रविवार, 1 दिसंबर 2013

त्वरित टिपणी । लोकतंत्र में युवाओ कि भागीदारी ने दिए भारत में बदलाव के संकेत

त्वरित टिपणी । लोकतंत्र में युवाओ कि भागीदारी ने दिए भारत में बदलाव के संकेत

राजस्थान में नई विधानसभा के गठन के लिए रविवार को सम्पन हुए चुनावो में इस बार ऐतिहासिक बदलाव देखने को मिला। कोई एक माह से चल रही चुनावी अभियान इस बार बड़े बुजुर्गो कि बजाय युवाओ के हाथ में रहा। मैं पिछले पचीस सालो से चुनाव प्रक्रिया को कवरेज कर रहा हूँ ,हर चुनाव चाहे नगर परिषद् का हो या पांचया ता सांसद का या विधासभा का प्रत्यासियो के प्रचार प्रसार कि कमान वरिष्ठ कार्यकर्ताओ के पास देखता आया हूँ। साथ से असि साल के बुजुर्ग नेता प्रत्यासियो के लिए वोट माँगते नज़र आते थे ,युवा कार्यकर्ता सभाओ में दरिया बिछाने से लेकर पोस्टर चिपकने जैसे कामो में खपाए जाते थे ,कोई युवा गलती से कोई दायित्व हाथ में ले लेता तो वरिष्ठ कार्यकर्ताओ के कई उलाहने सुनाने पड़ते। देश भर में कई बार चर्चा होती रही कि आखिर युवा वर्ग राजनीती से मुंह क्यों मोड़ रहे हें। युवा वर्ग राजनीती को अच्छी नज़र से नहीं देख रहे थे ,युवाओ का राजनीती से मोहभंग भी हुआ यह सच्चाई हें। मगर पिछले चार माह में देश में परिवर्तन कि लहर देखि। इस परिवर्तन में युवाओ को नया नेता मिला। युवाओ में उस नेता के नाम से सिहरन सी दौड़ने लगी ,राजस्थान के विधानसभा चुनाव कि हलचल आरम्भ हुई तो आस्चर्य रूप से एकाएक युवा वर्ग सामने आया। कल तक युवा वर्ग के लिए तरसने वाली पार्टियो के पास युवा कार्यकर्ताओ कि फौज कड़ी हो गयी। चाहे कोई पार्टी हो सभा से युवा वर्ग जुड़ा ,पार्टी प्रत्यासियो ने हवा के रुख को जांचा परखा और अपने कैम्पिन कि कमान युवाओ को सौंपी। बाड़मेर जिले कि सभा सातो सीटो पर युवा वर्ग ने ही पार्टी प्रत्यासियो कि कमान संभल राखी थी ,इन चुनावो में वरिष्ठ कार्यकर्ता बहुत कम सक्रीय रहे। युवाओ ने जैम कर म्हणत कि। प्रचार प्रसार से लेकर मीटिंगो तक के कार्यक्रम कराये ,मतदाताओ को जागरूक किया। अपने प्रत्यासी के लिए वोट भी मांगे ,युवाओ कि सक्रीय भागीदारी से चुनावी माहौल बेहतर रहा। न कोई झगड़ा ना फसादमुद्दो पर बात ,मुद्दो पर वोट। आज मतदान केन्द्रो पर बारीकी से देखा किसी भी मतदान केंद्र पर मुझे किसी भी पार्टी का कोई वरिष्ठ कार्यकर्ता अभिकर्ता बन मतदान केंद्र पर बेठा नहीं दिखा। अपवाद स्वरुप भी नहीं ,मतदान केन्द्रो पर युवाओ का बोलबाला था। सबसे बड़ी बात कि सभाओ में युवा बेहतर तरीके से भाषण के जरिये मतदाताओ को सही उम्मीदवार को वोट देने का मतलब समझा रहे थे। लोग उन्हें गौर से सुन रहे थे ,


यह बदलाव कोई मामूली नहीं ,आने वाले दिनों में और कर चुनाव होंगे ,युवाओ कि भागीदारी और बढ़ेगी ,युवा वर्ग के राजनीती में सक्रीय होने से देश कि उम्मीदे जागी हें ,देश एक बड़े बदलाव का संकेत दे रहे हें। राजस्थान में बड़ी संख्या में मतदान ने साबित कर दिया कि युवा वर्ग के इरादे क्या हें। वो इस देश को वाकई भय भूख और भरषटाचार से मुक्त देखना चाहते हें ,इन्शाह अलह युवा इसमे कामयाब होते नज़र रा रहे हेह ,जय युवा शक्ति

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