रविवार, 27 जुलाई 2014

बाड़मेरदलित गर्भवती महिला के साथ मारपीट,घायल गर्भवती महिला बाड़मेर रेफर

बाड़मेर दलित गर्भवती महिला के साथ मारपीट,घायल गर्भवती महिला  बाड़मेर रेफर


बायतू--बाड़मेर जिले के बायतू थाना क्षेत्र के अंतर्गत सेवनियाला गांव में शनिवार को भूमि विवाद में एक गर्भवती महिला के साथ कुछ लोगों ने मारपीट की जिससे महिला घायल हो गई। उसे उपचार के लिये बायतू सामुदायिक अस्पताल लाया गया जहां से बाड़मेर रैफर कर दिया।

बायतू थानाधिकारी मनोज मूंढ ने बताया कि किशना राम पुत्र राऊ राम मेगवाल निवासी सेवनियाला ने मामला दर्ज करवाया कि वह अपनी पत्नी बादली देवी के साथ खेत पर काम कर रहा था तभी वहाँ पर एक महिला सहित पांच लोग लाठी व धारदार हथियार लेकर आए। उन्होंने खेत में प्रवेश कर उससे व उसकी पत्नी के साथ मारपीट की तथा जाति सूचक शब्दों से अपमानित किया। उसकी पत्नी बादली देवी गर्भवती होने की वजह से गम्भीर घायल हो गई। जहाँ से उसे बाडमेर रैफर कर दिया। पुलिस ने मारपीट लज्जाभंग व एससी,एसटी ़एक्ट के तहत मामला दर्ज कर जाँच शुरू कर दी।

ओएमजी! इस शख्स के पास महिला-पुरूष दोनों के गुप्तांग -



बीजिंग। भला क्या ऎसा भी हो सकता है कि किसी मर्द के महिला और पुरूष दोनों के गुप्तांग हो, लेकिन यह सच है! जी हां चीन के जीयाजियांग प्रांहत में रहने वाले 44 वर्षीय चेन एक ऎसे इंसान है जिनके स्त्री और पुरूष दोनों के गुप्तांग है।
A man in china is a woman
डेली मेल के अनुसार चेन को अपनी इस अनोखी स्थिति के बारे में तब पता चलता जब उन्हें पेट में दर्द की रहने लगी और वो अस्पताल पहुंच गए। चेन ने डॉक्टरों को बताया कि उसके पेट में तेज दर्द उठ रहा है और पैरों में भी सूजन आ गई है।

लेकिन चेन जैसे ही अस्पताल पहुंचे उन्हें वही पर पीरियड्स आने शुरू हो गए। इस अजीबोगरीब घटना को देखकर डॉक्टर भी दंग रह गए। इस घटना से सकते में आए डॉक्टरों ने चेन की जांच की तो उनके भी होश उड़ गए। डॉक्टरों ने पाया कि चेन को वाकई महिलाओं की तरह पीरयड्स हो रहें हैं।

इसके बाद आगे की जांच की गई तो और भी ज्यादा चौंकाने वाला वाकया सामने आया जिसे देखकर तो डॉक्टरों के होश ही उड़ गए। डॉक्टरों ने अपनी जांच में पाया कि चेन के पेनिस तो मर्द की ही तरह है लेकिन अंदर से औरतों जैसा रिप्रोडक्टिव ऑर्गन हैं। इसका मतलब चेन एक ऎसे शख्स हैं जिनके पेनिस भी है और अंदर से महिलाओं की तरह वैजाइना भी।

इसमें चौकाने वाली एक और बात सामने आई कि अपनी इस अजीबोगरी स्थिति के साथ चेन पिछले 10 सालों से शादीशुदा जीवन का पूरा आनंद उठा रहे हैं क्योंकि सेक्स के दौरान उन्हें कभी कोई दिक्कत नहीं हुई।

हांलाकि, डॉक्टरों का कहना है कि चेन का मेडिकल केस पर अभी और ज्यादा स्टडी करने की जरूरत है, लेकिन उन्होंने चेन के गुप्तांग को कोई नया टाइप देने से फिलहाल मना दिया।

हालांकी आपको बता दें कि चेन के इस केस को मेडिकल की भाषा में इंटरसेक्स कहा जाता है। इस बीमारी को कंजेनिटल अडरीनल हाइपरप्लासिया कहा जाता है।

ऎसी स्थिति लिए अमेरिका में हर 2000 बच्चों में ऎसा एक बच्चा ऎसा ही पैदा होता है जिसके पास मर्द और औरत दोनों के ही गुप्तांग होते हैं।

इसमें हैरत की बात तो ये होती है कि ऎसे लोग दिखने में तो मर्द ही लगते हैं, लेकिन जेनिटिकली अंदरूनी तौर पर वो महिला होते हैं।

अब केवल साढ़े तीन साल में हो सकेगी आईआईटी से बीटेक



खड़गपुर। आईआईटी में नए क्रेडिट स्कोर सिस्टम के लागू होते ही स्टूडेंट्स केवल साढ़े तीन साल में ही बीटेक की डिग्री हासिल कर सकेंगे। यह सिस्टम वर्ष 2016 से लागू होने की उम्मीद है। वर्तमान में बीटेक की डिग्री चार साल के कोर्स के बाद मिलती है। वहीं वर्ष 2016-17 अकेडमिक सैशन से के्रडिट स्कोर सिस्टम सभी आईआईटी में लागू हो जाएगा।
IITs plan to fast-track degrees with credit system from 2016
इसकी घोषणा आईआईटी खड़गपुर के निदेशक पार्थ प्रतीम चक्रवर्ती ने संस्थान के 60वें कोनवोकेशन के दौरान की। अमरीकी सिस्टम का अनुसरण करते हुए अब आईआईटी में स्टूडेंट्स को बीटेक के लिए फ्लेक्सिबल समयसीमा मिलेगी। नए सिस्टम के तहत छात्रों को कुछ तय क्रेडिट स्कोर करने होंगे। इसमें क्लास लेक्चर, लैब, वर्कशॉप और फील्ड वर्क शामिल होगा। इसके तहत छात्रों को सुविधा होगी कि वे इन क्रेडिट स्कोर्स के लिए अपने हिसाब से समय ले सकेंगे।


इन्हें पूरा करने के लिए छात्रों के पास अधिकतम 8 साल का समय होगा जिससे छात्रों पर दबाव घटेगा। वहीं जो छात्र जल्दी यह क्रेडिट स्कोर हसिल करना चाहेंगे वे कम से कम सात सेमिस्टर में 176 से 182 क्रेडिट हासिल कर लेंगे। ऎसे छात्रों के पास बचे हुए छह माह में अपनी इच्छा का कोई प्रोजेक्ट चुनने, नौकरी करने या स्टार्ट-अप शुरू करने की आजादी होगी ताकि वे पढ़ाई के दौरान अनुभव भी हासिल कर सकें। हालांकि डिक्री कोनवोकेशन में ही मिलेगी, लेकिन साढ़े तीन साल बाद उन्हें एक प्रोविजनल मार्कशीद दे दी जाएगी। एमआईटी, स्टैनफर्ड और हार्वर्ड से प्रोरित यह सिस्टम चार चारणें में लागू होगा।

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अमरीका ने करवाई नितिन गडकरी की जासूसी, बेडरूम में मिले डिवाइस! -



नई दिल्ली। केन्द्रीय मंत्री और पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी की कथित जासूसी की घटना सामने आई है। एक अंग्रेजी सामचार पत्र के मुताबिक गडकरी के 13 तीन मूर्ति लेन स्थित घर में उच्च क्षमता वाले लिसलिंग डिवाइसेज पाए गए हैं। दुर्घटवाश हुई खोज के बाद छुपे हुए माइक हटाने का आदेश दिया गया।
Secret bugs found in Nitin Gadkari`s bedroom
समाचार पत्र ने उच्च पदस्थ सूत्रों के हवाले से बताया कि गडकरी के घर लगातार और डिवाइसेज पाए गए। गडकरी ने तुरंत घटना के बारे में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और संघ प्रमुख मोहन भागवत को जानकारी दी। शुरूआती जांच के मुताबिक विदेशी एजेंसी ने गडकरी के घर में बग्स प्लांट किए थे। विदेशी एजेंसियों के ऑपरेटिव्स ही परिष्कृत लिसनिंग डिवाइस का इस्तेमाल करती है। खासतौर पर सीआईए और नेशनल सिक्योरिटी एजेंसी।

वाशिंगटन पोस्ट ने 30 जून को एडवर्ड स्नोडन के हवाले से खुलासा किया था कि अमरीकी की प्रमुख जासूसी एजेंसी ने भाजपा नेताओं की जासूसी करवाई थी। अभी इस बात का पता नहीं चला है कि गडकरी के अलावा भाजपा के किन अन्य नेताओं की जासूसी की जा रही थी। समाचार पत्र के मुताबिक उसने घटना के बारे में प्रतिक्रिया के लिए कई बार गडकरी से संपर्क किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिला।

गडकरी के एग्जिूक्यूटिव वैभव डांगे ने कहा कि उसे इस तरह की घटना के बारे में कोई जानकारी नहीं है। जब डांगे से गडकरी की प्रतिक्रिया के बारे में पूछा गया तो उसने कहा,मुझे इस बारे में जानकारी नहीं है। गौरतलब है कि 2011 के बाद से गडकरी भाजपा के महत्वपूर्ण नेता हो गए थे। गडकरी की संघ के वरिष्ठ नेताओं से नजदीकी के बारे में सभी को पता है। उच्च पदस्थ सूत्रों के मुताबिक लिसलिंग अपवाद स्वरूप उच्च क्वालिटी के हैं,जो भारत में इस्तेमाल नहीं किए जाते।

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रांची में अस्पताल के कर्मचारी ने लड़की के कपाड़े उतारकर फिल्म बनाई -



रांची। झारखण्ड की राजधानी रांची में एक लड़की पर यौन हमले का मामला सामने आया है। शहर के राजेन्द्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज के कर्मचारी ने 17 वर्षीय लड़की के कपड़े उतार दिए। उसने लड़की के पैर बांध दिए और मुंह में कपड़ा ठूंस कर फिल्म बनाई।
Employee of Ranchi hospital filmed girl in nude
पीडिता ने पुलिस को बताया कि वह अपने भाई को देखने अस्पताल गई थी,जो पिछले एक महीने से ऑर्थोपेडिक्स वॉर्ड में भर्ती है। पीडिता के मुताबिक वह अपने रिश्तेदार के साथ कपड़े सूखाने छत पर गई। इस दौरान 20 साल का एक व्यक्ति वहां आया। उसके हाथ में चाबियों का गुच्छा था। उसने हम दोनों को छत से जाने के लिए कहा और पुलिसिया कार्रवाई की धमकी दी।

बताया जा रहा है कि वह व्यक्ति अस्पताल में ठेके पर रखा गया कर्मचारी था। उसने पीडिता के रिश्तेदार की पिटाई कर दी। बकौल पीडिता,जब मेरा रिश्तेदार छत से चला गया तो आरोपी मुझे खींचकर एक कमरे में ले गया और मेरे कपड़े उतार दिए। उसने नग्नावस्था में मेरी तस्वीरें खींची और वीडियो फिल्म बनाई। बरियातु पुलिस थाने के इंचार्ज विनोद कुमार ने बताया कि जब पीडिता के रिश्तेदार ने अस्पताल के कुछ गार्ड को अलर्ट किया तो वे छत पर गए लेकिन वे आरोपी को पकड़ने में कामयाब नहीं हुए। विनोद कुमार ने ही आरोपी के खिलाफ एफआईआर दर्ज की है।

विनोद कुमार के मुताबिक आरोपी को अस्पताल की रख रखाव शाखा में ठेके पर रखा गया था। रांची के डीवाईएसपी सत्यवीर सिंह ने बताया कि पीडिता को मेडिकल परीक्षण के लिए भेजा गया है ताकि इस बात का पता चल सके कि उस पर किस तरह का यौन हमला हुआ था। घटना को लेकर रख-रखाव विभाग के तीन कर्मचारियों को हिरासत में लिया गया है। 20 जुलाई को अस्पताल के जूनियर डॉक्टरों ने एक मरीज के साथी के कपड़े उतार दिए थे। मरीज की इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

 

बाड़मेर डीजल के अभाव में जिले में 3 एम्बुलेंस बंद।


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शहर में 108 की कोई सेवा नही।


बाड़मेर शहर में पिछले एक माह से 108 की कोई सेवा नही है। आये दिन बड़े बड़े हादसे हो रहे है पर इतने बड़े शहर में 108 एम्बुलेंस को कोई सेवा नही है।
   पूर्व में वैकल्पिक व्यवस्था की गिड़ा की गाड़ी को वापिस भेजे जाने के बाद शहर में कोई भी एम्बुलेंस नही है। दुर्घटनाओ के समय कवास या भाडखा से 108 की गाड़ी आती है तब तक मरीज की हालत बहुत दयनीय होती है।

डीजल के अभाव में जिले में 3 एम्बुलेंस बंद।


राज्य सरकार द्वारा संचालित 108 एम्बुलेंस की सेवा आजकल बाड़मेर जिले में चिंताजनक है।
     लोगो कोआपातकाल में सहायता देने वाली 108 एम्बुलेंस का निजी संस्था जीवीके ई ऍम आर आई द्वारा सही तरीके से संचालित नही कर पाने का नतीजा आम लोगो को भारी पद रहा है।
बाड़मेर जिले की 3 एम्बुलेंस चोह्टन,कल्यानपुर और साता की गाडियों में डीजल नही होने के कारण बंद पड़ी है। और लोगो को किराहे के वाहनों से मरीजो को अस्पताल ले जाना पड़ रहा है।


केसे मिलता है डीजल- 


108 में डीजल के लिए कंपनी ने प्रत्येक गाड़ी में एक फ्यूल कार्ड दे रखा है। जिसमे हर  रोज का कम दुरी के लिए 2 और ज्यादा दुरी की गाडियों के लिए 3 हजार तक के डीजल का पैसा निकाला जा सकता है। कार्ड से पेट्रोल पंप वाला गाड़ी में भराए गये डीजल का पैसा अपने खाते में ले लेता है और गाड़िया डीजल भरवा कर जाती है। पर आजकल कंपनी द्वारा समय पर कार्ड में रूपये नही डालने के कारण गाडियों में पंप वाले डीजल नही भर रहे है।

एसपी घूसकांड: पढिए एसपी और फरहीन घूस की पूरी कहानी

कोटा। निलंबित एसपी से अंतरंगता का फरहीन एक सीमा से ज्यादा ही फायदा उठाने लगी थी। आलम यह था कि वह खुद को कहीं भी एसपी से कमतर नहीं आंकती थी और खुद का परिचय इस तरह से कराती थी, जैसे वह पुलिस में किसी ओहदे पर हो। बाहरी लोगों से उसकी बातचीत कुछ इस अंदाज में होती थी- "फरहीन बोल रही हूं, एसपी ऑफिस से/पुलिस लाइन से"।

kota sp bribe case Satyaveer Singh and Farheen Khan sheet filed in court


इधर, पुलिस बेड़े में यह महिला "मैडम" के नाम से पहचान बढ़ाती जा रही थी। एसीबी ने अपनी चार्जशीट में हर पहलु को करीब से छुआ है और तथ्यों के साथ हर संवाद को जोड़ते हुए मामले को बेनकाब किया है।

लोगों को फांसने में माहिर इस महिला ने अपने पति के साथ मिलकर शहर में सट्टे-जुएं तक चलवाए। अलग-अलग अवसरों पर हुई वार्ताएं, जो इस रैकेट का पर्दाफाश कर रही हैं-

अपन ऎसा करते हैं, सट्टे को जुआ बना देते हैं...
[ 23 अप्रेल : सटोरिए राजेन्द्र अग्रवाल के यहां रेड के बाद फरहीन ने उद्योग नगर सीआई पुष्पेन्द्र आढ़ा को फोन कर वार्ता की। ]
सीआई : वो तो क्या है कि, एक्च्युअली क्या है मैडम, तीन है मैडम, डिप्टी साहब, सीआई साहब, दो-तीन है। टीम उन्हें पकड़कर लाएं हैं, मैडम ये...
फरहीन : अच्छा डीवाईएसपी वगैरह सारे होंगे ये
सीआई : हां सारे ही थे ये, मैं नहीं गया, मैंने तो इनके पास में ही सब कुछ, क्योंकि पांच आदमी लाए हैं, इसी की तो सब है।
फरहीन : तो ये आदेश किसने दिया? एसपी साहब का तो आदेश नहीं था ये, हो ही नहीं सकता, क्योंकि एसपी साहब तो जयपुर है
सीआई : आदेश तो पता नहीं, कोई सूचना होगी, डिप्टी साहब के पास होगा, हां इनके पास ही होगा कोई मैसेज, हां कोई डिप्टी साहब के पास ही कोई फोन-वोन आ गया होगा, हां चलो कोई नहीं अभी कराकर फ्री कर देंगे

फरहीन : आप ऎसा करो, दूसरे के ऊपर जाए, ये (राजेन्द्र) कैसे ना कैसे एडजेस्ट कर दो, इसको तो निकाल दो
सीआई : हां, निकालना तो मैडम वो लेकर आए हैं अपन थोड़े लाए हैं, मैं लियाता तो अपन कर ही लेते, ये तो क्या है ये लोग उनको लेकर आए हैं ना, टीम जैसे, महावीर नगर वाले सीआई साहब, डिप्टी साहब थे, ये सब लाए ना, तो अपन ऎसा करते हैं, सट्टा नहीं बनाकर जुआ बना देते हैं

फरहीन : फिर भी नाम तो आया ना इनका
सीआई : हां नाम तो आएगा, लेकिन सट्टे में नहीं आकर जुआ में आएगा, जुए में तो जैसे चार-पांच आदमियों के ऊपर चला जाएगा, सट्टे पर तो क्या है यह खुद ही पर्टिकूलर विख्यात है, तो ज्यादा सट्टा नहीं होकर, ये हो जाएगा कि सामूहिक ही थे ये लोग

फरहीन : तो ये इन्होंने करा दुष्यंत जी ने... हां मैं बात करती हूं आज उनसे, हाईकमान से बात करेंगे अपन तो
सीआई : नहीं-नहीं, अब तो हो ही गया, अब क्या बात करनी है, बाद में देखेंगे, मैं देख लेता हूं, इनका सट्टा नहीं बनाकर जुआ बना देते हैं, हैं ना!
(आखिरकार सीआई ने फरहीन के प्रभाव में सट्टे को जुआ बना दिया)

बताओ, किसको देनी है जांच?
[ 28 अप्रेल : झूठे परिवाद दिलाकर युवराज व मशरूल से वसूली की साजिश की वार्ता ]
फरहीन : वो युवराज का और मशरूल का... दोनों के भिजवए थे मैंने... नहीं वो थाने पर भिजवा दिया इन लोगों न...
सत्यवीर : डाक में आते हैं ना लेटर, उनका मेरे ध्यान में नहीं रहता, सैकड़ों चिटि्ठयां आती है... मुझे पर्सनली देना चाहिए था ना... मैं सारे कागज थोड़े ही पढ़ता हूं...

फरहीन : नहीं तो अब मेरी बात तो सुन लो, अब तो वहां गया है कागज, रतन सिंह जी के पास जांच चली गई, आप मंगवा लो ना
सत्यवीर : एक कागज और दे देना मेरे को... उसको कॉपी दे दो मेरे को... किसी से भी कोई लिफाफा मुझे दे जाए..
फरहीन : दोनों की.. कोई आपको डायरेक्ट देनी पड़ेगी

(इसी संबंध में फिर 2 मई को फिर दोनों के बीच वार्ता होती है)
सत्यवीर : तुम तो ये बताओ वो जांच किसको देनी है, वो कागज मंगवा लिए थे मैंने.. वो जो हिस्ट्रीशीटर युवराज वाली
फरहीन : उसकी जांच तो आपके ऑफिस में कोई विश्वासपात्र आदमी को दो
सत्यवीर : भाई मुझे तो बताओ ना, वो तुम्हारा कौन है, कराएगा, उसी को दे देता हूं कि भाई तू कर, मैं क्या जानूं कौन है, कैसा है?
फरहीन : नहीं तो वो तो आप बुलाओगे ना उसको तो डायरेक्ट ही... मतलब जैसे आपने ये कागज बुलाए हैं
सत्यवीर : आप बताओ किसको देनी है, उसी को दे दें... जो मजबूत हो, कोई आदमी विश्वास का हो.. हां बताओ, किसको दें, जो काम करें..
फरहीन : वैसे क्या है, मैं मेरी तरफ से रख रही हूं बात... वैसे पुष्पेन्द्र जी है, जो है ना, वो भी ठीक आदमी है और ये जो हिस्ट्रीशीटर है ना... वो उसी थाने का है... वो जिसमें पुष्पेन्द्र जी हैं... या सुनो-सुनो, कृष्णियां जी को... दूसरे थाने में नहीं दे सकते?

मुझे मकान लेना है
[ 2 मई : बोरखेड़ा के प्रोपर्टी व्यवसायी जगदीश उर्फ डाबर के संबंध में सत्यवीर-फरहीन ]
फरहीन : सलाम के साथ वाले डाबर के मामले में ठीक से जांच कराने के लिए डाबर के आदमी मेरे पास आ रहे हैं...
सत्यवीर : तुम्हें कह देना चाहिए कि हमारी इतनी हम बात नहीं करते हैं, तुम मना कर देते ना कि हमारी नहीं सुनते, हमने पहले ही कह दिया कि तुम सब को मना कर दो, मेरी कोई बात नहीं होती
फरहीन : वो तो पैसे दे रहे हैं ना...
सत्यवीर : कितने? 50 लाख...
फरहीन : वो आया था और वो 10 के लिए हां कर रहा है... 10-10 करके डाउन पेमेंट तो इकट्ठा कर लें यार...
सत्यवीर : छोड़ो इन चक्करों में नहीं पड़ेंगे, उसको तो मैंने टाइट करने के लिए बोला है इनको, ढीला करने के लिए नहीं बोला, टाइट करने के लिए बोला है
फरहीन : कर लेने दो मुझे देवाशीष (कॉलोनी) में मकान लेना है।

मैडम कहां आऊं मिठाई लेकर
[ 6 मई : पुलिसकर्मी जसवंत सिंह के तबादले के संबंध में फरहीन की किसी अन्य व्यक्ति से ]
फरहीन : बिल्कुल वो जसवंत जी को वापस टेलीफोन करवा दिया, वो सस्पेंड कर दिया था ना फिर क्या मेरे मुंह जुबानी आदेश पे उनको है ना जो बोलने भी नहीं दिया और पक्का काम भी नहीं होने दिया, वापिस है ना जो उसमें लगवा दिया ट्रैफिक में
अन्य व्यक्ति : किसने लगवाया ट्रैफिक में?
फरहीन : अप्पन ने ही करवाया, सस्पेंड कर रखा था ना उसको... कर दिया था..
अन्य व्यक्ति : हां, किसे?
फरहीन : जसवंत सिंह जी को जो फिर करवा दिया उसका तिया पांचा और अभी नौकरी कर रहे हैं, कह रहे थे मैडम कहां आऊं काजू कतली लेकर.. मैंने कहा - आ जाना जहां भी आओ।

बोल देना, एसपी साहब की फैमिली में हूं
[ 13 मई : अन्वेषण भवन में मेहमान ठहराने के संबंध में सत्यवीर-फरहीन ]
सत्यवीर : कोई व्यवस्था कराऊं यहां, कोई व्यवस्था... क्या-क्या करानी है, बता देना मुझे..
फरहीन : यहां तो ये... छोटे वाले भाई है, उनकी वाइफ, बड़े वाले भाई की एक बेटी, मम्मी... मनीषा और उसके दो बच्चे, मनीषा के हसबैंड नहीं है। मैं अलग से मम्मी के साथ रूक गई थी।
सत्यवीर : कितने कमरे लिए?
फरहीन : तीन कमरे लिए हैं।
सत्यवीर : तो तुम घर पर हो अभी?
फरहीन : नहीं मैं तो यहीं हूं, अन्वेषण भवन में ही।
(इसी बीच फरहीन का बेटा उसे कॉल कर बात करता है।) फरहीन अपने बेटे से कहती है : "सुन-सुन तू अंदर एंट्री मारेगा तो कह देना, जो एसपी साहब की फैमिली गई है ना, उन्हीं का बेटा हूं मैं"

एक सस्पेंड किया, दो को नहीं
[ 16 मई : अपने नौकर की गाड़ी पकड़ने
वाले दो ट्रैफिक पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई के संबंध में एसपी-फरहीन की वार्ता ]
फरहीन : आप करो तो दोनों का करना, और गलत नहीं और प्रेस्टीज का भी सवाल है, देखो- उन्होंने बहुत बुरा किया है... इतना गुस्सा आ रहा है उन लोगों पर सच्ची में... उनको सजा भी जल्दी मिलनी चाहिए, सारा मामला ठण्डा होने पर उनको सजा मिली तो कोई सजा नहीं है.. हालत ऎसी थी उनकी ऑन स्पॉट होना चाहिए था उनके साथ... मैं क्या मेरा दिमाग भी काम नहीं कर रहा, करो तो दोनों के साथ ही कर देना मतलब...
एसपी : कर दूंगा... मैं मण्डे को कर दूंगा... कल और परसों तो छुट्टी है.. सोमवार को कर दूंगा।

[चार दिन बाद 20 मई को]
फरहीन : पेपर पढ़ रही थी... गुस्सा भी आ रहा था... आप ऑफिस बैठे हो.. एक को सस्पेंड किया, दो को नहीं किया। मेरा क्या खून जला-जलाकर मारकर करोगे क्या? मत करना अब। भाड़ में जाने दो उसको.. मतलब यह मानो.. इस व्यवहार के लिए मेरा रोज खून जल रहा है.. उसके साथ ही हटा देते ना जल्दी...
सत्यवीर : हट जाएंगे आज

काम भी नहीं, पैसे भी नहीं
[ 21 मई : व्यवसायी मशरूल हसन और निसार में बातचीत ]
मशरूल : अरे भाई जान एसपी साहब ने तो अपनी पॉजिटिव रिपोर्ट करी है तो रिपोर्ट पॉजिटिव भेजी है, लैटर आ गया.. मेरे पास अभी खारिज करी.. उन्होंने बताया कि एसपी साहब की रिपोर्ट पॉजिटिव है।
निसार : पॉजिटिव खराब है.. यूं
मशरूल : हां, खराब है..
निसार : तो एसपी साहब से मैंने बात ही कहां करी
मशरूल : नहीं तो अपण ने तो पैसे दिए थे तब बात तो करी थी आपने 50 हजार
निसार : यार उस टाइम मैंने तुम्हारा काम करवाया, तुम्हें पता है कि तुम्हारी रिपोर्ट पॉजिटिव है, लिखकर गई थी उस टाइम बात खत्म हो चुकी अपनी

[अपने रिवॉल्वर लाइसेंस का आवेदन निरस्त होने पर मशरूल निसार के रेस्टोरेंट पर अपने 50 हजार रूपए लेने गया। इसके बाद फोन पर हुई वार्ता]

निसार : पैसे खत्म हो गए, मतलब कुल मिलाकर कि भई काम भी नहीं, पैसे भी नहीं। - 

कौन है राजस्थान में दहशत का पर्याय आनंद पाल?

जयपुर। राजस्थान में दहशत के दूसरे नाम से आनंद पाल सिंह को जाना जाता है।
know about criminal anandpal singh

हाल ही में आनंद पाल सिंह ने अपने विरोधियों को बीकानेर सेंट्रल जेल में गोलियों से छलनी कर दिया था।

नागौर के लाडनूं तहसील के गांव सांवराद में हुकम सिंह के घर आनंद पाल का जन्म हुआ।

अक्सर बुलेट प्रूफ जैकेट पहनकर खून की होली खेलना आनंद पाल का शौक रहा है। खतरनाक हथियारों केबल पर आनंद पाल प्रदेश के अपराध जगत का मसीहा बनकर बैठ गया।

लूट, डकैती, हत्या सहित दो दर्जन से भी ज्यादा मामलों में प्रदेश की पुलिस को मोस्ट वांटेड क्रिमिनल आनंद पाल की तलाश थी। आनंद पाल को पकड़ने का जिम्मा दबंग पुलिस अधिकारियों को सौंपा गया।

जयपुर पुलिस, एसओजी और एटीएस की संयुक्त टीम ने फागी कस्बे के पास मोहब्बतपुरा गांव से इस खूंखार अपराधी को पकड़ा था। पुलिस की टीम ने आनंद पाल के कब्जे से एके 47 सरीखे खतरनाक हथियार, ऑटोमैटिक मशीन गन, बम और बुलेट प्रूफ जैकेट बरामद किए।

बता दें कि सरकारी सुरक्षा बलों के पास ही एके 47 बंदूक पाई जाती है। अपराध जगत में आनंद पाल का जन्म वर्ष 2006 में हुआ था। जब उसने डीडवाना में जीवनराम गोदारा की गोलियों से भूनकर हत्या कर दी थी।

गोदारा की हत्या के अलावा आनंदपाल के नाम डीडवाना में ही 13 मामले दर्ज है। जहां 8 मामलों में कोर्ट ने आनंदपाल को भगौड़ा घोषित किया हुआ था। सीकर के गोपाल फोगावट हत्याकांड को भी आनंद पाल ने ही अंजाम दिया।

गोदारा और फोगावट की हत्या करने का मामला समय-समय पर विधानसभा में गूंजता रहा है। आनंदपाल के जुर्म की फेहरिस्त का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जब उसने किसी को मौत के घाट उतारा वो ही मुद्दा सरकार के लिए जवाब का विषय बन गया।

सरकार चाहे किसी भी पार्टी की हो विपक्ष लचर कानून व्यवस्था और पनपते शराब माफियाओं के नाम पर सरकार को निशाने पर ले ही लेता है।

विधानसभा सत्र में भी बीकानेर जेल में हुई गैंगवार पर खूब हंगामा मचा। जहां आनंद पाल को लेकर सरकार विपक्ष के निशाने पर रही।

29 जून 2011 को आनंद पाल ने सुजानगढ़ में भोजलाई चौराहे पर गोलियां चलाकर तीन लोगों को घायल कर दिया। उसी दिन गनौड़ा में शराब ठेके पर सेल्समैन के भाई की हत्या के आरोप में भी आनंद पाल का हाथ होने की बात सामने आई।

लिकर किंग बनने के चलते आनंद पाल ने बीकानेर जेल में ही अपने प्रतिद्वंदी को गोलियों से उड़ा दिया। सेंट्रल जेल में मचे रक्तपात में अपराध जगत के दो और लोगों को आनंदपाल की गैंग ने मार गिराया।

पुण्यतिथि विशेष: खलनायकी के बेताज बादशाह थे अमजद खान -



ब्लॉकबस्टर हिंदी फिल्म शोले में गब्बर सिंह का किरदार निभा कर अमर होने वाले अमजद खान शुरू में इस रोल को नहीं करना चाहते थे। बहुत कम लोग जानते हैं कि पहले यह रोल डैनी के लिए लिखा गया था परन्तु उनके मना करने पर अमजद खान को फिल्म दी गई। पहले तो अमजद खान घबरा से गए लेकिन बाद में उन्होंने इसे एक चैलेंज केरूप में लेते हुए हिंदी सिनेमा का एक अविस्मरणीय इतिहास लिख दिया।
Amjad Khan made Gabbar Singh immortal
12 नवंबर 1940 जन्मे अमजद खान को अभिनय की कला विरासत में मिली। उनके पिता जयंत फिल्म इंडस्ट्री में खलनायक रह चुके थे। अमजद खान ने बतौर कलाकार अपने अभिनय जीवन की शुरूआत वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म अब दिल्ली दूर नही से की। इस फिल्म में अमजद खान ने बाल कलाकार की भूमिका निभाई। अपने अभिनय मे आई एकरूपता को बदलने और स्वंय को चरित्र अभिनेता के रूप में स्थापित करने के लिये अमजद खान ने अपनी भूमिकाओं में परिवर्तन भी किया। इसी क्रम में वर्ष 1980 मे प्रदर्शित फिरोज खान की सुपरहिट फिल्म कुर्बानी में अमजद खान ने हास्य अभिनय कर दर्शको का भरपूर मनोरंजन किया। वर्ष 1981 मे अमजद खान के अभिनय का नया रूप दर्शकों के सामने आया। प्रकाश मेहरा की सुपरहिट फिल्म लावारिस में वह अमिताभ बच्चन के पिता की भूमिका निभाने से भी नही हिचके। हांलाकि अमजद खान ने फिल्म लावारिस से पहले अमिताभ बच्चन के साथ कई फिल्मों में खलनायक की भूमिका निभाई थी पर इस फिल्म के जरिये भी अमजद खान दर्शको की वाहवाही लूटने में सफल रहे ।

वर्ष 1981 में प्रदर्शित फिल्म याराना में उन्होंने सुपर स्टार अमिताभ बच्चन के दोस्त की भूमिका निभाई। फिल्म मे अपने दमदार अभिनय के लिये अमजद खान अपने सिने कैरियर में दूसरी बार सर्वश््रेष्ठ सह कलाकार के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। इसके पहले भी वष्ाü 1979 में भी उन्हें फिल्म दादा के लिए सर्वश््रेष्ठ सह कलाकार के फिल्म फेयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। इसके अलावा वर्ष 1985 में फिल्म मां कसम के लिए अमजद खान सर्वश््रेष्ठ हास्य अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार से भी सम्मानित किए गए। वर्ष 1983 में अमजद खान ने फिल्म चोर पुलिस के जरिए निर्देशन के क्षेत्र में भी कदम रखा लेकिन यह फिल्म बॉकस ऑफिस पर बुरी तरह से नकार दी गई।

वर्ष 1986 में एक दुर्घटना के दौरान अमजद खान लगभग मौत के मुंह से बाहर निकले थे और इलाज के दौरान दवाइयों के लगातार सेवन करने से उनके स्वास्थ्य में लगातार गिरावट आती रही। उनका शरीर लगातार भारी होता गया। नब्बे के दशक में स्वास्थ्य खराब रहने के कारण अमजद खान ने फिल्मों मे काम करना कुछ कम कर दिया। अपनी अदाकारी से लगभग तीन दशक तक दर्शकों का भरपूर मनोरंजन करने वाले हरदिल अजीज अभिनेता अमजद खान आज ही के दिन 27 जुलाई 1992 को इस दुनिया से रूखसत हो गए।

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