महेश्वर। सीमा विवाद पर भले ही भारत और चीन में रार हो लेकिन प्रेम के आगे सरहद की हार हुई है। भारत का हर्ष देव और चीन की लीसा जिंमसीशाव का विवाह भारतीय संस्कृति के अनुरूप गोधूली बेला में शनिवार को महेश्वर में नर्मदा तट स्थित किला परिसर में होने जा रहा है।
इस अनोखे विवाह में मेहंदी, बारात एवं फेरे की रस्म अदायगी की जाएगी। शादी में विदेश भर के 25 से ज्यादा युवा शिरकत कर हैं। इसमें साउथ अफ्रीका, स्वीटजरलैंड, नार्वे, चीन, पेरू सहित कई देश के विदेशी मेहमान शामिल हैं।
भारतीय परिवार प्रभाकरदेव और विजय (पत्नी) देव वर्षो से महेश्वर आते रहे हैं। वे उस समय से पवित्र नगरी आ रहे हैं। जब यहां चप्पू वाली नाव ही नर्मदा में चलती थी। वर्तमान में वे दुबई में हैं।
उनका बेटा भी बचपन से महेश्वर से विशेष लगाव रखता है। महेश्वर के रिचर्ड होलकर से पारिवारिक संबंध के तहत उनका यहां से शादी करने का स्वप्न पूरा हो सका। हर्ष ने बताया कि जब हमारे दोस्त घूमने के लिए न्यूयार्क, लंदन जाते थे, हम यहां महेश्वर आते रहे हैं। यहां से हमें विशेष लगाव है। लड़के की मां विजय देव हमेशा माहेश्वरी साड़ी ही पहनती हैं। जो अपने आप में महेश्वर के लगाव को दर्शाती है। हर्ष एवं लीसा वर्तमान में शिकागो में कार्यरत हैं लेकिन वे भविष्य में भारत बसना चाहते हैं। शुक्रवार को विदेशी मेहमानों का स्वागत पारंपरिक ढोल से किया गया।
इस अनोखे विवाह में मेहंदी, बारात एवं फेरे की रस्म अदायगी की जाएगी। शादी में विदेश भर के 25 से ज्यादा युवा शिरकत कर हैं। इसमें साउथ अफ्रीका, स्वीटजरलैंड, नार्वे, चीन, पेरू सहित कई देश के विदेशी मेहमान शामिल हैं।
भारतीय परिवार प्रभाकरदेव और विजय (पत्नी) देव वर्षो से महेश्वर आते रहे हैं। वे उस समय से पवित्र नगरी आ रहे हैं। जब यहां चप्पू वाली नाव ही नर्मदा में चलती थी। वर्तमान में वे दुबई में हैं।
उनका बेटा भी बचपन से महेश्वर से विशेष लगाव रखता है। महेश्वर के रिचर्ड होलकर से पारिवारिक संबंध के तहत उनका यहां से शादी करने का स्वप्न पूरा हो सका। हर्ष ने बताया कि जब हमारे दोस्त घूमने के लिए न्यूयार्क, लंदन जाते थे, हम यहां महेश्वर आते रहे हैं। यहां से हमें विशेष लगाव है। लड़के की मां विजय देव हमेशा माहेश्वरी साड़ी ही पहनती हैं। जो अपने आप में महेश्वर के लगाव को दर्शाती है। हर्ष एवं लीसा वर्तमान में शिकागो में कार्यरत हैं लेकिन वे भविष्य में भारत बसना चाहते हैं। शुक्रवार को विदेशी मेहमानों का स्वागत पारंपरिक ढोल से किया गया।
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