भीलवाड़ा। देश के सभी विश्वविद्यालयों में अगले शैक्षणिक सत्र 2015-16 से एक समान मूल्यांकन पद्धति होगी।
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग ने च्वॉइस बेस्ड क्रेडिट सिस्टम (सीबीएससी) लागू किया है। अभी तक विवि की परीक्षाओं में मूल्यांकन अंक पद्धति पर होता है।
सीबीएससी के अंतर्गत बीए, बीकॉम, बीएससी सहित विभिन्न स्नातक पाठयक्रमों के प्रथम वर्ष में सेमेस्टर सिस्टम से पढ़ाई होगी।
स्नातक पाठ्यक्रमों की सभी कक्षाओं में इसे एक साथ लागू करना आसान नहीं है, इसीलिए प्रथम वर्ष से लागू किया जा रहा है। यूजीसी ने 8 जनवरी को विवि के कुलपतियों को पत्र लिखकर निर्देश जारी किए।
विद्यार्थी चुन सकेंगे पसंद के कोर्स -
विद्यार्थी तीन तरह के सब्जेक्ट ले सकेंगे, जिसमें फाउंडेशन, इलेक्टिव और कोर सब्जेक्ट शामिल होंगे। हर सेमेस्टर में एक कोर सब्जेक्ट लेना अनिवार्य होगा। इसी तरह इलेक्टिव सब्जेक्ट चुनना होगा, जो उनके विषयों से अलग होगा। इलेक्टिव में बहुत सारे विकल्प होंगे।
सेमेस्टर प्रणाली से शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार होगा। विद्यार्थी को वष्ाü में दो बार परीक्षाएं देनी होंगी, जिससे वे गंभीरता के साथ नियमित पढ़ाई करेंगे। विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से अलग-अलग मूल्यांकन पद्धति अपनाई जाती है। इससे सरकारी नौकरियों सहित विभिन्न उद्देश्यों से वरीयता बनाने में परेशानी होती है।
प्रो. मधुसूदन शर्मा, पूर्व कुलपति
ये रहेंगे अंक और ग्रेड
90-100 : ओ ग्रेड (आउटस्टेडिंग)
80-90 : ए प्लस (एक्सीलेंट)
70-80 : ए ग्रेड (वेरी गुड)
60-70 : बी प्लस गे्रड (गुड)
50-60 : बी ग्रेड (अबव एवरेज)
50-55 : सी ग्रेड (एवरेज)
40-50 : पी (पास) -
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