सोमवार, 15 सितंबर 2014

400 राजस्थानी छात्र श्रीनगर एयरपोर्ट पर फंसे

जोधपुर। बाढ़ के बाद कई विद्यार्थी किसी तरह हवाई अड्डे तक पहुंच गए हैं। राजस्थान के करीब 400 विद्यार्थी अब भी श्रीनगर के एयरपोर्ट पर हैं।

सेना की मदद से श्रीनगर से पहले जम्मू और जम्मू से ट्रेन के जरिये जयपुर और वहां से शनिवार शाम जोधपुर पहुंचे प्रतापनगर क्षेत्र निवासी इंद्रजीत पंवार (20) व बालोतरा और हाल जोधपुर के चांदपोल निवासी लिकमाराम (20) ने राजस्थान पत्रिका को यह बात बताई। ये दोनों श्रीनगर के एनआईटी में पढ़ते हैं। 

Hundred thousand students in 10 trucks arrived Airport

स्टेशन पहुंचे इंद्रजीत के पिता रमेश पंवार, मां लीला, चाचा किशोर, बहन पूजा उसे सकुशल देख खुशी के आंसू नहीं रोक पाए। राजस्थान पत्रिका ने रमेश पंवार को श्रीनगर से अपने पर्यटक दल के परिजनों को जोधपुर लाने वाले अब्दुल रशीद से मिलवाया। इसके बाद उन्होंने वहां के हालात के अनुरूप अपने बेटे इंद्रजीत और लिकमाराम को जोधपुर लाने की योजना बनाई। पंवार ने एमईएस जयपुर में कार्यरत गेरीसन इंजीनियर एसके चौहान से मदद करने के लिए कहा।


फिर सेना में कार्यरत मित्र मनीष चौहान से भी बात की। इन दोनों ने सेना तक बात पहुंचाई। इंद्रजीत ने बताया कि एनआईटी में पानी भरने पर उसे और उसके साथियों को कश्मीर यूनिवर्सिटी में शिफ्ट किया गया था। वहां से वे ट्रक कर एयरपोर्ट पहुंचे। इनमें करीब 50 छात्राएं भी थीं। सेना ने उन्हें जम्मू तक छोड़ दिया। उसके बाद वे जम्मू स्टेशन पहुंचे और जम्मू से पूजा एक्सप्रेस के माध्यम से जयपुर तक आए। जयपुर से रानीखेत एक्सप्रेस से शनिवार शाम जोधपुर पहुंचे।

14 डिग्री तापमान में सड़क पर सोए


जोधपुर. हम कुल 9 जने अंधेरी रात में 14 डिग्री तापमान में सड़क पर सोते थे। साथ में छोटे-छोटे बच्चे भी थे। बहुत डर लगता था। क्या करते, मजबूरी थी। शहर के महामंदिर धानमंडी निवासी मनीष तातेड़ (34) और उनके परिवार ने श्रीनगर से लौट कर यह व्यथा सुनाई।

उनके साथ पिता गौतमचचंद तातेड़ (59), मां चंदनबाला (57), उनकी पत्नी शिल्पा तातेड़ (29), बेटियां रियांशी (9) व हिमांशी (4), जूनी धान मंडी भ्ौरूजी मंदिर क्षेत्र निवासी उनके ससुर नरेंद्रमल जैन (63) सास चंद्रकला जैन (59) भी वहां गए थे।

उन्होंने बताया कि श्रीनगर में 7 से 12 तारीख तक पानी के लिए तरसते रहे। छह दिन तक खाना नहीं खाया। उसके बाद एयरफोर्स ने खाना खिलाया। वायु सेना ने विशेष्ा विमान से दिल्ली भेजा। हम 20 किलोमीटर तक शिकारे में एयरपोर्ट पहुंचे थे। -

बाड़मेर । वरघोड़े में गूंजे तपस्वी के जयकारे




बाड़मेर । जिनकांतिसागरसूरी आराधना भवन में साध्वी संवेग प्रज्ञा साध्वी श्रमणी प्रज्ञा दोनों के एक माह का मासक्षमण तप (30 उपवास) चल रहा है। रविवार को उनका 24वां उपवास है। इस तपस्या की अनुमोदना में गौतम स्वामी के छठ उपवास की आराधना चल रही है। इस अवसर पर साध्वी सौम्य गुणा ने गौतम स्वामी के जीवन पर प्रकाश डाला। साध्वीवर्या ने प्रवचन में कहा कि भगवान महावीर के प्रथम शिष्य इन्द्रभूति गणधर गौतम जीवन के 50 वर्ष पूर्ण होने के बाद साधु जीवन अंगीकार किया। धर्म आराधना किसी भी उम्र में की जा सकती है। खरतरगच्छ संघ के बाबूलाल छाजेड़ ने बताया कि 14 से 20 सितंबर तक प्रतिदिन सात दिवसीय गौतम रास का सामूहिक पाठ का आयोजन होगा।


तपस्वीका वरघोड़ा निकाला 



मासक्षमणकी तपस्या कर रही बहन मंजु बोहरा की अनुमोदनार्थ वरघोड़े का आयोजन किया। चातुर्मास लाभार्थी परिवार के शांतिलाल छाजेड़ ने बताया कि वरघोड़ा आराधना भवन से प्रारंभ होकर शहर के मुख्य मार्गों से होता हुआ चिंतामणी पाष्र्वनाथ मन्दिर पहुंचा। बाद में चिंतामणी दादा के दरबार पहुंच कर चैत्य वन्दन किया। इसके बाद वरघोड़ा शहर के पुरानी सब्जी मण्डी से पुरानी सब्जी मंडी से होता हुआ तपस्वी परिवार के घर पहुंचा। वरघोड़े में तपस्वी अमर रहे के नारे गूंज रहे थे।

पंचान्हिकामहोत्सव 17 से : साध्वीसंवेग प्रज्ञा एवं साध्वी श्रमणी प्रज्ञा के मासक्षमण की तपस्या के अनुमोदनार्थ पंचान्हिका महोत्सव का आयोजन 17 सितम्बर से किया जाएगा। खरतरगच्छ संघ के उपाध्यक्ष भूरचन्द संखलेचा ने बताया कि 17 से 21 सितम्बर तक दैनिक महापूजन रात में भक्ति भावना का आयोजन होगा। 18 सितंबर रात्रि को गोलेच्छा राउण्ड में नाटक और अन्य कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा।

इन सोलह कलाओं में हैं भगवान श्रीकृष्ण निपुण




भगवान श्रीकृष्ण हिन्दू धर्म में विष्णु के अवतार माने जाते हैं। श्रीकृष्ण साधारण व्यक्ति न होकर युग पुरुष थे। कृष्ण का गीता- ज्ञान समस्त मानव-जाति एवं सभी देश-काल के लिए पथ-प्रदर्शक है। आज हम आपको श्रीकृष्ण के 16 कलाओं के बारे में बताने जा रहे हैं,तो आइए जानें भगवान श्रीकृष्ण किन 16 कलाओं में थे निपुण -  




  • श्री-धन संपदा- प्रथम कला के रूप में धन संपदा को स्थान दिया गया है। जिस व्यक्ति के पास अपार धन हो और वह आत्मिक रूप से भी धनवान हो। जिसके घर से कोई भी खाली हाथ नहीं जाए वह प्रथम कला से संपन्न माना जाता है। यह कला भगवान श्री कृष्ण में मौजूद है।

    भू- अचल संपत्ति- जिस व्यक्ति के पास पृथ्वी का राज भोगने की क्षमता है। पृथ्वी के एक बड़े भू-भाग पर जिसका अधिकार है और उस क्षेत्र में रहने वाले जिसकी आज्ञाओं का सहर्ष पालन करते हैं वह अचल संपत्ति का मालिक होता है। भगवान श्री कृष्ण ने अपनी योग्यता से द्वारिका पुरी को बसाया। इसलिए यह कला भी इनमें मौजूद है।
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कीर्ति- यश प्रसिद्धि- जिसके मान-सम्मान व यश की कीर्ति से चारों दिशाओं में गूंजती हो। लोग जिसके प्रति स्वत: ही श्रद्घा व विश्वास रखते हों वह तीसरी कला से संपन्न होता है। भगवान श्री कृष्ण में यह कला भी मौजूद है। लोग सहर्ष श्री कृष्ण की जयकार करते हैं। - 

इला-वाणी की सम्मोहकता- चौथी कला का नाम इला है जिसका अर्थ है मोहक वाणी। भगवान श्री कृष्ण में यह कला भी मौजूद है। पुराणों में भी ये उल्लेख मिलता है कि श्री कृष्ण की वाणी सुनकर क्रोधी व्यक्ति भी अपना सुध-बुध खोकर शांत हो जाता था। मन में भक्ति की भावना भर उठती थी। यशोदा मैया के पास शिकायत करने वाली गोपियां भी कृष्ण की वाणी सुनकर शिकायत भूलकर तारीफ करने लगती थी। - 

लीला- आनंद उत्सव- पांचवीं कला का नाम है लीला। इसका अर्थ है आनंद। भगवान श्री कृष्ण धरती पर लीलाधर के नाम से भी जाने जाते हैं क्योंकि इनकी बाल लीलाओं से लेकर जीवन की घटना रोचक और मोहक है। इनकी लीला कथाओं सुनकर कामी व्यक्ति भी भावुक और विरक्त होने लगता है।  

कांति- सौदर्य और आभा- जिनके रूप को देखकर मन स्वत: ही आकर्षित होकर प्रसन्न हो जाता है। जिसके मुखमंडल को देखकर बार-बार छवि निहारने का मन करता है वह छठी कला से संपन्न माना जाता है। भगवान राम में यह कला मौजूद थी। कृष्ण भी इस कला से संपन्न थे। कृष्ण की इस कला के कारण पूरा ब्रज मंडल कृष्ण को मोहिनी छवि को देखकर हर्षित होता था। गोपियां कृष्ण को देखकर काम पीडि़त हो जाती थीं और पति रूप में पाने की कामना करने लगती थीं। - 
विद्या- मेधा बुद्धि- सातवीं कला का नाम विद्या है। भगवान श्री कृष्ण में यह कला भी मौजूद थी। कृष्ण वेद, वेदांग के साथ ही युद्घ और संगीत कला में पारंगत थे। राजनीति एवं कूटनीति भी कृष्ण सिद्घहस्त थे।  

विमला-पारदर्शिता-जिसके मन में किसी प्रकार का छल-कपट नहीं हो वह आठवीं कला युक्त माना जाता है। भगवान श्री कृष्ण सभी के प्रति समान व्यवहार रखते हैं। इनके लिए न तो कोई बड़ा है और न छोटा। महारास के समय भगवान ने अपनी इसी कला का प्रदर्शन किया था। इन्होंने राधा और गोपियों के बीच कोई फर्क नहीं समझा। सभी के साथ सम भाव से नृत्य करते हुए सबको आनंद प्रदान किया था। -  

उत्कर्षिणि-प्रेरणा और नियोजन- महाभारत के युद्घ के समय श्री कृष्ण ने नौवी कला का परिचय देते हुए युद्घ से विमुख अर्जुन को युद्घ के लिए प्रेरित किया और अधर्म पर धर्म की विजय पताका लहराई। नौवीं कला के रूप में प्रेरणा को स्थान दिया गया है। जिसमें इतनी शक्ति मौजूद हो कि लोग उसकी बातों से प्रेरणा लेकर लक्ष्य भेदन कर सकें। -  
ज्ञान-नीर क्षीर विवेक- भगवान श्री कृष्ण ने जीवन में कई बार विवेक का परिचय देते हुए समाज को नई दिशा प्रदान की जो दसवीं कला का उदाहरण है। गोवर्धन पर्वत की पूजा हो अथवा महाभारत युद्घ टालने के लिए दुर्योधन से पांच गांव मांगना यह कृष्ण के उच्च स्तर के विवेक का परिचय है। 


क्रिया-कर्मण्यता- ग्यारहवीं कला के रूप में क्रिया को स्थान प्राप्त है। भगवान श्री कृष्ण इस कला से भी संपन्न थे। जिनकी इच्छा मात्र से दुनिया का हर काम हो सकता है वह कृष्ण सामान्य मनुष्य की तरह कर्म करते हैं और लोगों को कर्म की प्रेरणा देते हैं। महाभारत युद्घ में कृष्ण ने भले ही हाथों में हथियार लेकर युद्घ नहीं किया लेकिन अर्जुन के सारथी बनकर युद्घ का संचालन किया। -  


योग-चित्तलय- जिनका मन केन्द्रित है, जिन्होंने अपने मन को आत्मा में लीन कर लिया है वह बारहवीं कला से संपन्न श्री कृष्ण हैं। इसलिए श्री कृष्ण योगेश्वर भी कहलाते हैं। कृष्ण उच्च कोटि के योगी थे। अपने योग बल से कृष्ण ने ब्रह्मास्त्र के प्रहार से माता के गर्भ में पल रहे परीक्षित की रक्षा की। मृत गुरू पुत्र को पुर्नजीवन प्रदान किया।
 

प्रहवि-अत्यंतिक विनय- तेरहवीं कला का नाम प्रहवि है। इसका अर्थ विनय होता है। भगवान कृष्ण संपूर्ण जगत के स्वामी हैं। संपूर्ण सृष्टि का संचलन इनके हाथों में है फिर भी इनमें कर्ता का अहंकार नहीं है। गरीब सुदामा को मित्र बनाकर छाती से लगा लेते हैं। महाभारत युद्घ में विजय का श्रेय पाण्डवों को दे देते हैं। सब विद्याओं के पारंगत होते हुए भी ज्ञान प्राप्ति का श्रेय गुरू को देते हैं। यह कृष्ण की विनयशीलता है।
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सत्य-यर्थाथ-भगवान श्री कृष्ण की चौदहवीं कला का नाम सत्य है। श्री कृष्ण कटु सत्य बोलने से भी परहेज नहीं रखते और धर्म की रक्षा के लिए सत्य को परिभाषित करना भी जानते हैं यह कला सिर्फ कृष्ण में है। शिशुपाल की माता ने कृष्ण से पूछा की शिशुपाल का वध क्या तुम्हारे हाथों होगी। कृष्ण नि:संकोच कह देते हैं यह विधि का विधान है और मुझे ऐसा करना पड़ेगा।
 

इसना -आधिजिससे वह लोगों पर अपत्य-पंद्रहवीं कला का नाम इसना है। इस कला का तात्पर्य है व्यक्ति में उस गुण का मौजूद होना पना प्रभाव स्थापित कर पाता है। जरूरत पडऩे पर लोगों को अपने प्रभाव का एहसास दिलाता है। कृष्ण ने अपने जीवन में कई बार इस कला का भी प्रयोग किया जिसका एक उदाहरण है मथुरा निवासियों को द्वारिका नगरी में बसने के लिए तैयार करना। - 

अनुग्रह-उपकार-बिना प्रत्युकार की भावना से लोगों का उपकार करना यह सोलवीं कला है। भगवान कृष्ण कभी भक्तों से कुछ पाने की उम्मीद नहीं रखते हैं लेकिन जो भी इनके पास इनका बनाकर आ जाता है उसकी हर मनोकामना पूरी करते हैं। - 

जब शिव ने पहने गोपियों के वस्त्र




किस तरह कृष्ण की बांसुरी सुनकर सभी गोप-गोपियां दिव्य आनंद की स्थिति चले गए। यह वही परम आनंद की स्थिति थी जिसे योगी ध्यान में पाते हैं। जब यह रास लीला हो रही थी, तब शिव ध्यान में डूबे हुए थे। अचानक उन्होंने जाना कि उन्ही की तरह परमानन्द में कई और लोग भी डूबे हुए हैं, लेकिन वे सब बांसुरी की धुन पर नाचते हुए आनंदित हो रहे हैं। यह देख शिव भी रास लीला में जाने के लिए उत्सुक हो उठे। फिर कैसे पहुंचे शिव रास लीला में? आइये पढ़ते हैं…


यह पहली रास लीला थी, जिसमें उल्लासित लोगों की टोली ने एक साथ नाच-गाकर दिव्य आनंद की अवस्था को पाया था। जब यह रास लीला शुरु हुई, तो भगवान शिव पहाड़ों में ध्यान मग्न थे। कृष्ण हमेशा से भगवान शिव के भक्त रहे हैं। ऐसा माना जाता है कि कृष्ण वाकई में शालिग्राम से पैदा हुए थे। शालिग्राम एक काले रंग का चिकना चमकीला अंडाकार पत्थर होता है, जिसकी भारत में भगवान के रूप में पूजा होती है।

जब यह रास लीला शुरु हुई, तो भगवान शिव पहाड़ों में ध्यान मग्न थे।

यह यमुना नदी के किनारों पर मिलता है। हालांकि नेपाल से निकलने वाली कुछ और नदियों में ऐसे शालिग्राम पाए जाते थे। उनमें से अधिकांश नदियां अब लुप्त हो चुकी हैं। माना जाता है कि इन्हीं नदियों के जरिए शालिग्राम यमुना तक पहुंचे। ये शालिग्राम महज पत्थर नहीं हैं, ये एक खास तरीके से बनते हैं। इनके अंदर एक खास प्रक्रिया होती है, जिसकी वजह से इनमें अपना ही एक स्पंदन होता है। दंत कथा के अनुसार, कृष्ण इन्हीं शालिग्राम से निकले हैं और यही वजह है कि उनका रंग नीलापन लिए सांवला है। हर सुबह और शाम कृष्ण महादेव के मंदिर जाया करते थे और जहां तक हो सका, यह सिलसिला जीवन भर चलता रहा।

तो शिव ध्यान में मग्न थे और अचानक, उन्हें पता चला कि जो आनंद उन्हें ध्यान में मिल रहा है, रास में लीन बच्चे नाच कर उसी आनंद का पान कर रहे हैं। वह देखकर हैरान थे कि छोटी उम्र का उनका वह भक्त बांस के छोटे टुकड़े की मोहक धुन पर सभी को नचाकर परम आनंद में डुबो रहा था। अब शिव से रहा नहीं गया। वह रास देखना चाहते थे। वह तुरंत उठे और सीधे यमुना तट की ओर चल दिए। वह यमुना को पार कर देखना चाह रहे थे कि वहां क्या हो रहा है।

वृनदेवी ने कहा, ‘नहीं, क्योंकि वह कृष्ण का रास है। वहां कोई पुरुष नहीं जा सकता। अगर आपको वहां जाना है, तो आपको महिला के रूप में आना होगा।’
लेकिन उनके रास्ते में ही नदी की देवी ‘वृनदेवी’ खड़ी हो गई। वृनदेवी ने उनसे कहा, ‘आप वहां नहीं जा सकते हैं।’



इस पर शिव आश्चर्यचकित रह गए। इस पर हंसते हुए उन्होंने कहा, ‘कौन, मैं वहां नहीं जा सकता?’ वृनदेवी ने कहा, ‘नहीं, क्योंकि वह कृष्ण का रास है। वहां कोई पुरुष नहीं जा सकता। अगर आपको वहां जाना है, तो आपको महिला के रूप में आना होगा।’

स्थिति वाकई विचित्र थी। आखिर शिव को पौरुष का प्रतीक माना जाता है – उनका प्रतीक लिंग और बाकी सब चीजों के होने की भी यही वजह है। ये प्रतीक उनके पौरुषता के साक्षात प्रमाण हैं। अब ऐसे में उनके सामने बड़ी दुविधा थी कि वह महिला के वेश में कैसे आएं। वहीं, दूसरी ओर रास अपने चरम पर था। वह वहां जाना भी चाहते थे। लेकिन नदी की वृनदेवी बीच में आ गईं और बोलीं, ‘आप वहां नहीं जा सकते। वहां जाने के लिए आपको कम से कम महिला के वस्त्र तो धारण करने ही होंगे। अगर आप महिला का वेश धारण करने के लिए तैयार हैं, तो मैं आपको जाने दूंगी। वरना नहीं।’ शिव ने आस-पास देखा, कोई नहीं देख रहा था। उन्होंने कहा, ‘ठीक है, तुम मुझे गोपियों वाले वस्त्र दे दो।’ तब वृनदेवी ने उनके सामने गोपी वाले वस्त्र पेश कर दिए। शिव ने उन्हें पहना और नदी पार करके चले गए। यह रास में शामिल होने की उनकी बेताबी ही थी।

तो शिव को भी रास लीला में शामिल होने के लिए महिला बनना पड़ा। प्रेम, खुशी, उल्लास और आनंद का यह दिव्य नृत्य यूं ही चलता रहा।

रविवार, 14 सितंबर 2014

अमेठी राजघराने के विवाद ने लिया खूनी रूप, 1 सिपाही शहीद -

अमेठी। उत्तर प्रदेश के अमेठी जनपद में राजघराने में स्वामित्व का विवाद अब खूनी रूप लेता जा रहा है। रविवार की सुबह संजय सिंह और उनकी दूसरी पत्नी अमिता सिंह को अदालत में पेश होना था। इससे पहले स्थानीय लोग संजय सिंह की पहली पत्नी गरिमा सिंह के बेटे अनंत विक्रम सिंह के समर्थन में उतर आए। उन्होंने भूपति भवन को घेर लिया और अमिता को घुसने नहीं दिया। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच जमकर संघर्ष हुआ।
Feud with Sanjay Singh`s family over Amethi Palace turns violent, 1 constable dead
पुलिस ने जब लाठीचार्ज किया तो दूसरी तरफ से गोलीबारी की गई। उसी दौरान गोली लगने से एक सिपाही की मौत हो गई। इस घटना में कई लोग घायल हो गए। घटनास्थल पर कई थानों के पुलिस दस्ते तथा आरएएफ व पीएसी बल को तैनात किया गया है। अमेठी पुलिस से मिली जानकारी के अनुसार, भूपति भवन के वारिस और कांग्रेस सांसद संजय सिंह व उनकी पहली पत्नी गरिमा सिंह के बीच स्वामित्व का विवाद चल रहा है। 

अदालत में पेश होने के लिए संजय सिंह और उनकी दूसरी पत्नी अमिता रविवार को लखनऊ से अमेठी के लिए निकलने वाले थे। इसी बीच पहली पत्नी गरिमा सिंह के बेटे विक्रम सिंह ने ग्रामीणों के साथ भूपति भवन को घेर लिया। इसके बाद पुलिस और ग्रामीणों के बीच झड़प हो गई। देखते ही देखते उग्र भीड़ ने पुलिस पर पथराव कर दिया। पुलिस ने भीड़ को नियंत्रित करने के लिए हवाई फायरिंग की तो दूसरी तरफ से भी फायरिंग की की गई। बताया जाता है कि फायरिंग के दौरान एक सिपाही विजय मिश्र को गोली लगी और अस्पताल ले जाते वक्त उसकी मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने लाठीचार्ज कर ग्रामीणों को वहां से खदेड़ दिया।

खूनी संघर्ष की सूचना पाकर मौके पर कई थानों की पुलिस, पीएसी और आरएएफ को तैनात कर दिया गया है। खबर लिखे जाने तक संजय सिंह अपनी दूसरी पत्नी अमिता के साथ राजमहल पहंुच चुके थे।
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हे भगवान! 1 बच्ची जिसके 1 पिता, 2 मां, 6 दादा-दादी

साओ पाउलो। ब्राजील में एक न्यायाधीश ने एक विचित्र मामले की सुनवाई करते हुए फैसला सुनाया कि एक बच्ची का एक पिता, दो माताएं और छह दादा-दादी उसके कानूनी अभिभावक होंगे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक रियो ग्रैंडे डेल सुल स्थित सांता मारिया में निचली अदालत के न्यायाधीश राफेल कुना ने कहा कि कानूनी दस्तावेजों में बच्ची के नाम के साथ उसके एक पिता, दो माताएं और छह दादा-दादी का नाम लिखा जाएगा।This child has 1 father, 2 mother, 6 grandparents
अदालत ने 27 अगस्त को जन्मी बच्ची के जैविक माता-पिता और बच्ची की मां और उसके साथी द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए शनिवार को फैसला सुनाया। पारंपरिक तरीके से जन्मी बच्ची के जैविक पिता लुईस ग्युलहेरमी और उसकी दो समलैंगिक महिला मित्रों ने आपसी सहमति से यह फैसला किया था कि दोनों महिलाओं में से एक महिला लुईस के बच्चे को जन्म देगी और कानूनी दस्तावेज में बच्चे के पिता की जगह उसका नाम, माता की जगह दोनों महिलाओं के नाम दर्ज होंगे और तीनों के माता-पिता बच्चे के दादा दादी होंगे।

बच्ची की जैविक मां फर्नेडा बट्टाग्ली क्रोपेनिस्किी (26) और उसकी साथी मारियानी ग्युडेस सेनडियागो (27) चार साल से साथ रह रही हैं और दो साल पहले कानूनी रूप से विवाह कर चुकी हैं।  

जोधपुर में हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में लगी आग

जोधपुर। जोधपुर में रविवार को एक हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री में अचानक आग लग गई।fire in handicraft factory in jodhpur
आग लगने से फैक्ट्री के आसपास अफरा-तफरी मच गई।

मौके पर दमकल की 5 गाडियां पहुंची और आग पर काबू पाने में कड़ी मशक्कत की।

जानकारी के अनुसार जोधपुर के बोरानाड़ा क्षेत्र में सेक्टर पांच में एक हैंडीक्राफ्ट फैक्ट्री है।

फै क्ट्री में रविवार को अचानक आग लग गई। आग लगने से लाखों रूपए का सामान जलकर राख हो गया।

आग की सूचना पर मौके पर पुलिस और फायर ब्रिगेड की गाडियां पहुंची।

फायर ब्रिगेड की तकरीबन 5 गाडियों ने कड़ी मशक्कत के बाद आग पर काबू पाया।

हालांकि अभी तक आग लगने के कारणों का खुलासा नहीं हुआ है। पुलिस आग लगने के कारणों का पता लगाने में जुटी है। - 

बालोतरा। लूणी नदी में अवेध रूप से खनन करने वालो के खिलाफ होगी सख्त कार्रवाई



रिपोर्ट :- ओमप्रकाश सोनी / बालोतरा 

बालोतरा। बालोतरा उपखंड की मरूगंगा कही जाने वाली लुणी नदी के लिये भी आने वाले समय में अच्छे दिन आ सकते है। नदी को चीर कर नदी के सीने को छलनी करने वालो के खिलाफ सरकार शीघ्र ही कड़ी कार्रवाई कर सकती है। नदी में ग्रेवल व बजरी के हो रहे अवेध खनन को रूकवाने के लिए अब सरकारी स्तर पर प्रयास शुरू किए जायेंगे। यह कहना है पचपदरा के विधायक का।


पचपदरा के विधायक अमराराम चोधरी  ने प्रेस वार्ता कर बताया कि लुणी नदी में अवेध खनन हो रहा है जिससे नदी का प्राकृतिक स्वरूप बिगड़ रहा है। उन्होने बताया कि नदी में हो रहे अंधाधुन खनन के बारे में सरकार को रिपोर्ट भेजी जायेगी। विधायक ने बताया कि नदी में लीज पर खनन का कार्य करने वाले लोग भी खनने के मानको का पालन नही कर रहे है। चोधरी ने बताया कि नदी में अवेध रूप से खनन करने वालो के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने के लिय सरकार को लिखा जायेगा।

भरतपुर।डीजल भरना भूले, ट्रेन हुई लेट

भरतपुर। देश में रेलगाडियों के गंतव्य तक विलम्ब से पहुंचने के लिए अब तक रेलवे के अनेक बहाने सभी ने सुन रखे हैं, लेकिन रेलगाड़ी के इंजन में डीजल भरना भूल जाने के कारण एक रेलगाड़ी के विलम्ब से रवाना होने का अजीबो गरीब मामला प्रकाश में आया है। Railway deptt firgets fill diesel in engine, train gets late
रेलवे प्रशासन इस मामले को छुपाने की कोशिश में जुटा रहा, लेकिन आखिर में मामले का खुलासा हो ही गया। हुआ यह कि आगरा फोर्ट-भरतपुर डीएमयू हर दिन सुबह साढे पांच बजे आगरा से भरतपुर के लिए रवाना होती है, लेकिन गत गुरूवार रात रेलवे कर्मचारी इस रेलगाड़ी के इंजन में डीजल भरना भूल गए। इस कारण इस ट्रेन के कोच शुक्रवार को तड़के समय पर आगरा फोर्ट प्लेटफॉर्म पर नहीं पहुंच पाए।

रेलवे कर्मचारियों की इस लापरवाही से आक्रोशित यात्रियों ने भरतपुर जंक्शन पर जम कर हंगामा किया। बाद में रेलवे के अधिकारियों ने स्पष्ट किया कि इंजन में डीजल भरना भूलने के कारण रेलगाड़ी करीब तीन घंटे बिलम्ब से रवान -