परिजनों की मांग,शहीद घोषित करो
नई दिल्ली। सरबजीत सिंह की मौत की खबर मिलने के बाद परिजनों को रो-रो कर बुरा हाल है। परिजनों ने सरबजीत का शव सौंपे जाने की मांग की है। साथ ही सरबजीत को शहीद घोषित करने और राजकीय सम्मान से अंतिम संस्कार किए जाने की भी मांग की है।
अनुसूचित आयोग के वाइस चेयरमैन राजकुमार वरका ने बताया कि परिजनों ने गृह मंत्री के समक्ष ये मांगे रखी है। उन्होंने बताया कि परिजों ने यह भी मांग की है कि केन्द्र सरकार पूरे परिवार की जिम्मेदारी लें। परिजनों की मांग पर गुरूवार को सरकार ने बैठक बुलाई है।
गौरतलब है कि सरबजीत की पत्नी सुखप्रीत कौर,बहन दलबीर कौर,बेटी स्वप्नदीप और पूनम 15 दिन के आपतकालीन वीजा पर लाहौर गए थे। चारों बुधवार को ही भारत लौट आए थे। वरका ने बताया कि उन्होंने सरबजीत के परिजनों की मांगें गृह मंत्रालय को भेज दी है। वह खुद गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे के साथ साथ अन्य कई नेताओं के संपर्क में हैं। सरबजीत का परिवार वरका के नई दिल्ली स्थित आवास पर रूका हुआ है।
गुरुवार, 2 मई 2013
पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान
पाक की जिद ने ली सरबजीत की जान
लाहौर/नई दिल्ली। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया।
मेडिकल बोर्ड के महमूद शौकत ने बताया कि उन्हें देर रात करीब एक बजे जिन्ना अस्पताल में डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत सिंह नहीं रहे। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें सरबजीत की मौत के बारे में जानकारी दी। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
26 अप्रेल को लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कातिलाना हमला हुआ था। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। इस कारण वह नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे।
सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।
हमला करने वाले जेल के ही कैदी थी। आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।
लाहौर/नई दिल्ली। भारतीय नागरिक सरबजीत सिंह आखिरकार जिंदगी की जंग हार गए। करीब एक हफ्ते से लाहौर के जिन्ना अस्पताल में भर्ती सरबजीत ने देर रात अस्पताल में दम तोड़ दिया।
मेडिकल बोर्ड के महमूद शौकत ने बताया कि उन्हें देर रात करीब एक बजे जिन्ना अस्पताल में डयूटी पर तैनात डॉक्टर ने बताया कि सरबजीत सिंह नहीं रहे। इस्लामाबाद स्थित भारतीय उच्चायोग के अधिकारियों ने बताया कि जिन्ना अस्पताल के अधिकारियों ने उन्हें सरबजीत की मौत के बारे में जानकारी दी। बताया जा रहा है कि सरबजीत सिंह की मौत ब्रेन हेमरेज से हुई है।
26 अप्रेल को लाहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर कातिलाना हमला हुआ था। हमले में वह गंभीर रूप से घायल हो गए थे। उनके सिर में गंभीर चोट लगी थी। इस कारण वह नॉन रिवर्सिबल कोमा में चले गए थे।
सरबजीत की तबीयत में जब सुधार नहीं हो रहा था तो परिजन और भारत सरकार लगातार पाकिस्तान से अपील करते रहे कि उसे इलाज के लिए भारत या किसी अन्य देश भेज दिया जाए लेकिन उसने एक नहीं सुनी। पाकिस्तान इस बात पर अड़ा रहा कि इलाज वहीं होगा। पाकिस्तान की इसी जिद ने उनकी जान ले ली।
हमला करने वाले जेल के ही कैदी थी। आरोपी रिजवान और आमिर के खिलाफ हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया था। सरबजीत सिंह को 1990 में लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का दोषी करार दिया गया था। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई थी।
28 अगस्त 1990 को सरबजीत गलती से पाकिस्तान की सीमा में चले गए थे। पाकिस्तानी रेंजर्स ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। गिरफ्तारी के आठ दिन बाद पुलिस ने उन पर लाहौर और फैसलाबाद में हुए बम धमाकों का आरोप लगाया। 1990 से ही वह लाहौर की कोट लखपत जेल में कैद थे। 1991 में उन्हें फांसी की सजा सुनाई गई। कई बार उनकी फांसी टल गई। उनकी ओर से पांच दया याचिकाएं दाखिल की गई थी। हाईकोर्ट के बाद सुप्रीम कोर्ट ने सरबजीत की फांसी की सजा को बरकरार रखा।
मार्च 2006 में सुप्रीम कोर्ट ने उनकी फांसी की सजा पर पुर्नविचार के लिए दाखिल याचिका खारिज कर दी थी। मामले पर सुनवाई के दौरान उनके वकील कोर्ट में पेश नहीं हुए इसलिए याचिका खारिज कर दी गई। 3 मार्च 2008 को तत्कालीन राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ ने उनकी दया याचिका खारिज कर दी। 26 जून 2012 को पाकिस्तान के राष्ट्रपति ने सरबजीत को रिहा करने का फैसला किया लेकिन कुछ घंटे बाद ही अपना फैसला बदल लिया क्योंकि जमात ए इस्लामी और जमात उद दावा ने कड़ा एतराज जताया था। पाकिस्तान की सरकार ने सफाई दी कि सरबजीत नहीं बल्कि सुरजीत सिंह को रिहा किया जा रहा है।
बुधवार, 1 मई 2013
सम्मान के नाम पर पिता ने की बेटी की हत्या
सम्मान के नाम पर पिता ने की बेटी की हत्या
काबुल। अफगानिस्तान के बगढीश प्रांत में प्रेमी के साथ भागी विवाहिता की पंचो के फरमान पर उसके पिता ने तीन सौ से अधिक तमाशबीनों की भीड1 के बीच गोली मारकर हत्या कर दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को अबकमरी जिले मेंउत्तर पश्चिम में सुदुर अभावग्रस्त कूकचचील गांव में दो बच्चों की मां हलीमा (18) पति के ईरान जाने के बाद अपने चचेरे भाई के साथ भाग गई, लेकिन उसका प्रेमी दस दिन बाद उसे उसके घर कूकचचील गांव में छोड़ गया।
लड़की के पिता ने घर लौटी बेटी के मामले में पंचायत के वरिष्ठ सदस्यों से सलाह ली। मामला गांव के बूढे-बुजुर्गो तक पहुंचा तो लड़की के व्यवहार से गुस्सा गए और तीन बुजुर्ग नेताओं ने लड़की के खिलाफ फतवा जारी करके उसे सार्वजनिक स्थल पर गोली मारने का फरमान सुना दिया। पंचों का कहना है कि युवती ने पति की गैरमौजूदगी में घर से भागकर अपने परिवार की प्रतिष्ठा को कलंकित किया है।
पंचों ने हालीमा के इस अपराध को जघन्य बताया और कहा कि यह युवती के माता पिता तथा ससुराल पक्ष दोनों के लिए अपमानित करने वाली घटना है। इसलिए उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए। सम्मान के लिए अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार की इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। हाल के वर्षो में देश में हुई इस तरह की कई घटनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियां बनी थीं।
गत वर्ष नवंबर में कुंडुज जिले के इमाम साहिब में एक किशोरी का चाकू से गला रेत दिया गया था। पंद्रह वर्षीय लड़की की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपनी मर्जी से विवाह करने का निर्णय लिया था। इसी तरह के एक अन्य मामले में तालिबान आतंककारियों ने पिछले वर्ष जुलाई में एक 22 वर्षीय युवती का सिर कलम कर दिया था। तालिबान आतंककारियों के साथ त्रिकोणीय प्रेम संबंध के कारण उसकी हत्या की गई। इस हत्या का विडियो बनाया गया थाजिसके फुटेज दिखाए गए थे।
काबुल। अफगानिस्तान के बगढीश प्रांत में प्रेमी के साथ भागी विवाहिता की पंचो के फरमान पर उसके पिता ने तीन सौ से अधिक तमाशबीनों की भीड1 के बीच गोली मारकर हत्या कर दी। आधिकारिक सूत्रों ने बताया कि मंगलवार को अबकमरी जिले मेंउत्तर पश्चिम में सुदुर अभावग्रस्त कूकचचील गांव में दो बच्चों की मां हलीमा (18) पति के ईरान जाने के बाद अपने चचेरे भाई के साथ भाग गई, लेकिन उसका प्रेमी दस दिन बाद उसे उसके घर कूकचचील गांव में छोड़ गया।
लड़की के पिता ने घर लौटी बेटी के मामले में पंचायत के वरिष्ठ सदस्यों से सलाह ली। मामला गांव के बूढे-बुजुर्गो तक पहुंचा तो लड़की के व्यवहार से गुस्सा गए और तीन बुजुर्ग नेताओं ने लड़की के खिलाफ फतवा जारी करके उसे सार्वजनिक स्थल पर गोली मारने का फरमान सुना दिया। पंचों का कहना है कि युवती ने पति की गैरमौजूदगी में घर से भागकर अपने परिवार की प्रतिष्ठा को कलंकित किया है।
पंचों ने हालीमा के इस अपराध को जघन्य बताया और कहा कि यह युवती के माता पिता तथा ससुराल पक्ष दोनों के लिए अपमानित करने वाली घटना है। इसलिए उसे कड़ी सजा दी जानी चाहिए। सम्मान के लिए अफगानिस्तान में महिलाओं के साथ अत्याचार की इस तरह की घटनाएं लगातार होती रहती हैं। हाल के वर्षो में देश में हुई इस तरह की कई घटनाएं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मीडिया की सुर्खियां बनी थीं।
गत वर्ष नवंबर में कुंडुज जिले के इमाम साहिब में एक किशोरी का चाकू से गला रेत दिया गया था। पंद्रह वर्षीय लड़की की गलती सिर्फ इतनी थी कि उसने परिवार के सदस्यों के खिलाफ अपनी मर्जी से विवाह करने का निर्णय लिया था। इसी तरह के एक अन्य मामले में तालिबान आतंककारियों ने पिछले वर्ष जुलाई में एक 22 वर्षीय युवती का सिर कलम कर दिया था। तालिबान आतंककारियों के साथ त्रिकोणीय प्रेम संबंध के कारण उसकी हत्या की गई। इस हत्या का विडियो बनाया गया थाजिसके फुटेज दिखाए गए थे।
कांग्रेस में शामिल होंगी जयाप्रदा?
हैदराबाद. गुजरे जमाने की अदाकारा और यूपी के रामपुर से सांसद जयाप्रदा के कांग्रेस में आने की चर्चा गर्म है। ऐसी खबर है कि जयाप्रदा जल्द ही कांग्रेस में शामिल होकर अपने गृह राज्य आंध्र प्रदेश वापस लौट सकती हैं।
जयाप्रदा ने पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की है। अभिनेत्री ने हाल ही में कहा था कि वह आंध्र प्रदेश की राजनीति में लौटने वाली हैं। उन्होंने इसका भी खुलासा करने को कहा था कि वह किस पार्टी में जाएंगी।जयाप्रदा ने अपने गृह नगर राजमुंदरी से लोकसभा का चुनाव लड़ने की मंशा भी व्यक्त की है। जया की ऐसी इच्छा के बाद राजमुंदरी से सांसद वुंदावाली अरुण कुमार ने कहा कि वह जयाप्रदा के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। अरुण कुमार ने कहा, ' इससे उन्हें खुशी ही होगी।'
उल्लेखनीय है कि फिल्मों के बाद जयाप्रदा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 90 के मध्य दशक में तेलगूदेशम पार्टी से की थी। आंध्र प्रदेश से तेलगूदेशम की तरफ से वह 1996 में राज्यसभा सदस्य भी रहीं। बाद में उन्होंने तेलगूदेशम को छोड़ 2004 के आम चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थामा। रामपुर से दो बार सांसद बनीं जयाप्रदा को अमर सिंह के साथ समाजवादी पार्टी से बाहर भी निकाल दिया गया है। हाल ही में उन्होंने आंध्र प्रदेश का दौरा किया है और घोषणा की है कि वह जल्द ही राज्य की राजनीति में वापस आने वाली हैं।
एक समय यह भी अफवाह थी कि जयाप्रदा वाईएसआर कांग्रेस में जा सकती हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी हालिया मुलाकात ने उनके कांग्रेस में जाने के ही संकेत दिए हैं।
जयाप्रदा ने पिछले हफ्ते कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मुलाकात भी की है। अभिनेत्री ने हाल ही में कहा था कि वह आंध्र प्रदेश की राजनीति में लौटने वाली हैं। उन्होंने इसका भी खुलासा करने को कहा था कि वह किस पार्टी में जाएंगी।जयाप्रदा ने अपने गृह नगर राजमुंदरी से लोकसभा का चुनाव लड़ने की मंशा भी व्यक्त की है। जया की ऐसी इच्छा के बाद राजमुंदरी से सांसद वुंदावाली अरुण कुमार ने कहा कि वह जयाप्रदा के लिए अपनी सीट छोड़ने को तैयार हैं। अरुण कुमार ने कहा, ' इससे उन्हें खुशी ही होगी।'
उल्लेखनीय है कि फिल्मों के बाद जयाप्रदा ने अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 90 के मध्य दशक में तेलगूदेशम पार्टी से की थी। आंध्र प्रदेश से तेलगूदेशम की तरफ से वह 1996 में राज्यसभा सदस्य भी रहीं। बाद में उन्होंने तेलगूदेशम को छोड़ 2004 के आम चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी का दामन थामा। रामपुर से दो बार सांसद बनीं जयाप्रदा को अमर सिंह के साथ समाजवादी पार्टी से बाहर भी निकाल दिया गया है। हाल ही में उन्होंने आंध्र प्रदेश का दौरा किया है और घोषणा की है कि वह जल्द ही राज्य की राजनीति में वापस आने वाली हैं।
एक समय यह भी अफवाह थी कि जयाप्रदा वाईएसआर कांग्रेस में जा सकती हैं लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी से उनकी हालिया मुलाकात ने उनके कांग्रेस में जाने के ही संकेत दिए हैं।
सरबजीत को छोड़ें या तीसरे देश भेजें
सरबजीत को छोड़ें या तीसरे देश भेजें
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान को प्रस्ताव किया है कि सरबजीत को सही इलाज के लिए भारत या किसी तीसरे देश भेजा जाए। भारत ने पाक से कहा है कि सरबजीत के जीवन की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है,हम सरबजीत की बिगड़ती हालत पर चिंतित हैं। जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का इलाज कर रहे डाक्टरों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में सरबजीत की बिगड़ती हालत के बारे में बताया गया है।
बयान में कहा गया है,हमारे उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के विदेश सचिव से मुलाकात कर पाक सरकार से सरबजीत सिंह को मानवीय आधार पर तुरंत रिहा किए जाने की मांग की है ताकि उसे भारत में बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सके। साथ ही हमने यह प्रस्ताव भी किया है कि सरबजीत को इलाज के लिए किसी तीसरे देश भेजा जाए।
उल्लेखनीय है कि 26 अप्रेल को लहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर चार-पांच कैदियों ने जानलेवा हमला कर दिया था। वह तभी से कोमा में है तथा उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है। पाकिस्तान के डाक्टरों का मानना है कि सरबजीत की हालत अत्यंत नाजुक है। लेकिन उसे किसी ओर देश या अस्पताल भेजे जाने से इनकार किया है।
नई दिल्ली। भारत ने पाकिस्तान को प्रस्ताव किया है कि सरबजीत को सही इलाज के लिए भारत या किसी तीसरे देश भेजा जाए। भारत ने पाक से कहा है कि सरबजीत के जीवन की रक्षा के लिए हरसंभव प्रयास किए जाने चाहिए।
विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में कहा गया है,हम सरबजीत की बिगड़ती हालत पर चिंतित हैं। जिन्ना अस्पताल में सरबजीत का इलाज कर रहे डाक्टरों द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट में सरबजीत की बिगड़ती हालत के बारे में बताया गया है।
बयान में कहा गया है,हमारे उच्चायुक्त ने पाकिस्तान के विदेश सचिव से मुलाकात कर पाक सरकार से सरबजीत सिंह को मानवीय आधार पर तुरंत रिहा किए जाने की मांग की है ताकि उसे भारत में बेहतर इलाज मुहैया कराया जा सके। साथ ही हमने यह प्रस्ताव भी किया है कि सरबजीत को इलाज के लिए किसी तीसरे देश भेजा जाए।
उल्लेखनीय है कि 26 अप्रेल को लहौर की कोट लखपत जेल में सरबजीत पर चार-पांच कैदियों ने जानलेवा हमला कर दिया था। वह तभी से कोमा में है तथा उसे वेंटीलेटर पर रखा गया है। पाकिस्तान के डाक्टरों का मानना है कि सरबजीत की हालत अत्यंत नाजुक है। लेकिन उसे किसी ओर देश या अस्पताल भेजे जाने से इनकार किया है।
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