रविवार, 27 जुलाई 2014

थाने तक पहुंची राजघराने की लड़ाई, 9 पर केस

anant vikram singh including 9 other booked for robbery and trespassing


अमेठी। उत्तर प्रदेश के अमेठी में राजघराने के भूपति भवन में कांग्रेस सांसद एवं अमेठी नरेश संजय सिंह के समर्थकों और उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह तथा उनके साथ गए लोगों के बीच शुक्रवार को हुई घटना के सिलसिले में अनन्त विक्रम सिंह समेत नौ लोगों के खिलाफ शनिवार को डकैती डालने का अमेठी कोतवाली में मामला दर्ज कराया गया है।

पुलिस के अनुसार पूर्व प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की भतीजी एवं संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह, उनके पुत्र अनन्त विक्रम सिंह, गरिमा सिंह की दो पुत्रियों तथा बहू ने करीब 30 समर्थकों के साथ राजमहल पर धावा बोला था। इस पर दोनों पक्षों में जमकर मारपीट हुई और पथराव हुआ।

इस मामले में भपति भवन के व्यवस्थापक संतोष सिंह की तहरीर पर गरिमा सिंह के पुत्र अनन्त सिंह समेत नौ लोगों के खिलाफ डकैती डालने और अन्य गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कराया है।

गौरतलब है कि शुक्रवार को संजय सिंह की पहली पत्नी के पुत्र अनन्त विक्रम सिंह ने 12 नामजद और आठ अज्ञात लोगों के खिलाफ्क मुकदमा दर्ज कराया था। पुलिस मामले की छानबीन कर रही है। -

हे भगवान, 14 साल से कभी सोया नहीं ये शख्स




नई दिल्ली। दक्षिणी दिल्ली में रहने वाले सतीश कुमार, 14 साल से कभी सोए नहीं है। खास बात यह है कि उनका इजाल करने वाले डॉक्टर भी इस बात से पेरशान है कि इसके बावजूद वे स्वस्थ कैसे हैं? दरअसल मेडिकल साइंस में 80 घंटे से ज्यादा कोई इंसान बिना सोए नहीं रह सकता है।

सतीश कुमार पूरी तरह से स्वस्थ भी और और उन्हें कोई बीमारी भी नहीं है। हर दिन अपने काम पर भी जाते हैं। अब नहीं करवा रहे इलाज सतीश कहते हैं कि उन्होंने नींद नहीं आने की समस्या का इलाज एम्स, सफदरजंग, आरएमएल जैसे बड़े बड़े अस्पतालें में कराया, लेकिन डॉक्टरों ने हर जगह उन्हें हल्के में लिया।

सतीश ने बताया कि जब वह पहली बार इलाज के लिए एम्स गए थे तो उनकी परेशानी को जानकार डॉक्टर ने कहा फैमिली वालों को बुलाकर लाइए।
Delhi man has not slept for last 14 years
जब दूसरे दिन फैमिली वालों को लेकर गए और उन्होंने भी ऎसा ही कहा तब उन्होंने पहली बार मुझे दवा दी। डॉक्टरों ने नींद की हैवी होज मेडिसिन दी थी, लेकिन उसका असर नहीं हुआ था।

सतीश के बड़े बेटे सोनू ने कहा, पहले ऎसा नहीं था, पापा सुबह 9 बजे तक सोते थे, लेकिन पिछले 14 सालों से उन्हें नींद आ ही नहीं रही है। अब कई जगह दिखाने के बाद सतीश अपना इलाज नहीं करवा रहे हैं।

11 दिन का है रिकॉर्ड
साल 1964 में एक साइंस फेयर के दौरान 17 साल के रैंडी गार्डनर नाम के व्यक्ति ने 264 घंटे (लगभग 11 दिन) बिना सोए रह कर वर्ल्ड रिकॉर्ड बनाया था।

इस दौरान इस छात्र ने फिजिकल और मेंटल प्रॉब्लम्स का अनुभव किया। स्टडी में पाया गया कि नींद की कमी से इंसान को मेंटल लेवल पर असर पड़ता है।

स्लीप स्टडी की जरूरत
दिल्ली की डॉक्टर मनवीर भाटिया के अनुसार एक रात की नींद खराब होने पर ब्लड शूटर से लेकर बीपी तक बढ़ जाता है, प्रोडक्टिविटी पर असर पड़ता है, इसलिए ऎसा संभव नहीं है।

कई बार लोगों को लगता है कि वे सो नहीं रहे हैं लेकिन वो नहीं में होते हैं। सतीश की स्लीप स्टडी होनी चाहिए उनकी बीमारी का पता चल सकता है। - 

शनिवार, 26 जुलाई 2014

बाड़मेर सड़क हादसे में वायुसेना के दो अधिकारियो की मौत

बाड़मेर सड़क हादसे में वायुसेना के दो अधिकारियो की मौत 


बाड़मेर सरहदी जिले बाड़मेर में जोधपुर रोड पर स्थित नागाणा थाना क्षेत्र के माडपुरा गांव के समीप शनिवार प्रातः वाहन के आगे ऊँठ आ जाने से वाहन पलट कर क्षतिग्रस्त हो गया तथा उसमे सवार वायुसेना के दो अधिकारियो की मौत हो गयी जबकि तीन जने घायल हो गए। सूत्रानुसार नागाणा थाना क्षेत्र के माडपुरा गांव के समीप उत्तरलाई वायुसेना के वाहन में सवार वायुसेना के अधिकारी जा रहे थे ,माडपुरा सरहद पर यकायक सड़क पर ऊँठ आ जाने से वाहन से टक्कर गया जिससे वाहन पलटी खा गया ,जिससे वहां में सवार लोग बुऋ तरह घायल हो गए ,इनमे से दो जनो ने दम  तोड़ दिया जबकि तीन घायलो को उपचार के लिए अस्पताल ले जाया गया। 

दिल्ली 5 पैसे की लड़ाई में बीत गए 41 साल



महज़ 5 पैसे के भ्रष्टाचार का एक मामला को 4 दशक से खींच रहा है.
5 पैसे की लड़ाई में बीत गए 41 साल
कुछ ऐसा ही एक मामला दिल्ली उच्च न्यायालय में लंबित है, जिसमें 41 साल पहले एक कंडक्टर ने गलती से एक महिला को 15 पैसे की बजाय 10 पैसे का टिकट दे दिया था.

टिकट चेकर ने कंडक्टर की इस लापरवाही को पकड़ लिया और उसे इस मामले में नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. कंडक्टर ने अपनी नौकरी पाने के लिए अदालत का सहारा लिया.

श्रम अदालत व हाईकोर्ट एक बार इस कंडक्टर के पक्ष में फैसला दे चुकी हैं, परंतु डी.टी.सी. ने फिर से न्यायालय में पुनर्विचार याचिका दायर कर दी है, जिसके कारण मामला खींचता चला जा रहा है.

हालात ये हो चुके हैं कि अब अदालत चाहे तो भी इस कंडक्टर को नौकरी पर नहीं रखवा पाएगी क्योंकि उसकी वह रिटायरमेंट की उम्र को पार कर चुका है.

अब इस कंडक्टर ने कहा है कि कम से कम उसका मामला जब तक निपटे तब तक उसे पेंशन की सुविधा तो दे ही दी जाए. इसी मांग पर अपना जवाब दायर करते हुए डी.टी.सी. ने कहा है कि वह इस मामले के निपटने तक याचिकाकर्ता को नौकरी से जुड़ा कोई लाभ नहीं देंगे.

न ही उसे पेंशन दी जा सकती है क्योंकि जिस समय पेंशन की योजना शुरू की गई थी, उस समय वह नौकरी पर नहीं था. ऐसे में उसे पैंशन की सुविधा भी नहीं दी जा सकती है.

डी.टी.सी. के मायापुरी डिपो के रीजनल मैनेजर ने अपना यह जवाब अधिवक्ता सुमित पुष्करणा के जरिए न्यायमूर्ति हिमा कोहली की अदालत में दायर किया है. न्यायालय ने इस मामले में सुनवाई के लिए अब 12 अगस्त की तारीख तय की है.

क्या है ये पूरा मामला

यह मामला रणवीर सिंह यादव नामक डी.टी.सी. कंडक्टर से जुड़ा है. एक अगस्त 1973 को वह मायापुरी इलाके में चल रही एक बस पर तैनात था. इसी दौरान उसने एक महिला को 10 पैसे का टिकट दिया, जबकि दूरी के हिसाब से 15 पैसे का टिकट बनता था.

इसी दौरान बस में टिकट चैकर चढ़े और महिला का टिकट चैक किया तो यह गलती पकड़ी गई. पाया गया कि कंडक्टर की गलती से डी.टी.सी. को 5 पैसे का नुक्सान हुआ है, जिसके बाद यादव को निलंबित कर दिया गया.

विभागीय जांच के बाद यादव को 15 जुलाई 1976 को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया. यादव ने इस फैसले को श्रम अदालत में चुनौती दी तो श्रम अदालत ने 6 जुलाई 1982 को उसके पक्ष में फैसला देते हुए उसे नौकरी पर रखने का आदेश दिया.

इस आदेश को डी.टी.सी. ने उच्च न्यायालय में चुनौती दे दी. 25 अप्रैल 2007 को न्यायालय ने डी.टी.सी. की याचिका को खारिज कर दिया. वर्ष 2008 में डी.टी.सी. ने दोबारा से पुनर्विचार याचिका दायर कर दी और यह मामला अभी तक विचाराधीन है.

अब यादव ने कहा था कि जब तक मामले का निपटारा नहीं हो जाता है, तब तक उसे पेंशन दी जाए.

प्राइवेट नौकरी करने वालों को मिलेगी पेंशन?

असंगठित और निजी क्षेत्र में काम करने वाले सेवानिवृत लोगों को हर महीने 5000 रुपये की पेंशन सुनिश्चित कराने के लिए पेश किए गए एक निजी बिल को सभी पार्टी के सदस्यों ने समर्थन दिया है।

शुक्रवार को इसे भाजपा के निशिकांत दुबे ने पेश किया, जिसे सांसदों ने पार्टी लाइन से ऊपर उठ कर समर्थन दिया। निशिकांत दुबे की ओर से पेश नेशनल मिनिमम पेंशन (गारंटी) बिल, 2014 में असंगठित और निजी सेक्टर के कर्मचारियों को हर महीने न्यूनतम 5000 रुपये पेंशन मुहैया कराने के लिए एक राष्ट्रीय पेंशन बोर्ड के गठन का प्रावधान है।

बोर्ड पर इस सेक्टर के सेवानिवृत और इस प्रस्तावित कानून के तहत पेंशन न हासिल करने वालों के रिकार्ड रखने की जिम्मेदारी होगी।बिल पर बहस की शुरुआत करते हुए दुबे ने कहा कि गरीब बुजुर्गों को दो वक्त के भोजन की गारंटी देने के लिए यूनिवर्सल पेंशन स्कीम काफी कारगर साबित होगी।

उन्होंने कहा कि सरकार की नीतियां सिर्फ युवाओं के लिए नहीं बुजुर्गों के लिए भी होनी चाहिए। इस तरह की स्कीमों से असंगठित और निजी क्षेत्र में काम करने वाले लोगों को सामाजिक सुरक्षा हासिल होगी।

बिल में 50,000 करोड़ रुपये से नेशनल पेंशन फंड बनाने की बात कही गई है। बिल का समर्थन करते हुए बीजू जनता दल के भर्तृहरि महताब ने कहा कि मेडिकल सुविधाओं में सुधार होना चाहिए क्योंकि लोगों की औसत उम्र बढ़ती जा रही है। इसलिए ऐसे बोर्ड की जरूरत है, जिससे गैर संगठित क्षेत्रों में काम करने वाले लोगों, किसानों और दबे-कुचले लोगों की देखभाल हो सके।