सोमवार, 19 अप्रैल 2010

barmer news track



बाडमेर।जिला कलक्टर गौरव गोयल ने जिले में पेयजल की आपूर्ति में लापरवाही बरतने पर कडी कार्यवाही करने तथा अपने कर्तव्य के प्रति कौताही बरतने वाले कार्मिकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सख्त हिदायत दी है। वे शनिवार शाम जिले में पेयजल आपूर्ति की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने निर्देश दिए कि टैंकरो से स्वीकृत पेयजल परिवहन वाले स्थानों पर शत प्रतिशत जलापूर्ति आरम्भ हो जानी चाहिए। उन्होंने पेयजल परिवहन में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध कडी कार्यवाही के निर्देश दिए तथा पेयजल परिवहन आरम्भ नहीं करने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध जुर्माना लगाने तथा उन्हें प्रतिबंघित करने की हिदायत दी ताकि पानी की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो।
गोयल ने जिले में जलदाय विभाग को क्षेत्रीय योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की तथा उन्होंने जल स्त्रोतो, पानी की गुणवता तथा इसकी जांच की व्यवस्था की भी जानकारी ली। समय समय पर पानी की गुणवता की जांच के लिए इसके नमूने लेकर प्रयोगशाला में भेजने व अवैध जल कनेक्शन हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने कन्टीजेन्सी प्लान के प्रथम चरण के कार्यो की समीक्षा की तथा द्वितीय चरण में ट्यूब वेल खुदाई के कार्य की प्रगति की समीक्षा की। जलदाय विभाग के अघिकारियों से जलापूर्ति योजनाओं के अन्तिम छोर तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित करने को भी कहा।
जिला कलक्टर ने धरातल स्तर पर लापरवाह फीटर, हेल्पर, बेलदार व अन्य कार्मिकों द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति कौताही बरतने पर उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए। जलापूर्ति से संबंघित जलदाय विभाग अघिकारियों तथा तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों को बिना सक्षम अनुमति के अपना मुख्यालय नहीं छोडने के लिए पाबन्द किया।





कांगे्रस सरकार अल्पसंख्यक विरोधी: धोलिया



बाडमेर। राज्य की कांग्रेस सरकार अल्पसंख्यक विरोधी है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया। कांग्रेस को समर्थन देने का ही नतीजा है कि मुसलमान गरीब, अशिक्षित, बीमार और बेरोजगार है। यह आरोप मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हिदायत खां धोलिया ने शनिवार को बाडमेर में संवाददाताओं से बातचीत में लगाए।
धोलिया ने कहा कि पिछले शैक्षिक सत्र में पचासी हजार मदरसा विद्यार्थी शिक्षकों के अभाव में परीक्षा नहीं दे पाए। आज भी यह स्थिति है कि राज्य के एक हजार मदरसों में एकल शिक्षक तक नहीं है। राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आते ही उन्होंने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया, लेकिन कांग्रेस अभी तक मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष पद किसी को नियुक्त नहीं किया है। यही स्थिति अल्पसंख्यक आयोग, हज बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड की भी है। इन पदों पर किसी को दायित्व नहीं सौंपे जाने से अल्पसंख्यकों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है।
धोलिया ने बताया कि सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की थी कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन होगा, लेकिन अभी तक यह घोषणा भी अधूरी ही है। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस के दस अल्पसंख्यक विधायकों में कोई इस योग्य नहीं है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का कार्यभार संभाल सके। पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हकीकत यह है कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों को पिछडा ही रखना चाहती है ताकि वे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किए जाते रहे।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को यह बात समझनी चाहिए कि वास्तव में उनका हितैषी कौन है। धोलिया ने दावा किया कि राज्य में वसुंधरा राजे के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के हित में कार्य हुआ। इस अवसर पर मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी के सदर अशरफ अली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने समाज की ओर कभी ध्यान नहीं दिया।
भाजपा के मुस्लिम नेताओं ने पिछले पांच वर्ष में जो कार्य करवाए, वह कांग्रेस के मुस्लिम नेता साठ वर्ष में भी नहीं करवा सके। उन्होंने बताया कि भाजपानीत पालिका बोर्ड के समय में समाज के लिए करीब सवा करोड रूपए के कार्य हुए।



खेजडी से झूलकर आत्महत्या की



चौहटन। चौहटन थानान्तर्गत धनाऊ गांव में एक व्यक्ति ने खेजडी के पेड से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। थानाघिकारी कैलाशदान ने बताया कि मोडाराम पुत्र ताजाराम निवासी धनाऊ ने रिपोर्ट पेश की कि उसका चचेरा भाई हरखाराम पुत्र अन्नाराम मानसिक रूप से अस्वस्थ था।
इसने शुक्रवार आधी रात को खेजडी के पेड से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। थानाघिकारी ने बाया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पेड से नीचे उतरवाया तथा पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया है।

आपदा प्रबंधन कार्य नौ दिन चले अढ़ाई कोस
बाड़मेर

जिले में आपदा प्रबंधन के इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रहे हैं। अकाल प्रभावित गांवों में से अभी तक एक केवल चौथाई में ही पशु शिविर स्वीकृत हो पाए हैं। इनमें से भी करीब 40 फीसदी शिविर तो स्वीकृति के चालू ही नहीं हुए। वहीं कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति विफल साबित हो रही है। आधे से अधिक स्थानों पर स्वीकृति के बावजूद टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में गांवों व ढाणियों में चारा-पानी के हालात और अधिक विकट हो गए हैं। अकाल की विकट घड़ी में आपदा प्रबंधन के इंतजाम विफल साबित हो रहे हैं।

जिले में भीषण अकाल की मार झेल रहे अकाल पीडि़तों केलिए सरकारी सहायता दूर की कौड़ी साबित हो रही है। प्रशासन ने अकाल प्रभावित गांवों में कुल 347 पशु शिविर स्वीकृत कर रखे हैं। इनमें से 119 पशु शिविर तो स्वीकृति के बाद भी शुरू नहीं हो पाए। दुखद पहलू यह है कि अभी तक सभी पंचायत मुख्यालयों पर शिविर मंजूर ही नहीं हो पाए हैं। गांवों व ढाणियों में चारे का संकट खड़ा हो गया है, हालात यह है कि महंगे दामों पर भी पशुपालकों को चारा नहीं मिल रहा। दूसरी तरफ गर्मी के मौसम में कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति के टेंडर तो मार्च 2010 में ही जारी हो गए थे, लेकिन संबंधित ठेकेदार गांवों व ढाणियों में नियमित जलापूर्ति करने में विफल साबित हो रहे हैं। अभी तक 296 कमीशंड व 236 नॉन कमीशंड गांवों-ढाणियों में एक भी टैंकर नहीं पहुंचा। पचपदरा तहसील क्षेत्र में नॉन कमीशंड 106 स्थान स्वीकृत हैं। इनमें से एक भी स्थान पर टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। करीब पचास फीसदी स्थानों पर जलापूर्ति शुरू नहीं होने से गर्मी के मौसम में पेयजल की भीषण समस्या खड़ी हो गई है।

चारा-पानी खरीदें या परिवार पालें

अकालग्रस्त गांवों में चारा-पानी की समस्या ग्रामीणों के लिए चुनौती बनी हुई है। गांवों में कुतर व ग्वारटी 400 रुपए प्रति मण के भाव बिक रहा है। वहीं पानी के लिए एक टैंकर के चार सौ से पांच सौ रुपए देने पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में अकाल की घड़ी में परिवार का पालन पोषण करें या पशुओं के लिए चारा-पानी का इंतजाम।


जिले के 2175 गांव अकाल की चपेट में हैं, लेकिन अभी तक महज ३४७ गांवों में ही पशु शिविर स्वीकृत हुए हैं। शेष 1८२८ गांवों में शिविरों की स्वीकृति मिलने का इंतजार है। गौवंश संरक्षण का दावा महज दिखावा साबित हो रहा है। हकीकत यह है कि अभी तक तो कई पंचायत मुख्यालयों पर ही पशु शिविर स्वीकृत नहीं हो पाए हंै।

'सरपंच शुरू नहीं कर रहे पशु शिविर

ञ्च ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर पशु शिविर स्वीकृत कर दिए गए हैं, लेकिन सरपंच शिविर शुरू नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में उपखंड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम सेवकों से पशु शिविर शुरू करवाएं। कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति में लेटलतीफी करने वाले ठेकेदारों को नोटिस जारी कर दिए हैं। शीघ्र ही दूसरे ठेकेदारों को जलापूर्ति की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।

हनुमानसहाय मीणा, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, बाड़मेर

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राजस्थान जल माफिया बेचते है करोड़ों का अवैध पानी

रेगिस्तान में पानी का करोड़ो का कारोबार अवियवसनीय जरुर लगता है, किन्तु सत्य है. पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर मे जिले में पेयजल संकट से जूझते आम जन के लिए पीने का पानी जहां एक बड़ा संकट है, वहीं इन जल माफियों के लिए आमदनी का जरिया बना हुआ है. एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि सभी गांवों में पानी पहुंचाया जा रहा है, दूसरी तरफ हकीकत में ग्रामीणों को पेयजल की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. गांवों में पेयजल योजनाएं ठप्प पड़ी है. ट्रैक्टर के पहियों पर पानी के करोड़ों रुपयों के अवैध कारोबार का धन्धा सरकारी कर्मचारियों की मेहरबानी से निर्बाध चल रहा है.
लगातार छः सालों से पड़ रहे अकाल ने कोढ में खाज का काम किया है. मानसून मेहरबान होता है, तो साल के चार महीनों में पानी के लिए मारामारी खत्म हो है जाती. लेकिन, आठ माह में पेयजल संकट से ग्रस्त गांवों में रहने वाले लोगों को पानी खरीद कर ही पीना पड़ता है शेष. इस बार बरसात के अभाव में निरन्तर पेयजल संकट रहा है. सर्दी के मौसम में भी ट्रैक्टर से पानी विपणन का कार्य चरम पर रहा. अमूमन गर्मियों में एक टैंकर पानी की कीमत चार सौ रुपए होती है, इस बार सर्दियों में भी एक ट्रैक्टर पानी की कीमत 550-600 रुपये है. जल माफिया इतने दुस्साहसी है कि अपने व्यवसाय में तेजी लाने के लिए सरकारी कारिन्दों से मिलीभगत कर सरकारी योजनाओं को ठप्प करवा देते है.
ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरीवश मुंहमांगी कीमतों पर पेयजल टैंकर मंगवाने पड़ते है. माफिया स्थानीय कर्मचारियों के साथ मिलकर तकनीकी गड़बडि़यां कराते है, लेकिन जल विभाग के आला अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते. ऐसा ही एक माजरा नया मलवा में सामने आया. इस गांव की पाइप लाइन पिछले छह माह से बाधित है. ग्रामीण लम्बे समय से जिला कलेक्टर, विधायक तथा अधिशासी अभियंता तक को कई मर्तबा शिकायतें करने के बावजूद पाइप लाइन दुरुस्त नहीं पाई हो. ग्रामीण आज भी 600 रुपये देकर पानी के टैंकर मंगवा रहे है. पाक सीमा से सटे सैकड़ों गांवों में इस तरह पाइप लाइनें बाधित पड़ी है. गांवों में पेयजल संकट के कारण ग्रामीणों की हालात खराब है. ग्रामीणों को पानी के उपभोग में कंजूसी करने के बावजूद भी सामान्यतः - पांच छः सदस्यों एवं एक - दो पशु रखने वाले वाले परिवार को प्रति माह एक टैंकर खरीदना ही पड़ता है.
पीरे का पार गांव निवासी श्रीमती शहदाद ने बताया कि बरसात के समय टांकों में - तीन चार माह का पानी आ है जाता, जिसके चलते पेयजल संकट से कुछ राहत मिलती है. मगर, बार बरसात के अभाव में टांके सूखे पड़े हैं इस. भेड़ पालन का काम होने के कारण एक माह में लगभग तीन टैंकर पानी डलवाना ही पड़ता है. एक टैंकर पानी की कीमत 550-600 रुपये अदा करनी पड़ती है. साल भर मे लगभग तीस हजार रुपये का पानी खरीदना पड़ता है. जिले में सतही पारम्परिक जल स्रोतों, जैसे - तालाब, बेरी, कुएं, टांकों से उपलब्ध होता है. इन स्रोतों में बरसात का पानी संग्रह कर रखा जाता है. - भू जल के रुप में कुछ स्थानों पर कुओं, ट्यूबवेलों से गुणवतायुक्त पीने का पानी उपलब्ध होता है. पीने योग्य भूजल वाले क्षेत्रों में अधिकतर किसानों के निजी ट्यूबवेल तथा कुएं हैं.
किसान इस पानी को कृषि सिंचाई के लिए उपयोग करने के अतिरिक्त - ट्रैक्टर टैंकर वालों को बेच देते हैं. किसान एक - टैंकर ट्रैक्टर की भराई कीमत 100-150 रुपए में करवाते हैं. इस प्रकार निजी ट्यूबवेल व कुओं के मालिक भूजल दोहन कर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. वहीं, ट्रैक्टर - टैंकर मालिक उसी पानी का गांवों तक परिवहन 350-700 रुपए तक वसुलते हैं कर. जल माफिया आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप में इतने प्रभावी हैं कि उन्हें सार्वजनिक पेयजल स्रोतों से टैंकर भरने से रोकने का साहस कोई नहीं पाता कर. जिले में लगभग 15 हजार टैंकर है.
बाड़मेर जिले में विभिन्न सरकारी योजनाओं में लगभग आठ लाख टांके बने हुए हैं, इसके बावजूद पेयजल संकट यथावत है. जिला परिषद सदस्य रिड़मलसिंह दांता के अनुसार जन स्वास्थ्य विभाग को पेयजल योजनाओं पर खर्चा बन्द कर देना चाहिये. जिले में अरबों रुपये इन पेयजल योजनाओं पर व्यय किए गए हैं, मगर आहतों को आज तक राहत नहीं मिल पाई है. उनके अनुसार पेयजल आपूर्ति का कार्य ठेके पर दे देना चाहिये. ग्रामीणों को पानी खरीद कर ही पीना है, तो विभाग पर अनावश्यक खर्चा क्यों?
इधर, सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला कलेक्टर हनुमान सहाय मीणा ने बताया कि प्रशासन अपने स्तर पर जल माफियों पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहा है इस. प्रशासन ने आपदाग्रस्त गांवों में टैंकरों से पानी उपलब्ध करवा रहा है. विभागीय हाईडेंट प्वाईंटों पर निजी टैंकरों की भराई पर प्रतिबन्ध लगा रखा है. अधिशासी अभियंता डी.सी. विश्नोई ने बताया कि विभाग पूरा प्रयास कर रहा है कि ग्रामीण पेयजल योजनाएं तंदुरुस्त हो. इस सम्बन्ध में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त हिदायत दे रखी है. सरकारी योजना के पेयजल स्रोतों से निजी टैंकरों को पानी भरने पर प्रतिबन्ध लगा रखा है.

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रविवार, 18 अप्रैल 2010

राजस्‍थान: जल माफिया बेचते है करोड़ों का अवैध पानी

राजस्‍थान: जल माफिया बेचते है करोड़ों का अवैध पानी

‘हरे रेगिस्‍तान’ के लिए संकल्पित किन्‍नर लीलाबाई को सलाम

‘हरे रेगिस्‍तान’ के लिए संकल्पित किन्‍नर लीलाबाई को सलाम

barmer news today



ÕæÇU×ðÚUÕगुप्तचर राजस्व निदेशालय की टीम ने दो साल पहले पाकिस्तान से नकली नोट मंगवाने के आरोपी करम अली को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया। दिल्ली निवासी करम अली शुक्रवार को समझौता एक्सप्रेस से भारत लौटा था।

उसे निदेशालय की टीम ने अमृतसर स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया। शनिवार को उसे जोधपुर में आर्थिक अपराध न्यायालय में पेश किया गया, जहां से उसे जेल भेज दिया गया। इस बीच शनिवार को आई थार एक्सप्रेस में फिर एक यात्री से सौ-सौ रुपए के दस नकली नोट मिले। जयपुर निवासी बुद्धन खां यह नोट लेकर आया था।

निदेशालय के सूत्रों ने बताया कि नवंबर 2008 में साफड़ी बुलंदशहर निवासी अजदी और उसका बेटा अजहर थार एक्सप्रेस से पाकिस्तान से आ रहे थे। मुनाबाव स्टेशन पर तलाशी में उनके पास चप्पलों व जूतों के सोल में छिपा कर रखे 19.50 लाख रुपए के भारतीय करेंसी के नकली नोट बरामद हुए थे।

अजदी और अजहर ने बताया कि करम अली ने उसे पाकिस्तान स्थित अपने रिश्तेदार से नकली नोट लाने भेजा था। वह कराची से नकली नोट लेकर आ रही थी कि मुनाबाव पर पकड़ी गई। दोनों को बाद में सजा भी हो गई। इस बीच करम अली की तलाश जारी रही। इधर निदेशालय को सूचना मिली कि शुक्रवार को करम अली पाकिस्तान से लौट रहा है। इस पर जोधपुर से गई निदेशालय की टीम ने शुक्रवार को उसे अमृतसर पर पकड़ लिया।




आग से दस फैक्ट्रियां जली
बालोतरा

शहर के औद्योगिक क्षेत्र प्रथम चरण में शनिवार शाम एक फैक्ट्री में लगी आग ने देखते ही देखते दस फैक्ट्रियों को चपेट में ले लिया। दमकल के डेढ़ घंटे देरी से पहुंचने व तेज हवा चलने के कारण एक फैक्ट्री में लगी आग तेजी के साथ दस फैक्ट्रियों तक फैल गई। दो घंटे की कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया जा सका। इस आग में किसी तरह की जनहानि नही हुई, मगर करोड़ों रुपए का कपड़ा व मशीनरी जलकर खाक हो गए।

शनिवार सांय करीब सवा पांच बजे औद्योगिक क्षेत्र प्रथम चरण स्थित महेश फैब्रिक्स में लगे गे प्लांट (अडाण) में आग लग गई। तेज हवा के कारण आग ने क्षेत्र की अन्य फैक्ट्रियों को भी चपेट में ले लिया। मजदूर चिल्लाते हुए बाहर भागे और फैक्ट्री मालिकों ने फायर ऑफिस व प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी। पुलिस तो मौके पर पहुंच गई मगर एक दमकल सिवाना क्षेत्र में लगी आग बुझाने व दूसरी उदयपुर रिपेयरिंग में गई होने से दमकल समय पर नहीं पहुंच पाई। आनन-फानन में उदयपुर से दूसरी दमकल वाहन को भी मंगवाया गया, इसके अलावा जोधपुर से दो गाडिय़ां मंगवाई । इस आग में महेश फैब्रिक्स के अलावा एमआर टेक्सटाइल, माधव टेक्सटाइल, हेमा टेक्सटाइल, वर्धमान, विनय फैब्रिक्स, नेमिनाथ टेक्सटाइल व ममता डाइंग में भी नुकसान हुआ। सबसे अधिक नुकसान मातुंगी कॉटन व महेंद्रा टेक्सटाइल फैक्ट्री में हुआ। इन फैक्ट्रियों में तैयार कपड़े के थानों के अलावा मशीनरी आदि भी जलकर खाक हो गए। आग में सभी दस फैक्ट्रियों में करोड़ों रुपए का कपड़ा, सामान आदि जलकर खाक हो गए।

देखते ही देखते दस फैक्ट्रियां चपेट में: पूरे औद्योगिक क्षेत्र में धूंए के गुबार और इधर-उधर भागते लोगों के अलावा शनिवार सांय और कुछ नजर नहीं आ रहा था। तेज हवा के चलते

आग देखते ही देखते आस-पड़ौस की

फैक्ट्रियों को चपेट में लेते हुए फैलने लगी

तो उद्यमियों में हड़कंप मच गया। इधर फायर

बिग्रेड नहीं पहुंच रही थी, और आग बढ़ती जा रही थी। उद्यमियों ने यहां सुनवाई नहीं होते देख जोधपुर तक फोन लगाए, जहां से दो गाडिय़ां रवाना की गई।

यूं हुआ घटनाक्रम

शनिवार सांय करीब 5.15 बजे औद्योगिक क्षेत्र प्रथम चरण स्थित महेश फैब्रिक्स में आग लगी।

मजदूर व फैक्ट्री संचालक हड़बड़ाकर बाहर भागे और पुलिस, फायर व अन्य प्रशासनिक अधिकारियों को सूचना दी।

दमकल नहीं आती देख उद्यमियों ने निजी टैंकर संचालकों से पानी मंगवाया और फैक्ट्रियों में बने टांकों से मजदूर आग पर पानी उंडेलने लगे।

हवा इतनी तेज थी कि देखते ही देखते आग बढ़ती चली गई। आस-पड़ौस के फैक्ट्री संचालक अपने माल को बचाने की जुगत में फैक्ट्रियां खाली करते नजर आए।

फैक्ट्री संचालक आग से ज्यादा से ज्यादा माल को बचाने के चक्कर में जो भी लोडिंग का साधन मिला उसमें माल भर कर माल परिवहन करते नजर आए।

आग का धूंआ इतना ज्यादा था कि जसोल के अलावा आस-पास के कई गांव से भी लोग आग देखने पहुंच गए।

समय पर पहुंचती दमकल तो कम होता नुकसान

बालोतरा औद्योगिक क्षेत्र में लगी भीषण आग ने उद्यमियों को झकझोर कर रख दिया। उद्यमी नगरपालिका व प्रशासन को कोस रहे थे। गौरतलब है कि पिछले कई दिनों तक तो नगरपालिका के फायर दस्ते के पास एक भी दमकल नहीं थी। एक गाड़ी जहां बालोतरा में रिपेयरिंग के लिए गेराज में खड़ी थी, वहीं दूसरी उदयपुर ठेकेदार के पास थी। भास्कर ने इस मुद्दे को बार-बार उठा चेताया तो एक गाड़ी दुरस्त कर मंगवा दी गई। शनिवार को हुए हादसे के समय वह गाड़ी सिवाना क्षेत्र में लगी आग बुझाने गई हुई थी। हादसे के करीब दो घंटे बाद तक दमकल नहीं पहुंचने से नाराज उद्यमियों ने कहा कि उन्हें अपने बूते ही दमकल की व्यवस्था करनी होगी। सीईटीपी अब उद्यमियों के पास है तो सबसे पहले ट्रस्ट को आग बुझाने के साधनों के पुख्ता प्रबंधों की चिंता करनी पड़ेगी। इस बार इतनी बड़ी आग के बावजूद प्रशासनिक अधिकारियों के नहीं पहुंचने से नाराज उद्यमियों ने अधिकारियों को भी खूब कोसा।
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विकास का केन्द्र बनेगा बाडमेर



बाडमेर। नवनियुक्त जिला कलक्टर गौरव गोयल ने शनिवार को सुबह पदभार ग्रहण किया। पदभार ग्रहण करने के बाद संवाददाताओं से बातचीत में उन्होंने कहा कि बाडमेर पश्चिमी राजस्थान का सबसे बडा विकास केन्द्र बन रहा है। खनिज और पेट्रोलियम पदार्थों से यहां विकास हो रहा है। विकास को गति देने की जरूरत है। इसके लिए पूरा प्रयास किया जाएगा। गोयल ने कहा कि बतौर जिला कलक्टर बाडमेर उनका प्रथम जिला है। वे अपना पूरा प्रयास करेंगे कि यहां की समस्याओं का समाधान किया जाए। कानून व्यवस्था उनकी प्राथमिकता रहेगा। जिले की पेयजल समस्या के समाधान का पूरा प्रयास होगा।
बडी योजनाओं को आगे बढाया जाएगा। अकाल राहत कार्याें को व्यवस्थित संचालित किया जाएगा। गोयल ने कहा कि बाडमेर में विकास की विपुल संभावनाएं है, इसके लिए योजनाओं को आगे बढाया जाएगा। शिक्षा, चिकित्सा, बिजली से जुडी जनसमस्याओं को लेकर समय समय पर मॉनीटरिंग की जाएगी। प्रशासन के पास आने वाले लोगों को सकारात्मक प्रत्युत्तर मिलेगा और पीडित की बात सुनने के साथ उसकी पीडा दूर करने का प्रयास करेंगे।
अवकाश भी खुला रहा कलक्ट्रेट
अवकाश के बावजूद शनिवार को कलक्ट्रेट के सारे अघिकारी कार्यालय में मौजूद रहे। जिला कलक्टर गौरव अग्रवाल के पदभार ग्रहण करने के कारण अघिकारियों एवं कार्मिकों ने अवकाश के दिन भी कार्यालय में उपस्थिति दी। अतिरिक्त जिला कलक्टर हनुमान सहाय मीणा व उपखण्ड अघिकारी सीएल देवासी ने जिला कलक्टर की अगुवानी की। सर्किट हाऊस में गार्ड और ऑनर दिया गया। कलक्ट्रेट पहुंचने पर सभी विभागों के मुख्य अघिकारियों की जिला कलक्टर ने बैठक ली। अघिकारियों से कार्य प्रगति के बारे में जानकारी ली।

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शनिवार, 17 अप्रैल 2010

Jinnah was ambassador of Hindu-Muslim unity’

जिन्ना हिंदू मुस्लिम एकता 'की राजदूत थे


: बाड़मेर पूर्व भारतीय विदेश मंत्री जसवंत सिंह का कहना है कि वह मोहम्मद अली जिन्ना पर लिखने क्योंकि वहाँ व्यक्तित्व 13 महीने अपनी मृत्यु से पहले एक प्रमुख भारतीय नागरिक था पर छोटा था चुना जो.
अपने जिन्ना नामक पुस्तक के शुभारंभ पर: बोलते भारत विभाजन के स्वतंत्रता, शुक्रवार को यहां उन्होंने कहा कि जिन्ना हिंदू मुस्लिम एकता की एक था राजदूत, लेकिन वह भारत demonized में था हालांकि मुस्लिम नेता द्वारा एक अलग लाइन ले बनाया गया था कांग्रेस नेतृत्व कि केन्द्रीयता का नहीं सोचा था.
"वह एक धर्मनिरपेक्ष, स्वराज और तर्क करने के लिए प्रतिबद्ध था और. था धर्म को राजनीति से अलग रखने की बात की" सिंह ने कहा कि जिन्ना कांग्रेस में गांधी के वरिष्ठ था और करने के लिए सविनय अवज्ञा दक्षिण अफ्रीका से लौटने के बाद बाद के द्वारा शुरू आंदोलन में शामिल होने से इनकार कर दिया.
लार्ड माउंटबेटन भारत के अंतिम वायसराय के बारे में उन्होंने कहा, वह व्यक्ति, जो भारत के बारे में गलत बुरी नहीं पूछा जाना चाहिए 'के रूप में वाइसराय आईएनजी नीमहकीम' फोन.
सिंह आयोजित की कानून और व्यवस्था की जा रही प्रभारी के रूप में उपमहाद्वीप के विभाजन के दौरान नरसंहार के लिए जिम्मेदार माउंटबेटन वह दंगा नियंत्रण कार्य नहीं था.
उन्होंने खेद व्यक्त किया कि Radcliff पुरस्कार भी लंबे समय रोका था पंजाब और बंगाल के लोगों को जो कि वे देश के हैं के बीच भ्रम के लिए अग्रणी.
महाराष्ट्र और गुजरात में सांप्रदायिक दंगों के बारे में उन्होंने कहा कि इन मुस्लिम विरोधी थे और पाकिस्तान विरोधी के रूप में विचार नहीं करना चाहिए.
पाकिस्तान नदी जल के भारत द्वारा रोक के बारे में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने कहा कि उनका मानना था कि इस मुद्दे को सिंधु बेसिन संधि के माध्यम से जल्द से जल्द हल किया जाना चाहिए विश्व बैंक गारंटी के तहत स्थापित की.
उन्होंने कहा कि बिजली loadshedding PakistanIndia रिश्तों में लोड बहा करने के लिए नेतृत्व नहीं करना चाहिए.
पूछा कि विभाजन अपरिहार्य था और अगर इस प्रक्रिया उलट हो सकता है, उन्होंने कहा कि विभाजन एक वास्तविकता थी, लेकिन इसके लिए अपनाई गई विधि बहुत गलत था.
इतिहास के उत्क्रमण का विरोध करते हुए उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की प्रगति और राजनीतिक रूप से स्थिर हो के रूप में यह दो दक्षिण एशियाई पड़ोसियों के बीच संबंधों के लिए बेहतर होगा चाहिए.
"यह समय है कि दोनों देशों को वास्तविकता के रूप में विभाजन को स्वीकार करते हैं और जिस तरह जिन्ना मोनरो सिद्धांत है जिसके तहत दोनों देशों के लिए संकट की स्थिति में एक दूसरे की मदद और मैत्रीपूर्ण पड़ोसियों की तरह रहने वाले थे पर काम करके कल्पना पर काम है. " उसने: कहा "हम अतीत को भूलकर भविष्य की ओर देखना चाहिए अन्यथा. हम सूर्य के प्रकाश को देखने के लिए असफल हूँ" सिंह ने कहा कि दोनों देशों को गरीबी और दो हाथ मिलाने इसे हल करने चाहिए की आम समस्या थी.
क्षेत्र में एक शांतिपूर्ण बनाने वातावरण "" दोनों देशों के विकास के लिए है अपरिहार्य, और. यह इस क्षेत्र के गरीबों पर सबसे बड़ा उपकार होगा "उन्होंने लोगों से आग्रह किया कि शांति के लिए काम करते हैं, कि उनकी पुस्तक का उद्देश्य था हमारे अतीत इतना समझते हैं कि हम अतीत की गलतियों को दोहरा नहीं है.
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बुधवार, 14 अप्रैल 2010

jaswant singh in pakistan


barmer Former Foreign Minister Jaswant Singh has said it is time that the 'Berlin Wall' erected between India and Pakistan following the 1965 war be demolished.Interacting with media persons during a press conference after releasing his controversial yet popular book: "Jinnah: India-Partition-Independence" here, Singh said people from both sides of the border have long been trying to come closer and it is time for making a new start in the relationship of the two neighbouring countries."Masses at both sides of the border are longing to come close to each other, and therefore we must let go of the shadows of history and let the new dawn arrive. We must create a strong relationship with each other, otherwise the poverty at both sides of the border cannot be wiped away," Singh, who was expelled from the Bharatiya Janata Party (BJP) for praising Jinnah in his book, said.Commenting on the US and the North Atlantic Territory Organisation's (NATO) intervention in India and Pakistan's issues, Singh said it is for both New Delhi and Islamabad to resolve their differences amicably."The US is around 8,000 miles away from Pakistan, whereas India is only eight minutes away, therefore the people of India and Pakistan must resolve their differences themselves," The Daily Times quoted Singh, as saying.The book was released in August 2009 in India and soon became the subject of controversy.It contains controversial opinions of Singh, claiming that Pandit Jawaharlal Nehru's centralised policy was responsible for partition and that Jinnah was portrayed as a demon by India for the partition.
The book has already received commendation from noted writers and experts Mark Tully, Meghnad Desai, Ram Jethmalani, Namwar Singh and Hameed Haroon, who believe that Jinnah's role needed to be reassessed.
During his stay in Pakistan, Singh would also release his book in Islamabad and visit a famous Hindu temple, the Hinglaj Mandir in Balochistan.

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बाड़मेर: ‘स्वजल धारा योजना’ में 50 करोड़ का घपला

बाड़मेर: ‘स्वजल धारा योजना’ में 50 करोड़ का घपला

Indo-Pak 'Berlin Wall' must be brought down: Jaswant Singh

Indo-Pak 'Berlin Wall' must be brought down: Jaswant Singh

barmer Former Foreign Minister Jaswant Singh has said it is time that the 'Berlin Wall' erected between India and Pakistan following the 1965 war be demolished.Interacting with media persons during a press conference after releasing his controversial yet popular book: "Jinnah: India-Partition-Independence" here, Singh said people from both sides of the border have long been trying to come closer and it is time for making a new start in the relationship of the two neighbouring countries."Masses at both sides of the border are longing to come close to each other, and therefore we must let go of the shadows of history and let the new dawn arrive. We must create a strong relationship with each other, otherwise the poverty at both sides of the border cannot be wiped away," Singh, who was expelled from the Bharatiya Janata Party (BJP) for praising Jinnah in his book, said.Commenting on the US and the North Atlantic Territory Organisation's (NATO) intervention in India and Pakistan's issues, Singh said it is for both New Delhi and Islamabad to resolve their differences amicably."The US is around 8,000 miles away from Pakistan, whereas India is only eight minutes away, therefore the people of India and Pakistan must resolve their differences themselves," The Daily Times quoted Singh, as saying.The book was released in August 2009 in India and soon became the subject of controversy.It contains controversial opinions of Singh, claiming that Pandit Jawaharlal Nehru's centralised policy was responsible for partition and that Jinnah was portrayed as a demon by India for the partition.
The book has already received commendation from noted writers and experts Mark Tully, Meghnad Desai, Ram Jethmalani, Namwar Singh and Hameed Haroon, who believe that Jinnah's role needed to be reassessed.
During his stay in Pakistan, Singh would also release his book in Islamabad and visit a famous Hindu temple, the Hinglaj Mandir in Balochistan.

सोमवार, 12 अप्रैल 2010

afolk and is synonymous with musical Shufi Afkaira


Chandan Singh Bhatti
Barmer: western Rajasthan Dhora talent that emerged from the womb of the earth are] who 'Thar's थळी] Name of folk singing illuminate overseas has provided a new peak. This link is an important name - Afkaira Khan. Shufiyana in public like a musical mix of folk singer give him a new Unchaiyon Antarrshtry Afkaira Khan on Page Aster made her a point.

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By eighth grade to Uartion Afkaira Ssanidhy little of his father - were very public musical learning. Ustad Sadiq Khan soon Afkaira Ssanidhy the folk musical made its own identity. After the untimely death of Ustad Sadiq Khan Afkaira new incarnation of the folk musical Bahia with Anwar Khan made his Jugalbandi. Then folk song - the rarest of musical duo did not look back. They earned reputation overseas art of folk music. Afkaira - Anwar traditional folk duo It's like a musical mix that Shufiyana the country - the music lovers abroad became obsessed with his hood. Given the full respect of the great talent Afkaira Bulievur.

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Afkaira yet Paris, Rgmanee] Switzerland] Austria] France] Israel Belgium Hong Kong USA] Spain] in over 40 countries including Pakistan demonstrated its hood. But] Afkaira Rshtry Page Republic Day Gala 1992] 93] 94] 2001] 2003 and 2004, the Parade Ground New Dillic given presentations on their most memorable treats.

Page Afkaira Khan Rshtry level to participate in many festivals of folk music values - respect is enhanced. They all AIR stations] DD centers] dish channels have given their presentations.

Afkaira Khan Jordan in September 2009 organized by the Cultural Affairs 'The Shufi Festival' has created a boom from his folk singing. Rajasthan sung by them with the traditional folk Gatoan Shufiyana guess was the most preferred.

Afkaira folk songs - music for Maddhma involves flame Jilane Maangniyar caste children Jangda style traditional folk songs, hymns, folk speech and Shufiyana style training bases are preparing a new breed. Afkaira recently as "Verldka Music Faisteival ', organized by Chicago artists Khyatinam 32 countries, with 57 performances of folk music to give the flag waved. Afkaira Khan "Dalit Sahitya Academy 'awarded by. At the state level have been awarded several times per Afkaira Khan, folk music is in the blood, and cries in the house when the baby is born] notes come out from his mouth.

According to him, folk song music Jangda] Dod during the public - the artists were carried away by flood equipment. Afkaira Khan special effort from the government about two thousand folk artists pointed free equipment.


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राजस्‍थान: दागी कलेक्टरों की होगी छुटटी

राजस्‍थान: दागी कलेक्टरों की होगी छुटटी

गुरुवार, 8 अप्रैल 2010

manganiyar folk singer sadik khan_magacian of khartal

Top of Form

Barmer: Barmer district of the western border of the Thar Thlly folk singing of the reputation of the area then crosses seven Samundra is Pehuchane. Thar's Thlly Maangniyar nation's red Sur Sadhana to his folk Gayko Aday Ytroan used such traditional art which caused Anutepan Asadhko Romaachith turn up.

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Born in Barmer district Zhaplly Siddhiq Public Ghyyyqui his childhood had mastered. He picked up seven Samundra folk music from across the street Panhuchaaya Kuchcho. Siddhiq Sadio's family in the village high Hrano folk songs - music by Mahfila sentenced to life Nirwahan. Yjamani with - marry - marriage engagement ceremony and other folk songs through musical family, providing food were two square.

Beiashakie was pinned on the folk musical Mangat. Siddhiq from childhood with his father to play Zhaplly folk singing and singing at various Tikano Aday skills acquired in his father's violin, Tondura, Commaycha and Akrtal play area then had acquired a reputation. The legacy of his Puarwajo Siddhiq Amanoyog the way, with the attitude adopted practice and dedicated his result made their own identity. Must Siddhiq was illiterate, but folk songs, music and rich repository of knowledge was Adayse.

Siddhiq and Akrtal were synonymous to each other. He had no right to play Akrtal mash. Akrtal had to play them achieve higher degrees of efficiency. Mahfilaan Siddhiq seemed incomplete without the folk music. Akrtal efficiency because they typically play as many international Samharoho Thar's a reputation earned pride. Siddhiq Akrtal soon as the magician and Khyatinam became famous. Got them from Akrtal popularity and respect.

Six to eight Ench long and half - two wide Asadharan Ench-looking little wooden rings music lover from the hands of two Patiaan when Siddhiq Uttensiddhiq swinging the arm portion and the other four fingers Angute Internal Akrtal placing fingers between the palm force happened to be Adhakda Akrtal Zumt forget everything that he plays were lost.

Tone and tenor of songs from all fellow Gayko rapidly get out of the gorge from the hands of her faster than Siddhiq Bjtian Akrtal. Harmonic adorable folk songs of the Siddhiq meets with the Akrtal Uttean swinging music lover. Siddhiq of the magic seven Samundra Akrtal across the U.S., Australia, Japan, Russia Voice of music including folk songs in many countries to spread Alheria flag waved.

Western Rajasthan folk song music of the Central Sangeet Natak Akademi New Uchaeyon Siddhiq delivery cash prize of ten thousand rupees by giving respect to their discipline. While Madhya - Pradesh government basil honors awarded in 1989-90. State level have been awarded several Harmatba Siddhiq Khan.

Samundra Siddhiq Khan Khan's son awake live folk musical examples, skilled in playing Akrtal Samundra Khan Sarkshaon folk art institution for the Self through the strongly're trying. Local folk artists Samundra mines abroad to provide them to the program are fixed.


सोमवार, 5 अप्रैल 2010

a crime

Barmer: Fifteen years ago, the rules made by the villagers themselves 25 km away from Barmer in Rajasthan 'Duangeroan the fried' daughters of the village was fortunate Sanwar. It is the village where the house looks fine to send daughter to school. Consequently, every child is reading here. One girl read the book 20 years ago - was not written. Two decades ago, because rural society extends Kuretioan had shied away from sending daughters to school.

In 1995 a raging discussion about social conference. After this large village - elderly sitting on a bedspread every household to educate the daughter made the rule. Follow this rule was decided not to charge fines. Only higher up in the village primary school. So girls walking six kilometers a day for further studies Ssnavda Village Senior Secondary School has to go. Despite this, it is the result of determination that the two hundred families "of Duangeroan fried" and only 180 students in the number of students is 225.

It's still no electricity in many Danioan. Do students study in light of the fireplace. Guided by this rule Aramderiya neighboring villages and the villagers Hathetlah have started sending their daughters to school. "The fried Duangeroan 'stamina of the students in the Games have brought laurels to the district at the national level. Government senior secondary school students studying in Ssnavda lost at the state level - lost in the past ten years, Barmer district are represented. Schoolgirl Maya, Viro, routine, the beloved and Paanpe lost - lost was selected for competition at the national level. Similarly, upper primary school, 'the sole Duangeroan' Three students have been playing at the national level. The team achieved first place at the state level the past five years are.

http://www.merikhabar.com/news_details.php?nid=25020

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