जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने की प्राथमिक शिक्षा में मातृभाषा की वकालात
मातृभाषा में हो प्राथमिक षिक्षण
जिला कलक्टर शर्मा व प्रमुख अंजना मेघवाल की मौजूदगी में नई राष्ट्रीय षिक्षा नीति पर मंथन
जैसलमेर, 30 जुलाई। बच्चों की प्राथमिक षिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। मातृभाषा में षिक्षण होने से उन्हें अधिगम में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी तथा अपने परिवेष के अनुकूल ही विद्यालय का परिवेष होने से बच्चे अधिक बेहतर सीख सकेंगे। पढाई गई विषयवस्तु को बेहतर ढंग से ग्रहण करने में बच्चों के लिए मातृभाषा अधिक कारगर साबित होगी।
जिला कलक्टर विष्व मोहन शर्मा की अध्यक्षता तथा जिला प्रमुख अंजना मेघवाल, एडीएम भागीरथ शर्मा, सीईओ बलदेव सिंह उज्जवल की मौजूदगी में नई राष्ट्रीय षिक्षा नीति को लेकर गुरुवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में यह बात प्रमुख रूप से उभरकर सामने आई। बैठक में जिले के शैक्षणिक परिदृष्य में षिक्षा नीति से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर व्यापक मंथन किया गया।
जिला कलक्टर विष्व मोहन शर्मा ने इस दौरान कहा कि जिले की शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों की जरूरत है। इस दिषा में खासतौर पर षिक्षा से जुड़े लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए षिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी शामिल किया जाना चाहिए तथा उनके साथ लगातार संवाद करते हुए बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर विचार-विमर्ष करना चाहिए। यह भी बहुत जरूरी है कि सभी षिक्षक नियमित तौर पर विद्यालय में आएं तथा अपने दायित्वों का निष्ठा के साथ निर्वहन करें। जिन विद्यालयों में विज्ञान तथा कम्प्यूटर प्रयोगषालाएं हैं, उनका समुचित उपयोग होना चाहिए। व्यक्तिगत, सामाजिक व भौगोलिक परिवेष से जन्मी विभिन्नताओं व विषमताओं को देखते हुए षिक्षण व्यवस्था संचालित होनी चाहिए।
जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने जिले की शैक्षणिक स्थिति व अध्यापकों की कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यहां स्वीकृत पदों के मुताबिक षिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति होनी चाहिए ताकि समस्त स्थानों पर बच्चों को समुचित षिक्षा मिल सके। उन्होंने कहा कि जिले की छितरी हुई आबादी और दूर-दूर स्थित स्कूलों को देखते हुए बच्चों, खासकर बालिकाओं के लिए यातायात की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
अतिरिक्त कलक्टर भागीरथ शर्मा ने कहा कि जिले में विभिन्न विभागों द्वारा संचालित वैज्ञानिक ढंग की गतिविधियों से बच्चों को परिचित कराया जाना चाहिए तथा विज्ञान आदि विषयों में प्रायोगिक षिक्षा के लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन निष्चित होना चाहिए।
जिप सीईओ बलदेव सिंह उज्ज्वल ने कहा कि बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी षिक्षा के लिए प्रोत्साहन हो, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें विद्यालयों की विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया जाए। विभिन्न अवसरों पर उन्हें सम्मानित कर प्रेरित किया जा सकता है। बैठक में इस बात पर भी समुचित जोर दिया गया कि जिले में अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के षिक्षण के संबंध में भी विषेष पाठ्यक्रम संचालित किए जा सकते हैं, ताकि जिले की पर्यटन संभावनाओं के मध्येनजर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो सकें।
डीईओ (प्रारंभिक) तथा रमसा के एडीपीसी दलपत सिंह ने जिले में विद्यालयों की स्थिति व षिक्षण की गुणवत्ता के बारे में तथ्यात्मक टिप्पणी की। बैठक में प्रारंभिक व माध्यमिक षिक्षा उन्नयन, व्यावसायिक षिक्षा का सुदृढीकरण, परीक्षा पद्धति की समीक्षा व सुधार, कैरियर गाइडेंस, अध्यापक षिक्षा में सुधार, प्रौढ षिक्षा, आईसीटी, स्कूल प्रबंधन समितियों की भूमिका, अनुसूचित जाति व जनजाति तथा अल्पसंख्यक व विषेष आवष्यकता वाले बच्चों की षिक्षा, शारीरिक षिक्षा व कला और क्राफ्ट, बच्चों का स्वास्थ्य, कौषल विकास, आॅनलाइन पाठ्यक्रम, क्षेत्रीय असमानता का समाधान, सर्वश्रेष्ठ षिक्षकों का तैयार करना, सतत छात्र सहायता प्रणाली, सतत छात्र सहायता प्रणाली, सांस्कृतिक एकता संवर्धन, निजी क्षेत्र के साथ सार्थक भागीदारी सहित विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार विमर्ष किया गया।
इस दौरान नगर परिषद आयुक्त इंद्रसिंह राठौड़, डीआईओ नवीन माथुर, डाईट प्रधानाचार्य नेमीचंद सोलंकी, हरिवल्लभ बोहरा, बंषीलाल सोनी, काॅलेज प्रतिनिधि कैलाषदान रतनू, जीआर सुथार, हरिसिंह आदि ने भी उपयोगी सुझाव दिए।
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मातृभाषा में हो प्राथमिक षिक्षण
जिला कलक्टर शर्मा व प्रमुख अंजना मेघवाल की मौजूदगी में नई राष्ट्रीय षिक्षा नीति पर मंथन
जैसलमेर, 30 जुलाई। बच्चों की प्राथमिक षिक्षा मातृभाषा में होनी चाहिए। मातृभाषा में षिक्षण होने से उन्हें अधिगम में किसी प्रकार की कठिनाई नहीं होगी तथा अपने परिवेष के अनुकूल ही विद्यालय का परिवेष होने से बच्चे अधिक बेहतर सीख सकेंगे। पढाई गई विषयवस्तु को बेहतर ढंग से ग्रहण करने में बच्चों के लिए मातृभाषा अधिक कारगर साबित होगी।
जिला कलक्टर विष्व मोहन शर्मा की अध्यक्षता तथा जिला प्रमुख अंजना मेघवाल, एडीएम भागीरथ शर्मा, सीईओ बलदेव सिंह उज्जवल की मौजूदगी में नई राष्ट्रीय षिक्षा नीति को लेकर गुरुवार को कलक्ट्रेट सभागार में हुई बैठक में यह बात प्रमुख रूप से उभरकर सामने आई। बैठक में जिले के शैक्षणिक परिदृष्य में षिक्षा नीति से जुड़े विभिन्न बिंदुओं पर व्यापक मंथन किया गया।
जिला कलक्टर विष्व मोहन शर्मा ने इस दौरान कहा कि जिले की शैक्षणिक स्थिति में सुधार के लिए सभी स्तरों पर समन्वित प्रयासों की जरूरत है। इस दिषा में खासतौर पर षिक्षा से जुड़े लोगों को सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ काम करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए षिक्षकों के साथ-साथ अभिभावकों को भी शामिल किया जाना चाहिए तथा उनके साथ लगातार संवाद करते हुए बच्चों के शैक्षणिक स्तर पर विचार-विमर्ष करना चाहिए। यह भी बहुत जरूरी है कि सभी षिक्षक नियमित तौर पर विद्यालय में आएं तथा अपने दायित्वों का निष्ठा के साथ निर्वहन करें। जिन विद्यालयों में विज्ञान तथा कम्प्यूटर प्रयोगषालाएं हैं, उनका समुचित उपयोग होना चाहिए। व्यक्तिगत, सामाजिक व भौगोलिक परिवेष से जन्मी विभिन्नताओं व विषमताओं को देखते हुए षिक्षण व्यवस्था संचालित होनी चाहिए।
जिला प्रमुख अंजना मेघवाल ने जिले की शैक्षणिक स्थिति व अध्यापकों की कमी पर चिंता जाहिर करते हुए कहा कि यहां स्वीकृत पदों के मुताबिक षिक्षकों की पर्याप्त नियुक्ति होनी चाहिए ताकि समस्त स्थानों पर बच्चों को समुचित षिक्षा मिल सके। उन्होंने कहा कि जिले की छितरी हुई आबादी और दूर-दूर स्थित स्कूलों को देखते हुए बच्चों, खासकर बालिकाओं के लिए यातायात की समुचित व्यवस्था होनी चाहिए।
अतिरिक्त कलक्टर भागीरथ शर्मा ने कहा कि जिले में विभिन्न विभागों द्वारा संचालित वैज्ञानिक ढंग की गतिविधियों से बच्चों को परिचित कराया जाना चाहिए तथा विज्ञान आदि विषयों में प्रायोगिक षिक्षा के लिए सप्ताह में कम से कम एक दिन निष्चित होना चाहिए।
जिप सीईओ बलदेव सिंह उज्ज्वल ने कहा कि बच्चों के साथ-साथ अभिभावकों का भी षिक्षा के लिए प्रोत्साहन हो, इसके लिए जरूरी है कि उन्हें विद्यालयों की विभिन्न गतिविधियों में शामिल किया जाए। विभिन्न अवसरों पर उन्हें सम्मानित कर प्रेरित किया जा सकता है। बैठक में इस बात पर भी समुचित जोर दिया गया कि जिले में अंतरराष्ट्रीय भाषाओं के षिक्षण के संबंध में भी विषेष पाठ्यक्रम संचालित किए जा सकते हैं, ताकि जिले की पर्यटन संभावनाओं के मध्येनजर युवाओं के लिए रोजगार के अवसर सृजित हो सकें।
डीईओ (प्रारंभिक) तथा रमसा के एडीपीसी दलपत सिंह ने जिले में विद्यालयों की स्थिति व षिक्षण की गुणवत्ता के बारे में तथ्यात्मक टिप्पणी की। बैठक में प्रारंभिक व माध्यमिक षिक्षा उन्नयन, व्यावसायिक षिक्षा का सुदृढीकरण, परीक्षा पद्धति की समीक्षा व सुधार, कैरियर गाइडेंस, अध्यापक षिक्षा में सुधार, प्रौढ षिक्षा, आईसीटी, स्कूल प्रबंधन समितियों की भूमिका, अनुसूचित जाति व जनजाति तथा अल्पसंख्यक व विषेष आवष्यकता वाले बच्चों की षिक्षा, शारीरिक षिक्षा व कला और क्राफ्ट, बच्चों का स्वास्थ्य, कौषल विकास, आॅनलाइन पाठ्यक्रम, क्षेत्रीय असमानता का समाधान, सर्वश्रेष्ठ षिक्षकों का तैयार करना, सतत छात्र सहायता प्रणाली, सतत छात्र सहायता प्रणाली, सांस्कृतिक एकता संवर्धन, निजी क्षेत्र के साथ सार्थक भागीदारी सहित विभिन्न विषयों पर व्यापक विचार विमर्ष किया गया।
इस दौरान नगर परिषद आयुक्त इंद्रसिंह राठौड़, डीआईओ नवीन माथुर, डाईट प्रधानाचार्य नेमीचंद सोलंकी, हरिवल्लभ बोहरा, बंषीलाल सोनी, काॅलेज प्रतिनिधि कैलाषदान रतनू, जीआर सुथार, हरिसिंह आदि ने भी उपयोगी सुझाव दिए।
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