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गुरुवार, 5 दिसंबर 2013

बिहार में जमीन के विवाद में 5 बहनों की हत्या



गया  बिहार के गया जिले के खिजरसराय थाना क्षेत्र में बुधवार देर रात बदमाशों ने एक ही परिवार की पांच लड़कियों की गोली मारकर हत्या कर दी। हत्या का कारण भूमि विवाद बताया जा रहा है। सभी लड़कियां रिश्ते में बहन लगती थीं।
Five minor girls killed in Gaya
पुलिस के अनुसार, बदमाशों ने सोनाथ गांव निवासी शशि भूषण सिंह के घर पर रात में धावा बोलकर पांच लड़कियों की गोली मारकर हत्या कर दी। लड़कियों की उम्र आठ से 16 साल के बीच बताई गई है। मृतकों की पहचान स्वीटी कुमारी, रेशमा, जूली, मनीता और अनीता के रूप में हुई है। वहीं, इस खूनी वारदात के बाद से गांव में तनाव का माहौल है।

ग्रामीण कुछ भी बोलने से बच रहे हैं। गया के एसएसपी निशांत कुमार तिवारी ने गुरुवार को बताया, 'मृतक लड़कियों के परिवार और उसी गांव के रहने वाले शंभू सिंह के परिवार में जमीन को लेकर विवाद चल रहा था। वारदात के समय लड़कियों के माता-पिता घर पर नहीं थे।'उन्होंने बताया कि इस घटना की प्राथमिकी संबंधित थाने में दर्ज करा दी गई है। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। शव गया स्थित मगध मेडिकल कॉलेज अस्पताल भिजवा दिए गए हैं।

बुधवार, 4 दिसंबर 2013

मेरे जीते जी भारत से नहीं जीत सकता पाकः मनमोहन



नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ की कश्मीर को लेकर चौथे युद्ध छिड़ने की धमकी का करारा जवाब देते हुए आज कहा कि पाकिस्तान भारत से कभी कोई जंग नहीं जीत सकता। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने धमकी दी थी कि कश्मीर को लेकर भारत और पाकिस्तान के बीच कभी भी चौथा युद्ध छिड़ सकता है। उनकी धमकी की ओर ध्यान दिलाए जाने पर डॉ. सिंह ने कहा कि पाकिस्तान के लिए ऐसा कोई युद्ध जीतना मेरे जीवनकाल में तो संभव नहीं है।



डॉ. सिंह ने यह बात नौसेना दिवस के अवसर पर आयोजित समारोह में कही। इस अवसर पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी समेत देश का शीर्ष राजनीतिक और सैन्य नेतृत्व मौजूद था। प्रधानमंत्री का यह करारा जवाब नवाज शरीफ के उस बयान की रोशनी में है, जो उन्होंने पाक अधिकृत कश्मीर की एसेंबली में दिया। उन्होंने यह भी आरोप लगाया था कि भारत के कारण ही उन्हें हथियारों की होड़ में शामिल होना पड़ रहा है। नहीं तो वे अपना ध्यान सामाजिक क्षेत्र की तरक्की की ओर लगाते।



भारत और पाकिस्तान के बीच प्रधानमंत्री के स्तर पर वाक्युद्ध अचानक सामने आया है। इससे पहले दोनो देशों के प्रधानमंत्रियों की सितंबर में संयुक्त राष्ट्र महासभा के दौरान सद्भावपूर्ण माहौल में बातचीत हुई थी। दूसरी ओर, पाक के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कश्मीर मसले को लेकर भारत के साथ संभावित युद्ध के बारे में मीडिया में आए अपने कथित बयान का खंडन किया है।



पाक प्रधानमंत्री कार्यालय ने जारी बयान में कहा कि प्रधानमंत्री ने कभी भी भारत के साथ चौथे युद्ध की संभावना के संबध में बयान नहीं दिया है, लेकिन मीडिया में कल दिन भर यह खबर सुर्खियों में रही। पाक दैनिक द डॉन ने दरअसल मंगलवार को पहली बार इस संबंध में रिपोर्ट प्रकाशित की थी जिसमें बताया गया था कि कश्मीर मसले के तत्काल हल के लिए प्रतिबद्ध शरीफ ने भारत के साथ चौथे युद्ध की चेतावनी दी है।



प्रधानमंत्री कार्यालय ने इस रिपोर्ट को पूरी तरह गलत और दुर्भावना से प्रकाशित किया गया बताया है। बयान के अनुसार शरीफ ने अपने बयान में कहा था कि वह भारत के कब्जे से कश्मीर को आजाद कराना चाहते हैं और इच्छा रखते हैं कि उनकी जिंदगी में ही यह सपना साकार हो जाए।

रविवार, 1 दिसंबर 2013

त्वरित टिपणी । लोकतंत्र में युवाओ कि भागीदारी ने दिए भारत में बदलाव के संकेत

त्वरित टिपणी । लोकतंत्र में युवाओ कि भागीदारी ने दिए भारत में बदलाव के संकेत

राजस्थान में नई विधानसभा के गठन के लिए रविवार को सम्पन हुए चुनावो में इस बार ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला। कोई एक माह से चल रही चुनावी अभियान इस बार बड़े बुजुर्गो कि बजाय युवाओ के हाथ में रहा। मैं पिछले पचीस सालो से चुनाव प्रक्रिया को कवरेज कर रहा हूँ ,हर चुनाव चाहे नगर परिषद् का हो या पांचया ता सांसद का या विधासभा का प्रत्यासियो के प्रचार प्रसार कि कमान वरिष्ठ कार्यकर्ताओ के पास देखता आया हूँ। साथ से असि साल के बुजुर्ग नेता प्रत्यासियो के लिए वोट माँगते नज़र आते थे ,युवा कार्यकर्ता सभाओ में दरिया बिछाने से लेकर पोस्टर चिपकने जैसे कामो में खपाए जाते थे ,कोई युवा गलती से कोई दायित्व हाथ में ले लेता तो वरिष्ठ कार्यकर्ताओ के कई उलाहने सुनाने पड़ते। देश भर में कई बार चर्चा होती रही कि आखिर युवा वर्ग राजनीती से मुंह क्यों मोड़ रहे हें। युवा वर्ग राजनीती को अच्छी नज़र से नहीं देख रहे थे ,युवाओ का राजनीती से मोहभंग भी हुआ यह सच्चाई हें। मगर पिछले चार माह में देश में परिवर्तन कि लहर देखि। इस परिवर्तन में युवाओ को नया नेता मिला। युवाओ में उस नेता के नाम से सिहरन सी दौड़ने लगी ,राजस्थान के विधानसभा चुनाव कि हलचल आरम्भ हुई तो आस्चर्य रूप से एकाएक युवा वर्ग सामने आया। कल तक युवा वर्ग के लिए तरसने वाली पार्टियो के पास युवा कार्यकर्ताओ कि फौज कड़ी हो गयी। चाहे कोई पार्टी हो सभा से युवा वर्ग जुड़ा ,पार्टी प्रत्यासियो ने हवा के रुख को जांचा परखा और अपने कैम्पिन कि कमान युवाओ को सौंपी। बाड़मेर जिले कि सभा सातो सीटो पर युवा वर्ग ने ही पार्टी प्रत्यासियो कि कमान संभल राखी थी ,इन चुनावो में वरिष्ठ कार्यकर्ता बहुत कम सक्रीय रहे। युवाओ ने जैम कर म्हणत कि। प्रचार प्रसार से लेकर मीटिंगो तक के कार्यक्रम कराये ,मतदाताओ को जागरूक किया। अपने प्रत्यासी के लिए वोट भी मांगे ,युवाओ कि सक्रीय भागीदारी से चुनावी माहौल बेहतर रहा। न कोई झगड़ा ना फसादमुद्दो पर बात ,मुद्दो पर वोट। आज मतदान केन्द्रो पर बारीकी से देखा किसी भी मतदान केंद्र पर मुझे किसी भी पार्टी का कोई वरिष्ठ कार्यकर्ता अभिकर्ता बन मतदान केंद्र पर बेठा नहीं दिखा। अपवाद स्वरुप भी नहीं ,मतदान केन्द्रो पर युवाओ का बोलबाला था। सबसे बड़ी बात कि सभाओ में युवा बेहतर तरीके से भाषण के जरिये मतदाताओ को सही उम्मीदवार को वोट देने का मतलब समझा रहे थे। लोग उन्हें गौर से सुन रहे थे ,


यह बदलाव कोई मामूली नहीं ,आने वाले दिनों में और कर चुनाव होंगे ,युवाओ कि भागीदारी और बढ़ेगी ,युवा वर्ग के राजनीती में सक्रीय होने से देश कि उम्मीदे जागी हें ,देश एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हें। राजस्थान में बड़ी संख्या में मतदान ने साबित कर दिया कि युवा वर्ग के इरादे क्या हें। वो इस देश को वाकई भय भूख और भरषटाचार से मुक्त देखना चाहते हें ,इन्शाह अलह युवा इसमे कामयाब होते नज़र रा रहे हेह ,जय युवा शक्ति

शनिवार, 9 नवंबर 2013

पीएम की पत्नी महिला सुरक्षा पाने वाली पहली वीवीआईपी बनीं

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की पत्नी एसपीजी की महिला कमांडोज की सुरक्षा पाने वाली पहली वीवीआईपी बन गई हैं। दिल्ली में शुक्रवार को एक कार्यक्रम में पीएम की पत्नी गुरशरण कौर की सुरक्षा में बीएसएफ की दो महिला कमांडोज तैनात थीं।पीएम की पत्नी महिला सुरक्षा पाने वाली पहली वीवीआईपी बनीं

अब प्रियंका की सुरक्षा में तैनात होंगी महिला कमांडो -

कमांडोज नेवी ब्लू सफारी सूट पहने हुए थीं। उनके कानों में वायरलैस यंत्र लगे हुए थे। अन्य सुरक्षा घेरे में पुरूष कमांडोज थे। एक अखबार के अनुसार ऎसा पहली बार है जब स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) ने सुरक्षा पाने वाली महिलाओं के लिए महिला कमांडोज तैनात की हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार एसपीजी की अब प्रियंका वाड्रा की सुरक्षा में महिला कमांडो तैनात करने की योजना है। हालांकि अधिकारियों ने इस पर कुछ नहीं कहा कि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी की सुरक्षा में भी महिला कमांडो तैनात की जाएंगी।


पीएम प पूर्व पीएम तथा करीबी रिश्तेदारों को सुरक्षा देती है एसपीजी -


पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद एसपीजी का गठन किया गया था। एसपीजी वर्तमान व पूर्व प्रधानमंत्रियों तथा उनके करीबी रिश्तेदारों को सुरक्षा प्रदान करती है। ये महिला कमांडोज केंद्रीय ओद्यौगिक सुरक्षा बल (सीआईएसएफ) से हैं तथा इन्हें एसपीजी ने प्रशिक्षण दिया है।


माया व जया ने किया था इनकार -

नेशनल सीक्यूरिटी गार्ड (एनएसजी) भाजपा के पीएम पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी सहित 16 वीवीआईपीज को सुरक्षा प्रदान करती है। एनएसजी ने बसपा अध्यक्ष मायावती व अन्नाद्रमुक सुप्रीमो जे जयललिता को सुरक्षा देने का प्रस्ताव दिया था लेकिन दोनों ने ही इसे स्वीकार नहीं किया।

गुरुवार, 31 अक्तूबर 2013

जसवंत ने फिर कहा, आडवाणी को थी कंधार जाने की जानकारी



भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के दावे का खंडन करते हुए पूर्व विदेश मंत्री जसवंत सिंह ने कहा है कि 1999 में इंडियन एयरलाइंस के हाइजैक किये गये विमान में बंधक यात्रियों को छोड़ने के बदले में रिहा किये गये तीन आतंकवादियों के साथ कंधार जाने के उनके विवादास्पद फैसले के बारे में तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी को जानकारी थी।
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हालांकि जसवंत ने कहा कि आडवाणी और अरुण शौरी, दोनों तत्कालीन मंत्रियों ने फैसले का विरोध किया था जो उन्होंने खुद लिया था और कैबिनेट को सूचित किया था।

जसवंत सिंह से जब पूछा गया कि क्या आडवाणी को निर्णय के बारे में जानकारी थी तो उन्होंने कहा कि वह कैबिनेट की बैठक में थे। तत्कालीन गृहमंत्री आडवाणी ने दावा किया है कि उन्हें जसवंत के आतंकवादियों के साथ जाने के फैसले के बारे में जानकारी नहीं थी।

जसवंत सिंह ने अपनी नयी पुस्तक इंडिया एट रिस्क में उक्त घटनाक्रम के बारे में विस्तार से लिखा है। उन्होंने कहा कि मैंने निर्णय लिया। मैंने कैबिनेट को सूचित किया कि मैं जा रहा हूं। कैबिनेट ने मुझसे कहा, इसलिए मैं गया।

हालांकि किताब में उन्होंने इस बारे में उल्लेख नहीं किया कि विवादास्पद फैसला कैसे लिया गया। जब जसवंत से पूछा गया कि क्या उन्हें अपने इस फैसले पर अफसोस है जिसकी काफी आलोचना हुई है, उन्होंने साफगोई से कहा कि नहीं, बिल्कुल नहीं।