मंगलवार, 1 जुलाई 2014

बाड़मेर नरेंद्र मोदी को वोट नहीं दिया तो दलित परिवार का आशियाना उजड़ दिया निर्दयी तहसीलदार ने

 

बाड़मेर नरेंद्र मोदी को वोट नहीं दिया तो दलित परिवार का आशियाना उजड़ दिया निर्दयी  तहसीलदार ने 

बाड़मेर लोकसभा चुनावो में दलित परिवार को नरेंद्र मोदी की पार्टी को वोट नहीं देना महंगा पड़ गया। उसे अपना आशियाना गंवाना  पड़ा.दलित परिवार खुले आकाश तले आ गया। दलित परिवार बिलख रहा हैं मगर उसकी सुनाने वाला कोई नहीं। 

जिले के बायतु उप खंड के बाटाडू के सिंघोड़िया गाँव में करीब ढाई सौ  गौचर भूमि पर बने हैं जिन्हे जिला प्रशासन ने अतिक्रमण चिन्हित कर रखा हैं। इसी बस्ती में ददलित परिवार के अतिरिक्त स्वर्ण जाती के परिवार भी सरकारी भूमि पर बेस हुए हैं। इसी में दलितगणपत मेघवाल का  परिवार रहता हैं। दो जून की रोटी को   मोहताज़ गणपत ने हल ही में एक एक पाई इकट्ठी कर आशियाना बना बच्चो को छत उपलब्ध कराई थी ,गणपत का परिवार लोक सभा चुनावो में नरेंद्र मोदी की पार्टी के उम्मीदवार की बजाय निर्दलीय जसवंत सिंह के प्रचार में था ,जिसके चलते स्थानित जान प्रतिनिधियों का दबाव था की इस दलित परिवार को गांव से बहार करे ,जान प्रतिनिधियों के दबाव के आगे झुकते हुए बायतु तहसीलदार महावीर जैन ने मंगलवार को निर्दयता पूर्वक गणपत का माकन बुलडोजर चला के तोड़ दिया जबकि अतिक्रमण की जद में ढाई सौ परिवार   अन्य जातियों के हैं मगर तहसीलदार ने किसी का अतिक्रमण नहीं हटाया सीधे सीधे गणपत का  क़ानूनी नोटिस दिए तुरंत फुरन्त तोड़ दिया ,दलित परिवार अपना आशियाना टूटते देख रोता बिलखता रहा मगर निर्दयी तहसीलदार राजनितिक दबाव के आगे बेबस था।  में तहसीलदार महावीर जैन से बातचीत में  की गणपत के परिवार ने नया अतिक्रमण किया था ,इसीलिए आज हटा दिया ,जब उनसे पूछा की इसी गौचर में ढाई सौ परिवार अतिक्रमी हे उन्हें क्यों नहीं हटाया ,उनका कहना था की सभी को नोटिस दिए हैं। राजनीती दखल की जब उनसे बात की तो हड़बड़ा गए और फोन बंद कर दिया ,इधर दलित परिवार से मुख्यमंत्री ,जिला कलेक्टर को ज्ञापन सौंप कर उन्हें न्याय दिलाने की मांग की हैं। 

 

श्रीहनुमानचालीसा रहस्य- जीवन के ये 5 बड़े दुःख हर लेते हैं हनुमानजी



हिन्दू धर्मग्रंथों में ज्ञानियों में अग्रणी पुकारे गए श्रीहनुमान के स्वरूप, चरित्र, आचरण की महिमा ऐसी है कि उनका मात्र नाम ही मनोबल और आत्मविश्वास से भर देता है। रुद्र अवतार होने से हनुमानजी का स्मरण दु:खों का अंत करने वाला भी माना गया है।

श्रीहनुमान के ऐसे ही अतुलनीय आचरण, गुणों और विशेषताओं को श्रीराम के परमभक्त गोस्वामी तुलसीदास ने श्रीहनुमानचालीसा में उतारा है। पूरी श्रीहनुमानचालीसा या इसकी 1 चौपाई का भी पाठ हनुमान भक्ति का न केवल सबसे श्रेष्ट, सरल उपाय है बल्कि धर्मशास्त्रों में बताए जीवन के पांच दु:खों का नाश करने वाला भी माना गया है।

श्रीहनुमानचालीसा के शुरुआती दोहे में हनुमानजी की महिमा का इस तरह स्मरण किया जाता है-

बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन कुमार।
बल बुद्धि, विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।

इस दोहे में बल, बुद्धि और विद्या पाने की कामना के साथ क्लेशों को हरने के लिए हनुमान से प्रार्थना की गई है। यहां जिन क्लेशों का अंत करने के लिए प्रार्थना की गई है, धर्मशास्त्रों में ये 5 कलह इस तरह भी उजागर हैं- अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष और अभिनिवेश।

अगली स्लाइड्स पर जानिए व्यावहारिक अर्थों सहित ये पांच दु:ख, जिनका हर इंसान कभी न कभी सामना करता हैं और माना जाता है कि हनुमान भक्ति के प्रभाव से इनका शमन भी हो जाता है-




अविद्या- विद्या या ज्ञान का अभाव। विद्या व्यक्ति के चरित्र, आचरण और व्यक्तित्व विकास के लिए अहम है। व्यावहारिक रूप से भी किसी विषय पर जानकारी का अभाव असुविधा, परेशानी और कष्टों का कारण बन जाता है। इसलिए विद्या के बिना जीवन दु:खों का कारण माना गया है।

अस्मिता- स्वयं के सम्मान, प्रतिष्ठा के लिए भी व्यक्ति कई मौकों पर अहं भाव के कारण दूसरों का जाने-अनजाने उपेक्षा या अपमान कर देता है, जिससे बदले में मिली असहयोग, घृणा भी व्यक्ति के गहरे दु:ख का कारण बन सकती है।

राग- किसी व्यक्ति, वस्तु या विषय से आसक्ति से उनसे जुड़ी कमियां, दोष या बुराईयों को व्यक्ति नहीं देख पाता, जिससे मिले अपयश, असम्मान विरोध भी कलह पैदा करता है।




द्वेष- किसी के प्रति ईर्ष्या या बैर भाव का होना। यह भी कलह का ही रूप है, जो हमेशा ही व्यक्ति को बेचैन और अशांत रखता है।

अभिनिवेश- मौत या काल का भय। मन पर संयम की कमी और इच्छाओं पर काबू न होना जीवन के प्रति आसक्ति पैदा करता है। यही भाव मौत के अटल सत्य को स्वीकारने नहीं देता है और मृत्यु को लेकर चिंता या भय का कारण बनता है।

व्यावहारिक तौर से इन पांच दु:खों (अविद्या, अस्मिता, राग, द्वेष व अभिनिवेश) से मुक्ति या बचाव बुद्धि, विद्या या बल से ही संभव है। धार्मिक दृष्टि से हनुमान उपासना से प्राप्त होने वाले बुद्धि और विवेक खास तौर पर ये पांच तरह के कलह दूर ही रखते हैं।