शुक्रवार, 7 दिसंबर 2012

शादी तुड़वाने 331 किमी पहुंची एफबी फ्रेंड



शादी तुड़वाने 331 किमी पहुंची एफबी फ्रेंड
जयपुर। मेरठ की एक लड़की ने शुक्रवार को अपने फेसबुक फ्रेंड चितरांजन की शादी तुड़वाने के लिए जयपुर में जमकर हंगामा किया। शुक्रवार को ही चितरांजन की शादी होनी है और मेरठ से करीब 331 किलोमीटर दूर चलकर जयपुर आई लड़की एकता नहीं चाहती कि वह किसी ओर से शादी करे। शादी के घर इस हंगामे के बाद मौके पर पहुंची करधनी थाना पुलिस ने युवती की तरफ से मामला दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

मेरठ की इस युवती ने युवक के साथ कई बार जिस्माना संबंध स्वीकारने के साथ ही उसपर शादी का झांसा देने के आरोप लगाए हैं। पुलिस ने इसकी तस्दीक के लिए युवती का मेडिकल करवाया है और आगे की कार्रवाई के लिए मेडिकल रिपोर्ट का इंतजार कर रही है।जानकारी के अनुसार चितरांजन और एकता की पहचान फेसबुक पर हुई और फिर दोस्ती हो गई। इसी बीच युवक मेरठ पहुंच गया और वहां दोनों के बीच जिस्माना संबंध बन गए। युवती के अनुसार चितरांजन ने उसे शादी करने का वादा किया और इसी शत्तü पर वह उससे सेक्स को तैयार हुई। लेकिन अब वह मुकर गया और किसी ओर से शादी कैसे कर सकता है। पीडिता ने करघनी थाने पहुंच कर पुलिस को आपबीती बताई।
करधनी थाना प्रभारी कैलाश जिंदल ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मेरठ जिले की रहने वाली एकता ने प्रतापनगर निवासी चितरांजन पर फेसबुक पर दोस्ती और फिर धोखाधड़ी का मामला दर्ज कराया है। एकता के अनुसार चितरांजन एकता से मिलने मेरठ गया और वहां युवती को शादी करने का झांसा देकर उससे शारीरिक संबंध बनाए। जब एकता ने शादी करने का दबाव बनाया तो अचानक चितरांजन चकमा देकर जयपुर आ गया।

शस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया



शस्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया
बाडमेर, 7 दिसम्बर।  शुक्रवार को सास्त्र सेना झण्डा दिवस मनाया गया। जिला कलेक्टर भानु प्रका एटूरू को जिला सैनिक काल्याण अधिकारी मेजर पी. एस. भाटी द्वारा झण्डा लगाकर सेना झण्डा दिवस का शुभारम्भ किया गया।

जिला सैनिक कल्याण अधिकारी मेजर पी.एस. भाटी ने बताया कि यह दिवस युद्ध में भाहीद/विकलांग/पूर्व सैनिक/विधवाओं के कल्याणार्थ जन सहयोग से धन एकत्रित करने हेतु मनाया जाता है। उन्होने बताया कि इस वशर बाडमेर जिले को चार लाख रूपये की राि एकत्रित करने का लक्ष्य दिया गया है। उन्होने सभी विभागों को ध्वज भिजवा कर युद्ध में भाहीद/ विकलांग, पूर्व सैनिक/ विधवाओं के कल्याणार्थ अधिक से अधिक सहयोग प्रदान करने का अनुरोध किया है।

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अल्पसंख्यक मामलात मंत्री खान आज देताणी आएगें

बाडमेर, 7 दिसम्बर। अल्पसंख्यक मामलात एवं वक्फ राज्यमंत्री अमीन खान आज देताणी आएगें।

निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार अल्पसंख्यक मामलात राज्यमंत्री खान 8 दिसम्बर को प्रातः 8.00 बजे जयपुर से प्रस्थान कर सायं 5.30 बजे देताणी पहुंचेगे तथा रात्रि विश्राम देताणी में करेंगे। 9 तथा 10 दिसम्बर को उनका आरक्षित कार्यक्रम रहेगा। वे 11 दिसम्बर को िव विधानसभा क्षेत्र की ग्राम पंचायत राजबेरा, उण्डू, कामीर, आरंग व कानासर में जन सम्पर्क करेंगे तथा रात्रि विश्राम कानासर में करेंगे। वे 12 दिसम्बर को ग्राम चोचरा, धारवी कलां, बीसूकला, भीयाड में जनसम्पर्क करेंगे तथा रात्रि विश्राम सर्किट हाउस बाडमेर में करेंगे। इसके पचात वे 13 दिसम्बर को प्रातः 9.00 बजे बाडमेर से जालोर के लिए प्रस्थान कर जाएगें।

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जुआ खेलते तीन गिरफ्तार



जुआ खेलते तीन गिरफ्तार
 बाड़मेर कोतवाली पुलिस ने शहरी क्षेत्र में   तीन जनों को गिरफ्तार किया .पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट ने बताया शंकरलाल स.उ.नि. मय पुलिस पार्टी पुलिस थाना कोतवाली द्वारा मुखबीर की ईत्तला पर कस्बा बाड़मेर में फकीरो के कुंए के पास सार्वजनिक स्थान पर ताश के पतो से जुआ खेल रहे मुलजिम शंकराराम पुत्र नथाराम, पुरखाराम व मनोज को गिरफ्तार कर उसके कब्जा से 630/रूपये जुआ राशी बरामद कर मुलजिम के विरूद्व पुलिस थाना कोतवाली पर जुआ अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज किया गया।


मारपीट और चोरी के मामले दर्ज 
बाड़मेर  उम्मेदाराम पुत्र सोनाराम कलबी नि. बालोतरा ने मुलजिम तखतसिंह पुत्र भेरूलाल मेगवाल नि. बिठूजा वगेरा 2 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीस के खेत में प्रवेश कर सामान चुराकर ले जाना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना पचपदरा पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है। इशी तरह श्मदनलाल पुत्र जेठमल सोनी नि. सुनारो का वास बाड़मेर ने मुलजिम अज्ञात के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि अज्ञात मुलजिम द्वारा मुस्तगीस की दुकान का ताला तोड़कर सोने चांदी के जेवरात चुराकर ले जाना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना कोतवाली पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है। इधर    पुनमाराम पुत्र रूखमणाराम जाट नि. धोरीमना ने मुलजिम चन्द्रप्रकाश पुत्र रूखमणाराम जाट नि. दूधू वगेरा 7 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीस की गाड़ी को रूकवाकर मारपीट कर शीश्ो तोड़कर नुकसान पहुंचाना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना धोरीमना पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है। 

4.प्रार्थी श्री कचराराम पुत्र बनाराम मेगवाल नि. मिठडाउ ने मुलजिम जेसाराम पुत्र रूपाराम मेगवाल नि. मिठडाउ वगेरा 14 के विरूद्व मुकदमा दर्ज करवाया कि मुलजिमान द्वारा मुस्तगीस का रास्ता रोककर मारपीट करनाव गाड़ी के कांच तोड़ना वगेरा पर मुलजिमान के विरूद्व पुलिस थाना बीजराड़ पर मुकदमा दर्ज किया जाकर अग्रीम अनुसंधान किया जा रहा है।

विधायक जैन ने किया प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र राणीगॉव का किया आकस्मिक निरिक्षण।



विधायक जैन ने किया प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र राणीगॉव का किया आकस्मिक निरिक्षण।

बाड़मेर 7 दिसम्बर 2012 

बाड़मेर विधायक मेवाराम जैन ने शुक्रवार को प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र राणीगांव का किया आकस्मिक निरिक्षण व कई गावों का दौरा कर जन समस्याएं सुनी।

विधायक जैन ने शुक्रवार को ग्राम पंचायत राणीगांव में प्राथमिक स्वास्थय केन्द्र का निरीक्षण किया मरिजों से समस्या सुनी व मुख्यमंत्री नि:शुल्क योजना की जानकारी ली। विधायक जैन ने सरणु व सरली ग्राम पंचायतों का दौरा किया। इस दौरान विधायक जैन ने सरणु व सरली में ंचौधरी समाज के सामाजिक कार्यक्रम मे शरीक हुए।इस दौरान विधायक ने उपस्थित लोगों की जन समस्याएं सुनी । उनके साथ कांग्रेस नेता मुकनाराम गोरसिया, पूर्व सरपंच दुदाराम चौधरी स्वरूपसिहं सरणु, जोगराजमल जैन राणीगांव थे।

बाड़मेरएक और मोटरसाईकिल चोर गेंग का पर्दाफाश दो गिरफतार,

एक और मोटरसाईकिल चोर गेंग का पर्दाफाश दो गिरफतार,

 8 बाईक चुराना कबुला, आरोपियों की तलाश के लिये अलगअलग टीमे गठित

 जल्द ही अन्य गिरोह पकड़े जाने की उम्मीद :

बाड़मेर बाड़मेर पुलिस ने बाईक चोर गिरोहों पर शिकंजा कसके हुए आज एक और बाईक चोर गिरोह को चोहटन से गिरफ्तार करने में सफलता हासिल की ,गुरूवार को बाड़मेर में एक बाईक चोर गिरोह को पुलिस ने दस्तयाब किया था ,पुलिस अधीक्षक राहुल बारहट के कड़े निर्देशों के बाद चेती पुलिस ने बड़ी कार्यवाही कर लगातार गिरोह को दस्तयाब किया . राहुल बारहट, जिला पुलिस अधीक्षक द्वारा जिले में हो रही वाहन चोरी की वारदातो की रोकथाम हेतु वृत स्तर व थाना स्तर पर विशोष टीमे गठित की जाकर वाहन चोर गैंग को दस्तयाब करने हेतु विशोष निर्देश दिये गये जिसके फलस्वरूप जिले में लम्बे समय से सकि्रय बाईक चोर गिरोह का पर्दाफाश करने में जिला पुलिस को दो दिनो में दुसरी बड़ी सफलता मिली हैं। पुलिस थाना चौहटन टीम ने बाईक चोर गिरोह के दो आरोपियों को कस्बा चौहटन में दस्तयाब किया जाकर प्रारम्भिक पूछताछ में आरोपियों ने आठ (08) मोटर साईकल चोरी की लाना व बेचना कबुल किया है। उल्लेखनीय हैं कि पुलिस की अलगअलग टीमें बीते कई दिनों से बाईक व वाहन चोर गिरोह के सदस्यों की तलाश में जुटी हुई है।
श्री हनुमानाराम वृताधिकारी वृत चौहटन के नेतृत्व में थानाधिकारी चौहटन श्री राजेन्द्र चौधरी के साथ गठित टीम के सदस्य चुतराराम हैडकानि., कानि. देवाराम, लाधुराम, बीजाराम, मोहनलाल, किशनसिंह ने गुरुवार को बाईक चोर गिरोह के आरोपी अनिल कुमार पुत्र जगदीशचन्द्र जाति धारीवाल निवासी चौहटन व भोमाराम पुत्र मोडाराम जाति जाट (सियोल) निवासी बांटा पुलिस थाना गुड़ामालानी को कस्बा चौहटन में गिरफतार किया गया जिनसे प्रारम्भिक पूछताछ में इन्होनें 08 मोटर साईकले चोरी की लाना कबुल किया जिनके कब्जा से चोरी की 02 मोटर साईकले बरामद की गई। गिरफतार मुलजिमानों से गहन पूछताछ की जा रही हैं जिनसे ओर भी मोटर साईकले बरामद होने की पूर्ण सम्भावना हैं।

जैसलमेर अवैध रूप से बैलों को परिवहन कर ले जाते ट्रक सहित दो गिरफ्तार :


जैसलमेर अवैध रूप से बैलों को परिवहन कर ले जाते ट्रक सहित दो गिरफ्तार : 

जैसलमेर जिला पुलिस अधीक्षक जैसलमेर ममता राहुल के निर्देशानुसार अपराधों की रोकथाम हेतु रामसिंह अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक, सायरसिंह पुलिस उप अधीक्षक वृत जैसलमेर के सुपरविजन में वीरेन्द्रसिंह नि.पु. थानाधिकारी पुलिस थाना जैसलमेर के नेतृत्व में जैसलमेर शहर से जोधपुर व बाड़मेर की तरफ जाने वाली रोड़ों पर सघन गस्त व नाकाबंदी करवाई जा रही हैं।

 गुरूवार की रात्रि के दौरान बाड़मेर रोड़ म्याजलार चौराहा पर नरेश कुमार मु.आ. मय कानि0 हुकमदान व तेजसिंह तथा वाहन चालक मेघसिंह द्वारा नाकाबंदी की जा रही थी नाकाबंदी के दौरान एक ट्रक जोधपुर बाड़मेर लिंक रोड़ की तरफ से आया जिसको रूकवाने हेतु ईशारा किया गया मगर चालक ने ट्रक नहीं रोका जिस पर तत्परता से नाकाबंदी कर रहे नरेश कुमार मुख्य आरक्षक मय जाब्ता द्वारा सरकारी वाहन से पीछा कर आरटीओ ऑफिस के पास उक्त ट्रक को रूकवाया जाकर ट्रक में 19 बैल (गौवंश) भरे हुए पाये गये। जिसको परिवहन करने बाबत चालक बलवंतसिंह पुत्र चरणजीतसिंह जट सिख नि0 अनोपग़ जिला श्री गंगानगर व उसके साथी मुसेखां पुत्र अलादीन चारण नि0 चारलाई जिला जोधपुर को पुछा गया तो अपने पास प्रशासनिक अधिकारी की कोई वैद्य स्वीकृती नहीं होना बताया। जिस पर उक्त दोनों का उक्त कृत्य राज. गौवंशीय अधि0 के तहत दण्डनीय अपराध होने से ट्रक को चैक किया तो कुल 19 बैल मिले जिसमें से एक बैल मृत हालत में मिला। 18 बैलों को जब्त कर तुलछी गौशाला को सुपुर्द किया गया। दोनों मुल्जिमान को गिरफ्तार कर इनके विरूद्ध गौवंशीय अधि0 के तहत प्रकरण दर्ज कर अनुसंधान जारी हैं।

पु.श्री तनसिंह जी की 32 वी पुण्यतिथि पु.श्री तनसिंह जी को याद किया गया

पु.श्री तनसिंह जी को याद किया गया 
श्री क्षत्रिय युवक संघ के संस्थापक एवं पूर्व सांसद पूर्व सांसद पु.श्री तनसिंह जी की 32 वी पुण्यतिथि प्रातः 5.30 बजे श्री राजपुत मोक्ष धाम स्थित पू.श्री की छतरी पर मनाई गयी सर्वप्रथम मंगलाचरण से प्रारंभ हुआ पचात श्री प्रकासिंह भुरटिया द्वारा प्रार्थना वन्दना के गीत मेरे ...... की गई बाद में श्री तनसिंह की छतरी पर सभी विघार्थियों, कार्यकताओं द्वारा श्रद्वासुमन अर्पित किए गए इस दौरान श्री रामसिंह माडपुरा द्वारा जलवे अनेक राह के दिखाकर....... सहगीत प्रस्तुत किया गया, पुण्यतिथि के कार्यक्रम में वीरसिंह िवकर,कृश्णसिंह राणीगांव, महिपालसिंह चुली,राजेन्द्रसिंह भियाड़,विजयसिंह माडपुरा सहित भाहर की विभिन्न छात्रावासो से सेकङो विघार्थियो एवं कार्यकताओं ने भाग लिया। ं

सोनिया का गुजरात में आक्रामक प्रचार शुरू, गुजरात सरकार को भ्रष्ट बताया



मांडवी (गुजरात)। गुजरात में चुनाव प्रचार को मजबूती देने के लिए कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी शुक्रवार को गुजरात पहुंची। उन्होंने दक्षिण गुजरात के मांडवी जिले में चुनाव सभा को संबोधित किया।


उल्लेखनीय है कि 13 दिसंबर को विधानसभा चुनाव के प्रथम चरण के लिए सौराष्ट्र और दक्षिण गुजरात की 87 सीटों के लिए मतदान होने हैं। मांडवी स्थित गोडसंबा में उनकी सभा आयोजित की गई। उनके साथ गुजरात कांग्रेस अध्यक्ष अर्जुन मोढवाडिया और केंद्रीय नेता तुषार चौधरी भी उपस्थित थे।अपने संबोधन में उन्होंने अमर सिंह चौधरी, सरदार पटेल और इंदिरा गांधी को याद किया और कांग्रेस के शासन काल में हुए विकास कार्यों का जिक्र किया। मोदी सरकार पर जमकर निशाना साधा। उन्होंने कहा, विकास की बातें करने वाली गुजरात की सरकार ने दक्षिण गुजरात में कोई विकास कार्य नहीं किया।



उन्होंने मोदी सरकार से सवाल किया, केंद्र ने गुजरात सरकार को भी विकास कार्य के लिए काफी पैसा दिया, लेकिन न जानें वह पैसा कहां गया कि आज तक दक्षिण गुजरात का विकास नहीं हो सका। दक्षिण गुजरात के आदिवासी गांवों में अब तक पानी नहीं पहुंचा।उन्होंने कहा, गुजरात महात्मा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की भूमि है। वे जो कहते थे, वह करके भी दिखाते थे। लेकिन गुजरात के आज के नेता सिर्फ उपदेश देते हैं, कुछ करते नहीं। गुजरात सरकार ने जनता से जो भी वादे किए, पूरे नहीं किए। इसकी तुलना आप कांग्रेस सरकार से करके देखिए, हम



कानून व्यवस्था की स्थिति ठीक नहीं है। केंद्र द्वारा राज्य सरकार को दी जाने वाली विकास राशि का सही ने जो कहा, वह करके दिखाया है।

इसके साथ ही सोनिया गांधी ने गुजरात सरकार पर भ्रष्ट होने का आरोप लगाया और कहा, केंद्र ने गुजरात की गरीब जनता के विकास के लिए गुजरात सरकार को करोड़ों रुपए दिए, लेकिन गुजरात सरकार को गरीबों से कोई मतलब नहीं। वह तो बस खास लोगों का ही ध्यान रखती है।प्रयोग नहीं होता है। जिसकी वजह से ग्रामीण इलाकों में सड़कों की स्थिति खराब है़ बिजली-पानी की व्यवस्था नहीं है और गरीब बदहाल हैं, लेकिन बीजेपी सरकार को इस बात की चिंता नहीं है।उन्होंने अपने चुनावी घोषणा-पत्र में किए गए वचनों को पूरा करने का भरोसा दिलाया। इसके बाद वे सौराष्ट्र और कच्छ में भी कांग्रेस उम्मीदवारों के समर्थन में चुनावी सभाएं करेंगी। तापी की रैली करने के बाद सोनिया गांधी जूनागढ़ में भी चुनावी रैली को संबोधित करेंगी।

अन्ना हजारे की तबीयत बिगड़ी, हॉस्पिटल में भर्ती

नई दिल्ली।। सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे की तबीयत बिगड़ गई हैं। उन्हें गुड़गांव के मेदांता हॉस्पिटल में ऐडमिट कराया गया है। टीम अन्ना की मेंबर किरन बेदी के मुताबिक, वह इंटेंसिव केयर यूनिट में हैं।Anna Hazare
किरन बेदी ने ट्वीट करके बताया, 'अन्ना मेदांता में भर्ती किए गए हैं। क्या समस्या है, पता नहीं। डॉक्टर्स ही इस बारे में कुछ भी बता सकते हैं।'

अन्ना के पूर्व सहयोगी और आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल ने भी इसकी पुष्टि करते हुए उनके जल्दी ठीक होने की दुआ की है। केजरीवाल ने ट्वीट किया है, 'अन्ना हॉस्पिटल में हैं। मेरी इच्छा है कि मैं जाकर उन्हें देखूं। मैं उनके जल्दी ठीक होने की कामना करता हूं।'

भूकंप से दहला जापान,सुनामी की चेतावनी

भूकंप से दहला जापान,सुनामी की चेतावनी
टोक्यो। जापान के पूर्वोत्तर में शुक्रवार को 7.3 की तीव्रता का जबरदस्त भूकंप आया। जापान ने सुनामी की चेतावनी जारी कर दी है।


एक मौसम विज्ञान एजेंसी ने कहा कि भूकंप स्थानीय समयानुसारशाम 5.18 बजे प्रशांत क्षेत्र में मियागी प्रांत के तट पर आया। भूकंप का केंद्र समुद्र तल से 10 किमी नीचे था। सुनामी की चेतावनी में कहा गया है कि दो मीटर तक की लहरें उठ सकती हैं। भूकंप से टोक्यो में भी इमारतें कई मिनटों तक कापीं।

बॉक्सिंग,तीरंदाजी संघ की मान्यताएं निलंबित

बॉक्सिंग,तीरंदाजी संघ की मान्यताएं निलंबित

नई दिल्ली। भारतीय खेलों के लिए एक और बुरी खबर है। सरकार ने भारतीय बॉक्सिंग संघ और तीरंदाजी संघ की मान्यताएं रद्द कर दी है। खेल मंत्रालय का कहना है कि अब पैसा सीधा खिलाडियों के पास भेजा जाएगा। खेल मंत्री जीतेन्द्र सिंह ने कहा कि ट्रेनिंग का काम भी मंत्रालय सीधे तौर पर करेगा।

उन्होंने कहा कि दोनों संघों को नए चुनाव के लिए 15 दिन का समय दिया गया था। उन्होंने कहा कि सरकार का खेल कोड और आईओसी का चार्टर समान है,इसलिए खेल कोड को बहाने के तौर पर इस्तेमाल नहीं करना चाहिए। स्पोट्र्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया की सुविधा बॉक्सरों और तीरंदाजों को मिलती रहेगी। एसोसिएशनों को निलंबित करने का असर खिलाडियों पर नहीं पडेगा।

एआईबीए ने किया था निलंबित

इससे पहले इंटरनेशनल एमैच्योर बॉक्सिंग एसोसिएशन (एआईबीए)ने अस्थायी रूप से इंडियन एमैच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन को निलंबित कर दिया था। सस्पेंशन का फैसला स्विट्जरलैंड में गुरूवार को हुई एक बैठक में लिया। एआईबीए ने यह फैसला इसलिए लिया है क्योंकि उनको भी अंतराष्ट्रीय ओलिंपिक संघ की तरह लगता है कि हाल ही में हुए भारतीय एमैच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन के चुनाव में धांधली हुई है। एआईबीए के इस फैसले के बाद भारतीय मुक्केबाज भारत के झंडे के तले अंतरराष्ट्रीय मुकाबलों में हिस्सा नहीं ले पाएंगे। गौरतलब है कि हाल ही में आईओसी ने आईओए को निलंबित कर चुका है।

खिलाडियों को मनोबल गिरेगा

मुक्केबाज अखिल ने इस पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि हम लोगों को भविष्य में क्या करना है इसके बारे में सोचना होगा। गलतियों पर ध्यान देकर उनको सुधारने की जरूरत है। मुक्केबाज विजेंदर सिंह ने कहा कि ये निराशाजनक है। इससे खिलाडियों का मनोबल गिरता है।

जीजा साले के खेल से कटी देश की नाक!

भारतीय मुक्केबाजी संघ के चुनाव इसी साल 23 सितंबर को हुए थे। अभिषेक मातोरिया इंडियन एमैच्योर बॉक्सिंग फेडरेशन के मौजूदा अध्यक्ष हैं और वह राजस्थान से भाजपा विधायक हैं। इससे पहले अभय चौटाला अध्यक्ष थे। मातोरिया चौटाले के साले हैं। चौटाला तीन बार भारतीय मुक्केबाजी संघ के अध्यक्ष रह चुके हैं। चौटाला चौथी बार अध्यक्ष नहीं बन सकते थे इसलिए उन्होंने अपने साले को अध्यक्ष बनवा लिया।

अभय चौटाला ने खेल करते हुए अपने लिए नया पद बनवा लिया और वह भारतीय मुक्केबाजी संघ के नामांकित चेयरमैन बन गए। चौटाला ने यह खेल इसलिए किया कि क्योंकि आईओए का चुनाव लड़ने के लिए किसी खेल संघ का पदाधिकारी होना जरूरी था। भारतीय मुक्केबाजी संघ के सस्पेंड होने के बाद चौटाला के आईओए के अध्यक्ष बनने पर फिर सवाल खड़ा हो गया है।

भूत-प्रेत उतारने के नाम पर दुष्कर्म

भूत-प्रेत उतारने के नाम पर दुष्कर्म

उदयपुरवाटी। क्षेत्र के छावसरी गांव में कक्षा 11 में पढ़ने वाली एक बालिका से भूत-प्रेत की छाया निकालने के नाम पर दुष्कर्म करने का मामला सामने आया है। इस संबंध में बालिका ने इस्तगासे से छांवसरी गांव के दो युवकों के खिलाफ गुढ़ागौड़जी थाने में मामला दर्ज कराया है।

हालांकि मामला चार माह पुराना बताया जा रहा है। बालिका ने आरोप लगाया है कि अगस्त में वह अपने माता-पिता के साथ ननिहाल से गांव आई थी। उस समय उसके पेट में दर्द होने लगा।

गांव के मोहनलाल ने उसके पिता से कहा कि इसपर भूत-प्रेत की छाया है, जो झाड़-फूंक से ठीक हो जाएगी। दो दिन तक झाड़ा देने के बाद मोहनलाल बालिका को मुस्ताक पुत्र जमाल के पास लेकर गया। वहां भी झाड़-फूंक करता रहा। दूसरे दिन जमाल फिर आया और बालिका को एक कमरे में ले गया। आरोप है कि यहां जमाल ने उसे पानी में कुछ मिलाकर पिलाया, जिससे बालिका बेहोश हो गई। इसके बाद उसने बालिका के साथ ज्यादती की।

जयपुर धमाकों के आरोपी पर 4 लाख का इनाम



जयपुर धमाकों के आरोपी पर 4 लाख का इनाम


जयपुर। करीब चार साल पहले जयपुर में हुए सिलसिलेवार धमाकों का मास्टर माइंड और आईएम का कुख्यात आतंकी अब्दुल सुभान कुरैशी उर्फ तौकीर पूरे देश के लिए नासूर बन गया है। इंडियन मुजाहिदीन (आईएम) के इस खूंखार आतंकी को केंद्रीय जांच एजेंसी और राजस्थान सहित कई सूबों की पुलिस तलाश कर धक चुकी है।




यही वजह है कि इस खूंखार आतंकी तौकीर की गिरफ्तारी पर अब नेशनल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को चार लाख रूपए का इनाम भी घोçष्ात किया है। सूत्रों ने बताया कि आईएम प्रमुख तौकीर बम बनाने और रैकी करने के मामले में मास्टर माइंड है। इंजनियरिंग का कोर्स कर चुके तौकीर ने ही करीब चार साल पहले जयपुर में हुए सीरियल बम ब्लास्ट का खाका तैयार किया था।




जयपुर बम ब्लास्ट के मामले में राजस्थान की एटीएस पांच आरोपियों को गिरफ्तार कर चुकी है, जबकि इस मामले में नामजद चार आतंकी आज भी फरार चल रहे हैं। सूत्रों का कहना है कि जयपुर बम ब्लास्ट के मामले में चारों फरार आतंकी सहित कुख्यात आतंकी तौकीर ने भी इन दिनों खाड़ी देश में पनाह ले रखी है।




चार लाख का इनाम रखा

आतंकी तौकीर की गिरफ्तारी पर केंद्रीय जांच एजेंसी एनआईए ने भी मंगलवार को चार लाख रूपए इनाम घोçष्ात किया है। केंद्र और राज्य की खुफिया एजेंसियां तौकीर को जयपुर बम ब्लास्ट सहित गुजरात, दिल्ली, हैदराबाद सहित आईएम की ओर से गत दिनों अन्य स्थानों पर हुए बम धमाकों के मामले में तलाश रही है।




चार आतंकी आज भी फरार

राजस्थान की एटीएस जयपुर बम धमाकों के मामले में अभी तक पांच आतंकियों को ही गिरफ्तार कर पाई है। इस मामले में नामजद हुए आतंकी साजिद बड़ा, मोहम्मद खालिद, आरिज और शादाब आज भी फरार हैं।




तौकीर ने ही बनाए थे बम

सूत्रों ने बताया कि शहर में 13 मई 08 में हुए सीरियल बम धमाकों से पहले रैकी करने के लिए आईएम आतंकी तौकीर जयपुर भी आया था। सूत्रों के मुताबिक बम धमाकों से करीब दो माह पहले तौकीर आईएम के राजस्थान प्रभारी साजिद मंसूरी के साथ यहां सिंधीकैंप और एमडी रोड इलाके में देखा गया था। सूत्रों का दावा है कि जयपुर बम धमाकों के लिए शहर की चारदीवारी की तौकीर ने ही रैकी की थी। इसके अलावा जयपुर धमाकों के लिए तौकीर ने ही बम एसेंबल किए थे।

आसाराम बापू के प्रसाद से फूटी भक्त की आंख, मुकदमा दर्ज

पाली. कथावाचक आसाराम बापू के खिलाफ उनके ही एक श्रद्धालु ने कथा के दौरान लापरवाही बरतने का मुकदमा दर्ज करवाया है। श्रद्धालु का आरोप है कि प्रसाद के रूप में इलेक्ट्रॉनिक मशीन से टॉफी बांटने के दौरान उसकी आंख चोटिल हो गई। कोर्ट के आदेश पर दर्ज मुकदमे में सोजत में कथा का आयोजन करने वाली समिति प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है। पुलिस के अनुसार सोजत के मगरिया बेरा निवासी हरिराम माली (25) पुत्र मांगीलाल ने कोर्ट के जरिए इस्तगासा रिपोर्ट दर्ज कराई कि गत 21 नवंबर को संत आसाराम बापू ने सोजत स्थित राजकीय कॉलेज में कथा वाचन किया।
आसाराम बापू के प्रसाद से फूटी भक्त की आंख, मुकदमा दर्ज

कथा सुनने के लिए हरिराम भी वहां गया था। रिपोर्ट में बताया गया है कि कथा समाप्त होने पर बापू ने एक ट्रॉली पर सवार होकर इलेक्ट्रॉनिक मशीन से प्रसाद के रूप में श्रद्धालुओं में टॉफियां बांटीं। इस दौरान कई लोगों के सिर व मुहं पर टॉफियां गिरीं तथा उसकी आंख से भी टकराई। इस बीच तेज गति से एक टॉफी लगने से हरिराम की आंख चोटिल हो गई, जिसके कारण स्थानीय डॉक्टर ने उसे किसी बड़े अस्पताल में आंख का उपचार कराने की सलाह दी। रिपोर्ट में आयोजन समिति के प्रबंधन को भी आरोपी बनाया गया है। सोजत पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।

राजस्थानी लोकगीतों में राजस्थानी विवाह संस्कृति


राजस्थानी लोकगीतों में राजस्थानी विवाह संस्कृति 

 राजस्थानी लोकगीतों का राजस्थान में महत्त्वपूर्ण स्थान है तथा राजस्थान लोकगीतों के विविध विषयों पर एक विहंगम दृष्टि डालने पर ज्ञात होता है कि उन गीतों का प्रमुख विषय है, परिवार। सारे लोगगीत-साहित्य में जितनी विविध, सूक्ष्म, अभिव्यक्ति परिवार और समाज की हुई है, उतनी अन्य किसी पक्ष की नहीं। इन गीतों में जन-जीवन की पारिवारिक, नैतिक व धार्मिक मान्यताओं का रागात्मक उल्लेख होने के साथ-साथ सुरों का माधुर्य पारिवारिक चेतना का स्पन्दन है। लोकगीतों का महत्त्व केवल रागात्मक एवं हृदयग्रहिता के लिए ही नहीं है, बल्कि इसके महत्त्व का एक और तथ्य है, परिवार एवं उसके प्रत्येक चेतना स्पन्दन को उभारना व उजागर करना। ये गीत सभी जातियाँ, सभी वर्ग व सभी मनुष्य हिल-मिलकर गाते हैं। ये किसी विशेष वर्ग समूह में ही निहित नहीं है। इन गीतों में उनकी स्वंय की चेतना व स्पन्दन है। उनके परिवार का सुख-दुख, द्वेष, कलह, प्रेम व शान्ति है, व अकेलापन महसूस न कर इनसे अपनापन स्थापित करने के लिए उत्सुक हो उठता है। वह लोकगीतों के साथ हंसता है, रोता है, उठता-बैठता है तथा प्रसन्न मन से अपनी छिपी हुई पीड़ाओं को सहलाता है।

परिवार सामाजिक जीवन की सबसे बड़ी इकाई है। आदिम काल में मनुष्य एक पशु था। जिस दिन से उसने पशु युग से सामाजिक युग में प्रवेश किया, तभी से परिवार का जन्म हुआ, व उसका महत्त्व आज तक है। मनुष्य का अस्तित्व परिवार के बिना कुछ नहीं है। परिवार एक विशाल सागर है, और सागर की जो विशाल तरंग है वह है पति-पत्नी का कोमलतम व स्नेहपूर्ण सम्बन्ध। सारी प्रकृति सारी व्यवस्था व समाज का मूलाधार इसी परिवार पर केन्द्रिय है। बिना परिवार व गृहस्थ के मनुष्य का अस्तित्व कुछ भी नहीं है, मनुष्य जाति का अस्तित्व परिवार के बिना अकल्पनीय है।

वैदिक युग से आज तक परिवार का अस्तित्व रहा है। वैदिक मंत्र स्वयं में लोक गीत है, जिनमें शत: शत: कण्ठों द्वारा परिवार के अस्तित्व व आवश्यकता को जरुरी माना गया है, और सब आश्रमों में गृहस्थ को सर्वोच्च पद देकर इसको श्रेष्ठता दी गई है। समाज, राज्य और विश्व का अस्तित्व इनके द्वारा है।

इन राजस्थानी लोकगीतों में दम्पाती के पावन मधुर व सुखद सम्बन्धों को लेकर आलौकिक साहित्य रचा गया है। सूक्ष्म से सूक्ष्म कार्य कलाप की अभिव्यक्ति सबल और सशक्त ढंग से प्रतिफलित हुई है। परिवार में विवाह से पहले अनिष्ट निवारणार्थ कुलदेव - पूजन "अगन कगार' की पावन प्रतिज्ञा से लेकर विवाह, विवाह के बाद करुणा प्लावित विदाई, बालिका का पूर्व मोह एवं भविष्य के सुखद सपनों के हिंडोंले पर झूलने वाला हृदय, ससुराल प्रवेश, उसका प्रथम दिन, सहेलियों की चुहल, देवर और नन्द की मजाक, हँसी-ठट्ठा, पति से मान, पुत्रोत्पति हेतु इष्ट से कामना एवम् कालिदास की यक्षिणी की तरह पति की विरह में तिल-तिल जलकर घुलते हुए कृशकाय होना आदि सक्ष्म पक्ष इतने सफल ढंग से इन गीतों में अभिव्यक्त हुए है कि इनकी तुलना कठिन है।

राजस्थानी लोकगीतों के सन्दर्भ में पाश्चात्य विद्वान "टेसीटोरी' ने भावविभोर होकर कहा था। ""इन गीतों में एक-एक भाव पर सारे संसार का साहित्य तुच्छ है। पारिवारिक सुख-दुख, हर्ष, शोक एवं मिलन विरह के बीच सदैव प्रेम की सूक्ष्म पर प्रबल लौ जलती रही है जो सदियों तक विदेसी अन्धड़ों के बीच भी निष्कम्प पथ पर अग्रसर रही है और यही इन गीतों की सार्थकता है, सफलता है।''

ये गीत हमारे वेद है, शास्र है, धर्म ग्रन्थ हैं। जीवन है व प्रत्येक अणु, अणु की धड़कन है। मनुष्य का जीवन हमेशा प्रकृति व समाज से सम्बद्ध उसने हमेसा प्रकृति को अपनी चेतना का एक अखण्डित तत्व माना है। जहाँ वह प्रकृति पर विजय प्राप्त करना चाहता है वहीं उसका शकालु ऱ्हदय इस बात को स्वीकार करता है कि उसके अनुनय-विनय से प्रकृति संतुष्ट हो उसका कहा मानेगी, उसे संकट से उबारने में सहायक होगी। फलस्वरुप मानव आदिम अवस्था से ही जादू-टोने, टोटके, धार्मिक अनुष्ठान, भूत-प्रेत, पिशाच आदि को संतुष्ट करता आ रहा है। जहाँ से मानव की शारीरिक शक्ति चुक जाती है, वहीं से वह इन जादू टोनों के घेरे में फंस जाता है। आदिम मानव की धार्मिक भावना का यही मूलाधार है। प्रकृति की अपनी चेतना का अंश समझने के कारण ही वह अपने हर आवश्यक कार्य से पहले देवी-देवताओं को मानता है, उनके प्रति गाता है, नाचता है, उत्सव मनाता है। इन सब कार्यों के पीछे उसकी स्वंय की, परिवार की और समाज की स्वार्थपरक भावना बोल रही होती है।

विवाह सामाजिक व्यवस्था की सर्वाधिक आवश्यक कड़ी है। समाज एवं परिवार का मूलाधार ही विवाह है। वह गृहस्थी का मेरुदण्ड है, जिस पर सारे वि का कार्यकलाप व्यवस्थित है। तो फिर इस शुभ कर्म को निर्विध एवं सकुशल सम्पन्न करने के लिए क्यों ने वह प्रकृति की अराधना करे और ईष्ट देव को संतुष्ट करे। भारतीय सदा से धर्मपरक रहा है। देवी-देवता उसके अवलम्ब हैं और उन्हें संतुष्ट करना उसका कर्तव्य है। विवाह से पहले अपने कुलदेव "मायाजी' को संतुष्ट करने के लिए अपने परिवार को साथ ले सामूहिक रुप से स्तुति करता है। इन गीतों को गाते समय प्रकृति का अणु-अणु स्पन्दित होने लगता है।


म्हें तो सगलाई देवता भेट्यां रे भंवरा।
म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं भंवरा।
म्हे तो सगलाई कुलदेव भेंट्या रे भंवरा।
म्हारे भोपाजी रै तैल सिंदूर चढ़े रे भंवरा।
म्हें तो सगलाई देवां ने भेंट्या रे भंवरा।
म्हारे मायाजी रे तोले कोई नहीं रे भंवरा।

मायाजी के इसी रुप में इस देवता की जो कि उसकी मानसिक परितुष्टि का एक सबल व सशक्त प्रतीक है, प्रार्थना करते हुए वह हृदय में उसे सर्वोच्च स्थान प्रदान करते हुए अपने हृदयोदगारों को मुखरित करता है। अपनी व अपने परिवार की कुशलता चाहते हैं। यहीं नहीं वह आदिदेव विघ्ननिवारक गजानन की भी ध्यावना देना नहीं भूलता, उसकी प्रार्थना करता है।


हालो विनायक आपां जोशीड़ा रे हांला
चौखा सा लगन लिखासां है। म्हारो बिड़द विनायक।
चालो विनायक आपां बजांजा रे हालां
चौका सा सालूडां मोलवसां हे। म्हारो विड़द विनायक।

विवाह उनका परित्र कार्य है, जहाँ उससे पूर्व वह अनिष्ट के निर्वाणार्थ "मायाजी' तथा "गणेश' की पूजा करना नहीं भूलता। वहां सलल्ज नाजुक सकुमारियाँ दूल्हे की बारात में जाते सूर्य की प्रचण्ड किरणों से प्रभावित होकर उससे शिकायत करना भी नहीं भूलती और साथ ही साथ चेतावनी भी देती जाती है, कि हम तो खैर यह परेशानी सह भी लेंगे पर तुम्हारे साथ मोतियों से महगें तुम्हारे बाबासा भी है औऱ लालों से तोलने योग्य माताजी किस प्रकार यह गर्मी सहन करती होगी। जरा अपने मामा, मामी और अन्य सम्बन्धियों के कष्ट का भी तो ख्याल करो -


घाम पड़े, धरती तपै रे, पड़े नगांरा री रोल
भंवर थारी जांत मांयने।
बापाजी बिना कड़ू चालणू रे
बापा मोत्यां सूं मूंगा साथा।
भंवर थारी जांन मांयने।
माताजी बिना केडूं चालणू रे
माताजी हरका दे साथ।
भंवर थारी जान मांयने।
घाम पड़े, धरती रपै रे, पड़े नागरां री रौल
भवंर थारी जांन मांयने।

मगर इस गर्मी और परेशानी में भी उसकी भौजाइयां एवं नवयुवतियां उससे चुहल करने का मौका नहीं चूकती। चाहे गर्मी पड़े, चाहे सर्दी, तकलीफ हो या कष्ट इन ठिठोलियों के प्रकाश में कपूर सी उड़ जाती है। शायद उसे चेतावनी देने पर बुरा लगा हो, शायद वह इसे दूर करने की उधेड़बुन में कुछ परेशानी-सा महसूस कर रहा है, क्यों जरा से कष्ट के लिए उसकी आत्मा को तकलीफ दी जाए। लो उधर दूल्हे का ससुराल भी तो न आने लगा। बस बहाना मिल गया और एक स्वर से मधुर धवनि वातावरण में तैरने लगी। देख, देख ! वह रही तेरी ससुराल, जिसकी प्रशंसा करते तू थकता नहीं था। अब देख तो सही कैसा न आ रहा है, मानों जोगियों का अस्त-व्यस्त सा डेरा उतरा हो। यह कोई ससुराल होने लायक है? और तेरे ससुर को तो देख, यह आदमी है या पड़गों का बौराद मोटा-सा, भद्दा थुलथुल-सा और तेरी सास तो भैंस-सी है। मैं तो उनकी प्रशंसा बहुत किया करता था। बस ऐसे ही तेरे सास-ससुर, और तेरा साला तो "मडके' का भील सा न आ रहा है, और साली बराबर जोगियों की बदरुप फूहड़ लकड़ी-सी। देख तो सही आंखे तो खोल -


चढ़ लाडा, चढ़ रे ऊँचे रो, देखाधूं थारो सासरो रे,
जांणे जाणें जोगीड़ो रा डेरा, ऐंडू के शार्रूं सासरो रे।
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचो रो, देखांधू थारा सुसरा रे,
जाणें जाणें पड़गो रा वौरा, ऐड़ा रे थारा सुसरा रे।
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रे देखांधू थारो सासरो रे,
जाणें जाणें पड़गा री "बोंरी' ऐड़ी तो थारी सासूजी रे।
चढ़ लाड़ा चढ़ रे ऊँचे रो, देखांधू थारो सासरो रे,
जाणें जाणें जोगीड़ा री छोरी, ऐड़ी तो थारी साली रे।

कितनी गहरी व प्रबल अभिव्यंजना है। हास्य का कैसा सुन्दर वातावरण-सा बना देने की क्षमता है। न शब्दों में और यह सारे गीत विषाद के घटाटोप को उजागर करने के लिए अकेला ही काफी है।

उनका दूल्हा कोई "एरा-गैरा' नहीं, मोतियों से भी महंगा है। वह यों ही भिखारी नहीं, कि ससुराल तक पैदल चला जाए। वह फूलों से भी कोमल और कमल से भी निर्मल है। ससुराल के पास ही बाराती ने गांव के बाहर तालाब के किनारे अच्छी-सी ठोड़ पर उतरकर विश्राम कर रहे हैं, और वधू-गृह को कहला भेजती है -


ऐली पैली सखरिया री पाल
पालां रे तंबू तांणिया रे।
जाये वनी रे बापाजी ने कैजो, के हस्ती तो सामां मेल जो जी।
नहीं म्हारां देसलड़ा में रीत, भंवर पाला आवणों जी।
जाय बनी रा काकाजी ने कैजो
घुड़ला तो सांमां भेजजो जी
नहीं म्हारे देशां में रीत, भेवर पाला चालणों जी
जाय बनीरा माता जी ने कैजो
सांमेला सामां मेल जो जी
नहीं म्हारे देशलड़ां में रीत
भंवर पाला आवणों री।

और दूल्हे के सास-ससुर हर्षित हो मोतियों से जड़कर, सोने के होदे से सुसज्जित हाथी और घोड़े अगवानी के लिए भेजते हैं।

राजस्थानी रमणियों की धारण शक्ति प्रबल रही है। उन्होंने जीवन के प्रत्येक छोटे से छोटे कार्य को गीतों में बांधकर सदैव के लिए चिरस्थायी बना दिया है। उनकी पैनी न से जीवन का कोई भी अंग अछूता नहीं बचा है और इन गीतों की इतनी व्यापकता होने पर भी कहीं शिथिलता, फूहड़पन और कृत्रिमता का लेश भी दृष्टिगोचर नहीं होता, बल्कि इसके विपरीत हमें इन गीतों में आशा का सुखद संदेश एवं प्रबल भावाभिव्यक्ति के साथ-साथ राजस्थान के चेतन हृदय की धड़कन स्पष्ट सुनाई पड़ती है। यही इन गीतों की सफलता होने के साथ-साथ सार्थकता भी है।

विवाह की तैयारियां हो गई। वर-वधू दोनों मण्डप में आ गए। पुरोहित के मुँह से आशीर्वचन निकलते जा रहे थे। इधर वर पक्ष की नाजुक बहुएं नयी नवेली दुल्हन को सम्बोधन कर सान्तवना देती हुई कहती है - बहूं ! तू घबराना मत। यह मत जानना कि दूल्हा अकेला है। इसके पीछे सारा भरा-पूरा परिवार है, सभी एक से एक बढ़कर हैं। जहाँ इसका काका हवलदार है, तो चूड़ीदार पजामा पहिने वे सज्जन चोपदार हैं। कोई हकिम है तो कोई किल्लेदार है। इसके साथ के बाराती जहाँ मजेदार हैं तो उनकी औरतें भी एक से बढ़कर एक हैं। बहू ! इसके साथ देख तो सही, कितने साथी आए हैं? ये सभी तो बिखरे हुए फूलों की तरह न आ रहे हैं। समष्टि रुप में एक गजरे के गूंथें हुए कुसुम हैं, जो एक होकर भी अनेक हैं और अनेक न आने पर भी एक हैं।


बनी ! थूंई मत जाणे बना सा ऐकला रै।
झमकू ! थूंई मत जाणे ""राइवर'' ऐकला रै!
साथे चूड़ीदार, चौपदार, हाकिम ने हवालदार,
कागदियों से कांमदार, काका ऊभा किल्लेदार।
भौमा ऊबा मज्जादार, सखाया सब लारोलार
फूल बिखौरे गजरों गंधियों रै
बनी थूंई मत जाणे बनासा एकला रै।

गजरे और फूलों की उपमा तो शायद विश्व-साहित्य में भू ढूंढ़ने पर न मिलेगी।

विवाह समाप्त होता है। सारे रीति-रस्म एक-एककर समाप्त होते हैं और वह घड़ी आ पहुँचती है, जिसकी बहुत दिनों से धड़कते हृदय से प्रतीक्षा हो रही थी। बेटी की विदाई की बेला यह गीत इतना मार्मिक व करुण है कि मानव तो क्या सारी प्रकृति की आँखों में आंसू छलछला आते हैं। और जब ""कोयल बाई सिध चाल्या'' गीत गाया जाता है तो, सारा वातावरण एक बारगी ही करुणा और शौक से आप्लावित-सा हो जाता है। तो इस गीत में जो माधूर्य, मानव की सहज प्रेम भावना, स्नेह और सहानुभूति और जो मार्मिक अभिव्यक्ति हुई है वह भारत तो क्या सारे वि के श्रेष्ठ काव्य में मिलना मुश्किल है। विदाई देते समय उसकी सहेलियां हिचकोले भरती हुआ गाती हैं -


म्हें थांने पूछां म्हारी धीयड़ी
म्हें थांने पूछां म्हारी बालकी
इतरो बाबा जी रो लाड़, छोड़ र बाई सिध चाल्या।
मैं रमती बाबो सो री पोल
मैं रमतो बाबो सारी पोल
आयो सगे जी रो सूबटो, गायड़मल ले चाल्यो।
म्हें थाने पूंछा म्हारी बालकी
म्हें थाने पूंछा म्हारी छीयड़ी
इतरों माऊजी रो लाड़, छोड़ र बाई सिध चाल्या।
आयो सगे जी रो सूबटो
हे, आयो सगे जी रो सूबटो
म्हे रमती सहेल्यां रे साथ, जोड़ी रो जालम ले चाल्यो।
हे खाता खारक ने खोपरा
रमता सहेलियां रे साथ
मेले से हंसियों लेइ चाल्यों
हे पाक्या आवां ने आबंला
हे पाक्यां दाड़म ने दाख
म्लेइ ने फूटर मल वो चाल्यो
म्हें थाने पूंछा म्हारी धीयड़ी
इतरों बापा जी रो लाड़, छोड़ने बाई सिध चाल्या।

हर्ष व विषाद के झूले में झूलती हुई बहू सास की तरफ रवाना हो जाती हैं। बांगा मांयली कोयल नया नीड़ बसाने की पंख फड़फड़ाकर उड़ जाती है, और पीछे छोड़ जाती है बचपन की यादें, मीठे बोल, और एक मधुर सुखद करुणा मिश्रित याद। ससुरार पहुंचकर उसे पिछले सारे समारोह तोड़कर नये सम्बन्धों से अपना तारतम्य जोड़ना पड़ता है, और इस पुरानी याद को जबरदस्ती तोड़कर नये नीड़ के सम्बन्धों की तरफ देखना इनती छोटी-सी घटना को भी लोक कवियों ने नहीं छोड़ा है। ससुराल की बहुँए, उसकी जेठानियां, ननदें और नयी सहेलियां बहूं को समझाती हुई कहती हैं - बहूं ! पीहर का मोह छोड़, अब ससुराल से स्नेह जोड़। तुम्हारे पिता तो वहीं विवश से रह गए, अपने अपने ससुर के हृदय में ही पिता की प्रतिच्छाया निहार ! अपनी माँ का मोह छोड़ने में ही कुशल है। इधर देख, ये तेरी सास है, माँ से बढ़कर हैं। इनमें माँ का रुप देख और देख तो सही तेरी सहेलियां हैं, ये देवर नहीं ! भाई हैं, ये नन्द नहीं, बहिनें हैं। पूरा परिवार यहां है, यहां पर भी देख तो सही -


झालो अलगियों तो ऐयूं जालो मांए
के धिया बाई सा रो पीवरियो तो एयूं मीडक मांए
सासूरियूं तो लीन्यूं नजरा मांए
बाइसा रो बापा जी तो रेग्या मीडंक भांए
ससुरा जी तो लीन्या नजरां मांए
सासू जी ने लीवों नजरां मांए।
बाई री साथणियां तो रैगी माड़क मांय
नणदल बाई सा ने लेवो नजरां मांए।

हर्ष व बधाई के साथ दूल्हा अपनी नयी दुल्हन के साथ घर पहुंचता है, सभी हर्षमग्न हैं। आज परिवार में एक नया प्राणी बढ़ा है। देवर को भौजाई मिली है, और जेठानियों को नई देवरानी। माँ-बाप का तो कहना ही क्या। उनका बेटा आज वास्तविक रुप में गृहस्थ में प्रवेश करता है, और बहू क्या लाया है, चांद का टुकड़ा समझ लो। साथी ही साथ कितना सारा दहेज ले आया है बेटा। मना करते-करते भी तो समझी ने कितना सारा भेज दिया है, साथ में। दुलहन तो लाया ही है साथ में "अणुअर' भी लाना नहीं भूला है। साथ में दुलहन तो लाया ही है, सबसे ज्यादा उत्कण्ठा है छोटी ननद की। उसकी भौजाई अपने बाप के घर से क्या-क्या ले आई है।


म्हारों बालूड़ों ग्यो तो सासरे, जरमरियो
काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो
लाड़ी आयो ने अनुअर डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो
बेड़ो लायो ने थाली डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो
लोटो लायो ने लोटी डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो
सीरस लायो ने ढ़ाल्यो डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो
म्हारो बालूड़ो ग्यो तो सासरे ... जरमरियो ढ़ोलो
काईं काईं लायो रे वीरा डायजिये ... जरमरियो ढ़ोलो।

ससुर-गृह पहुँचने के बाद वधू का कर्तव्य हो जाता है अपने वंश को बढ़ाना, परिवार के सुख-दुख में हिस्सा लेते हुए सबको सुखो और सन्तुष्ट रखना। कितनी मुश्किल से उसने पीहर छोड़ा। कैसे भूलें वे गलियां वह धूल, और वह सहेलियां, जिनके साथ वह खेलकर बड़ी हुई, वह कसक मिटें तो किस तरह।

रात हुई। चिरप्रतीक्षित रात, कितनी उमंगों से उसके पति ने इस रात के स्वप्न अपनी आंखों में सजोंए थे और उस स्वंय ने भी तो धड़कते हृदय से क्या-क्या नहीं सोच डाला था, और अब जब वह रात आई तो उसकी जिठानियों ने जबरदस्ती उसे कमरे में धकेल दिया। वह बाहर कैसे जाए? क्या बहाना बनाए? अचानक उसे एक उपाय सूझता है, वह पति से अनुनय करती है कि जरा-सी देर के लिए उसे बाहर खेलने जाने दो, वह उनकी जन्म-जन्म की गुलाम बन जाएगी, यदि कुछ समय के लिए उसे छोड़ दिया जाए। तब तक वह सम्भल तो जाए। धड़कते हृदय को सान्तवना तो दे ले। अपने आपको परिस्थिति के अनुकूल ढ़ालने का अवसर तो मिलें, यह सब सोच वह अनुनय करती है -


रमणा जावा दो, बना सा खेलवा जावा दो
म्हारी नणदल जोवे बाट, राजा रमवा जावा दो
फूल गजरो ................... ढ़ोला लाल गजरो
म्हारे लावे सैर री मांलण-बाल गजरो
रकवा जावा दो ...... भंवर सा खेलवा जावो दो..

पर पति भी तो चतुर था, उसने उसकी सलज्जता देख ली थी। वह इस लाज के बन्धन को समाप्त करना चाहता था, जससे दो चिर प्यासे हृदय परस्पर मिलें और अपनी प्यास बुझाएँ। वह वैसा ही चातुर्यपूर्ण उत्तर देता है ""हाँ हाँ खेलों, जरुर खेलो, आओ इधर खेलें। सारी रात भी खेलें तो भी कौन मना करता है।''


रमजो सारी रात लाडी सा खेलजो सार रात
इस ढ़ोलियां सामी खेल, बनीसा समसां सारी रात।

हक्की-बक्की हो गई वह, उसे स्वप्न में भी आशा नहीं थी कि उसके ही शस्र से उसका वार काट दिया जाएगा। वह अपने चतुर पति का संकेत समझ गई, परन्तु #ेक बार फिर कोई नया बहाना सोच रही थी कि चतुर पुरुष ने स्पष्ट करते हुए अनुनयपूर्वक समझा दिया -


रात हुई अधरात बनीसा, रात हुई अधरात
म्हारे साथे खेलो आज, लाडी सा ... सात हुई अधरात।

वह बड़े पेशोपेश में पड़ गई। उसके तो सारे वार खाली जा रहै हैं। हीठला माने भी तो तब न? उसने स्रियोचित अन्तिम शस्र सम्भाला, जो कि अमोध था, अचूक था। सलज्ज मानवती-सी एक ओर मानकर बैठ गई चुपचाप .. निस्पन्द...।

चतुर पुरुष समझ गया, एक क्षण बीता, दो क्षण बीते, आखिर वह उटा व बोला -


राजी राजी बोल बनी तो चुड़लो पेरादूं
बेराजी बोले तो म्हारी लाल चिटियो, म्हारी फूल चिटियो
नवी नारंगी रो खेल बतादूं रसिया .... मीठी खरबूजो
राजी राजी बोल बनी तो तीमणियौ पैराधूं
बैराजी बोले तो म्हारी लाल चिटियों ... म्हारी फूल चिटियों
नई नारंगी रो खेल बता दू रसिया .. मीमो खरबूजों।

इस प्रतीक प्रधान लोकगीत में शत-शत भाव गुम्फित है, जिसका विश्लेषण करने पर ही अर्थानन्द आ सकता है, और जब हम उन भोलेभाले जन कवियों के ऐसे प्रतीक प्रधान गीत देखते हैं तो, एक बारगी ही हम उनकी कल्पना और सूझ पर बिजड़ित से हो आते हैं। उनकी कला से आगे हमारा मस्तिष्क झुक जाता है। नि:संदेह यह एक ही गीत किसी भी श्रेष्ठ साहित्य के सम्मुख बेहिचक रखा जा सकता है, यही इस गीत की विशालता व महानता है।

मगर वह नाराज थी कब? यह मान-मनौबल तो जिन्दगी की प्यास थी, यही तो क्षण सदा के लिए उनके हृदय-पटल पर अंकित हो जाएगें। वह उठी उसने समझ लिया, उसका पति सुन्दर व स्वस्थ्य ही नहीं है, वाक् चतुर भी है, परिस्थिति को भांपने की क्षमता रखता है। उसने नया पासा फेंका -


शहर बाजार में जाइजो हो बना जी हो राज
पान मंगाय वो रंगतदार बनजी बांगा माहे
पांन खाय बनी सांभी सभी, बना हजी हो राजे
बनो खीचे बनी से हाथ .. हो बांगा माहे
हाव्यलड़ों मत खीचों बना जी हो राजे
रुपया लेस्सूँ सात हजार .... हो बांगा माहे
ऊधार फुझाब मैं नहीं करां हो राज
रुपया गिगलां सात हजार ... हो बांगा माहे
शहर बाजरां मती जाइजो हो राज
म्हांने परदेसी रो कांई रे विसवास .. हो बांगा माहे....

इन गीतों की व्यजंना पर जब हम ध्यान देते हैं तो ज्ञात होता है कि राजस्थानी जननायकों एवं गायिकाओं ने परिवार व रीति-रिवाजों के छोटे से छोटे क्षण व छोटी से छोटी चेष्टा को भी अपनी आंखों से ओझल नही होने दिया है। इन गीतों में एक ऐसी चेतना और तादात्मय है, जो प्रत्येक के हृदय को झकझोरकर उसे एक सूत्र में बांधने का सफल व सहज प्रयास करता है। इन गीतों में हमारी आत्मा है, हमारा संगीत है। जनमानस की चेतना है और उसके हृदय का प्रत्येक सूक्ष्मातिसूक्ष्म रुपन्दन है। प्रत्येक छोटी से छोटी घटना प्रत्यक्षीकरण है। ये गीत हमारी सांस्कृतिक धरोहर हैं और इन गीतों के माध्यम से हमारी सभ्यता, संस्कृति व भोले-भाले निश्छल, निष्कुपट ग्रामीण हृदयों के सूक्ष्मातिसूक्ष्म स्पन्दन अक्षुण्ण है, और रहेंगे।