बुधवार, 8 जुलाई 2015

जैसलमेर अब बिना रजिस्ट्रेशन केमल सफारी नहीं करा सकेंगे ऊंटपालक


जैसलमेर अब बिना रजिस्ट्रेशन केमल सफारी नहीं करा सकेंगे ऊंटपालक
सम के धोरों पर सुरक्षा व सुविधा के बेहतर इंतजाम को लेकर कलक्टर विश्व मोहन शर्मा ने सेंड ड्यून्स विकास समिति की बैठक में दिए निर्देश

जैसलमेर, 08 जुलाई। दुनिया भर के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करने वाले खूबसूरत सम के धोरों में सुरक्षा व सुविधा के लिहाज व्यवस्थाओं को अधिक बेहतर बनाने के लिए जिला कलक्टर विश्व मोहन शर्मा ने मंगलवार को कलक्ट्रेट सभागार में सम सेंड ड्यून्स विकास समिति की बैठक में विस्तार से विचार-विमर्श करते हुए आवश्यक निर्देश दिए।

जिला पुलिस अधीक्षक राजीव पचार, एसडीएम जयसिंह सहित विभिन्न अधिकारियों की मौजूदगी में हुई इस बैठक में समिति सदस्यों से व्यापक विचार विमर्श करते हुए कलक्टर शर्मा ने कहा कि सम की व्यवस्थाओं के लिहाज से चैक प्वाइंट व केवल प्वाइंट एक ही जगह रखे जाएं और केमल सफारी के लिए दरें तय करते हुए ऊंटपालकों की सूची तैयार की जाए व उन्हें रजिस्टर्ड कर पास जारी किए जाएं। पुलिस अधीक्षक राजीव पचार के सुझाव पर सहमति देते हुए उन्होंने कहा कि सम के धोरों पर इस तरह से तारबंदी की जाए कि कोई व्यक्ति अनाधिकृत ढंग से वहां नहीं घुस पाए। वहां एंट्री के लिए दस-पंद्रह द्वार बना दिए जाएं जो कि सीजन और जरूरत के मुताबिक खोले जा सकें। इस दरवाजों पर सीसीटीवी कैमरे भी लगाए जा सकते हैं, जिनसे किसी भी प्रकार की गलत गतिविधि पर माॅनीटरिंग की जा सके।

कलक्टर ने कहा कि फेंसिंग का काम तत्काल शुरू किया जाए ताकि इसी सीजन में उसका लाभ मिल सके। उन्होंने तहसीलदार व एसएचओ को जिम्मेदारी देते हुए कहा कि वे ऊंटपालकों की सूची बना लें तथा उनके रजिस्ट्रेशन की कार्यवाही करें। सीजन में यदि कोई ऊंटपालक प्रदेश के दूसरे हिस्से से भी आता है तो उसका भी रजिस्ट्रेशन किया जाए। इससे पर्यटकों से अधिक पैसा वसूलने सहित अन्य किसी प्रकार की गड़बड़ी करने पर ऊंटपालक की पहचान हो सकेगी। बिना रजिस्ट्रेशन के ऊंटपालक को एंट्री नहीं दी जाए। उन्होंने केमल सफारी की दरें तय करने के लिए तहसीलदार, सरपंच व एसएचओ की कमेटी बनाने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि हमारे प्रयास इस तरह के होने चाहिए कि सम आने वाले पर्यटकों की संख्या बढे, पर्यटकों के लिए सुविधाएं बेहतर हों, समिति की आय बढे और स्थानीय लोगों को रोजगार के अधिक अवसर मिलें। यदि समिति की आय बढेगी तो सुविधा, सफाई व सुरक्षा पर अधिक खर्च किया जा सकेगा। कलक्टर ने एसडीएम को क्षेत्र में तत्काल कार्यवाही कर अतिक्रमण हटाने के निर्देश भी दिए। स्वच्छता के मसले पर चर्चा करते हुए जिला कलक्टर शर्मा ने कहा कि यहां नियमित तौर पर साफ-सफाई होनी चाहिए ताकि पर्यटकों को बेहतर माहौल मिले और वे यहां से एक अच्छी छवि लेकर जाएं। इसके लिए जरूरी है कि इन धोरों में अवांछित सामग्री नहीं ले जाई जाए। उन्होंने कहा कि तारबंदी होने के बाद निश्चित तौर पर स्वच्छता बढेगी।

जिला पुलिस अधीक्षक राजीव पचार ने एसएचओ व रिसोर्ट यूनियन प्रतिनिधि से कहा कि प्रत्येक रिसोर्ट पंजीकृत होना चाहिए तथा उसके कर्मचारियों व अतिथियों का वेरीफिकेशन होना चाहिए। बिना समुचित आईडी के किसी अतिथि को नहीं ठहराएं तथा उसका समुचित रजिस्टर भी मेंटेन करें। सीजन में लगने वाले टैंट में भी बिना आईकार्ड किसी को नीं ठहराया जाए तथा विदेश पर्यटकों से निर्धारित ‘सी’ फाॅर्म लिया जाए। उन्होंने कहा कि पर्यटन सीजन के दौरान यहां पुलिस चैकी स्थापित की जाती है तथा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाते हैं, फिर भी अधिक बेहतर व्यवस्थाओं के लिए जरूरी है कि समिति के साथ-साथ स्थानीय निवासियों व रिसोर्ट संचालकों का सहयोग मिले। बैठक में एसडीएम जयसिंह, तहसीलदार पीतांबर दास राठी, डीएफओ अनूप कुमार, सरपंच चतुर्भुज, जैसलमेर विकास समिति के चंद्रप्रकाश व्यास, भगवान सिंह आदि ने भी अपने महत्ती सुझाव दिए।

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मृत्युदंड खत्म करने के पक्ष में हैं पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम



पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मृत्यु दंड को खत्म करने के पक्ष में हैं। उन्होंने विधि आयोग से कहा है कि वह अपनी पुरानी रिपोर्ट पर फिर विचार करे, जिसमें उसने मृत्युदंड को बहाल रखने के लिए कहा था।

इससे पहले विधि आयोग ने जनता से पूछा था कि क्या मौत की सजा खत्म होनी चाहिए? पूर्व राष्ट्रपति का यह विचार उसी राय का हिस्सा है। विधि आयोग ने अपनी 35वीं रिपोर्ट में मृत्यु दंड रखे जाने की सिफारिश की थी।

पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में ऐसे मामलों के निश्चय करने में उन्हें बड़ी तकलीफ के दौर से गुजरना पड़ा है। मृत्यु दंड का मामला भी उनके लिए इन्हीं में से एक मामला था।

सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पैनल को भेजी अपनी राय में लिखा है कि हम सब ऊपर वाले द्वारा बनाए जाते हैं। इंसान द्वारा बनाई गई व्यवस्था इस बात के लिए सक्षम है कि वह बनाए गए साक्ष्यों के आधार पर किसी की जान ले ले। कलाम साल 2002 से 2007 तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी के मृत्यु दंड को कंफर्म किया था।

पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह राष्ट्रपति भवन में थे तो उन्होंने एक अध्ययन कराया था। अध्ययन के परिणामों से वे आश्र्चतचकित रह गए कि ऐसे सभी मामले जो लंबित थे, साथ ही उन सभी के पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण थे।

विधि आयोग को करीब 400 लोगों के विचार मिले हैं। इनका आकलन किया जा रहा है। आयोग ने इन विचारों पर निष्कर्ष के लिए 11 जुलाई को एक बैठक बुलाई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के अलावा अकादमिक, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है।

अंतिम रिपोर्ट अगले माह सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 लोगों की फांसी की सजा को कम करते हुए विधि आयोग से मृत्यु दंड के प्रावधान को फिर से दोबारा देखने के लिए कहा था।

राष्ट्रगान से 'अधिनायक' शब्द को बाहर कर देना चाहिए : राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह



राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह ने मंगलवार को कहा कि राष्ट्रीय गान से 'अधिनायक' शब्द को बाहर कर देना चाहिए, क्योंकि इसमें ‘ब्रिटिश शासन’ का गुणगान किया गया है। उन्होंने कहा है कि 'अधिनायक' शब्द की जगह 'मंगल' (शुभकामनाएं) शब्द का प्रयोग किया जाना चाहिए।

राष्ट्रगान से 'अधिनायक' शब्द को बाहर कर देना चाहिए : राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह

कल्याण सिंह ने मंगलवार को राजस्थान विश्वविद्यालय के 26 वे दीक्षांत समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि जन गण मन अधिनायक जय हो..‘अधिनायक’ किसके लिए? यह ब्रिटिश शासन का गुणगान है।




राष्ट्रगान में संशोधन होना चाहिए। यह ‘‘जन गण मंगलदायक... भारत भाग्य विधाता’’ किया जाना चाहिए।’’ उन्होंने कहा कि मैं रविन्द्र नाथ टैगोर के प्रति पूरी श्रद्धा रखता हूं, जन गण मन अधिनायक की जगह जन गण मंगलदायक..भारत भाग्य विधाता होना चाहिए।’’




टैगोर ने दिसंबर 1911 में जब राष्ट्रगान तैयार किया तो इस बात पर बहस छिड़ गई कि इसमें ब्रिटिश शासन की प्रशंसा होनी चाहिए या नहीं, हालांकि खुद टैगोर ने 1937 में पुलिन बिहारी सेन को भेजे एक पत्र में इस आरोप से इंकार किया।




सिंह ने इसी तरह की एक और मांग करते हुए कहा कि राज्यपाल के लिए ‘महामहिम’ की जगह माननीय शब्द का इस्तेमाल किया जाना चाहिए क्योंकि राज्यपाल कभी ‘महान’ नहीं होता, जैसा कि ब्रिटिश शासन में उपयोग किया जाता था।




उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कल्याण सिंह ने कुछ ही दिन पहले महाराणा प्रताप और मुगल बादशाह अकबर की तुलना करते हुए कहा था कि राजपूत राजा हमारे लिए कहीं अधिक प्रेरणादायी हैं वह राष्ट्र के लिए ‘महान’ हैं।




आज भी इसी तरह की राय जाहिर करते हुए राज्यपाल ने कहा कि शिक्षा विभाग को महाराणा प्रताप के जीवन पर पाठ्यक्रम संचालित करने चाहिएं, जिसमें उनके संघर्ष पर विशेष रूप से प्रकाश डाला जाए।




उन्होंने कहा कि कल को कोई कहे कि विक्टोरिया ने शासन किया, तो क्या विक्टोरिया हमारे लिए महान हो जाएंगी। हमारे लिए विक्टोरिया महान नहीं हैं। हमारे लिए महान है क्रांतिकारी झांसी की महारानी। ओैरंगजेब को हम महान मानेंगे? हमारे लिए महान ओैरंगजेब नहीं हो सकता। हमारे लिए महान है छत्रपति शिवाजी महाराज।

यहां शादी से पहले दूल्हा निभाता है खास रिवाज, इस काम के बाद ही होते हैं फेरे



उत्तराखंड में अब शादियों में एक प्रमुख रिवाज ने अपनी जगह बनाई है। इस रिवाज का नाम है मैती। इसके तहत दुल्हन अपने भावी पति से अपने मैत यानी मायके में पौधा लगवाती है।

इसका उद्देश्य पेड़ लगाकर हरियाली को बढ़ावा देना है। उत्तराखंड के अनेक गांवों में मैती संगठन बन चुके हैं। संगठन से जुड़ी किसी भी कन्या के विवाह के मौके पर कन्या द्वारा बताए गए स्थान पर दूल्हे को पौधा लगाना होता है।

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साथ ही वह पौधे की सुरक्षा के लिए कुछ धनराशि भी देता है। इस कार्यक्रम का विवरण मैरिज कार्ड में भी होता है। शादी से कुछ समय पहले दुल्हन एक पौधा तैयार करती है।

शादी के अन्य रीति-रिवाज पूरे होने के बाद दुल्हन के साथ दूल्हा मंत्रोच्चार के बीच पौधा लगाता है। दुल्हन इसमें पानी देती है।

क्या है रिवाज का रहस्य

मायके में पौधा लगवाने का यह रिवाज वर-वधु के वैवाहिक जीवन की मंगल कामना के साथ ही पर्यावरण संरक्षण से भी जुड़ा है। एक ओर जहां पौधा लगाने से यह एक सुखद स्मृति बन जाता है वहीं यह वर-वधु के जीवन में खुशियों का प्रतीक भी माना जाता है। इस रिवाज के दूर्घकालीन लाभ मिलेंगे और यह पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में अहम भूमिका निभा सकता है।

श्रीगंगानगर स्मैक तस्कर को एक साल का कारावास



श्रीगंगानगर स्मैक तस्कर को एक साल का कारावास 


स्मैक तस्करी के जुर्म में अदालत ने एक जने को एक साल कठोर कारावास व दस हजार रुपए जुर्माने से दंडित किया है। यह निर्णय मंगलवार को विशिष्ट न्यायाधीश (एनडीपीएस प्रकरण) चंचल मिश्रा ने सुनाया।

विशिष्ट लोक अभियोजक केवल कुमार अग्रवाल ने बताया कि 6 अगस्त 2014 को सादुलशहर के तत्कालीन थाना प्रभारी मोहरसिंह पूनियां ने मुखबिर की सूचना पर सादुलशहर के बाल भारती स्कूल के पास नाकाबंदी करवाई। इस दौरान मोटरसाइकिल सवार वार्ड 20 सादुलशहर निवासी नरेन्द्र सिंह पुत्र हीरासिंह राजपूत की तलाशी ली गई।

उसकी पेंट की जेब से प्लास्टिक की थैली में छुपाई स्मैक 10 ग्राम बरामद कर उसे गिरफ्तार किया। पुलिस ने उसके खिलाफ एनडीपीएस एक्ट में मामला दर्ज कर अदालत में चालान पेश किया।