शुक्रवार, 22 मार्च 2013

मनरेगा में जल सरंक्षण के नाम करोडो लुटाये नतीजा सिफर

विश्व जल दिवस पर विशेष


मनरेगा में जल सरंक्षण के नाम करोडो लुटाये नतीजा सिफर 


बाड़मेर आज भी पानी के लिए पानी पानी हो रहा


बाड़मेर मीलों तक पसरे रेत के महासमंदर में सदियों से पानी की कमी, भीषण गर्मी और कठिनाइयों से भरे लोक जीवन वाले थार में हाल के वर्षों में जल संरक्षण को सर्वोच्च प्राथमिकता देकर सर्वत्र जल संरक्षण और संग्रहण के हुए अथक प्रयासों ने बहुत बड़ा बदलाव का दावा जिला परिषद् द्वारा किया जा रहा हें जबकि वास्तविकता हें की जल सरंक्षण के नाम करोडो रुपये लुटा दिए .बाड़मेर आज भी पानी के लिए पानी पानी हो रहा हें ,


सरहदी जिले बाड़मेर में पेयजल की विकराल समस्या को देखते हुए ही महानरेगा और अन्य योजनाओं में सर्वाधिक काम जल संरक्षण एवं संग्रहण के लिए गए। नरेगा में अब तक करीब तीन लाख टांको का निर्माण बाड़मेर जिले में कराये जाने का दावा किया जा रहा हें जबकि हे की जिला परिषद् द्वारा स्वीकृत इन टांको में आधे भी कम का निर्माण हुआ हें बाकी का उठा लिया मगर टांको का निर्माण हुआ ही नहीं .बाड़मेर जिले में जल सरंक्षण के नाम पर बने इन टांको के लिए जिला प्रशासन ने करोडो रुपये जनप्रतिनिधियों की अनुसंशा पर लुटा दिया मगर आज भी थार वाशिय दो बूँद पानी के लिए तरस , हें बारीकी से टांको के निर्माण की जान्क्स्च निष्पक्ष एजेंसी से कराई जाए तो साड़ी पोल खुल जाए .जिला परिषद् द्वारा जरूरतमंद जनता को टाँके स्वीकृत की बजे उन लोगो को टाँके स्वीकृत किये जिन्हें पूर्व में किसी ना किसी योजना में टांको की स्वीकृति मिली हें ,अधिकाँश मामलो में लोगो ने टांको को नरेगा में बता कर भुगतान उठा लिया .यह कडवी सच्चाई हें ,बाड़मेर आज भी पानी के लिए पानी पानी हो रहा हें ,टांको पर वोटो की टिकी हें यह जनप्रतिनिधि जानते हें ,गत रामसर तहसील के एक छोटे से गाँव में एक साथ सौ तनको की स्वीकृति निकाली हें जबकि इस गाँव में पूर्व वर्ती योजनाओ में कई टांको का निर्माण हो रखा हें ,इसी तरह जिले की आठ पंचायत समितियो में से बायतु ,सिनधरी को टांको की सिक्रितिया जा की गई हें जबकि पानी के लिए तरस रहे शिव ,चौहटन और बाड़मेर को सबसे कम टाँके दिए गए .जिला परिषद् में सुविधा शुल्क देकर मनमर्जी से टाँके स्वीकृत कराये , हें जिन टांको की स्वीकृतिया जारी की हे उनमे कईयों के प्रस्ताव ग्राम द्वारा दिए ही नहीं गए ,नरेगा योजना के साथ बी आर जी ऍफ़ ,सांसद ,विधायक कोष से भी टांको की स्वीकृतिया जा की गई हें ,एक ही परिवार को तीन चार योजनाओ में टांका निर्माण की स्वीकृतिया जारी की गई हें ,बाड़मेर जिले में दो दशक पूर्व शिव पंचायत समिति में टांका निर्माण घोटाला हुआ था जिसमे पचास से अधिक सरकारी कारिंदे , जनप्रतिनिधियों के खिलाफ भरष्टाचार निरोधक विभाग्ग में मामले दर्ज हुए थे जिनकी जांच आज भी चल रही हें .इस घोटाले में प्रभावशाली जनप्रतिनिधि भी शामिल हें .मनरेगा में भी सबसे बड़ा टांका घोटाला हुआ हें जिसकी निष्पक्ष जांच हो जाए तो साड़ी पोल खुल जाए .टांको के आस पास दस दस पोधे लगाये जाने थे जिसकी अलग से राशि का प्रावधान हें मगर वन विभाग के आंकड़े कहते हें की पोधो का उठाव हुआ ही नहीं .विभाग द्वारा जिले में पांच सौ बेरियो के निर्माण का दावा किया जा रहा हें ,मगर हकीकत में बेरियो का निर्माण हुआ हें नहीं क्योको बेरियो का निर्माण किया नहीं जा सकता यह प्राकर्तिक होती , हें .मंरेगा योजना के तहत बाड़मेर जिले को जल सरंक्षण के नाम हें .

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