सरहद पर गूंजा प्रगति का पैगाम,बदलाव ने किया महानरेगा का
जयगान रुका पलायन, हुआ विकास
- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
बाड़मेर एक जमाना था जब मीलों तक सन्नाटा, रेत का समंदर, पानी की भीषण समस्या और ऊपर से अकाल की विभीषिका भरी त्रासदियाँ। मनुष्यों से लेकर पशु-पक्षियों तक के लिए जीना कितना मुश्किलों भरा होता होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
बिखरी बस्तियों के रूप में पसरे बाड़मेर जिले में पेयजल तक का माकूल प्रबन्ध नहीं था और टैंकरों के माध्यम से बड़ी संख्या में गांवों और ढाणियों में पानी पहुंचाने की विवशताएं थीं। जल संग्रहण की संरचनाओं के अभाव मेें ग्रामीणों के लिए अपने यहां बरसात का पानी इकट्ठा करने तक की सुविधा नहीं थी।
इन विकट परिस्थितियों मे जन-धन और पशुधन के लिए पलायन के सिवा कोई रास्ता नहीं था। लोक राहत के होने वाले प्रयास भी इस परंपरागत अकाल के आगे खूब बौने साबित होते।
हो रहा कायापलट
समय ने ऎसी करवट ली कि विकास के नाम पर आज बाड़मेर इतना आगे निकल चुका है कि कुछ दशक पहले तक यह सब कुछ अकल्पनीय ही था।
विषमताओं भरी स्थानीय परिस्थितियों से निपटने के लिए बाड़मेर की जरूरतों को समझ कर दीर्घकालीन परिणामदायी ऎसे ठोस काम हुए जिनकी बदौलत आज बाड़मेर अपनी निरंतर प्रगतिशील और नई भूमिकाओं में अपनी ख़ास पहचान कायम कर चुका है। सरकार की योजनाओं,जिला प्रशासन द्वारा इनके बेहतर क्रियान्वयन की पहल तथा जनप्रतिनिधियों की क्षेत्रीय विकास में समर्पित भागीदारी ने आज बाड़मेर की छटा ही बदल दी है।
जरूरतमंदों की अपनी योजना बनी
बाड़मेर जिले की विभिन्न समस्याओं के समाधान और बुनियादी विकास के साथ ही जरूरतमंदों को रोजगार की गारंटी का लाभ देकर राहत का अहसास कराने में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ( महानरेगा ) की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
यह महानरेगा का ही कमाल है कि बाड़मेर जिले में पेयजल संसाधनों व स्रोतों की उपलब्धता के साथ ही ग्राम्य विकास की आधारभूत संरचनाओं में अभिवृद्धि का लाभ ग्रामीणों को मिलने लगा है। खेती-बाड़ी व पशुपालन को सहारा मिला है और परम्परागत पलायन की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है। अन्यथा स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव में खरीफ की फसल के बाद ग्रामीणों को अपनी आजीविका के लिए दूरदराज के शहरों और महानगरों में पलायन करने के सिवा कोई चारा न था। इन सारी स्थितियों को महानरेगा ने समाप्त कर दिया है। अब ग्रामीण नई रोशनी का अहसास कर रहे हैं।
देश के अग्रणी जिलों में शुमार है बाड़मेर
महानरेगा योजना से ग्रामीणों को लाभान्वित करने और इस योजना का पूरा सदुपयोग करने में बाड़मेर जिला राजस्थान के अग्रणी जिलों में शुमार है। जिले में वर्ष 2011-12 में महानरेगा ने कई उपलब्धियाँ हासिल कर राज्य में अव्वल स्थान पाया है। इस अवधि में 162.18 लाख मानव दिवसों का सृजन कर राज्य में दूसरा स्थान तथा 28,254. 48 लाख की धनराशि का व्यय कर बाड़मेर जिला राज्य भर में प्रथम स्थान पर रहा है।
सूचना क्रांति की गूंज पहुंची गांव-गांव
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद जिले में समय पर और उत्तम गुणवत्तायुक्त भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का निर्माण कराया गया है। जिले में कुल स्वीकृत 380 के मुकाबले377 भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। तीन प्रकरणों में न्यायालय का स्थगन होने से कार्य शेष है।
इतने हुए काम, राज्य भर में प्रथम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के शुरू होने से लेकर अब तक पूर्ण हुए कार्यो की दृष्टि से भी बाड़मेर जिला राजस्थान भर में प्रथम है। जिले में कुल स्वीकृत 94 हजार922 कामों में से 51.44 फीसदी अर्थात 48 हजार 834 कार्य पूर्ण हो चुके हैं।
वर्ष 2011-12 में श्रमिकों को सौ दिवस का रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से 39 हजार669 श्रमिकों को लाभान्वित कर बाड़मेर प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा है।
पानी बचाने का पैगाम ले रहा आकार
महानरेगा के अंतर्गत बाड़मेर जिले में जल संरक्षण गतिविधियों को प्राथमिकता प्रदान की गई है। जल संरक्षण की दृष्टि से व्यक्तिगत टांकों का बड़े पैमाने पर निर्माण कराया गया है। इसके अन्तर्गत जिले में महानरेगा में टांकों, बावड़ियों और व्यापक पैमाने पर विभिन्न जलसंग्रहण संरचनाओं को काम हाथ में लिया गया। इन जल संग्रहण संरचनाओं ने अब बाड़मेर की तस्वीर बदल डाली है।
छितरी बस्तियों तक पहुंचा पेयजल
इसके तहत महानरेगा योजना में प्रारंभ से अब तक कुल 84 हजार 280 टांके स्वीकृत हैं। इनमें से अब तक 57 हजार 834 टांकों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और ये ग्रामीणों के लिए अत्यंत उपयोग सिद्ध हो रहे हैं। ख़ासकर छितरी हुई बस्तियों में रहने वाले ग्रामीणों को इससे बहुत बड़ी राहत मिली है तथा वे पेयजल सुविधा के सुकून का अहसास कर रहे हैं।
इन टांकों के निर्माण से 173 करोड़ लीटर पानी के भण्डारण की क्षमता विकसित हुई है जो रेगिस्तानी बाड़मेर जिले के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि व कीर्तिमान है। इन टांकों के निर्माण पर 578करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की गई है।
हमेशा कायम रही है बाड़मेर की पहचान
महानरेगा योजनान्तर्गत राज्य स्तर से चयनित शिव पंचायत समिति की 45 ग्रामपंचायतों में विशेष सामाजिक अंकेक्षण का कार्य सफलतापूर्वक करवाया गया। महानरेगा में बाड़मेर जिला हमेशा अपनी अनूठी पहचान कायम करता रहा है। सन् 2009 में टीम लीडर अवार्ड से बाड़मेर को नवाजा गया। इसी प्रकार महानरेगा से संबंधित जल संरक्षण गतिविधियों में बाड़मेर पूरे देश में अग्रणी पहचान कायम किए हुए है।
सुनहरे भविष्य की ओर डग बढ़ा रहा थार
बाड़मेर जिला कलक्टर डॉ. वीणा प्रधान के अनुसार महानरेगा ने बाड़मेर जिले की कई परंपरागत समस्याओं का खात्मा कर दिया है और विकास के इतने संसाधनों को आकार दे डाला है कि इस योजना की बदौलत बाड़मेर जिले का बहुगुणित विकास हो रहा है और आज विकास के मामले में बाड़मेर कीर्तिमान स्थापित करता जा रहा है। यही कारण है कि बाड़मेर की पहचान अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है। इस दृष्टि से बाड़मेर वह इलाका है जहां विकास का तीव्र सफर सुनहरे भविष्य का खाका खींच रहा है।
- डॉ. दीपक आचार्य
जिला सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी,
बाड़मेर एक जमाना था जब मीलों तक सन्नाटा, रेत का समंदर, पानी की भीषण समस्या और ऊपर से अकाल की विभीषिका भरी त्रासदियाँ। मनुष्यों से लेकर पशु-पक्षियों तक के लिए जीना कितना मुश्किलों भरा होता होगा, इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती।
बिखरी बस्तियों के रूप में पसरे बाड़मेर जिले में पेयजल तक का माकूल प्रबन्ध नहीं था और टैंकरों के माध्यम से बड़ी संख्या में गांवों और ढाणियों में पानी पहुंचाने की विवशताएं थीं। जल संग्रहण की संरचनाओं के अभाव मेें ग्रामीणों के लिए अपने यहां बरसात का पानी इकट्ठा करने तक की सुविधा नहीं थी।
इन विकट परिस्थितियों मे जन-धन और पशुधन के लिए पलायन के सिवा कोई रास्ता नहीं था। लोक राहत के होने वाले प्रयास भी इस परंपरागत अकाल के आगे खूब बौने साबित होते।
हो रहा कायापलट
समय ने ऎसी करवट ली कि विकास के नाम पर आज बाड़मेर इतना आगे निकल चुका है कि कुछ दशक पहले तक यह सब कुछ अकल्पनीय ही था।
विषमताओं भरी स्थानीय परिस्थितियों से निपटने के लिए बाड़मेर की जरूरतों को समझ कर दीर्घकालीन परिणामदायी ऎसे ठोस काम हुए जिनकी बदौलत आज बाड़मेर अपनी निरंतर प्रगतिशील और नई भूमिकाओं में अपनी ख़ास पहचान कायम कर चुका है। सरकार की योजनाओं,जिला प्रशासन द्वारा इनके बेहतर क्रियान्वयन की पहल तथा जनप्रतिनिधियों की क्षेत्रीय विकास में समर्पित भागीदारी ने आज बाड़मेर की छटा ही बदल दी है।
जरूरतमंदों की अपनी योजना बनी
बाड़मेर जिले की विभिन्न समस्याओं के समाधान और बुनियादी विकास के साथ ही जरूरतमंदों को रोजगार की गारंटी का लाभ देकर राहत का अहसास कराने में महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ( महानरेगा ) की भूमिका महत्त्वपूर्ण है।
यह महानरेगा का ही कमाल है कि बाड़मेर जिले में पेयजल संसाधनों व स्रोतों की उपलब्धता के साथ ही ग्राम्य विकास की आधारभूत संरचनाओं में अभिवृद्धि का लाभ ग्रामीणों को मिलने लगा है। खेती-बाड़ी व पशुपालन को सहारा मिला है और परम्परागत पलायन की प्रवृत्ति पर अंकुश लगा है। अन्यथा स्थानीय स्तर पर रोजगार के अभाव में खरीफ की फसल के बाद ग्रामीणों को अपनी आजीविका के लिए दूरदराज के शहरों और महानगरों में पलायन करने के सिवा कोई चारा न था। इन सारी स्थितियों को महानरेगा ने समाप्त कर दिया है। अब ग्रामीण नई रोशनी का अहसास कर रहे हैं।
देश के अग्रणी जिलों में शुमार है बाड़मेर
महानरेगा योजना से ग्रामीणों को लाभान्वित करने और इस योजना का पूरा सदुपयोग करने में बाड़मेर जिला राजस्थान के अग्रणी जिलों में शुमार है। जिले में वर्ष 2011-12 में महानरेगा ने कई उपलब्धियाँ हासिल कर राज्य में अव्वल स्थान पाया है। इस अवधि में 162.18 लाख मानव दिवसों का सृजन कर राज्य में दूसरा स्थान तथा 28,254. 48 लाख की धनराशि का व्यय कर बाड़मेर जिला राज्य भर में प्रथम स्थान पर रहा है।
सूचना क्रांति की गूंज पहुंची गांव-गांव
विषम भौगोलिक परिस्थितियों के बावजूद जिले में समय पर और उत्तम गुणवत्तायुक्त भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का निर्माण कराया गया है। जिले में कुल स्वीकृत 380 के मुकाबले377 भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्रों का निर्माण पूर्ण हो चुका है। तीन प्रकरणों में न्यायालय का स्थगन होने से कार्य शेष है।
इतने हुए काम, राज्य भर में प्रथम
महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के शुरू होने से लेकर अब तक पूर्ण हुए कार्यो की दृष्टि से भी बाड़मेर जिला राजस्थान भर में प्रथम है। जिले में कुल स्वीकृत 94 हजार922 कामों में से 51.44 फीसदी अर्थात 48 हजार 834 कार्य पूर्ण हो चुके हैं।
वर्ष 2011-12 में श्रमिकों को सौ दिवस का रोजगार उपलब्ध कराने की दृष्टि से 39 हजार669 श्रमिकों को लाभान्वित कर बाड़मेर प्रदेश में दूसरे स्थान पर रहा है।
पानी बचाने का पैगाम ले रहा आकार
महानरेगा के अंतर्गत बाड़मेर जिले में जल संरक्षण गतिविधियों को प्राथमिकता प्रदान की गई है। जल संरक्षण की दृष्टि से व्यक्तिगत टांकों का बड़े पैमाने पर निर्माण कराया गया है। इसके अन्तर्गत जिले में महानरेगा में टांकों, बावड़ियों और व्यापक पैमाने पर विभिन्न जलसंग्रहण संरचनाओं को काम हाथ में लिया गया। इन जल संग्रहण संरचनाओं ने अब बाड़मेर की तस्वीर बदल डाली है।
छितरी बस्तियों तक पहुंचा पेयजल
इसके तहत महानरेगा योजना में प्रारंभ से अब तक कुल 84 हजार 280 टांके स्वीकृत हैं। इनमें से अब तक 57 हजार 834 टांकों का निर्माण पूर्ण हो चुका है और ये ग्रामीणों के लिए अत्यंत उपयोग सिद्ध हो रहे हैं। ख़ासकर छितरी हुई बस्तियों में रहने वाले ग्रामीणों को इससे बहुत बड़ी राहत मिली है तथा वे पेयजल सुविधा के सुकून का अहसास कर रहे हैं।
इन टांकों के निर्माण से 173 करोड़ लीटर पानी के भण्डारण की क्षमता विकसित हुई है जो रेगिस्तानी बाड़मेर जिले के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि व कीर्तिमान है। इन टांकों के निर्माण पर 578करोड़ रुपए की धनराशि व्यय की गई है।
हमेशा कायम रही है बाड़मेर की पहचान
महानरेगा योजनान्तर्गत राज्य स्तर से चयनित शिव पंचायत समिति की 45 ग्रामपंचायतों में विशेष सामाजिक अंकेक्षण का कार्य सफलतापूर्वक करवाया गया। महानरेगा में बाड़मेर जिला हमेशा अपनी अनूठी पहचान कायम करता रहा है। सन् 2009 में टीम लीडर अवार्ड से बाड़मेर को नवाजा गया। इसी प्रकार महानरेगा से संबंधित जल संरक्षण गतिविधियों में बाड़मेर पूरे देश में अग्रणी पहचान कायम किए हुए है।
सुनहरे भविष्य की ओर डग बढ़ा रहा थार
बाड़मेर जिला कलक्टर डॉ. वीणा प्रधान के अनुसार महानरेगा ने बाड़मेर जिले की कई परंपरागत समस्याओं का खात्मा कर दिया है और विकास के इतने संसाधनों को आकार दे डाला है कि इस योजना की बदौलत बाड़मेर जिले का बहुगुणित विकास हो रहा है और आज विकास के मामले में बाड़मेर कीर्तिमान स्थापित करता जा रहा है। यही कारण है कि बाड़मेर की पहचान अब अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर होने लगी है। इस दृष्टि से बाड़मेर वह इलाका है जहां विकास का तीव्र सफर सुनहरे भविष्य का खाका खींच रहा है।