रविवार, 22 फ़रवरी 2015

देह व्यापार का खुलासा: मौके पर मिली 21 लड़कियां, 7 लड़के भी हुए गिरफ्तार

जोधपुर. पुलिस की स्पेशल टीम ने शनिवार को घासमंडी क्षेत्र में तीन घरों में दबिश देकर 21 युवतियां व 7 युवकों को पीटा के तहत गिरफ्तार किया। पुलिस कमिश्नर अशोक कुमार राठौड़ के निर्देशन में एसीपी (मंडोर) जसवंत सिंह, एसीपी (पूर्व) वेदप्रकाश व एसीपी (पश्चिम) सीमा हिंगोनिया के निर्देशन तीन टीमों ने अलग-अलग दबिश दी।


देह व्यापार का खुलासा: मौके पर मिली 21 लड़कियां, 7 लड़के भी हुए गिरफ्तार

जहां एसीपी जसवंत सिंह की टीम ने मिलन, ज्योति, नेहा, सीमा, निशा, अंकिता, अंकिता, मोनिका, मोहनराम, सोनाराम, गणपत व छोटूराम को गिरफ्तार किया। एसीपी सीमा हिंगोनिया की टीम ने सुलेखा, बबली, नैना, रितो, मोबिना, मौजम, जमील व भागीरथ को गिरफ्तार किया। वहीं एसीपी वेदप्रकाश ने नगीना, सीता, रुबीना उर्फ रवीना, वंदना व विनिता को गिरफ्तार किया। तीनों एसीपी की तरफ से सदरबाजार थाने में आरोपियों के खिलाफ तीन मामले दर्ज किए गए। कार्रवाई के दौरान कांस्टेबल चंचलप्रकाश व कमरुद्दीन आदि शामिल थे।
देह व्यापार का खुलासा: मौके पर मिली 21 लड़कियां, 7 लड़के भी हुए गिरफ्तार
क्या है पीटा एक्ट, क्या सजा
पीटा (प्रिवेंशन ऑफ इम्मोरल ट्रैफिकिंग एक्ट) एक्ट अनैतिक देह व्यापार को रोकने के लिए 1956 में लागू किया गया है। 1986 में इसमें संशोधन किया गया। इस कानून के तहत अनैतिक देह व्यापार करने वाली कॉलगर्ल को छह माह की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। ग्राहक के लिए कानून में अलग-अलग सजा है। पब्लिक प्लेस या नोटिफाइड एरिया में गिरफ्तार होने पर तीन माह की सजा। कॉलगर्ल अगर 18 साल की उम्र से कम की हो तो ग्राहक को 7 से 10 साल की सजा हो सकती है।

यहां से शुरू हुआ धर्मचक्र प्रर्वतन - सारनाथ।



बौद्ध धर्म का इतिहास यूं तो ज्यादा पुराना नहीं है पर काफी तेजी से इसने दुनिया के देशों में अपनी शिक्षाओं द्वारा अपने अनुयायियों की संख्या में वृद्धि कर ली है। भगवान बुद्ध इस धर्म के प्रमुख प्रर्वतक हुए हैं।वैसे तो भारत में कई स्थान ऐसे हैं जो बौद्ध धर्म के तीर्थ बन चुके हैं पर एक ऐसा भी स्थान है जो बौद्ध धर्म में प्रमुख तीर्थ स्थल के रूप में प्रतिष्ठित है, वह है सारनाथ।



सारनाथ में ही भगवान बुद्ध ने अपना पहला उपदेश दिया था। यहीं से उन्होंने धर्मचक्र-प्रर्वतन प्रारम्भ किया था। सारनाथ में अशोक का चतुर्भुज सिंह स्तम्भ, भगवान बुद्ध का मंदिर (जो यहां का प्रधान मंदिर भी है), धमेखस्तूप, चौखण्डी स्तूप, सारनाथ का वस्तु संग्रहालय, नवीन विहार, मूलगन्धकुटी आदि दर्शनीय स्थल हैं।जैन ग्रंथों में सारनाथ को सिंहपुर कहा गया है।




जैनधर्मावलम्बी इसे अतिशय-क्षेत्र मानते हैं। श्रेयांसनाथ के यहां गर्भ, जन्म और तप- ये तीन कल्याणक हुए हैं। यहां के जैन मंदिरों में श्रेयांसनाथजी की प्रतिमा है। इस मंदिर के सामने ही अशोक स्तम्भ है।कभी सारनाथ बौद्ध धर्म का प्रधान केन्द्र था पर मुहम्मद गौरी ने हमला करके इसे नष्ट-भ्रष्ट कर दिया था। पर अब इतिहास के विद्वानों और बौद्ध धर्म के अनुयायियों का ध्यान इस ओर गया है और उन्होंने सारनाथ को वापस उसका पुराना स्वर्ण युग लौटाना शुरू कर दिया है।




कैसे पहुचें- सारनाथ पूर्वोत्तर रेलवे का स्टेशन है जो बनारस छावनी स्टेशन से 8 किलोमीटर, बनारस सिटी स्टेशन से 6 किलोमीटर और बनारस शहर से सड़क मार्ग द्वारा 10 किलोमीटर दूर है। बनारस से यहां जाने के लिए सवारी वाहन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं।

श्रीकृष्‍ण्‍ा-रुक्मिनी की प्रेम-कथा

विदर्भ के राजा की पुत्री थी रुक्मिनी, जिन्‍होंने कृष्‍ण्‍ा के शौर्य और तेज के बारे में काफी सुन रखा था, उनके पिता भी चा‍हते थे‍ कि कृष्‍ण का विवाह उनकी बेटी से हो जाए। लेकिन जरासंध के होते हुए यह संभव नहीं था। इधर रुक्मिनी मन-ही-मन कृष्‍ण को अपना पति मान चुकी थी और उनसे ही विवाह के सपने सँजोने लगी थी, इधर कृष्‍ण ने भी रुक्मिनी के रूप-गुणों की चर्चाएँ सुनी थी और वो भी उनसे मिलने को आतुर थे। अब दोनों का मन एक-दूसरे से मिलने के लिए विचलित होने लगा था। रुक्मिनी अपने हृदय से मात खा चुकी थीं और उनसे श्रीकृष्‍ण से दूर रह पाना संभव नहीं हो पा रहा था और उन्‍होंने अपने मन की बात संदेश के जरिए श्रीकृष्‍ण के पास भिजवा दी।

श्रीकृष्‍ण अपने भ्राता बलराम के साथ रुक्मिनी का हरण करने पहुँचे। रुक्मिनी ने स्‍वयं ही अपने अपहरण की योजना श्रीकृष्‍ण को बताई थी। श्रीकृष्‍ण ने उनका हरण कर उनसे विधिवत् विवाह किया और उन्‍हें अपनी सबसे प्रिय रानी बना कर रखा। इतने युग बीतने के बाद भी इनकी प्रेमकथा लोगों के स्‍मरण में ताजा है।

शनिवार, 21 फ़रवरी 2015

बाड़मेर से 30 करोड़ बैरल तेल का उत्पादन और होगा!



बाड़मेर। देश के सबसे तेजी से बढ़ रहे पेट्रोलियम उत्पादक क्षेत्र थार के नाम एक और उपलब्धि जुड़ गई है। तेल खोज के बाद उत्पादन और ऊष्मीय तेल पाइपलाइन से तेल परिवहन के बाद केयर्न इंडिया ने अब यहां दुनिया का सबसे बड़ा पॉलीमर फ्लड अभियान शुरू कर दिया है। यह विशेष तकनीक तेल उत्पादन बढ़ाने में सहायता करती है।

Polymer flood technology in Barmer oil production




केमिकल ईओआर के चलते बाड़मेर के तीन सबसे बड़े तेल क्षेत्रों मंगला, भाग्यम, ऎश्वर्या (एमबीए) से ही पूरे उत्पादन काल में 30 करोड़ बैरल तेल अतिरिक्त उत्पादन की संभावना जताई गई है। तेल उत्पादन शब्दावली में पॉलीमर इंजेक्शन के नाम से जानी जाने वाली इस तकनीक को बाड़मेर से 35 किलोमीटर दूर स्थित तेल भंडार "मंगला" में शुरू किया गया है। सामान्य स्तर पर शुरू की गई इस गतिविधि को धीरे-धीरे बढ़ाया जाएगा।







ऎसी है तकनीक

विशेषज्ञ इसे केमिकल फ्लडिंग या केमिकल ईओआर के नाम से भी जानते हैं। दुनिया के दूसरे हिस्सों में इसे पुराने तेल क्षेत्रों से अधिक तेल उत्पादन करने के लिए कारगर तरीका माना जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान पर्यावरण अनुकूल रासायनिक बहुलक को पानी में मिला कर जैली की तरह गाढ़ा कर लिया जाता है। इस पॉलीमर युक्त पानी को इंजेक्शन कूप के माध्यम से तेल भंडार तक पहुंचाया जाता है।







रंध्र युक्त चट्टानों के बीच स्थित तेल के साथ मिल कर यह दबाव के साथ उसको ऊपर जमीन तक लाने का काम सहज बना देता है। इस तकनीक के उपयोग से हैवी ऑयल का उत्पादन भी सरलतापूर्वक किया जा सकता है। चीन और अमरीका के कुछ क्षेत्रों में यह तकनीक प्रचलित है लेकिन बाड़मेर जितने बड़े भण्डारों और वृहद स्तर पर किया जाने वाला यह विश्व का पहला ईओआर अभियान है।







एमबीए है इसके लिए उचित

थार के "मंगला", "भाग्यम" और "ऎश्वर्या" (एम.बी.ए.) तेल क्षेत्रों में शुरूआती उत्पादन के दौरान ही वहां ईओआर के महत्व का आकलन कर लिया था। इन तेल भंडारों की प्रकृति "ए", तेल की गुणवत्ता और वातावरण का तापमान सभी मिल कर बाड़मेर को पॉलीमर और एल्कलाइन सर्फेक्टेंट पॉलीमर (एएसपी) फ्लडिंग के लिए आदर्श स्थान बनाते हैं। पॉलीमर फ्लड के अगले कदम के रूप में एएसपी पायलट प्रोग्राम मंगला फ ील्ड में शुरू कर दिया गया है तथा कंपनी उसके परिणामों से उत्साहित है। - 

दीकरी का भव्य विमोचन

दीकरी  का भव्य विमोचन 
बाड़मेर राजस्थान प्रसासनिक सेवा के अधिकारी डाॅ. नखतदान बारहठ द्वारा रचित 81 सोरठौं की मार्मिक पुस्तिका ’’दीकरी का भव्य विमोचन जिला कलक्टर मधुसूदन शर्मा और राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्ष समिती के प्रदेष महामंत्री डाॅ. राजेन्द्रसिंह बाहरठ द्वारा स्थानीय जय नारायण व्यास महिला षिक्षक महाविद्यालय सभागार में समारोह पूर्वक किया गया। डाॅ. नखतदान बाहरठ छोटी पुस्तक में अपनी पैनी लेखनी से ’’दीकरी’’ (पुत्री) अर्थात नारी शक्ति को अलंकारिक सोरठौं के माध्यम से महिमा मंडित किया है। पुस्तक में बेटी को देवी,लक्ष्मी,रिद्धी-सिद्धि,किस्मत,पुरुषार्थ विधना,पृथ्वी,श्रृद्धा आदि रुपों में अभिव्यंजित किया है। पुस्तक के लेखक कवि डाॅ. नखतदान ने पुस्जक सृजन का उद्देष्य स्पष्ट करते हुए मातृषक्ति के प्रति सकारात्मक सामाजिक दृष्टि कोण उभरने की आषा व्यक्त की। वरिष्ठ डिंगळ कवि और षिक्षाविद महादानसिंह बाहरठ और मेघूदान वीठू ने पुस्तक समीक्षा पर अपने विचार प्रकट किए। महाविद्यालस की छात्रा सुश्री कविता द्वारा ’’दीकरी री पुकार’’ काव्य पाठ प्रस्तुत किया। डाॅ. राजेन्द्रसिंह बारहठ ने दीकरी पुस्तक की समीक्षा करते हुए कहा कि पुस्तक के भाव और कला पक्ष और भाषा सौष्ठव सुग्राह्य और समीचीन है। जिला कलक्टर मधुसूदन षर्मा ने अपने उद्बोधन में ’’दीकरी’’ पुस्तक को वर्तमान समय की जरुरत बताते हुए कहा कि इस पुस्तक को जो भी ध्यान से पढेगा उस पाठक का सिर मातृषक्ति के प्रति श्रृद्धा से झुक जायगा और समाज में अनेतिक आचरण निष्चित रुप कम होंगे। समारोह का संचालन वरिष्ठ षिक्षक दीपसिंह रणधा ने किया। इस मौके डाॅ. लक्ष्मीनारायण जोषी, पीताम्बर सुखानी, चंदनसिंह भाटी, रिड़मलसिंह दांता, मगरसिंह खारा, सुरतानसिंह देवड़ा, मानसिंह दूधोड़ा, नेपालसिंह तिबनियार, हिंदुसिंह तामलोर, नरेसदेव सारण, गणपतसिंह कालूड़ी, बी.डी. चारण मुकेष बोहरा, मीठे खां मीर, प्रकाष बिष्नोई, माँगीदान बीठू, दुजर्नसिंह, भगवान आकोड़ा, मदनबारुपाल सहित सैंकड़ों भाषा प्रेमी उपस्थ्ति रहे । पुस्तक विमोचन के बाद अंतरराष्ट्रीय लोक कलाकार फकीरा खां और बाबू खां रेडाणा ने बेटी की विदाई के समय गाया जाने वाला मार्मिक लोकगीत ’’अरणी’’ की संगीत में प्रस्तुति देकर वाातावरण को भावुक बना दिया। समारोह में उपस्थ्ति लोगों के आँखें नम हो गई।