बाड़मेर। चुनावी बिसात बिछ गई है। राजनीति के धुरंधरों ने अपनी-अपनी जीत के लिए कमर कस ली है। टिकट वितरण से लेकर जीतने की जुगत करने तक जातिगत समीकरणों का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। हालत यह हैकि जातिगत समीकरणों के आगे विकास का मुद्दा गौण हो गया है। राजनीतिक चर्चाओं में भी विकास के लिए कोई जगह नहीं है। चर्चाओं में भी जातिगत गणित हावी है।
बाड़मेर जिले के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरण ही प्रत्याशी की योग्यता का आधार बने हैं। दोनों मुख्य दल भाजपा व कांग्रेस में जातिगत आधार पर ही टिकट बंटे हैं। विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर में शहरी मतदाता व जिले में एक जैन को टिकट देने की परम्परा के तहत कांग्रेस ने मेवाराम जैन को टिकट थमाया है। वहीं भाजपा ने जाट मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए डॉ. प्रियंका चौधरी को टिकट दी है। विधानसभा क्षेत्र शिव में कांग्रेस व भाजपा ने अपने पुराने जातिगत समीकरणों के आधार पर मुस्लिम व राजपूत को टिकट दी है।
बायतु व पचपदरा में पिछले विधानसभा चुनाव के जातिगत समीकरण दोहराए गए हैं। सिवाना में कांग्रेस ने ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है तो भाजपा ने राजपूत प्रत्याशी पर दाव खेला है। सुरक्षित सीट चौहटन पर भाजपा व कांग्रेस ने पिछले चुनाव की तरह इस बार भी मेघवाल जाति पर भरोसा किया है। गुड़ामालानी सीट पर जातिगत गणित के आधार पर टिकट बंटवारा किया गया है।
विकास का रोडमेप नहीं
चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवार बड़ी सभाएं नहीं कर रहे हैं। वे छोटी-छोटी बैठकें अथवा सम्पर्क कर रहे हैं। इन बैठकों का आधार भी जातिगत ही है। इसमें जातियों को साथ देने का आग्रह किया जा रहा है। समर्थन मिलने की स्थिति में हितों की रक्षा की बात की जा रही है। विकास को लेकर किसी भी प्रकार का रोडमेप उम्मीदवारों की ओर से जनता के सामने नहीं रखा जा रहा है। दिलचस्प पहलू यह हैकि मतदाता भी जाति के आधार पर बंटा हुआ दिख रहा है और विकास के मुद्दे पर ध्यान ही नहीं है।
विकास के मुद्दों की कमी नहीं
प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विकास के मुद्दों की भरमार है। बुनियादी सुविधाओं से लेकर बड़े मुद्दों तक सब कुछ है। जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, शिव में डीएनपी का मुद्दा, चौहटन व गुड़ामालानी में नर्मदा नहर के पानी का मुद्दा, पचपदरा व बायतु में रिफाइनरी व पेट्रो केमिकल इण्डस्ट्री का मुद्दा, सिवाना में बिजली व कृषि कनेक्शन का मुद्दा है। चौंकाने वाली बात यह हैकि चुनाव तिथियां घोषित होने से पहले इन मुद्दों को लेकर जमकर हो हल्ला चलता रहा है, लेकिन अब इन पर कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है। (कासं)
जाति का बंधन तोड़ने की जरूरत
जाति का बंधन तोड़कर विकास की राजनीति करने की जरूरत है। मतदाताओं को जाति के आधार पर नहीं योग्यता के आधार जनप्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए। उम्मीदवारों को विकास को चुनावी मुद्दा बनाना चाहिए।अब्दुल रहमान बाड़मेर
बाड़मेर जिले के सभी सात विधानसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरण ही प्रत्याशी की योग्यता का आधार बने हैं। दोनों मुख्य दल भाजपा व कांग्रेस में जातिगत आधार पर ही टिकट बंटे हैं। विधानसभा क्षेत्र बाड़मेर में शहरी मतदाता व जिले में एक जैन को टिकट देने की परम्परा के तहत कांग्रेस ने मेवाराम जैन को टिकट थमाया है। वहीं भाजपा ने जाट मतदाताओं को ध्यान में रखते हुए डॉ. प्रियंका चौधरी को टिकट दी है। विधानसभा क्षेत्र शिव में कांग्रेस व भाजपा ने अपने पुराने जातिगत समीकरणों के आधार पर मुस्लिम व राजपूत को टिकट दी है।
बायतु व पचपदरा में पिछले विधानसभा चुनाव के जातिगत समीकरण दोहराए गए हैं। सिवाना में कांग्रेस ने ब्राह्मण मतदाताओं को लुभाने का प्रयास किया है तो भाजपा ने राजपूत प्रत्याशी पर दाव खेला है। सुरक्षित सीट चौहटन पर भाजपा व कांग्रेस ने पिछले चुनाव की तरह इस बार भी मेघवाल जाति पर भरोसा किया है। गुड़ामालानी सीट पर जातिगत गणित के आधार पर टिकट बंटवारा किया गया है।
विकास का रोडमेप नहीं
चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवार बड़ी सभाएं नहीं कर रहे हैं। वे छोटी-छोटी बैठकें अथवा सम्पर्क कर रहे हैं। इन बैठकों का आधार भी जातिगत ही है। इसमें जातियों को साथ देने का आग्रह किया जा रहा है। समर्थन मिलने की स्थिति में हितों की रक्षा की बात की जा रही है। विकास को लेकर किसी भी प्रकार का रोडमेप उम्मीदवारों की ओर से जनता के सामने नहीं रखा जा रहा है। दिलचस्प पहलू यह हैकि मतदाता भी जाति के आधार पर बंटा हुआ दिख रहा है और विकास के मुद्दे पर ध्यान ही नहीं है।
विकास के मुद्दों की कमी नहीं
प्रत्येक विधानसभा क्षेत्र में विकास के मुद्दों की भरमार है। बुनियादी सुविधाओं से लेकर बड़े मुद्दों तक सब कुछ है। जिला मुख्यालय पर मेडिकल कॉलेज, इंजीनियरिंग कॉलेज, शिव में डीएनपी का मुद्दा, चौहटन व गुड़ामालानी में नर्मदा नहर के पानी का मुद्दा, पचपदरा व बायतु में रिफाइनरी व पेट्रो केमिकल इण्डस्ट्री का मुद्दा, सिवाना में बिजली व कृषि कनेक्शन का मुद्दा है। चौंकाने वाली बात यह हैकि चुनाव तिथियां घोषित होने से पहले इन मुद्दों को लेकर जमकर हो हल्ला चलता रहा है, लेकिन अब इन पर कहीं कोई चर्चा नहीं हो रही है। (कासं)
जाति का बंधन तोड़ने की जरूरत
जाति का बंधन तोड़कर विकास की राजनीति करने की जरूरत है। मतदाताओं को जाति के आधार पर नहीं योग्यता के आधार जनप्रतिनिधि का चुनाव करना चाहिए। उम्मीदवारों को विकास को चुनावी मुद्दा बनाना चाहिए।अब्दुल रहमान बाड़मेर
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