शुक्रवार, 30 मार्च 2012

तेज़ाब हमले की शिकार पाकिस्तानी महिला ने 12 सालों बाद की आत्महत्या



एक पूर्व पाकिस्तानी नर्तकी जिसे एक भीषण एसिड हमले के बाद जीवन से संघर्ष करने के लिए छोड़ दिया गया था,ने एक दशक बाद आत्महत्या कर ली।

 

इस एसिड हमले में उसका चेहरा बुरी तरह विकृत हो गया था।

 



33 साल की फखरा यूनुस ने इटली की राजधानी रोम में एक छट्ठे माले की बिल्डिंग से कूद कर अपनी जान दे दी। 12 साल पहले उसपर हुए एसिड हमले में उसका चेहरा इस कदर विकृत हो गया था कि खुद यूनुस का कहना था कि वह देखने में इंसान नहीं लगती है।

 

मई 2000 में उस पर हुए हमले में उसका पूर्व पति बिलाल खार मुख्य अभियुक्त था। खार ने अपनी सास के घर घुसकर सोती हुई यूनुस के चेहरे पर तेज़ाब उढेल दिया था।



खार ने यह हमला यूनुस के उस वक़्त पांच साल के बेटे के सामने किया था। तेज़ाब हमले ने यूनुस को सांस लेने और जीवन से संघर्ष करने में असमर्थ बना दिया था।
 


यूनुस की नाक पूरी तरह से पिघल गई थी और पिछले एक दशक में अपने विकृत चेहरे के इलाज के लिए उसे 39 अगल-अलग शल्यचिकित्सा की प्रक्रियाओं से गुजरना पड़ा था ।



इस भयानक हमले में यूनुस के बाल भी जल गए थे,उसके होंठ पिघलकर एक दूसरे से जुड़ गए थे,उसकी एक आंख की रौशनी जाती रही,बायां कान नष्ट हो गया और उसके स्तन पिघल गए।



जब यूनुस को अस्पताल ले जाया गया था तो उस वक़्त उसने कहा था 'मेरा चेहरा मेरे लिए एक जेल है' जबकि हमले से बुरी तरह से डरे उसके बेटे ने कहा था,'यह मेरी मां नहीं है।'



घटना के बाद अपने इलाज को जारी रखने के लिए और रहने के लिए वह रोम चली गई थी।



लेकिन 17 मार्च को उसने अपनी जिन्दगी खत्म कर ली। अपने छोड़े गए सन्देश में यूनुस ने लिखा कि वह आत्महत्या,अत्याचार पर कानून की चुप्पी और पाकिस्तानी शासकों की असंवेदनशीलता पर कर रही हैं।



बिलाल खार को 2002 मे गिरफ्तार किया गया था और उसपर हत्या के प्रयास का आरोप लगा था। लेकिन पांच महीने बाद ही उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया।



खार एक पूर्व सांसद है और एक अमीर पाकिस्तानी राज्यपाल का बेटा है। बाद में उसपर लगाए गए आरोप से वह मुक्त हो गया। हालांकि उसका मामले से बेदाग़ बाहर निकल जाने पर कई लोगों का मानना है कि अपने परिवार का रसूख इस्तेमाल कर वह सजा से बच निकलने में कामयाब रहा ।



यूनुस के दुखद आत्महत्या की खबर आने के बाद भी खार अब भी हमले में किसी तरह से शामिल होने से इनकार कर रहा है। एक टेलीविजन इंटरव्यू में उसने कहा कि उसके नाम के किसी और व्यक्ति ने इस अपराध को अंजाम दिया है। खार ने दावा किया कि उसकी पूर्व पत्नी ने अपने आप को खत्म इसलिए किया क्योंकि उसके पास पर्याप्त रकम नहीं थी,ना कि उसके भयानक चोटों की वजह से।



एक महिला अधिकार संगठन,द औरत फाउंडेशन के मुताबिक पिछले साल पाकिस्तान में 8500 मामले एसिड हमले,जबरन शादी और महिलाओं के खिलाफ दूसरे प्रकार की हिंसा के मामले सामने आए।





पिछले साल पाकिस्तान सरकार ने नए कानून पेश किए जिसके तहत तेजाब हमलों को अपराध माना गया और हमला करने वाला अगर दोषी सिद्ध होता है तो उसे 14 साल की सजा होगी।



बिलाल खार के पिता की पूर्व पत्नी तहमीना दुर्रानी हमले के बाद यूनुस की वकील बन गई थी। उन्होंने कहा कि यूनुस ने इलाज से उबरने के बाद उनसे आग्रह किया था कि उसके हमलावर को सजा दिलाएं।



दुर्रानी ने कहा:'यूनुस ने कहा,'जब मैं वापस आउंगी,मैं केस को दोबारा खोलूंगी,और मैं खुद लड़ूंगी,'वह एक फाइटर थी।'



दुर्रानी ने कहा कि यूनुस का मामला पाकिस्तानी सरकार के लिए एक सबक होना चाहिए कि तेजाब के हमलों को रोकने और महिलाओं के प्रति अन्य प्रकार की हिंसा को रोकने और पीड़ितों की मदद करने के लिए बहुत कुछ किया जाना है।



दुर्रानी ने कहा 'मुझे लगता है कि पूरे देश को अत्यंत शर्मिंदा होना चाहिए कि एक विदेशी देश एक पाकिस्तानी नागरिक की 13 सालों तक जिम्मेदारी ली क्योंकि हम उसे कुछ नहीं दे सकें,न न्याय,न सुरक्षा।'

स्वांगिया माता के मंदिरमे उमड़ता है भक्तों का हुजूम


स्वांगिया माता के मंदिरमे उमड़ता है भक्तों का हुजूम


जैसलमेर। शहर से करीब छह किलोमीटर दूर स्थित गजरूप सागर क्षेत्र में नवरात्रि पर्व के दौरान श्रद्धालुओं की चहल-पहल देखने को मिल रही है। शहर के शोर-शराबे से दूर देवी मां के आश्रय में जो आत्मिक संतोष मिलता है, वह अन्यत्र दुर्लभ है। यही सोचकर इस धार्मिक स्थल पर नौ दिन मां स्वांगिया देवी के मंदिर में श्रद्धालुओं का तांता दिन भर लगा रहता है।

यूं तो गजरूप सागर स्थित स्वांगिया माता के मंदिर को लेकर लोगों में प्रगाढ़ आस्था है और विशेष अवसरों पर लोग यहां सपरिवार दर्शनार्थ पहुंचते हैं, लेकिन नवरात्रि के दिनों में यहां का माहौल अलग ही देखने को मिलता है। यहां हर दिन आयोजित होने वाले धार्मिक कार्यक्रमों में श्रद्धा व आस्था का ऎसा वातावरण तैयार होता है कि लोग भक्ति के रस से सराबोर होने से खुद को नहीं रोक पाते। सुबह व शाम की आरती में देवी के दर्शन करने शहर से बड़ी संख्या में लोग यहां पहुंचते हैं।

पहाड़ी क्षेत्र पर स्थित मंदिर में देवी मां के चमत्कारों पर लोगों का इतना विश्वास है कि वे परेशानियां या विपत्ति आने पर यहां धोक देने पहुंचते हंै और मन मांगी मुराद पूरी होने पर दर्शन करना नहीं भूलते। कई लोग आरती से पहले शहर से पैदल चलकर यहां आते हैं। कालेडूंगराय मंदिर के दर्शन करने के बाद गजरूप सागर माता के दर्शन करने भक्त अवश्य आते हैं। यह मान्यता है कि स्वांगिया माता के आश्रय मे जैसलमेर शहर पूरी तरह से सुरक्षित हैं।

बाड़मेर में 499328 बच्चे

बाड़मेर में 499328 बच्चे

बाड़मेर। जनगणना 2011 के आंकड़ों ने बाड़मेर जिले में बेलगाम बढ़ती आबादी को लेकर चिंतित कर दिया है। जनगणना कहती है कि प्रदेश में छह वर्ष तक के बच्चों की वृद्धिदर में में भी जैसलमेर के बाद बाड़मेर का नंबर आ रहा है। दोनों जिलों में कोई खास फर्क नहीं है। बाड़मेर में वृद्धिदर 19.17 प्रतिशत रही है और जैसलमेर में 19.40 फीसदी। बाड़मेर में 499328 बच्चे छह वर्ष तक की उम्र के है।

सख्त भी हुए
2001 से 2011 तक जनसंख्या वृद्धि पर लगाम के लिए कई नियम सामने आए। दो से ज्यादा बच्चों पर कर्मचारियों की पदोन्नति रोकने, दो से ज्यादा बच्चों पर सरकारी नौकरी की पाबंदी, जनप्रतिनिधियों के लिए दो से ज्यादा बच्चे होने पर चुनाव नहीं लड़ने की पाबंदी लगाई गई है।

सरकारी खर्च दुगुना
परिवार नियोजन के साथ ही जननी सुरक्षा योजना में भी करोड़ों रूपए आबादी को कम करने के ध्येय से खर्च हो रहे है। गांवों में आशा सहयोगिनियों, आंगनबाड़ी कार्यकत्ताüओं की नियुक्ति कर इस कार्यक्रम को गति दी गई है। इसके अलावा नसबंदी का जिले का लक्ष्य ढाई हजार से ग्यारह हजार तक पहुंच गया है। इस सबके बावजूद वृद्धि दर पर नियंत्रण नहीं हो रहा है।

निरक्षता मुख्य कारण
बच्चों की संख्या में इजाफा का मुख्य कारण अशिक्षा है। जिले में अभी तक साक्षरता दर साठ प्रतिशत के करीब है। इसमें भी पढ़े लिखे बीस प्रतिशत ही है,शेष मात्र साक्षर। ऎसे में अस्सी फीसदी लोगों को आबादी नियंत्रण को लेकर समझाना मुश्किल हो रहा है।

हर साल समीक्षा हो
छह वर्ष तक के बच्चों की हर वर्ष समीक्षा हों। आंगनबाड़ी और विद्यालय उचित माध्यम है। वृद्धिदर घटे इसके लिए गांव ढाणी में लगातार जागरूकता रखी जाए। तभी वृद्धिदर का ग्राफ रूकेगा।
- जैसलसिंह खारवाल,सेवानिवृत्त शिक्षक

नई सोच होगी
ज्यादा वृद्धि दर ने जिले में इस बार नई सोच के साथ कार्यक्रम को आगे बढ़ाना होगा। इसके लिए सामाजिक स्थिति व मान्यताओं के साथ चलते हुए कई भ्रम तोड़ने होंगे साथ ही नसबंदी के अलावा अन्य संसाधनों की ओर ध्यान दिया जाएगा। आबादी नियंत्रण पर पूरे प्रयास किए जाएंगे।- डा. अजमल हुसैन,मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी

अब सोच जगी है
वास्तव में लोगोे में छोटे परिवार की सोच अब जगी है। गांव गांव में बच्चों को शिक्षा से जोड़ने की जो रफ्तार सामने आ रही है वह साबित करती है कि आगामी समय में कम बच्चों को लेकर ग्रामीण लोगों की सोच बदलेगी। पिछले दशक में जागरूकता का यह दौर नहीं था।
- डा. गणपतसिंह राठौड़,सेवानिवृत्त चिकित्साधिकारी

28 नर्सिग कॉलेजों पर एसीबी ने मारा छापा

28 नर्सिग कॉलेजों पर एसीबी ने मारा छापा

जयपुर /जोधपुर ।भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने नर्सिग कॉलेजों के खिलाफ एक माह में दूसरी बड़ी कार्रवाई करते हुए गुरूवार को राज्य के सात जिलों में 28 नर्सिग कॉलेजों में छापे मार कर आकस्मिक जांच की। इनमे जयपुर के सबसे अधिक 10 कॉलेजों समेत जोधपुर के नौ, कोटा के दो, उदयपुर व अलवर के तीन-तीन, भरतपुर के एक कॉलेज की आकस्मिक जांच की।

एसीबी के डीआईजी गोविन्द नारायण पुरोहित ने बताया कि सभी नर्सिग कॉलेजों के मान्यता संबंधित दस्तावेज जब्त किए हैं और मौजूद स्टॉफ, भवन व सुविधाओं का जायजा लिया गया है। कई कॉलेजों में अनियमितताएं मिली हैं। इनको मापदंडों की अनदेखी कर मान्यता दी गई। उल्लेखनीय है कि एसीबी ने करीब दो सप्ताह पहले राज्य के 24 जिलों में 52 नर्सिग कॉलेजों की जांच की थी।

राजधानी में इनकी जांच
मानसरोवर के श्रीविनायक इंस्टीट्यूट एंड मेडिकल टेक्नोलॉजी कॉलेज, विद्याधर नगर के सोनी कॉलेज ऑफ नर्सिग, कालवाड़ रोड पर बियानी कॉलेज ऑफ नर्सिग व कृष्णा स्कूल ऑफ नर्सिग, सांगानेर के राजस्थान कॉलेज ऑफ नर्सिग, कैलाशपुरी के दुर्गा कॉलेज ऑफ नर्सिग व इस कॉलेज की जगतपुरा व जयपुर के पास मनोहरपुर कस्बे में संचालित शाखाओं पर, पालड़ी मीणा के तिलक इंस्टीट्यूट ऑफ नर्सिग मेडिकल साइंसेज, आगरा रोड पर बगराना बस्ती के पास एम.एस. कॉलेज ऑफ नर्सिग व चौमूं के राघव मेडिकल कॉलेज व फुलेरा के कृष्णा स्कूल ऑफ नर्सिग की जांच की गई।

4 वर्ष की डिम्पल को पोलियो!

4 वर्ष की डिम्पल को पोलियो!

ब्यावर (अजमेर)।भले ही डब्ल्यूएचओ ने भारत का नाम पोलियोग्रस्त देशों की सूची से हटा दिया हो, लेकिन इससे इतर अजमेर जिले के ब्यावर में अमृतकौर चिकित्सालय में डिम्पल (4) के कथित रूप से पोलियो के लक्षण मिले हैं।

चिकित्सालय के पल्स पोलियो प्रभारी डॉ. मनोहर गुरनानी ने बताया कि बालिका के रक्त व मल के नमूने अहमदाबाद प्रयोगशाला जांच के लिए भिजवा दिए हैं। रिपोर्ट आने के बाद ही स्थिति साफ हो सकेगी। डिम्पल बलाड़ रोड स्थित शिव कॉलोनी में रहती है।

लड़खड़ाते हुए गिर पड़ी
डिम्पल गत 21 मार्च को घर में खेलते वक्त गिर गई। इस पर मां राधा ने उसके पैरों की मालिश की। अगले ही दिन डिम्पल बाथरूम में गिर गई और बुखार भी चढ़ा। जांच में चिकित्सक को डिम्पल के पैरों व हाथों की पकड़ कुछ कम होने के लक्षण दिखे और उसे अमृतकौर रेफर कर दिया।