शुक्रवार, 5 अगस्त 2011

शादीशुदा जोड़े एक हफ्ते में बमुश्किल एक ही बार किस करते हैं


लंदन। अगर आपके पति में किस करने का जुनून कम हो गया है तो इसके लिए आप नहीं बल्कि आपकी शादी जिम्मेदार है। ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन के एक हालिया सर्वेक्षण के मुताबिक शादीशुदा जोड़े एक हफ्ते में बमुश्किल एक ही बार किस करते हैं और वह भी पांच सेंकेंड से लंबी नहीं खिंच पाती।

हालांकि प्रेमी जोड़ों खास कर 18 से 24 वर्ष के युवाओं में किस का जुनून बरकरार है। वे हफ्ते में 11 बार से ज्यादा बार एक दूसरे के प्रेम को होंठों से महसूस करते हैं।

किस के किस्सों का लगभग दि एंड होने के कारण हालांकि शादीशुदा जोड़े घर की जिम्मेदारियों को बता रहे हैं। इस अभियान का मकसद स्कूली बच्चों को यकीनन किस करना सिखाना नहीं था बल्कि जीवन में छोटी-छोटी चीजों को तरजीह देना सिखाना था, ताकि जीवन कुछ और जीवंत बना रहे।

उधर, नई दिल्ली में पिछले दिनों करवाए गए एक सर्वेक्षण में सामने आया कि विवाहित लोगों के जीवन से रोमांस गुम ही गया है। भागम-भाग ने जीवन में नीरसता ज्यादा भर दी है। ज्यादातर लोगों का कहना था कि रोमांस से अच्छा है सोना।

छत्तीसगढ़ से सामग्री लाकर छाप रहा था नकली नोट


हाईकोर्ट ने खारिज किए जमानत
जोधपुर। राजस्थान हाईकोर्ट ने जोधपुर में छत्तीसगढ़ से छपाई की सामग्री लाकर नकली लाखों के नकली नोट छापने के आरोपी के जमानत आवेदन को अस्वीकार कर दिया है। यह आदेश न्यायाधीश निशा गुप्ता ने प्रार्थी आरोपी बाड़मेर निवासी जगदीश जैन पुत्र प्रकाश जैन के जमानत आवेदन की सुनवाई में दिए।
अदालत में राजकीय अधिवक्ता अनिल जोशी ने बताया कि थाना चौपासनी हाउसिंग बोर्ड में 16 मार्च 2011 को इस आशय की सूचना मिली थी। पाल रोड स्थित एक कमरे में भारी मात्रा में नकली नोट बनाने का काम चल रहा है।

इस पर पुलिस ने वहां पर दबिश दी तो वहां पर जगदीश जैन, राजाराम सुथार, महीपाल आदि नोट छापते हुए मिले। पुलिस ने मौके पर जगदीश को गिरफ्तार किया। साथ ही वहां से कम्प्यूटर, प्रिंटर, स्केनर, 4 लाख के नकली नोट तथा 34 हजार के असली नोट सहित 6 लाख के नकली नोटों के वितरण का हिसाब किताब की डायरी मिली।

उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि वह छत्तीसगढ़ से सामग्री ला कर नकली नोट छाप रहा था। जोशी ने आरोपी की जमानत का विरोध करते हुए कहा कि मामले का अनुसंधान जारी है। आरोपी का संबंध अंतरराज्यीय गैंग से भी है। इसकी जांच की जा रही है।

ए टी एस संशय में तस्कर को कहॉ पेश करे


ए टी एस संशय में तस्कर को कहॉ पेश करे 

अपराध  करते वक्त था नाबालिग पकडा तब बालिग 

बाडमेर सीमावर्ती बाडमेर जिले में वर्ष 2008 में पाकिस्तान से आऐ विस्फोटक पदार्थ ,नरूाीले पदार्थो की बरामदगा मामलें में ए टी एस ने गुजीरत से इस काण्ड के सह अभियुक्त को गिरफतार कर बाडमेर ले आई।जहॉ उसे मुक्ष्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करना था।मगर पकडे गये तस्कर गुल्लु खान निवासी भभूते कह ढाणी की उम्र को लेकर काननी पेचीदगीयॉ सामने आने से ए टी एस के सामने संकट खडा हो गया।2008 में जब गुल्लू खान पुत्र खानू खान ने अपने पिता के कहने सेविस्फोटक पदार्थ अपने खेतो में छूपाया था तब उसकह उम्र 17 साल थी।अब जबकि ए टा एस उसे गिरफतार कर लाई हैं उसकह उम्र 19 साल की हैं।इसह आध्ए टी एस उसे मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश करने ले आऐ तो कानूनह पेचीदगी सामने आई कि गुल्लु खान को बाल न्यायालय में पेश करना  चाहिऐ क्योकि गुल्लु ने जब अपराध किया था त बवह नाबालिग था।ए टह एस प्रभारी राजेन्द्र सिंह ने बताया कि गुल्लू ने जब अपराध किया था तब नाबालिग था मगर तहन साल बाद उसे पकडा हैं त बवह बालिग हो चुका हैं।आज उसे सी जे एम न्यायालय में पेरूा करने लाऐ थे मगर न्यायालय ने उसे बाल न्यायालय में पेश करने का कहा।अब उसे बाल न्यायालय में पेश किया जाऐगा। गौरतलब है कि ए टी एस ने गुल्लु खान को गुजरात की एक फेक्ट्री से गिरफतार कर लाई हैं।

कृत्रिम स्पर्म से पैदा होंगे बच्चे

कृत्रिम स्पर्म से पैदा होंगे बच्चे
 

लंदन। बच्चे पैदा करने में अक्षम पुरूषों के लिए एक बड़ी राहत की खबर है। वैज्ञानिकों ने एक बड़ी खोज करते हुए पहली बार कृत्रिम शुक्राणुओं का निर्माण करने में सफलता हासिल की है। जापान में क्योटो यूनिवर्सिटी में वैज्ञानिकों की एक टीम स्टेम कोशिका से प्रयोगशाला में शुक्राणुओं का निर्माण किया और इसके बाद इन्हें एक चुहिया में स्थानान्तरित किया गया।

बताया जा रहा है कि इलाज के बाद इस चुहिया ने स्वस्थ बच्चे पैदा किए। इस खोज से हजारों लोग के लिए आशा की एक नई किरण पैदा हुई है। कृत्रिम रूप से तैयार शुक्राणुओं को अंडे में इंजेक्ट किया गया। इन अंडों से स्वस्थ बच्चे पैदा हुए। 

सोनिया का ऑपरेशन, आईसीयू में भर्ती

सोनिया का ऑपरेशन, आईसीयू में भर्ती 
 

नई दिल्ली। कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के ऑपरेशन पर तमाम अटकलों पर विराम लगाते हुए कांग्रेस पार्टी ने साफ कर दिया है कि सोनिया गांधी की सर्जरी हो चुकी है और उन्हें फिलहाल आईसीयू में रखा गया है।

कांग्रेस ने आज बयान जारी कर कहा है कि सोनिया गांधी की 4 अगस्त को अमरीका के एक अस्पताल में सफल सर्जरी हो चुकी है। उन्हें फिलहाल आईसीयू में रखा गया है। और दो तीन-हफ्ते आराम की सलाह दी गई। कांग्रेस ने कहा कि सोनिया गांधी की देखरेख के लिए कांगेस महासचिव राहुल गांधी, प्रियंका गांधी और रॉबर्ट वाड्रा भी उनके साथ हैं। हालांकि कांग्रेस ने अभी यह साफ नहीं किया है कि सोनिया को बीमारी क्या है।

गौरतलब है कि गुरूवार को कांग्रेस प्रवक्ता जनार्दन द्विवेदी ने कहा था कि सोनिया का सफल ऑपरेशन हो चुका है। हालांकि बाद में द्विवेदी ने अपने बयान में बदलाव लाते हुए कहा कि अभी सोनिया का ऑपरेशन नहीं हुआ है। इस गुरूवार को दिनभर सोनिया के ऑपरेशन को लेकर असमंजस भरी स्थिति बनी रही। मीडिया में भी उनका ऑपरेशन होने और कहीं-कहीं अगले कुछ दिनों में होने की खबर आती रही।

लोकसभा में विपक्ष की नेता सुषमा स्वराज, गुजरात के मुख्यमंत्री नरेन्द्र मोदी और उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री मायावती ने सोनिया के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ की कामना की है।

17 घंटे रोजाना काम
देश को चला रही कांग्रेस की मुखिया 64 वर्षीय सोनिया गांधी की दिनचर्या सुबह जल्दी शुरू होती है। वे रात 11 बजे तक 17 घंटे कामकाज में व्यस्त रहती हैं। इस दौरान वे पार्टी के साथ राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की फाइलें भी निपटाती हैं। लोगों से मुलाकात भी करती हैं। वे नियमित रूप से एक घंटे योगा करती हैं।

2008 में इलाज हुआ था: सोनिया का दो साल पहले सीने में संक्रमण की शिकायत के बाद दिल्ली के गंगाराम अस्पताल में इलाज चला था। तब अस्थमा के इलाज की बात कही गई थी।

दुनिया का सबसे रहस्यमयी 'गांव' इसको बसाने वाले एक दिन...

उत्तरी न्यू मैक्सिको के चाको कल्चर नेशनल हिस्टोरिकल पार्क का ये ग्रेट हाउस है प्यूएब्लो बोनिटो। 828 ईसवी से 1126 ईसवी के बीच यहां रहने वाले प्यूएब्लो लोगों ने इसे बनाया था, जिन्हें एनासाज़ी भी कहा जाता है। जितने ये घर टिकाऊ थे उतने टिकाऊ इन्हें बनाने वाले नहीं थे।

1200 ईसवी तक ये इलाका खाली हो गया था। यही सवाल हमेशा से इतिहासकारों को सताता रहा है। जिन घरों को बनाने में एनासाज़ी लोगों ने इतनी मेहनत की, उसे बनाने के इतने कम समय बाद ही क्यों वीरान कर दिया। वे लोग यहां से क्यों गए और कहां गए ये राज़ है।

अमेरिका के लेफ्टिनेंट जेम्स एच सिंपसन और कारावहल 1849 में एक सैन्य अभियान पर यहां आए थे। उन्होंने यहां के आठ प्रमुख अवशेषों का अध्ययन किया था। कारावहल ने स्पेनिश भाषा में इस जगह का नाम सुंदर गांव रख दिया था।

राज़ है गहरा

1896 में न्यू मैक्सिको में प्राचीन गांव प्यूएब्लो बोनिटो के अवशेष तलाशे थे। अब तक यहां से तीन लाख से ज्यादा अवशेष मिल चुके हैं। फिर भी ये समझ नहीं आता कि इतना सब बनाने के बाद इसे बनाने वाले क्यों और कहां चले गए।

शादी करने से मना किया तो महिला कांस्‍टेबल को गोली मारी, खुदकुशी की

नई दिल्ली. यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन पर तैनात सीआईएसएफ के एक कांस्‍टेबल ने साथी महिला सिपाही की गोली मारकर हत्या कर दी और खुद को भी गोली मार ली। महिला कांस्टेबल की मौके पर ही मौत हो गई जबकि हमलावर कांस्टेबल ने अस्पताल जाते समय दम तोड़ दिया।

घटना शुक्रवार सुबह करीब 7.20 बजे  की है। यमुना बैंक मेट्रो स्टेशन अचानक गोलियों की तड़तड़ाहट से गूंज उठा। दरअसल एन बी एस तेजा (25) नामक महिला कांस्टेबल को स्टेशन पर तैनात एक पुरुष कांस्टेबल एम पिल्लई (27) ने एके-47 राइफल से गोली मार दी। उसके बाद हमलावार कांस्टेबल ने खुद को भी गोली मार ली। महिला कांस्टेबल की मौके पर ही मौत हो गई जबकि गंभीर रूप से जख्‍मी पुरुष कांस्‍टेबल ने लाल बहादुर अस्पताल ले जाते समय दम तोड़ दिया।

सूत्रों के अनुसार प्रेम प्रसंग के चलते इस घटना को अंजाम दिया गया है। बताया जा रहा है कि तेजा पहले पिल्लई से प्यार करती थी। लेकिन जब उसे पिल्लई के आचरण के बारे में पता चला तो उसने पिल्लई से रिश्ता खत्म कर दिया। पिल्लई काफी दिनों से तेजा को शादी के लिए मजबूर कर रहा था। और जब तेजा ने शादी के लिए मना कर दिया तो जुनून में आकर पिल्लई ने तेजा को गोली मार दी।
एडिशनल डीसीपी (मेट्रो) भैरों सिंह गुर्जर ने बताया कि घटना के दौरान कुल सात राउंड फायरिंग हुई है। फायरिंग के दौरान चली गोलियां किसी और को नहीं लगीं हैं। महिला कांस्‍टेबल की मौके पर ही मौत हो गई, जबकि अस्पताल ले जाते समय पुरुष कांस्‍टेबल की भी मौत हो गई। इनके शव लाल बहादुर अस्पताल में रखे गए हैं। फिलहाल यह पता नहीं चल पाया है कि किसे कितनी गोलीं लगी हैं।  

प्रत्‍यक्षदर्शियों के मुताबिक सीआईएसएफ की महिला कॉन्स्टेबल अपने साथी कॉन्स्टेबल से प्लेटफार्म नंबर दो पर बेंच पर बैठ कर बात कर रही थी। फिर अचानक दोनों में किसी बात को लेकर कहासुनी शुरू हो गई। गुस्से में आपा खो बैठे कॉन्स्टेबल ने अपने सर्विस रायफल से लेडी कॉन्स्टेबल पर ताबड़तोड़ फायरिंग कर दी। इसके बाद उसने वहीं खुद को भी गोली मार ली। स्टेशन पर सुबह-सुबह जिस वक्‍त यह घटना हुई उस समय वहां यात्रियों की काफी भीड़ मौजूद थी। आनंद विहार और नोएडा लाइन के लिए लोग ट्रेनें बदल रहे थे। बहरहाल पुलिस मामले की जांच कर रही है।
सीआईएसएफ के प्रवक्ता रोहित कटियार ने बताया कि महिला कांस्‍टेबल आंध्र प्रदेश की, जबकि पुरुष कांस्‍टेबल केरल का रहने वाला है। दोनों 2009 में सीआईएसएफ में भर्ती हुए थे। हमलावर कांस्‍टेबल की यमुना बैंक स्टेशन पर तैनाती थी, जबकि लड़की किसी अन्य स्टेशन पर नाइट ड्यूटी पूरी कर यमुना बैंक स्टेशन पहुंची थी। यहां से उसे इंदिरापुरम में सीआईएसएफ कैंप जाने वाली बस लेनी थी। लेकिन इससे पहले ही यह हादसा हो गया।

गायकी के साथ लोक सेवा का संगीत सुना रहे हैं दरबारी कलाकार उस्ताद अकबर खाँ

डॉ. दीपक आचार्य, जिला सूचना एवं जन सम्पर्क अधिकारी, जैसलमेर


भारत की पश्चिमी सरहद पर रेतीले धोरों की धरती जैसलमेर कलाकारों की खान है, जहाँ विभिन्न विधाओं में माहिर एक से बढ़कर एक कलाकारों की सुदीर्घ श्रृंखला विद्यमान है। कलाकारों की इस खान में बहुमूल्य हीरा है - उस्ताद अकबर खाँ। बहत्तर साल के अकबर खाँ का उत्साह किसी युवा से कम नहीं है।
    आज भी वे कला और संस्कृति के लिए जीते हुए बहुत कुछ कर गुजरने के ज़ज़्बे के साथ जुटे हुए हैं। अकबर खाँ में वे सभी गुण हैं जो एक अच्छे कलाकार की पहचान होते हैं। कोमल भावनाओं से भरे और दिल के साफ अकबर खाँ का सर्वस्पर्शी व्यक्तित्व हर किसी को प्रभावित किए बिना नहीं रहता।
    शैशव से ही कलाकार के रुप में मशहूर रहे अकबर खाँ का मौलिक हुनर बचपन से ही झरने लगा था। निरंतर अभ्यास की बदौलत रियासत काल में दरबारी लोक गायक कलाकार के रुप में ख्याति पाने वाले अकबर खाँ उम्र के इस पड़ाव में भी लोक गायकी के प्रति समर्पित जीवन का पर्याय बने हुए हैं।
    ग्याह जुलाई 1939 को जैसाण की सरजमीं पर पैदा हुए उस्ताद अकबर खॉं ’’जैसलमेरी आलम खाँ’’ आज कला जगत में जानी-मानी हस्ती हैं। साधारण साक्षर अकबर खाँ को संगीत का उहुनर  विरासत में मिला। संगीत की प्रारंभिक शिक्षा-दीक्षा उन्हें पिता आरब खाँ से मिली।
    अकबर खाँ ने घर-परिवार चलाने के लिए शिक्षा विभाग में नौकरी की और वहीं से जमादार के रूप में सेवानिवृत्त हुए। राजकीय सेवा के साथ-साथ संगीत व संस्कृति जगत की सेवा तथा हमेशा कुछ न कुछ नया सीखने व करने का जो ज़ज़्बा यौवन पर रहा, वह आज भी पूरे उत्साह से लवरेज दिखाई देता है।
    वंश परम्परा से पारिवारिक लोक संगीत में दक्ष कलाकारों की श्रृंखला में जुड़े उस्ताद अकबर खाँ वास्तव में उस्ताद हैं जिनकी रगों में पीढ़ियों से सांगीतिक लहू बह रहा है।
    सन् 1973  में पहली बार मांगणियार गायकों का सम्मेलन आयोजित करने में अकबर खाँ की सराहनीय भूमिका रही। इस पर रूपायन संस्थान बोरुंदा की ओर से उन्हें सराहना पत्रा भी भेंट किया गया।
    आकाशवाणी और दूरदर्शन के कई केन्द्रों से उस्ताद अकबर खाँ के कार्यक्रमों का प्रसारण हो चुका है।  इसके साथ ही लोक चेतना, सामाजिक एवं राष्ट्रीय सरोकारों के कई कार्यक्रमों, योजनाओं, परियोजनाओं के जागरुकता कार्यक्रमों से जुड़े रहे अकबर खाँ ने अनगिनत स्कूलों व अन्य संस्थाओं में वार्ताओं, लोकगीत गायन, संगीतिक प्रस्तुतियों आदि के माध्यम से अपनी सशक्त व ऐतिहासिक भागीदारी का इतिहास कायम किया है।
 हर कहीं पाया सम्मान
        अद्भुत कला कौशल व माधुर्य से परिपूर्ण गायकी को लेकर प्रदेश तथा देश की कई हस्तियों व संस्थाओं द्वारा उन्हें सम्मानित व अभिनन्दित किया जा चुका है। लोक कला के संरक्षण व विकास में प्रशंसनीय सेवाओं के उपलक्ष में अकबर खाँ का को स्वाधीनता दिवस -1999 के जिला स्तरीय समारोह में जिला प्रशासन की ओर से सम्मानित भी किया गया। इसी प्रकार जैसलमेर स्थापना दिवस  पर विगत 26 अगस्त, 1996 को कवि तेज लोक कला विकास समिति द्वारा उत्कृष्ट आलमखाना (राजगायक ) एवं अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कलाकार के रूप में उन्हें सम्मानित किया गया।
        भारतीय लोक कला मण्डल, उदयपुर में 28 अप्रेल 1979 को हुए राजस्थान लोकानुरंजन मेले में पद्मश्री देवीलाल सामार ने उस्ताद अकबर खाँ का अभिनन्दन किया व लोक कला के उन्नयन, विकास व प्रचार-प्रसार में उनके  बहुमूल्य योगदान की मुक्तकंठ से प्रशंसा की।
       उस्ताद अकबर खाँ का बोध वाक्य है- ’’ जागो-जगाओ, काम की ज्योति जगाओ, सुस्ती, नशा, क्रोध हटाओ, देश बचाओ ’’, एक अकेला थक जाएगा, मिल कर बोझ उठाओ ।’’
      इस बोध वाक्य की उन्होंने बाकायदा मोहर बनवा रखी है जिसे वे पत्रा व्यवहार में इस्तेमाल करते रहे हैं। माण्ड गायक उस्ताद अकबर खाँ को सन् 1996 में माड सम्मान से नवाजा जा चुका है।
      एक मशहूर कलाकार के साथ ही निष्काम समाजसेवी के रुप में अकबर खाँ की अलग ही पहचान है। जैसलमेर जिले में स्वच्छता, नशा मुक्ति, पॉलिथीन पर पाबंदी के लिए सामाजिक जागरूकता अभियान ‘जागो और जगाओ’ चलाने वाले अकबर खाँ ने लोक चेतना के लिए अपने खर्च से पेम्पलेट भी छपवा कर खूब बंटवाए हैं।
     अकबर खाँ मुम्बई में सुर सिंगर संसद द्वारा सन् 1989 में हुए आचार्य बृहस्पति सम्मेलन सहित कई विराट आयोजनों में शिरकत कर चुके हैं। सुर सिंगर संसद मुम्बई ने आपको सुमणि अवार्ड प्रदान किया है। पद्मश्री कोमल कोठारी ने भी उनकी सराहना की है।
 कलाकारों को प्रोत्साहन में मदद
      देश-दुनिया में मशहूर कलाकार अकबर खाँ ने लंगा और मांगणियार कलाकारों को मंच देकर प्रोत्साहित करने, जैसलमेर को लोक संगीत में प्रसिद्धि दिलाने आदि में उनकी अहम् भूमिका रही है। वे सेवाभावी कलाकार और लोक कला के सिद्ध साधक हैं।
     माड और शास्त्रीय गायन व संगीत के विकास तथा कलाकारों को प्रोत्साहन के लिए उस्ताद अकबर खां ने आरबा संगीत संस्थान की स्थापना की हुई है। सन् 1950 से वे संगीत की सेवा में समर्पित हैं।  विलक्षण प्रतिभा के धनी अकबर खाँ कुशल माड गायक होने के साथ ही पश्चिमी राजस्थान के लोक संगीत को बखूबी पेश करने एवं सिखाने का अद्भुत सामर्थ्य रखते हैं।
हस्तियों के समक्ष प्रस्तुति दे धाक जमायी
        उस्ताद अकबर खाँ देश की कई नामी हस्तियों के समक्ष अपनी गायकी का प्रदर्शन कर चुके हैं। भारत के राष्ट्रपति  स्व. ज्ञानी जैलसिंह, स्व. नीलम संजीव रेड्डी, एम. हिदायतुल्ला, प्रधानमंत्राी श्रीमती इंदिरा गांधी, विश्व विख्यात स्वर सम्राज्ञी लता मंगेशकर सहित देश-विदेश की कई हस्तियों  के समक्ष वे  अपने  फन की धाक जमा चुके हैं।
       हिन्दी फिल्म रुदाली, नन्हे जैसलमेर, लम्हे, कृष्णा, सात रंग के सपने, जोर, मीनाक्षी , रेशमा और शेरा, रजिया सुल्तान सहित कई भारतीय एवं विदेशी फिल्मों में उन्होंने अपनी लोक संगीत की शानदार प्रस्तुतियों का रिकार्ड बनाया है।  यूनेस्को वर्ल्ड म्यूजिक वैबसाईट पर भी अकबर की प्रस्तुति समाहित है।
     महारावल श्री गिरधर स्मारक धर्मार्थ न्यास ट्रस्ट, इन्टेक, अल्ला जिलाही बाई मांड गायिकी और प्रशिक्षण संस्थान, बीकानेर द्वारा सम्मान के साथ ही शिक्षा विभाग बीकानेर द्वारा इन्हें राज्यस्तरीय मंत्रालयिक कर्मचारी सम्मान भी प्रदान किया गया है। स्टेट फैडरेशन ऑफ यूनेस्को द्वारा सम्मानित अकबर खॉं को राजस्थान संगीत नाटक अकादमी जोधपुर ने भी कला पुरोधा अवार्ड देकर प्रोत्साहित किया है।
दूसरों के लिए जीने की भावना
       उस्ताद अकबर खाँ उन बिरले फनकारों में हैं जो अपने लिए नहीं बल्कि दूसरों के लिए जीते हैं। सांस्कृतिक आयोजन हों या कलाकारों के प्रोत्साहन-कल्याण का कोई प्रयोजन, कलाकारों को संगठित कर उनके सामाजिक एवम् आर्थिक विकास के लिए उन्होंने हर संभव संघर्ष किया और कभी पीछे नहीं रहे।
       पुरानी पीढ़ी से लेकर नई पीढ़ी के कलाकार भी अकबर खाँ को खूब इज्जत देते हैं। आम आदमी की पीड़ाओं के प्रति संवदेनशील उस्ताद अकबर खाँ की पहल पर कई जन समस्याओं का समाधान हुआ है। उस्ताद अकबर खाँ अपनी 72 वर्ष की आयु में भी कला और संस्कृति जगत की सेवाओं के लिए समर्पित हैं।

अकाल की आशंका से सिहरे किसान

अकाल की आशंका से सिहरे किसान 
 

बालोतरा। वर्षा देरी से अकाल पड़ने की बलवती होती संभावनाओं ने इन दिनों किसानों, पशुपालकों सहित आमजन को परेशानियो में डाल दिया है। दिन में तेज पड़ती गर्मी, उमस व रात में चलती ठण्डी हवाओं पर शीघ्र वर्षा होने के आसार दूर दूर तक दिखाए नहीं दे रहे हैं। इस पर गांव की चौपालों व बैठकों में अकाल के अंदेशे को लेकर जोर शोर से चर्चाएं जारी है।

लक्ष्य से अब तक नाममात्र की 63 फीसदी हुई बुवाई के साथ वर्षा अभाव में खेतों में खड़ी फसलों के सूखने से गांवों में हंसी खुशी गायब हो गई है।

पिछले लंबे समय से एक समान मौसम नहीं होने के साथ दिन में तेज पड़ती गर्मी, उमस व रात में तेज चलती ठण्डी हवाओं पर अच्छी वर्षा होने की उम्मीद पर पानी सा फिर गया है। दोपहर में तेज गर्मी,उमस से हर शाम आसमान में उमड़ने वाले बादलों पर किसान, पशुपालक व आमजन वर्षा होने की उम्मीद करते हैं, लेकिन शाम होते ही चलने वाली ठण्डी हवाएं सभी के अरमानों पर पानी फेर देती है। इससे शीघ्र वर्षा होने के दूर दूर तक नजर नहीं आते आसार पर अकाल पड़ने की संभावनाएं बलवती दिखाई दे रहे हैं। गांव की चौपालों, बैठकों में इसे लेकर चर्चाएं जोरों पर जारी है। अकाल के डर की छाया से किसान, पशुपालक वहीं आमजन परेशान दिखाई दे रहा है।

जिले में अब तक कृषि विभाग के लक्ष्य की एवज में नाममात्र 65 फीसदी ही बुवाई हुई है। वहीं खेतों में खड़ी फसलें पानी अभाव में सूख रही है। ऎसे में अकाल पड़ता है तो अनाज के नहीं होने वाले उत्पादन से इसके भावों में ओर बढ़ोतरी होगी। पहले से ही अनाज, दाल के भाव तेज होने से आमजन की हालत खस्ता हुई जा रही है। इसके
अलावा किसानों को भी नुकसान उठाना पड़ेगा। चारे की कमी के साथ इसके महंगे बिकने पर पशुपालकों की कमर पहले से ही टूटी हुई है।

नाममात्र हुई बुवाई
जिले में अब तक 4 लाख 86 हजार हैक्टयर में बाजरा, 1 लाख 49 हजार, 400 हैक्टयर में ग्वार, 1 लाख 13 हजार 500 हैक्टयर में मोठ, 72 हजार 200 हैक्टयर में मूंग, 10 हजार 500 हैक्टयर में अरण्डी, की बुवाई हुई है, जो कृषि विभाग के लक्ष्य की मात्र 63.22 फीसदी है।