पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम ने मृत्यु दंड को खत्म करने के पक्ष में हैं। उन्होंने विधि आयोग से कहा है कि वह अपनी पुरानी रिपोर्ट पर फिर विचार करे, जिसमें उसने मृत्युदंड को बहाल रखने के लिए कहा था।
इससे पहले विधि आयोग ने जनता से पूछा था कि क्या मौत की सजा खत्म होनी चाहिए? पूर्व राष्ट्रपति का यह विचार उसी राय का हिस्सा है। विधि आयोग ने अपनी 35वीं रिपोर्ट में मृत्यु दंड रखे जाने की सिफारिश की थी।
पूर्व राष्ट्रपति कलाम ने कहा कि राष्ट्रपति के रूप में ऐसे मामलों के निश्चय करने में उन्हें बड़ी तकलीफ के दौर से गुजरना पड़ा है। मृत्यु दंड का मामला भी उनके लिए इन्हीं में से एक मामला था।
सूत्रों के मुताबिक उन्होंने पैनल को भेजी अपनी राय में लिखा है कि हम सब ऊपर वाले द्वारा बनाए जाते हैं। इंसान द्वारा बनाई गई व्यवस्था इस बात के लिए सक्षम है कि वह बनाए गए साक्ष्यों के आधार पर किसी की जान ले ले। कलाम साल 2002 से 2007 तक देश के राष्ट्रपति रह चुके हैं। उस दौरान उन्होंने पश्चिम बंगाल के धनंजय चटर्जी के मृत्यु दंड को कंफर्म किया था।
पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि जब वह राष्ट्रपति भवन में थे तो उन्होंने एक अध्ययन कराया था। अध्ययन के परिणामों से वे आश्र्चतचकित रह गए कि ऐसे सभी मामले जो लंबित थे, साथ ही उन सभी के पीछे सामाजिक और आर्थिक कारण थे।
विधि आयोग को करीब 400 लोगों के विचार मिले हैं। इनका आकलन किया जा रहा है। आयोग ने इन विचारों पर निष्कर्ष के लिए 11 जुलाई को एक बैठक बुलाई है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के न्यायाधीशों के अलावा अकादमिक, राजनीति और अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों को आमंत्रित किया गया है।
अंतिम रिपोर्ट अगले माह सुप्रीम कोर्ट में पेश की जाएगी। सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल 15 लोगों की फांसी की सजा को कम करते हुए विधि आयोग से मृत्यु दंड के प्रावधान को फिर से दोबारा देखने के लिए कहा था।
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