सोमवार, 19 अप्रैल 2010

barmer news track



बाडमेर।जिला कलक्टर गौरव गोयल ने जिले में पेयजल की आपूर्ति में लापरवाही बरतने पर कडी कार्यवाही करने तथा अपने कर्तव्य के प्रति कौताही बरतने वाले कार्मिकों के विरूद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही करने की सख्त हिदायत दी है। वे शनिवार शाम जिले में पेयजल आपूर्ति की समीक्षा कर रहे थे।
उन्होंने निर्देश दिए कि टैंकरो से स्वीकृत पेयजल परिवहन वाले स्थानों पर शत प्रतिशत जलापूर्ति आरम्भ हो जानी चाहिए। उन्होंने पेयजल परिवहन में लापरवाही बरतने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध कडी कार्यवाही के निर्देश दिए तथा पेयजल परिवहन आरम्भ नहीं करने वाले ठेकेदारों के विरूद्ध जुर्माना लगाने तथा उन्हें प्रतिबंघित करने की हिदायत दी ताकि पानी की आपूर्ति प्रभावित नहीं हो।
गोयल ने जिले में जलदाय विभाग को क्षेत्रीय योजनाओं की विस्तृत समीक्षा की तथा उन्होंने जल स्त्रोतो, पानी की गुणवता तथा इसकी जांच की व्यवस्था की भी जानकारी ली। समय समय पर पानी की गुणवता की जांच के लिए इसके नमूने लेकर प्रयोगशाला में भेजने व अवैध जल कनेक्शन हटाने के निर्देश दिए। उन्होंने कन्टीजेन्सी प्लान के प्रथम चरण के कार्यो की समीक्षा की तथा द्वितीय चरण में ट्यूब वेल खुदाई के कार्य की प्रगति की समीक्षा की। जलदाय विभाग के अघिकारियों से जलापूर्ति योजनाओं के अन्तिम छोर तक पानी पहुंचाना सुनिश्चित करने को भी कहा।
जिला कलक्टर ने धरातल स्तर पर लापरवाह फीटर, हेल्पर, बेलदार व अन्य कार्मिकों द्वारा अपने कर्तव्य के प्रति कौताही बरतने पर उनके विरूद्ध विभागीय कार्यवाही के निर्देश दिए। जलापूर्ति से संबंघित जलदाय विभाग अघिकारियों तथा तहसीलदार तथा नायब तहसीलदारों को बिना सक्षम अनुमति के अपना मुख्यालय नहीं छोडने के लिए पाबन्द किया।





कांगे्रस सरकार अल्पसंख्यक विरोधी: धोलिया



बाडमेर। राज्य की कांग्रेस सरकार अल्पसंख्यक विरोधी है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों को केवल वोट बैंक की तरह इस्तेमाल किया है। कांग्रेस ने अल्पसंख्यकों के लिए कुछ नहीं किया। कांग्रेस को समर्थन देने का ही नतीजा है कि मुसलमान गरीब, अशिक्षित, बीमार और बेरोजगार है। यह आरोप मदरसा बोर्ड के पूर्व चेयरमैन हिदायत खां धोलिया ने शनिवार को बाडमेर में संवाददाताओं से बातचीत में लगाए।
धोलिया ने कहा कि पिछले शैक्षिक सत्र में पचासी हजार मदरसा विद्यार्थी शिक्षकों के अभाव में परीक्षा नहीं दे पाए। आज भी यह स्थिति है कि राज्य के एक हजार मदरसों में एकल शिक्षक तक नहीं है। राज्य में कांग्रेस के सत्ता में आते ही उन्होंने नैतिकता के आधार इस्तीफा दे दिया, लेकिन कांग्रेस अभी तक मदरसा बोर्ड के अध्यक्ष पद किसी को नियुक्त नहीं किया है। यही स्थिति अल्पसंख्यक आयोग, हज बोर्ड, मेवात विकास बोर्ड की भी है। इन पदों पर किसी को दायित्व नहीं सौंपे जाने से अल्पसंख्यकों के हितों पर कुठाराघात हो रहा है।
धोलिया ने बताया कि सत्ता में आते ही मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने घोषणा की थी कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का गठन होगा, लेकिन अभी तक यह घोषणा भी अधूरी ही है। उन्होंने सवाल किया कि कांग्रेस के दस अल्पसंख्यक विधायकों में कोई इस योग्य नहीं है कि अल्पसंख्यक मंत्रालय का कार्यभार संभाल सके। पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि हकीकत यह है कि कांग्रेस अल्पसंख्यकों को पिछडा ही रखना चाहती है ताकि वे वोट बैंक के रूप में इस्तेमाल किए जाते रहे।
उन्होंने कहा कि अल्पसंख्यक समुदाय को यह बात समझनी चाहिए कि वास्तव में उनका हितैषी कौन है। धोलिया ने दावा किया कि राज्य में वसुंधरा राजे के कार्यकाल में अल्पसंख्यकों के हित में कार्य हुआ। इस अवसर पर मुस्लिम इंतेजामिया कमेटी के सदर अशरफ अली ने आरोप लगाया कि कांग्रेस के मुस्लिम नेताओं ने समाज की ओर कभी ध्यान नहीं दिया।
भाजपा के मुस्लिम नेताओं ने पिछले पांच वर्ष में जो कार्य करवाए, वह कांग्रेस के मुस्लिम नेता साठ वर्ष में भी नहीं करवा सके। उन्होंने बताया कि भाजपानीत पालिका बोर्ड के समय में समाज के लिए करीब सवा करोड रूपए के कार्य हुए।



खेजडी से झूलकर आत्महत्या की



चौहटन। चौहटन थानान्तर्गत धनाऊ गांव में एक व्यक्ति ने खेजडी के पेड से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। थानाघिकारी कैलाशदान ने बताया कि मोडाराम पुत्र ताजाराम निवासी धनाऊ ने रिपोर्ट पेश की कि उसका चचेरा भाई हरखाराम पुत्र अन्नाराम मानसिक रूप से अस्वस्थ था।
इसने शुक्रवार आधी रात को खेजडी के पेड से फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली। थानाघिकारी ने बाया कि पुलिस ने मौके पर पहुंचकर शव को पेड से नीचे उतरवाया तथा पोस्टमार्टम करवाकर शव परिजनों को सुपुर्द किया। पुलिस ने मामला दर्ज कर अनुसंधान प्रारम्भ किया है।

आपदा प्रबंधन कार्य नौ दिन चले अढ़ाई कोस
बाड़मेर

जिले में आपदा प्रबंधन के इंतजाम ऊंट के मुंह में जीरे के समान साबित हो रहे हैं। अकाल प्रभावित गांवों में से अभी तक एक केवल चौथाई में ही पशु शिविर स्वीकृत हो पाए हैं। इनमें से भी करीब 40 फीसदी शिविर तो स्वीकृति के चालू ही नहीं हुए। वहीं कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति विफल साबित हो रही है। आधे से अधिक स्थानों पर स्वीकृति के बावजूद टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। ऐसे में गांवों व ढाणियों में चारा-पानी के हालात और अधिक विकट हो गए हैं। अकाल की विकट घड़ी में आपदा प्रबंधन के इंतजाम विफल साबित हो रहे हैं।

जिले में भीषण अकाल की मार झेल रहे अकाल पीडि़तों केलिए सरकारी सहायता दूर की कौड़ी साबित हो रही है। प्रशासन ने अकाल प्रभावित गांवों में कुल 347 पशु शिविर स्वीकृत कर रखे हैं। इनमें से 119 पशु शिविर तो स्वीकृति के बाद भी शुरू नहीं हो पाए। दुखद पहलू यह है कि अभी तक सभी पंचायत मुख्यालयों पर शिविर मंजूर ही नहीं हो पाए हैं। गांवों व ढाणियों में चारे का संकट खड़ा हो गया है, हालात यह है कि महंगे दामों पर भी पशुपालकों को चारा नहीं मिल रहा। दूसरी तरफ गर्मी के मौसम में कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति के टेंडर तो मार्च 2010 में ही जारी हो गए थे, लेकिन संबंधित ठेकेदार गांवों व ढाणियों में नियमित जलापूर्ति करने में विफल साबित हो रहे हैं। अभी तक 296 कमीशंड व 236 नॉन कमीशंड गांवों-ढाणियों में एक भी टैंकर नहीं पहुंचा। पचपदरा तहसील क्षेत्र में नॉन कमीशंड 106 स्थान स्वीकृत हैं। इनमें से एक भी स्थान पर टैंकरों से जलापूर्ति शुरू नहीं हो पाई है। करीब पचास फीसदी स्थानों पर जलापूर्ति शुरू नहीं होने से गर्मी के मौसम में पेयजल की भीषण समस्या खड़ी हो गई है।

चारा-पानी खरीदें या परिवार पालें

अकालग्रस्त गांवों में चारा-पानी की समस्या ग्रामीणों के लिए चुनौती बनी हुई है। गांवों में कुतर व ग्वारटी 400 रुपए प्रति मण के भाव बिक रहा है। वहीं पानी के लिए एक टैंकर के चार सौ से पांच सौ रुपए देने पड़ रहे हैं। ऐसी स्थिति में अकाल की घड़ी में परिवार का पालन पोषण करें या पशुओं के लिए चारा-पानी का इंतजाम।


जिले के 2175 गांव अकाल की चपेट में हैं, लेकिन अभी तक महज ३४७ गांवों में ही पशु शिविर स्वीकृत हुए हैं। शेष 1८२८ गांवों में शिविरों की स्वीकृति मिलने का इंतजार है। गौवंश संरक्षण का दावा महज दिखावा साबित हो रहा है। हकीकत यह है कि अभी तक तो कई पंचायत मुख्यालयों पर ही पशु शिविर स्वीकृत नहीं हो पाए हंै।

'सरपंच शुरू नहीं कर रहे पशु शिविर

ञ्च ग्राम पंचायत मुख्यालयों पर पशु शिविर स्वीकृत कर दिए गए हैं, लेकिन सरपंच शिविर शुरू नहीं कर रहे हैं। इस संबंध में उपखंड अधिकारियों को निर्देश दिए गए हैं कि ग्राम सेवकों से पशु शिविर शुरू करवाएं। कमीशंड व नॉन कमीशंड गांवों व ढाणियों में टैंकरों से जलापूर्ति में लेटलतीफी करने वाले ठेकेदारों को नोटिस जारी कर दिए हैं। शीघ्र ही दूसरे ठेकेदारों को जलापूर्ति की जिम्मेदारी सौंप दी जाएगी।

हनुमानसहाय मीणा, अतिरिक्त जिला कलेक्टर, बाड़मेर

ref="http://search.conduit.com/?SearchSource=10&ctid=CT2476265">Search

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें