जोधपुर। बाढ़ के बाद कई विद्यार्थी किसी तरह हवाई अड्डे तक पहुंच गए हैं। राजस्थान के करीब 400 विद्यार्थी अब भी श्रीनगर के एयरपोर्ट पर हैं।
सेना की मदद से श्रीनगर से पहले जम्मू और जम्मू से ट्रेन के जरिये जयपुर और वहां से शनिवार शाम जोधपुर पहुंचे प्रतापनगर क्षेत्र निवासी इंद्रजीत पंवार (20) व बालोतरा और हाल जोधपुर के चांदपोल निवासी लिकमाराम (20) ने राजस्थान पत्रिका को यह बात बताई। ये दोनों श्रीनगर के एनआईटी में पढ़ते हैं।
स्टेशन पहुंचे इंद्रजीत के पिता रमेश पंवार, मां लीला, चाचा किशोर, बहन पूजा उसे सकुशल देख खुशी के आंसू नहीं रोक पाए। राजस्थान पत्रिका ने रमेश पंवार को श्रीनगर से अपने पर्यटक दल के परिजनों को जोधपुर लाने वाले अब्दुल रशीद से मिलवाया। इसके बाद उन्होंने वहां के हालात के अनुरूप अपने बेटे इंद्रजीत और लिकमाराम को जोधपुर लाने की योजना बनाई। पंवार ने एमईएस जयपुर में कार्यरत गेरीसन इंजीनियर एसके चौहान से मदद करने के लिए कहा।
फिर सेना में कार्यरत मित्र मनीष चौहान से भी बात की। इन दोनों ने सेना तक बात पहुंचाई। इंद्रजीत ने बताया कि एनआईटी में पानी भरने पर उसे और उसके साथियों को कश्मीर यूनिवर्सिटी में शिफ्ट किया गया था। वहां से वे ट्रक कर एयरपोर्ट पहुंचे। इनमें करीब 50 छात्राएं भी थीं। सेना ने उन्हें जम्मू तक छोड़ दिया। उसके बाद वे जम्मू स्टेशन पहुंचे और जम्मू से पूजा एक्सप्रेस के माध्यम से जयपुर तक आए। जयपुर से रानीखेत एक्सप्रेस से शनिवार शाम जोधपुर पहुंचे।
14 डिग्री तापमान में सड़क पर सोए
जोधपुर. हम कुल 9 जने अंधेरी रात में 14 डिग्री तापमान में सड़क पर सोते थे। साथ में छोटे-छोटे बच्चे भी थे। बहुत डर लगता था। क्या करते, मजबूरी थी। शहर के महामंदिर धानमंडी निवासी मनीष तातेड़ (34) और उनके परिवार ने श्रीनगर से लौट कर यह व्यथा सुनाई।
उनके साथ पिता गौतमचचंद तातेड़ (59), मां चंदनबाला (57), उनकी पत्नी शिल्पा तातेड़ (29), बेटियां रियांशी (9) व हिमांशी (4), जूनी धान मंडी भ्ौरूजी मंदिर क्षेत्र निवासी उनके ससुर नरेंद्रमल जैन (63) सास चंद्रकला जैन (59) भी वहां गए थे।
उन्होंने बताया कि श्रीनगर में 7 से 12 तारीख तक पानी के लिए तरसते रहे। छह दिन तक खाना नहीं खाया। उसके बाद एयरफोर्स ने खाना खिलाया। वायु सेना ने विशेष्ा विमान से दिल्ली भेजा। हम 20 किलोमीटर तक शिकारे में एयरपोर्ट पहुंचे थे। -
सेना की मदद से श्रीनगर से पहले जम्मू और जम्मू से ट्रेन के जरिये जयपुर और वहां से शनिवार शाम जोधपुर पहुंचे प्रतापनगर क्षेत्र निवासी इंद्रजीत पंवार (20) व बालोतरा और हाल जोधपुर के चांदपोल निवासी लिकमाराम (20) ने राजस्थान पत्रिका को यह बात बताई। ये दोनों श्रीनगर के एनआईटी में पढ़ते हैं।
स्टेशन पहुंचे इंद्रजीत के पिता रमेश पंवार, मां लीला, चाचा किशोर, बहन पूजा उसे सकुशल देख खुशी के आंसू नहीं रोक पाए। राजस्थान पत्रिका ने रमेश पंवार को श्रीनगर से अपने पर्यटक दल के परिजनों को जोधपुर लाने वाले अब्दुल रशीद से मिलवाया। इसके बाद उन्होंने वहां के हालात के अनुरूप अपने बेटे इंद्रजीत और लिकमाराम को जोधपुर लाने की योजना बनाई। पंवार ने एमईएस जयपुर में कार्यरत गेरीसन इंजीनियर एसके चौहान से मदद करने के लिए कहा।
फिर सेना में कार्यरत मित्र मनीष चौहान से भी बात की। इन दोनों ने सेना तक बात पहुंचाई। इंद्रजीत ने बताया कि एनआईटी में पानी भरने पर उसे और उसके साथियों को कश्मीर यूनिवर्सिटी में शिफ्ट किया गया था। वहां से वे ट्रक कर एयरपोर्ट पहुंचे। इनमें करीब 50 छात्राएं भी थीं। सेना ने उन्हें जम्मू तक छोड़ दिया। उसके बाद वे जम्मू स्टेशन पहुंचे और जम्मू से पूजा एक्सप्रेस के माध्यम से जयपुर तक आए। जयपुर से रानीखेत एक्सप्रेस से शनिवार शाम जोधपुर पहुंचे।
14 डिग्री तापमान में सड़क पर सोए
जोधपुर. हम कुल 9 जने अंधेरी रात में 14 डिग्री तापमान में सड़क पर सोते थे। साथ में छोटे-छोटे बच्चे भी थे। बहुत डर लगता था। क्या करते, मजबूरी थी। शहर के महामंदिर धानमंडी निवासी मनीष तातेड़ (34) और उनके परिवार ने श्रीनगर से लौट कर यह व्यथा सुनाई।
उनके साथ पिता गौतमचचंद तातेड़ (59), मां चंदनबाला (57), उनकी पत्नी शिल्पा तातेड़ (29), बेटियां रियांशी (9) व हिमांशी (4), जूनी धान मंडी भ्ौरूजी मंदिर क्षेत्र निवासी उनके ससुर नरेंद्रमल जैन (63) सास चंद्रकला जैन (59) भी वहां गए थे।
उन्होंने बताया कि श्रीनगर में 7 से 12 तारीख तक पानी के लिए तरसते रहे। छह दिन तक खाना नहीं खाया। उसके बाद एयरफोर्स ने खाना खिलाया। वायु सेना ने विशेष्ा विमान से दिल्ली भेजा। हम 20 किलोमीटर तक शिकारे में एयरपोर्ट पहुंचे थे। -
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