सोमवार, 30 सितंबर 2013

दो बाप के जुड़वां बच्चों को दिया जन्म

टेक्सास। ऎसा तो सुना और देखा भी होगा कि एक औरत ने दो जुड़वां बच्चों को जन्म दिया है, लेकिन एक औरत ने सबको आश्चर्य में उस समय डाल दिया जब उसने दो बाप के दो जुड़वा बच्चों को एक साथ जन्म दिया। इसके अलावा ये दोनो जुड़वां बच्चे अलग-अलग नस्ल के थे।
यह दुनिया के लिए आख्श्चर्य वाली इस घटना की हकीकत तब सामने आई जब इन बच्चों को जन्म देने वाली महिला ने सारी बातों का खुलासा किया। लेकिन इसके द्वारा किए खुलासे से भी ऎसा संभव होना कई लोगों के गले नहीं उतरता। लेकिन डॉक्टरों ने इसें सही मानकर ऎसा संभव होना बताया।

दरअसल यह आश्चर्यजनक काम करने वाली महिला का नाम मिया वॉशिंगटन है तथा अमरीका के टेक्सास प्रांत की रहने वाली है। जब इसने दो अलग-अलग बाप के दो जुड़वां बेटों जो कि अलग-अलग नस्ल के थे, को जन्म दिया तब ये नजारा देख उसका पति ही नहीं बल्कि पूरा अस्पताल और जिसने भी यह खबर सुनी वो उसने दांतो तले उंगली दबा ली।

इस घटना के बारे में कोई कुछ नहीं बोल पाया लेकिन जब मिया वॉशिंगटन से पूछा गया तो उसने बताया कि वो पीरियड के बाद के 5 दिनों के भीतर उसके पति के अलावा किसी दूसरे व्यक्ति के सम्पर्क में भी आई थी जिससे ऎसा हुआ। उसकी इस बात को डॉक्टरों ने भी सही बताते हुए कहा कि ऎसा हो सकता है लेकिन कभी-कभी।

शादी को तरस रही हजारों विधवाएं

क्या आपने कभी शादी के लिए महिलाओं के रैली निकाले जाने के बारे में सुना है। नहीं सुना तो अब सुन लीजिए। नाईजीरिया में आठ हजार विधवा महिलाओं ने रैली निकालकर शादी करने के लिए जमफारा राज्य सरकार से सहायता की मांग की है।
महिलाओं के एक ग्रुप ने गुसाउ शहर में रैली निकालकर राज्य की धार्मिक पुलिस को अपनी याचिका सौंपी। जमफारा राज्य में आंशिक रूप से इस्लामी कानून भी लागू है।

नाईजीरिया में शादी से जुड़ी कई ऎसी परंपराएं हैं जिनमें धन मांगा जाता है। यहां की परंपरा के अनुसार, महिलाओं को शादी में फर्नीचर लाना होता है लेकिन अपने लिए वर की तलाश कर रही कई महिलाएं खर्च वहन नहीं कर सकतीं। इसलिए इन्होंने रैली निकाकर सरकार से मदद मांगी है।

रैली में भाग लेने वाली महिलाओं का कहना है कि हममें से कई महिलाओं के लिए दो समय का खाना जुटाना भी मुश्किल है। हमें सहारा देने वाला कोई पुरूष नहीं है। ऎसे में हम इतना धन कहां से लाएं। इन महिलाओं की मांग पर जमफारा राज्य सरकार ने मांग पर विचार करने की बात कही है।

छिंदवाड़ा छात्रावास में चलता था सेक्स रैकेट!

छिंदवाड़ा छात्रावास में चलता था सेक्स रैकेट!

जयपुर। छात्रा के यौन शोषण के मामले में गिरफ्तार वार्डन शिल्पी ने आसाराम और उसके करीबी लोगों के बारे में कई सनसनीखेज राज उगले हैं। वार्डन शिल्पी ने पुलिस की पूछताछ में कबूला कि आसाराम के छिंदवाड़ा छात्रावास में एक तरह से "सेक्स रैकेट" चलता था। छिंदवाड़ा छात्रावास से नाबालिग छात्राओं को आसाराम और उसके करीब लोगों के पास भेजा जाता था।

आसाराम और उसके आश्रम से जुड़े नामी-गिरामी लोगों के पास जाने के लिए शिल्पी ही छात्राओं को ब्रेन वॉश करती थी। जोधपुर कमिश्नरेट शिल्पी के बयानों की तस्दीक करने में जुटी हुई है। हालांकि पुलिस का कहना है कि छात्राओं के यौन शोषण के मामले में अन्य किसी पीडिता ने अभी कोई शिकायत दर्ज नहीं करवाई है।

पुलिस का कहना है कि अन्य पीडिताओं की शिकायत मिलने पर आसाराम के करीबी लोगों को भी गिरफ्तार करने की कार्रवाई की जाएगी। जोधपुर कमिश्नर बीजू जॉर्ज जोसफ का कहना है कि पूछताछ में वार्डन शिल्पी ने कई चौंकाने वाली जानकारियां दी हैं। बयान की तस्दीक करवाई जा रही है। पुलिस छिंदवाड़ा छात्रावास की अन्य पीडिताओं से भी संपर्क करने का प्रयास कर रही है।

हवाई जहाज से भेजते थे छात्राएं
वार्डन शिल्पी ने बताया है कि छिंदवाड़ा छात्रावास से प्रत्येक सप्ताह आसाराम और उसके करीब लोगों के पास छात्राओं को भेजा जाता था। इनके आने-जाने के भाड़े का खर्चा भी आश्रम प्रशासन ही देता था। छात्रावास से छात्राओं को हवाई यात्रा से भी ठिकानों तक भेजा जाता था।

एक टीम भेजी छिंदवाड़ा
जोधपुर पुलिस कमिश्नर जोसफ ने बताया कि शिल्पी के बयान के आधार पर एक टीम को जांच के लिए मध्यप्रदेश स्थित छिंदवाड़ा छात्रावास में भेजा गया है।

30 साल बाद मिले बचपन के बिछड़े भाई-बहन



अमेरिका में एक दूसरे से बिछड़े भाई-बहन का 30 साल बाद आखिरकार मिलन हो ही गया. आपको बता दें कि दोनों एक ही राज्‍य की नेवी के लिए काम कर रहे थे, लेकिन इस बात से अनजान थे कि वे बचन के बिछड़े हुए भाई-बहन हैं.

कमांडर सिंडे मुरे और उनके भाई चीफ एविएशन ऑर्डनेंसमैन रॉबर्ट विलियमसन 1970 में तब बिछड़ गए थे जब उनके माता-पिता ने अलग होने का फैसला ले लिया.

मूल रूप से डेनवेर के रहने वाले दोनों भाई-बहनों की परवरिश अलग-अलग हुई. लेकिन 30 साल बाद जब वे मिले तो उन्‍हें पता चला कि वे दोनों कैलिफोर्निया की नेवी के के लिए काम कर रहे थे.




दरअसल, शुक्रवार को सैन डियागो में नेवी के एक मेडिकल सेंटर में उनका मिलन हो गया. विलियमसन केवल 6 साल के थे जब उन्‍होंने आखिरी बार अपनी बहन को देखा था. जब उनके माता-पिता अलग हुए तो विलियमसन अपने पिता के साथ चले गए, जबकि 14 साल की मुरे अपनी मां के साथ रहने लगीं.

दोनों ने एक-दूसरे को ढूंढने की बहुत केाशिश की, लेकिन उन्‍हें सफलता नहीं मिली. दो महीने पहले मुरे ने अपने पिता को फोन किया तो उन्‍हें पता चला कि उनका भाई नेवी में चीफ है.



मुरे ने अपने भाई का नाम नेवी अधिकारियों को दिया और 15 मिनट के अंदर दोनों की फोन पर बात हो गई. इसके बाद वे अकसर ही एक-दूसरे से बात करने लगे और आखिरकार शुक्रवार को उनकी मुलाकात भी हो गई.


 

फैशन डिजाइनिंग की छात्रा से बलात्‍कार, आरोपी दोस्‍त गिरफ्तार



दक्षिण दिल्ली के सफदरजंग इलाके के एक होटल में कथित तौर पर 22 वर्षीय फैशन डिजाइनिंग छात्रा के साथ बलात्कार करने के आरोप में उसके इंजीनियर दोस्त को गिरफ्तार किया गया.
कब थमेंगे महिलाओं पर अत्‍याचार?
पुलिस ने बताया कि आरोपी वैभव जैन (27) को बीती रात करोलबाग स्थित उसके घर से गिरफ्तार किया गया. पुलिस के अनुसार लड़की कथित तौर पर वैभव जैन के साथ शुक्रवार को नेहरू प्लेस गयी थी, जहां आरोपी ने उसे कोल्ड ड्रिंक में नशे की दवा मिलाकर पिला दी. आरोपी उसे होटल ले गया और उसके साथ बलात्कार किया.

पुलिस ने बताया, ‘मामला दर्ज करने और पीड़िता की मेडिकल रिपोर्ट में बलात्कार की पुष्टि के बाद आरोपी को गिरफ्तार कर लिया गया.’ आरोपी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है.




चारा घोटाला केस में लालू समेत 45 आरोपी दोषी करार, 3 से 7 साल की हो सकती है सजा



बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और चारा घोटाले के प्रमुख आरोपी लालू प्रसाद यादव से सीधे जुड़े चाईबासा कोषागार से फर्जी ढंग से 37.7 करोड़ रुपये निकालने के मामले में विशेष सीबीआई अदालत ने अपना फैसला सुना दिया है. जज प्रभाष कुमार सिंह ने इस मामले में लालू यादव को दोषी करार दिया है. इसके अलावा पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्रा, पूर्व मंत्री विद्या सागर निषाद, सांसद जगदीश शर्मा और पूर्व सांसद आरके राणा समेत सभी 45 आरोपियों को भी दोषी ठहराया गया है.

उधर, लालू के बेटे तेजस्‍वी ने कहा, 'ये हमारे नेता के खिलाफ साजिश है. हम फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे. विरोधियों को चुनाव में जवाब देंगे, जनता की अदालत में जाएंगे.

फैसले के बाद लालू को कोर्ट में ही हिरासत में ले लिया गया था और फिलहाल उन्‍हें वैन में बैठाकर एक अपराधी की तरह बिरसा मुंडा जेल ले जाया जा रहा है. जब वे कोर्ट से बाहर निकले तो लालू के साथ उनका बेटा तेजस्‍वी भी था और वे चारों ओर से अपने समर्थकों से घिरे हुए थे. जज प्रभाष कुमार सिंह के आदेश के बावजूद उनके समर्थकों ने जमकर नारेबाजी की. आपको बत दें कि जज ने साफ तौर पर कहा था कि नारेबाजी करने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी क्‍योंकि ऐसा करना कोर्ट की कार्यवाही में बाधा डालना है.

लालू समेत अन्य दोषियों को कितनी सजा होगी, इस पर मंगलवार को कोर्ट में बहस होगी और 3 अक्टूबर को सजा का ऐलान कर दिया जाएगा. लालू को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए ही सजा सुनाई जाएगी.इस फैसले से लालू का राजनीतिक सफर पर विराम लग गया है. क्योंकि अब वह चुनाव नहीं लड़ पाएंगे. उनकी संसद सदस्यता खत्म हो सकती है. उन पर आईपीसी की धारा 420, 467, 468, 437 ए और 120 बी के तहत केस दर्ज किया गया था. भ्रष्टाचार निरोधक कानून के तहत भी लालू पर केस दर्ज किया गया था.


950 करोड़ रुपये के चारा घोटाले के इस मामले में सीबीआई के विशेष न्यायाधीश प्रवास कुमार सिंह ने अपना फैसला 17 सितंबर को सुरक्षित रख लिया था. इस मामले में लालू के अलावा बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जगन्नाथ मिश्र समेत 44 अन्य आरोपियों के भी भाग्य का फैसला हो गया है.


इससे पूर्व लालू प्रसाद अपने कुल देवताओं और बाबाओं का आशीर्वाद लेते हुए फैसला सुनने के लिए अपने लाव लश्कर के साथ रविवार शाम पटना से विमान के जरिए रांची पहुंचे. उनका छोटा बेटा तेजस्वी उनके साथ था. लालू फैसले को लेकर तनाव के चलते रविवार शाम से सोमवार सुबह तक पूरी तरह शांत दिखाई दिए.




चारा घोटाले में कुल 64 केस, जिसमें से 5 लालू पर
1996 में सामने आए चारा घोटाले के कुल 64 केस में से लालू यादव पर 5 केस चल रहे हैं. इनमें से 4 केस की सुनवाई रांची की सीबीआई अदालत में ही चल रही है. फरवरी 2002 से शरू हुए केस के ट्रायल में 19 अक्टूबर 2012 से अंतिम बहस शुरू हुई. इस साल 17 सितंबर को दोनों तरफ की बहस पूरी हो गई. सीबीआई के विशेष जज पी के सिंह ने फैसला सुनाने के लिए 30 सितंबर की तारीख मुकर्रर की थी.


लालू का 'टोटका'


बिहार की राजनीति में लालू यादव
बिहार पर 15 साल तक शासन करने के बाद लालू आज एक हारे हुए सेनापति की तरह जरूर हैं लेकिन बिहार की जमीन जिस राजनीति को पैदा करती है, लालू आज भी उसके लिए अहम खाद हैं.

सत्ता के समीकरण और वोट बैंक पॉलिटिक्स में लालू आज भी बहुत अहम हैं. भले ही बिहार की कुर्सी उनसे छिन गई हो पर वोट प्रतिशत की बात करें तो लगता है कि अब भी वो जनता की पसंद हैं.

जाहिर है अगर लालू चारा घोटाले के केस में दोषी करार हो गए तो विरोधियों के लिए खासकर नीतीश कुमार के लिए जैसे बैठे-बिठाए हाथों में लड्डू मिल जाने जैसा हो जाएगा.

पिछले दिनों जिस तरह से बीजेपी और जेडीयू का गठबंधन टूटा है, साफ हो गया है कि लालू को तो इसका फायदा मिलेगा ही. ऐसे में चारा घोटाले का फैसला लालू के वोट बैंक की सियासत को भी असर कर सकता है. विरोधी भ्रष्टाचार का मुद्दा उठाएंगे और लालू जेल में रहकर उसका जवाब भी नहीं दे पाएंगे.

बीजेपी ने तो अभी से हल्लाबोल दिया है और दागी नेताओं को बचानेवाले अध्यादेश के बहाने कांग्रेस पर भी कीचड़ उछाला है. बड़ी बात तो ये है कि आज के फैसले के बाद भले ही लालू राजनीति ना कर पाएं लेकिन उन्हें लेकर राजनीति फिर भी चलती रहेगी.


 

देखिये विभिन घूँघट की तस्वीरें घूंघट की परंपरा कब से और क्यों?






















घूंघट भारतीय परंपरा में अनुशासन और सम्मान का प्रतीक माना जाता है। घर की बहुओं को परिवार के बड़ों के आगे घूंघट निकालना होता है, ग्रामीण क्षेत्रों में तो यह अनिवार्य है ही साथ ही कई महानगरीय परिवारों में भी ऐसा चलन है। सवाल यह है कि भारतीय परंपरा में घूंघट कब और कैसे आया? क्या सनातन समय से यह परंपरा चली आ रही है या फिर कालांतर में यह प्रचलन बढ़ा है?वास्तव में घूंघट हिंदुस्तान पर आक्रमण करने वाले आक्रमणकारियों की ही देन है। पहले राज्यों में आपसी लड़ाइयां और फिर मुगलों का हमला।
इन दो कारणों ने भारत में पूजनीय दर्जा पाने वाले महिला वर्ग को पर्दे के पीछे कर दिया। भारतीय महिलाओं की सुंदरता से प्रभावित आक्रमणकारी अत्याचारी होते जा रहे थे। महिलाओं के साथ बलात्कार और अपहरण की घटनाएं बढऩे लगीं तो महिलाओं की सुंदरता को छिपाने के लिए घूंघट का इजाद हो गया। पहले यह आक्रमणकारियों से बचने के लिए था, फिर परिवार में बड़ों के सम्मान के लिए और धीरे से इसने अनिवार्यता का रूप धारण कर लिया। आक्रमणकारी चले गए, देश आजाद हो गया लेकिन महिलाओं के चेहरों पर पर्दा अब भी कायम है।

सदियों पहले समुद्र से निकला था यह चमत्कारी पेड़, छूकर अप्सराएं मिटाती थीं थकान




हिन्दू धर्म की पौराणिक मान्यताओं में देव-दानवों द्वारा किया गया समुद्र मंथन का प्रसंग खासतौर पर सागर से निकले अद्भुत व बेशकीमती खजाने यानी दिव्य रत्नों, प्राणियों व देवताओं के अलावा खासतौर पर भगवान विष्णु द्वारा देवताओं को अमृत पान कराने के लिए जाना जाता है। दरअसल, हजारों सालों से यह प्रसंग केवल धार्मिक नजरिए से ही नहीं बल्कि इसमें समाए जीवन को साधने वाले सूत्रों के लिए भी अहमियत रखता है।

आज भी कई धर्म परंपराएं इसी प्रसंग से जुड़े कई पहलुओं के इर्द-गिर्द ही घूमती हैं। महाकुंभ में उमड़ता जलसैलाब हो या धन कामना के लिए लक्ष्मी पूजा, सभी के सूत्र समुद्र की गहराई से निकले इन अनमोल रत्नों व उनमें समाए प्रतीकात्मक ज्ञान से जुड़े हैं।

आप इस प्रसंग को धार्मिक रीति-रिवाजों या अन्य किसी जरिए से सुनते हैं, लेकिन कई लोग खासतौर पर युवा पीढ़ी समुद्र मंथन की वजह, उससे निकली बेशकीमती रत्नों व उनकी अनूठी खूबियों और इस घटना से जुड़ी कई रोचक बातों से अनजाह है।

यहीं नहीं, इस दौरान भगवान विष्णु के मोहिनी यानी सुंदरी रूप पर, कामदेव को मात देने वाले भगवान शिव का मोहित होने का पूरा प्रसंग भी बहुत कम लोगों को ही मालूम हैं।

विष्णु पुराण के मुताबिक एक बार ऋषि दुर्वासा वैकुंठ लोक से आ रहे थे। रास्ते में उन्होंने ऐरावत हाथी पर बैठे इन्द्र को त्रिलोकपति समझ कमल फूल की माला भेंट की। किंतु वैभव में डूबे इन्द्र ने अहंकार में वह माला ऐरावत के सिर पर फेंक दी। हाथी ने उस माला को पैरों तले कुचल दिया।
दुर्वासा ऋषि ने इसे स्वयं के साथ कमल फूलों पर बैठने वाली कमला यानी लक्ष्मी का भी अपमान माना और इन्द्र को श्रीहीन होने का शाप दिया। पौराणिक मान्यता यह भी है कि इससे इन्द्र दरिद्र हो गया। उसका सारा वैभव गिरकर समुद्र में समा गया। दैत्यों ने स्वर्ग पर अधिकार कर लिया।
स्वर्ग का राज्य और वैभव फिर से पाने के लिए भगवान विष्णु ने समुद्र मंथन करने और उससे निकलने वाले अमृत को खुद देवताओं को पिला अमर बनाने का रास्ता सुझाया। साथ ही कहा कि यह काम दैत्यों को भी मनाकर ही करना संभव होगा।
इन्द्रदेव ने इसी नीति के साथ दैत्य राज बलि को समुद्र में समाए अद्भुत रत्नों व साधनों को पाने के लिए समुद्र मंथन के लिए तैयार किया।


देव-दानवों ने समुद्र मंथन के लिए मंदराचल पर्वत का मथनी और वासुकि नाग को रस्सा (नेति या सूत्र) बनाया। स्वयं भगवान ने कच्छप अवतार लेकर मंदराचल को डुबने से बचाया। असल में, व्यावहारिक नजरिए से इस घटना से जुड़े प्रतीकात्मक सबक हैं। मसलन, संसार समुद्र हैं, इसमें मंदराचल पर्वत की तरह मन को स्थिर करने के लिए कछुए रूपी भगवान की भक्ति का सहारे वासुकि नाग के प्रेम रूपी सूत्र से जीवन का मंथन करें। इस तरह इससे निकला ज्ञान रूपी अमृत पीने वाला ही अमर हो जाता है।

हलाहल (विष) - समुद्र मंथन के दौरान सबसे पहले मंदराचल व कच्छप की पीठ की रगड़ से समुद्र में आग लगी और भयानक कालकूट जहर निकला। सभी देव-दानव और जगत में अफरा-तफरी मच गई। कालों के काल शिव ने इस विष को गले में उतारा और नीलकंठ बने।
असल में, इसमें भी छुपा संकेत है। शिव के सिर पर गंगा ज्ञान का ही प्रतीक है यानी जो ज्ञानी होता है, उसमें जीवन के सारे क्लेशों का सामना करने व बाहर निकलने की शक्ति होती है। यही नहीं, इसमें दूसरों के सुख के लिए जीने की भी प्रेरणा हैं।

कामधेनु - कामधेनु की सबसे बड़ी खासियत उपयोगी यज्ञ सामग्री देना थी। ब्रह्मलोक तक पहुंचाने वाली जरूरी चीजें जैसे दूध, घी पाने के लिए ऋषियों को दान की गई। ऋषियों को दान के पीछे यही सीख है कि मेहनत से कमाई धन-दौलत का पहले भलाई में उपयोग करें और संतोष रखें। कामधेनु संतोष का प्रती के है।



उच्चै:श्रवा घोड़ा - समुद्र मंथन से अश्वजाति में श्रेष्ठ, चन्द्रमा की तरह सफेद व चमकीला, मजबूत कद-काठी का दिव्य घोड़ा उच्चै:श्रवा प्रकट हुआ, जो दैत्यों के हिस्से गया और इसे दैत्यराज बलि ने ले लिया।
उच्चै:श्रवा में श्रवा का मतलब ख्याति या कीर्ति भी है। यानी जो मन का स्थिर रख काम करे वह मान व पैसा भी कमाता है। किंतु जो केवल कीर्ति के पीछे भागे उसे फल यानी अमृत नहीं मिलता। दैत्यों के साथ भी ऐसा ही हुआ।



ऐरावत हाथी - चार दांतों वाला अद्भुत हाथी, जिसके दिव्य रूप व डील-डौल के आगे कैलाश पर्वत की महिमा भी कुछ भी नहीं। स्कन्दपुराण के मुताबिक ऐरावत के सिर से मद बह रहा था और उसके साथ 64 और सफेद हाथी भी मंथन से निकले। ऐरावत को देवराज ने प्राप्त किया।
असल में हाथी की आंखे छोटी होती है। इसलिए ऐरावत, पैनी नजर या गहरी सोच का प्रतीक है। संकेत है कि शरीर सुख ही नहीं आत्मा की और भी ध्यान दें।


कौस्तुभ मणि - सभी रत्नों के सबसे श्रेष्ठ व अद्भुत रत्न। इसकी चमक सूर्य के समान होकर त्रिलोक को प्रकाशित करने वाली थी। देवताओं को मिला यह रत्न भगवान विष्णु के स्वरूप अजीत ने अपनी हृदयस्थल पर धारण करने के लिए प्राप्त किया।

कल्पवृक्ष - स्वर्गलोक की शोभा माने जाने वाला कल्पवृक्ष। इसकी खासियत यह थी कि मांगने वालें को उसकी इच्छा के मुताबिक चीजें देकर हर इच्छा पूरी करता है

कोर्ट परिसर में किन्नरों की शर्मनाक हरकत, देखने वालों ने फेरी आंखें!

इंदौर। जिला अदालत में गुरुवार को वारंट पर हाजिर हुए किन्नरों के आपसी विवाद ने इतना तूल पकड़ा कि अदालत परिसर में एक घंटे तक अराजकता फैली रही। किन्नरों में आपसी मारपीट और संघर्ष होता रहा। नारेबाजी और ताली ठोंकने की आवाज से परिसर गूंजता रहा। बाद में अदालत के आदेश पर पुलिस ने 27 किन्नरों को गिरफ्तार किया, जिन्हें बाद में जेल भेज दिया गया। बार एसोसिएशन ने अदालत परिसर की सुरक्षा पर सवाल उठाते हुए कार्रवाई की मांग की है। संयोगितागंज इलाके में कुछ माह पहले किन्नरों में विवाद हुआ था। विवाद के बाद दो पक्षों के चार-चार आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने केस कायम किया था।

PICS : कोर्ट परिसर में किन्नरों की शर्मनाक हरकत, देखने वालों ने फेरी आंखें!

मामला यह है कि संयोगितागंज इलाके में कुछ माह पहले किन्नरों में विवाद हुआ था। इस पर दोनों पक्षों के चार-चार आरोपियों के खिलाफ पुलिस ने केस कायम किया था। फरार होने पर कोर्ट ने इनकी गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया था। गुरुवार को दोनों पक्षों के चार चार किन्नर मुख्य दंडाधिकारी विवेकसिंह रघुवंशी की अदालत में हाजिर हुए थे। दोनों पक्षों के साथ उनके सौ-सौ किन्नर समर्थक भी थे।
PICS : कोर्ट परिसर में किन्नरों की शर्मनाक हरकत, देखने वालों ने फेरी आंखें!