सोमवार, 7 जनवरी 2013

अब एनडीपीएस मामलों की सुनवाई होगी बाड़मेर में



अब एनडीपीएस मामलों की सुनवाई होगी बाड़मेर में


प्रमुख शासन सचिव ने रजिस्‍ट्रार जनरल राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय जोधपुर को दिए निर्देश

बाड़मेर। बाड़मेर अधिवक्‍ता संघ के लम्‍बे समय से चली आ रही मांग के बाद प्रमुख शासन सचिव विधि एंव विधिक कार्य विभाग राजस्‍थान सरकार ने राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय जोधपुर रजिस्‍ट्रार जनरल को एनडीपीएस मामलों की सुनवाई बाड़मेर में ही करवाने के निर्देश दिए है। गौरतलब है कि अब तक बाड़मेर में दर्ज होने वाले एनडीपीएस मामलों की सुनवाई जोधपुर में होती थी। बाड़मेर के वरिष्‍ठ अधिवक्‍ता यज्ञदत्‍त जोशी के मुताबिक एनडीपीएस मामलों की सुनवाई जोधपुर में होने के कारण ऐसे मामलों में लोगों को अपने मामलों की पैरवी के लिए जोधपुर जाना पड़ता था, जिससे समय और धन की बर्बादी के साथ ही न्‍याय मिलने में भी देरी होती है।


जोशी ने बताया कि बीते दिना बाड़मेर बार एशोसिएसन के अध्‍यक्ष सोहनलाल चौधरी के अध्‍यक्षता में एक प्रतिनिधि मंडल ने जयपुर में मुख्‍यमंत्री से मिलकर एनडीपीएस मामलों की सुनवाई जोधपुर के बजाय बाड़मेर में करवाने की मांग की थी। जोशी ने बताया कि बाड़मेर अधिवक्‍ता संघ की मांग पर मुख्‍यमंत्री ने तत्‍काल ही प्रमुख शासन सचिव विधि एंव विधिक कार्य विभाग राजस्‍थान सरकार को अधिवक्‍ता संघ की मांग पर कार्यवाही करने के निर्देश दिए थे।

जोशी ने बताया कि मुख्‍यमंत्री के निर्देशों के बाद प्रमुख शासन सचिव विधि एंव विधिक कार्य विभाग राजस्‍थान सरकार ने बीती 31 दिसम्‍बर को राजस्‍थान उच्‍च न्‍यायालय जोधपुर रजिस्‍ट्रार जनरल को एनडीपीएस मामलों की सुनवाई बाड़मेर जिला मुख्‍यालय स्थित अपर जिला एवं सेशन न्‍यायालय अथवा विशिष्‍ट न्‍यायालय अनुसूचित जाति जनजाति (अत्‍याचार निवारण प्रकरण) बाड़मेर को सूपुर्द करने के लिए पत्र लिखा है।

स्वर्ण नगरी में देह व्यापार को मिल रहा है खाकी का प्रश्रय…



-जैसलमेर से सिकंदर शेख़||

स्वर्ण नगरी जैसलमेर विश्व् मानचित्र पर पर्यटन नगरी के नाम से विख्यात है, देश दुनिया से लाखों की संख्या में पर्यटक हर वर्ष इसको निहारने यहाँ आते हैं जिससे इस शहर की आर्थिक स्थिति बहुत ज्यादा सुदृढ़ है, आज भी यहाँ के बाशिंदे अपनी सभ्यता और संस्कृति के लिए खासे जाने जाते हैं. लेकिन कुछ एक वर्षों से यहाँ अपराधिक गतिविधियाँ ज्यादा बढ़ गयी है, चाहे वो चोरी की हो, लूट की हो, यहाँ तक की हत्या जैसी भी घटनाये यहाँ बढ़ गयी है, पुलिस की बात की जाए तो वो एक नाकर सिस्टम के साथ यहाँ बैठी है, चाहे हरीश हत्याकांड हो, डालूराम हत्याकांड या फिर हाल ही में होटल काम्प्लेक्स के पास मिला एक युवक का शव , इन सारी हत्याओं के पीछे कोई न कोई तथ्य जरूर रहा है मगर पुलिस इन हत्याकांडों की गुथियाँ सुलझाने में असमर्थ ही रही है या यूँ कहे की अपनी ड्यूटी को निभाने में वो असफल रही है ,सभी हत्याओं पर गौर किया जाय तो सबके पीछे कोई ना कोई वजह जरूर रही होगी, लेकिन पुलिस का मानना है की इन सब हत्याओं के पीछे अवैध संबंधों की बू आती है.

अब बात यहाँ आ पहुंची है तो गौर करने वाली बात ये है की पिछले कुछ समय से जैसलमेर में ऐसा कौन आ गया जिसके पीछे हत्याओं का सिलसिला शुरू हो गया जो कि इस जैसलमेर जैसे शांत वातावरण में ज़हर घोलने का कार्य कर रहा है

इसका सबसे बड़ा उदाहरण है यहाँ बाहर से आई वो महिलाएं जो शहर के विभिन्न हिस्सों में देह व्यापार का कारोबार फैला कर बैठी है, कच्ची बस्तियों में इस तरह का व्यापर आम बात हो गयी है, ऐसा नहीं है कि इसकी जानकारी पुलिस या प्रशासन को नहीं है , जानकारी है मगर सूत्र बताते हैं की इन महिलाओं का नेटवर्क इतना तगड़ा है की पुलिस भी इनपर हाथ डालने से घबराती है, पहले इस तरह के कार्य रात के अँधेरे में होते थे मगर आज कल तो दिन में खुलेआम देह व्यापार का कार्य होता देखा जा सकता है

गफूर भट्टा हो बब्बरमगरा हो, वहाँ रात दिन वासना का खेल पैसे लेकर खेला जाता है, आस पड़ोस के लोगों का तो जीना ही मुहाल हो गया है. मगर पुलिस में शिकायत करने से भी घबराने वाले लोग दबी जुबां में कहते हैं कि यहाँ तो ऐसे लोगों को भी आते देखा है जो की काफी ऊंची पहुँच वाले है तो इन महिलाओं का हौसला इतना बुलंद है कि बेचारा पडोसी किसी मामले में फंस न जाय, इससे ये शिकायत करते भी घबरा जाता है.

यहाँ के युवाओं को भटकाती ये बाहर से आई देह व्यापार करने वाली महिलाएं उन्हें इस गर्त में धकेल रही है साथ ही साथ इनका नेटवर्क भी इतना बढ़ गया है कि जोधपुर और अहमदाबाद से लडकियां लाकर यहाँ सप्लाई की जाती है , और पर्यटन सीजन में तो ये लड़कियों को होटलों और बाहर बने रिसोर्ट में भी भेजती है जिससे बाहर से आने वाले पर्यटक को सीधे लडकियां सप्लाई की जाती है ,

गफूर भट्टे पर भी एक बाहर से आई महिला इस तरह का कारोबार करती है मज़े की बात तो ये है की वो जिस मकान में रहती है वो पूरा अतिक्रमण है. ना तो उसका कोई सर्वे हो रखा है और न ही कोई पट्टा है, मगर फिर भी वो महिला धड़ल्ले से वहाँ रह रही है और बेखोफ देहव्यापार का कारोबार चला रही है.

नगरपरिषद जहाँ एक और गरीबों के झोंपड़े तोड़ रहा है वहीँ, इस महिला के अतिक्रमण पर उसकी कोई नज़र भी नहीं जाती है और पुलिस तो यहाँ आये ही क्यों? क्योंकि यहाँ तो उसका कोई काम ही नहीं है, कहने वाले कहते हैं कि कई खाकी वर्दी वाले भी यहाँ रात को मंडराते दिखाई पड़ते हैं, मगर कोई कार्रवाई करने नहीं अपितु……! सुनने में तो ये भी आया था की एक बुजुर्ग को इस महिला ने काफी समय से ब्लैकमेल कर रखा था जो कि अभी इन दिनों यहाँ आया था और उसने बड़ी मुश्किल से इस महिला से पीछा छुड़ाया. क्योंकि इस महिला ने उससे काफी रकम भी ऐंठ रखी थी और काफी लम्बे समय से ब्लैकमेल भी कर रही थी बेचारे उस बुजुर्ग के लड़के ने यहाँ आकर उससे पीछा छुड़ाने के लिए जिन लोगों से मध्यस्थता करवाई वो भी सब लोगों को पता चल चुकी है कि कौन लोग थे. इन महिलाओं को आप जिला कलेक्ट्रेट में भी बिना हिचक घुमते देख सकते है.

गौरतलब है की जैसलमेर में बढ़ रहे अपराधों में इस तरह के देह व्यापार का भी बहुत अहम् हाथ है ये एक तरह की वो काली स्याही है जो धीरे धीरे समाज में एक बिमारी की तरह फ़ैल रही है अगर समय रहते इसे रोका ना गया तो इसका हश्र क्या होगा ये कोई नहीं जानता.

90 साल के शख्स ने नाबालिग से की शादी

90 साल के शख्स ने नाबालिग से की शादी
दुबई। सऊदी अरब के 90 साल के एक शख्स ने 15 साल की लड़की से निकाह किया है। अल अरेबिया के मुताबिक निकाह से नाराज लड़की ने खुद को कमरे में बंद कर दिया और दो दिन तक शौहर को बेडरूम में घुसने नहीं दिया।

बाद में लड़की अपने पिता के घर चली गई। उधर लड़की के शौहर का कहना है कि उसका निकाह कानूनी तौर पर वैध है। उसने निकाह के लिए लड़की के परिजनों को 17 हजार डॉलर दिए थे। उसने लड़की के घर वालों से कहा है कि या तो वे अपनी बेटी को उसके घर भेज दें नहीं तो उसके पैसे लौटाएं।

लड़की के पिता यमन मूल के हैं जबकि मां सऊदी अरब की है। मीडिया में खबर आने के बाद मानवाधिकार संगठन इस निकाह का विरोध कर रहे हैं। सोशन नेटवर्किग साइट्स पर भी लोग लड़की को इंसाफ दिलाने के लिए अपनी आवाज बुलंद कर रहे हैं। उनका कहना है कि लालची माता-पिता ने पैसों की खातिर अपनी बेटी का सौदा कर दिया।

रेपिस्टों की पेशी,वकीलों का हंगामा

रेपिस्टों की पेशी,वकीलों का हंगामा

नई दिल्ली। दिल्ली गैंग रेप मामले की सुनवाई बंद कमरे में होगी। अदालती कार्यवाही की वीडियो रिकॉर्डिग की जाएगी। मीडिया मामले की सुनवाई की रिर्पोटिंग नहीं कर पाएगा। साकेत कोर्ट ने पुलिस की अर्जी पर इसकी इजाजत दे दी। इससे पहले गैंग रेप के पांच आरोपियों को कोर्ट में पेश किया गया। पेशी से पहले कोर्ट में उस वक्त हंगामा हो गया जब दो वकील आरोपियों का केस लड़ने के लिए तैयार हो गए।

अन्य वकीलों ने इसका जमकर विरोध किया। उन्होंने नारेबाजी शुरू कर दी। गौरतलब है कि साकेत बार एसोसिएशन के सदस्यों ने फैसला किया था कि कोई भी वकील आरोपियों का केस नहीं लड़ेगा। वकील एमएल शर्मा ने कहा कि आरोपियों का परिवार केस लड़ने की गुहार लेकर उनके पास आया था।

पुलिस ने कहा,गवाह की जरूरत नहीं

इस बीच पुलिस सूत्रों ने कहा है कि उसे सरकारी गवाह की जरूरत नहीं है क्योंकि उनके पास पर्याप्त सबूत हैं। आरोपियों को दोषी साबित करने के लिए उनके पास पर्याप्त फोरेंसिक सबूत हैं। अगर आरोपियों को दोषी करार दिया जाता है तो उन्हेे फांसी की सजा भी हो सकती है। गौरतलब है कि दो आरोपियों ने रविवार को साकेत कोर्ट में जज के सामने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जताई थी।

आरोपी पवन गुप्ता और विनय शर्मा ने कानूनी मदद लेने से इनकार कर दिया था और कहा था कि उन्हें सरकारी गवाह बनने दिया जाए। बाकी दो आरोपी राम सिंह और उसके भाई मुकेश ने अपनी पैरवी के लिए वकील की मांग की थी। इस केस में पुलिस ने चार्जशीट दायर कर दी हैए जिसके बाद कोर्ट ने छह में से पांच आरोपियों के खिलाफ प्रोडक्शन वारंट जारी किया था।

बेटी, यह धर्म है पाप नहीं, कुंवारी कन्या बाप का मुंह देखती रह गई!



राजस्थानी धोरों के आगोश में हजारों प्रेम कहानियां खामोश छिटकीं पड़ी हैं। हवा के सर्द झोंके जब धोरों में सिहरन पैदा करते हैं तो फिजां में प्रेम आख्यान गूंजने लगते हैं। ऐसे ही प्रेम आख्यानों में से एक है जेठवा उजली की प्रेम कहानी, जब प्रेम में समर्पण की बात आती है लोगों की जुबां पर उजली का नाम होता हैं। राजस्थान के प्रसिद्ध साहित्यिक हस्तियों में से एक लक्ष्मीकुमारी चूड़ावत ने जेठवा उजली के प्रेम पर आधारित कहानी भी रची हैं। .जेठवा-उजली के उस अमर प्रेम की दास्तान..जहां समर्पण ही सबकुछ है...
बेटी, यह धर्म है पाप नहीं, कुंवारी कन्या बाप का मुंह देखती रह गई!
एक दिन बरड़े की पहाडिय़ों में जबर्दस्त आंधी, तूफान के साथ मूसलाधार बारिश हुई। बरसात ऐसी कि इस तलहटी में अपने पशु चराने आए चारणों के परिवारों के बच्चे सहम गये और अपनी मांओं की छातियों से चिपक गए। बूढ़ों को लगा जैसे आज ही काल आ गया। क्या औरत, क्या आदमी और क्या बच्चे सब ईश्‍वर से प्रार्थना करने लगे कि प्रभु अपनी इस प्रकोपी बरसात को वापस ले लो। एक कामचलाउ झोंपड़ी में अस्सी बरस का बूढ़ा अमरा चारण अपनी गुदड़ी में दुबका, ठिठुरता हुआ माला के मनके फर रहा था।
बेटी, यह धर्म है पाप नहीं, कुंवारी कन्या बाप का मुंह देखती रह गई!
आधी रात का वक्त इस भयानक बारिश में कब आ गया पता ही न चला। ऐसे ही वक्त अमरा को झोंपड़ी के बाहर घोड़े की टापों की आवाज सुनाई दी। थोड़ी देर में आवाज झोंपड़ी के बाहर आकर रूक गई। घोड़े की हिनहिनाहट सुनाई दी। बूढ़े अमरा ने अपनी जवान बेटी को आवाज दी, बेटी उजली! उठकर जरा बाहर तो देख, इस तूफानी रात में कौन आया है।ठण्ड में कांपती उजली ने गुदड़ी फेंकी और बाहर देखा तो एक घोड़ा खड़ा था। घुड़सवार घोड़े के पांवों के पास गठरी हुआ पड़ा था, बिल्कुल अचेत, पानी में तर बदन और आंखें बंद। उजली ने बापू को सारा दृश्‍य बताया तो बूढ़ा बाप बाहर आया और देखा कि नौजवान घुड़सवार की नाड़ी चल रही है। दोनों बाप-बेटी जैसे-तैसे नौजवान को झोंपड़ी के भीतर लाए।

बाप ने बेटी से कहा कि इस नौजवान को बचाना है तो इसका शरीर गर्म करना पड़ेगा, नहीं तो ठण्ड के मारे बदन अकड़ जाएगा। उजली ने बापू से कहा कि गुदडी़ तो एक ही है, बाकी सब बरसात में गीली हो गई हैं। पिता ने कहा कि चूल्हे में आग जला कर भी गर्मी पैदा की जा सकती है। उजली ने बताया कि थोड़ी-सी लकडिय़ां हैं।लेकिन वो भी गीली हैं। भयानक बारिश के बीच यह एक और भयानक संकट। 

घर आया अतिथि मर जाए तो भयानक पाप के भागी होंगे बाप-बेटी।पिता ने आखिरी उपाय सोचकर कहा, बेटी अगर यह मर गया तो नरक में भी जगह नहीं मिलेगी। घर आए मेहमान की जान बचाना हमारी जिम्मेदारी है। अब तो एक ही उपाय है कि अपने बदन की गर्मी से इसकी जान बचाई जाए। मेरे बूढ़े शरीर में तो गर्मी है नहीं, तू अपने बदन की गर्मी इसे देकर बचा सकती है। बेटी बाप का मुंह देखती रह गई। बाप ने कहा, इस बेहोश नौजवान के साथ भांवरें ले और ईश्‍वर को साक्षी मान कर कह कि आज से यही मेरा पति है। उजली ने पिता की बात मानी और परदेसी के साथ भांवर ले भगवान को प्रणाम कर अनजान परदेसी को पति स्वीकार किया और गुदड़ी में उसे लेकर सो गई।

उजली के बदन की गर्मी से नौजवान परदेसी की बेहोशी टूटी और फिर टूट गये सब बंधन। दो अनजान बदन एक ही रात में एक दूजे के हो गए। पोरबंदर का राजकुमार जेठवा गरीब अमरा चारण की उजली का संसार हो गया। सुबह बारिश थमने के बाद दोनों के बीच मिलन और धूमधाम से शादी के वायदे हुए। कुछ दिन उजली के साथ बिताकर जेठवा वापस चला गया।
उधर, उजली जेठवा की राह तकती रही। वह सुबह से लेकर शाम तक पोरबंदर की तरफ जाने वाली राह पर जेठवा के घोड़े की टापों की आवाज सुनने और जेठवा को देखने के लिए बैठी रहती। कभी उस राह कोई घुड़सवार आता तो उसकी आंखों में चमक आ जाती लेकिन जब वो पास आता तो जेठवा को ना पाकर फिर निराश हो जाती। रातों में वो चांद सितारों से जेठवा को लेकर बातें करतीं। लेकिन अब ना तो जेठवा को आना था और न ही वो आया।

उजली के दिल का दर्द काव्य की लड़ी में गुंथता जाता, उसकी जबान से दोहों और सोरठों की झड़ी लगने लगती। उसे सारा संसार ही जेठवामय दिखाई देता। पशु, पक्षी, ताल, तलैया, सारी प्रकृति में उसे जेठवा घुलामिला लगता। खेत में सारस का एक जोड़ा चुग रहा था। उजली रो पड़ी, संसार में प्रेम को निभाने वाला सारस का जोड़ा या फिर चकोर पक्षी। जेठवा, मुझे तो तीसरा कोई प्रेम निभाने वाला दिखाई नहीं देता।


आषाढ़ के बादल फिर आए और बरसने लगे। उजली के मन पर बरसात की बूंदें अंगारों की तरह पड़ने लगीं। विरही उजली के दिल में विरह के गीत गूंजने लगे। उजली ने अपने रचे सोरठे जेठवा के पास भेजे, जवाब में जेठवा ने कहला भेजा, ‘तू चारण की बेटी, मैं राजपूत, मेरे लिए तू बहन समान, भूल जा मुझे और कर ले किसी चारण से ब्याह।’ उजली ने जवाब में कहलवाया, ‘जिससे मन लग जाए वही प्रेम और पति होता है, जात-पांत का कोई भेद नहीं होता प्रेम में।’ लेकिन जेठवा का पत्थर दिल जरा भी नहीं पिघला। उसने उजली को कहला भेजा कि अगर तुझे जात-पांत की परवाह नहीं तो मुझसे भी बड़े राजा हैं, कर ले उनसे ब्याह।‘
उजली के तन-मन में आग लग गई। गुस्से से भरी उजली एक दिन निकल पड़ी पैदल ही पोरबंदर की राह। महल के बाहर भूखी-प्यासी पड़ी रही तीन दिन तक। तीसरे दिन जेठवा ने झरोखे से झांकते हुए कहा, ‘उजली तू किसी चारण के बेटे से शादी कर ले और मुझसे आधा राज ले ले।’ सुनकर उजली उठी, पास ही रत्नाकर सागर लहरा रहा था, उजली गई और सीधे सागर में कूद गई।

महाराष्ट्र : धुले में संघर्ष के दौरान पुलिस गोलीबारी में चार मरे, 176 घायल

मुम्बई: महाराष्ट्र के धुले में रविवार को दो समुदायों में संघर्ष के बाद भीड़ पर पुलिस की गोलीबारी में चार लोगों की मौत हो गई जबकि 176 अन्य घायल हो गए जिनमें अधिकतर पुलिसकर्मी हैं। घायलों में 63 स्थानीय लोग व 113 पुलिसकर्मी शामिल हैं।महाराष्ट्र : धुले में संघर्ष के दौरान पुलिस गोलीबारी में चार मरे, 176 घायल
एक होटल में छोटी-मोटी बात को लेकर हिंसा शुरू हो गई जो माचिबाजार और माधवपुरा इलाके में फैल गई।

एक वरिष्ठ पुलिस अधिकारी ने रविवार की रात बताया कि माधवपुरा इलाके में दो गुटों में हिंसक संघर्ष छिड़ जाने के बाद पुलिस ने गोलियां चलाई जिसमें 4 व्यक्तियों की जान चली गई।

अधिकारी के अनुसार हिंसा में 48 पुलिसकर्मी घायल हो गए। एक पुलिसकर्मी समेत दो व्यक्तियों की हालत गंभीर है।

अधिकारी ने कहा कि संघर्ष की वजह चार लोगों के समूह द्वारा होटल के बिल का भुगतान नहीं करना है। जब होटल के कर्मचारियों ने उन्हें पीट दिया तब वे चले गए और बड़ी संख्या में लोगों को लेकर आए। मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण एवं गृहमंत्री आरआर पाटिल ने शांति की अपील की है।

85 वर्षीय वृद्ध ने खोली गड़बड़ी की पोल

85 वर्षीय वृद्ध ने खोली गड़बड़ी की पोल

नागौर। 85 वर्ष की उम्र है मेरी। अपनी लाठी के सहारे चलता हूं। मेरी आंखें भले ही मुझे धोखा देने लग गई, लेकिन जब तक दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं होगी, मुझे चैन नहीं मिलने वाला। जयपुर तक जाकर आ गया हूं, मुख्यमंत्री से भी मिला, उनके आदेशों के बावजूद स्थानीय अधिकारी कार्रवाई नहीं करते। पूरे कुएं में भांग मिली हुई है। अब भी दोषियों के खिलाफ कार्रवाई नहीं हुई तो मैं दिल्ली तक जाऊंगा। यह पीड़ा है फिड़ौद गांव के 85 वर्षीय कंवराराम की, जो पिछले दो-ढाई साल से जिला परिषद कार्यालय में अधिकारियों के चक्कर काट रहे हैं।

ग्रामीण विकास मंत्रालय एवं पेयजल स्वच्छता योजना के तहत भारत सरकार द्वारा ग्रामीण क्षेत्रों में किए गए विकास कार्यो की मॉनिटरिंग के लिए दिल्ली से तीन अधिकारी 2 जनवरी को नागौर आए थे। रविवार को सर्किट हाउस में नेशनल लेवल मॉनिटर आरएन ओझा ग्रामीणों की शिकायतें सुन रहे थे।

इस दौरान वहां पहुंचे वृद्ध कंवराराम ने जब राजस्थानी में उनसे फिड़ौद ग्राम पंचायत में हुए गड़बड़झाले की शिकायत करनी चाही तो वे समझ नहीं पाए और जिला परिषद के सुरेश दाधीच को पूरा मामला बताने के लिए कहा। दाधीच ने जब पूरे मामले की जानकारी उन्हें दी तो उन्होंने लिखित में शिकायत मांगी, लेकिन कंवराराम अनपढ़ होने के साथ आंखों की रोशनी भी काफी हद तक खो चुके हैं।

अनपढ़ हैं लेकिन कार्य शिक्षित से बेहतर
दरअसल, कंवराराम अनपढ़ है और पूर्व सरपंच के कार्यकाल में कुछ कार्यो में किए गए गड़बड़झाले से काफी आहत हैं। अधिकारियों की मिलीभगत से जो भुगतान बिना काम के हुआ उसकी विभागीय जांच एवं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर पिछले दो-ढाई साल से सरकारी कार्यालयों के चक्कर लगा रहे हैं। कंवराराम का कहना है कि पूर्व सरपंच द्वारा साढ़े तीन लाख का भुगतान सीसी सड़क के नाम पर उठाया गया, जबकि वहां इंटरलॉकिंग की हुई है।

विभागीय जांच में यह साबित भी हो चुका है, लेकिन न तो तत्कालीन सरपंच के खिलाफ कोई कार्रवाई हुई और न ही उस राशि की वसूली हुई, जो सीसी सड़क के नाम पर जारी की गई थी। दूसरा मामला गांव के गंदे पानी को निकालने के लिए बनाए गए नाले का है। कंवराराम का कहना है कि नाले की ढाल उल्टी होने के कारण गंदा पानी बाहर जाने की बजाए वापस आता है। ऎसे कई मामलों के दस्तावेज अपने थैले में लिए घूमने वाले कंवराराम का जज्बा आज भी युवाओं से ज्यादा एवं बेहतर है।

जांच नहीं मॉनिटरिंग है : ओझा
ग्रामीण विकास मंत्रालय की ओर से करवाए गए विकास कार्यो की मॉनिटरिंग करने नागौर पहंुचे के नेशनल लेवल मॉनिटर आरएन ओझा ने पत्रिका से विशेष बातचीत में बताया कि उन्होंने पिछले चार दिनों में लाडनूं, मकराना व कुचामन पंचायत समितियों का दौरा कर विकास कार्यो की मॉनिटरिंग की।

ओझा ने बताया कि इस दौरान उन्होंने योजना से लाभान्वित होने वाले लोगों से भी बात की तथा योजना लागू करने वाले अधिकारियों की कार्यशैली के बारे में भी जाना। ओझा ने बताया कि उनका काम सिर्फ मॉनिटरिंग करना है। मॉनिटरिंग की रिपोर्ट तैयार कर वे मंत्रालय को सौंपेंगे तथा उसकी एक कॉपी जिला कलक्टर को भी भेजी जाएगी। उन्होंने अपनी रिपोर्ट या मॉनिटरिंग के बारे में फिलहाल कुछ भी बताने से असमर्थतता जताते हुए कहा कि ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों की शिकायतें एवं सुझाव उन्होंने अपनी रिपोर्ट में शामिल कर लिए हैं।

एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!

मुंबई। पिछले महीने देश की राजधानी दिल्ली में एक छात्रा के साथ हुए क्रूर बलात्कार ने सारे देश का ध्यान आकर्षित किया और यह घटना दुनियाभर में नाराजगी का कारण बनी।
एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'! 
लेकिन, जहां दिल्ली में हुई घटना सुर्खियां बनीं वहीं, सुर्खियों में आने के बाद भी ऐसी ही कई घटनाएं मीडिया और लोगों की याददाश्त से गायब हो गईं।

एक ऐसे देश में जहां लगभग हर 21 मिनट पर किसी नारी की आबरू तार-तार की जाती है वहां, बलात्कार की कई ऐसी घटनाएं पहले भी हुई हैं जो मानवता को शर्मिंदा कर देने वाली हैं।

पीड़िता और उनका परिवार आज भी उस जंग को लड़ तो रहा है लेकिन, बिलकुल अकेला और एकांत में। आइए, निगाह डालते हैं ऐसे ही कुछ दहला देने वाले रेप केस जिन्हें भुला दिया गया है...
एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!
केस 1: मुंबई में नर्स का काम करने वाली अरुणा शानबाग 27 नवम्बर 1973 को अपनी ड्यूटी पर आईं। उसे क्या पता था कि यहीं काम करने वाले एक क्लीनर सोहनलाल भरता वाल्मिकी की उसपर निगाह है। अकेले में पाते ही सोहनलाल ने अरुणा पर हमला कर दिया। उसके साथ बेहद अप्राकृतिक ढंग से बलात्कार किया। लेकिन उसकी हैवानियत यहीं ख़त्म नहीं हुई। सबूत मिटाने के लिए उसने अरुणा को जान से मारने का भी प्लान बना रखा था। उसने अरुणा के गले में लोहे की चेन बांधी और गला घोटने की कोशिश की। जब उसे लगा कि वो मर चुकी है तो छोड़ फरार हो गया। लेकिन अरुणा मरी नहीं। बेहद प्रताड़ित किये जाने की वजह से वह कोमा में चली गई। इस दौरान जांच में पुलिस को कुछ सुराग हाथ लगे और सोहनलाल गिरफ्तार कर लिया गया।

एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!


अरुणा पुलिस को ये भी नहीं बता सकी कि उसके साथ किस कदर दरिंदगी के साथ एक घिनौने अपराध को अंजाम दिया गया। सोहनलाल पर लूटपाट और हत्या के प्रयास का केस चला और सात साल की छोटी सी सजा दी गई। लेकिन यहां से शुरू होती है इस भयंकर अपराध की सबसे डरा देने वाली सच्चाई।इस वारदात को हुए 39 साल बीत चुके हैं। अरुणा आज भी जिन्दा है लेकिन, न तो बोल सकती है न सुन सकती न ही हिल सकती है। पिछले 39 साल से वह अस्पताल में पड़ी हुई है। वह जिन्दा तो है लेकिन, एक लाश की तरह। वह अपनी बेहद प्राकृतिक क्रियाएं भी खुद नहीं कर सकती जबकि, उसे इस भयानक अंजाम पर पहुंचाने वाला दरिंदा आज भी इसी समाज में छुट्टा घूम रहा है। अगर सूत्रों की माने तो सोहनलाल अपना नाम बदल कर दिल्ली के एक अस्पताल में आज भी एक वार्डबॉय का काम कर रहा है। दरिंदा बाहर घूम रहा है जबकि, पीड़िता आज भी उसके गुनाहों की सजा भुगत रही है। ये भी पता नहीं कि कब तक उसकी सजा जारी रहेगी। पेशे से जर्नलिस्ट और लेखिका पिंकी विरानी, अरुणा की इस दास्तान पर किताब लिख रही हैं। उन्होंने काफी कोशिश की कि अरुणा के साथ हुए इस गुनाह की सजा सोहनलाल को दिला सकें, लेकिन वह असफल रहीं।
एक मामला ऐसा भी जहां रेप करने वाला हुआ आजाद, पीड़िता के लिए मांगी गई 'मौत'!
अरुणा की तकलीफ को देखते हुए पिंकी विरानी ने उनके लिए सुप्रीम कोर्ट में इच्छा मृत्यु की मांग की लेकिन, कोर्ट ने उसे अस्वीकार कर दिया। दरिंदगी की यह दास्तां यहीं ख़त्म नहीं होती बल्कि, बदस्तूर जारी है। इस श्रृंखला की अगली कड़ी में हम आपको बतायेंगे दिल्ली में घटी एक दर्दनाक घटना के बारे में।

आसाराम बापू ने दिल्‍ली गैंगरेप की शिकार को ही बताया दोषी !

नई दिल्‍ली। संत आसाराम बापू ने दिल्ली सामूहिक दुष्कर्म मामले को दुखद बताया है। लेकिन वे इसके लिए पीडि़त छात्रा और दुष्कर्मियों दोनों को दोषी मानते हैं। आसाराम ने रविवार को कहा, ‘मैंने उस बेटी (पीडि़त छात्रा) के परिजनों को संदेश भिजवाया है कि वे खुद को अकेला न समझें। जो बेटी मरी है वह उनके घर में अकेली कमाने वाली थी। अब दिक्कतें आ सकती हैं। मुझे बेटा मान लें।’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन सच यह भी है कि घटना के लिए वे शराबी पांच-छह लोग भर दोषी नहीं थे। ताली दोनों हाथों से बजती है। छात्रा किसी को भाई बनाती, पैर पड़ती और बचने की कोशिश करती।’ आसाराम ने कड़े कानून का भी विरोध किया। उन्होंने कहा कि कड़े कानून का दुरुपयोग भी हो सकता है। आसाराम बापू ने दिल्‍ली गैंगरेप की शिकार को ही बताया दोषी ! 

सरकारी गवाह बनना चाहते हैं दो आरोपी

गैंगरेप के बाद निर्दयता से पिटाई कर पैरामेडिकल छात्रा को मौत की नींद सुलाने वाले छह में से दो आरोपी अब सजा से बचने के लिए सरकारी गवाह बनना चाहते हैं। रविवार को साकेत कोर्ट की मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ज्योति क्लेर के समक्ष पेश किए जाने के बाद पवन गुप्ता और विनय शर्मा नामक दो आरोपियों ने सरकारी गवाह बनने की इच्छा जाहिर की है। वहीं, इस मामले के दो अन्य आरोपियों राम सिंह और उसके भाई मुकेश ने अदालत के समक्ष बचाव के लिए सरकारी वकील की मदद देने की गुहार लगाई है। चारों आरोपियों की दलील सुनने के बाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने चारों आरोपियों की न्यायिक हिरासत को 19 जनवरी तक बढ़ाते हुए 7 जनवरी को संबंधित कोर्ट के समक्ष पेश करने का आदेश दिया है।

राम सिंह और मुकेश की याचिका पर विचार करने के बाद मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने अपने आदेश में कहा कि आरोपियों के पास कोई वकील नहीं है। लिहाजा अपने बचाव के लिए आरोपी सरकारी वकील की मदद ले सकते हैं। मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट ने कहा कि आरोपी पवन और विनय सरकारी गवाह बनने के लिए संबंधित अदालत में उचित आवेदन दायर कर सकते हैं। इस मामले के पांचवे आरोपी अक्षय ठाकुर को सोमवार को अदालत में पेश किया जाएगा। वह नौ जनवरी तक के लिए न्यायिक हिरासत में है। मामले के छठे आरोपी के नाबालिग होने की वजह से मुकदमे की सुनवाई किशोर न्याय बोर्ड करेगा।

रविवार, 6 जनवरी 2013

photo ...बाड़मेर परीक्षार्थियों पर बिना आदेश लाठीचार्ज कर फंसे यातायात प्रभारी




बाड़मेर परीक्षार्थियों पर बिना आदेश लाठीचार्ज कर फंसे यातायात प्रभारी



बाड़मेर बाड़मेर में पुलिस भारती की परीक्षा में शामिल होने आये परीक्षार्थियों ने वापसी के समय रेलवे स्टेशन पर भरी हंगामा खडा कर दिया जिसके चलते यातायात प्रभारी उगमराज सोनी ने आपा खो दिया तथा पुपुलिस्कर्मियो को लाठीचार्ज के आदेश दे दिए .पुलिसकर्मी परीक्षार्थियों पर पिल पड़े ऐसे में रेलवे स्टेशन पर भगदड़मच गई ,परीक्षार्थी बदहवास होकर इधर उधर भागने लगे ,परीक्षार्थियों में महिलाए भी शामिल थी ,यातायात प्रभारी की इस हरकत से अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक नरेन्द्र सिंह नाराज़ हो गए उन्होंने उगमराज को जबर लताड़ लगाई ,उन्होंने उगमराज को लताड़ पिलाते हुए कहा की कान्हा जरुरत थी लाठीचार्ज की .ये लड़के तुम्हारा क्या ले रहे थे .लाठीचार्ज से एक बारगी स्टेशन पर भगदड़ मच गई बाद में उसे नियंत्रित कर दिया .

श्रीलंकाई गर्लफ्रेंड के लिए सेना से 'जंग' लड़ रहा है भारतीय मेजर

भारतीय सेना ने मेजर विकास कुमार को उनकी श्रीलंकाई प्रेमिका से शादी करने की अनुमति तो दे दी है लेकिन रास्ते के रोड़े अभी हटें नहीं है। अनुमति की शर्तों के तहत शादी करने के लिए विकास कुमार को ट्रेनिंग पर सरकारी खर्च की रकम और शादी का प्रमाण पत्र जमा करवाने होंगे।
 
मेजर विकास ने प्रेमिका से शादी के लिए सेना से मुक्त किए जाने का आग्रह किया था। उन्हें हाई कोर्ट तक की शरण में जाना पड़ा। सेना ने विकास का इस्तीफा 22 नवंबर की तारीख से सशर्त मंजूर कर लिया। इससे पहले कर्नाटक हाई कोर्ट ने सेना को प्यार में रोड़ा अटकाने के लिए फटकारा था।

मेजर विकास कुमार श्रीलंका की रहने वाली शोध छात्रा अर्निला राणामले गुनारत्ने से एक श़पिंग मॉल में मिले थे। दोनों को प्यार हो गया लेकिन विकास कुमार को इस बात का अहसास नहीं था कि उनका सेना में होना प्यार की राह में रोढ़ा बन जाएगा।

मेजर विकास कुमार को दो बार शादी टालनी पड़ी। वो दिसंबर 2011 में ही शादी करना चाहते थे। लेकिन नहीं हो पाई। इसके बाद मार्च 2012 में उन्होंने शादी तय की लेकिन एक बार फिर उनकी शादी नहीं हो पाई। अब अंततः उन्हें शादी करने की अनुमति मिल गई है और वह अगले महीने शादी करने जा रहे हैं।

लेकिन मेजर विकास कुमार की मुश्किलें अभी खत्म नहीं हुई हैं। सेना ने उनकी बीटैक की डिग्री पर हुए खर्च को भी वापस मांगा है। विकास कुमार के अनुसार यह करीब 16 लाख रुपये होगा। हालांकि वह यह रकम लौटाने के लिए तैयार नहीं है। विकास कुमार के अनुसार इंजीनियरिंग कोर्स के लिए उनकी सेवा की शर्तें जुलाई 2012 में ही खत्म हो गईं थीं।

वहीं गुनारत्ने अभी भी शादी को लेकर आशंकित हैं। वह कहती हैं, 'मुझे नहीं लगता कि यह हो पाएगा। यह बहुत मुश्किल रहा है। हमने सोचा था कि सभी मामले 6 महीनों में निपट जाएंगे और हम दिसंबर 2011 तक शादी कर लेंगे।'

मेजर विकास कुमार के लिए मुश्किल सिर्फ ट्रैनिंग का खर्च लौटाना ही नहीं बल्कि एक विदेशी युवती से संबंध रखने के कारण उनके खिलाफ सेना की कोर्ट ऑफ इंक्वायरी भी चल रही है। साल 2004 के एक आदेश के मुताबिक सेना के किसी भी अधिकारी को विदेशी महिला (भूटान की नागरिकों को छोड़कर) से शादी करने से पहले सरकार से अनुमति लेना अनिवार्य है। साथ ही जीवन साथी का भारत की नागरिकता लेना भी अनिवार्य है।

गुणारत्ने कहती हैं, 'सब सोचते हैं कि हाई कोर्ट के आदेश के बाद हमारी शादी का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन हमारे पास सेना को लौटाने के लिए पैसा नहीं है और न ही अब हम कानूनी लड़ाई का खर्च उठा सकते हैं। सेना इंजीनियरिंग की डिग्री पर हुए खर्च को लौटाने पर भी अड़ी है। 12 साल सेना की सेवा में कोई इतना पैसा नहीं बचा पाता है। हम एक बार फिर मुश्किल में हैं।'

विजय कुमार ने इस विषय में सेना मुख्यालय को पत्र लिखा है और अब यह जोड़ा सेना के जवाब का इंतजार कर रहा है। सेना को उन्हें यह बताना है कि कुल कितनी रकम लौटानी है।

गुणारत्ने मानती हैं कि मुश्किलों ने उनके रिश्ते को और भी मजबूत कर दिया है। वह कहती हैं, 'हमारी मुश्किलें हमें और करीब ले आईं हैं और रिश्ते को मजबूत किया है। अब यह सामान्य रिश्ता नहीं है। मुझे लगता है कि हम बहुत आगे बढ़ चुके हैं लेकिन शादी के मामले में अटके हुए हैं।' हालांकि कुमार और गुणारत्ने का परिवार पूरी तरह उनके साथ है। गुणारत्ने मानती हैं कि उनके लिए अब कदम पीछे खींचना मुमकिन नहीं है। वह कहती हैं, 'अगर यह अरेंज मैरिज होती तो हम किसी और के बारे में भी विचार कर सकते थे। लेकिन यह हमारा बनाया हुआ रिश्ता है। हमने सबकुछ सोच समझकर किया है। हम 20 साल के युवा नहीं है। हमने स्काइप और फोन के जरिए बहुत बातें की हैं।'

गुणारत्ने मानती है कि अब कोर्ट के चक्कर लगाना उनके लिए मुश्किल है। वह कहती हैं, 'हम कोर्ट के चक्कर लगाकर थक गए हैं। न ही अब हममे धैर्य बचा है और न ही आर्थिक सामर्थ्य। हमारा भविष्य अस्पष्ट है। यदि हम सेना को पैसा नहीं लौटा पाए तो अदालतों के चक्कर काटने में ही साल-ढेड़ साल और बीत जाएगा।'

नेश में रेप-मर्डर करने वाले को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, फांसी की सजा उम्रकैद में बदली

नेश में रेप-मर्डर करने वाले को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, फांसी की सजा उम्रकैद में बदली
नेश में रेप-मर्डर करने वाले को सुप्रीम कोर्ट ने दी राहत, फांसी की सजा उम्रकैद में बदली

नई दिल्‍ली. दिल्ली गैंगरेप और मर्डर केस के बाद बलात्‍कारियों को फांसी की सजा देने की मांग जोर पकड़ चुकी है, लेकिन हाल ही में एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बलात्कार और हत्या के दोषी की फांसी की सजा को उम्रकैद में तब्‍दील कर दिया है। सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि दोषी नशे में था और उसकी दिमागी हालत भी ठीक नहीं थी।

यह मामला पुणे में एक गर्भवती महिला से बलात्कार करने और उसकी दादी सास को मारने का था। इस मामले में साईनाथ कैलाश अभंग नाम का आदमी दोषी था। उसने 10 सितंबर, 2007 को पुणे में महिला के घर में घुस कर उसकी जान ले ली थी। उसके बाद उसने महिला की बाईं कलाई और सीधे हाथ की चार अंगुलियां काट दी थीं। फिर उसने मृतक महिला की एक गर्भवती रिश्तेदार पर बार-बार हमला किया और उसके साथ बलात्‍कार किया। सर्वोच्‍च अदालत ने घायल महिला के बयान समेत सभी साक्ष्य को देखने के बाद दोषी को राहत दी। घायल महिला ने बताया था कि आरोपी नशे में था।

पीडि़त परिवार अदालत के हालिया फैसले से गुस्‍से में है। पीड़ित के परिवार ने रविवार को कहा कि दोषी को जीने का हक नहीं है। परिवार की ओर से वकील डी वाई जाधव ने कहा, 'यह दुर्लभ से दुर्लभतम मामला है। मेरी मुवक्किल इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वाले को मौत की सजा चाहती थीं और निराश है।' जाधव ने पुणे सेशंस कोर्ट में सरकारी वकील के तौर पर मुकदमे में पक्ष रखा था। वहां आरोपी को मौत की सजा सुनाई गई थी। हाई कोर्ट ने भी मौत की सजा को बरकरार रखा था। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने सजा को इस आधार पर उम्रकैद में तब्दील कर दिया कि आरोपी नशे में था और दिमागी रूप से ठीक स्थिति में नहीं था। उस समय उसकी उम्र 23 साल थी।

दिल्ली में 16 दिसंबर को हुई गैंगरेप की घटना से तीन दिन पहले सुप्रीम कोर्ट ने विचार व्यक्त किया था कि किसी अपराध को दुर्लभ से दुर्लभतम श्रेणी (रेयरेस्ट ऑफ रेयर) में रखने से पहले आरोपी की मानसिक स्थिति की जांच करनी चाहिए। न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार (अब सेवानिवृत्त) और न्यायमूर्ति मदन बी लोकुर की बेंच ने कहा था कि अपराध को रेयरेस्ट ऑफ रेयर केस में रखने से पहले अपराध को अंजाम देने के तरीके और आरोपी की मानसिक स्थिति का अध्ययन किया जाना चाहिए। बेंच ने कहा था, 'मृत्युदंड देने के लिए सीआरपीसी की धारा 354 (3) के तहत विशेष कारणों में केवल अपराध और उसके अनेक पहलू ही नहीं बल्कि अपराधी और उसकी पृष्ठभूमि भी आधार होते हैं।

तीसरे एकदिवसीय मुकाबले में पाकिस्तान को 10 रनों से पराजित कर दिया.






भारतीय क्रिकेट टीम ने शानदार गेंदबाजी और क्षेत्ररक्षण के बूते फिरोजशाह कोटला स्टेडियम में रविवार को खेले गए तीसरे एकदिवसीय मुकाबले में पाकिस्तान को 10 रनों से पराजित कर दिया.

भारत ने पाकिस्तान के सामने जीत के लिए 168 रनों की चुनौती रखी थी जिसका पीछा करते हुए पूरी पाकिस्तानी टीम 157 रन बनाकर ढेर हो गई.

कप्तान मिस्बाह उल हक ने अपनी टीम की ओर से सर्वाधिक 39 रनों की पारी खेली जबकि नासिर जमशेद ने 34 और उमर अकमल ने 25 रनों का योगदान दिया. मोहम्मद हाफीज ने 21 रनों की पारी खेली.

भारत की ओर से ईशांत शर्मा ने तीन जबकि भुवनेश्वर कुमार और रविचंद्रन अश्विन ने दो-दो विकेट झटके। रवींद्र जडेजा व अपना पहला एकदिवसीय मैच खेलने वाले शमी अहमद ने एक विकेट हासिल किया.

इससे पहले भारतीय बल्लेबाजों का फ्लाप शो फिरोजशाह कोटला मैदान पर भी बदस्तूर जारी रहा जहां प्रतिष्ठा से जुड़े तीसरे और आखिरी एकदिवसीय मैच में पाकिस्तान के सामने पूरी टीम 43.4 ओवर में 167 रन पर ढेर हो गयी.

भारत का शीर्ष क्रम फिर से नहीं चल पाया और उसका स्कोर चार विकेट पर 63 रन हो गया. कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने फिर से टीम का बोझ उठाने की कोशिश लेकिन इस बार वह भी 36 रन बनाकर आउट हो गये.

उन्होंने इस बीच सुरेश रैना (31) के साथ पांचवें विकेट के लिये 48 रन की साझेदारी की. पाकिस्तान की तरफ से ऑफ स्पिनर सईद अजमल ने अपने करियर का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए 24 रन देकर पांच विकेट लिये.

भारत यदि स्कोर का बचाव करने में नाकाम रहता है तो यह 29 साल बाद पहला अवसर होगा जबकि भारत ने अपनी सरजमीं पर वनडे श्रृंखला के सभी मैच गंवाये. इससे पहले 1983 में वेस्टइंडीज ने 5-0 से क्लीन स्वीप किया था.

धोनी ने शीर्ष क्रम के तीन बल्लेबाजों में से किसी एक से मध्यक्रम का साथ निभाने की उम्मीद कर रहे थे. उन्होंने बड़े स्कोर की उम्मीद में पहले बल्लेबाजी का फैसला किया लेकिन मोहम्मद इरफान और जुनैद खान की तेज और स्विंग लेती गेंदों के सामने फिर से भारत का शीर्ष क्रम नहीं चल पाया.

पाकिस्तान के दोनों तेज गेंदबाजों को शुरू में पिच से मदद मिल रही थी और इसलिए कप्तान मिसबाह उल हक ने 14 ओवर तक गेंदबाजी में कोई बदलाव नहीं किया.

वीरेंद्र सहवाग को लगातार लचर प्रदर्शन के कारण बाहर किया गया लेकिन उनकी जगह टीम में लिये गये अजिंक्य रहाणे (4) फिर से मौके का फायदा उठाने में नाकाम रहे और इरफान की गेंद पर ड्राइव करने की कोशिश में विकेटकीपर कामरान अकमल को कैच दे बैठे. अब दिल्ली के दो खिलाड़ी गौतम गंभीर और विराट कोहली क्रीज पर थे.

दर्शकों में जोश था लेकिन जल्द ही उनका उत्साह ठंडा पड़ गया. गंभीर (15) ने इरफान की उठती गेंद पर कट करने के प्रयास में प्वाइंट पर कैच थमाकर अपना विकेट इनाम में दिया जबकि कोहली (7) ने जुनैद की गेंद को शरीर का इस्तेमाल किये बिना रक्षात्मक खेलना चाहा लेकिन वह उनके बल्ले का बाहरी किनारा लेकर स्लिप में यूनिस खान के सुरक्षित हाथों में चली गयी.

दिल्ली के इन दोनों बल्लेबाजों के लिये यह श्रृंखला बहुत खराब रही. गंभीर ने तीन मैच में 34 रन बना पाये तो पिछले साल भारत की तरफ से हर प्रारूप में सर्वाधिक रन बनाने वाले कोहली के नाम पर केवल 13 रन दर्ज रहे.

यह कोहली के करियर में पहला अवसर है जबकि वह लगातार तीन पारियों में दोहरे अंक में भी नहीं पहुंच पाये. युवराज ने इरफान की गेंदों पर प्वाइंट और स्क्वायर लेग पर चौके जड़कर शुरुआत की. उन्होंने पहले बदलाव के रूप में आये उमर गुल का स्वागत भी दो चौकों से किया. गुल के इस ओवर में 18 रन बने जिसमें रैना का फ्री हिट पर जमाया गया चौका भी शामिल है.

लेकिन दर्शक अभी खुशी से झूम पाते कि मोहम्मद हफीज की तेजी से टर्न लेती गेंद युवराज को अचंभित करके उनका ऑफ स्टंप हिला गयी. बायें हाथ के इस बल्लेबाज ने 23 गेंद पर इतने ही रन बनाये.

भारतीय दर्शकों की खुशी हालांकि किसी भी समय बहुत अधिक देर तक नहीं टिकी. रैना ने हफीज की गेंद पर लॉंग आन पर छह रन के लिये भेजी और फिर धोनी ने इसी गेंदबाज पर लगातार दो छक्के लगाये लेकिन ऑफ स्पिनर अजमल ने रैना और नये बल्लेबाज आर अश्विन को लगातार गेंदों पर एलबीडब्ल्यू करके भारत को फिर भंवर में फंसा दिया.

धोनी के हफीज पर लगाये गये पहले छक्के से भारत ने 27.4 ओवर में 100 रन पूरे किये. धोनी ने लगातार दो विकेट गिरने के बावजूद हफीज के अगले ओवर में फिर से मिडविकेट पर छक्का लगाया.

भारतीय कप्तान जब 29 रन पर थे तब उन्हें जीवनदान मिला लेकिन वह इसका फायदा नहीं उठा पाये. गुल की गेंद पर हवा में कट करने के प्रयास में उन्होंने प्वाइंट पर कैच थमा दिया.

अपनी 55 गेंद की पारी में एक चौका और तीन छक्के लगाने वाले धोनी पाकिस्तान के खिलाफ मोहाली में ,खेले गये विश्व कप सेमीफाइनल के बाद पहली बार भारतीय सरजमीं पर वनडे में आउट हुए.

इसके बाद रवींद्र जडेजा (27) के गुल और अजमल पर जमाये गये छक्के भारतीयों में कुछ खुशी भर पाये.

मैच के लिए टीम इस प्रकार थी
भारत- महेंद्र सिंह धोनी, गौतम गंभीर, अजिंक्य रहाणे, विराट कोहली, सुरेश रैना, युवराज सिंह, आर अश्विन, ईशांत शर्मा, रवींद्र जडेजा, शमी अहमद, भुवनेश्वर कुमार.

पाकिस्तान- नासिर जमशेद, मोहम्मद हफीज, यूनुस खान, मिस्बाह उल हक, शोएब मलिक, उमर अकमल, कमरान अकमल, जुनैद खान, उमर गुल, सईद अजमल, मोहम्मद इरफान.



और भी... http://aajtak.intoday.in/story/india-vs-pakistan-delhi-odi-live-score-update-1-717583.html

अमिताभ ने महिला शक्ति को किया सलाम

अमिताभ ने महिला शक्ति को किया सलाम

मुम्बई। महानायक अमिताभ बच्चन का कहना है कि "कौन बनेगा करोड़पति" में पांच करोड़ जीतने वाली पहली महिला सनमीत कौर सावहनेय ने यह सिद्ध कर दिया कि महिलाएं पुरूषों से कमतर नहीं हैं।

अमिताभ ने अपने ब्लॉग पर लिखा,"गृहिणी और बच्चों को घर पर ट्युशन देने वाली मुम्बई की सनमीत कौर हॉटसीट पर काफी आत्मविश्वासी लग रही थीं। वह किसी भी सवाल पर नहीं हिचकिचाई, न ही कोई अंदाजा लगाया। एक करोड़ रूपए के सवाल पर उनके पास दो लाइफ लाइन थी, लेकिन उन्होंने इसे लेने से मना कर दिया क्योंकि उनके मुताबिक वह जवाब को लेकर आश्वस्त थीं।"

उन्होंने कहा,"सनमीत ने बेहद शांतिपूर्ण ढंग से अपने पति मनमीत सिंह के साथ भांग्ड़ा कर इस खुशी को मनाया, जिन्हें हमने विज्ञापन और फिल्मों में अक्सर देखा है।"अमिताभ ने कहा कि दिल्ली में सामूहिक दुष्कर्म की घटना के बीत जाने के बाद एक महिला को पुरूषों की दुनिया में देख कर खुशी हुई।

रेप से बचाने के लिए पर्दे में रखेगी सरकार!

रेप से बचाने के लिए पर्दे में रखेगी सरकार!

पुड्डुचेरी। केन्द्र शासित प्रदेश पुड्डचुरी की सरकार लड़कियों को यौन आक्रांताओं से बचाने के लिए पर्दा प्रणाली पर काम कर रही है। इसकी शुरूआत स्कूलों से की जा रही है। स्कूलों में लड़कियों के लिए ड्रेस कोड लागू किया जा रहा है।

इसके तहत उन्हें अनिवार्य रूप से ओवरकोट पहनना होगा। सरकार स्कूलों में मोबाइल फोन ले जाने पर भी पाबंदी लगाने जा रही है। स्कूली शिक्षा मंत्री टी.थियागराजन की अध्यक्षता में शनिवार को हुई शिक्षा अधिकारियों की बैठक में ये फैसला लिया गया।

नए साल पर एक इंजीनियरिंग स्टूडेंट और 12 वीं क्लास की छात्रा से रेप हो गया था। बस कंडक्टर ने अगवा कर इनसे रेप किया था। इस घटना के विरोध में लोग सड़कों पर उतर आए थे।

बढ़ते विरोध प्रदर्शन को देख सरकार ने यह नया फॉर्मूला निकाला है। शिक्षा मंत्री ने बताया कि बैठक में लड़कियों के लिए विशेष बसें चलाने,स्कूलों में मोबाइल फोन ले जाने पर प्रतिबंध लगाने और ओवरकोट अनिवार्य करने का फैसला हुआ। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार महिलाओं की सुरक्षा के लिए प्रतिबद्ध है खासतौर पर लड़कियों की।

महिला और मानवाधिकार संगठनों ने सरकार के इस कदम का कड़ा विरोध किया है। ऑल इंडिया डेमोक्रेटिक वूमेंस एसोसिएशन की महासचिव सुधा सुंदररमन ने कहा कि यह हैरान करने वाला है कि सरकार को इस बात की जानकारी नहीं है कि क्राइम का ड्रेस से कोई लेना देना नहीं है।