शनिवार, 30 नवंबर 2013

बाड़मेर रात में बूथ कार्यकर्ताओ को बांटे जा सकते हें नोट? चेक पोस्ट लगाने कि मांग


बाड़मेर रात में बूथ कार्यकर्ताओ को बांटे जा सकते हें नोट? चेक पोस्ट लगाने कि मांग



बाड़मेर बाड़मेर जिले में एक दिसंबर को होने वाले चुनावो से ठीक पहले शनिवार देर रात्रि को बूथ कार्यकर्ताओ को पैसे बांटने कि योजना पर कम हो रहा हें। सूत्रानुसार बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र के एक राष्ट्रिय दल के प्रत्यासी द्वारा अपने खास कार्यकर्ताओ के साथ गोपनीय बैठक का आयोजन कर देर रात्रि को बाड़मेर विधानसभा क्षेत्र के समस्त बुथो पर चार चार हज़ार रुपये ,अफीम ,शराब ,बीड़ियाँ ,आदि भेजने कि योजना को अंतिम रूप दिया हें। इस योजना को अमल में लाने के लिए कार्यकर्ता अपने निजी लग्जरी वाहनो में जायेंगे ताकि किसी को शक न हो। खास तौर से गदरा रोड मार्ग ,हरसाणी फांटा ,चौहटन चौराहा और सिणधरी चौराहे से यह वाहन देर रात्रि को निकले जायेंगे। इधर सामाजिक संघठनो कि मांग हें कि बाड़मेर के सभी रास्तो पर नाकेबंदी कि जाए और प्रत्येक वाहन कि सघन तलाशी ली जाए। मतदाताओ कि बाज रात खरीद फरोख्त होने कि भी सम्भावना हें। जन बल को नज़र अंदाज़ कर धन बल का उपयोग होगा।

आज भारतीय दुल्हन बनेगी चीनी हसीना

महेश्वर। सीमा विवाद पर भले ही भारत और चीन में रार हो लेकिन प्रेम के आगे सरहद की हार हुई है। भारत का हर्ष देव और चीन की लीसा जिंमसीशाव का विवाह भारतीय संस्कृति के अनुरूप गोधूली बेला में शनिवार को महेश्वर में नर्मदा तट स्थित किला परिसर में होने जा रहा है।
इस अनोखे विवाह में मेहंदी, बारात एवं फेरे की रस्म अदायगी की जाएगी। शादी में विदेश भर के 25 से ज्यादा युवा शिरकत कर हैं। इसमें साउथ अफ्रीका, स्वीटजरलैंड, नार्वे, चीन, पेरू सहित कई देश के विदेशी मेहमान शामिल हैं।
भारतीय परिवार प्रभाकरदेव और विजय (पत्नी) देव वर्षो से महेश्वर आते रहे हैं। वे उस समय से पवित्र नगरी आ रहे हैं। जब यहां चप्पू वाली नाव ही नर्मदा में चलती थी। वर्तमान में वे दुबई में हैं।

उनका बेटा भी बचपन से महेश्वर से विशेष लगाव रखता है। महेश्वर के रिचर्ड होलकर से पारिवारिक संबंध के तहत उनका यहां से शादी करने का स्वप्न पूरा हो सका। हर्ष ने बताया कि जब हमारे दोस्त घूमने के लिए न्यूयार्क, लंदन जाते थे, हम यहां महेश्वर आते रहे हैं। यहां से हमें विशेष लगाव है। लड़के की मां विजय देव हमेशा माहेश्वरी साड़ी ही पहनती हैं। जो अपने आप में महेश्वर के लगाव को दर्शाती है। हर्ष एवं लीसा वर्तमान में शिकागो में कार्यरत हैं लेकिन वे भविष्य में भारत बसना चाहते हैं। शुक्रवार को विदेशी मेहमानों का स्वागत पारंपरिक ढोल से किया गया।

फ़ोटो में देखिये कांग्रेस उम्मीदवार मेवाराम जैन के चहरे पर लगा गोबर

फ़ोटो में देखिये कांग्रेस उम्मीदवार मेवाराम जैन के चहरे पर लगा गोबर




बाड़मेर राजस्थान में एक दिसम्बर को होने वाले चुनाव का प्रचार प्रसार शुक्रवार की रोज पाच बजे थम गया एक दिन पहले बाड़मेर विधानसभा से कांग्रेस उम्मीदवार और वर्त्तमान विधायक मेवाराम जैन के बाड़मेर शहर में महावीर टाउन के आगे लगे होर्डिग को फाड़ दिया गया और जैन के चहरे पर गोबर भी लगा दिया गया और वही लगे दूसरे यूनिपोल पर लगे कांग्रेस उम्मीदवार मेवाराम जैन के चहरे पर गोबर से लगा देने गंदी राजनीती की और इशारा करती है
समाचार लिखे जाने तक रविवार की रोज होने वाले चुनाव से एक दिन पहले न जाने ये कारनाम के बारे में पता करने कि कोशिश कि गयी लेकिन किसी को इस बार में कुछ पता नहीं

कांग्रेस के बागी निर्दलीय अबु भाई ने बिगाड़े कांग्रेस के समीकरण

पचपदरा से मदन प्रजापत का पलायन लगभग तय

कांग्रेस के बागी निर्दलीय अबु भाई ने बिगाड़े कांग्रेस के समीकरण

विधायक प्रजापत ने अनेक जातियों के साथ पांच वर्ष तक किया धोखा
बालोतरा। पचपदरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार अबु भाई ने कांग्रेस प्रत्याशी के सारे समीकरण बिगाड़ कर रख दिए है। जिससे आमजन का मानना है कि पचपदरा विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस उम्मीदवार एवं मौजूदा विधायक मदन प्रजापत का पलायन लगभग तय हो चुका है। पचपदरा विधानसभा क्षेत्र में कांग्रेस के अनेक निष्ठावान कार्यकर्ताओं ने मौजूदा विधायक एवं कांग्रेस प्रतयाशी मदन प्रजापत के पिछले पांच वर्षो के कार्यकाल में की गई करतूतों से खफा होकर भाजपा का दामन थाम लिया है तथा अनेक कार्यकर्ताओं ने कांग्रेस के बागी निर्दलीय उम्मीदवार अबु भाई को खुला समर्थन कर रहे है। आज स्थिति यह है कि शहर तो क्या ग्रामीण क्षेत्रों में भी कांग्रेस प्रत्याशी प्रजापत का कांग्रेस के कार्यकर्ताओं द्वारा तो भारी विरोध किया जा रहा है। उसके साथ मतदाता भी कह रहे है कि अब तो नरेंद्र मोदी की लहर चल रही है। कांग्रेस प्रत्याशी मदन प्रजापत का पारलु, उमरलाई में मतदाताओं ने जो सलूक किया है, जो जगह जाहिर है। कांग्रेस समर्थकों को शहर के बाहरी वार्डो के साथ गोपड़ी कस्बे में में मतदाताओं ने जो हाल किया है वह किसी से छुपा हुआ नहीं है। कांग्रेस प्रत्याशी मदन प्रजापत ने पिछले पांच वर्षो तक कांग्रेस की कट्टर समर्थक माने जाने वाले मुस्लिम समाज के साथ बहुत बड़ा धोखा किया जिसका नजारा गत दिनों ईद पर्व पर आयोजित कार्यक्रम ें विधायक मदन प्रजापत ने सबके सामने माफी मांगी और कहा कि आगे मुझे विधानसभा चुनाव में मौका मिला तो मुस्लिम समाज के साथ जो वादा किया था वह पूरा करने का प्रयास करूंगा। ठीक इसी प्रकार कांग्रेस की कट्टर समर्थक मानी जाने वाले मेघवाल समाज के साथ भी मुस्लिम समाज की तरह पांच वर्षो तक धोखा करते रहे। विधायक मदन प्रजापत ने घांची समाज के साथ भी बड़ा धोखा किया है। घांची समाज के श्मशान भूमि पर से अतिक्रमण हटाने व श्मशान घाट जाने वाले रास्ते पर किए गए अतिक्रमण हटाने का दिलासा विधायक प्रजापत देते रहे लेकिन पांच वर्षो तक मात्र आश्वासन से घांची समाज को गुमराह करते रहे। विधायक मदन प्रजापत के स्वयं जाति बंधुओं के साथ जसोल में पानी की समस्या को लेकर किए गए आंदोलन में विधायक प्रजापत के खासम खास बालोतरा के तत्कालीन थानाधिकारी ने जो सलूक किया जो किसी से छुपा हुआ नहीं है और अनेक लोगों ने कितने समय से न्यायालय के चक्कर काट रहे है। निर्दोष लोगों के साथ बर्बतापूर्वक पीटाई तत्कालीन थानाधिकारी द्वारा की गई। आज भी इस घटना को दोहराया जाता है तो लोगों के रोंगटे खड़े हो जाते है। कांग्रेस समर्थक मानी जाने वाली जाति जीनगर समाज के गरीब तबके के लोगों के भूखण्ड कौन निगल गया जो किसी से छुपा हुआ नहीं है। गरीबों का आरोप है कि विधायक प्रजापत ने सत्ता के नशे में पद का दुरूपयोग करते हुए अपने परिजनों, भूमाफिया, रिश्तेदारों के नाम से जोधपुर से फर्जी स्टांप लाकर इकरारनामो से नगरपालिका कारिंदो से मिलकर रातो-रात फर्जी दस्तावेजों के आधार पर पट्टे बना दिए। विधायक प्रजापत ने पिछले पांच वर्षो तक कांग्रेस की कट्टर समर्थक मानी जाने वाली जातियों के साथ व कार्यकर्ताओं के साथ बड़ा धोखा किया है जिसके कारण पूरे पचपदरा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी प्रजापत को मतदाताओं व कार्यकर्ताओं का विरोध झेलना पड़ रहा है। सट्टा बाजार में तो कांग्रेस प्रत्याशी मदन प्रजापत की हार 20 हजार से अधिक मतो से हारने के सट्टे लगने भी शुरू हो गए है।

बाड़मेर एक ऐसा बूथ जंहा महिला पुरुष बराबर हे मतदाता

बाड़मेर एक ऐसा बूथ जंहा महिला पुरुष बराबर हे मतदाता

बाड़मेर बाड़मेर जिले कि सरहदी शिव विधानसभा सीट के मांझौली मतदान केंद्र सबसे निराला बूथ हें। यह एक मात्र बूथ हें जंहा महिला और पुरुष मतदाताओ कि संख्या बराबर हें। शिव विधानसभा क्षेत्र के सभा गड़रा तहसील के देवडो कि बस्ती में मतदान केंद्र संख्या 123 में मंझौली बूथ पर सौलह पुरुष और सौलह महिला मतदाता हें। कुल बतीस मतदाता हे इस गांव में। इनका केंद्र देवडो कि बस्ती रेडाणा हें।

31 हजार मतदाता प्रथम चुनाव से लेकर अब तक मतदान करते आये हें

प्रथम चुनाव से लेकर अब तक मतदान करते आये हें 


बाड़मेर। रेगिस्तानी बाड़मेर जिले में 31 हजार मतदाता चौहदवीं विधानसभा में भी अपनी भागीदारी निभाएंगे। तेरह विधानसभा चुनाव में मतदान कर चुके इन लोगों की उम्र हो गईहै, लेकिन आज भी ये विश्वास करते है कि लोकतंत्र ने बहुत कुछ दिया है। विकास उनकी कल्पनाओं से परे है।उम्र ढ़लने के साथ इतनी सुविधाएं पहुंच चुकी है कि अब वे कहते है कि जमाना जिन्हें आज समस्याएं कह रहा है,वे तो कुछभी नहीं है।

पचहत्तर वर्ष के रतनलाल अवस्थी बताते है कि पहले चुनाव में प्रभाव से वोट पड़ते थे।अब धनबल, जाति और बाहुबल का सामंजस्य तो हो रहा है लेकिन खुशी की बात यह हैकि लोग विकास की बात खुलकर करने लगे है।मीडिया ने इतनी जागरूकता लाईहै कि आम आदमी को अपना मताधिकार बड़ा लगने लगा है। 63 वर्षीय जैसलसिंह खारवाल ने भी दस विधानसभाओं में मत दिए है। वे यह मानते है कि खरे और सच्चे लोग राजनीति से अब तक दूर रहे हंै। धन हावी जरूर हुआ हैलेकिन जागरूकता यह स्वरूप आने वाले समय में लोकतंत्र को मजबूत करेगा।राजनीति से सीधी जुड़ी और पहले चुनावों में ही सक्रिय रह चुकी अस्सी वर्षीय जिला प्रमुख मदनकौर ने राजनीति का प्रत्येक दौर देखा है।वो कहती है कि जागीरी प्रथा खत्म होने के बाद लोकतंत्रलागू हुआ। उस समय मतदाता तक पहुंचना मुश्किल होता था। कार्यकर्ता इतने नहीं होते थे। बूथ पर लोग नहीं मिलते थे।अब तो हर बूथ पर कार्यकर्ता है।हर घर में जागरूकता है।सत्तर प्रतिशत मतदान होने लगा है।

यह चाहते हैं बुजुर्ग
तेरह विधानसभा के चुनाव देख चुके बुजुर्गो को खलता है कि चुनावों में माहौल खराब हो जाता है। धनबल का बहुत ज्यादा प्रयोग हो रहा है। प्रत्याशी और पार्टियां इतन खर्च करती है कि फिर वसूली होती है।यह नहीं होना चाहिए।

ऎसे भी लड़ते थे चुनाव
ऊंट गाड़े हुआ करते थे।गाडिया तो देखने को नहीं थी। संदेश पहुंचते थे, अधिकांश जगह सभाएं नहीं होती थी। मतदान के दिन भी लोग पूरे नहीं पहुंच पाते थे।मतदान में भागीदारी बहुत कमजोर थी।

यह है आंकड़ा
80 की उम्र पार करने वाले जिले में 31506 मतदाता है। इसमें महिलाओं की संख्या 20754 है और पुरूष 10806 है। बाड़मेर व सिवाना में 1952, चौहटन,गुड़ामालानी व पचपदरा में 1957, शिव में 1967 व बायतु में 2008 में पहला विधानसभा चुनाव हुआ है।

काउण्ट डाउन शुरू, चुनाव कल

बाड़मेर। विधानसभा चुनाव को लेकर उलटी गिनती शुरू हो गई है। एक दिन बाद होने वाले चुनाव को लेकर शुक्रवार को जिले की तीन विधानसभा क्षेत्र के मतदान दल रवाना हुए। शनिवार को शेष्ा चार विधानसभा चुनावों के मतदान दल रवाना होंगे।
प्रशासनिक तैयारियों के बीच शुक्रवार को मतदान दल चुनाव सम्पन्न करवाने के लिए रवाना हुए। इसको लेकर मतदान कर्मियो का गुरूवार रात से आना शुरू हो गया था। सिवाना, चौहटन, सिवाना, पचपदरा आदि क्षेत्र के कार्मिक सुबह नौ बजे प्रशिक्षण होने के चलते देर रात पहुंचे। निर्घारित समय नौ बजे से तीनों विधानसभाओं के कार्मिकों को अलग-अलग शामियाने में प्रशिक्षण आरम्भ किया गया। जिला कलक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी भानुप्रकाश एटूरू, अतिरिक्त जिला कलक्टर एवं सहायक जिला निर्वाचन अधिकारी अरूण पुरोहित ने व्यवस्थाओं का जायजा लिया। प्रशिक्षण के बाद ईवीएम का प्रशिक्षण दिया। इसके बाद निर्घारित बूथ की ईवीएम, आवश्यक कागजात सौंपे गए। इसके बाद मतदान दलों की दोपहर में निर्घारित स्थान के लिए रवानगी हुई।

व्यवस्थाएं बेहतर, कार्मिक खुश
इस बार चुनावी प्रक्रिया सम्पन्न करवाने में प्रशासन की व्यवस्था अच्छी नजर आई। अलग-अलग शामियाने लगाने के साथ ही ईवीएम मशीन के लिए भी अलग-अलग काउण्टर बनाए गए थे। एक और डाक मत पत्र के काउण्टर लगाए गए। ऎसे में कार्मिकों को ज्यादा इधर-उधर नहीं भटकना पड़ा। ईवीएम के लिए काउण्टर पर कतारे लगी।
वाहन ही वाहन
कॉलेज परिसर मे जहां देखों वहां वाहन की वाहन नजर आए। बसों से लेकर जीप और रवानगी करने वाले कार्मिकों की मोटरसाइकिले नजर आई।
पुलिस और अर्द्ध सैनिक बल तैनात
कॉलेज परिसर में पुलिस और अर्द्ध सैनिक बल की अच्छी तादाद होने से जहां देखों वहां ये ही नजर आए।
कहां है अमुक केन्द्र
चुनावी डयूटी में लगे कार्मिक एक-दूसरे से अपने मतदान केन्द्र की जानकारी लेते दिखे। यह मतदान केन्द्र कहां है? यहां आसपास चाय- खाने का क्या प्रबंध है। मतदाता कैसे है ? यह जानकारी पूछ रहे थे।
साहब ड्यूटी निरस्त करो
चुनावी डयूटी में लगे कईकार्मिक इस जुगाड़ में लगे रहे कि येन-केन प्रकारेण उनकी डयूटी निरस्त करवाने की जुगत में थे। वे अधिकारियों से बीमारी का हवाला देते हुए डयूटी निरस्त करने की प्रार्थना करते दिखे।

बाड़मेर जैसलमेर कि सभी नौ सीटो पर टक्कर



प्रचार ख़त्म होते ही जूट जनसम्पर्क में पूरी ताकत के साथ 


बाड़मेर जैसलमेर कि सभी नौ सीटो पर टक्कर




बाड़मेर शुक्रवार शाम पांच बजे चुनाव प्रचार का वक्त ख़त्म होते ही बाड़मेर जैसलमेर जिले कि सभी नौ विधानसभा सीटो के प्रत्यासी जनसम्पर्क में जुट गए हें। बाड़मेर से भाजपा प्रत्यासी डॉ प्रियंका चौधरी कांग्रेस के मेवाराम जैन के बीच टक्कर हें निर्दलीय मृदुरेखा चौधरी त्रिकोणीय स्थिति बनाने में जुटी हें शिव विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के मानवेन्द्र सिंह और कांग्रेस से अमिन खान के बीच सीढ़ी टक्कर हें। कडा मुकाबला हें इस सीट पर। बायतु विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस के कर्नल सोनाराम और भाजपा के कैलाश चौधरी आमने सामने हें ,भाजपा ने कर्नल के लिए परेशानी कड़ी कर दी हें ,पचपदरा में भाजपा के अमराराम चौधरी के सामने कांग्रेस के मदन प्रजापत और बागी अब्दुल रहमान मैदान में हे जिससे भाजपा सुरक्षित हें , सिवाना विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के हमीर सिंह भायल का कांग्रेस के महंत निर्मलदास से सीढ़ी टक्कर हें यहाँ भाजपा भारी हें। गुड़ा मालानी में कांग्रेस के हेमाराम चौधरी आर भाजपा के लादूराम विश्नोई आमने सामने हे ,कांटे कि टक्कर में यह सीट किसी को भी जा सकती हें। चौहटन विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के तरुण कागा कि कांग्रेस के पदमाराम से टकर हें इस सुरक्षित सीट पर भाजपा मस्ती में हें


जैसलमेर से भाजपा के छोटू सिंह भाटी और कांग्रेस के रूपाराम मेघवाल आमने सामने हें। शहर के मतदाताओ का मिज़ाज़ इनमे से किसी एक का भविष्य
संवरेगा पोकरण विधानसभा सीट पर कांग्रेस के साले मोहम्मद और भाजपा के शैतान सिंह के बीच टकर हें पोकरण कि रंगत भगवामय हो जेन से कांग्रेस संकट में हें। शुक्रवार को नरेंद्र मोदी ने सभा कर भाजपा कि राह आसान कर दी

बाड़मेर जहां लोग 60 साल से प्यासे हैं पर लोकतंत्र और राजनीति नहीं

भारत पाकिस्तान सरहद पर धर्म कि राजनीती। . आखिर किसने पनपाई 
बाड़मेर पाकिस्तान की सीमा से पांच किलोमीटर पहले राजस्थान के बाड़मेर के कैरकोरी गांव में रहनेवाले शरीफ़ को जितनी प्यास लगती है, वो उससे आधा पानी ही पीते हैं.

शरीफ़ कहते हैं कि पानी बचाना ज़रूरी है क्योंकि यहां पानी की कोई व्यवस्था नहीं है, यहां कपड़े भी 20 दिन बाद धोए जाते हैं.



बारिश होती है तो गांव के कुंए में पानी भर जाता है बाकी समय घर की महिलाएं पांच किलोमीटर दूर पैदल चलकर जाती हैं और मटका भरकर पानी लाती हैं.
पानी ला दो...


हाथ जोड़कर मुझे कहते हैं, "कुछ भी करके पानी ला दो. हमें बस पानी चाहिए. इस बालू के बीच हमारा गला हमेशा सूखा रहता है और हमारे पशु मर जाते हैं."

उनके हाथ नीचे कर मैं कहती हूं कि मैं सरकार नहीं पत्रकार हूं. इस पर वो कहते हैं, "सरकार तो पांच साल में एक बार ही हमारे पास आती है और उसे चुनने का हक जताने के लिए भी हमें ही पांच किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है."
'सड़क नहीं'


बाड़मेर शहर से क़रीब 120 किलोमीटर दूर बसे कैरकोरी गांव में 30 से अधिक परिवार रहते हैं और 90 पंजीकृत वोटर हैं.


गांव के आसपास सात किलोमीटर तक कोई सड़क नहीं, सिर्फ बालू है. हमने ये रास्ता एक बड़ी गाड़ी में तय किया था. गांववाले रोज़ पैदल ही करते हैं.

गांव में बिजली के तार आए हैं लेकिन बिजली नहीं है. ठीक वैसे ही जैसे पानी की पाइप लाइन और टंकी तो है पर सालों से टूटी हुई है.
चुनावी मौसम


एक बुज़ुर्ग महिला मुझे पास बुलाकर कान में कहती हैं, "बेटा उम्र बीत गई पानी का घड़ा ढोते-ढोते लेकिन पानी यहां नहीं आया."

जो यहां आई और रह गई, वो है उम्मीद. चुनाव से और चुनावी मौसम में एक बार दर्शन देने वाले नेताओं से.

हैरानी हुई ये जानकर कि मतदान के बारे में सबका मत एक है कि वोट तो ज़रूर डालना है. ये हक वो हताशा के आगे नहीं छोड़ना चाहते.
मतदाता पर्ची


हमारी मौजूदगी में ही वहां ब्लॉक लेवल अधिकारी आए और मतदान के लिए मतदाताओं को पर्चियां देने लगे.

अपनी पर्ची दिखाते हुए हुकुम सिंह बोले कि आखिरकार यहां स्कूल भी तो आ ही गया.


ये अलग बात है कि एक झोंपड़ी में दो अध्यापकों के साथ दो महीने पहले शुरू हुए इस स्कूल को कैरकोरी का रास्ता तय करने में आज़ादी के बाद भी छह दशक से ज़्यादा लग गए.
'धर्म की राजनीति'


जाते-जाते एक महिला से मैं पूछ बैठी कि कौन सी पार्टी पसंद है? वो बोलीं, "कांग्रेस, उसी को वोट दूंगी. हमारे विधायक कांग्रेस से हैं और मुसलमान हैं. हम भी मुसलमान हैं. बस इसलिए."

मेरा मुंह खुला का खुला रह गया. सोचने लगी कि जिस गांव में ना पानी पहुंचा, ना बिजली, ना सड़क का रास्ता, ना शिक्षा की बयार, वहां के लोगों को धर्म की राजनीति का पाठ किसने पढ़ा दिया?


साभार बीबीसी संवाददाता, बाड़मेर (राजस्थान) के कैरकोरी गांव से