सोमवार, 19 अप्रैल 2010

राजस्थान जल माफिया बेचते है करोड़ों का अवैध पानी

रेगिस्तान में पानी का करोड़ो का कारोबार अवियवसनीय जरुर लगता है, किन्तु सत्य है. पश्चिमी राजस्थान के बाड़मेर मे जिले में पेयजल संकट से जूझते आम जन के लिए पीने का पानी जहां एक बड़ा संकट है, वहीं इन जल माफियों के लिए आमदनी का जरिया बना हुआ है. एक तरफ सरकार दावा कर रही है कि सभी गांवों में पानी पहुंचाया जा रहा है, दूसरी तरफ हकीकत में ग्रामीणों को पेयजल की भारी कीमत चुकानी पड़ रही है. गांवों में पेयजल योजनाएं ठप्प पड़ी है. ट्रैक्टर के पहियों पर पानी के करोड़ों रुपयों के अवैध कारोबार का धन्धा सरकारी कर्मचारियों की मेहरबानी से निर्बाध चल रहा है.
लगातार छः सालों से पड़ रहे अकाल ने कोढ में खाज का काम किया है. मानसून मेहरबान होता है, तो साल के चार महीनों में पानी के लिए मारामारी खत्म हो है जाती. लेकिन, आठ माह में पेयजल संकट से ग्रस्त गांवों में रहने वाले लोगों को पानी खरीद कर ही पीना पड़ता है शेष. इस बार बरसात के अभाव में निरन्तर पेयजल संकट रहा है. सर्दी के मौसम में भी ट्रैक्टर से पानी विपणन का कार्य चरम पर रहा. अमूमन गर्मियों में एक टैंकर पानी की कीमत चार सौ रुपए होती है, इस बार सर्दियों में भी एक ट्रैक्टर पानी की कीमत 550-600 रुपये है. जल माफिया इतने दुस्साहसी है कि अपने व्यवसाय में तेजी लाने के लिए सरकारी कारिन्दों से मिलीभगत कर सरकारी योजनाओं को ठप्प करवा देते है.
ऐसे में ग्रामीणों को मजबूरीवश मुंहमांगी कीमतों पर पेयजल टैंकर मंगवाने पड़ते है. माफिया स्थानीय कर्मचारियों के साथ मिलकर तकनीकी गड़बडि़यां कराते है, लेकिन जल विभाग के आला अधिकारी भी कुछ नहीं कर पाते. ऐसा ही एक माजरा नया मलवा में सामने आया. इस गांव की पाइप लाइन पिछले छह माह से बाधित है. ग्रामीण लम्बे समय से जिला कलेक्टर, विधायक तथा अधिशासी अभियंता तक को कई मर्तबा शिकायतें करने के बावजूद पाइप लाइन दुरुस्त नहीं पाई हो. ग्रामीण आज भी 600 रुपये देकर पानी के टैंकर मंगवा रहे है. पाक सीमा से सटे सैकड़ों गांवों में इस तरह पाइप लाइनें बाधित पड़ी है. गांवों में पेयजल संकट के कारण ग्रामीणों की हालात खराब है. ग्रामीणों को पानी के उपभोग में कंजूसी करने के बावजूद भी सामान्यतः - पांच छः सदस्यों एवं एक - दो पशु रखने वाले वाले परिवार को प्रति माह एक टैंकर खरीदना ही पड़ता है.
पीरे का पार गांव निवासी श्रीमती शहदाद ने बताया कि बरसात के समय टांकों में - तीन चार माह का पानी आ है जाता, जिसके चलते पेयजल संकट से कुछ राहत मिलती है. मगर, बार बरसात के अभाव में टांके सूखे पड़े हैं इस. भेड़ पालन का काम होने के कारण एक माह में लगभग तीन टैंकर पानी डलवाना ही पड़ता है. एक टैंकर पानी की कीमत 550-600 रुपये अदा करनी पड़ती है. साल भर मे लगभग तीस हजार रुपये का पानी खरीदना पड़ता है. जिले में सतही पारम्परिक जल स्रोतों, जैसे - तालाब, बेरी, कुएं, टांकों से उपलब्ध होता है. इन स्रोतों में बरसात का पानी संग्रह कर रखा जाता है. - भू जल के रुप में कुछ स्थानों पर कुओं, ट्यूबवेलों से गुणवतायुक्त पीने का पानी उपलब्ध होता है. पीने योग्य भूजल वाले क्षेत्रों में अधिकतर किसानों के निजी ट्यूबवेल तथा कुएं हैं.
किसान इस पानी को कृषि सिंचाई के लिए उपयोग करने के अतिरिक्त - ट्रैक्टर टैंकर वालों को बेच देते हैं. किसान एक - टैंकर ट्रैक्टर की भराई कीमत 100-150 रुपए में करवाते हैं. इस प्रकार निजी ट्यूबवेल व कुओं के मालिक भूजल दोहन कर लाखों रुपये की कमाई करते हैं. वहीं, ट्रैक्टर - टैंकर मालिक उसी पानी का गांवों तक परिवहन 350-700 रुपए तक वसुलते हैं कर. जल माफिया आर्थिक, सामाजिक एवं राजनीतिक रूप में इतने प्रभावी हैं कि उन्हें सार्वजनिक पेयजल स्रोतों से टैंकर भरने से रोकने का साहस कोई नहीं पाता कर. जिले में लगभग 15 हजार टैंकर है.
बाड़मेर जिले में विभिन्न सरकारी योजनाओं में लगभग आठ लाख टांके बने हुए हैं, इसके बावजूद पेयजल संकट यथावत है. जिला परिषद सदस्य रिड़मलसिंह दांता के अनुसार जन स्वास्थ्य विभाग को पेयजल योजनाओं पर खर्चा बन्द कर देना चाहिये. जिले में अरबों रुपये इन पेयजल योजनाओं पर व्यय किए गए हैं, मगर आहतों को आज तक राहत नहीं मिल पाई है. उनके अनुसार पेयजल आपूर्ति का कार्य ठेके पर दे देना चाहिये. ग्रामीणों को पानी खरीद कर ही पीना है, तो विभाग पर अनावश्यक खर्चा क्यों?
इधर, सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला कलेक्टर हनुमान सहाय मीणा ने बताया कि प्रशासन अपने स्तर पर जल माफियों पर अंकुश लगाने का प्रयास कर रहा है इस. प्रशासन ने आपदाग्रस्त गांवों में टैंकरों से पानी उपलब्ध करवा रहा है. विभागीय हाईडेंट प्वाईंटों पर निजी टैंकरों की भराई पर प्रतिबन्ध लगा रखा है. अधिशासी अभियंता डी.सी. विश्नोई ने बताया कि विभाग पूरा प्रयास कर रहा है कि ग्रामीण पेयजल योजनाएं तंदुरुस्त हो. इस सम्बन्ध में विभाग के अधिकारियों और कर्मचारियों को सख्त हिदायत दे रखी है. सरकारी योजना के पेयजल स्रोतों से निजी टैंकरों को पानी भरने पर प्रतिबन्ध लगा रखा है.

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