पुलिस की छवि बदलेंगे प्रशिक्षु आईपीएस |
सीमा को जानने का जज्बा, नया दृष्टिकोण, छवि बदलने की होगी कोशिश, सभी 2010 बैच के आईपीएस |
बाड़मेर सीमा को जानने का जज्बा लिए शुक्रवार को बाड़मेर आए राजस्थान कैडर के पांचों प्रशिक्षु आईपीएस का जज्बा देखते ही नजर आ रहा था। पुलिस को लेकर पब्लिक में छवि बदलने का जोश यकीनन कल के बड़े बदलाव की ओर इशारा था। अपने दिल की बात कहते हुए सभी ने इसी जज्बे को बनाए रखने की बात कही। पुलिस अधीक्षक संतोष चालके के कक्ष में महाराष्ट्र के आईपीएस परिस देसमुख ने कहा कि पुलिस में आने से पहले और आने के बाद दृष्टिकोण बदला है। जहां पहले लगता था कि पुलिस पब्लिक की क्या सुनती होगी, वहीं अब लगता है कि न्याय की दिशा में पुलिस ही पहली और मुकम्मल कोशिश कर सकती है। पंजाब के गगनदीप ने इस जॉब के कई पहलु है और अनुभव के साथ इसे सीखना है। गुजरात के विनीत राठौड़ ने कहा कि पब्लिक में पुलिस की छवि बदलने की दिशा में काम करेंगे। हरियाणा के विकास शर्मा ने कहा कि पब्लिक की समस्या को सॉल्व करने का यह सबसे अच्छा मंच है। मीडिया को लेकर कहा कि पुलिस को मीडिया के साथ फ्रेंडली होना जरूरी है। इसे लेकर पहले एसपी संतोष चालके ने प्रशिक्षु अफसरों को कहा कि मीडिया के सवालों से बचने और टालने की प्रवृति न रखे बल्कि उन्हें फेस करें। राजस्थान के पिलानी के अधिकारी राजीव पचार ने कहा कि पुलिस पब्लिक के साथ मिलकर बेहतर भूमिका निभा सकती है। |
शनिवार, 18 जून 2011
पुलिस की छवि बदलेंगे प्रशिक्षु आईपीएस सीमा को जानने का जज्बा, नया दृष्टिकोण, छवि बदलने की होगी कोशिश, सभी 2010 बैच के आईपीएस
करणी माता मंदिर 'चूहे वाला मंदिर' देशनोक
करणी माता मंदिर 'चूहे वाला मंदिर'
राजस्थान भारत का एक ऐसा राज्य जो जितना खूबसूरत है उतना ही विचित्र भी। कहीं रेत के बड़े-बड़े अस्थायी पहाड़ हैं तो कहीं तालाब की सुंदरता। शौर्य और परंपरा की गाथाओं से सजती शाम जहाँ है तो वहीं आराधना का जलसा दिखते आठों पहर भी रेत की तरह ही फैले हैं। ऐसी ही तिलिस्मी दुनिया से दिखते इस मरूस्थल में आश्चर्य और कौतूहल का विषय लिए बसा देशनोक कस्बा।
सुनहरी रेत के बीच अपनी आभा लिए दमक रहा यह स्थान वैसे तो छोटा ही है पर इसकी महत्ता व ख्याति विदेश तक फैली हुई है। रेत के दामन में सुनहरे संगमरमर से गढ़ा एक मंदिर जिसकी नक्काशी यदि ऊपरी दिखावे से आकर्षित करने की बात को चरितार्थ करती है तो भीतर की अलौकिकता अच्छी सीरत का उदाहरण पेश करती है।
सुनहरी रेत के बीच अपनी आभा लिए दमक रहा यह स्थान वैसे तो छोटा ही है पर इसकी महत्ता व ख्याति विदेश तक फैली हुई है। रेत के दामन में सुनहरे संगमरमर से गढ़ा एक मंदिर जिसकी नक्काशी यदि ऊपरी दिखावे से आकर्षित करने की बात को चरितार्थ करती है तो भीतर की अलौकिकता अच्छी सीरत का उदाहरण पेश करती है।
दैवीय शक्ति को समर्पित इस स्थान के कुछ रहस्य आज भी बरकरार हैं जो किसी के लिए श्रद्धा तो किसी के लिए खोज का विषय बने हुए हैं। लोग इस मंदिर में आते तो 'करणी माता के दर्शन के लिए हैं पर साथ ही नजरें खोजती हैं सफेद चूहे को। 'चूहे वाला मंदिर' के नाम से भी प्रसिद्ध यह मंदिर बीकानेर से कुछ ही दूरी पर देशनोक नामक स्थान पर बना हुआ है। आस्था व विज्ञान का तिलिस्मी तालमेल लिए अपने सीने में राज छुपाए बैठे इस मंदिर की यह पहली विशेषता है।
इस मंदिर में भक्तों से ज्यादा काले चूहे नजर आते हैं और इनकी खासी तादाद में अगर कहीं सफेद चूहा दिख जाए तो समझें कि मनोकामना पूरी हो जाएगी। यही यहाँ की मान्यता भी है। वैसे यहाँ चूहों को काबा कहा जाता है और इन काबाओं को बाकायदा दूध, लड्डू आदि भक्तों के द्वारा परोसा भी जाता है। असंख्य चूहों से पटे इस मंदिर से बाहर कदम रखते ही एक भी चूहा नजर नहीं आता और न ही मंदिर के भीतर कभी बिल्ली प्रवेश करती है। कहा तो यह भी जाता है कि जब प्लेग जैसी बीमारी ने अपना आतंक दिखाया था तब भी यह मंदिर ही नहीं बल्कि पूरा देशनोक इस बीमारी से महफूज था।
बीकानेर से करीब 30 किमी दूर बने इस मंदिर को 15 वीं शताब्दी में राजपूत राजाओं ने बनवाया था। माना जाता है कि देवी दुर्गा ने राजस्थान में चारण जाति के परिवार में एक कन्या के रूप में जन्म लिया और फिर अपनी शक्तियों से सभी का हित करते हुए जोधपुर और बीकानेर पर शासन करने वाले राठौड़ राजाओं की आराध्य बनी। 1387 में जोधपुर के एक गाँव में जन्मी इस कन्या का नाम वैसे तो रिघुबाई था पर जनकल्याण के कार्यों के कारण करणी माता के नाम से इन्हें पूजा जाने लगा। और यह नाम इन्हें मात्र 6 साल की उम्र में ही उनके चमत्कारों व जनहित में किए कार्यों से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने दिया था।
इस मंदिर में भक्तों से ज्यादा काले चूहे नजर आते हैं और इनकी खासी तादाद में अगर कहीं सफेद चूहा दिख जाए तो समझें कि मनोकामना पूरी हो जाएगी। यही यहाँ की मान्यता भी है। वैसे यहाँ चूहों को काबा कहा जाता है और इन काबाओं को बाकायदा दूध, लड्डू आदि भक्तों के द्वारा परोसा भी जाता है। असंख्य चूहों से पटे इस मंदिर से बाहर कदम रखते ही एक भी चूहा नजर नहीं आता और न ही मंदिर के भीतर कभी बिल्ली प्रवेश करती है। कहा तो यह भी जाता है कि जब प्लेग जैसी बीमारी ने अपना आतंक दिखाया था तब भी यह मंदिर ही नहीं बल्कि पूरा देशनोक इस बीमारी से महफूज था।
बीकानेर से करीब 30 किमी दूर बने इस मंदिर को 15 वीं शताब्दी में राजपूत राजाओं ने बनवाया था। माना जाता है कि देवी दुर्गा ने राजस्थान में चारण जाति के परिवार में एक कन्या के रूप में जन्म लिया और फिर अपनी शक्तियों से सभी का हित करते हुए जोधपुर और बीकानेर पर शासन करने वाले राठौड़ राजाओं की आराध्य बनी। 1387 में जोधपुर के एक गाँव में जन्मी इस कन्या का नाम वैसे तो रिघुबाई था पर जनकल्याण के कार्यों के कारण करणी माता के नाम से इन्हें पूजा जाने लगा। और यह नाम इन्हें मात्र 6 साल की उम्र में ही उनके चमत्कारों व जनहित में किए कार्यों से प्रभावित होकर ग्रामीणों ने दिया था।
वैसे तो यहाँ साल भर श्रद्धालुओं का ताँता लगा रहता है पर साल में दो बार यानी नवरात्रि में यहाँ विशेष मेला भी लगता है जिसमें देश भर के भक्त देवी दर्शन के लिए आते हैं। वैसे यह मंदिर करणी माता के अंतर्ध्यान होने के बाद बनवाया गया था। किंवदंती के अनुसार करणी माता के सौतेले पुत्र की कुएँ में गिरने से मृत्यु होने पर उन्होंने यमराज से बेटे को जीवित करने की माँग की। यमराज ने करणी माता के आग्रह पर उनके पुत्र को जीवित तो कर दिया पर चूहे के रूप में। तब से ही यह माना जाता है कि करणी माता के वंशज मृत्युपर्यंत चूहे बनकर जन्म लेते हैं और देशनोक के इस मंदिर में स्थान पाते हैं।
यह तो बात हुई मान्यताओं की पर इतिहास पर नजर दौड़ाएँ तो भी करणीमाता का अपना स्थान राजस्थान की गाथाओं में मिलता है। करणी माता ने अपने जीवनकाल में कई राजपूत राजाओं के हित की बात की। इतिहास के पन्नों पर नजर डालें तो देशनोक का करणी माता मंदिर बीकानेर के राजा गंगासिंह ने बनवाया था। संगमरमर पर की गई नक्काशी और आकर्षित करती आकृतियों के अलावा चाँदी के दरवाजे मंदिर की शोभा और भी बढ़ा देते हैं। वैसे बीकानेर के बसने से पहले भी करणी माता को इतिहास ने अपने पन्नों पर स्थान दिया है।
1453 में राव जोधा ने अजमेर, मेड़ता और मंडोर पर चढ़ाई करने से पूर्व करणी माता से आशीर्वाद लेने की बात सामने आती है। इसके बाद 1457 में राव जोधा ने जोधपुर के एक किले की नींव भी करणी माता से ही रखवाई थी। बात यहीं नहीं खत्म होती राजनीति और एकता की बात भी करणी माता की कथाओं के माध्यम से जानने को मिलती है। उन दिनों भाटी और राठौड़ राजवंशों के संबंध कुछ ठीक नहीं थे। ऐसे में राव जोधा के पाँचवें पुत्र राव बीका का विवाह पुंगल के भाटी राजा राव शेखा की पुत्री रंगकंवर से करवाकर करणी माता ने दो राज्यों को मित्र बना दिया। पश्चात 1485 में राव बीका के आग्रह पर बीकानेर के किले की नींव भी करणी माता ने ही रखी।
शुक्रवार, 17 जून 2011
बीवी ने खोली पादरी की पोल, करता था यौन शोषण
बेंगलूरु।। बेंगलुरु के एक चर्च के 45 वर्षीय पादरी की पत्नी ने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई है कि उसका पति धोखाधड़ी करता है और नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करता है।
शिकायत में प्रियलता ने आरोप लगाया है कि उसका पति के. शांताराजू चर्च के पैसे का गलत इस्तेमाल करता है। वह नाबालिग लड़कियों का यौन शोषण करता है। पादरी ने इन आरोपों को गलत बताया है।
प्रियलता का दावा है कि उसके पास आरोपों को साबित करने के लिए तस्वीरें हैं। उसका आरोप है कि शांताराजू और उसके परिवार के कुछ सदस्य शोषण के मामलों को रफा-दफा करने के लिए अक्सर धमकी देते हैं और राजनीतिक प्रभाव के इस्तेमाल की कोशिश करते हैं।
सुप्रीम कोर्ट जज की PM से पाक कैदी को छोड़ने की अपील
नई दिल्ली।। सुप्रीम कोर्ट के जज जस्टिस मार्कंडेय काट्जू ने प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से हत्या के दोषी 80 वर्षीय पाकिस्तानी नागरिक खलील चिश्ती को मानवीय आधार पर रिहा करने में मदद करने की अपील की है। उन्होंने डर जताया कि अगर चिश्ती को तत्काल रिहा नहीं किया गया, तो राजस्थान हाई कोर्ट की उनकी अपील पर फैसला किए जाने तक जेल में ही उनकी मौत हो सकती है।
सांसद राजीव शुक्ला के जरिए प्रधानमंत्री को भेजे ई-मेल में जस्टिस काट्जू ने कहा कि सिंह को अनुच्छेद 72 के तहत चिश्ती को माफी देने की सिफारिश करनी चाहिए। अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को दोषियों की सजा को कम करने या माफ करने का अधिकार देता है।
जस्टिस काट्जू ने कहा कि वह शुक्ला के जरिए पत्र लिख रहे हैं, क्योंकि उनके पास प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत ई-मेल पता नहीं है। चिश्ती को साल 2010 में राजस्थान की एक सत्र अदालत ने आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
यह फैसला 18 साल तक मुकदमा चलने के बाद सुनाया गया था। उन्होंने हाई कोर्ट में एक अपील दायर की थी, लेकिन उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने चिश्ती को जमानत देते वक्त उनसे अजमेर छोड़कर नहीं जाने का आदेश दिया था। दोषी साबित होने के बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। चिश्ती कराची मेडिकल कॉलेज में प्रफेसर थे। उन्होंने एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।
अपनी बीमार मां से मिलने के लिए जब वह 1992 में अजमेर आए, तो अजमेर में उनके परिवार और कुछ अन्य लोगों के बीच विवाद हो गया। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई।
इसके बाद चिश्ती को गिरफ्तार कर लिया गया। होई कोर्ट में चिश्ती की अपील का उल्लेख करते हुए जस्टिस काट्जू ने कहा, 'कोई नहीं जानता कि अपील पर कब सुनवाई होगी और इस बीच चिश्ती की जेल में मौत हो सकती है। उन्होंने कहा कि चिश्ती दिल के भी मरीज हैं और उनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई है। अगर जेल में उनकी मौत हो जाती है, तो यह देश के लिए कलंक होगा।
उधर, बीजेपी ने चिश्ती की रिहाई के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखने को गैरमामूली करार दिया। बीजेपी ने केंद्र सरकार से कहा कि कि अगर वह इस आग्रह पर गौर कर रही है तो पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की जल्द रिहाई सुनिश्चित कराने के लिये भी नए सिरे से कोशिश की जानी चाहिए।
सांसद राजीव शुक्ला के जरिए प्रधानमंत्री को भेजे ई-मेल में जस्टिस काट्जू ने कहा कि सिंह को अनुच्छेद 72 के तहत चिश्ती को माफी देने की सिफारिश करनी चाहिए। अनुच्छेद 72 राष्ट्रपति को दोषियों की सजा को कम करने या माफ करने का अधिकार देता है।
जस्टिस काट्जू ने कहा कि वह शुक्ला के जरिए पत्र लिख रहे हैं, क्योंकि उनके पास प्रधानमंत्री का व्यक्तिगत ई-मेल पता नहीं है। चिश्ती को साल 2010 में राजस्थान की एक सत्र अदालत ने आईपीसी की धारा 302 के तहत हत्या के मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।
यह फैसला 18 साल तक मुकदमा चलने के बाद सुनाया गया था। उन्होंने हाई कोर्ट में एक अपील दायर की थी, लेकिन उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी गई।
मुकदमे की सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने चिश्ती को जमानत देते वक्त उनसे अजमेर छोड़कर नहीं जाने का आदेश दिया था। दोषी साबित होने के बाद उन्हें फिर से गिरफ्तार कर लिया गया था। चिश्ती कराची मेडिकल कॉलेज में प्रफेसर थे। उन्होंने एडिनबर्ग यूनिवर्सिटी से पीएचडी की डिग्री हासिल की थी।
अपनी बीमार मां से मिलने के लिए जब वह 1992 में अजमेर आए, तो अजमेर में उनके परिवार और कुछ अन्य लोगों के बीच विवाद हो गया। इसमें एक व्यक्ति की मौत हो गई।
इसके बाद चिश्ती को गिरफ्तार कर लिया गया। होई कोर्ट में चिश्ती की अपील का उल्लेख करते हुए जस्टिस काट्जू ने कहा, 'कोई नहीं जानता कि अपील पर कब सुनवाई होगी और इस बीच चिश्ती की जेल में मौत हो सकती है। उन्होंने कहा कि चिश्ती दिल के भी मरीज हैं और उनकी कूल्हे की हड्डी टूट गई है। अगर जेल में उनकी मौत हो जाती है, तो यह देश के लिए कलंक होगा।
उधर, बीजेपी ने चिश्ती की रिहाई के लिए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को पत्र लिखने को गैरमामूली करार दिया। बीजेपी ने केंद्र सरकार से कहा कि कि अगर वह इस आग्रह पर गौर कर रही है तो पाकिस्तान की जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह की जल्द रिहाई सुनिश्चित कराने के लिये भी नए सिरे से कोशिश की जानी चाहिए।
सरबजीत सिंह अपनी बहन दलबीर कौर से मिलकर भावुक हो गया
अमृतसर। पाकिस्तान में मृत्युदंड की सजा सुनाए जाने के बाद जेल में बंद भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह गुरुवार को अपनी बहन दलबीर कौर से मिलकर भावुक हो गया। वह तीन साल से कराची की कोट लखपत जेल में बंद है।
सरबजीत से मिलने और उसकी रिहाई के लिए पाकिस्तान सरकार को मनाने छह जून को पाकिस्तान आई कौर ने कहा, ‘अपने भाई से मिलने के बाद मेरे घाव फिर से हरे हो गए। वह बिलख पड़ा और काफी रोया। उसने अपने को निदरेष साबित करने में मेरी मदद मांगी।’ उन्होंने कहा, ‘मेरे भाई ने मुझे बताया कि वह गहरे तनाव में हैं क्योंकि उसका ज्यादातर समय यह सोचते हुए बीतता है कि वह मुक्त नहीं हो पाएगा। उसकी चिंता देख मैं भी काफी दुखी हो गई और बिलख पड़ी।’
कौर ने कहा कि सरबजीत अपने आप को निदरेष साबित करना और अपने परिवार के साथ पुनर्मिलन चाहता है। उन्होंने कहा, ‘डेढ़ घंटे के भेंट के दौरान उसने पत्नी, बेटियों, दामाद, दोस्तों और पड़ोसियों के बारे में पूछा। वह अपने किसी भी पड़ोसी या दोस्त का नाम नहीं भूला है। उसे अपने परिवार एवं दोस्तों के साथ बिताए हर पल की याद आती है।’ कौर के अनुसार सरबजीत ने कहा, ‘मैं न्यायाधीश को बताऊंगा कि मैंने कुछ भी गलत नहीं किया।’
कौर ने कहा कि लाहौर के लिए उनके पास महीने भर का वीजा है। वह भाई को मुक्त कराने के लिए इस्लामाबाद के वीजा के लिए आवेदन देंगी और राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री से भी मिलने का प्रयास करेंगी।’ उन्होंने भारत सरकार से इस मामले को पाकिस्तान के साथ उठाने की अपील की है क्योंकि उनका भाई जासूसी या बम हमले में शामिल नहीं है। इसी बीच सरबजीत के वकील अवैस शेख ने कहा कि उन्होंने राष्ट्रपति आसिफ अली जरदारी से सरबजीत को या तो माफ करने या मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदलने की अपील की है।
कर्मचारियों ने बांहों पर काली पट्टी बांध कर विरोध जताया
कर्मचारियों पर भारी पड़ा सरकारी डंडा
जयपुर। सरकारी नौकरियों में एससी-एसटी पदोन्नति में आरक्षण समाप्त करने के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का फैसला लागू कराने की कोशिश कर रहे कर्मचारियों पर सरकारी डंडा भारी पड़ा। सरकार के इस फैसले को दमनकारी बताते हुए कर्मचारियों ने बांहों पर काली पट्टी बांध कर विरोध तो जताया, लेकिन ऑफिस शुक्रवार सुबह साढ़े नौ बजे से ही कर्मचारियों से अट गए।
वैसे सरकार के इस फैसले ने मिशन-72 से जुडे सरकारी कर्मचारियों को झकझोर कर रख दिया है। रैली न कर पाने से क्षुब्ध मिशन से जुड़े कर्मचारियों ने विरोध स्वरूप आज काली पटटी बांध कर काला दिवस मनाने की घोष्ाणा की है। मिशन से जुड़े कर्मचारी अपना विरोध लंच टाइम के दौरान राज्यपाल को ज्ञापन सौंप कर जताएंगे। सरकार ने मिशन-72 व इसके विरोधी खेमे की ओर से किसी भी धरने, प्रदर्शन और रैली के आयोजन पर 90 दिन की रोक लगा दी है और गृह सचिव ने रैली के किसी भी रूप में आयोजन को रोके जाने के सख्त निर्देश बुधवार को संबंधित अधिकारियों को दिये हैं।
कार्यालय में बैठेंगे फील्ड में तैनात कर्मचारी : मिशन-72 संघष्ाü समिति संयोजक गुलशन बाघला ने बताया कि राज्य सरकार ने पदोन्नति में आरक्षण मुद्दे को लेकर सख्त रवैया अख्तियार कर लिया है, जिसे किसी सूरत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य सरकार ने फील्ड में तैनात सभी कर्मचारियों व अधिकारियों को शुक्रवार को कार्यालय में बैठने के निर्देश दिए हैं। ऎसे में प्रदेश में अत्यावश्यक सेवाएं प्रभावित होने की आशंका बढ़ गई है।
अन्य प्रदर्शन व रैलियों पर रोक नहीं : मिशन-72 पदाधिकारियों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाया है कि राज्य सरकार ने धारा 144 लागू करने के निदेेंश दिए हैं लेकिन यह निर्देश केवल पदोन्नति में आरक्षण मुद्दे पर आयोजित धरने-प्रदर्शनों पर ही लागू होंगे, जो सरासर लोकतंत्र का अपमान है। सरकार संघष्ाü समिति पदाधिकारियों को जेलों में ठूंसने तक पर आमादा हो गई है।
चुनावों में सिखाएंगे सबक : मिशन-72 संघष्ाü समिति अध्यक्ष पीपी बिडयासर ने बयान जारी कर कहा है कि राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अनदेखी कर कोर्ट की अवमानना कर रही है। राज्य सरकार के इस रवैये से कर्मचारियों में आक्रोश बढ़ गया है जिसका जवाब कर्मचारी प्रदेश में आगामी चुनावों में देंगे।
आर-पार की लड़ाई का ऎलान : मिशन-72 संघष्ाü समिति ने 72 फीसदी कर्मचारियों को उनका हक नहीं मिलने तक संघष्ाü जारी रखने का ऎलान किया है। समिति संयोजक गुलशन बाघला ने बताया कि राज्य सरकार से सुप्रीम कोर्ट के निर्णय की अक्षरंश पालना नहीं होने तक समिति सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोलेगी।
बाबा के कमरे से करोड़ों का सोना, हीरे, जेवरात और भारी मात्रा में करंसी बरामद
पुट्टपर्थी (आंध्र प्रदेश)।। आध्यात्मिक गुरु सत्य साईं बाबा के निधन के ढाई महीने बाद पुट्टपर्थी के प्रशांति निलयम आश्रम में उनके कमरे को गुरुवार को जब खोला गया, तो वहां मिली अकूत दौलत से सभी की आंखें फटी की फटी रह गईं। बाबा के कमरे से करोड़ों का सोना, हीरे, जेवरात और भारी मात्रा में करंसी बरामद हुई है। सत्य साईं सेंट्रल ट्रस्ट ने गुरुवार शाम बाबा के निजी कक्ष यजुर मंदिर को खोला।
बाबा के निधन के बाद से यह कमरा बंद था। गुरुवार शाम यजुर मंदिर में सबसे पहले ट्रस्टी जस्टिस पी. एन. भगवती, आर.जे. रत्नाकर, एस.वी. गिरी, वी. श्रीनिवासन और बाबा के पर्सनल असिस्टेंट सत्यजीत आए। आधे घंटे बाद स्टेट बैंक के मैनेजर शशि कुमार वहां कमरे की चाबी और तीन कैश काउंटिंग मशीनों को लेकर पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक बाबा के कमरे में अलग-अलग चैंबरों में अकूत दौलत भरी हुई थी। कमरे से बरामद सोने और जेवरात की कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। कमरे में कितनी करंसी थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 36 घंटे तक मशीनें उसे गिनती रहीं। बाबा की दौलत को गिनने के लिए 15 स्कूली बच्चों समेत 20 लोग लगे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक कमरे से 98 किलो सोना, 12 करोड़ रुपये कैश, 307 किलो चांदी और कई बेशकीमती जेवरात मिले हैं।
स्थानीय टीवी चैनलों के मुताबिक सत्य साईं के कमरे से बरामद दौलत को पांच जीपों में भरकर पुट्टपर्थी के बैंक ले जाया गया। कमरे से विदेशी करंसी मिलने की भी खबर है। इस दौरान यजुर मंदिर के बाहर कड़ी सुरक्षा थी और मीडियाकर्मियों को वहां फटकने तक नहीं दिया जा रहा था।
अनुमान है कि यजुर मंदिर में मिली यह दौलत साईं बाबा को दुनियाभर के भक्तों से दान में मिली है। उधर, भक्तों के एक वर्ग का आरोप है कि जब सत्य साईं बाबा जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे तब प्रशांति निलयम से सभी बहुमूल्य वस्तुएं निकाल ली गई थीं। वैसे ट्रस्ट ने इस बात से इनकार किया है। कुछ भक्तों की मांग थी कि उनकी मौजूदगी में यजुर मंदिर के ताले खोले जाएं।
बाबा के निधन के बाद से यह कमरा बंद था। गुरुवार शाम यजुर मंदिर में सबसे पहले ट्रस्टी जस्टिस पी. एन. भगवती, आर.जे. रत्नाकर, एस.वी. गिरी, वी. श्रीनिवासन और बाबा के पर्सनल असिस्टेंट सत्यजीत आए। आधे घंटे बाद स्टेट बैंक के मैनेजर शशि कुमार वहां कमरे की चाबी और तीन कैश काउंटिंग मशीनों को लेकर पहुंचे।
सूत्रों के मुताबिक बाबा के कमरे में अलग-अलग चैंबरों में अकूत दौलत भरी हुई थी। कमरे से बरामद सोने और जेवरात की कीमत करोड़ों में आंकी जा रही है। कमरे में कितनी करंसी थी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि करीब 36 घंटे तक मशीनें उसे गिनती रहीं। बाबा की दौलत को गिनने के लिए 15 स्कूली बच्चों समेत 20 लोग लगे थे। रिपोर्ट्स के मुताबिक कमरे से 98 किलो सोना, 12 करोड़ रुपये कैश, 307 किलो चांदी और कई बेशकीमती जेवरात मिले हैं।
स्थानीय टीवी चैनलों के मुताबिक सत्य साईं के कमरे से बरामद दौलत को पांच जीपों में भरकर पुट्टपर्थी के बैंक ले जाया गया। कमरे से विदेशी करंसी मिलने की भी खबर है। इस दौरान यजुर मंदिर के बाहर कड़ी सुरक्षा थी और मीडियाकर्मियों को वहां फटकने तक नहीं दिया जा रहा था।
अनुमान है कि यजुर मंदिर में मिली यह दौलत साईं बाबा को दुनियाभर के भक्तों से दान में मिली है। उधर, भक्तों के एक वर्ग का आरोप है कि जब सत्य साईं बाबा जिंदगी और मौत के बीच जूझ रहे थे तब प्रशांति निलयम से सभी बहुमूल्य वस्तुएं निकाल ली गई थीं। वैसे ट्रस्ट ने इस बात से इनकार किया है। कुछ भक्तों की मांग थी कि उनकी मौजूदगी में यजुर मंदिर के ताले खोले जाएं।
15 वर्षीय लड़की ने एक बच्ची को जन्म दिया है।
ठाणे जिले के सावरोली में पुलिस ने 16 वर्षीय एक लड़के को कथित तौर पर 15 वर्षीय लड़की का बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया। पीड़ित और आरोपी दोनों आश्रम स्कूल में पढ़ते थे। यह एक आवासीय स्कूल है जो विशेष तौर पर आदिवासी इलाकों में चलाया जाता है।
पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक, लड़के ने पिछले साल स्कूल के महिला छात्रावास में लड़की के साथ कई बार बलात्कार किया। पुलिस ने बताया कि पीड़िता ने दो दिन पहले ही एक बच्ची को जन्म दिया है।
पुलिस में दर्ज शिकायत के मुताबिक, लड़के ने पिछले साल स्कूल के महिला छात्रावास में लड़की के साथ कई बार बलात्कार किया। पुलिस ने बताया कि पीड़िता ने दो दिन पहले ही एक बच्ची को जन्म दिया है।
महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार
तेहरान.ईरान में महिलाओं पर कट्टरपंथियों के बढ़ते यौन आक्रमणों से देश में महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले लोगों की चिंता बढ़ती जा रही है।ईरान के इस्फ़हान शहर में पिछले महीने एक निजी पार्टी पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया और महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार किया।
इस घटना के एक सप्ताह बाद एक दूसरे शहर, धार्मिक महत्त्व के शहर मशद में कुछ अज्ञात हमलावरों ने एक छात्रा के ऊपर हमला कर उसके साथ बलात्कार किया। ये घटना एक विश्वविद्यालय परिसर में घटी जहाँ काफ़ी पहरा रहा करता है।
दोनो ही घटनाओं में अधिकारियों ने पीड़ित महिलाओं पर दोषारोपण किया। उन्होंने कहा कि महिलाएं ग़ैर इस्लामी तरीक़े से व्यवहार कर रही थीं और उन्होंने ठीक ढंग से हिजाब नहीं पहना था।इन चर्चित मामलों में अधिकारियों के महिलाओं के बारे में अपमानजनक टिप्पणियों से महिला अधिकारों के लिए काम करने वाले बेहद नाराज़ हैं।
ये घटनाएँ पूरे देश में चर्चा का विषय बन गई हैं। हर तरफ़ लोग इस तरह की घटनाओं के कारण और निदान के सही तरीकों पर बहस कर रहे है।
पाकिस्तान के मशहूर ओलिंपियन मुक्केबाज अबरार हुसैन की गोली मारकर हत्या कर दी
पाकिस्तान के मशहूर ओलिंपियन मुक्केबाज अबरार हुसैन की गुरुवार को अज्ञात बंदूकधारियों ने गोली मारकर हत्या कर दी। पाकिस्तान खेल बोर्ड के उप महानिदेशक अबरार को क्वेटा में अयूब स्टेडियम के करीब गोली मारी गई।
उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सा सुविधा मुहैया होने तक उनकी मौत हो गई। क्वेटा में बसे अबरार ने तीन ओलिंपिक मुक्केबाजी में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया था। किसी भी समूह ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है।
पाकिस्तानी मुक्केबाजी में अबरार एक बड़ा नाम थे, जिन्होंने 1990 बीजिंग एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वह 1984, 1988 और 1992 ओलिंपिक में पाकिस्तानी टीम का हिस्सा थे। उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘सितारा ए इम्तियाज’ से नवाजा गया था।
उन्हें अस्पताल ले जाया गया, लेकिन चिकित्सा सुविधा मुहैया होने तक उनकी मौत हो गई। क्वेटा में बसे अबरार ने तीन ओलिंपिक मुक्केबाजी में पाकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया था। किसी भी समूह ने इस हत्या की जिम्मेदारी नहीं ली है।
पाकिस्तानी मुक्केबाजी में अबरार एक बड़ा नाम थे, जिन्होंने 1990 बीजिंग एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीता था। वह 1984, 1988 और 1992 ओलिंपिक में पाकिस्तानी टीम का हिस्सा थे। उन्हें पाकिस्तान के सर्वोच्च नागरिक सम्मान ‘सितारा ए इम्तियाज’ से नवाजा गया था।
देह व्यापार का भंडाफोड़ कर एक घर से चार महिलाओं सहित मकान मालिक को गिरफ्तार कर लिया
फरीदाबाद. एनएच-तीन स्थित राहुल कॉलोनी में पुलिस ने एक देह व्यापार का भंडाफोड़ कर एक घर से चार महिलाओं सहित मकान मालिक को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने सभी के खिलाफ केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।
एसजीएम नगर थाने की पुलिस को गश्त के दौरान मुखबिर ने सूचना दी कि राहुल कॉलोनी एनएच-तीन में नौशाद नामक युवक अपने मकान में देह व्यापार का धंधा कराता है। उसके पास तीन-चार लड़कियां हैं जो ये धंधा करती हैं। सूचना पर पुलिस ने रेडिंग पार्टी तैयार किया। किशन नाम के व्यक्ति को बोगस ग्राहक बनाकर एक हजार के नोट पर हस्ताक्षर करके नौशाद के घर भेजा गया।
बोगस ग्राहक का इशारा पाकर पुलिस रेडिंग पार्टी ने नौशाद व चार महिलाओं को काबू कर लिया। इन्होंने अपना नाम कस्बा नौगांव जेपी नगर यूपी के मुन्नी, भोजीपुरा गांव बांसबरेली के लक्ष्मी व तोगला गांव सिलीगुड़ी बंगाल के सोनिया व गांव लोहावरीजान पुरनाला सुनितपुर आसाम निवासी बीना बताया। नौशाद की तलाशी ली गई तो उसके पास से हस्ताक्षर किया हुआ एक हजार का नोट बरामद हुआ। इस मामले की जांच एसजीएम नगर एसएचओ सत्यवीर सिंह कर रहे हैं।
कैदी आईएएस बनने की तैयारी में!
कैदी आईएएस बनने की तैयारी में!
नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में हत्या, धोखाधड़ी और अपहरण जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे तीन कैदी आईएएस बनने का ख्वाब बुन रहे हैं। सूत्रों के अनुसार तिहाड़ जेल के तीन नंबर बैरक में बंद ये कैदी आईएएस बनने के लिए काफी मेहनत और लगन से पढ़ाई कर रहे हैं। आधी रात को जेल में जब सारे कैदी नींद की आगोश में होते हैं, ये कैदी किताबों में उलझे नजर आते हैं। इन कैदियों ने गत रविवार को हुई सिविल सर्विसेस की प्रारंभिक परीक्षा भी दी थी।
सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सिद्धार्थ सिंह, बिहार के अमित झा और उत्तर प्रदेश के संदीप एक साथ आईएएस की तैयारी कर रहे हैं। सिद्धार्थ आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं, धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद हैं। वहीं, अमित झा पर अपहरण का केस दर्ज है। जबकि संदीप एक मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सिद्धार्थ और अमित झा जेल आने से पहले दिल्ली में सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहे थे।
जेल नंबर-3 के जेल सुपरिंटेंडेंट एमके द्विवेदी ने बताया कि "तीन कैदी आईएएस की तैयारी कर रहे हैं और उन्होंने 12 जून को सिविल सर्विसेस की प्रारंभिक परीक्षा भी दी थी। तिहाड़ जेल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब तीन कैदी एक साथ आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहा है। इन तीन कैदियों में एक को सजा मिल चुकी है। जबकि दो अन्य कैदियों का केस अदालत में विचाराधीन है।" उल्लेखनीय है कि 2009 में रेप के केस में सजा काट रहे एक कैदी ने पहली बार भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी थी और परीक्षा में सफल होने के बाद अदालत ने उसे रिहा कर दिया था।
नई दिल्ली। तिहाड़ जेल में हत्या, धोखाधड़ी और अपहरण जैसे संगीन मामलों में सजा काट रहे तीन कैदी आईएएस बनने का ख्वाब बुन रहे हैं। सूत्रों के अनुसार तिहाड़ जेल के तीन नंबर बैरक में बंद ये कैदी आईएएस बनने के लिए काफी मेहनत और लगन से पढ़ाई कर रहे हैं। आधी रात को जेल में जब सारे कैदी नींद की आगोश में होते हैं, ये कैदी किताबों में उलझे नजर आते हैं। इन कैदियों ने गत रविवार को हुई सिविल सर्विसेस की प्रारंभिक परीक्षा भी दी थी।
सूत्रों ने बताया कि छत्तीसगढ़ के सिद्धार्थ सिंह, बिहार के अमित झा और उत्तर प्रदेश के संदीप एक साथ आईएएस की तैयारी कर रहे हैं। सिद्धार्थ आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र हैं, धोखाधड़ी के मामले में जेल में बंद हैं। वहीं, अमित झा पर अपहरण का केस दर्ज है। जबकि संदीप एक मर्डर केस में उम्रकैद की सजा काट रहे हैं। सिद्धार्थ और अमित झा जेल आने से पहले दिल्ली में सिविल सर्विसेस की तैयारी कर रहे थे।
जेल नंबर-3 के जेल सुपरिंटेंडेंट एमके द्विवेदी ने बताया कि "तीन कैदी आईएएस की तैयारी कर रहे हैं और उन्होंने 12 जून को सिविल सर्विसेस की प्रारंभिक परीक्षा भी दी थी। तिहाड़ जेल के इतिहास में यह पहला मौका है, जब तीन कैदी एक साथ आईएएस परीक्षा की तैयारी कर रहा है। इन तीन कैदियों में एक को सजा मिल चुकी है। जबकि दो अन्य कैदियों का केस अदालत में विचाराधीन है।" उल्लेखनीय है कि 2009 में रेप के केस में सजा काट रहे एक कैदी ने पहली बार भारतीय प्रशासनिक सेवा की परीक्षा दी थी और परीक्षा में सफल होने के बाद अदालत ने उसे रिहा कर दिया था।
प्यार मंे पागल एक बेटी ने अपने माता-पिता को चाय में जहर दे दिया
पटना। मधेपुरा जिले के शंकरपुरा थाना के हरिराहा गांव में एक ऐसी घटना सुनने को मिली जिसे सुनकर आपके होश उड़ जाएंगे। दरअसल प्यार मंे पागल एक बेटी ने अपने माता-पिता को चाय में जहर दे दिया।
पुलिस ने बताया कि हरिहारा गांव निवासी नजराना खातून का अपने ममेरे भाई मो.डोमा के साथ प्रेम प्रसंग चल रहा था।लेकिन इनका प्यार नजराना के माता-पिता को पसंद ना आया और वह इसका विरोध करने लगे। विरोध से नाराज नजराना ने अपने पिता और मां को चाय में जहर मिला कर दिया। जहर वाली चाय पीने से मां की तबियत खराब हो गई जबकि पिता ने गुस्से में चाय नहीं पी।
तबियत बिगड़ने के बाद मां को अस्पतलाल ले जाया गया जहां रास्ते में ही उसकी मौत हो गई। इसी बीच बेटी ने भी जहर वाली चाय पी ली जिससे उसकी भी मौत हो गई। शव को पोस्टमार्टम के लिए मधेपुरा सदर अस्पताल में भेज दिया गया है। जबकि पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया है।
संभागीय आयुक्त के नाम तहसीलदारों व विकास अधिकारियोंसेठगी
संभागीय आयुक्त के नाम तहसीलदारों व विकास अधिकारियोंसेठगी
बूंदी/कोटा। "मैं संभागीय आयुक्त प्रीतम सिंह बोल रहा हूं। मेरा परिचित बीमार है और हजारीबाग [बिहार] चिकित्सालय में भर्ती है। आप इस खाता संख्या में चालीस हजार रूपए तुरन्त जमा करा दो"। कुछ ऎसा ही फोन आया गुरूवार सुबह बूंदी जिले के तहसीलदारों व विकास अधिकारियों के पास। इंद्रगढ़ तहसीलदार गोपाल नारायण मथुरिया झांसे में आ गए और उन्होंने बताई गई रकम खाते में जमा करा दी। जब तक वे चेते तब तक बैंक से राशि निकलवाई जा चुकी थी। इंद्रगढ़ थाना अधिकारी राजेश सोनी ने बताया कि तहसीलदार की रिपोर्ट पर अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
इस बारे में संभागीय आयुक्त प्रीतम सिह कहना है कि मेरी जानकारी में भी यह मामला आया है। बैंक में पैसा जमा कराने से पहले तहसीलदार को मुझसे या मेरे पीए से पूछना चाहिए था। पुलिस मामले की जांच कर रही है। अभियुक्त जल्दी पकड़ा जाएगा।
बूंदी/कोटा। "मैं संभागीय आयुक्त प्रीतम सिंह बोल रहा हूं। मेरा परिचित बीमार है और हजारीबाग [बिहार] चिकित्सालय में भर्ती है। आप इस खाता संख्या में चालीस हजार रूपए तुरन्त जमा करा दो"। कुछ ऎसा ही फोन आया गुरूवार सुबह बूंदी जिले के तहसीलदारों व विकास अधिकारियों के पास। इंद्रगढ़ तहसीलदार गोपाल नारायण मथुरिया झांसे में आ गए और उन्होंने बताई गई रकम खाते में जमा करा दी। जब तक वे चेते तब तक बैंक से राशि निकलवाई जा चुकी थी। इंद्रगढ़ थाना अधिकारी राजेश सोनी ने बताया कि तहसीलदार की रिपोर्ट पर अज्ञात के खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
इस बारे में संभागीय आयुक्त प्रीतम सिह कहना है कि मेरी जानकारी में भी यह मामला आया है। बैंक में पैसा जमा कराने से पहले तहसीलदार को मुझसे या मेरे पीए से पूछना चाहिए था। पुलिस मामले की जांच कर रही है। अभियुक्त जल्दी पकड़ा जाएगा।
99 साल में हासिल की कॉलेज डिग्री
99 साल में हासिल की कॉलेज डिग्री
पोर्टलैंड। "कहते है पढ़ने की कोई उम्र नही होती है" इस कहावत को चरितार्थ किया है ओरगन के रेडमेंड ने। रेडमेंड ने 99 साल की आयु में कॉलेज की डिग्री पूरी की। रेडमेंड 1932 में अवसादग्रस्त होने के बाद कॉलेज को छोड़कर नौकरी करने लगा था। हालांकि कॉलेज की डिग्री पूरी करने के लिए रेडमेंड के भतीजे ने ही प्रेरित किया था।
रेडमेंड को गे्रजुएशन की डिग्री ईर्स्टन ओरगन यूनिवर्सिटी, (पहले इर्स्टन ओरगन नार्मल स्कू ल ), से जनरल स्टडीज में मिली है। आरगेन ने 11 जून को गे्रजुएशन की डिग्री पूरी की है। उल्लेखनीय है कि आरेगन कैम्पस की शुरूआत 1930 में हुई थी। 3 अगस्त को 100 साल पूरे करने वाले रेडमेड को फिलहाल और डिग्री लेने का मन नही है।
पोर्टलैंड। "कहते है पढ़ने की कोई उम्र नही होती है" इस कहावत को चरितार्थ किया है ओरगन के रेडमेंड ने। रेडमेंड ने 99 साल की आयु में कॉलेज की डिग्री पूरी की। रेडमेंड 1932 में अवसादग्रस्त होने के बाद कॉलेज को छोड़कर नौकरी करने लगा था। हालांकि कॉलेज की डिग्री पूरी करने के लिए रेडमेंड के भतीजे ने ही प्रेरित किया था।
रेडमेंड को गे्रजुएशन की डिग्री ईर्स्टन ओरगन यूनिवर्सिटी, (पहले इर्स्टन ओरगन नार्मल स्कू ल ), से जनरल स्टडीज में मिली है। आरगेन ने 11 जून को गे्रजुएशन की डिग्री पूरी की है। उल्लेखनीय है कि आरेगन कैम्पस की शुरूआत 1930 में हुई थी। 3 अगस्त को 100 साल पूरे करने वाले रेडमेड को फिलहाल और डिग्री लेने का मन नही है।
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