कांग्रेस में जारी है वंशवाद का बोलबालातीन लगातार चुनाव में करारी शिकस्त का सामने करने वाली कांग्रेस पंचायत चुनाव में जमकर वंशवाद का सहारा ले रही है|पहले चरण के चुनाव में पार्टी ने जमकर नेताओं के रिश्तेदारों को मौका दिया है| पार्टी ने विधायक नारायण सिहं,श्रवण कुमार और महेन्द्रजीत जैसे नेताओं के बेटों, बीवी और पुत्रवधू को चुनावी मैदान में उतारा है| एक के बाद एक चुनाव में मिली पातालतोड़ हार का मुहं देखने वाली कांग्रेस ने लगता है शायद कोई सबक नहीं लिया है|जरुरत थी खोई हुई जमीन और जनाधार को तलाशने के लिए वंशवाद से पूरी तरह से दूर रहने की ताकी फ्रेश और जमीनी कार्यकर्ताओं को पार्टी से जुड़ते हुए पंजे के कद को मजबूत किया जा सके लेकिन पार्टी पंचायत चुनाव में वंशवाद के ही भरोसे आगे बढ रही है|पहले चरण के चुनाव में पार्टी ने करीब 20 नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट बांटे हैं| निम्नलिखित नेताओं के रिश्तेदारों को टिकट मिले हैं-- नेताओं के नाम रिश्तेदार टिकट
नारायण सिहं, विधायक वीरेन्द्र सिहं, बेटा पंचायत समिति सदस्य, दांतारामगढ़
महेन्द्रजीत सिहं, विधायक रेशमा मालवीया, पत्नी जिला परिषद सदस्य, बांसवाड़ा
महेन्द्रजीत सिहं, विधायक प्रेमप्रताप, बेटा पंचायत समिति सदस्य, अांनदपुरी
श्रवण कुमार, विधायक डॉ प्रवीण कुमार, बेटा जिला परिषद सदस्य, झुंझुनूं
रमेश खिंची, पूर्व विधायक 2 बेटों और 1 पुत्रवधू कठूमर पंचायत समिति
जी आर खटाणा, प्रदेश महासचिव गीता देवी, पत्नी जिला परिषद सदस्य, दौसा
कुलदीप इंदौरा, जिलाध्यक्ष सीमा इंदौरा,पत्नी पंचायत समिति सदस्य, घड़साना
लालशंकर घाटिया, पूर्व विधायक राधा देवी, पत्नी पंचायत समिति सदस्य,बिछीवाड़ा
बाबूलाल बैरवा, पूर्व विधायक अवधेश बैरवा, बेटा पंचायत समिति सदस्य, अलवर
विनोद चौधरी, पूर्व मंत्री भूपेन्द्र चौधरी, बेटा जिला परिषद सदस्य,हनुमानगढ़
महिपाल मदेऱणा, पूर्व मंत्री दिव्या मदेरणा, बेटी जिला परिषद सदस्य, जोधपुर
महिपाल मदेऱणा, पूर्व मंत्री लीला मदेऱणा, पत्नी जिला परिषद सदस्य, जोधपुर
नरपतराम बरवड़, पूर्व मंत्री गीता देवी, बेटी जिला परिषद सदस्य, जोधपुर
तो कई नेताओं के ऱिश्तेदारों को टिकट देने में कांग्रेस ने खूब दरियादिली दिखाई है यानि इन नेता पुत्रों की पंचायत चुनाव में लॉचिंग हो चुकी है| जाहिर सी बात है कि पार्टी का बहुमत आने पर अपने ऱिश्तेदारों को प्रधान और जिला प्रमुख बनाने में ये नेता पूरा जोर लगा देंगे|
रिश्तेदारों को मौका देने से आम कार्यकर्ताओं का तो हक मारा गया| बाद में वो ही कार्यकर्ता फिर बदले की भावना से पार्टी को नुकसान पहुंचाने में जुट जाते हैं|
एक तरफ तो कांग्रेस सुप्रीमो सोनिया गांधी पार्टी को मजबूत करने के लिए आम कार्यकर्ताओं को तवज्जो देने की बात कह रही है लेकिन सत्ता और बेटा-बेटी के मोहपाश में बंधे इन नेताओं को लगता है इससे कोई वास्ता नहीं हैं|