शुक्रवार, 1 मार्च 2013

एसपी चौधरी ने किए बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन


एसपी चौधरी ने किए बाबा रामदेव की समाधि के दर्शन loading...
रामदेवरा   जिले के नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक ने गुरुवार सुबह रामदेवरा पहुंचकर पुलिस थाने का निरीक्षण किया। साथ ही बाबा रामदेव की समाधि स्थल के दर्शन कर पूजा अर्चना की। नवनियुक्त पुलिस अधीक्षक पंकज चौधरी सुबह रामदेवरा पहुंचे। पुजारी बद्रीनारायण छंगाणी द्वारा समाधि स्थल पर पूजा करवाई। डाली बाई की समाधि पर भी प्रसाद व पुष्प चढ़ाकर पूजा अर्चना की। पहली बार रामदेवरा पहुंचे एसपी ने बाबा रामदेव के जीवन इतिहास के बारे में जानकारी ली। भादवा मेले के दौरान यहां भीड़ भाड़ के दौरान की जाने वाली पुलिस व्यवस्था के बारे में जानकारी ली तथा मंदिर परिसर का अवलोकन किया। एसपी चौधरी ने थाने के रिकार्ड का निरीक्षण किया गया। इस अवसर पर थाना परिसर में इनका गर्म जोशी से स्वागत किया गया। पोकरण थानाधिकारी रमेश कुमार व एएसआई जेठाराम, मगाराम, हैड कांस्टेबल चनणा राम, सही राम, जगमालसिंह, महावीर, फरसाराम सहित अन्य पुलिस स्टाफ उपस्थित थे।

आईपीएस देशमुख को बदमाशों ने गोली मारी

आईपीएस देशमुख को बदमाशों ने गोली मारी 

अलवर में कार लूटने वाले बदमाशों का पीछा कर रहे थे, भरतपुर के पास दो बदमाशों को पकड़ा तो साथियों ने किया फायर

अलवर
अलवर के भिवाड़ी थाने में तैनात आईपीएस देशमुख पारिस अनिल को बदमाशों ने गुरुवार रात को भरतपुर के पहाड़ी थाना इलाके में गोली मार दी। गोली उनके गाल को चीरती हुए निकल गई। देशमुख अलवर के भिवाड़ी इलाके से बदमाशों का पीछा करते हुए पहाड़ी पहुंचे थे और दो बदमाशों को दबोच लिया था। इस दौरान गैंग के अन्य साथियों ने 12 बोर से फायर कर दिया। पारिस को हरियाणा के फिरोजपुर झिरका अस्पताल में भर्ती कराया है। 

अलवर एसपी उमेश चंद्र दत्ता ने बताया कि पुलिस ने इस मामले में दो बदमाशों ताहिर तथा नसरू को गिरफ्तार कर तिजारा हाईवे से लूटी गई दो कारें बरामद कर ली हैं। बदमाशों के हथियार भी जब्त किए हैं। पुलिस गिरफ्त में आता देख ताहिर ने देशी कट्टे से देशमुख पर फायर किया था।

अलवर के पूर्व पार्षद जोगेन्द्र कोचर रविवार रात को पत्नी के साथ कार में रोहतक से अलवर आ रहे थे। उसी दौरान बदमाशों ने कार, नकदी, ज्वैलरी आदि समेत दंपती को लूट लिया। भिवाड़ी एएसपी देशमुख को गुरुवार को सूचना मिली थी कि बदमाश पहाड़ी के आसपास हैं। इस पर आईपीएस ने बदमाशों की घेराबंदी कर पीछा किया और दो बदमाशों को दबोच लिया।

॥देशमुख पर फायर की सूचना के बाद तत्काल ही एसपी और आईजी को मौके के लिए रवाना कर दिया था। वे खतरे से बाहर हैं।

-हरिश्चंद्र मीना , डीजीपी 

पारिस को सोर्ड ऑफ ऑनर दिया था

२०१० बैच के आईपीएस अफसर पारिस अनिल देशमुख (२७) मूलत: महाराष्ट्र के पुणे के रहने वाले हैं। उन्हें साल 2011 में हैदराबाद स्थित सरदार वल्लभ भाई पटेल नेशनल पुलिस एकेडमी में पासिंग आउट परेड के दौरान तत्कालीन गृहमंत्री पी चिदंबरम ने सोर्ड ऑफ ऑनर दिया। वे बेस्ट ऑलराउंडर प्रोबेशनर रहे थे। उन्हें 2009 की सिविल सर्विस परीक्षा के फाइनल रिजल्ट में 2६9वीं रैंक मिली थी।

टाइट जींस कहीं नपुंसक न बना दे आपको

टाइट जींस कहीं नपुंसक न बना दे आपको

टाइट जींस के दीवाने अब जरा सावधान हो जाइये। कहीं कहीं टाइट जींस पहनते -पहनते आप नपुंसक न बन जाए। यह हमारा नहीं बल्कि हाल ही में हुए एक शोध का कहना है। ब्रिटेन में हुए इस शोध में इस बात का खुलासा हुआ है कि पुरुषों में टाइट जींस पहनने से स्पर्म घटता है और इसीलिए रोजाना जींस पहनने वाले पुरुष नपुंसक बन सकते हैं।

दरअसल, हाल में ब्रिटेन में हुए इसशोध में 513 ऐसे पुरुषों पर अध्ययन किया गया जो रेगुलर स्किन टाइट जीन्स पहनते थे और इस परीक्षण में पाया गया कि धीरे-धीरे उनके स्पर्म में कमी होने लगी। साथ ही यह भी पाया गया कि स्किन टाइट जीन्स से उन्हें एसटीडी (सेक्सुअली ट्रांस्मीटेड डिजीज) होने का खतरा भी ज्यादा बढ़ जाता है।

इस शोध के मुताबिक टाइट फिटिंग जीन्स से पुरुषों के कमर के नीचे के भाग और जांघों का शारीरिक तापमान ज्यादा अधिक रहता है जिसकी वजह से मांसपेशियों को ऑक्सीजन नहीं मिल पाती और टेस्टिकल्स में मौजूद स्पर्म खत्म होने लगते हैं। साथ ही नए स्पर्म बनने में भी दिक्कत होती है। इससे पहले हुए शोधों में यह बात भी साबित हो चुकी है कि टाइट जीन्स पहनने से पुरुषों और महिलाओं में युरीनरी ट्रैक और ब्लैडर से संबंधित संक्रमण एंव नर्व डैमेज की आशंका ज्यादा होती है।

कामरूप कामाख्या मंदिर,

कामरूप कामाख्या मंदिर,

भारत के उत्तर-पूर्व में असम की राजधानी है गुवाहाटी। गुवाहाटी का अर्थ हे-सुपारी का बाजार। अपने नाम के अनुरूप ही गुवाहाटी सुपारी क घर है। इसके अलावा यहां पर बहुत से धार्मिक स्थल है जैसे कामरूप कामाख्या मंदिर,भुवनेश्वरी, उमानंद मंदिर, जनार्दन मंदिर, नवग्रह मंदिर,वशिष्ठ आश्रम आदि अन्य प्रमुख दर्शनीय धार्मिक स्थल हैं। वैसे तो सभी स्थलों का अपना-अपना महत्व है मगर कामरूप कामाख्या शक्तिपीठ की महिमा का उल्लेख देवी भागवत महापुराण में इस प्रकार मिलता है कि भगवती कामाक्षी देवी का यह स्थान परम तीर्थ है, उत्कृष्ट तपस्थली के रूप में श्रेष्ठ धर्म का आधार है।
जहां परम गति मिलती है,यहां बहुत सरलता से तंत्र-मंत्र, जादू-टोना की सिद्धि मिलती है। यहां साक्षात भगवती विराजमान हैं। यहां के जल में स्नान करने की इतनी महिमा है कि ब्रह्म हत्या से भी मुक्ति मिल जाती है। देवीपुराण में कहा गया है कि साक्षात भगवान जनार्दन ही यहां जल, द्रव, रूप में विद्यमान हैं,भगवती कामेश्वरी की पूजा करने से पूर्व महापीठ कामाख्या के जल में स्नान करना चाहिए। पुराणों में ऐसा भी कहा गया है कि मानस कुंडादि में स्नान करने से तंत्रोक्त विधि से परमेश्वरी भगवती मां कामाख्या की पूजा, जप, हवन आदि करने से मनचाहा फल प्राप्त होता है।
यहां भगवती को बलि चढ़ाने की प्रथा आज भी निभाई जाती है,परअब धीरे-धीरे यह कम हो रही है। अब उसके स्थान पर कुछ कबूतरों को यहां मुक्त करके छोड़ दिया जाता है। देवी भागवत के सातवें स्कंध के अड़तीसवें अध्याय में कामाक्षी देवी का माहात्म्य बताते हुए कहा गया है कि इस समस्त भूमंडल में ये देवी का महाक्षेत्र माना गया है। इनके दर्शन, भजन, पाठ-पूजा करने से समस्त विघ्नों से शांति मिलती है।
आश्विन तथा चैत्र मास के नवरात्रि में यहां बहुत बड़े मेले का आयोजन होता है। कामाख्या मंदिर पहाड़ी पर बना हुआ है वापसी आने पर गुवाहाटी नगर के सामने ब्रह्मपुत्र नदी के बीच में उमानंद नामक छोटे चट्टानी टापू में शिव मंदिर मिलता है,जहां भगवान शिव का दर्शन करने के लिए नौका द्वारा जाना पड़ता है। उमानंद की मूर्ति को लोग भैरव यानी कामाख्या के रक्षक मानते है। गुवाहाटी का अन्य नाम कामरूप भी है क्योंकि पौराणिक ग्रंथों में बताया गया है कि कामदेव की पत्नी रति ने शिव जी की तपस्या करके उन्हें खुश किया और अपने पति को पुनर्जीवित करने का वरदान मांगा और साथ ही उसका रूप भी वापिस मांगा था।
एक अन्य कथा के अनुसार कामदेव ने इसी स्थान पर भगवान शिव की तपस्या भंग की थी और शिव जी ने अपने नेत्रों की अग्नि से कामदेव को भस्म कर दिया था तो इस स्थान का एक नाम भस्मास्थल भी है। कामरूप में सती की योनि गिरी थी। इसलिए असम को कामरूप क्षेत्र कहते है। इस पृथ्वी पर इक्यावन सिद्ध शक्तिपीठ है, उनमें कामरूप कामाख्या क्षेत्र मुख्य है। जिस स्थान पर भगवती सती के शरीर का भाग गिरा था, वहां पर वर्तमान में एक भव्य मंदिर है।
असम के राजा नर नारायण ने सन् 1565 में इस मंदिर को बनवाया था। इस मंदिर का नक्शा मधुमक्खी के छत्ते के आकार का बनाया
गया है। इस मंदिर की देवी कामाख्या को काली मां का रूप माना जाता है। यहां प्रात एवं सायं आरती होती है।

हनुमान जी की नारी प्रतिमा

हनुमान जी की नारी प्रतिमा
आज से दस हजार साल पुरानी बात है छत्तीसगढ़ के रतनपुर के राजा पृथ्वी देवजू हनुमान जी के भक्त थे। एक बार उनको कुष्ट रोग हो गया,जिससे वे निराश हो गये। एक रात राजा के स्वपन में हनुमान जी आए और मंदिर बनवाने के लिए कहा जैसे ही मंदिर का कार्य पूरा हुआ। हनुमान जी फिर से राजा के स्वपन में आए और अपने श्री रूप को महामाया कुण्ड से निकालकर मंदिर में स्थापित करने को कहा राजा ने वैसा ही किया।

हनुमान जी का यह श्री रूप दक्षिणमुखी है। यह संसार का इकलौता मंदिर है जहां हनुमान जी की नारी प्रतिमा की पूजा होती है। उनके बायें कंधे पर श्री राम और दायें पर लक्ष्मण जी बैठे हैं और पैरों के नीचे दो राक्षस है जैसे ही मंदिर संपूर्ण हुआ राजा को कुष्ट रोग से मुक्ति मिली। राजा ने हनुमान जी से प्रार्थना की कि वे लोगों की मुराद पूरी करने की कृपा करें तभी से हनुमान जी लोगों की मनोकामना पूरी कर रहे हैं।