बुधवार, 22 फ़रवरी 2017

कोटा.कभी नहीं देखा ऐसा मंजर, मुझे भेज दो घर...



कोटा.कभी नहीं देखा ऐसा मंजर, मुझे भेज दो घर...

कभी नहीं देखा ऐसा मंजर, मुझे भेज दो घर...
शहर के हर थाने में तैनाती रही...बड़े-बड़े आंदोलन देखे... 89 में दंगे भी हुए, लेकिन पूरी नौकरी में कभी ऐसा मंजर नहीं देखा कि थाने में घुसी भीड़ ने सीआई और पुलिस कर्मियों के साथ मारपीट की हो। जनप्रतिनिधियों ने अपनी गलती छिपाने के लिए झूठे मुकदमे दर्ज कराए और सरकार ने जांच किए बिना ही पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर कर दिया। पूरी वारदात ने इतना धक्का पहुंचाया है कि नौकरी करने की चाहत खत्म हो गई। आला अफसरों से गुजारिश है कि मुझे वीआरएस देकर अब घर भेज दो।




यह मजमून महावीर नगर थाने में तैनात एएसआई अशोक कुमार की उस चिट्ठी का है, जिसे समय से पहले सेवानिवृत्ति मांगने के लिए उन्होंने पुलिस के आला अफसरों को लिखा है।




' अशोक कुमार ने कहा कि विधायक चंद्रकांता मेघवाल और उनके पति नरेंद्र मेघवाल ही नहीं, उनके साथ आई भीड़ ने सोमवार को सीआई से लेकर थाने में मौजूद हर पुलिस कर्मी के साथ अभद्रता-मारपीट की। पुलिस ने शांति-व्यवस्था कायम करने के लिए कार्रवाई की तो उन्हें अपराधी बताकर उन्हीं के थाने में मुकदमे दर्ज करा दिए।




सरकार ने भी भाजपाइयों को बचाकर और पुलिसकर्मियों को लाइन हाजिर करके एकतरफा कार्रवाई की। पूरे दिन चले घटनाक्रम ने इस कदर आहत किया कि नौकरी करने की चाहत ही खत्म हो गई। इसलिए अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने का फैसला कर रहा हूं।

सम्मानों की लाट हैं 'अशोक'

11 दिसंबर 1980 के दिन पुलिस की वर्दी पहनने वाले एएसआई अशोक कुमार का ट्रेक रिकॉर्ड शानदार है। 36 साल की नौकरी में उन्हें पुलिस सेवा के उत्तम, अति उत्तम और सर्वोत्तम पुरस्कारों से लेकर दो दर्जन से ज्यादा रिवार्ड मिल चुके हैं। शानदार ट्रेक रिकॉर्ड को देखते हुए उन्हें कोटा के तकरीबन हर थाने से लेकर आईजी दफ्तर तक में सेवाएं देने का अवसर मिला, लेकिन उन्होंने कभी सोचा न था कि पुलिस की नौकरी को भारी मन के साथ छोडऩे का फैसला लेना पड़ेगा।

चिट्ठी मिलेगी तभी कुछ कहेंगे

एएसआई अशोक कुमार के स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेने के फैसले से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। हर पुलिस कर्मी इसी चर्चा में मशगूल है कि पुलिस का मनोबल टूटेगा तो लोग समय से पहले सेवानिवृत्ति तो लेंगे ही। पूरे घटनाक्रम पर पुलिस के आला अफसर भी नजर गड़ाए हुए हैं। एसपी सिटी सवाई सिंह गोदारा ने बताया कि क्षुब्ध एएसआई के वीआरएस लेने की बात सामने जरूर आई थी, लेकिन अभी तक उन्होंने इस बाबत कोई आधिकारिक पत्र नहीं सौंपा है। जब तक चिट्ठी नहीं आती, कुछ भी नहीं कह सकते।

बालोतरा.पत्नी की हत्या के आरोपित पति को आजीवन कारावास



बालोतरा.पत्नी की हत्या के आरोपित पति को आजीवन कारावास
पत्नी की हत्या के आरोपित पति को आजीवन कारावास

पत्नी पर अवैध संबंधों के शक के चलते हत्या करने वाले आरोपित पति को जिला एवं सत्र न्यायाधीश मदन गोपाल व्यास ने मंगलवार को आजीवन कारावास की सजा से दण्डित किया। लोक अभियोजक महेन्द्र पिथाणी ने बताया कि समदड़ी निवासी लीलादेवी को पीहर में मासूम बच्चों के सामने उसके पति दीपाराम पुत्र शंकरलाल निवासी अडियारी भाखरी ने 15 अगस्त 2013 रात्रि में चाकू से वार कर घायल दिया था।

मासूम बच्चों के साथ भी आरोपित ने मारपीट की। 16 अगस्त को अस्पताल में उपचार के दौरान विवाहिता की मौत हो गई। दर्ज मामले में पुलिस ने जांच कर आरोपित के विरुद्ध चालान पेश किया था। मामले की बहस में राज्य सरकार की ओर से लोक अभियोजक महेन्द्र पिथाणी ने पैरवी करते हुए तर्क दिए कि आरोपित ने स्वयं की संतानों के सामने पत्नी पर क्रुरतापूर्वक चाकू से वार कर निर्मम हत्या कर दी, जिससे उसका परिवार बर्बाद हो गया।

परिवादी की ओर से अधिवक्ता विजयसिंह राठौड़ एवं आरोपित की ओर से नारायणसिंह भाटी ने पैरवी कर तर्क दिए। न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की बहस सुनने के बाद आरोपित दीपाराम को भादसं 302 में आजीवन कारावास, भादसं 324 में 2 वर्ष, भादसं 323 में 3 माह एवं 4/25 आम्र्स एक्ट में 2 वर्ष का कारावास तथा जुर्माने से दण्डित किया।

कुपोषण ने ली 6 मासूमों की जान, 5 साल में सर्वाधिक 242 बच्चों को किया भर्ती

कुपोषण ने ली 6 मासूमों की जान, 5 साल में सर्वाधिक 242 बच्चों को किया भर्ती
कुपोषण ने ली 6 मासूमों की जान, 5 साल में सर्वाधिक 242 बच्चों को किया भर्ती

जालोर. करीब 19 लाख की आबादी वाले जालोर जिले की सेहत कुपोषण ने बिगाड़ रखी है। हालत यह है कि बीते दो साल में कुपोषण के कारण जिले के 6 बच्चों की जान तक चली गई। इनमें जालोर ब्लॉक में 2, आहोर में 3 और व सायला ब्लॉक में एक की मौत हुई है। जबकि महज इन्हीं तीन ब्लॉक में हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित मिले हैं। जुलाई 2015 में शुरू हुए सीमेम (समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम) के तहत जिले के तीन ब्लॉक जालोर, सायला व आहोर का सर्वे किया गया। इस दौरान 18 हजार दो सौ दस बच्चों की स्क्रीनिंग की गई और इनमें से 1 हजार एक सौ उनयासी बच्चे कुपोषित पाए गए। इन कुपोषित बच्चों की सेहत को सुधारने के लिए चिकित्सा विभाग ने घर-घर जाकर पौष्टिक आहार भी खिलाया और गंभीर बच्चों को एमटीसी वार्ड (कुपोषण निवारण केंद्र) पर भी भर्ती कराया, लेकिन अभी जिले में कुपोषण जड़ से खत्म नहीं हो पाया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में तीन ब्लॉक में स्क्रीनिंग की गई थी और अब इस साल अन्य ब्लॉक में इसके लिए सर्वे किया जाएगा।

क्या है कुपोषण

बच्चों को जन्म से ही या जन्म के लम्बे समय तक संतुलित आहार नहीं मिल पाना ही कुपोषण है। इसके कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे अन्य बीमारियां भी उन्हें आसानी से जकड़ लेती हैं। स्त्रियों में इसका मुख्य कारण रक्त की कमी होना है। इससे गर्भावस्था में बच्चे पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है।

कुपोषण के लक्षण

कुपोषण के मुख्य लक्षण शरीर की वृद्धि रुकना, मांसपेशियां ढीली होना या सिकुड़ जाना, झुर्रियां युक्त पीले रंग की त्वचा, थकान, वजन घटना, कमजोरी, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, हाथ-पैर पतले, पेट बढ़ा होना या शरीर में सूजन आना है।

यह है जांच और उपचार की प्रक्रिया

6 माह से पांच साल तक के बच्चों में कुपोषण की जांच के लिए एक विशेष प्रकार की टेप (एमयूएससी टेप) का प्रयोग किया जाता है। इस टेप से बच्चे की अप्पर-मिडल आर्म को मापा जाता है और निर्धारित मापदण्ड से कम होने पर बच्चे को कुपोषित माना जाता है। इसके अलावा इसमें बच्चे की ऊंचाई और वजन को भी देखा जाता है। अत्यधिक कमजोर होने की स्थिति में डॉक्टर के निर्देशन में बच्चे को एमटीसी वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू किया जाता है। इस दौरान बच्चे के साथ आने वाले परिजन को सौ रुपए दैनिक भत्ता भी दिया जाता है।

जिले में पांच एमटीसी वार्ड

जिले के पांच सरकारी अस्पतालों में कुपोषण निवारण केंद्र है। इनमें से जिला मुख्यालय स्थित केंद्र में 10 बेडेड, जबकि जसवंतपुरा, भीनमाल, सांचौर और आहोर में 6 बेडेड वार्ड है।

सायला में सबसे ज्यादा मिले कुपोषित

चिकित्सा विभाग की ओर से 2015-16 में सीमेम कार्यक्रम के तहत जालोर, आहोर व सायला ब्लॉक में सर्वे किया गया। इस दौरान जालोर में 159, आहोर में 402 व सायला में सर्वाधिक 618 कुपोषित बच्चे मिले। इनमें से 761 बच्चों को घर पर पोषण दिया गया।

5 साल में सर्वाधिक 242 बच्चे हुए भर्ती

सीमेम कार्यक्रम चलाए जाने से अप्रेल 2015 से मार्च 16 तक पांच साल में सर्वाधिक 242 कुपोषित बच्चों को एमटीसी वार्ड में भर्ती किया गया। इनमें जालोर एमटीसी में 108, आहोर में 31, भीनमाल में 54, सांचौर में 34 व जसवंतपुरा स्थित एमटीसी वार्ड में 15 बच्चे भर्ती किए गए।

के दौरान सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे

करा सकते हैं बच्चों की जांच

जिले के प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रत्येक गुरुवार टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। जहां माता-पिता बच्चे में कुपोषण की जांच करवा सकते हैं। ताकि बच्चे को समय पर उपचार मिल सके। वैसे इस बारे में एएनएम व आशा सहयोगिनियों को निर्देश दे रखे हैं। वैसे सीमेम कार्यक्रम के दौरान जालोर, सायला व आहोर में 1179 बच्चे कुपोषित मिले थे। इनमें से छह की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। अन्य को घर पर पोषण देने के साथ एमटीसी वार्डों में भर्ती किया गया था।

- अजयसिंह कड़वासरा, डीपीएम

विधायक चंद्रकांता के पति की गिरफ्तारी के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एरोड्रम सर्किल पर किया चक्काजाम

विधायक चंद्रकांता के पति की गिरफ्तारी के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एरोड्रम सर्किल पर किया चक्काजाम

विधायक चंद्रकांता के पति की गिरफ्तारी के लिए कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने एरोड्रम सर्किल पर किया चक्काजाम

महावीर नगर थाने के सीआई और अन्य पुलिस कर्मियों को लाइन हाजिर करने का विरोध और विधायक चंद्रकांता के पति नरेन्द्र कुमार की गिरफ्तारी की मांग को लेकर कांग्रेस अल्पसंख्यक प्रकोष्ठ के कार्यकर्ताओं ने एरोड्रम सर्किल चक्काजाम कर दिया। जिससे चौराहे पर वाहनों की कतारें लग गई।

प्रदर्शनकारियों का कहना था कि पुलिस अधिकारियों पर दबाव बनाकर उनसे गलत कार्य करवाया जा रहा था, उनके साथ मारपीट की गई तथा भाजपा कार्यकर्ताओं ने थाने के बाहर उपद्रव किया। इसके बाद भी पुलिस अधिकारियों पर ही कार्रवाई की गई। इसे कांग्रेस कार्यकर्ता बर्दाश्त नहीं करेंगे। राजनीतिक दबाव के चलते पुलिस कर्मियों पर की गई कार्रवाई से पुलिस का मनोबल गिरा है।

गौरतलब है कि सोमवार शाम को महावीर नगर थाने में सार्वजनिक स्थान पर सिगरेट पीने के मामले में भाजपा कार्यकर्ता का चालान बनाने पर विधायक पति नरेन्द्र कुमार मेघवाल ने पुलिस थानाधिकारी को चांटा मार दिया था। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर कार्यकर्ताओं को खदेड़ कर स्थिति पर काबू पाने का प्रयास किया। बाद में कार्यकर्ताओं ने थाने में पुलिसकर्मियों पर पथराव कर दिया।

बाड़मेर पुलिस पर हमला, थाना प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मी चोटिल

बाड़मेर पुलिस पर हमला, थाना प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मी चोटिल

पुलिस पर हमला, थाना प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मी चोटिल
जालोर. सरवाना थाना क्षेत्र के लालजी की डूंगरी गांव में मंगलवार-बुधवार मध्यरात्रि एक वांटेड आरोपित को पकडऩे की कार्रवाई में धोरीमन्ना (बाड़मेर) थाना पुलिस पर कुछ लोगों ने हमला कर दिया। इस हमले में थाना प्रभारी सहित आठ पुलिसकर्मी घायल हो गए। वहीं कुछ महिलाओं के भी चोटें आई हैं। पुलिस ने दो राउंड हवाई फायर कर खुद को हमलावरों की चंगुल से छुड़ाया और हाड़ेचा सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। जहां पर चिकित्सकों ने घायल पुलिसकर्मियों का प्राथमिक उपचार किया। इसके बाद यहां अन्यत्र रेफर किया गया। सूचना के बाद सरवाना थाना पुलिस ने हाड़ेचा सीएचसी पहुंचकर बयान दर्ज किए व धोरीमन्ना थाना प्रभारी की रिपोर्ट पर प्रकरण दर्ज किया। सरवाना कार्यवाहक थाना प्रभारी मोहनलाल बिश्नोई ने बताया कि धोरीमन्ना थाना प्रभारी सुरेश सारण के नेतृत्व में पुलिस टीम एनडीपीएस एक्ट व फायरिंग सहित अन्य प्रकरण में वांछित आरोपित लालजी की डूंगरी निवासी मांगीलाल पुत्र लाखाराम बिश्नोई को गिरफ्तार करने को लेकर एक ढाणी में दबिश ली। इस दौरान पुलिस टीम ने आरोपित को हिरासत में ले लिया, लेकिन भनक लगने पर आस-पास से करीब ५० लोगों ने पुलिस दल पर हमला कर दिया। वहीं वांछित आरोपित को पुलिस हिरासत से छुड़ा लिया। जिससे थाना प्रभारी (उप निरीक्षक) सुरेश सारण, सहायक उप निरीक्षक रावताराम पोटलिया, आईदानराम, जयवीरसिंह, खानू खान, धर्मेन्द्र, राहुल गुर्जर व लाभूराम घायल हो गए। इनमें आईदानराम के सिर में गंभीर चोट आई है।