कुपोषण ने ली 6 मासूमों की जान, 5 साल में सर्वाधिक 242 बच्चों को किया भर्ती
जालोर. करीब 19 लाख की आबादी वाले जालोर जिले की सेहत कुपोषण ने बिगाड़ रखी है। हालत यह है कि बीते दो साल में कुपोषण के कारण जिले के 6 बच्चों की जान तक चली गई। इनमें जालोर ब्लॉक में 2, आहोर में 3 और व सायला ब्लॉक में एक की मौत हुई है। जबकि महज इन्हीं तीन ब्लॉक में हजार से ज्यादा बच्चे कुपोषित मिले हैं। जुलाई 2015 में शुरू हुए सीमेम (समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन कार्यक्रम) के तहत जिले के तीन ब्लॉक जालोर, सायला व आहोर का सर्वे किया गया। इस दौरान 18 हजार दो सौ दस बच्चों की स्क्रीनिंग की गई और इनमें से 1 हजार एक सौ उनयासी बच्चे कुपोषित पाए गए। इन कुपोषित बच्चों की सेहत को सुधारने के लिए चिकित्सा विभाग ने घर-घर जाकर पौष्टिक आहार भी खिलाया और गंभीर बच्चों को एमटीसी वार्ड (कुपोषण निवारण केंद्र) पर भी भर्ती कराया, लेकिन अभी जिले में कुपोषण जड़ से खत्म नहीं हो पाया है। विभागीय अधिकारियों का कहना है कि शुरुआत में तीन ब्लॉक में स्क्रीनिंग की गई थी और अब इस साल अन्य ब्लॉक में इसके लिए सर्वे किया जाएगा।
क्या है कुपोषण
बच्चों को जन्म से ही या जन्म के लम्बे समय तक संतुलित आहार नहीं मिल पाना ही कुपोषण है। इसके कारण बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है। जिससे अन्य बीमारियां भी उन्हें आसानी से जकड़ लेती हैं। स्त्रियों में इसका मुख्य कारण रक्त की कमी होना है। इससे गर्भावस्था में बच्चे पर भी इसका विपरीत असर पड़ता है।
कुपोषण के लक्षण
कुपोषण के मुख्य लक्षण शरीर की वृद्धि रुकना, मांसपेशियां ढीली होना या सिकुड़ जाना, झुर्रियां युक्त पीले रंग की त्वचा, थकान, वजन घटना, कमजोरी, पाचन क्रिया गड़बड़ाना, हाथ-पैर पतले, पेट बढ़ा होना या शरीर में सूजन आना है।
यह है जांच और उपचार की प्रक्रिया
6 माह से पांच साल तक के बच्चों में कुपोषण की जांच के लिए एक विशेष प्रकार की टेप (एमयूएससी टेप) का प्रयोग किया जाता है। इस टेप से बच्चे की अप्पर-मिडल आर्म को मापा जाता है और निर्धारित मापदण्ड से कम होने पर बच्चे को कुपोषित माना जाता है। इसके अलावा इसमें बच्चे की ऊंचाई और वजन को भी देखा जाता है। अत्यधिक कमजोर होने की स्थिति में डॉक्टर के निर्देशन में बच्चे को एमटीसी वार्ड में भर्ती कर उपचार शुरू किया जाता है। इस दौरान बच्चे के साथ आने वाले परिजन को सौ रुपए दैनिक भत्ता भी दिया जाता है।
जिले में पांच एमटीसी वार्ड
जिले के पांच सरकारी अस्पतालों में कुपोषण निवारण केंद्र है। इनमें से जिला मुख्यालय स्थित केंद्र में 10 बेडेड, जबकि जसवंतपुरा, भीनमाल, सांचौर और आहोर में 6 बेडेड वार्ड है।
सायला में सबसे ज्यादा मिले कुपोषित
चिकित्सा विभाग की ओर से 2015-16 में सीमेम कार्यक्रम के तहत जालोर, आहोर व सायला ब्लॉक में सर्वे किया गया। इस दौरान जालोर में 159, आहोर में 402 व सायला में सर्वाधिक 618 कुपोषित बच्चे मिले। इनमें से 761 बच्चों को घर पर पोषण दिया गया।
5 साल में सर्वाधिक 242 बच्चे हुए भर्ती
सीमेम कार्यक्रम चलाए जाने से अप्रेल 2015 से मार्च 16 तक पांच साल में सर्वाधिक 242 कुपोषित बच्चों को एमटीसी वार्ड में भर्ती किया गया। इनमें जालोर एमटीसी में 108, आहोर में 31, भीनमाल में 54, सांचौर में 34 व जसवंतपुरा स्थित एमटीसी वार्ड में 15 बच्चे भर्ती किए गए।
के दौरान सबसे ज्यादा कुपोषित बच्चे
करा सकते हैं बच्चों की जांच
जिले के प्राथमिक-सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों व आंगनबाड़ी केंद्रों पर प्रत्येक गुरुवार टीकाकरण दिवस मनाया जाता है। जहां माता-पिता बच्चे में कुपोषण की जांच करवा सकते हैं। ताकि बच्चे को समय पर उपचार मिल सके। वैसे इस बारे में एएनएम व आशा सहयोगिनियों को निर्देश दे रखे हैं। वैसे सीमेम कार्यक्रम के दौरान जालोर, सायला व आहोर में 1179 बच्चे कुपोषित मिले थे। इनमें से छह की उपचार के दौरान मौत हो गई थी। अन्य को घर पर पोषण देने के साथ एमटीसी वार्डों में भर्ती किया गया था।
- अजयसिंह कड़वासरा, डीपीएम
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