शुक्रवार, 1 जुलाई 2016

चुतर सिंह प्रकरण। दो जुलाई के जैसलमेर बंद के आह्वान से पहले शांति समिति की बैठक

चुतर सिंह प्रकरण। दो जुलाई के जैसलमेर बंद के आह्वान से पहले शांति समिति की बैठक 
जिला प्रषासन एवं शान्ति समिति के सदस्यों ने जिलें में शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखनें की अपील की

जिलें में कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध

जिला शांति समिति की बैठक में शांति एवं भाईचारे का माहौल बना रहें इस पर विस्तार से चर्चा


जैसलमेर, 1 जुलाई। जिले में हाल ही में हुई घटनाक्रम के संबंध में 2 जुलाई को बंद के आहवान् के संबंध में शांति व्यवस्था बनी रहें इसके लिए जिला कलक्टर मातादीन शर्मा की अध्यक्षता में जिला शांति की बैठक शुक्रवार को कलेक्टेªट सभागार में आयोजित हुई जिसमें जिला प्रषासन एवं शांति समिति के सदस्यों ने विषेष समाज वर्ग के लोगों के साथ ही सभी समुदाय को शांति एवं सौहार्दपूर्ण वातावरण बनाए रखने की अपील की गई। बैठक में सभी सदस्यों ने इस घटना को दुःखद पूर्ण बताया एवं कहा की राज्य सरकार स्तर पर इसके संबंध में सकारात्मक प्रयास किए जा रहे है।

जिला शांति समिति कि बैठक में जिला पुलिस अधीक्षक डाॅ0 राजीव पचार,जिला प्रमुख श्रीमति अंजना मेघवाल,नगर परिषद सभापति श्रीमति कविता खत्री,नगर विकास न्यास के अध्यक्ष डाॅ0 जितेन्द्र सिंह,अतिरिक्त जिला कलक्टर नखतदान बारठ, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सज्जनसिंह, समिति सदस्य जुगलकिषोर व्यास,स्वरुपसिंह हमीरा,गोपीकिषन मेहरा,भीखसिंह राठौड,महेन्द्र व्यास,सुमार खां के साथ ही अन्य सदस्य गण उपस्थित थे। जिला कलक्टर शर्मा ने सभी समाज वर्ग के प्रबुद्व नागरिकों एवं शांति समिति के सदस्यों से कहा कि जैसलमेर की भाईचारे,प्रेम एवं सौहार्दपूर्ण की परम्परा बनी रही है उसको हमें कायम रखना है इसके लिए सभी का सहयोग जरुरी है। उन्होंने कहा कि बंद के दौरान कोई भी व्यक्ति किसी प्रकार का उपद्रव नही करें इसके लिए समाज के प्रबुद्व नागरिकों को युवाओं को समझाईष करनी है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से अपनी बात को अवष्य रखें।

उन्होंने कहा कि जैसलमेर का वातावरण शांत रहा है लेकिन बाहरी लोग किसी प्रकार का माहौल खराब नहीं करे इसके लिए भी शांति समिति के सदस्यों को सजग रहना है। उन्होंने किसी प्रकार के दुष्प्रचार एवं बहकावे में नहीं आने की बात कही। उन्होंने कहा कि वे विषेष समाज वर्ग के लोगों के साथ बैठक कर उन्हें समझाईष करें की वे शांति से अपना पक्ष रखें। उन्होंने कहा कि जिला एवं पुलिस प्रषासन द्वारा कानून एवं शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए सुरक्षा के कडे प्रबंध किए गयें है एवं किसी प्रकार की अप्रिय घटना न हो इस पर पूरी नजर रखी जा रही है। उन्होंने कहा कि बंद के दौरान असामाजिक तत्वों द्वारा किसी प्रकार की अप्रिय घटना करने की सम्भावना हो तो उसकी सूचना पुलिस एवं प्रषासन को दे ताकि समय रहते आवष्यक कार्यवाही की जा सके। जिला कलेक्टर ने बताया कि जैसलमेर बंद के दौरान जिला प्रषासन द्वारा भी पुख्ता प्रबंध किए गए है एवं इस दौरान डयुटी मजिस्ट्रेट तैनात रहेंगें एवं विडियोग्राफी करवाई जायेगी।

जिला पुलिस अधीक्षक डाॅ0 पचार ने बताया कि जिलें में जो घटना हुई है वह दुर्भाग्य पूर्ण है। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रषासन निष्पक्ष भाव से इस घटना में कार्य कर रही है एवं दोषी के खिलाफ अवष्य कार्यवाही होगी । उन्होंने समाज वर्ग के लोगों को शांति व्यवस्था बनाए रखनें कि अपील की एवं युवा वर्ग संयमित व्यवहार रखते हुए अपनी बात को अवष्य रखें। उन्होंने बताया कि सुरक्षा एवं शांति व्यवस्था बनाए रखनें के लिए पुलिस का पर्याप्त मात्रा में जाब्ता लगाया गया है किसी प्रकार से भयभीत होने की जरुरत नहीं है।

नगरविकास न्यास के अध्यक्ष डाॅ0जितेन्द्र सिंह ने कहा कि इस घटनाक्रम में राज्य सरकार स्तर पर सकारात्मक एवं संवेदनषीलता के साथ प्रयास हो रहे है एवं इसके अच्छे परिणाम आयेगें। उन्होंने भी शांति व्यवस्था बनाए रखने की अपील की एवं कहा कि जैसलमेर के वांषिदे बाहरी लोगों के बहकावे में आकर किसी प्रकार का माहौल खराब नहीं करें। समिति सदस्य जुगल किषोर व्यास,भीखसिंह राठौड,सुमार खां,गोपीकिषन मेहरा,विमल शर्मा,उम्मेदसिंह तंवर ने भी घटना के दुःखद पूर्ण बताया एवं कहा कि जिला एवं पुलिस प्रषासन को सघर्ष समिति एवं समाज के प्रबुद्वाजनों के साथ वार्ता कर सकारात्मक कार्यवाही करावें ताकि जिलें में शांति व्यवस्था बनी रहें। उन्होंने इस मामले में बुजुर्गो को आगे आकर अपने हाथ में कमान लेनी है युवाओं से समझाईष कर माहौल को शांत करना है।

अतिरिक्त जिला कलक्टर नखतदान बारठ एवं अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक सज्जनसिंह ने भी जिला एवं पुलिस प्रषासन को सहयोग देने का आहवान् किया। बैठक में समिति सदस्यांे ने विष्वास दिलाया कि वे इस मामले में शांति बनी रहें इसके लिए पूरा प्रयास करेगें एवं प्रषासन को असम्भव सहयोग देगें।

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जैसलमेर। मुझे बेमतलब घसीटा जा रहा: सांसद, संयम बरतने की अपील

जैसलमेर। मुझे बेमतलब घसीटा जा रहा: सांसद, संयम बरतने की अपील

जैसलमेर। बाड़मेर-जैसलमेर सांसद कर्नल सोनाराम चौधरी ने कहा कि मोकला के पास पुलिस की गोली से चतुरसिंह की मौत के मामले में उनका नाम बेमतलब घसीटा जा रहा है। सांसद ने कहा कि यह मामला कानून व्यवस्था से जुड़ा हुआ है। इसमें उनकी किसी तरह की भूमिका होने का सवाल ही पैदा नहीं होता। सांसद गुरुवार को जैसलमेर प्रवास के दौरान जैसल क्लब में पत्रकारों के साथ बातचीत कर रहे थे।


मुझे बेमतलब घसीटा जा रहा: सांसद


सीआईडी जांच पर करें भरोसा
कर्नल ने कहा कि राज्य सरकार ने उक्त मामले की जांच सीआईडी सीबी से करवाने का निर्णय लिया है। यह एजेंसी जांच कर दूध का दूध और पानी का पानी कर देगी। उन्होंने कहा कि सीआईडी जांच पर भरोसा नहीं करने का मतलब है, मुख्यमंत्री पर अविश्वास करना।





संयम बरतने की अपील
सांसद ने चतुरसिंह की मौत के बाद आंदोलित लोगों से संयम बरतने की अपील करते हुए कहा कि मामले की जांच होने से सच सामने आएगा। जो भी दोषी होगा, उसे बख्शा नहीं जाएगा। तब तक संयम बरतना आवश्यक है। उन्होंने कभी भी जातिवादी राजनीति नहीं की। यही कारण है कि बाड़मेर-जैसलमेर के मतदाताओं ने उन्हें चार बार सांसद का चुनाव जिताया और एक बार विधायक भी बनाया।

जैसलमेर। चुतरसिंह हत्याकांड : सड़कों पर उतरा गुस्सा, किया प्रदर्शन,2 को जैसलमेर बंद का आह्वान

जैसलमेर। चुतरसिंह हत्याकांड : सड़कों पर उतरा गुस्सा, किया प्रदर्शन,2 को जैसलमेर बंद का आह्वान


जैसलमेर। जिले के मोकला गांव में गत दिनों हुए पुलिस के गोलीकाण्ड को लेकर उपजे विरोध के स्वर ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुखर हो गए। गौरतलब है कि गोलीकांड में चतुरसिंह की मौत हो गई थी। गुरुवार को जिले के प्रमुख कस्बे व गांव बंद रहे। कई जगह जुलूस निकालकर ज्ञापन सौंपे गए तो सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया। पुलिस प्रशासन की ओर से ऐहतियात के तौर पर जगह-जगह जाब्ता तैनात किया गया। इस दौरान राजमथाई, नाचना, रामदेवरा, फलसूण्ड, सांकड़ा, चांधन, बडोड़ा गांव, रामगढ़, मोहनगढ़, भैंसड़ा आदि ग्रामीण क्षेत्र बंद रहे और दुकानें नहीं खुली।

जैसलमेर पुलिस गोलीकांड : सड़कों पर उतरा गुस्सा, किया प्रदर्शन

नहीं खुली दुकानें
पोकरण कासं-गुरुवार को उपखण्ड क्षेत्र के विभिन्न गांवों में विरोध प्रदर्शन करते हुए लोगों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे तथा रोष जताया। क्षेत्र के राजमथाई सहित कई गांवों में लोगों ने रोष जताते हुए अपनी दुकानें बंद रखी। जिसके चलते बाजार बंद रहे। लोगों ने जगह-जगह विरोध प्रदर्शन कर मामले की जांच सीबीआई से करवाने की मांग की। दुकानें बंद रहने से आमजन को परेशानी हुई।

नाचना बंद पूरी तरह से सफल रहा। गांव में दवाइयों, सब्जी, डेयरी, किराणा, होटलें, केबिन आदि सुबह से ही बंद थे। सुबह से ही आसपास क्षेत्र के ग्रामीणों का नाचना आने का दौर शुरू हो गया। गांव में देवीसिंह सत्याया, भाजपा मंडल अध्यक्ष छगनसिंह व भारतीय किसान संघ के जिलाध्यक्ष ओमसिंह अवाय के नेतृत्व में बड़ी संख्या में ग्रामीणों ने जुलूस निकाला। जुलूस में लोग पुलिस व प्रशासन के विरुद्ध नारेबाजी करते हुए गांव के मुख्य मार्गों से उपनिवेशन उपायुक्त कार्यालय पहुंचे।

फलसूण्ड गांव आधे दिन तक बंद रहा तथा ग्रामीणों ने विरोध प्रदर्शन किया। गांव में सुबह से ही व्यापारिक प्रतिष्ठान बंद थे, जो दोपहर 12 बजे तक पूरी तरह से बंद रहे। व्यापार मंडल की ओर से एक जुलूस निकाला गया।

टायर जलाकर प्रदर्शन
बंद के दौरान कुछ युवकों द्वारा सीएडी कॉलोनी चौराहे पर टायर जलाए गए। राजपूत समाज छात्रावास के भूखण्ड पर बैठक आयोजित की गई। दो मिनट को मौन रखकर चतुरसिंह सोढ़ा को श्रद्धांजलि दी।

जुलूस निकाला, ज्ञापन दिया
रामगढ़ कस्बा गुरुवार को बन्द रहा। एक दिन पूर्व किए गए बंद के आह्वान के चलते रामगढ़ में सुबह से ही दुकानें नहीं खुली। कस्बे में शांति व्यवस्था बनाए रखने के लिए अतिरिक्त पुलिस जाब्ता तैनात किया गया है। रामगढ़ बन्द के दौरान कस्बे में राजपूत समाज की बैठक का आयोजन किया।

पुलिस चौकी के सामने विरोध
बडोड़ा गांव पूर्णतया बंद रहा। बड़ी संख्या में लोगों ने सड़क पर टायर जलाकर पुलिस चौकी के आगे प्रदर्शन किया। बडोड़ा गांव सहित अभयनगर व जसकरणपुरा में बंद पूर्णतया सफल रहा। प्रदर्शन के बाद मृतक को श्रद्धांजलि अर्पित की गई।

2 जुलाई को जैसलमेर बंद का आह्वान
पुलिस की गोली से युवक की मौत के विरोध में 'चतुरसिंह फर्जी एनकाउंटर संघर्ष समिति' के बैनर तले 2 जुलाई को जैसलमेर जिला मुख्यालय बंद रखने व रैली निकालने का आह्वान किया गया है। इस संबंध में गुरुवार शाम को आयोजित पत्रकार वार्ता में समिति के सवाईसिंह देवड़ा और एडवोकेट कंवराजसिंह राठौड़ ने कहा कि मामले की सीबीआई से जांच सहित अन्य प्रमुख मांगों को नहीं माने जाने तक लोकतांत्रिक ढंग से आंदोलन जारी रहेगा।

बंद रहे कस्बे
जिले के मोकला गांव में गत दिनों हुए पुलिस के गोलीकाण्ड को लेकर उपजे विरोध के स्वर ग्रामीण क्षेत्रों में भी मुखर हो गए। गौरतलब है कि गोलीकांड में चतुरसिंह की मौत हो गई थी। गुरुवार को जिले के प्रमुख कस्बे व गांव बंद रहे। कई जगह जुलूस निकालकर ज्ञापन सौंपे गए तो सड़कों पर जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया। पुलिस प्रशासन की ओर से ऐहतियात के तौर पर जगह-जगह जाब्ता तैनात किया गया। इस दौरान राजमथाई, नाचना, रामदेवरा, फलसूण्ड, सांकड़ा, चांधन, बडोड़ा गांव, रामगढ़, मोहनगढ़, भैंसड़ा आदि ग्रामीण क्षेत्र बंद रहे और दुकानें नहीं खुली।

बाड़मेर। माटी की हो जाती है मिट्टी पलीत

बाड़मेर। माटी की हो जाती है मिट्टी पलीत


दुर्गेश चौधरी@बाड़मेर.
बाड़मेर। सीमावर्ती जिले के सबसे बड़े चिकित्सालय में स्थित मोर्चरी में शवों को सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रिज नहीं होने से कई बार शव की दुर्गति हो जाती है। यहां राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन की तरफ से आधुनिक मोर्चरी का निर्माण तो कर दिया गया है, लेकिन डीप फ्रिज नहीं दिया गया है। इससे कई बार मुश्किल खड़ी हो जाती है।

माटी की हो जाती है मिट्टी पलीत


जिले में पिछले एक दशक में व्यावसायिक गतिविधियां बढऩे के साथ ही अपराध में तेजी से वृद्धि हुई है। बाहरी प्रदेश के किसी व्यक्ति की मौत पर उसके परिजनों को सूचित करने एवं आने में कई बार 2 से 3 दिन लग जाते हैं। ऐसे में उस शव की सुरक्षा करना चिकित्सा विभाग व पुलिस के लिए मुश्किल हो जाता है। वहीं दूसरी तरफ किसी की मौत पर परिजनों व समाज के विरोध के बाद पोस्टमार्टम में देरी से भी शव को सुरक्षित रखना भारी पड़ जाता है।





जीवाणुओं से खतरा

व्यक्ति की मौत के बाद एक बार शव कड़क हो जाता है। करीब सात-आठ घंटे बाद शव शिथिल पडऩे लगता है और उसमें जीवाणुओं की संख्या तेजी से बढऩे लगती है। उसके सारे अंगों में पानी निकलने लगता है। एेसे में तेज गर्मी से शव सड़ांध मारने लगता है। अधिकांश मामलों में परिजनों के अभाव में मोर्चरी में रखे शवों के लिए बर्फ की व्यवस्था नहीं हो पाती। लिहाजा शव की हालत भी खराब होने लगती है।





आधुनिक मोर्चरी का निर्माण पूर्ण

राजकीय चिकित्सालय में आधुनिक मोर्चरी का निर्माण कार्य पूर्ण हो चुका है। यहां पर पुरानी मोर्चरी के पास ही 15 लाख रुपए की लागत से तीन कमरों का निर्माण किया जा चुका है। इसमें से एक कक्ष में शव का पोस्टमार्टम व क्लिनिंग कक्ष है। वहीं अन्य दो कक्षों में से एक चिकित्सक कक्ष। यहां विद्युत, पानी, पेयजल व परिजनों के रात में रुकने की व्यवस्था भी की गई है। मोर्चरी के आगे सड़क भी बनाई गई है।





प्रयास कर रहे हैं

चिकित्सालय में आधुनिक मोर्चरी का निर्माण हो चुका है। भीषण गर्मी में शव को सुरक्षित रखने के लिए डीप फ्रिज आवश्यक है। इसके लिए प्रयास कर रहे हैं।

डॉ. देवेन्द्र भाटिया, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, राजकीय चिकित्सालय

बाड़मेर। डब्ल्यूएचओ : 1 हजार पर हो 1 चिकित्सक, बाड़मेर : 12750 लोगों पर 1 चिकित्सक

बाड़मेर। डब्ल्यूएचओ : 1 हजार पर हो 1 चिकित्सक, बाड़मेर : 12750 लोगों पर 1 चिकित्सक


बाड़मेर। सीमावर्ती बाड़मेर जिले में 26 लाख की आबादी के लिए चिकित्सकों की कमी रोगियों का मर्ज पर भारी पड़ रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार 1:1000 चिकित्सक-मरीज अनुपात होना चाहिए, लेकिन यहां तो 12 गुणा से भी ज्यादा लोगों के स्वास्थ्य की जिम्मेदारी एक चिकित्सक पर है। ऐसे में बढ़ते काम के भरोसे चिकित्सक परेशान हो हरे हैं।


डब्ल्यूएचओ : 1 हजार पर हो 1 चिकित्सक, बाड़मेर : 12750 लोगों पर 1 चिकित्सक

वहीं दूसरी ओर सरकार लाख कोशिशों के बावजूद इस अनुपात को पाटने में नाकाम रहा है। इस कारण सरकार नि:शुल्क जांच व दवा योजना का लाभ लोगों को पहुंचाने में काफी हद तक नाकाम साबित हो रही है। और तो और बाड़मेर जिले में गंभीर बीमारियों का उपचार ही संभव नहीं है। इस कारण यहां से मरीजों को रेफर टू जोधपुर या रेफर टू गुजरात कर दिया जाता है।

भगवान भरोसे उपचार
जिले की विकट भौगोलिक परिस्थितियों एवं आवागमन के साधनों की कमी के बावजूद यहां चिकित्सकों के स्वीकृत पद भी नहीं भरे गए हैं। जिले में अधिकांश लोग ढाणियों में निवास करते है, जहां सड़कों के साथ साधनों की भी कमी है। ऐसे में गर्भवती महिलाओं, सर्पदंश सहित आपातस्थितियों में मरीज को चिकित्सक तक समय पर पहुचंने में मशक्कत करनी पड़ती है।

इन सुविधाओं की दरकार

- जिला मुख्यालय पर 16 करोड़ की लागत से निर्मित मातृ एवं शिशु चिकित्सालय को जल्द शुरू किया जाए।

- राज्य सरकार की ओर से खरीद की स्वीकृति के ढाई वर्ष भी डायलिसिस मशीन की सुविधा नहीं होने से सैकड़ो मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।

- जिले में नेत्र चिकित्सकों के पद रिक्त होने से आंखों के मरीजों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है।

- ट्रोमा सेंटर में सभी तरह के संसाधन उपलब्ध होने के बावजूद मरीजों को इसकी सुविधा नहीं मिल रही।





वैकल्पिक व्यवस्था के भरोसे

जिले में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी से चिकित्सकीय कार्य प्रभावित हो रहा है। इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था कर कार्य कर रहे हैं।

डॉ. सुनिल कुमारसिंह बिष्ट, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी





जिला अस्पताल पर पड़ रहा भार

ग्रामीण चिकित्सालयों में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण जिला चिकित्सालय में मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। यहां भी विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी के कारण कार्य प्रभावित होता है।

डॉ. देवेन्द्र भाटिया, प्रमुख चिकित्सा अधिकारी, बाड़मेर





जिले में पदों की स्थिति

पदनाम स्वीकृत रिक्त

कनिष्ठ विशेषज्ञ औषध 22 19

कनिष्ठ विशेषज्ञ शल्य 22 20

कनिष्ठ विशेषज्ञ स्त्री 6 6

कनिष्ठ विशेषज्ञ शिशु 6 5

कनिष्ठ विशेषज्ञ नेत्र 2 2

कनिष्ठ विशेषज्ञ क्षय 1 1

क. विशेषज्ञ निश्चेतना 2 2

व. चिकित्सा अधिकारी 20 15

बीसीएमओ 8 7

चिकित्सा अधिकारी 179 22

चिकित्सा अधिकारी दंत 13 9

राजकीय चिकित्सालय बाड़मेर

वरिष्ठ विशेषज्ञ 6 5

उप नियन्त्रक 1 -

कनिष्ठ विशेषज्ञ 19 13

व. चिकित्सा अधिकारी 4 1

चिकित्सा अधिकारी 30 10

कुल 341 137





फैक्ट फाइल

26 लाख से ज्यादा है जिले की आबादी

2600 चिकित्सक होने चाहिए डब्ल्यूएचओ के अनुसार

341 पद स्वीकृत है बाड़मेर में

204 ही कार्यरत हैं विभिन्न अस्पताल में