मंगलवार, 31 जुलाई 2012

“अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।



“अरै घास री रोटी ही जद बन बिलावड़ो ले भाग्यो।
नान्हो सो अमर्यो चीख पड्यो राणा रो सोयो दुख जाग्यो।”
kl sethia


बचपन से ही अपने बड़ों से ये गीत हमेशा सुनता आया था जो सुनते ही जाने क्यूँ एक सिहरन सी दौड़ जाती पूरे बदन में और आँखों के सामने इतिहास के महान पात्र महाराणा प्रताप की छवि सदृश्य हो आती. शरीर में ओज भाव संचरित होने लगता. उस वक्त तक नहीं पता था कि ये कालजयी रचना किस महापुरुष की कलम से निकली है. जब स्वयं स्कूल में आया तो मुझे अच्छी तरह याद है वो कक्षा सात थी और यहीं से अपने कोर्स में इन महान शख्शियत के बार में पढ़ा, तभी से जहन से ये नाम कभी मिटा ही नहीं और वो नाम था राजस्थानी भाषा के भीष पितामह श्री कन्हैया लाल सेठिया का.

महाकवि श्री कन्हैयालाल सेठिया जी की राजस्थानी कविताएँ ना केवल राजस्थान बल्कि सम्पूर्ण देश में पढ़ी और सराही गईं. श्री सेठिया ही थे जिनकी इन कालजयी रचनाओं से राजस्थानी भाषा की गूँज देश के कोने-कोने तक पहुंची और उनकी कालजयी रचनाओं ने राजस्थानी भाषा को और अधिक पुष्ट करने के साथ-साथ हिंदी सहित अन्य क्षेत्रीय भाषाईयों का ध्यान राजस्थानी की और आकर्षित किया. इस महाकवि की कविताओं और गीतों ने राजस्थानी भाषा की मिठास और ओजपूर्ण अभिव्यक्ति से समूचे साहित्य जगत को आश्चर्यचकित कर दिया. इस सम्बन्ध में बालकवि बैरागी को भी कहना पड़ा “मैं महामनीषी श्री कन्हैयालालजी सेठिया की बात कर रहा हूँ। अमर होने या रहने के लिए बहुत अधिक लिखना आवश्यक नहीं है। मैं कहा करता हूँ कि बंकिमबाबू और अधिक कुछ भी नहीं लिखते तो भी मात्र और केवल ‘वन्दे मातरम्’ ने उनको अमर कर दिया होता। तुलसी – ‘हनुमान चालिसा’ , इकबाल को ‘सारे जहाँ से अच्छा हिन्दोस्तां हमारा’ जैसे अकेला एक गीत ही काफी था। रहीम ने मात्र सात सौ दोहे यानि कि चौदह सौ पंक्तियां लिखकर अपने आप को अमर कर लिया। ऎसा ही कुछ सेठियाजी के साथ भी हो चुका है, वे अपनी अकेली एक रचना के दम पर शाश्वत और सनातन है, चाहे वह रचना राजस्थानी भाषा की ही क्यों न हो।”



इतिहास कुछ भी कहे मगर ये शाश्वत सत्य है कि श्री सेठिया जी की राजस्थानी रचनाओं ने ही राजस्थानी भाषा को गंभीरतापूर्वक पढ़ने को उद्धृत करने के साथ-साथ अपनी कविता के माध्यम से राजस्थान के उस प्राचीन और गौरवशाली अतीत को भी इन पंक्तियों से जगाने का प्रयास भी किया -



किस निद्रा में मग्न हुए हो, सदियों से तुम राजस्थान् !

कहाँ गया वह शौर्य्य तुम्हारा,कहाँ गया वह अतुलित मान !

राजस्थानी भाषा के इस महान संत, भीष्म पितामह और महाकवि ने राजस्थानी के जो किया उसे आने वाली संकड़ों पीढियां कभी भुला नहीं पायेगी और युगों-युगों तक इस महान विभूति की कालजयी रचनाएँ ना केवल राजस्थानी बल्कि समूचे हिंदी साहित्य जगत को भी आलोकित करती रहेगी. ये बात और है कि पद्मश्री, साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा ज्ञानपीठ के मूर्तिदेवी साहित्य पुरास्कार से सम्मानित इस महाकवि ने राजस्थानी के लिये कभी ना भुलाए जाने वाला योगदान किया मगर अफ़सोस, स्वयं राजस्थान सरकार ने इस दिशा में कोई ठोस और प्रगतिशील प्रयास अब तक नहीं किया.

उन्ही द्वारा रचित गीत, जो राजस्थान की वंदना का पर्याय बन चुका है. जिसको सुनते ही पाँव नाचने को उद्धृत हो जाते हैं, नस-नस में उन्माद सा भर जाता है, हर आयु वर्ग को जो मदमस्त कर देने की क्षमता रखता है, जिसके बोल होठों से कभी लुप्त नहीं हो पाते, ऐसी कालजयी रचना अभी तक किसी और भाषा के कवियों में शायद ही कहीं देखने को मिली है जिसमे राजस्थान की मीठी बोली और रंग-रगीली संस्कृति की झलक तप्त रेगिस्तान में भी सावन की भीनी-भीनी बयारों सी गुदगुदाहट से भर देती है.

-नरेन्‍द्र व्‍यास
राजस्थानी भाषा समिति की समीक्षा बैठक संपन
अगला अभियान पेल्ली भाषा पछे वोट .....ओम पुरोहित कागद


बाड़मेर अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिति बाड़मेर के तत्वाधान में मंगलवार शाम को वरिष्ठ राजस्थानी साहित्यकार और राजस्थानी भाषा समिति के राष्ट्रीय प्रचारक ओम पुरोहित कागद की अध्यक्षता में स्थानीय डाक बंगलो में राजस्थानी भाषा अभियान की समीक्षा बैठक आयोजित की गयी .इससे पूर्व राजस्थानी भाषा बाड़मेर समिति द्वारा ओम पुरोहित का सम्मान किया गया .बैठक को संबोधित करते हुए ओम पुरोहित कागद ने कहा की राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता नहीं मिलाने का खामियाजा युवा वर्ग को भुगतना पद रहा हें उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा को राजनीति कारणों तथा बाहरी प्रान्तों के प्रभावशाली लोगो द्वारा सोची समझी रणनीति के तहत वंचित रखा जा रहा हें ,उन्होंने कहा की राजस्थानी भाषा का सम्रध इतिहास हें ,राजस्थानी महज भाषा नहीं हमारी संस्कृति और पहचान हें ,उन्होंने कहा की अपनी भाषा के आभाव में हम अपनी पहचान खोते जा रहे हें ,राजस्थानी के बिना राजस्थान की कल्पना बेमानी हें ,उन्होंने कहा की राजनेता वोट की भाषा समझते हें इस बार हम उन्हें उनकी भाषा में राजस्थानी का महत्त्व समझेंगे .उन्होंने कहा की अगला अभियान सुन ले नेता सगला डंके की चौत ,पेली भाषा पछे वोट की तर्ज पर चलेगा जिसमे जो नेता राजस्थानी भाषा के लिए आगे आएगा उन्हें ही समर्थन देंगे .इस अवसर पर समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष सांग सिंह लुणु ने कहा की भाषा के आभाव में हमारा समाज कई विक्रतियो के दौर से गुजर रहा हें ,उन्होंने कहा की एक मत से राजस्थानी भाषा को संवेधानिक मान्यता के लिए आवाज़ बुलंद करने की जरूरत हें ,बैठक को संबोधित करते हुए इन्द्र प्रकाश पुरोहित ने कहा की बाड़मेर से राजस्थानी भाषा को मान्यता के उठी आवाज़ संसद तक पहुंची हें ,इस अवसर पर डॉ लक्ष्मी नारायण जोशी ने कहा की राजस्थानी भाषा को आर टेट में शामिल करने के लिए अभियान चलाया जा रहा हें अगले चरण में पोस्ट कार्ड अभियान और धरने की योजना को मूर्तरूप दिया जा रहा हें .इस अवसर पर जोधपुर संभाग के उप पाटवी चन्दन सिंह बहती ने कहा की राजस्थानी भाषा की अलख जगाने की मशाल जो ओमजी ने बाड़मेर को पकड़ी उसे जन जन तक पहुँचाने का पूरा प्रयास किया गया जैसलमेर में भी अभियान शुरू किया गया .उन्होंने अब तक राजस्थानी भाषा को लेकर चलाये अभियान की जानकारी दी .इस अब्वासर पर जिला पाटवी रीडमल सिंह दांता ने राजस्थानी भाषा से युवा वर्ग के सक्रीय रूप से जुड़ने को उपलब्धि बताया .इस अवसर पर लोक गायक और समिति के सचिव फकीरा खान ने भी अपने संस्मरण सुनाये ,बैठक में मोटियार परिषद् के पाटवी रघुवीर सिंह तामलोर ,एडवोकेट विजय कुमार ,अशोक सिंह राजपुरोहित ,हिन्दू सिंह तामलोर ,भोम सिंह बलाई .सुलतान सिंह रेडाना ,दुर्जन सिंह गुडीसर,प्रकाश जोशी ,अनिल सुखानी ,अशोक सारला ,,तरुण मुखी ,रमेश इन्दा ,सहित कई कार्यकर्ता शमिलित हुए .कार्यक्रम का सञ्चालन दीप सिंह रणधा ने किया .इससे पूर्व स्थानीय लोक कलाकार फकीरा खान और उनके दल ने राजस्थानी लोक गीत प्रस्तुत कर सबका दिल जीत लिया ,

: फिर ग्रिड ठप, 14 राज्‍यों में बिजली गुल

LIVE : फिर ग्रिड ठप, 14 राज्‍यों में बिजली गुल


नई दिल्‍ली। केंद्रीय बिजली मंत्री सुशील कुमार शिंदे के लाख दावों के बावजूद 24 घंटे के अंदर ही नॉर्दर्न ग्रिड एक बार फिर से फेल हो गया है। इसके अलावा ईस्‍टर्न ग्रिड भी फेल हो गया है। जिसके कारण 14 राज्‍यों की बिजली एक बार फिर से गुल हो गई है। लखनऊ के कई इलाकों में बिजली गुल है तो चंडीगढ़ में बिजली गायब हो चुकी है। रेल सेवा पर खासा असर पड़ा है। उत्‍तर रेलवे में 78 ट्रेनें रुकी हैं। वहीं, दिल्ली में मेट्रो सेवा पूरी तरह ठप हो चुकी है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली समेत उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश और जम्मू एवं कश्मीर में बिजली गुल हो गई है। देश आठ राज्यों में बिजली की आपूर्ति बुरी तरह से प्रभावित है। प्रावर ग्रिड के प्रवक्‍ता का कहना है कि दो घंटों के भीतर जरूरी सेवाओं के लिए बिजली बहाल कर दी जाएगी।
 इससे पहले, नॉर्दर्न ग्रिड की फ्रिक्वेंसी फेल होने से उत्तर भारत के 9 राज्यों में रविवार-सोमवार की रात बिजली गुल हो गई थी। राजस्थान सहित दिल्ली,पंजाब, हरियाणा, हिमाचल, जम्मू कश्मीर, उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में बिजली व्यवस्था चरमरा गई थी, सोमवार दोपहर तक पटरी पर लौटी।

जर्मनी की होली

हमारे देश की होली अब सरहदें पार कर पश्चिम में भी पहुंच चुकी है। जर्मनी में रविवार को होली उत्सव का आयोजन किया गया। लगभग ३,००० लोगों ने रंगों से एक-दूसरे को सराबोर कर दिया। रंगों की व्यवस्था आयोजकों की ओर से मैदान पर ही की गई थी, हिस्सा लेने वालों के लिए टिकट की दर दो यूरो थी।

तीन बहनों ने मुख्यमंत्री के लिए बनाई 21 फीट लंबी राखी


तीन बहनों ने मुख्यमंत्री के लिए बनाई 21 फीट लंबी राखी


मुख्यमंत्री गहलोत के लिए आज जयपुर भेजेंगी राखी

जोधपुर हर साल दृष्टिहीन भाइयों की कलाई पर राखी बांधने वाली शहर की तीन बहनों ने इस बार मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के लिए 21 फीट लंबी राखी बनाई है। इन बहनों का कोई सगा भाई नहीं है। यह राखी मंगलवार को जयपुर रवाना की जाएगी।

प्रतापनगर गली नंबर एक निवासी सूरजमल पंवार की तीन पुत्रियों सरोज (24) सुमन (21) और संजना (12) ने मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपना आइडियल मानते हुए अपने हाथों से 28 दिन में 21 फीट लंबी राखी बनाई है। इस राखी को बनाने में उनके पिता सूरज और माता मुन्नीदेवी ने भी सहयोग किया। सरोज, सुमन और संजना का कहना है कि अशोक गहलोत सरकार ने महिलाओं के उत्थान में कई कल्याणकारी योजनाएं चलाकर उनका आत्मबल बढ़ाया है। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार उन्होंने अपने हाथों से इतनी बड़ी राखी बनाई है।




राखी का वजन 25 किलो
स्पंज, मखमल, सूती कपड़ा, जरी-गोटा, सलमा सितारे,आर्टिफिशियल हरे पत्तों व फूल से बनी इस राखी का वजन करीब 25 किलो है। राखी के बीच में भगवान श्रीकृष्ण की तस्वीर लगी है। राखी को कलाई पर बांधने के लिए तीन-तीन फीट के धागे बांधे गए हैं। पिता सूरज पंवार का कहना है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के नजदीकी लोगों से बात हो चुकी है। वह मंगलवार को राखी लेकर जयपुर जाएंगे।

हत्या के दो षडयंत्रकर्ता गिरफ्तार ,भीनमाल बंद

हत्या के विरोध में भीनमाल बंद

भीनमाल। टैक्सी चालक शंकर माली हत्याकांड के विरोध में व्यापारिक संगठनों व सामाजिक संगठनों के आह्वान पर सोमवार को शहर बंद रहा। बंद के दौरान शहर के बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। इसके बाद शहर के गणमान्य नागरिक व व्यापारियों ने शहर के शिवराज स्टेडियम में धरना-प्रदर्शन किया। करीब 12 बजे प्रशासनिक व पुलिस अधिकारियों से वार्ता के बाद धरना उठाया व शव का दाह संस्कार किया।

धरने को सम्बोधित करते हुए सांसद देवजी पटेल ने कहा कि ऎसे वारदातों का शिकार होने वाले परिवार को उचित न्याय मिलना चाहिए। वारदात को अंजाम देने वाले आरोपियों का पुलिस शीघ्र खुलासा करें। उन्होंने परिवार के प्रति संवेदना जताते हुए उसके परिवार को 51 हजार रूपए की आर्थिक सहायता देने की घोषणा की। इसके अलावा उन्होंने ऎसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए टैक्सी चालकों से टैक्सी यूनियन भवन बनाने व किराए पर ले जाने वाले लोगों के नाम पत्ते दर्ज करने की बात की।

उन्होंने टैक्सी यूनियन भवन के लिए सांसद कोष से तीन लाख रूपए देने की बात कही। शिवसेना प्रदेश प्रमुख शेखर व्यास ने कहा कि हत्याकांड पर पुलिस पर्दा डाल रही है। उन्होंने घटना की निष्पक्ष जांच कर आरोपियों को गिरफ्तार करने की बात कही। केके सेठ ने कहा कि शहर में दिनों-दिन अपराध बढ़ रहे हैं, लेकिन पुलिस महकमा अपराध पर नकेल नहीं कस पा रहा है।

रंजनीकांत वैष्णव ने ऎसी घटनाओं की पुनरावृत्ति पर नकेल कसने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करने का आह्वान किया। धरने को पूर्व पालिकाध्यक्ष जीएम परमार, पालिका उपाध्यक्ष जयरूपाराम माली, ओमप्रकाश खेतावत, किसान नेता भगवानाराम माली, रूपाराम माली व भभूताराम सोलंकी ने भी सम्बोधित किया। धरने पर खाद्य व्यापार संघ के भाजपा मीडिया प्रवक्ता पृथ्वीराज गोयल, अध्यक्ष नरेश अग्रवाल, भारताराम माली, भरतसिंह भोजाणी, गुमानसिंह राव, भंवरलाल सोलंकी, पारस चौहान, नाथू सोलंकी व मोहनलाल सेठ सहित सैकड़ों की संख्या में लोग मौजूद थे। 


हत्या के दो षडयंत्रकर्ता गिरफ्तार

भीनमाल। शहर के एलएमबी चौराहा से गत 20 जुलाई को लापता टैक्सी चालक की हत्या के षडयंत्र में शामिल दो जनों को सोमवार को पुलिस ने कुशलापुरा गांव से गिरफ्तार किया, जबकि हत्या के दो आरोपी व एक षड्यंत्रकर्ता अभी भी पुलिस गिरफ्त से दूर हैं। मृतक टैक्सी चालक का शव रविवार रात्रि को राजकीय अस्पताल की मोचर्री में रखवाया था। सोमवार को गणमान्य लोगों की मौजूदगी में परिजनों को शव सुपुर्द किया।

डीएसपी जयपालसिंह यादव ने बताया कि 20 जुलाई को शहर के एलएमबी चौराहा से शहर निवासी शंकरलाल माली को कुशलापुरा निवासी दीपाराम मेघवाल, बाड़मेर जिले के सांवलड़ा निवासी वक्ताराम चौधरी व श्रवण साटिया ने टैक्सी समदड़ी के लिए किराया पर ले गए। गाड़ी को लूट कर बेचने के इरादे से उन्होंने टैक्सी चालक की 21 जुलाई को गला दबाकर हत्या कर दी और गाड़ी को उदयपुर जाक र बेच दिया।

हत्या व लूट के षडयंत्रकर्ता कुशलापुरा निवासी नरपतसिंह पुत्र अजबसिंह व सत्यवीरसिंह उर्फ जग्गू को कुशलापुरा से गिरफ्तार किया। हत्या के षडयंत्र का आरोपी छगनलाल वैष्णव अभी भी पुलिस की गिरफ्त से दूर है। हत्या को अंजाम देने के आरोपी बाड़मेर जिले के सावलड़ा गांव निवासी वक्ताराम चौधरी व श्रवण कुमार साटिया भी फरार हैं। दूसरे आरोपियों को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस टीमें विभिन्न स्थानों पर भेजी गई हैं।

जैसलमेर बिखरे लोक संस्कृति के रंग



बिखरे लोक संस्कृति के रंग
जैसलमेर। जैसलमेर के सोनार दुर्ग का नजारा सोमवार को अलग ही नजर आया। यहां आध्यमिकता का माहौल था तो लोक संस्कृति के रंग भी बिखरे नजर आए। मौका था जैसलमेर के 857वें स्थापना दिवस का। सोमवार को जैसलमेर का स्थापना दिवस परंपरागत रूप से मनाया गया।

कार्यक्रमो का आगाज सोमवार सुबह भाटियों की कुल देवी मां स्वांगिया का पूजन कर किया गया। उसके बाद सोनार दुर्ग स्थित महारावल महल के स्वांगियां चौक में जैसलमेर की खुशहाली के लिए गायत्री यज्ञ हुआ, जिसमे मंत्रोच्चार के बीच आहुतियां दी गई। इस दौरान रानी महल मे दुर्ग स्थित राजमहल की छत पर ध्वज का पूजन किया गया। इस दौरान पूर्व महारावल बृजराजसिंह के मुख्य आतिथ्य मे आयोजित कार्यक्रमो मे शक्तिसिंह, रघुवीरसिंह, चंद्रप्रकाश श्रीपत, नवनीत व्यास, पृथ्वीपालसिंह, बालकृष्ण जोशी, दाऊलाल सेवक, विजय बल्लाणी, रेखा बल्लाणी, ललित गोपा, कैलाश जोशी, लक्ष्मीनारायण खत्री सहित कई गणमान्य लोग मौजूद थे।

प्रतियोगिता मे उत्साह
जैसलमेर शहर के विद्यार्थियो के लिए जैसलमेर के वन्य पशु-पक्षी शीर्षक से चित्रकला प्रतियोगिता व आपकी सोच में कल का जैसलमेर पत्र वाचन प्रतियोगिता हुई। चित्रकला प्रतियोगिता मे जहां विद्यार्थियो ने अपनी कल्पनाओ को साकार रूप प्रदान किया, वहीं पत्रवाचन प्रतियोगिता मे प्रतिभागियो ने जैसलमेर के वर्तमान स्वरूप को लेकर अपने विचार बयां किए। शाम को सोनार दुर्ग की अखे प्रोल चौक में मुख्य समारोह हुआ।

विशिष्टजनो का सम्मान
जैसलमेर के सोनार किले की तलहटी मे बने अखे प्रोल मे समारोह मे विशिष्ट जनो का सम्मान किया गया। इस दौरान जैसलमेर के संस्थापक महारावल जैसलदेव के पूजन से कार्यक्रम का श्रीगणेश किया गया। समारोह मे गत 32 वर्षो से मनाए जा रहे समारोहों का प्रतिवेदन पढ़ा गया। समारोह मे जिले के प्रतिभाशाली छात्रों को प्रतिभा पुरस्कार से नवाजा जाएगा, वहीं 24 व्यक्तियो का विशिष्ट सेवाओ के लिए सम्मान किया गया। सांयकालीन समारोह मे पुस्तक का विमोचन भी किया गया।

ये हुए सम्मानित
जैसलमेर के 8 57 वें स्थापना दिवस पर विनित खत्री, जीनू जॉन, भावना भाटी, अभिलाषा झा, कामिनी जंगा, स्वरूप पालीवाल, प्रवीण रतनु, प्रेमकुमार, रसीद खां, गुलाबसिंह, लीला, ममता गर्ग, प्रियंका पुरोहित, भानु कुमारी, साक्षी भाटिया, चन्द्रशेखर, ंअमितसिंह भाटी, भावना, पुरूषोत्तम गर्ग, कुलदीप चौहान, दीनाराम, भगवानदास, श्रवण कुमार, गौरव बिज्ज्छावत, पूर्णिमा जैन, देवेद्रसिंह को सम्मानित किया गया। इसके अलावा विशेष प्रतिभाओं मे जीनू जॉन, भीम पणिया, आनंद श्रीपत, दुष्यंत श्रीपत, ओमशिखा तंवर, हर्षुल बोहरा, कीर्ति जगाणी, पारस राजपूत, सुनैना राजपूत व जयश्री भाटी को सम्मान प्रदान किया गया।

इनके अलावा डॉ. ज्याçेत कंवर को महारावल जैसल पुरस्कार, प्रधानाध्यापिक रेणू व्यास को राजकुमारी रत्नावली पुरस्कार, कैप्टन आमसिंह भाटी को महारावल घड़सी वीरता पुरस्कार, आनंद जगाणी को महारावल हरिराज साहित्य पुरस्कार, देवीलाल सोनी को महारावल अमरसिंह कला पुरस्कार, महिपालसिंह भाटी को महारावल शालिवानसिंह पुरस्कार, मानव व्यास को महारावल जवाहिरसिंह पुरस्कार, हरीश सुथार को महारावल गिरधरसिंह पुरस्कार, किशनसिंह भाटी को महारावल रघुनाथसिंह पुरस्कार, बालकिशन जोशी को महारावल विशेष पुरस्कार, भगवानदास सोनी व वीरेन्द्रसिंह जोधा को महारावल विशेष पुरस्कार, पृथ्वीपालसिंह रावलोत को जैसलमेर पर्यटन पुरस्कार, मनोहरलाल पुरोहित को कवि तेज रम्मत कला पुरस्कार दिया गया। इसके अलावा मीरे खां, डॉ. रघुनाथ प्रसाद गर्ग, डॉ. दामोदर खत्री, अशोक दैया, रेंवतसिंह भाटी, ज्ञानचंद सोनी, अब्दुल खां , भवानी प्रताप चारण व डॉ. परेश जोशी को भी सम्मानित किया गया।

नागपुर मे भी मनाया स्थापना दिवस
जैसलमेर स्थापना दिवस को लेकर नागपुर मे रहने वाले जैसलमेर मूल के बाशिंदो मे भी उत्साह देखने को मिला। यहां महारावल जैसलदेव का पूजन किया गया और स्वर्णनगरी के ऎतिहासिक सोनार दुर्ग की तस्वीर का भी पूजन किया गया। इस दौरान नागपुर मे रहने वाले जैसलमेर जिले के बाशिंदो ने एक-दूसरे को जैसलमेर के स्थापना दिवस की बधाई भी दी।

जयपुर में स्कूली छात्रा से रेप

जयपुर में स्कूली छात्रा से रेप
जयपुर। महेश नगर नगर थाना इलाके में 12 वष्ाीüय छात्रा को बहला-फुसलाकर भगा ले जाने और बलात्कार करने का मामला सामने आया है। सोमवार को पीडिता के पिता ने इस संबंध में महेश नगर थाने में रिपोर्ट दर्ज करायी है।

आरोपी युवक मूलत: भरतपुर का रहने वाला है और यहां करतारपुरा में किराए के मकान में रह रहा था। बताया जाता है कि किशोरी ने खुद फोन कर घरवालों के अलवर में होने की जानकारी दी। नौवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा को उसी के घर की टवेरा गाड़ी चलाने वाला चालक संजय शर्मा भगा कर ले गया। आरोपी किशोरी को लेकर यूपी के नेपाल बॉर्डर और एमपी भी गया। जहां उसे कई होटलों मेे रखा।

वीर शिरोमणि दुर्गादास माई अहेड़ा पूत जण जेहड़ा दुर्गादास




वीर शिरोमणि दुर्गादास जयंती पर विशेष 

वीर शिरोमणि दुर्गादास माई अहेड़ा पूत जण जेहड़ा दुर्गादास

ख्यातो में दुर्गादास मारवाड़ के रक्षक की उपाधि से विभूशित राश्ट्रीय वीर दुर्गादास राठौड़ का व्यक्ति्व कृतित्व ना केवल ऐतिहासिक दृश्टि से उल्लेखनीय है बल्कि सामाजिक दृश्टि से भी अभिनन्दनीय है। वीर दुर्गादास इस जिले के गौरव पुरुश है। जिन्होने इतिहास रचा। मुगलो के दमन चक्र को कुचल कर मारवाड़ राजघराने का अस्तित्व बनाए रखा।
वीर दुर्गादास की कर्मभूमि के रुप में कोरना में (कनाना) का नाम प्रमुखता से लिया जाता है। सौभाग्य से कनाना बाड़मेर जिले का हिस्सा है। बाड़मेर जिले में जन्म लेकर वीर दुर्गादास ने बाड़मेर की धरा पर उपकार किया।
13 अगस्त 1638 को सालवा कला में द्वितीय सावन सुदी 14 वि.स. 1695 में उनका जन्म आसकारण जी के परिवार में हुआ। जोधपुर नरो जसंवतसिंह के सामान्त एवं सेना नायक का पुत्र होने को गौरव उनके साथ था।
सादगी पसन्द दुर्गादास बचपन से निडर थे। बहुप्रचलित कथानुसार जोधपुर महाराज जसवन्तसिंह के ऊट कनाना में उनके खेतो में घुस गए तथा फसले बरबाद करने लगे। विनम्रता से ऊट पालको को ऐसा करने से रोकने का आग्रह किया। पालकों न जवाब दिया कि महाराज जसवन्तसिंह जी के ऊट है। जहां चाहेंगे मुंह मारेंगे उन्हे कौन रोकेगा। कमर बन्द में लटकी तलवार की मूठ पर हाथ गया। तलवार म्यान से बाहर। एक ही झटके में ऊट का सिर धड़ से अलग होकर खेत की जमीन पर गिर पड़ा। ऊट पालक महाराज जसवन्तसिंह के दरबार में िकायत लेकर पहुंचे। महाराजसा ने उस बालक को बुलाया। बालक की स्पश्ट वादिता और निडरता देख अपनी सेवा में रख लिया स्पश्ट वादिता के चलते ही बालक दुर्गादास को उनके पिता आसकरण ने परित्याग किया था। दुर्गा घर से उपेक्षित था। 1665 में महाराज जसवन्तसिंह की सेना में आने के बाद मुगल साम्राज्य की खिदमत में उक्सर आते जाते रहे। इसी बीच मुगल सम्राट भाहजहां रुग्णता का िकार हुआ। उसके पुत्रो में उतराधिकार को लेकर संघशर प्रारम्भ हो गया। 16 अप्रेल 1658 को धरमत (उज्जैन) के युद्व में औरगंजेब और मुरा की संयुक्त सेना तथा महाराज जसवन्तसिंह के सेनापतित्व में बादाही सेना के बीच घमासान युद्व हुआ इस युद्व में वीर दुर्गादास ने अदम्य साहस, अद्वितीय रण कौाल भाौर्य का प्रदार्न कर अपनी धाक जमा ली।
रतन रासो में समकालीन कवि कुम्भकर्ण सान्दू ने लिख है कि वीर दुर्गादास ने एक के बाद एक चार घोड़ो की सवारी की जो मारे गए। अन्त में पांचवे घोड़े पर सवार हुए। उसके मर जाने पर घायल दुर्गादास रणभूमि में गिर पड़े मानो एक और भीश्म भार भौया पर लेटा हो वीर दुर्गादास का जीवन गाथाओं से भरा पड़ा है। महाराज जसवन्तसिंह को औरगंजैब से जमरुद पोावर अफगानिस्तान सैन्य चौकी पर थानेदार नियुक्त किया। महाराज की पोावर में 28 नवम्बर 1678 को मृत्यु हो गई। उनके मरणोपरांत लाहौैर में 19 फरवरी में 1679 में उसके पुत्रो का जन्म हुआ। इनमे दलथम्मा की यात्रा की दोरान मृत्यु हो गई मगर अजीतसिंह जीवित रहे। महाराज जसवन्तसिंह की मृत्यु के बाद जोधपुर पर आधिपत्य स्थापित करने की नीति औरगंजेब ने अपनाई। कट्टर साम्प्रदायिकता में विवास रखने वाले औरगंजेब ने अजीतसिंह को ाडयंत्र पूर्वक अपने पास बुला लिया मगर वापस जोधपुर नही भेजा। अजीतसिंह को बचाकर जसवन्तसिंह का वां जिन्दा रखने की जिम्मेदारी वीर दुर्गादास को सौपी।
वीर दुर्गादास ने अपने प्राणो को अजीतसिंह की रक्षा में झोंक दिया। औरगंजेब के विभिन्न ाड्यंत्रो व आक्रमणों का विफल कर अजीतसिंह को जीवित बचा कर जोधपुर राजसिंहासन सौंप दिया। अजीतसिंह स्वंय वीर दुर्गादास के सामने नतमस्तक हुए। वीर दुर्गादास जिसने जोधपुर रियासत के अस्तित्व को जिन्दा रखा। अदम्य साहस, भाौर्य व वीरता के प्रतिक दुर्गादास इतिहास में महाराणा प्रताप, छत्रपति िवाजी, नेपोलियन बोनापार्ट के समक्ष एक इतिहास पुरुश के रुप में अपनी गाथा आप बन गए। जिले का गौरव है कि वीर दुर्गादास ने बाड़मेर जिले के कनाना जो अपनी कर्म भूमि बनया। आज भी वीर दुर्गादास की गाथाये घरघर में गाई जाती है। यहा कहावत आज भी प्रचलित है। ॔॔ माई अहेड़ा पूत जण जेहड़ा दुर्गादास॔॔ दुर्गादास ने औरगंजेब के पौत्र पोत्री का अपहरण कर सिवाना की छप्पन पहाड़ियों में कैद कर रखा था। छप्पन पहाड़ियों के सिवानाहल्देवर मार्ग पर स्थित पीपलू गांव की पहाड़ी पर दुर्गादास ने औरगंजेब के पोते पोति का अपहरण कर कैद रखा मगर दुर्गादास ने औरगंजेब के पोते पोती को जो वात्सल्य दिया वह इतिहास में स्वर्णिम अक्षरो में दर्ज है।
पीपलू की पहाड़ी पर स्वंय दुर्गादास द्वारा बनाए ऐतिहासिक भवन खण्डहरो के रुप में तब्दील हो चुका है। सार सम्भाल के अभाव में ऐतिहासिक कमरे जिनमे दुर्गादास ने औरगंजेब के पोते एवं पोती काो िक्षा दी यहां एक बड़ा कमरा बनाया गया था। जिसके मध्य दीवार कर एक कमरे में औरगजेब के पोते तथा दूसरे कमरे में पोती को कैद रखां कमरे के बाहर बैठकर दुर्गादास ने दोनो को िक्षा दी। दुर्गादास ने उन दो की भाक्ल तक नही देखी। िक्षा देने बाद दुर्गादास ने दोनो को ससम्मान औरगंजेब को सौप दिया।--