शनिवार, 31 अगस्त 2013

गोरक्षा के लिए खून के आखिरी कतरे तक लड़ी यह ‘गुजरातन’!

अहमदाबाद। 27 अगस्त, 1993 का दिन अहिंसा और जीवदया प्रेमियों के लिए आघातजनक था। शहर के आंबावाडी क्षेत्र में चंद हिंसक और स्वार्थी लोगों ने हिंसा का जो खेल खेला, उसने जीवदया प्रेमियों के रोंगटे खड़े कर दिए। उस समय इन चंद स्वार्थी तत्वों को लगा होगा कि एक गीताबेन रांभिया को खत्म कर देने से उनका रास्ता साफ हो जाएगा, लेकिन उनका बलिदान लाखों पशुओं के लिए ‘अभयदान' बन चुका है। गीताबेन का जीव हत्या रोकने का वह कार्य आज कारवां बन चुका है और यह काम किया है गीताबेन के जीवनसाथी बचुभाई ने। गीताबेन रांभिया को शायद आज का अहमदाबाद या गुजरात और उसकी नई पीढ़ी नहीं जानती होगी, परंतु यह वह बहादुर गुजरातन थी, जो खून के आखिरी कतरे तक गोरक्षा के लिए लड़ती रही। बचुभाई रांभिया आज से ठीक 20 वर्ष पूर्व हुई उस वारदात को आज भी याद तो करते हैं, लेकिन गीताबेन की शहादत वर्ष दर वर्ष उनमें नया जोश भरती है। 
गोरक्षा के लिए खून के आखिरी कतरे तक लड़ी यह ‘गुजरातन’!
पत्नी के अधूरे कार्य को पूरा करने के लिए उन्होंने उनकी मौत के तुरंत बाद गीताबेन रांभिया स्मृति अहिंसा ट्रस्ट और गीताबेन रांभिया परिवार चैरिटेबल ट्रस्ट की स्थापना की और गीताबेन के कार्य को लगातार आगे बढ़ाया। बचुभाई का कहना है कि उनका परिवार जीव हिंसा रोकने के लिए हर कुर्बानी देने को तैयार है। ‘झांसी की रानी' की उपाधि प्राप्त गीताबेन रांभिया के बलिदान का ही परिणाम है कि आज गुजरात में गोवंश प्रतिबंध कानून के रूप में लागू है। गीताबेन का जन्म मध्य प्रदेश के जबलपुर में 30 जून, 1957 को हुआ था। मुंबई से एमए करने के बाद गीताबेन का विवाह 3 दिसम्बर, 1977 को कच्छ जिले के रामाणिया गांव के जैन युवक बचुभाई रांभिया के साथ हुआ। इसके बाद दोनों व्यवसाय के लिए गांधीधाम में स्थाई हुए। गांधीधाम में ही गीताबेन को जीवदया कार्यों की प्रेरणा मिली और उन्होंने इसकी शुरूआत भी कर दी। इसी दौरान 3 दिसम्बर, 1983 को अखिल भारतीय हिंसा निवारण संघ के महासचिव सुरेशभाई झवेरी के निमंत्रण पर गीताबेन ने जीवदया कार्यों के लिए अहमदाबाद को कर्मभूमि बनाया। अहमदाबाद में आते ही गीताबेन रांभिया का जीवदया अभियान गति पकडऩे लगा। उनके कार्यों से गुजरात सरकार भी प्रभावित हुई। गुजरात सरकार ने नवंबर-1984 में अवैध रूप से कत्लखाने जाने वाले अबोध पशुओं को बचाने का काम करने के लिए गीताबेन रांभिया को मानद् पुलिस निरीक्षक की उपाधि दी। कानून की वर्दी पहनने के बाद तो मानो गीताबेन का जीवदया कार्य परवान चढऩे लगा। पुलिस निरीक्षक बनने के बाद गीताबेन ने 5 नवंबर, 1984 को पानकोर नाका क्षेत्र में पांच गायों को कत्लखाने जाने से बचा कर जीवदया कार्य की शुरूआत की और यह सिलसिला जीवन भर चलता रहा। अपनी अल्पायु में गीताबेन ने 1 लाख 65 हजार से अधिक अबोध पशुओं को मौत के मुख में जाने से बचाया। गीताबेन ने अपने कार्यकाल के दौरान कागडापीठ थानांतर्गत कुरैशी ढोर बाजार से 137 बछड़ों को बचाया, वहीं 1989 में अहमदाबाद मनपा की ओरसे पकड़े जाने वाले आवारा कुत्तों को मारेजाने का विरोध करते हुए पुलिस में फरियादी बन कर रिपोर्ट दर्ज कराई। इसके बाद 18 मार्च को तत्कालीन महापौर जयेन्द्र पंडित ने गीताबेन को ‘झांसी की रानी' का पुरस्कार दिया। गीताबेन ने बाद में साबरमती में जोधपुर की एक मालगाड़ी को रोक कर उसमें से 686 बछड़ों को बचाया। 1990 में कच्छ के तृणा बंदरगाह से 1156 भेंड़-बकरियों को निर्यात होने से रोका। गीताबेन के जीवदया प्रेम की चरमसीमा को 7 जून, 1991 की उस घटना से सहज ही समझा जा सकता है, जब गीताबेन गर्भवती थीं। उनकी प्रसूति की अंतिम घडिय़ां थीं। उस दिन वे बहेरामपुरा में थीं, जहां से 21 बछड़ों को कत्लखाने जाने से उन्होंने बचाया। इस अभियान के कुछ देर बाद ही उन्होंने पुत्र चैतन्य को जन्म दिया। झांसी की रानी का यह सफर 27 अगस्त, 1993 को थम गया। उस दिन गीताबेन ने आस्टोडिया थाना क्षेत्र में छह बछड़ों को कत्लखाने जाने से बचाया। इन बछड़ों को लेकर वे पोलीटेक्निक स्थित पिंजरापोल छोडऩे गईं। वहां से जब गीताबेन लौट रही थीं, तभी आंबावाडी स्थित सी. एन. विद्यालय के पास चंद हिंसक तत्वों ने गीताबेन को घेर लिया और छुरे से उनकी हत्या कर दी। गीताबेन की हत्या सरकार और समाज को कई सबक दे गई। उनकी शहादत का एक माह होने से पहले ही तत्कालीन मुख्यमंत्री चिमनभाई पटेल ने 25 सितम्बर को विधानसभा में गोवंश प्रतिबंध विधेयक पारित कराया। गीताबेन का वह बलिदान आज लाखों पशुओं के लिए अभयदान बन चुका है। गीताबेन की शहादत के बाद उनके पति बचुभाई ने भी जीवदया को ही अपने जीवन का ध्येय बना लिया और दो संगठनों की स्थापना की। अब तक बचुभाई रांभिया के संगठनों ने लाखों अबोध पशुओं को बचाया है। इसके अलावा घायल-बीमार पशुओं की सेवा और उपचार का कार्य भी वे कर रहे हैं।

मंगल पर बसने के लिए 8 हजार भारतीयों ने कराया रजिस्ट्रेशन

चेन्नै।। मंगल ग्रह पर हमेशा के लिए बसने की ख्वाहिश रखने वालों में भारतीय भी पीछे नहीं हैं। मंगल की वन वे ट्रिप और वहां बसने के लिए एक गैर लाभकारी फाउंडेशन द्वारा कराए जा रहे रजिस्ट्रेशन का आज आखिरी दिन है और आठ हजार से ज्यादा भारतीय भी लाइन लगा चुके हैं।

दरअसल 'मार्स वन' प्रॉजेक्ट के तहत वहां अगले 10 सालों में कॉलोनी बसाने का प्लान है। 'मार्स वन' एक गैर लाभकारी फाउंडेशन है जो 2023 तक वहां मानव बस्ती बसाना चाहता है। इसके लिए उसने इच्छुक लोगों से रजिस्ट्रेशन करने को कहा है।

रजिस्ट्रेशन शुरू होने के साथ ही इसे दुनिया भर से जबर्दस्त रिस्पॉन्स मिला। मंगल में बसने की इस होड़ में भारतीय भी पीछे नहीं हैं। 27 अगस्त तक 8,107 आवेदनों के साथ भारत चौथे नंबर पर था।'मार्स वन' की आशिमा डोगरा के मुताबिक मंगल की इस वन वे ट्रिप के लिए रजिस्ट्रेशन करवाने वाले टॉप 10 देशों में अमेरिका (37,852), चीन (13,124), ब्राजील (8,686), भारत (8,107), रूस (7,138), ब्रिटेन (6,999), मैक्सिको (6,771), कनाडा (6,593), स्पेन (3,621) और फिलिपीन्स (3,516) शामिल हैं। उनके मुताबिक अभी तक एक लाख 65 हजार लोग रजिस्ट्रेशन करवा चुके हैं।

मेयर का इंटरव्‍यू लेते वक्‍त महिला पत्रकार हुई टॉपलेस, देखें वीडियो

कनाडा। कनाडा में इंटरनेशनल गो टॉपलेस डे के मौके पर मेयर से इंटरव्यू लेने के लिए गई महिला पत्रकार ने खुद को टॉपलेस कर लिया। महिला पत्रकार लॉरी वेलबॉर्न इंटरनेशनल टॉपलेस डे के मौके पर एक लोकर मेयर का इंटरव्यू ले रही थी। इंटरव्यू के दौरान एक सवाल करने के बाद उसने अपनी माइक मेयर के हाथों में थमाई और अपना टॉप उतार दिया। जब मेयर ने इस बात पर आपत्ति जताई तो महिला पत्रकार ने ये कहकर उन्हें कह कर जबाव दिया कि जब पुरुष ऐसा कर सकते है तो फिर महिलाएं क्यों नहीं। लाइव टीवी प्रोग्राम को दौरान महिला पत्रकार लॉरी के इस टॉपलेस वीडियो को अबतक 2.5 मीलियन देख चुके हैं। 

मेयर का इंटरव्‍यू लेते वक्‍त महिला पत्रकार हुई टॉपलेस, देखें वीडियो

यह वीडियो इंटरनेट पर खूब देखा जा रहा है। दरअसल इंटरनेशनल गो टॉपलेस डे के मौके पर महिला पत्रकार लोकल मेयर के विचार जानने के लिए उनका इंटरव्यू ले रही थी। इंटरव्यू के दौरन इससे जुड़े एक अहम मसले पर अपनी बात साबित करने की खातिर पत्रकार लॉरी ने इंटरव्यू के दौरान अपने कपड़े उतारकर टॉपलेस हो गईं। अपनी बात को साबित करने के लिए उन्होंने टीवी शो के दौरान अपने कपड़े उतार दिए। महिला को अपने सामने टॉपलेस होता देखकर मेयर हैरान हो गए उन्होंने ऐसा करने पर उसे रोकने की कोशिश की, लेकिन महिला पत्रकार नहीं मानी। 


मेयर ने घबराकर पूछा आप ये क्या कर रही है जिसका जवाब उन्होंने दिया कि यहां बहुत गर्मी है। मेयर ने इंटरनेशन गो टॉपलेस डे के मौके पर अपना विचार रखते हुए कहाकि कैलोवना में सार्वजनिक तौर पर किसी महिला का टॉपलेस होना अवैध नहीं है। उन्होंने सफाई देते हुए कहा कि मैं यह सलाह नहीं दे रहा हूं कि आपको ऐसा करना चाहिए लेकिन ऐसा कर आपने कोई अपराध नहीं किया है।

पकड़े गए IBN7 पर हमले के 6 आसाराम समर्थक



जोधपुर। जोधपुर पुलिस ने आईबीएन7 की टीम पर हमला करने वाले आसाराम के 6 समर्थकों को हिरासत में लिया है। गौरतलब है कि आसाराम के समर्थकों ने संवाददाता भवानी सिंह और कैमरामैन पर हमला कर दिया, मारपीट की और कैमरे तोड़ दिए। वहीं पाल गांव के लोगों का कहना है कि आसाराम ने आश्रम में गुंडे पाल रखे हैं वो गांव के लोगों को भी आसाराम के नाम से हड़काते रहते हैं।

पाल गांव के सरपंच बन्ना रामजी के मुताबिक 700 से 800 लोग आश्रम से आए और पत्रकारों पर टूट पड़े। आश्रम के लोगों ने महिलाओं को आगे कर दिया और पत्रकारों की पिटाई की। उनका कहना है कि अगर गांव वाले नहीं होते तो वे लोग पत्रकारों को जान से मार देते। उनका कहना है कि आश्रम ने सारे गुंडा ही पैदा किए हैं। आश्रम में गुंडे ही पल रहे हैं। आसाराम ने आश्रम में गुंडे पाल रखे हैं।

उनका कहना है कि उनके गांव में अगर रेडियो या लाउडस्पीकर कोई लगा देता है तो उसे आश्रम के लोग आकर बंद करा दते हैं। आश्रम के लोग ये कहते हैं कि आसाराम को नींद नहीं आ रही है। जबकि आसाराम रोजाना पाल गांव में रैलियां निकालते हैं। पाल गांव के लोग उनको कुछ भी नहीं कहते हैं। उन्होंने कहा कि आश्रम को यहां से हटाने की मांग करेंगे।

इंसुलिन की दवा को बनाया बीवी की मौत का सामान



लखनऊ।। उत्तर प्रदेश में अपनी तरह के पहले ऋतु इंसुलिन हत्याकांड में हजरतगंज पुलिस ने सबूतों के आधार पर आरोपी पति डॉक्टर अवध कपूर को गिरफ्तार कर लिया है। आरोप है कि कृष्णा मेडिकल सेंटर में इलाज के दौरान डॉक्टर अवध ने प्रेगनेंट वाइफ को साजिश के तहत इंसुलिन का इंजेक्शन अधिक मात्रा में दिया था। इससे उसकी मौत हो गई थी। ऋतु के पोस्टमॉर्टम के बाद विसरा जांच के लिए भेजा गया था। इसमें सामने आया था कि ऋतु के शरीर में मौत के समय इंसुलिन की मात्रा सामान्य से काफी अधिक 285.10 थी।
Doctor-Kapoor
एसएसपी जे. रविंदर गौड़ ने शुक्रवार को बताया कि 22 फरवरी को चौक के बरोहन टोला निवासी डॉक्टर अवध के खिलाफ हजरतगंज कोतवाली में पत्नी ऋतु की हत्या करने की रिपोर्ट दर्ज कराई गई थी। ऋतु की चचेरी बहन रीता खन्ना व अन्य परिजनों का आरोप है कि डॉक्टर अवध कपूर ने गर्भवती ऋतु को डायबिटीज न होने के बावजूद कई दिनों तक इंसुलिन की डोज दी। इसके चलते उसकी हालत खराब होती चली गई।

23 मई, 2012 की सुबह ऋतु को कृष्णा मेडिकल सेंटर में भर्ती कराया गया था। उस समय मेडिकल चेकअप में ऋतु का पल्स रेट, ब्लडप्रेशर, हीमोग्लोबिन व अन्य चीजें सामान्य थीं। अस्पताल के डॉक्टरों ने बीमारी का पता लगाने के साथ इलाज शुरू किया। 24 मई, 2012 की सुबह 6:10 पर उसकी मौत हो गई थी। डॉक्टर अवध शव को घर ले जाने की तैयारी कर रहे थे। इसी बीच चचेरी बहन नीता खन्ना, भाई डॉ. वैभव खन्ना व अन्य रिश्तेदार अस्पताल पहुंच गए थे। परिजनों ने ऋतु के इलाज की फाइल चेक की तो मौत का कारण संदिग्ध लगा।परिजनों ने पुलिस से पोस्टमॉर्टम कराने की मांग की थी। सूचना मिलने पर पुलिस पहुंची तो डॉक्टर अवध ने पोस्टमॉर्टम का विरोध किया था। उन्होंने तर्क दिया था कि ऋतु के शरीर पर न तो कोई चोट के निशान हैं। ना ही गला दबाने के। जहर देकर हत्या करने के लक्षण भी नहीं हैं। ऐसे में पोस्टमॉर्टम की क्या जरूरत है।


पोस्टमॉर्टम में मौत का कारण साफ नहीं हो सका था। विसरा सुरक्षित रख कर जांच के लिए विधि विज्ञान प्रयोगशाला, मेडिको लीगल एक्सपर्ट व अन्य लैब में भेजा गया था। रिपोर्ट आने के बाद यह साफ हो गया था कि ऋतु की मौत इंसुलिन के ओवर डोज से हुई थी। सीओ हजरतगंज दिनेश यादव के मुताबिक रिपोर्ट दर्ज होने के बाद पुलिस लगातार इस मामले की पड़ताल कर रही थी।

फॉरेंसिक रिपोर्ट व इकट्ठे किए गए अन्य सबूतों के आधार पर पुलिस ने शुक्रवार को ऋतु की हत्यारोपी डॉक्टर अवध कपूर को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने आरोपी से गहन पूछताछ की। पुलिस का दावा है कि कई हत्याकांड से जुड़े कई अहम सुराग उनके हाथ लगे हैं।

'इंसुलिन रेकमेंड ही नहीं किया था': कृष्णा मेडिकल सेंटर की हेड डॉक्टर चंद्रावती ने बताया कि जब मरीज मेरे हॉस्पिटल पहुंची थी तो उसे उल्टियां हो रही थीं। उसकी प्रेग्नेंसी नौ हफ्ते की थी। उसका ब्लड शुगर नॉर्मल से थोड़ा ही कम था। कहीं शुगर लेवल और कम न हो जाए इसलिए मैंने उसे ग्लूकोज लगाने की सलाह दी। रात को मरीज के पास उसका पति ही लेटा था। रात को मरीज की हालत ठीक थी लेकिन सुबह उसकी मौत हो गई। मरीज के हार्ट से लिए गए खून से पता चला कि उसे इंसुलिन की डोज दी गई थी, जबकि मैंने इसे रेकमेंड नहीं किया था। ऐसे में शक निश्चित रूप से उसके पति पर ही गया।

इंसुलिन की ओवरडोज मिली थी: तत्कालीन सीएमओ ने मामले की जांच के लिए विसरा को केजीएमयू पैथॉलजी विभाग भेजा था। जांच में इंसुलिन की ओवर डोज की बात सामने आई थी। जांच रिपोर्ट को संबंधित अधिकारियों को बता दिया गया था। चूंकि इंसुलिन की ओवरडोज किसी भी मरीज के लिए घातक हो सकती है। फिर जिसको शुगर न हो उसके लिए तो इंसुलिन तो जानेलवा ही होती है।
राज मल्होत्रा
एचओडी, पैथॉलजी, केजीएमयू

शुक्रवार, 30 अगस्त 2013

मानव सुख को ढूंढने में अपनी अमूल्य जिंदगी खो रहा है- साध्वी प्रियरंजनाश्री

मानव सुख को ढूंढने में अपनी अमूल्य जिंदगी खो रहा है- साध्वी प्रियरंजनाश्री


बाड़मेर।थार नगरी बाड़मेर में चातुर्मासिक धर्म आराधना के दौरान स्थानीय श्री जिनकांतिसागरसूरि आराधना भवन में प्रखर व्याख्यात्री साध्वीवर्या श्री प्रियरंजनाश्रीजी म.सा. ने चातुर्मास के चालीसवें दिन अपने प्रवचन में कहा कि आत्मशुद्धि का प्रमुख एवं सर्वश्रेष्ठ साधन यदि कोई है तो वह कायोत्सर्ग है। क्योंकि कायोत्सर्ग से आत्मा का निरीक्षण होता है। प्रशस्त अध्यवसायों की वृद्धि होती है। इतना ही नहीं शुद्ध-विशुद्ध मन से किये गये कायोत्सर्ग से सर्व दुःखों से मुक्ति प्राप्त होती है। कायोत्सर्ग करने के पीछे एक महत्वपूर्ण हेतु रहा हुआ है। कायोत्सर्ग करते समय सब कुछ भूल जाना है। काया देह को भी भूल जाने की बात है। वहां अन्य को याद रखने का तो सवाल ही पैदा नहीं होता।
साध्वी श्री ने कहा कि अनादिकाल से आत्मा संसार के पौद्गालिक सुखों के पीछे पागल बनी है। उसने बाहृ जगत में या बाहृ सुखों में ही सुख खोजने का प्रयास किया है। किन्तु वह यह भूल जाता है कि कस्तूरी मृग की नाभि में रही कस्तूरी की तरह सुख हमारे अंदर ही है, बाहर नहीं। किन्तु भ्रमणा में पड़ा जीव मृग की तरह कस्तूरी अपने स्वयं के पास होने पर भी बाहर ढूंढता रहता है। वैसे ही सुख को ढूंढने में अपनी अमूल्य जिंदगी खो रहा है।
हमारे ज्ञानियों ने संसार के सुखों को मृगजल की उपमा दी है। जिन बाहृ पदार्थों में आप सुख देख रहे हो वह सुख नहीं है। अपितु सुख का आभास मात्र है। बल्कि यूं कहें कि वह सुख, सुख नहीं दुःख का मूल है तो भी अतिश्योक्ति नहीं होगी।
हम जिस पदार्थ में सुख मान रहे हैं वह तो दुःख का मूल है क्योंकि ज्यादातर संसार में यह देख रहे हैं कि संसार के प्राणी जहां से थोड़ा सा सुख पाते हैं वहीं से समय जाने के बाद अपार दुःख, वेदना का अनुभव करते हैं। पुत्र जन्म में हमने सुख माना किन्तु जिस दिन पुत्र की मृत्यु होगी उस दिन हमें कितना दुःखी होना पड़ेगा। सुख बाहृ पदार्थों में नहीं बल्कि अन्तर आत्मा में पड़ा है। आत्मा स्वयं अक्षय सुख का खजाना है। उसे बाहृ पदार्थों में न ढूंढते हुए अंदर में ही ढूंढना चाहिये।
किसी भी अनुष्ठान को मन में आया वैसे कर लेने से उस अनुष्ठान या क्रिया का फल नहीं मिलता है। हर क्रिया अनुष्ठान के विधि-विधानों से ही क्रिया अनुष्ठान करना चाहिये।
साध्वी श्री ने कहा कि सौम्य स्वभाव सहज रूप कब बनता है? जब नजर के सामने सभी अच्छे या बुरे प्रसंग को बाहृ से नहीं देखकर गहराई से देखने की कला हासिल की हो। ऐसी कला हस्तगत न हो तो कदम-कदम पर मन संक्लेश कर लेता है। ऐसी कला को हस्तगत करने के लिये जड़ वस्तुओं के विचित्र स्वभाव तथा कर्माधीन जीवों की विचित्र मनोदशा इन दोनों को सदैव अपने समक्ष रखने जैसी है।
साध्वी डाॅ. दिव्यांजनाश्री ने अपने प्रवचन में कहा कि जहां कहीं भी किसी भी व्यक्ति में दोष दिखाई देते हो तो इन दोषों को देखकर उस व्यक्ति पर द्वेष करने के बजाय उस व्यक्ति के भूतकाल के भवों को सामने ला देना। द्वेष अपने आप चला जायेगा और द्वेष के स्थान पर मैत्री आ जायेगी।
मन से हमारा भविष्य बिगड़ जाता है। स्वभाव में सौम्यता अभी लाना सरल नहीं है। क्योंकि अभी तो हमारे स्वभाव में दुष्टता की बदबू आ रही है। चारों तरफ अपनी मान्यता का वातावरण दिखाई दे रहा है। वातावरण को देखते ही उग्रता आ जाती है। ऐसी गलत प्रकृति को छोड़े बिना सौम्य स्वभाव सहज नहीं बनेगा।

राज्य वरिष्ठ नागरिक बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष ने जैसलमेर में ली अधिकारियों की बैठक

राज्य वरिष्ठ नागरिक बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष ने जैसलमेर में ली अधिकारियों की बैठक


जैसलमेर, 30 अगस्त/ राज्य वरिष्ठ नागरिक बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र पूनिया ने अधिकारियों को वरिष्ठ नागरिकों को मूलभूत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए संवेदनषीलता से कार्य करने के निर्देष देते हुए कहा कि यही एक मात्र कार्य ऐसा है जिसमें दायित्वों के साथ सेवा का पूनित कार्य करने का अवसर मिलता है।
वरिष्ठ नागरिक बोर्ड के कार्यकारी अध्यक्ष पूनिया शुक्रवार को सर्किट हाउस में वरिष्ठ नागरिकों के लियें जिला स्तरीय समन्वय समिति की बैठक में समीक्षा करते हुए यह निर्देष दिए। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों को रियायती यात्रा के लिए रोडवेज द्वारा जारी किये जाने वाले स्मार्ट कार्ड को जिला स्तर के बजाय ब्लाॅक मुख्यालय पर ष्ाििवर लगाकर तैयार करवाने तथा षिविरों की तिथि का व्यापक प्रचार प्रसार करने के निर्देष दिए। उन्होंने जिला मुख्यालय पर वृद्धाश्रम का संचालन अति शीघ्र करने की हिदायत देते हुए कहा कि नगर में नगरिय निकायों द्वारा विरिष्ठ नागरिकों के लिए सामुदायिक स्थल विकसित कर उनमें प्र्याप्त मूलभूत सुविधाएं स्थापित करने तथा इसके पुख्ता रख रखाव के निर्देष दिए।
पूनिया ने वरिष्ठ नागरिकों के लिए संचालित योजनाओं को व्यवहारिक रूप से सफल बनाने के लिए इसकी मोनिटरिंग में मानवीय संवेदनाओं को अपनाने को कहा। उन्होनें मनी आॅर्डर समय पर नही मिलने के मामलों की चर्चा करते हुए कहा कि इस संबंध में मनी आर्डर के बजाय पेंषन धारकों को खातों में पेंषन भुगतान करने की व्यवस्था की जाए ताकि उन्हें समय पर पेंषन का भुगतान प्राप्त हो।
कार्यकारी अध्यक्ष पुनिया ने बैठक में माता-पिता व वरिष्ठ नागरिकेां का भरण पोषण तथा कल्याण अधिनियम 2007 के अन्तर्गत दर्ज प्रकरणों की विस्तृत समीक्षा की तथा बकाया प्रकरणाों के तत्काल निपटारे के निर्देष दिए। साथ ही सामाजिक न्याय तथा अधिकारिता विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों के कल्याण के लिए संचालित विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन पर चर्चा की एवं सहायक निदेषक हिम्मत सिंह कविया को निर्देष दिए कि वे इन योजनाओं का व्यापक प्रचार-प्रसार कर पात्र वृद्ध जनों को लाभान्वित करे। उन्होंने पुलिस विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों की सुरक्षा के संबंध में तय योजना पर समयबद्ध निगरानी के निर्देष दिए तथा चिकित्सा विभाग द्वारा वरिष्ठ नागरिकों को प्राथमिकता से सुविधा मुहैया कराने के निर्देष दिए।
जिला प्रमुख अब्दुला फकीर एवं पचायंत समिति जैसलमेर के प्रधान मूलाराम चैधरी ने कार्यकारी अध्यक्ष पूनिया से ऐसे वृद्धजन जिनके पुत्र राजकीय सेवा मे या उनके खाते में जमीन है ऐसे मामलों में उनके पुत्रों द्वारा सेवा नही करने पर उन्हें भी पेंषन स्वीकृति का आदेष जारी कराने का आग्रह किया।
अतिरिक्त जिला कलक्टर मानाराम पटेल ने बताया कि जिला एवं तहसील स्तर पर वृद्धाश्रम के लिए जमीन का चिन्हीकरण कर दिया गया है एवं उसका शीघ्र ही आबंटन कर दिया जायेगा। मुख्यकार्यकारी अधिकारी बलदेव सिंह उज्ज्वल ने बैठक में जिले में सभी वृद्धजनों की पेंषन स्वीकृत कर दी गई है। सहायक निदेषक कविया ने जिले में वृद्धजनों के संचालित योजनाओं की जानकारी दी। बैठक में स्वयं सेवी संस्थाओं के पदाधिकारी भी उपस्थित थे एवं उन्होंने वृद्धावश्रम संचालन के लिए स्वीकृति प्रदान करने का आग्रह किया। बैठक में कार्यकारी अध्यक्ष के साथ आये समाजसेवी कुलदीप सिंह राजपुरोहित एवं सहायक सचिव हेमराज चैधरी, उपअधीक्षक पुलिस शायर सिंह, वरिष्ठ साहित्यकार दीनदयाल ओझा भी उपस्थित थे।

एसडीआरएफ मद से दो मृतकों के आश्रितों को डेढ-डेढ लाख रूपयें की सहायता राषि स्वीकृत

एसडीआरएफ मद से दो मृतकों के आश्रितों को डेढ-डेढ लाख रूपयें की सहायता राषि स्वीकृत



जैसलमेर, 30 अगस्त/जिला कलक्टर एन.एल मीना ने एक आदेष जारी कर मुख्यमंत्री सहायता कोष से 5 मृतकों के आश्रितों को 50-50 हजार रूपयें की आर्थिक सहायता राषि स्वीकृत की है। इसी प्रकार एसडीआरएफ मद से दो मृतकों के आश्रितों को डेढ-डेढ लाख रूपयें की आर्थिक सहायता राषि स्वीकृत की गई है।
जिला कलक्टर मीना ने तहसीलदार जैसलमेर से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर ग्राम रामगढ में जीटीपीटी बिजलीघर के पास गाडी की टक्कर से मोकला निवासी द्वारकाराम पुत्र सुजाराम जाति मेघवाल की मृत्यु होने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष से 50 हजार रूपयें की आर्थिक सहायता राषि उनके आश्रितों के लिए स्वीकृत की है। इसीप्रकार तहसीलदार पोकरण से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर ग्राम लोहावट से दो किलोमीटर गोस्वामी फिलिंग स्टेषन के पास फलौदी रोड पर सडक दुर्घटना में गवरीषंकर, श्रवण कुमार, अंकित निवासी नोख की मृत्यु होने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष से उनके आश्रितों को 50-50 हजार रूपयें की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है। इसीप्रकार उपखण्ड अधिकारी फतेहगढ से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर ग्राम मण्डाई में तूफान आने से मकान के नीचे दबने के कारण उरसेखां पुत्र साउ खां जाति मुसलमान की मृत्यु होने पर मुख्यमंत्री सहायता कोष से 50 हजार रूपयें की आर्थिक सहायता राषि स्वीकृत की गई है।
इसीपक्रार उपखण्ड अधिकारी जैसलमेर से प्राप्त प्रतिवेदन के आधार पर जिला कलक्टर ने ग्राम सिपला में खेताराम भील निवासी सिपला के रहवासी झोपडे में अचानक आग लगने से उसकी पुत्री प्रिया व पुत्र हाकमराम के अकस्मात आग में झुलस जाने से मृत्यु हो जाने पर एसडीआरएफ मद से प्रत्येक मृतक के लिए डेढ-डेढ लाख रूपयें की आर्थिक सहायता स्वीकृत की है। इस प्रकार मृतक के आश्रित खेताराम को 3 लाख रूपयें की सहायता मिलेंगी।
जिला कलक्टर ने एक आदेष जारी कर संबंधित तहसीलदारों को निर्देष दिए कि वे मृतकों के आश्रितों को स्वीकृत की गई आर्थिक सहायता राषि का भुगतान कर रषीद कार्यालय जिला कलक्टर (सहायता) जैसलमेर को भिजवावे।

जैसलमेर पहुंचने पर पूनिया का हुआ स्वागत

जैसलमेर पहुंचने पर पूनिया का हुआ स्वागत


जैसलमेर - राजस्थान सरकार के सिनियर सिटीजन र्बोड के अध्यक्ष विरेन्द्र सिंह पूनिया आज दो दिवसीय यात्रा पर जैसलमेर पहुंचे। पूनिया का जैसलमेर पहुंचने पर युनियन चैराहे पर कांग्रेस उपाध्यक्ष दिनेषपाल सिंह द्वारा फैटा पहनाया, देवीकोट सरपंच हनुमान राम गर्ग द्वारा माला पहनाई गई। पूनिया का कांग्रेसी क्रार्यक्रताओ ने बडे ही गर्मजोषी के साथ स्वागत किया। जैसलमेर के सर्किट हाउस मे कांग्रेस उपाध्यक्ष दिनेषपाल सिंह द्वारा र्बोड अध्यक्ष पूनिया को जैसलमेर के बारे मे बताया व जिले मे वुद्धजनो को पेंषन मे आने वाली सम्सयाओ से अवगत करवाया, जिसपर पूनिया द्वारा आयोजित बैठक मे अधिकारीयो से जानकारी ले कर पेंषन प्रकरणे को तवरीत गती से निपटाने का भरोषा दिलाया। स्वागत के दोरान समाज सेवी हाजी कम्भीर खान तोगा, कांग्रेस यूथ विधानसभा अध्यक्ष प्रदीप गर्ग, ललित शर्मा, रामचन्द्र सिंह, भोपालंिसह, विजयसिंह, सूमेरसिंह सोढा, कुम्पसिंह, भूराराम, बाबूलाल, भूरसिंह मोढा, धर्मविर, देवीसिंह, प्रमोद छंगाणी, गिरधारीराम, कैलास कुमार, दिलीप सुथार सहीत कई क्रार्यक्रताओ द्वारा पूनिया का माला पहना कर स्वागत किया।