बापजी हथकड़ी काट फरार
इंदौर। बहुचर्चित पटवारी हत्याकांड में पकड़ाया ढोंगी बाबा बापजी टीबी अस्पताल में जवान को चकमा देकर हथकड़ी काट फरार हो गया है।
सेन्ट्रल जेल में बंद बापजी उर्फ अवधूत भास्करानंद उर्फ भानुप्रतापसिंह राठौर पिता अर्जुनसिंह (31) निवासी उज्जैन को 6 नवंबर को टीबी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। शुक्रवार रात एक से तीन बजे के करीब वह आरी से हथकड़ी काटकर फरार हो गया। पलंग के पास ही पेपर में लिपटे आरी के दो टुकड़े मिले हैं। रात एक बजे तक उसे पलंग पर बैठे देखा गया था। उसकी सुरक्षा में डीआरपी लाइन के तीन पुलिसकर्मी तैनात थे, रात को डयूटी पूरी होने पर दो चले गए थे, एक जवान रात के वक्त वहां तैनात था। अस्पताल में जवान की मौजूदगी में कैदी के भागने से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
योजना बनाकर फरार
बापजी ने कोर्ट में तबियत खराब होने की बात कहकर अस्पताल शिफ्ट करने का आवेदन लगाया था, जिसके मंजूर होने पर उसे शिफ्ट किया गया था। बापजी के पास आरी मिलने से उसके भागने में अन्य लोगों के शामिल होने की आशंका है।
भेष बदलने में माहिर
बापजी भेष बदलने में माहिर है। हत्या के बाद उसने दाड़ी और लंबे बाल कटवा लिए थे। हत्या के मामले में नाम आने पर वह विभिन्न शहरों में भेष बदलकर रहा। फरारी के दौरान उसने पहचान छिपाने के लिए एकनाथ पिता अरूण कुमार निवासी कोटा के नाम से कोटा आरटीओ से फर्जी लाइसेंस बनवा लिया था।
पत्नी को पाने का जुनून
9 अक्टूबर 2011 को सूर्यदेवनगर निवासी पटवारी लवदास बैरागी का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने बापजी के भक्त नंदकिशोर, निर्मलसिंह, अनुराग, राजेंद्र, अरूण शुक्ला को गिरफ्तार किया था। बापजी तीन माह तक पुलिस को चकमा देता रहा और धार में पकड़ा गया। हत्या से दो साल पहले बापजी ने सूर्यदेवनगर में कथा की थी तब लवदास की पत्नी ने उससे गुरू दीक्षा ली थी। तभी से बापजी उससे आकर्षित होने लगा। शंका होने पर बैरागी ने बापजी को पीट दिया था। तब से बापजी ने बैरागी को रास्ते से हटाने की ठान ली थी।
इंदौर। बहुचर्चित पटवारी हत्याकांड में पकड़ाया ढोंगी बाबा बापजी टीबी अस्पताल में जवान को चकमा देकर हथकड़ी काट फरार हो गया है।
सेन्ट्रल जेल में बंद बापजी उर्फ अवधूत भास्करानंद उर्फ भानुप्रतापसिंह राठौर पिता अर्जुनसिंह (31) निवासी उज्जैन को 6 नवंबर को टीबी अस्पताल में दाखिल कराया गया था। शुक्रवार रात एक से तीन बजे के करीब वह आरी से हथकड़ी काटकर फरार हो गया। पलंग के पास ही पेपर में लिपटे आरी के दो टुकड़े मिले हैं। रात एक बजे तक उसे पलंग पर बैठे देखा गया था। उसकी सुरक्षा में डीआरपी लाइन के तीन पुलिसकर्मी तैनात थे, रात को डयूटी पूरी होने पर दो चले गए थे, एक जवान रात के वक्त वहां तैनात था। अस्पताल में जवान की मौजूदगी में कैदी के भागने से कई सवाल खड़े हो गए हैं।
योजना बनाकर फरार
बापजी ने कोर्ट में तबियत खराब होने की बात कहकर अस्पताल शिफ्ट करने का आवेदन लगाया था, जिसके मंजूर होने पर उसे शिफ्ट किया गया था। बापजी के पास आरी मिलने से उसके भागने में अन्य लोगों के शामिल होने की आशंका है।
भेष बदलने में माहिर
बापजी भेष बदलने में माहिर है। हत्या के बाद उसने दाड़ी और लंबे बाल कटवा लिए थे। हत्या के मामले में नाम आने पर वह विभिन्न शहरों में भेष बदलकर रहा। फरारी के दौरान उसने पहचान छिपाने के लिए एकनाथ पिता अरूण कुमार निवासी कोटा के नाम से कोटा आरटीओ से फर्जी लाइसेंस बनवा लिया था।
पत्नी को पाने का जुनून
9 अक्टूबर 2011 को सूर्यदेवनगर निवासी पटवारी लवदास बैरागी का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। पुलिस ने बापजी के भक्त नंदकिशोर, निर्मलसिंह, अनुराग, राजेंद्र, अरूण शुक्ला को गिरफ्तार किया था। बापजी तीन माह तक पुलिस को चकमा देता रहा और धार में पकड़ा गया। हत्या से दो साल पहले बापजी ने सूर्यदेवनगर में कथा की थी तब लवदास की पत्नी ने उससे गुरू दीक्षा ली थी। तभी से बापजी उससे आकर्षित होने लगा। शंका होने पर बैरागी ने बापजी को पीट दिया था। तब से बापजी ने बैरागी को रास्ते से हटाने की ठान ली थी।