सोमवार, 4 अगस्त 2014

दूध पीती मासूम को छोड़ दम्पती ने की खुदकुशी

कोटा। कुन्हाड़ी थाना क्षेत्र में रविवार देर रात को 5 माह की दूध पीती मासूम को छोड़ दम्पती ने खुदकुशी कर ली। हालांकि अभी तक खुदकुशी का कारण स्पष्ट नहीं हो सका है। लेकिन पुलिस प्रथम दृष्टया गृह कलह का मामला मान रही है।husband and wife suicide in kota rajasthan


सुमन बिहार निवासी मोहित राठौर(26) व उसकी पत्नी रितु(22) ने तो अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली लेकिन 5 माह की उस मासूम बालिका (जिया)का क्या कसूर जो अपने माता-पिता को सही ढंग से पहचान तक नहीं पाई थी।

इससे पहले ही दोनों उसे इस दुनिया में अकेला छोड़ गए। एक और जहां अचानक हुई इस घटना से परिवार के लोगों की आंखों से आंसू नहीन रूक रहे थे वहीं वह मासूम बालिका भी रोते हुए अपनी मां को तलाश रही थी।

लेकिन अब उसे उसकी मां कभी नहीं मिल पाएगी इसका उसे अहसास तक नहीं है। मृतक के पिता ने बताया कि दोनों की शादी मई 2013 में हुई थी। मृतक घर में ही किराने की दुकान संभालता था।

दादा की गोद में थी बालिका
मोहित के पिता महावीर प्रसाद ने बताया कि वह खाना खाने के बाद बालिका को लेकर छत पर घुमा रहे थे। मोहित व रितु कमरे में खाना खाने के लिए गए थे। करीब आधा घंटे बाद जब वह छत से नीचे उतरे तो देखा कि कमरा अंदर से बंद था।

उन्होंने कुंडी बजाई लेकिन कोई आहत नहीन होने पर खिड़ी से झांककर देखा तो मोहित साड़ी का फंदा लगा पंखे पर लटका हुआ था। इसके बाद पुलिस को सूचना दी और कमरे का दरवाजा तोड़कर अंदर गए तो रितु पलंग पर मृत पड़ी हुई थी।

दोनों के शव को मोर्चरी में रखा गया और कमरे को सील कर दिया। थानाधिकारी राजेश सोनी ने बताया कि मोहित तो फंटे पर लटका हुआ मिला लेकिन रितु पलंग पर पड़ी हुई थी।

उसका शरीर नीला होने अंदाजा लगाया जा रहा है कि उसकी मौत जहरीला पदार्थ खाने से हुई है। शरीर पर किसी तरह की चोट के भी कोई निशान नहीं हैं। लेकिन यह पोस्ट मार्टम के बाद ही पता चल सकेगा।

पोस्ट मार्टम के लिए इंतजार
पुलिस ने बताया कि उनकी शादी को अभी 7 साल नहीं हुए हैं इसलिए उनका पोस्ट मार्टम मेडिकल बोर्ड से कराया ा इससे पहले पोस्ट मार्टम के लिए काफई इंतजार करना पड़ा। एडीएम व एसडीएम के नहीं आने से पोस्ट मार्टम काफी देर से हुआ। - 

बाड़मेर !गाय के गड्डे में गिरने से हुई मौत गौ भक्तो ने सभापति का पुतला जलाया

बाड़मेर !गाय के गड्डे में गिरने से हुई मौत गौ भक्तो ने सभापति का पुतला जलाया


बाड़मेर ! एक गाय का गड्डे में गिरने से मौत का मामला गर्मा गया इसके विरोध में गौ भक्तो ने सड़क पर उतरकर सभापति उषा जैन हाय हाय के नारे लगाए और शव यात्रा निकालकर सभापति का पुतला फूंक जिलाधीश को चेतावनी भरा ज्ञापन सौपा मामला बाड़मेर शहर का है जहाँ कल एक गाय रॉय कॉलोनी स्थित जाजू भवन के पास रिलायन्स कम्पनी के गड्डे में गिर गयी थी और मोहल्ले के लोगो के नगर परिषद को इतला देने के बावजूद नगर परिषद का कोई क्रमिक और अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचे गाय की तड़प तड़पकर मौत हो गयी जिसके बाद लोगो ने इस घटना का विरोध शोशल मिडिया पर किया देखते ही देखते कई हिंदूवादी संघटन और हिन्दू धर्म के अनुयायी घटना के विरोध में सोमवार को सड़क पर उतर आये और घटना के विरोध में जमकर शोर मचाया हिन्दू युवाओ ने महावीर पार्क से कलेक्ट्रेट तक उषा जैन के पुतले की शव यात्रा निकली और कलेक्ट्रेट के गेट के सामने पुतले को जलाया इसके बाद गौ भक्तो के प्रतिनिधि मंडल ने जिलाधीश को ज्ञापन सौपा और रिलायंस कंम्पनी का काम बंद करने की मांग की और चेतावनी दी की तीन दिन में जिम्मेदार लोगो के खिलाफ कार्यवाही कर निलबित किया जाये अन्यथा उग्र आंदोलन किया जायेगा इस पर्द्शन में लून सिंह महाबार ,रघुवीर सिंह तामलोर ,जगदीश राजपुरोहित


गोपाल सिंह बीदावत ,मोती सिंह भाटी ,धारा राम मेघवाल ,जालम सिंह ,योगेश पारीक सुरेश सिंह ,लोकेन्द्र सिंह गोरडिया ,राजू सिंह आकोड़ा सहित कई गौ भक्त मौजूद रहे

BARMER NEWS TRACK: संघ की प्रांतीय बैठक में किशोर से दुष्कृत्य!

BARMER NEWS TRACK: संघ की प्रांतीय बैठक में किशोर से दुष्कृत्य!: भिंड।भिंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)की प्रांतीय बैठक में आए नाबालिग ने एक स्वयंसेवक पर दुष्कृत्य का आरोप लगाया है। पीडित ने डाई प...

नैरोबी दुनिया भर में चर्चित हुई एक प्रेम कहानी

नैरोबी। यह कहानी किसी आम मुंबइया फिल्म के जैसी लगती तो है लेकिन है नहीं। पर्दे की रूमानी जिंदगी से परे सारिका पटेल और टिमोथी खमाला की जिंदगी का हर पल हकीकत है।

love story that s captivated Kenya

दौलत ही दौलत
एक नायाब से किस्सा है जिस पर सोशल मीडिया में इतनी चर्चा हो रही कि बस पूछिए मत। हर किसी का अपना नजरिया है। बात शुरू होती है मूल रूप से गुजरात के निवासी लेकिन लंबे समय से कीनिया में बस चुके भारतीय मूल के अरबपति व्यापारी छाबडिया पटेले से।

छाबडिया के चार बच्चे हैं और उनमें एक चांद सी बेटी है सारिका। बेशुमार दौलत और हाथों-हाथ ली जाने वाली सारिका भावुक किस्म की लेकिन बेहद समझदार लड़की है जो अब 24 साल की हो चुकी है।

एक दूजे के लिए
कहानी का दूसरा किरदार है 25 साल का टिमोथी खमाला जो, यहां के बेहद गरीब और मिट्टी के घरौंदे में रहने वाले आदिवासी समुदाय कुबुस का युवक है। टिमोथी, सारिका के घर के कारों को साफ करता था।

एक अलासायी सी सुबह में टिमोथी कार पर कपड़ा मार रहा था, एक अनजान लेकिन सुरीली आवाज ने उसे चौंका दिया। ये आवाज सारिका यानी उसकी मालकिन की थी जिसने उसके साथी को दूर जाने को कहा और फिर महीनों से दिल में छुपा रखी अपनी बात टिमोथी को बता दी।

पिक्चकर अभी बाकी है...दिलों का रिश्ता दुनिया से छुप न सका। सारिका अब महलों को छोड़कार मिट्टी के आशियाने को अपना चुकी है। टिमोथी का पहली पत्नी से तलाक हो चुका है और उसकी दुधमुंही बेटी सारिका को अपनी मां मानने लगी है।

सारिका के पिता अब भी बेरोजगार हो चुके टिमोथी को खरीदने के लिए बोली लगा रहे हैं, लेकिन टिमोथी और सारिका कहते हैं...इस जहां की कोई शै हमें जुद नहीं कर सकती। - 


जालोर खेत में मिली प्राचीन प्रतिमा

जालोर भंवरानी। कोराणा गांव में एक किसान को अपने खेत में बुवाई के दौरान प्राचीन प्रतिमा मिली। कोराणा निवासी प्रभुराम अपने खेत में अरण्डी की बुवाई कर रहा था। उस दौरान कृçष्ा यंत्र कल्टीवेटर से पत्थर टकराने की आवाज आई। उसने ट्रैक्टर को रोककर देखा तो वहां कुछ दिखाई नहीं दिया। इस पर शंका दूर करने के लिए उसने वहां खुदाई की तो कुछ नीचे संगमरमर की प्रतिमा मिली।
Ancient statue found in field

उसने इस बारे में ग्रामीणों को सूचना दी और उक्त प्रतिमा को शुद्ध पानी से धोकर एक पेड़ के नीचे बिराजित किया। कुछ ही देर में वहां ग्रामीणों की भीड़ लग गई। लोग प्रतिमा को लेकर तरह-तरह के कयास लगाने लगे। कोई इसे मंगल मूर्ति तो कोई विधाता बता रहा था। कुछ ने इसे लक्ष्मी व सरस्वती की प्रतिमा भी बताया।

अभिषेक कर प्रसादी चढ़ाई
संगमरमर की प्राचीन प्रतिमा को देख ग्रामीणों में खुशी की लहर छा गई। ग्रामीणों ने उस प्रतिमा का शुद्ध जल से अभिषेक किया और खेत के पास ही एक वृक्ष के नीचे प्रतिष्ठित कर दिया। ग्रामीणों ने उस प्रतिमा के आगे प्रसादी का भोग भी लगाया।

ऎसी है प्रतिमा
संगमरमर की बनी यह प्रतिमा किसी देवी की हैं। प्रतिमा के हाथों में वीणा और शास्त्र की पुस्तक है। मूर्ति के एक और एक महिला को हाथ जोड़े दिखाया गया है, वहीं दूसरी तरफ एक पक्षी या पशु का चित्र नजर आ रहा है। इससे विद्या की देवी सरस्वती लग रही है। कुछ इसे जैन धर्म से संबंधित प्रतिमा भी बता रहे हैं।

यहां बसा हुआ था गांव
गांव के प्रबुद्धजन बता रहे हैं वर्तमान कोराणा गांव करीब 150 वर्ष पहले अस्तित्व में आया। जहां से मूर्ति निकली, पहले वहां एक प्राचीन गांव बसा हुआ था। जहां काला जाति के चौधरी समाज के लोगों का बाहुल्य था। तत्कालीन समय में लोग उस स्थान पर 84 लड़कियों का सामूहिक विवाह होने की बात भी बता रहे हैं। इसके आसपास एक पौराणिक बावड़ी व मंदिर जैसे साक्ष्य भी मिल सकते हैं।

सांस्कृतिक धरोहर
कोराणा के युवा भरत कुमार दर्जी व डॉ. सुरेश कुमार ने बताया कि यह प्रतिमा गांव के ऎतिहासिक तथ्यों को बताने में सहायक साबित हो सकती हैं। प्रतिमा के परीक्षण से गांव से सम्बधित अन्य जानकारी भी जुटाई जा सकती है। यह प्रतिमा हमारी सांस्कृतिक धरोहर है।

ग्रामीणों के लिए शुभ संकेत
यह प्रतिमा ग्रामीणों के लिए शुभ संकेत दे रही हैं। यह हमारा भाग्य है कि हमें देवी की प्रतिमा प्राप्त हुई। यह पौराणिक मूर्ति है।
- भोपाजी लाखाराम कोराणा

मंगल मूर्ति है
मैंने मूर्ति को देखा है। ग्रामीणों के लिए शुभ है। यह मंगल मूर्ति है। मंदिर के भी अवशेष मिल सकते हैं। प्राचीन समय में यहां गांव बसा हुआ था।
-संत संतोष भारती, भाद्राजून

संरक्षण किया जाएगा
कोराणा गांव में प्राचीन मूर्ति मिली हैं। हम पुरातत्तव विभाग के अधिकारियों को अवगत करवाकर इस प्राचीन धरोहर के संरक्षण के लिए प्रयास करेंगे।
-नेमाराम सुथार, ग्राम सचिव कोराणा

संघ की प्रांतीय बैठक में किशोर से दुष्कृत्य!



भिंड।भिंड में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस)की प्रांतीय बैठक में आए नाबालिग ने एक स्वयंसेवक पर दुष्कृत्य का आरोप लगाया है। पीडित ने डाई पीकर आत्महत्या का प्रयास किया है। उसे गंभीर अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया है। रविवार सुबह जिला अस्पताल में किशोर ने पुलिस को लिखित आवेदन देकर अपना ब्ायान दर्ज कराया है। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
Provincial meeting of union malfeasance by teens!

पीडित परिवार का कहना है कि मुंह न खोलने के लिए उसको धमकियां दी जा रही हैं। आरोपी सोनू गर्ग घटना के बाद से गायब है। मालूम हो कि आरएसएस की छह दिवसीय बैठक 23 से 28 जुलाई तक शहर के विद्यावती कॉलेज मे आयोजित की गई थी। इसमें संघ के सह सरकार्यवाह कृष्णगोपाल पिंपलेकर सहित प्रदेशभर के तमाम जिला प्रचारक मौजूद रहे थे।


पीडित के मुताबिक शहर के विद्यावती कॉलेज में आरएसएस की बैठक के दौरान उसकी ड्यूटी व्यवस्था के लिए लगाई गई थी। उसके साथ सोनू गर्ग की भी ड्यूटी लगी थी। 23 जुलाई की रात को सोनू गर्ग उसे सोने के लिए कॉलेज की छत पर ले गया, जहां उसके साथ जबरन दुष्कृत्य किया।


बदनामी के भय से किशोर ने घटना का जिक्र किसी से नहीं किया। लेकिन पीड़ा होने पर डॉ.डीके शर्मा से उपचार कराया। इसके बाद भी दर्द नहीं रूका तो रविवार सुबह डाई पीकर आत्महत्या का प्रयास किया।


तबीयत बिगड़ने पर पिता व अन्य लोगों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया। डॉक्टरों ने उसके साथ दुष्कृत्य की बात कही। पीडित स्वयंसेवक ने भी अस्पताल में देहात थाना के निरीक्षक सीबीएस रघुवंशी को लिखित आवेदन देकर अपना बयान दर्ज कराया।



-युवक डाई पीकर अस्पताल में भर्ती हुआ है। मामले की जांच कर रहे हैं। जांच के बाद जो भी तथ्य सामने आएंगे,देखकर कार्रवाई की जाएगी।

 

ऐसा लचीला बदन जो कहीं भी मुड़ जाए (देखें तस्वीरें)

नई दिल्ली: आमतौर पर आपने जिमनास्टिक्स वालों का ही लचीला बदन देखा होगा, लेकिन इस लड़की को देखकर आप हैरान हो जाएंगे। जी हां आपको बता दें कि ये लड़की अपना शरीर किसी भी ऐंगल में मोड़ सकती हैं।
डेली मेल के मुताबिक 26 साल की जेनिफर कीथ जिसे पिक्सी ली नॉट के भी नाम से जाना जाता है। वह ब्रिटेन के लंदन में रहने वाली पिक्सी का शरीर इतना लचीली है कि वो इसे किसी भी ऐंगल में मोड़ लेती है। पिक्सी ने बताया कि उन्हें खुद नहीं पता कि उन्हें इतना लचीला फिगर कहां से मिला। पिक्सी कहती है कि ऐसे फिगर को बरकरार रखने के लिए वो घंटों मेहनत करती हैं। पिक्सी अपने इस टैलेंट के दम पर कई बड़े ईवेन्ट्स का हिस्सा बन चुकीं हैं।

पिक्सी के आम लोगों से लेकर कई नामी सेलिब्रिटीज भी उसके दीवाने हैं। पिक्सी अपनी काबिलियत को बचपन से ही जानती थी। इसलिए स्कूल में होने वाले डांस और जिमनास्टिक्स की कोई भी प्रतियोगिता बड़े आराम से जीत जाती थी। इसके अलावा पिक्सी कई म्यूजिक वीडियोज में भी नजर आती रहती हैं। कंपनीज उन्हें एड के लिए भी साइन करते रहते हैं।

मौत के लिए आरक्षित है यह स्थान

काशी शहर जिसकी जड़ें खुद इतिहास भी नहीं समेट सकता, जो परंपराओं से भी प्राचीन है। ज़ो महागाथाओं से भी परे है, जटाधारी बाबा शिव की इस नगरी काशी के एक बेहद भीड़भाड़ भरे इलाके में एक कोने में एक अनोखी इमारत है जिसके कमरे ‘‘मौत के लिए आरक्षित’’ हैं ।मौत के लिए आरक्षित है यह स्थान
इस दो मंजिला इमारत ‘‘काशी लाभ मुक्ति भवन’’ में ऐेसे बुजुर्ग डेरा डाले हुए हैं जो आध्यात्मिक मुक्ति की तलाश में अपनी जिंदगी के अंतिम दिन यहां बिताना चाहते हैं।
इस मंदिरनुमा इमारत के दस कमरों में से एक कमरे में 85 वर्षीय शांति देवी एक चादर में लिपटी लेटी हुई हैं । उनके कोने वाले कमरे में अगरबत्तियों की खुशबू महक रही है। यह कमरा इसी परिसर के भीतर एक छोटे से मंदिर के पास है जहां सुबह और शाम के समय चहल-पहल कुछ अधिक बढ़ जाती है ।

बिहार के नेवादा से यहां लाई गई देवी अपने कमरे की खिड़की के समीप लेटी अधिकतर समय मंत्रों का जाप करती रहती हैं । यहां हर मरीज के साथ एक पुजारी है । देवी का पुजारी भी नियमित रूप से उनका हालचाल जानने उनके पास आता रहता है ।

देवी के मुंह में दांत नहीं बचे हैं और वह मुश्किल से ही बोल पाती हैं । वह कहती हैं, ‘‘ हर घड़ी बीतने के साथ मैं बेचैन होती जाती हूं । मुझे मोक्ष हासिल करने में मदद की खातिर मेरे परिवार के लोग यहां हैं और मैं उन्हें निराश नहीं करना चाहती। मुझे पता है कि काशी नगरी मुझे शांति से अपने अंदर समाहित कर लेगी।’’

गुजरात का गौरव है रानी की वाव

रानी की वाव गुजरात का गौरव है। इतिहास गवाह है बहुत से राजा महाराजाओं ने अपनी रानियों की स्मृति में यादगार स्थलों का निर्माण करवाया है लेकिन रानी की वाव स्थल कुछ हट कर है। मान्यता है कि इसे रानी उदयमति ने अपने पति सोलंकी वंश के संस्थापक भीमदेव-1 की याद में बनवाया था। इस तथ्य की पुष्टी 304 एडी में मेरुंग सूरी द्वारा रचित 'प्रबंध चिंतामणि' में भीमदेव-1 की याद में उदयमति द्वारा बनाए गए स्थलों के विस्तरित वर्णन से होती है। गुजरात का गौरव है रानी की वाव
रानी की वाव 11वीं सदी में बनी एक ऐसी सीढ़ीदार बावली है जो काफी विकसित और विस्तृत होने के साथ-साथ प्राचीन भारतीय शिल्प के सौंदर्य का भी एक अनुपम उदाहरण है। यह भारत में बावलियों के सर्वोच्च विकास का एक सुन्दर नमूना है। 'रानी की वाव' देश की सबसे अच्छी वाव में से एक होने के साथ एक प्राचीन राजधानी की प्रख्यात धरोहर भी है। गुजरात की वाव सिर्फ पानी के संग्रह या सामाजिक व्यवस्था के लिए नहीं है किन्तु साथ ही आध्यात्मिक महत्व भी रखती थी।

रानी की वाव 64 मीटर लंबी, 20 मीटर चौड़ी तथा 27 मीटर गहरी है। असल दस्तावेजों से ज्ञात होता है की इसे सात मंजिला बनाया गया था लेकिन वर्तमान समय में यह पांच मंजिला ही है। यह इमारत मारु-गुर्जर शैली की वास्तुकाल में निर्मित है। बहुधा मूर्तिकलाओं में विष्णु भक्ति दशावतार रुप में दिखती है। जिनमें भगवान के वराह, नृसिंह, राम तथा कलकी के खूबसूरत श्री रूप हैं। इसके अतिरिक्त मां दुर्गा को राक्षस महिषासुर का संहार करते हुए प्रर्दशित किया गया है। खूबसूरत अप्सरा के चित्र में 16 तरह के श्रृंगार दिखाए गए हैं। जल स्तर के समीप ही भगवान श्री हरि विष्णु का भी चित्रण हैं।

2001 तक तो यहां आने वाने सैलानी रानी की वाव में नीचे जल तक जा कर इसकी खूबसूरती का आनंद ले सकते थे मगर भुज में आए भूकंप के बाद इसका ढ़ांचा कमजोर हो गया। सैलानीयों की सुरक्षा को मध्य नजर रखते हुए भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने सैलानीयों के घुमने के लिए एक परिसीमा निश्चिच की है।

11वीं शताब्दी के सीढ़ीदार कुएं ‘रानी की वाव’ को 22 जून 2014 को यूनैस्को की विरासत सूची में शामिल किया गया है। यह भारतीयों के लिए गर्व का विषय है। अगली बार आप गुजरात की यात्रा करें तो रानी की वाव’ अवश्य जाएं। वह हमारी महान कला और संस्कृति का शानदार प्रतीक है। यूनैस्को ने इसे भूजल संसाधनों के इस्तेमाल में प्रौद्योगिकीय विकास का बेजोड़ नमूना बताया है।

गुजरात से यूनेस्को की विश्व विरासत सूची में शामिल होने वाली रानी की वाव दूसरी ऐतिहासिक व सांस्कृतिक महत्व का स्थल है। इससे पहले वर्ष 2004 में पंचमहाल जिले में स्थित चांपानेर-पावागढ़ किले को भी यूनेस्को विश्व विरासत सूची में शामिल कर चुका है। गत वर्ष अक्टूबर में यूनेस्को की वर्ल्ड हैरिटेज समिति के सदस्यों ने विशेषज्ञों के साथ रानी की वाव का दौरा किया था। इस दौरान यूनेस्को के विशेषज्ञों ने इस वाव की भूमिगत जल के स्त्रोत के उपयोग व जल प्रबंधन प्रणाली के रूप में काफी सराहा था।