलेशिया की एक कोर्ट ने सोमवार को अहम फैसला सुनाया कि ईश्वर के संबोधन के लिए क्रिश्चियन समाचार पत्र अल्लाह शब्द का इस्तेमाल नहीं कर सकता। कोर्ट के इस फैसले से धार्मिक तनाव को हवा मिली है,साथ ही मुस्लिम देश में अल्पसंख्यकों के अधिकारों को लेकर सवाल खड़े हो गए हैं। "मुस्लिम ही कर सकते हैं अल्लाह शब्द का इस्तेमाल"
तीन जजों वाले अपीलीय कोर्ट ने एकमत से 2009 के निचली अदालत के उस फैसले को बदल दिया जिसमें द हेराल्ड समाचार पत्र को अल्लाह शब्द का इस्तेमाल करने की अनुमति दी गई थी। हेराल्ड मलय वर्जन का समाचार पत्र है। मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद अपांडी अली ने फैसला सुनाते हुए कहा कि अल्लाह शब्द ईसाईयत विश्वास का अभिन्न अंग नहीं है। इस शब्द के इस्तेमाल से समुदाय में कन्फ्यूजन पैदा होगा।

सरकार ने दलील दी थी कि अल्लाह शब्द सिर्फ मुस्लिमों के लिए ही है। 2008 में तत्कालीन गृह मंत्री का समाचार पत्र को अल्लाह शब्द को प्रिंट करने की अनुमति नहीं देने का फैसला पब्लिक ऑर्डर पर आधारित था। कैथोलिक समाचार पत्र के वकील ने दलील दी कि इस्लाम से पहले अल्लाह शब्द इस्तेमाल होता आया है।

बोर्नियो द्वीप में मलय भाषा बोलने वाले ईसाई सदियों से इसका इस्तेमाल करते आ रहे हैं। समाचार पत्र ने कहा कि वह फैसले को उच्चतम न्यायालय में चुनौती देगा। इंडोनेशिया और अरब वर्ल्ड में इस्लामिक अथॉरिटी ने अल्लाह शब्द के इस्तेमाल पर कभी आपत्ति नहीं जताई। इस कारण ईसाई इस शब्द का इस्तेमाल करते आए हैं।

राजस्थान भाजपा की पहली संभावित सूचि ,सिवाना से कान सिंह और जैसलमेर से छोटू सिंह


राजस्थान भाजपा की पहली संभावित सूचि ,राजस्थान बीजेपी के प्रत्याशी

सिवाना से कान सिंह और जैसलमेर से 

छोटू सिंह 

बाड़मेर आगामी विधानसभा चुनावो के लिए भारतीय जनता पार्टी ने छानबीन के बाद कई नामो को अंतिम रूप दिया हें। इन सीटो पर विशेष परिस्थितियों में बदलाव संभव हें। भाजपा में अपने कई वर्तमान विधायको को बरकरार रखा हें। राजस्थान भाजपा की पहली संभावित सूचि

राजस्थान बीजेपी के प्रत्याशी

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इनमें वसुन्धरा राजे झालरापाटन (झालावाड़),

राजेन्द्र राठौड़ चूरू

डॉ. दिगम्बर सिंह कुम्हैर (भरतपुर),

वासुदेव देवनानी अजमेर उत्तर,

अनिता भदेल अजमेर दक्षिण,

शंकरसिंह रावत ब्यावर,

रामहेत सिंह किशनगढ़वास (अलवर),

डॉ. जसवंत सिंह बहराड़ (अलवर),

रोहिताश शर्मा बानसूर (अलवर),

बनवारी लाल सिंघल अलवर शहर,

ज्ञानदेव आहूजा रामगढ़ (अलवर),

बाबूलाल बैरवा कठुमर (अलवर),

कानसिंह काटोड़ी सिवाना (बाड़मेर),

अनिता सिंह नगर (भरतपुर),

विजय बंसल भरतपुर,

कृष्णकेन्द्र कौर दीपा नदबई (भरतपुर),

बहादुर सिंह वैर (भरतपुर),

ग्यारसाराम कोली बयाना (भरतपुर),

रामलाल गुर्जर आसींद (भीलवाड़ा),

शिवजीराम मीणा जहाजपुर (भीलवाड़ा),

विठ्ठलसिंह अवस्थी भीलवाड़ा,

विश्वनाथ मेघवाल खाजूवाला (बीकानेर),

गोपाल जोशी बीकानेर पश्चिम,

सिद्धी कुमारी बीकानेर पूर्व,

देवी सिंह भाटी कोलायत (बीकानेर),

प्रभुलाल सैनी हिंडोली (बूंदी),

अशोक डोगरा बूंदी,

कमला कस्वां सादुलपुर (चूरू),

अशोक पींचा सरदारशहर (चूरू),

राजकुमार रिणवा रतनगढ़ (चूरू),

सुखराम बसेड़ी (धौलपुर),

अब्दुल सगीर खान धोलपुर,

रवीन्द्र सिंह बोहरा राजाखेड़ा (धौलपुर),

राधेश्याम गंगानगर, श्रीगंगानगर,

अभिषेक मटोरिया नोहर (हनुमानगढ़),

फूलचंद भिंडा विराटनगर (जयपुर),

राव राजेन्द्रसिंह शाहपुरा (जयपुर),

निर्मल कुमावत फुलेरा (जयपुर),

नरपतसिंह राजवी चित्तौडग़ढ़,

मोहनलाल गुप्ता किशनपोल (जयपुर),

अशोक परनामी आदर्शनगर (जयपुर),

कालीचरण सर्राफ मालवीय नगर (जयपुर),

घनश्याम तिवाड़ी सांगानेर (जयपुर),

प्रमिला कुण्डारा चाकसू (जयपुर),

छोटूसिंह भाटी जैसलमेर,

पूराराम चौधरी भीनमाल (जालौर),

अनिल जैन खानपुर (झालावाड़),

सुन्दरलाल पिलानी (झुंझुनूं),

गजेन्द्रसिंह खींवसर लोहावट (जोधपुर),

बाबूसिंह राठौड़ शेरगढ़ (जोधपुर),

कमसा मेघवाल भोपालगढ़ (जोधपुर),

केलशचंद भंसाली जोधपुर,

सूर्यकांता व्यास सूरसागर (जोधपुर),

अर्जुनलाल बिलाड़ा (जोधपुर),

रमेशचंद मीणा टोड़ा भीम (करौली),

रोहिणी कुमारी करौली,

ओम बिरला कोटा दक्षिण,

भवानीसिंह राजावत लाडपुरा (कोटा),

चन्द्रकांता मेघवाल रामगंज मंडी (कोटा),

• मोहम्मद मौलाना हबीबुर्ररहमान नागौर,

 सुखराम नेतदिया मेड़ता (नागौर)

रुपाराम मुरावतिया मकराना (नागौर),

अजय सिंह डेगाना (नागौर),

मान सिंह परबतसर (नागौर),

संजना आगरी सोजत (पाली),

केसाराम चौधरी मारवाड़ जंक्शन (पाली),

पुष्पेन्द्र सिंह बाली (पाली),

हरि सिंह रावत भीम (राजसमन्द),

किरण माहेश्वरी राजसमन्द,

कल्याण सिंह चौहान नाथद्वारा (राजसमन्द),

बंसीधर खंडेला खंडेला (सीकर),

ओटाराम देवासी सिरोही,

जगसीराम कोली रेवदर (सिरोही),

बाबूलाल खराड़ी झाडोल (उदयपुर),

गुलाबचंद कटारिया (उदयपुर),

नन्दलाल मीणा (प्रतापगढ़),

दियाकुमारी हवामहल (जयपुर),

रणबीर पहलवान मालपुरा (टोंक)

और

उषा पूनियां चौमूं (जयपुर)

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राजस्थान दर्शन। गुलाबी नगर जयपुर की सैर

राजस्थान दर्शन। गुलाबी नगर जयपुर की सैर 


भारत के एतिहासिक एवं सांस्कृतिक राज्यों में राजस्थान अग्रणीय है। प्राचीन सभ्यता में डूबे हुए शहर की विविधता हर रूप में उभर कर आती है। राजस्थान की राजधानी जयपुर एक प्राचीन शहर है जो गुलाबी शहर के नाम से भी प्रसिद्ध है। इसकी पश्चिम ओर स्थित है थार मरुभूमि जो दुनिया के मशहूर रेगिस्तानों में से एक है।  

आकर्षक पर्यटन स्थल

शहर में बहुत से पर्यटन आकर्षण हैं, जैसे जंतर मंतर, जयपुर, हवा महल, सिटी पैलेस, गोविंद देवजी का मंदिर, बी एम बिड़ला तारामण्डल, आमेर का किला, जयगढ़ दुर्ग आदि। जयपुर के रौनक भरे बाजारों में दुकानें रंग बिरंगे सामानों से भरी हैं , जिनमें हथकरघा उत्पाद, बहुमूल्य पत्थर, हस्तकला से युक्त वनस्पति रंगों से बने वस्त्र, मीनाकारी आभूषण, पीतल का सजावटी सामान,राजस्थानी चित्रकला के नमूने, नागरा-मोजरी जूतियाँ, ब्लू पॉटरी, हाथीदांत के हस्तशिल्प और सफ़ेद संगमरमर की मूर्तियां आदि शामिल हैं। प्रसिद्ध बाजारों में जौहरी बाजार, बापू बाजार, नेहरू बाजार, चौड़ा रास्ता, त्रिपोलिया बाजार और एम.आई. रोड़ के साथ लगे बाजार हैं ।

सिटी पैलेस
राजस्थानी व मुगल शैलियों की मिश्रित रचना एक पूर्व शाही निवास जो पुराने शहर के बीचोंबीच है। भूरे संगमरमर के स्तंभों पर टिके नक्काशीदार मेहराब, सोने व रंगीन पत्थरों की फूलों वाली आकृतियों ले अलंकृत है। संगमरमर के दो नक्काशीदार हाथी प्रवेश द्वार पर प्रहरी की तरह खड़े है। जिन परिवारों ने पीढ़ी-दर-पीढ़ी राजाओं की सेवा की है। वे लोग गाइड के रूप में कार्य करते है। पैलेस में एक संग्राहलय है जिसमें राजस्थानी पोशाकों व मुगलों तथा राजपूतों के हथियार का बढ़िया संग्रह हैं। इसमें विभिन्न रंगों व आकारों वाली तराशी हुई मूंठ की तलवारें भी हैं, जिनमें से कई मीनाकारी के जड़ऊ काम व जवाहरातों से अलंकृत है तथा शानदार जड़ी हुई म्यानों से युक्त हैं। महल में एक कलादीर्घा भी हैं जिसमें लघुचित्रों, कालीनों, शाही साजों सामान और अरबी, फारसी, लेटिन व संस्कृत में दुर्लभ खगोल विज्ञान की रचनाओं का उत्कृष्ट संग्रह है जो सवाई जयसिंह द्वितीय ने विस्तृत रूप से खगोल विज्ञान का अध्ययन करने के लिए प्राप्त की थी।

जंतर मंतर
एक पत्थर की वेधशाला। यह जयसिंह की पाँच वेधशालाओं में से सबसे विशाल है। इसके जटिल यंत्र, इसका विन्यास व आकार वैज्ञानिक ढंग से तैयार किया गया है। यह विश्वप्रसिद्ध वेधशाला जिसे २०१२ में यूनेस्को ने विश्व धरोहरों में शामिल किया है, मध्ययुगीन भारत के खगोलविज्ञान की उपलब्धियों का जीवंत नमूना है! इनमें सबसे प्रभावशाली रामयंत्र है जिसका इस्तेमाल ऊंचाई नापने के लिए किया जाता है।

हवा महल

ईसवी सन् 1799 में निर्मित हवा महल राजपूत स्थापत्य का मुख्य प्रमाण चिन्ह। पुरानी नगरी की मुख्य गलियों के साथ यह पाँच मंजिली इमारत गुलाबी रंग में अर्धअष्टभुजाकार और परिष्कृत छतेदार बलुए पत्थर की खिड़कियों से सुसज्जित है। शाही स्त्रियां शहर का दैनिक जीवन व शहर के जुलूस देख सकें इसी उद्देश्य से इमारत की रचना की गई थी।

गोविंद देवजी का मंदिर

भगवान कृष्ण का जयपुर का सबसे प्रसिद्ध, बिना शिखर का मंदिर। यह चन्द्रमहल के पूर्व में बने जन-निवास बगीचे के मध्य अहाते में स्थित है। संरक्षक देवता गोविंदजी की मूर्ति पहले वृंदावन के मंदिर में स्थापित थी जिसको सवाई जयसिंह द्वितीय ने अपने परिवार के देवता के रूप में यहाँ पुनः स्थापित किया था।

सरगासूली-
(ईसर लाट) - त्रिपोलिया बाजार के पश्चिमी किनारे पर उच्च मीनारनुमा इमारत जिसका निर्माण ईसवी सन् 1749 में सवाई ईश्वरी सिंह ने अपनी मराठा विजय के उपलक्ष्य में करवाया था।

रामनिवास बाग
एक चिड़ियाघर, पौधघर, वनस्पति संग्रहालय से युक्त एक हरा भरा विस्तृत बाग, जहाँ खेल का प्रसिद्ध क्रिकेट मैदान भी है। बाढ राहत परियोजना के अंतर्गत ईसवी सन् 1865 में सवाई राम सिंह द्वितीय ने इसे बनवाया था। सर विंस्टन जैकब द्वारा रूपांकित, अल्बर्ट हाल जो भारतीय वास्तुकला शैली का परिष्कृत नमूना है, जिसे बाद में उत्कृष्ट मूर्तियों, चित्रों, सज्जित बर्तनों, प्राकृतिक विज्ञान के नमूनों, इजिप्ट की एक ममी और फारस के प्रख्यात कालीनों से सुसज्जित कर खोला गया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों को बढ़ावा देने के लिए एक प्रेक्षागृह के साथ रवीन्द्र मंच, एक आधुनिक कलादीर्घा व एक खुला थियेटर भी इसमें बनाया गया हैं।
गुड़िया घर 
पुलिस स्मारक के पास मूक बधिर विद्यालय के अहाते में विभिन्न देशों की प्यारी गुड़ियाँ यहाँ प्रदर्शित हैं (समयः 12 बजे से सात बजे तक)


बी एम बिड़ला तारामण्डल
(समयः 12 बजे से सात बजे तक)- अपने आधुनिक कम्पयूटरयुक्त प्रक्षेपण व्यवस्था के साथ इस ताराघर में श्रव्य व दृश्य शिक्षा व मनोरंजनों के साधनों की अनेखी सुविधा उपलब्घ है। विद्यालयों के दलों के लिये रियायत उपलब्ध है। प्रत्येक महीने के आखिरी बुघवार को यह बंद रहता है।

गलताजी

एक प्राचीन तार्थस्थल, निचली पहाड़ियों के बीच बगीचों से परे स्थित। मंदिर, मंडप और पवित्र कुंडो के साथ हरियाली युक्त प्राकृतिक दृश्य इसे आनन्ददायक स्थल बना देते हैं। दीवान कृपाराम द्वारा निर्मित उच्चतम चोटी के शिखर पर बना सूर्य देवता का छोटा मंदिर शहर के सारे स्थानों से दिखाई पड़ता है।

जैन मंदिर
आगरा मार्ग पर बने इस उत्कृष्ट जैन मंदिर की दीवारों पर जयपुर शैली में उन्नीसवीं सदी के अत्यधिक सुंदर चित्र बने हैं।

मोती डूंगरी और लक्ष्मी नारायण मंदिर
मोती डूंगरी एक निजी पहाड़ी ऊंचाई पर बना किला है जो स्कॉटलैण्ड के किले की तरह निर्मित है। कुछ वर्षों पहले, पहाड़ी पादगिरी पर बना गणेश मंदिर और अद्भुत लक्ष्मी नारायण मंदिर भी उल्लेखनीय है।

स्टैच्यू सर्किल 
चक्कर के मध्य सवाई जयसिंह का स्टैच्यू बहुत ही उत्कृष्ट ढंग से बना हुआ है। इसे जयपुर के संस्थापक को श्रद्धांजलि देने के लिए नई क्षेत्रीय योजना के अंतर्गत बनाया गया है। इस में स्थापित सवाई जयसिंह की भव्यमूर्ति के मूर्तिशिल्पी स्व.महेंद्र कुमार दास हैं।

अन्य स्थल
आमेर मार्ग पर रामगढ़ मार्ग के चौराहे के पास रानियों की याद में बनी आकर्षक महारानी की कई छतरियां है। मानसागर झील के मध्य, सवाई माधोसिंह प्रथम द्वारा निर्मित जल महल, एक मनोहारी स्थल है। परिष्कृत मंदिरों व बगीचों वाले कनक वृंदावन भवन की पुरातन पूर्णता को विगत समय में पुनर्निर्मित किया गया है। इस सड़क के पश्चिम में गैटोर में शाही शमशान घाट है जिसमें जयपुर के सवाई ईश्वरी सिंह के सिवाय समस्त शासकों के भव्य स्मारक हैं। बारीक नक्काशी व लालित्यपूर्ण आकार से युक्त सवाई जयसिंह द्वितीय की बहुत ही प्रभावशाली छतरी है। प्राकृतिक पृष्ठभूमि से युक्त बगीचे आगरा मार्ग पर दीवारों से घिरे शहर के दक्षिण पूर्वी कोने पर घाटी में फैले हुए हैं।

गैटोर
सिसोदिया रानी के बाग में फव्वारों, पानी की नहरों, व चित्रित मंडपों के साथ पंक्तिबद्ध बहुस्तरीय बगीचे हैं व बैठकों के कमरे हैं। अन्य बगीचों में, विद्याधर का बाग बहुत ही अच्छे ढ़ग से संरक्षित बाग है, इसमें घने वृक्ष, बहता पानी व खुले मंडप हैं। इसे शहर के नियोजक विद्याधर ने निर्मित किया था।

आमेर

यह कभी सात सदी तक ढूंडार के पुराने राज्य के कच्छवाहा शासकों की राजधानी थी। 
आमेर और शीला माता मंदिर - लगभग दो शताब्दी पूर्व राजा मान सिंह, मिर्जा राजा जयसिंह और सवाई जयसिंह द्वारा निर्मित महलों, मंडपों, बगीचों और मंदिरों का एक आकर्षक भवन है। मावठा झील के शान्त पानी से यह महल सीधा उभरता है और वहाँ सुगम रास्ते द्वारा पहुंचा जा सकता है। सिंह पोल और जलेब चौक तक अकसर पर्यटक हाथी पर सवार होकर जाते हैं। चौक के सिरे से सीढ़ियों की पंक्तियाँ उठती हैं, एक शिला माता के मंदिर की ओर जाती है और दूसरी महल के भवन की ओर। यहां स्थापित करने के लिए राजा मानसिंह द्वारा संरक्षक देवी की मूर्ति, जिसकी पूजा हजारों श्रद्धालु करते है, पूर्वी बंगाल (जो अब बंगला देश है) के जेसोर से यहां लाई गई थी। एक दर्शनीय स्तंभों वाला हॉल दीवान-ए-आम और एक दोमंजिला चित्रित प्रवेशद्वार, गणेश पोल आगे के प्रांगण में है। गलियारे के पीछे चारबाग की तरह का एक रमणीय छोटा बगीचा है जिसकी दाई तरफ सुख निवास है और बाई तरफ जसमंदिर। इसमें मुगल व राजपूत वास्तुकला का मिश्रित है, बारीक ढंग से नक्काशी की हुई जाली की चिलमन, बारीक शीशों और गचकारी का कार्य और चित्रित व नक्काशीदार निचली दीवारें । मावठा झील के मध्य में सही अनुपातित मोहन बाड़ी या केसर क्यारी और उसके पूर्वी किनारे पर दिलराम बाग ऊपर बने महलों का मनोहर दृश्य दिखाते है।



पुराना शहर - कभी राजाओं, हस्तशिल्पों व आम जनता का आवास आमेर का पुराना क़स्बा अब खंडहर बन गया है। आकर्षक ढंग से नक्काशीदार व सुनियोजित जगत शिरोमणि मंदिर, मीराबाई से जुड़ा एक कृष्ण मंदिर, नरसिंहजी का पुराना मंदिर व अच्छे ढंग से बना सीढ़ियों वाला कुआँ, पन्ना मियां का कुण्ड समृद्ध अतीत के अवशेष हैं ।

जयगढ़ किला

मध्ययुगीन भारत के कुछ सैनिक इमारतों में से एक। महलों, बगीचों, टांकियों, अन्य भन्डार, शस्त्रागार, एक सुनोयोजित तोप ढलाई-घर, अनेक मंदिर, एक लंबा बुर्ज और एक विशालकाय तोप - जयबाण जो देश की सबसे बड़ी तोपों में से एक है। जयगढ़ के फैले हुए परकोटे, बुर्ज और प्रवेश द्वार पश्चिमी द्वार क्षितिज को छूते हैं. नाहरगढः जयगढ की पहाड़ियों के पीछे स्थित गुलाबी शहर का पहरेदार है - नाहरगढ़ किला। यद्यपि इसका बहुत कुछ हिस्सा ध्वस्त हो गया है, फिर भी सवाई मान सिंह द्वितीय व सवाई माधोसिंह द्वितीय द्वारा बनाई मनोहर इमारतें किले की रौनक बढाती हैं सांगानेर (१२ किलोमीटर) - यह टोंक जाने वाले राजमार्ग पर स्थित है। इसके ध्वस्त महलों के अतिरिक्त, सांगानेर के उत्कृष्ट नक्काशीदार जैन मंदिर है। दो त्रिपोलिया (तीन मुख्य द्वार ) के अवशेषो द्वारा नगर में प्रवेश किया जाता है।


व्यंजन
यहां के स्वादिष्ट व्यंजन पर्यटकों को बहुत रास आते हैं। दाल-बाटी, चूरमा मुख्य व्यंजन है। एमआई रोड पर मन को लुभाने वाली विभिन्न प्रकार की वस्तुएँ मिलती हैं। चोखी ढाणी में पारम्पिरक सभ्यता के अनुसार भोजन परोसा जाता है। तरह-तरह के व्यंजन परोसे जाते हैं। जैसे कि गतला, खेर सारंगी, बाजरे की रोटी एवं लहसुन-मिर्ची की चटनी। ग्रामीण सभ्यता के अनुसार शर्मा ढाबा में नान, चटनी एवं पनीर मसाला बहुत ही लोकप्रिय है।

खरीदारी के लिए 

पर्यटकों के पास अनगिनत वस्तुएँ उपलब्ध हैं खरीदने के लिए। ब्लॉक प्रिंटिंग, बंधिश, रजाई, वस्त्र, पारम्परिक तरीके से बनाए गए सोने एवं चाँदी के गहने मिलते है। जौहरी बाजार के गोपालजी के रास्ते में कई प्रकार के गहने मिलते हैं। संगानेर क्षेत्र हाथ से कारीगरी किए हुए कपड़े पर ब्लॉक प्रिंट की गई थी।

रविवार, 13 अक्टूबर 2013

5 साल की बच्ची बनी हवस का शिकार

5 साल की बच्ची बनी हवस का शिकार

कोटा। शहर के विज्ञान नगर थाना क्षेत्र में शनिवार को एक युवक ने 5 साल की बच्ची से दुष्कर्म किया। मौके पर कुछ लोगों ने उसे देख लिया। इस पर आक्रोशित लोगों ने उसकी धुनाई कर दी और पुलिस के सुपुर्द कर दिया। पुलिस ने पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर अभियुक्त को गिरफ्तार कर लिया।

थानाधिकारी अमर सिंह राठौड़ ने बताया कि छावनी रामचंद्रपुरा निवासी रणजीत वाल्मीकि उसके पड़ौस में ही रहने वाले अपने रिश्तेदार की पांच साल की बच्ची को चॉकलेट दिलाने के बहाने बहला-फुसलाकर आईटीआई परिसर की झाडियों में ले गया और दुष्कर्म किया।

वहां से गुजर रहे कुछ लोगों ने उसे बच्ची के साथ देखा तो पकड़कर उसकी धुनाई कर दी। शोर सुनकर लोग जमा हो गए। सूचना पर पुलिस जाप्ता मौके पर पहुंचा। लोगों ने अभियुक्त को पुलिस के सुपूर्द कर दिया।

घटना के चश्मदीद छत्रपुरा निवासी रवि नायक ने अभियुक्त के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई। पुलिस ने अभियुक्त रणजीत के खिलाफ पोक्सो एक्ट में मुकदमा दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। साथ ही मेडिकल बोर्ड से उसका मेडिकल काराया। बच्ची उसकी दादी के पास रहती है। उसके माता-पिता करीब तीन माह से मजदूरी के लिए जयपुर गए हैं। अभियुक्त शादीशुदा है।

विवाद में दादा-बेटे-पोते की हत्या

विवाद में दादा-बेटे-पोते की हत्या
भादरा (हनुमानगढ़)। अनूपशहर में रविवार सुबह भूमि विवाद में एक ही परिवार के तीन जनों की हत्या कर दी गई। सामूहिक हमले में इसी परिवार के दो जने घायल हो गए। घायल युवक-युवती को भादरा के राजकीय चिकित्सालय में प्राथमिक उपचार के बाद सिरसा रैफर कर दिया गया।

इस विवाद में घायल हुए कैलाश ने पुलिस में अनूपशहर के आधा दर्जन लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया है। पुलिस ने मृतकों मोमनराम लखारा, उसके पुत्र भंवरलाल व पोते पंकज के शव पोस्टमार्टम के बाद परिजनों को सौंप दिए हैं। पुलिस के मुताबिक बुजुर्ग मोमनराम पर घर में तथा भंवरलाल व पंकज पर खेत में हमला किया गया।

हमलावरों ने पहले खेत में तथा बाद में घर में मोमनराम व उसके परिवार के लोगों पर हमला किया। खेत में हमले में मोमनराम का पोता कैलाश व घर में पोती चंद्रकला गंभीर घायल हो गए। हमलावरों ने खेत में घायल करने के बाद भंवरलाल, उसके पुत्र पंकज व कैलाश की आंखों में नीला थोथा डाल दिया। पुलिस घटना का कारण भूमि विवाद बता रही है।

पुलिस के अनुसार रविवार सुबह भंवरलाल तथा उसके पुत्र पंकज व कैलाश ग्वार काटने खेत गए। इसी दौरान लीलाधर, आत्माराम, पवन, ओमप्रकाश, श्रवण व राकेश लखारा ट्रैक्टर में लाठी, कुल्हाड़ी आदि हथियारों से लैस होकर आए। उन्होंने भंवरलाल तथा उसके पुत्रों पर हमला कर दिया। इससे तीनों के सिर व अन्य जगह चोटें आई तथा भंवरलाल व पंकज ने खेत में ही दम तोड़ दिया।

हमलावरों ने उनकी आंखों में नीला थोथा भी डाल दिया। इसके बाद हमलावर खेत से घर आए तथा वहां परिवार के मुखिया मोमनराम व उसकी पोती चंद्रकला पर हमला कर दिया। उपचार के लिए भादरा लाते समय वृद्ध मोमनराम ने रास्ते में दम तोड़ दिया। एएसपी महेन्द्रसिंह के अनुसार एक आरोपी आत्माराम को हिरासत में लिया गया है।