गुरुवार, 30 जनवरी 2014

दुल्हन के दीदार नहीं तो दूल्हे को हर्जाना

जयपुर। एक दूल्हे को शादी के बाद भी अपनी दुल्हन के नजर भर दीदार नहीं हो सके तो उसने वो कदम उठाया कि शादी के करीब 2 साल बाद से इसका हर्जाना मिलने जा रहा है।
दरअसल, दूल्हे ने शादी के लिए एक चश्मा खरीदा था, जिसने ऎन वक्त पर धोखा दे दिया और वे शादी की न कोई रश्म ढंग से देख पाया और न ही अपनी दुल्हन के दीदार। ये वाकैया राजस्थान की राजधानी जयपुर का है और दूल्हा पेशे से वकील है, नाम है आशीष जेठवानी।

पहली ही रश्म में टूटा चश्मा

सज-संवरकर दूल्हे ने अपने संगीत समारोह में चश्मा पहना तो स्कू्र ढीला होने पर चश्मा नीचे आ गिरा। अपना ही कार्यक्रम ठीक से न दे सका। ऎनक टूटने के दूल्हे के दर्द को जिला उपभोक्ता मंच-द्वितीय ने राहत दी है। मंच ने चश्मा विक्रेता को चश्मे की 900 रूपए की कीमत सहित 4300 रूपए का हर्जाना देने के आदेश दिए हैं।

यहां से पसंद किया था चश्मा

राजापार्क में सिन्धी कालोनी निवासी आशीष जेठवानी पेशे से अधिवक्ता हैं। 24 अप्रैल, 2012 को उनकी शादी थी। शादी की तैयारी के लिए उन्होंने 16 अप्रैल, 2012 को राजापार्क में विजय पथ स्थित स्पेक्टो वल्र्ड, कम्प्लीट आई केयर नाम की दुकान से अपने लिए एक चश्मा पसंद की।

300 का फ्रेम और 600 के थे ग्लास

फ्रेम के लिए 300 और ग्लास के लिए 600 रूपए सहित 900 का भुगतान किया। 19 अप्रैल को चश्मा लेने गए तो ग्लास के बोल्ट फ्रेम में फिट न होने पर दुकानदार को इस बारे में बताया। लेकिन, दुकानदार ने इसे फिट बताकर दिया। परिवाद के अनुसार 23 अप्रैल को महिला संगीत कार्यक्रम पर आशीष ने चश्मा पहना तो बोल्ट वाले स्थान से फ्रेम टूट गया।

विक्रेता ने कर दिया था इनकार

दूल्हा चश्मा टूटने से अपने ही कार्यक्रम को ठीक से नहीं देख सका। कार्यक्रम के अगले दिन ही दुकानदार के पास फ्रेम डिफेक्ट होने पर बदलने को कहा तो उसने अपनी गलती मानने से इन्कार कर दिया। शादी के दिन भी फिटिंग का चश्मा न होने से परेशानी का सामना करना पड़ा।

उपभोक्ता मंच ने सुनी पीड़ा
सात सितम्बर, 2012 को उन्होंने उपभोक्ता मंच-द्वितीय में परिवाद दायर किया। मंच के अध्यक्ष मिथलेश कुमार शर्मा, सदस्य श्रीचंद कुमावत ने कार्यक्रम के मद्देनजर चश्मा की बनावट सही न करने को सेवादोष माना। स्पेक्टो वल्र्ड के मालिक को चश्मे की 900 रूपए कीमत सहित 4500 रूपए हर्जाना अदा करने के आदेश दिए। खास बात यह हर्जाना परिवाद पेश करने की तिथि से नौ प्रतिशत ब्याज के साथ देना होगा।

बीकानेर में धमाका,1 की मौत

बीकानेर। पाकिस्तानी सीमा से सटे राजस्थान के बीकानेर शहर में गुरूवार को एक धमाके ने 21 वर्षीय ब्रजेश की जान ले ली। यह धमाका सुबह करीब 8 बजे गंगाशहर थाना इलाके में एक स्क्रेप गोदाम में हुआ। धमाके की चपेट में एक अन्य युवक शैलेष भी आया था,जिसकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

गंगाशहर थानाधिकारी सुभाष कच्छावा के अनुसार विस्फोट कबाड़ के गोदाम में हुआ है और पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। हादसे की चपेट में यूपी आजमगढ़ के दो युवक आए,जिनमें से एक की मौत हो गई जबकि दूसरे का इलाज शहर के पीबीएम अस्पताल में चल रहा है।

फिलहाल, पुलिस ये पता लगाने में जुटी है कि कबाड़ में विस्फोट किससे हुआ और कबाड़ी के पास स्क्रेप का लाइसेंस भी है या नहीं। विस्तृत रिपोर्ट अभी आनी शेष है।

खुशखबरी: 9 की जगह अब मिलेंगे 12 सिलेण्डर

नई दिल्ली। महंगाई से जूझ रही जनता को केंद्र सरकार ने थोड़ी राहत दी है। सरकार ने सब्सिडी वाले सिलिण्डरों में बढ़ोतरी करते हुए इनकी संख्या 9 से बढ़ाकर 12 कर दी गई है। गुरूवार को कैबिनेट की बैठक में इस मुहर लगा दी गई।
फैसले के तहत 2013-14 में सब्सिडी वाले नौ सिलेंडरों के अतिरिक्त 3 और सिलेण्डर सब्सिडी पर दिए जाएंगे।

गौरतलब है कि इसकी रूपरेखा तभी तय हो गई थी जब एआईसीसी की बैठक में राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री से सब्सिडी वाले सिलेण्डरों की संख्या 12 करने की मांग की थी।

पेट्रोलियम मंत्री वीरप्पा मोइली ने भी उसी दिन कह दिया था कि कैबिनेट में इस मांग पर विचार होगा। मोइली ने इस मुद्दे पर कैबिनेट नोट भेजकर राहुल की इच्छा पूरी करने की पहल कर दी।

सूचना और प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी ने फैसले की जानकारी देते हुए बताया कि अप्रैल 2014 से सब्सिडी पर हर साल 12 सिलिंडर दिए जाएंगे। केंद्र सरकार के मुताबिक एलपीजी सिलेंडरों के करीब 15 करोड़ ग्राहक हैं।

सरकार के इस कदम से फ्यूल सब्सिडी 3,300 करोड़ से बढ़कर 5,000 करोड़ हो जाएगी। अभी एलपीजी पर सालाना 46 हजार करोड़ रूपए सब्सिडी दी जाती है।

आंध्रप्रदेश विधानसभा में तेलंगाना बिल खारिज

हैदराबाद। आंध्र प्रदेश विधानसभा में गुरूवार को तेलंगाना बिल खारिज हो गया है। इसके साथ ही यह मसला और गहराता जा रहा है। इसके साथ ही राज्य की विधानसभा भी अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दी गई है।
गौरतलब है कि गुरूवार को ही विधानसभा में तेलंगाना गठन को लेकर बिल पास होना था। आंध्र प्रदेश के सीएम किरण रेड्डी ने केंद्र को चेतावनी दी थी कि वो तेलंगाना बिल को संसद में पेश करके तो दिखाए।

केन्द्र सरकार 5 फरवरी से शुरू हो रहे संसद सत्र में तेलंगाना विधेयक पेश करेगी। आंध्र प्रदेश विधानसभा का फैसला किसी भी तरह से केन्द्र पर बाध्यकारी नहीं है । सरकारी सूत्रों के मुताबिक ऎसे में केन्द्र सरकार आंध्र प्रदेश पुनर्गठन विधेयक पेश कर पृथक तेलंगाना राज्य के गठन पर अपने फैसले को और आगे बढाएगी।

गृह मंत्री सुशील कुमार शिन्दे पहले ही केन्द्र सरकार के इरादे का ऎलान कर चुके हैं कि सरकार संसद के आगामी सत्र में तेलंगाना विधेयक पेश करेगी । केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने 5 दिसंबर को 10 जिलों वाले तेलंगाना राज्य के गठन को मंजूरी दी थी ।

शिक्षिका से दुव्र्यवहार का आरोपी कांस्टेबल गिरफ्तार


शिक्षिका से दुव्र्यवहार का आरोपी कांस्टेबल गिरफ्तार


पीडि़त शिक्षिका के मुकदमे पर रोहट थाना पुलिस ने की कार्रवाई, एसपी ने भी इस मामले को गंभीरता से लेकर आरोपी पुलिसकर्मी को किया था निलंबित

पाली   रोहट थाना क्षेत्र के धोलेरिया जागीर गांव की सरकारी स्कूल में तैनात शिक्षिका से दुव्र्यवहार व राजकार्य बाधित करने के मामले में पुलिस ने बुधवार को आरोपी कांस्टेबल को गिरफ्तार कर लिया है। इस आशय का मामला सामने आने पर एसपी जयनारायण शेर ने इसे दुराचरण की श्रेणी में मानते हुए आरोपी कांस्टेबल को मंगलवार को ही निलंबित करने के आदेश जारी कर दिए थे। पुलिस के अनुसार धोलेरिया गांव में सरकारी स्कूल की एक शिक्षिका ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गत 25 जनवरी को दिन में वह स्कूल में पढ़ाई करा रही थी। इस दौरान पाली के औद्योगिक क्षेत्र थाने में कार्यरत पुलिस कांस्टेबल गढ़वाड़ा निवासी दिनेश चारण पुत्र लक्ष्मणदान ने उसके साथ दुव्र्यवहार कर राजकार्य में बाधा पहुंचाई। इस मामले में एसपी ने कांस्टेबल को मंगलवार को निलंबित करने के आदेश दिए थे। बुधवार को पुलिस ने मामले की जांच के बाद उसे गिरफ्तार कर लिया। उससे घटना को लेकर पूछताछ की जा रही है।






श्रीकृष्ण भक्त कवि सूरदास


संपूर्ण भारत में मध्ययुग में कई भक्त कवि और गायक हुए लेकिन सूरदास का नाम उन सभी कवि/गायकों में सर्वाधिक प्रसिद्ध और महान कवि के तौर पर लिया जाता है। जिन्होंने श्रीकृष्ण भक्ति में अपना सारा जीवन समर्पित कर दिया था। यह 'सूरसागर' के रचयिता सूरदास की लोकप्रियता और महत्ता का ही प्रमाण है कि एक अंधे भक्त गायक का नाम भारतीय धर्म इतने आदर से लिया जाता है।





कवि सूरदास का जन्म दिल्ली के पास सीही नाम के गांव में बहुत निर्धन सारस्वत ब्राह्मण परिवार में हुआ था। उनके तीन बड़े भाई थे। सूरदास जन्म से ही अंधे थे, किंतु भगवान ने उन्हें सगुन बताने की एक अद्भुत शक्ति से परिपूर्ण करके धरती पर भेजा था।

मात्र छ: वर्ष की अवस्था में ही उन्होंने अपने माता-पिता को अपनी सगुन बताने की विद्या से चकित कर दिया था। लेकिन उसके कुछ ही समय बाद वे घर छोड़कर अपने घर से चार कोस दूर एक गांव में जाकर तालाब के किनारे रहने लगे थे। सगुन बताने की विद्या के कारण शीघ्र ही उनकी ख्याति दूर-दूर तक फैल गई।

इस उपलब्धि के साथ ही वे गायन विद्या में भी शुरू से ही प्रवीण थे। अत: उन्हें शीघ्र ही अच्छी प्रसिद्धि मिली। लेकिन फिर अठराह साल की उम्र में उन्हें संसार से विरक्ति हो गई और सूरदास वह स्थान छोड़कर यमुना के किनारे (आगरा और मथुरा के बीच) गऊघाट पर आकर रहने लगे।

गऊघाट पर उनकी भेंट वल्लभाचार्य से हुई। सूरदास गऊघाट पर अपने कई सेवकों के साथ रहते थे और वे सभी उन्हें 'स्वामी' कहकर संबोधित करते थे। वल्लभाचार्य ने भी प्रभावित होकर उनसे भेंट की और उन्हें पुष्टिमार्ग में दीक्षित किया। वल्लभाचार्य ने उन्हें गोकुल में श्रीनाथ जी के मंदिर पर कीर्तनकार के रूप में नियुक्त किया और वे आजन्म वहीं रहे। वहां वे कृष्‍ण भक्ति में मग्न रहें।

उस दौरान उन्होंने वल्लभाचार्य द्वारा 'श्रीमद् भागवत' में वर्णित कृष्ण की लीला का ज्ञान प्राप्त किया तथा अपने कई पदों में उसका वर्णन भी किया। उन्होंने 'भागवत' के द्वादश स्कन्धों पर पद-रचना की, 'सहस्त्रावधि' पद रचे, जो 'सागर' कहलाएं। सूरदास की पद-रचना और गान-विद्या की ख्याति सुनकर अकबर भी उनसे प्रभावित हुए बिना नहीं रह सकें। अत: उन्होंने मथुरा आकर सूरदास से भेंट की।

श्रीनाथजी के मंदिर में बहुत दिनों तक कीर्तन करने के बाद जब सूरदास को अहसास हुआ कि भगवान अब उन्हें अपने साथ ले जाने की इच्छा रख रहे हैं, तो वे श्रीनाथजी में स्थित पारसौली के चन्द्र सरोवर पर आकर लेट गए और श्रीनाथ जी की ध्वजा का ध्यान करने लगे। इसके बाद सूरदास ने अपना शरीर त्याग दिया।

सूरदास जी द्वारा लिखित पांच प्रमुख ग्रंथ बताए जाते हैं - * सूरसागर, * सूरसारावली, * साहित्य-लहरी, * नल-दमयंती और ब्याहलो।

सूरदास की रचना महान कवियों के बीच अतुलनीय है। वे सच्चे कृष्ण भक्त, कवि थे जो सत्य का अन्वेषण कर उसे मूर्त रूप देने में समर्थ होते हैं।

विराटनगर (राजस्थान) पावनधाम श्री पञ्चखंडपीठ



विराट नगर नाम से प्राय: लोगो को भ्रम हो जाता है. विराटनगर नमक एक क़स्बा नेपाल की सीमा में भी है. किन्तु नेपाल का विराट नगर, महाभारत कालीन विराटनगर नहीं है. पावनधाम श्री पञ्चखंडपीठ से सम्बन्ध विराटनगर पौराणिक, प्रगेतिहासिक, महाभारतकालीन तथा गुप्तकालीन ही नहीं मुगलकालीन महत्वपूर्ण घटनाओ को भी अपने में समेटे हुए, राजस्थान के जयपुर और अलवर जिले की सीमा पर स्थित है विराटनगर में पौराणिक शक्तिपीठ, गुहा चित्रों के अवशेष, बोध माथो के भग्नावशेष, अशोक का शिला लेख और मुगलकालीन भवन विधमान है. अनेक जलाशय और कुंड इस क्षेत्र की शोभा बढा रहे है. प्राकर्तिक शोभा से प्रान्त परिपूर्ण है. विराटनगर के निकट सरिस्का राष्ट्रीय व्याघ्र अभ्यारण, भर्तहरी का तपोवन, पाण्डुपोल नाल्देश्वर और सिलिसेद जैसे रमणीय तथा दर्शनीय स्थल लाखों श्रधालुओ और पर्यटकों को आकर्षित करते है. विराट नगर (बैराट) राजस्थान प्रान्त के जयपुर जिले का एक शहर है। इसका पुराना नाम बैराट है. विराट नगर राजस्थान में उत्तर मे स्थित है । यह नगरी प्राचीन मस्तय राज की राजधानी रही है । चारो और सुरम्य पर्वतो से घिरे प्राचीन मत्स्य देश की राजधानी रहे विराटनगर में पुरातात्विक अवशेषों की सम्पदा बिखरी पड़ी है या भूगर्भ में समायी हुई है.


विराट नगर अरावली की पहाडियो के मध्य में बसा है । राजस्थान के जयपुर जिले में शाहपुरा से 25 किलोमीटर दूर विराट नगर कस्बा अपनी पौराणिक ऐतिहासिक विरासत को आज भी समेटे हुए है।

इतिहास

यह वही विराट नगर जहाँ महाभारत काल में पांड्वो ने अपना अज्ञातवास व्यतीत किया था. यहाँ पर पंच्खंड पर्वत पर भीम तालाब और इसके ही निकट जैन मंदिर और अकबर की छतरी है जहाँ अकबर शिकार के समय विश्राम करता था. यह स्थल राजा विराट के मत्स्य प्रदेश की राजधानी के रूप में विख्यात था। यही पर पांडवों ने अपने अज्ञातवास का समय व्यतीत किया था। महाभारत कालीन स्मृतियों के भौतिक अवशेष तो अब यहां नहीं रहे किंतु यहां ऐसे अनेक चिन्ह हैं जिनसे पता चलता है कि यहां पर कभी बौद्ध एवं जैन सम्प्रदाय के अनुयायियों का विशेष प्रभाव था। विराट नगर, जिसे पूर्व में वैराठ के नाम से भी जाना जाता था, के दक्षिण की ओर बीजक पहाड़ी है।

इस के ऊपर दो समतल मैदान हैं यहां पर व्यवस्थित तरीके से रास्ता बनाया गया है। इस मैदान के मध्य में एक गोलाकार परिक्रमा युक्त ईंटों का मन्दिर था जो आयताकार चार दीवारी से घिरा हुआ था। इस मन्दिर के गोलाकार भीतरी द्वार पर 27 लकड़ी के खम्भे लगे हुए थे। ये अवशेष एक बौद्ध स्तूप के हैं जिसे सांची व सारनाथ के बौद्ध स्तूपों की तरह गुम्बदाकार बनाया गया था। यह बौद्ध मंदिर गोलाकार ईंटों की दीवार से बना हुआ था, जिसके चारों तरफ 7 फीट चौड़ी गैलरी है। इस गोलाकार मंदिर का प्रवेश द्वार पूर्व की तरफ खुलता हुआ 6 फीट चौड़ा है। बाहर की दीवार 1 फीट चौड़ी ईंटों की बनी हुई है। इसी प्लेटफार्म पर बौद्ध भिक्षु एवं भिक्षुणियों आदि के चिंतन-मनन करने हेतु श्रावक गृह बने हुए थे।

यहां बनी 12 कोठरियों के अलावा अन्य कई कोठरियों के अवशेष भी चारों तरफ देखे जा सकते हैं। ये कोठरियां साधारणतया वर्गाकार रूप में बनाई जाती थीं। इन पर किए गए निर्माण कार्यों पर सुंदर आकर्षक प्लास्टर किया जाता था। इस प्लेटफार्म के बीच में पश्चिम की तरफ शिला खण्डों को काटकर गुहा-गृह बनाया गया था जो दो तरफ से खुलता था। इसमें भी भिक्षुओं एवं भिक्षुणियों के निवास का प्रबंध किया गया था। इस गुहा गृह के नीचे एक चट्टान काटकर कुन्ड अर्थात् टंकी भी बनाई गई है जिसमें पूजा व पीने के लिए पानी इकट्ठा किया जाता था। विराट नगर की बुद्ध-धाम बीजक पहाड़ी पर स्थित इस मंदिर के प्रवेश द्वार पर एक चट्टान है जिस पर भब्रू बैराठ शिलालेख उत्कीर्ण है। इसे बौद्ध भिक्षु एवं भिक्षुणियों के अलावा आम लोग भी पढ़ सकते थे। इस शिलालेख को भब्रू शिलालेख के नाम से भी जाना जाता था। यह शिलालेख पाली व ब्राह्मी लिपि में लिखा हुआ था।

इसे सम्राट अशोक ने स्वयं उत्कीर्ण करवाया था ताकि जनसाधारण उसे पढ़कर तदनुसार आचरण कर सके। इस शिला लेख को कालान्तर में 1840 में ब्रिटिश सेनाधिकारी कैप्टन बर्ट द्वारा कटवा कर कलकत्ता के संग्रहालय में रखवा दिया गया। आज भी विराटनगर का यह शिलालेख वहां सुरक्षित रखा हुआ है। इसी प्रकार एक और शिला लेख भीमसेन डूंगरी के पास आज भी स्थित है। यह उस समय मुख्य राजमार्ग था।

बीजक की पहाड़ी पर बने गोलाकार मन्दिर के प्लेटफार्म के समतल मैदान से कुछ मीटर ऊंचाई पर पश्चिम की तरफ एक चबूतरा है जिसके सामने भिक्षु बैठकर मनन व चिन्तन करते थे। यहीं पर एक स्वर्ण मंजूषा थी जिसमें भगवान बुद्ध के दो दांत एवं उनकी अस्थियां रखी हुई थीं। अशोक महान बैराठ में स्वयं आए थे। यहां आने के पहले वे 255 स्थानों पर बौद्ध धर्म का प्रचार-प्रसार कर चुके थे। बैराठ वर्षों तक बुद्धम् शरणम् गच्छामी, धम्मम् शरणम् गच्छामी से गुंजायमान रहा है।

यह स्थल बौद्ध धर्म के प्रचार प्रसार का केंद्र रहा है। कालान्तर में जाकर जैन समाज के विमल सूरी नामक संत ने यहीं पर रहकर वर्षों तपस्या की। ऐसी मान्यता है कि उन्हीं के प्रभाव में आकर अकबर ने सम्पूर्ण मुगल राज्य में वर्ष में एक सौ छ: दिन के लिए जीव हत्या बंद करवाई। विराट नगर के उत्तर में नसिया में जैन समाज का संगमरमर का भव्य मंदिर है। इस मन्दिर की भव्यता देखते ही बनती है। पहाड़ की तलहटी में स्थित यह मन्दिर अपनी धवल आभा के कारण प्रत्येक आगन्तुक को अपनी ओर आकर्षित करता है।


नसिया के पास ही मुगल गेट भी बना हुआ है। इस इमारत को अकबर ने बनवाया था। वह यहां पर शिकार के लिए आया करता था। यहीं पर अकबर ने राज्य के लिए सोने चांदी एवं तांबे की टकसाल स्थापित की थी जो औरंगजेब के समय तक चलती रही. महान हिन्दू संत, गोभकत महात्मा रामचन्द्र वीर द्वारा स्थापित पावन धाम पंचंखंड पर्वत पर वज्रांग मंदिर भी यही स्थापित है. इस मंदिर के विषय में सबसे महत्वपूर्ण बात ये है की यहाँ हनुमान जी जाति वानर मानी गयी है, तन से उनको मानव सामान माना गया है. यह महात्मा रामचन्द्र वीर की जन्मभूमि भी है.

विराट नगर से 90 कि मी की दूरी पर जयपुर और 60 कि मी पर अलवर , और 40 कि मी पर शाहपुरा स्थित है।

बुधवार, 29 जनवरी 2014

खड़ताल का नन्हा जादूगर फिरोजखां

बाड़मेर। मात्र दस साल की उम्र और खड़ताल बजाने की ऎसी कला की हर कोई अचरज में पड़ जाए। यह नन्हा कलाकार फिरोजखां जो शिव तहसील के झांपली गांव का है। फिरोजखां दस साल की आयु में भी उस बुलंदी को छू चुका है जिसे कई कलाकार छूने की तमन्ना रखते है।

परम्परागत मांगणियार गायकी का यह नन्हा कलाकार गणतंत्र दिवस पर सम्मानित हुआ। पिता गफूरखां के साथ नियमित अभ्यास करता है। अब तक देश के कई कोनों में खड़ताल की जादूगरी से लोगों की दाद बटोर चुका है। गफूरखां ने बतया कि मां की गोद से ही उसे खड़ताल बजाने का शौक लगा। पाटी पर अ, आ लिखने से पहले उसने खड़ताल हाथ में थाम ली। आरएएस अधिकारी डा. नखतदान बारहठ और एबीईईओ अमरदान चारण के अनुसार एक बार जो फिरोज की खड़ताल को ुसुन लेता है वह इसका दीवाना हो जाता है।

सेना की लिखित परीक्षा 2 फरवरी को

जोधपुर। सेना में विभिन्न पदों की भर्ती के लिए एम.एच.फिट, एनसीसी और खेल सम्बन्धी सत्यापन के कारण शेष अभ्यर्थियों की लिखित परीक्षा 2 फरवरी को जोधपुर में होगी। सेना की लिखित परीक्षा 2 फरवरी को
यह परीक्षा सैनिक सामान्य, सैनिक तकनीकी, सैनिक क्लर्क और सैनिक ट्रेडमैन पदों के लिए होगी।

रक्षा प्रवक्ता कर्नल एस.डी.गोस्वामी ने बताया कि परीक्षा के लिए प्रवेश पत्र वितरण एक फरवरी को एन.सी.सी. कैम्प एरिया, डिफेंस लैब के पास, रातानाडा, जोधपुर में होगा। यदि किसी अभ्यार्थी का कोई दस्तावेज कम है तो उसको पूरा करके साथ में लेकर जावें।