मंगलवार, 30 अप्रैल 2013

बेटा गया कमाने तो 72 साल के बाप ने 24 साल की बहू से शादी कर ली

केंद्रपाड़ा (ओडीशा)।। ओडीशा के केंद्रपाड़ा में एक 72 साल के शख्स के अपनी बहू से शादी करने का अजीबोगरीब मामला सामने आया है। उस पर बहू को प्यार में गुमराह कर शादी करने का आरोप है, हालांकि बहू की तरफ से कोई शिकायत नहीं आई है। गांव वाले इस 'बेतुकी' शादी से हैरान हैं।marries
जगतसिंहपुर के सपुर गांव के 72 साल के हरिहर मलिक ने कुछ अरसे पहले अपने बेटे की धूमधाम से शादी की थी। हरिहर की पत्नी की पांच साल पहले मौत हो चुकी है। बेटे के काम से बेंगलुरु जाने के बाद उसका दिल अपनी 24 साल की बहू पर ही आ गया। बेटा चार साल से घर नहीं लौटा तो जीवन के आखिरी पड़ाव पर पहुंच चुके हरिहर ने बहू को बहका कर उससे शादी कर ली। गांव के लोग इससे हैरान हैं।

गुस्साए गांववालों ने हरिहर मलिक और अब उसकी पत्नी बन चुकी बहू का सामाजिक बहिष्कार करने का फैसला किया। साथ ही ससुर और बहू को सदियों पुरानी परंपरा तोड़ने के लिए गांव छोड़ने का फरमान सुनाया गया है। ये दोनों केंद्रपाड़ा के बगादा गांव में एक किराए के मकान में रह रहे थे।शनिवार को बगादा के कुछ गांव वालों ने इन दोनों के वहां भी रहने का विरोध करते हुए पुलिस में इनके खिलाफ शिकायत दर्ज कराई। हरिहर के मन में इसका अफसोस नहीं है उसका बेटा बेंगलुरु से क्यों नहीं लौटा या फिर कहां है। उसने तो सारी हदों को तोड़ते हुए अपने बेटे के न होने का फायदा उठाया।

कोयला घोटालाः अडिशनल सॉलिसिटर जनरल का रावल का इस्तीफा

नई दिल्ली।। कोयला घोटाले ने पहली कुर्सी ले ली है। शिकार बने हैं अडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरीन रावल। सुप्रीम कोर्ट में CBI की तरफ से स्टेटस रिपोर्ट किसी को न दिखाने का दावा करने वाले अडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरीन रावल को अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा है। रावल का यह दावा बाद में गलत साबित हुआ था। सीबीआई को कोर्ट में मानना पड़ा था कि रिपोर्ट पीएमओ और कानून मंत्री को दिखाई गई है।कोलगेटः अडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरीन रावल का इस्तीफा
रावल के इस्तीफे की चर्चा मंगलवार सुबह से ही थी। सीबीआई ने हरीन रावल को हटाकर उदय यू ललित को निजी वकील रख लिया था। आखिरकार देर शाम हरीन रावल ने कानून मंत्री को अपना इस्तीफा सौंप दिया। गौरतलब है कि इस मामले में हरीन रावल ने सीधे सरकार को लपेटे में लिया था। उन्होंने आरोप लगाया था उन्हें बलि का बकरा बनाया गया है। इसलिए कयास तेज थे कि हरीन रावल से सरकार इस्तीफा लेगी।

अडिशनल सॉलिसिटर जनरल हरीन रावल ने अटॉर्नी जनरल वाहनवती को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें 'बलि का बकरा' बनाया जा रहा है। हरीन रावल ने चिट्ठी में अटॉर्नी जनरल पर गंभीर आरोप लगाए थे। चिट्ठी में कहा गया था कि अटॉर्नी जनरल ने कई मामलों में दखलंदाजी की जिसकी जांच सीबीआई कर रही है। हरीन रावल की इस चिट्ठी से केंद्र सरकार और बेनकाब हो गई। इसके बाद से ही रावल कानून मंत्री के निशाने पर थे।

सीबीआई की ओर से कोर्ट में स्टेटस रिपोर्ट पहले हरीन रावल ने ही दी थी जिसमें कहा गया था कि यह रिपोर्ट किसी को भी नहीं दिखाई गई है। बाद में सीबीआई ने हरीन रावल को हटा दिया था और उसकी जगह निजी वकील रख लिया था। सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दायर कर कहा कि ये रिपोर्ट कानून मंत्री और पीएमओ के अधिकारियों को दिखाई गई है।

सीबीआई और सॉलिसिटर जनरल के अलग-अलग बयान से सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को कड़ी आपत्ति जतायी। सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई से कहा कि लोग कैसे भरोसा करेंगे कि सीबीआई स्वतंत्र रूप से जांच करती है। कोर्ट ने यहां तक कहा कि सीबीआई के इस रवैये से कोर्ट का भरोसा टूटा है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सीबीआई को सरकार से स्वतंत्र होना चाहिए।

दूसरी तरफ हरीन रावल ने सरकार की वजह से खुद को फंसते देखा तो उन्होंने अटॉर्नी जनरल वाहनवती को चिट्ठी लिखकर कड़ी आपत्ति जतायी। उन्होंने साफ कहा कि इस मामले में मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है। रावल ने वाहनवती को लिखे पत्र में कहा, 'आपके बयान के कारण मुझे शर्मिंदगी हुई और मजबूरी में अदालत में अपना पक्ष साफ करना पड़ा। जहां अटॉर्नी जनरल के तौर पर आपने कहा कि स्टेटस रिपोर्ट की विषय वस्तु के बारे में आपको जानकारी नहीं थी और उसे सरकार के साथ साझा नहीं किया गया था।

इस बात से मुझे लगातार तकलीफ पहुंची है कि खासतौर से बड़े मामलों में ईमानदारी से काम अंजाम देने पर आपके कट्टर स्वभाव के कारण मुझे बेवजह नाराजगी का सामना करना पड़ा है। मैंने आपका हमेशा बहुत आदर किया है लेकिन मेरी तरफ आपके नरम−गर्म रवैये से मुझ पर हमेशा बेवजह का दवाब रहा है। मैंने इस पत्र की एक प्रति अपने ऑफिस के रिकॉर्ड के लिए रख ली है। साथ ही मैंने इस पत्र की एक कॉपी कानून मंत्री को भी भेजना मुनासिब समझा। मुझे अहसास है कि मुझे बलि का बकरा बनाया जा रहा है, लेकिन मुझे भरोसा है कि सच्चाई की हमेशा जीत होगी।'

सिन्हा ने माना,सीबीआई स्वायत्त नहीं

सिन्हा ने माना,सीबीआई स्वायत्त नहीं

नई दिल्ली। सीबीआई के निदेशक रंजीत सिन्हा ने कबूल लिया है कि जांच एजेंसी स्वायत्त संगठन नहीं हैं। उन्होंने कहा कि कोयला घोटाले पर रिपोर्ट किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं दिखाई गई थी। रिपोर्ट सिर्फ कानून मंत्री अश्विनी कुमार को दिखाई गई थी।

सिन्हा ने कहा कि मैं सरकार का अंग हूं। मैं स्वायत्त बॉडी नहीं हूं। मैंने रिपोर्ट किसी बाहरी व्यक्ति को नहीं दिखाई थी। रिपोर्ट सिर्फ कानून मंत्री को दिखाई गई थी। हम सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों का पालन करेंगे।

सुप्रीम कोर्ट ने जो चिंताएं जाहिर की है उन्हें दूर करने की कोशिश की जाएगी। सीबीआई पर दबाव के संबंध में पूछे गए सवाल का उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। सीबीआई के साख के बारे में पूछे गए सवाल पर सिन्हा ने कहा कि ये जनता पर निर्भर है। मुझे इस पर कुछ नहीं कहना।

इससे पहले सीबीआई निदेशक ने माना कि कोयला घोटाले पर बनी ड्राफ्ट जांच रिपोर्ट में बदलाव किए गए थे। स्टेट्स रिपोर्ट के ओरिजनल ड्राफ्ट और संशोधित ड्राफ्ट के बारे में सुप्रीम कोर्ट को विस्तृत जानकारी दे दी गई है।

कोर्ट को रिपोर्ट में किए गए बदलावों के बारे में भी बताया गया है। यह जानकारी भी दी गई है कि किसके कहने पर रिपोर्ट में बदलाव किए गए थे।

सिन्हा ने कहा कि कोर्ट का जो कुछ भी ऑब्जर्वेशन है उस संबंध में हम 6 मई को हलफनामे के जरिए जवाब देंगे। मैं उन परिस्थितियों के बारे में भी जानकारी दूंगा जिसके तहत मैं कानून मंत्री अश्विनी कुमार के दफ्तर गया था।

इस बीच अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल हरेन रावल ने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने कानून मंत्री को अपना इस्तीफा सौंपा है। रावल ने अटॉर्नी जनरल जीई वाहनवती को पत्र लिखकर कहा था कि उन्हें बलि का बकरा बनाया जा रहा है।

84 के दंगे: ठीक से नहीं कटे थे 'केश' तो पुलि‍स ने भगा दि‍या

नई दि‍ल्‍ली. 84 के दंगों की भयावह त्रासदी आज भी दि‍ल्‍ली में बसे सैकड़ों सि‍ख परि‍वारों में हर रोज ठीक उसी तरह से रि‍स रही है, जैसे घाव सड़ जाने पर उसमें से मवाद रि‍सती रहती है। सिख सरकारी और अदालती कार्यवाही से बि‍लकुल भी संतुष्‍ट नहीं हैं। मंगलवार को जब कड़कड़डूमा कोर्ट ने सज्‍जन कुमार को बरी कि‍या तो दंगों का शि‍कार बने सि‍ख एक बार फि‍र से उबल पड़े । उनका कहना था कि मरहम की क्‍या बात करें, यहां तो सरकार बार बार घाव ही कुरेदने में लगी हुई है। प्रस्‍तुत है 84 के दंगों का शि‍कार बने कुछ सि‍खों की आपबीती, साथ ही दंगों के चश्‍मदीद रहे पत्रकारों के बयान...



मोहन सिंह: केश ठीक से नहीं कटा तो पुलि‍स ने भगा दि‍या

मोहन सिंह दिल्ली के त्रिलोकपुरी इलाके में रहते थे जहां सिखों के खिलाफ़ सबसे ज्यादा हिंसा हुई। मोहन सिंह के चलते ही यह संभव हुआ कि दंगों की सटीक जानकारी मीडि‍या को पता चल सकी। मोहन सिंह बताते हैं कि उन्‍होंने इंदिरा गांधी की हत्या के अगले दिन 1 नवंबर की उस भयावह रात दंगाइयों से बचते-बचाते एक साइकिल पर सवार होकर उन्होंने त्रिलोकपुरी से इंडियन एक्सप्रेस के दफ्तर तक का डरावना सफर तय किया और पत्रकारों को सिखों की हत्या के बारे में बताया।

राजस्थान में अलवर के रहने वाले मोहन सिंह शुरुआत में शाहदरा में कस्तूरबा नगर में रहते थे। वर्ष 1976 में वह त्रिलोकपुरी आए। उन्‍होंने बताया कि 31 अक्टूबर 1984 की शाम को रेडियो और टीवी पर इंदिरा गांधी की मौत की ख़बर सुनी। उसके बाद उन्‍होंने सरदारों के खिलाफ़ हिंसा की बात सुनी। शुरुआत में सबसे ज्यादा हिंसा सफ़दरजंग अस्पताल के पास हो रही थी। वह उसी इलाके में ऑटोरिक्शा चला रहे थे। वहां सिख ड्राइवरों की गाड़ियों पर हमले हो रहे थे। दूसरे दि‍न पुलिस ने उन लोगों को सुरक्षा का भरोसा दिलाया था और कहा था कि वो कोई दंगा नहीं होने देंगे।

शाम छह, सात बजे कत्लेआम शुरू हुआ। चारों ओर अंधेरा था। इलाके की बिजली, पानी काट दी गई थी। इलाके में करीब 200 लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी। वो लोगों को घर से निकालते, उन्हें मारते, फिर उन पर तेल छिड़ककर आग लगा देते। रात करीब साढ़ नौ बजे उन्‍होंने अपने बाल काटे और किसी तरह कल्याणपुरी थाने पहुंचे। थाने में पुलिसवालों को बताया कि उनके ब्लॉक 32 में बहुत सारे लोग मारे गए हैं और वहां लूटपाट जारी है। उन्‍होंने उनसे मदद की गुहार लगाई, लेकिन मदद करने के बजाय उन्होंने मोहन सिंह को यह कहकर भगा दिया कि वह भी एक सरदार हैं। दरअसल, उनके बाल ठीक से नहीं कटे थे। इस दंगे में मोहन सिंह के दो भाई मारे गए थे।



मनजीत सिंह: आज तक नहीं मि‍ली पि‍ता की लाश

मोहन सिंह की तरह मनजीत सिंह के परि‍वार की भी कहानी है। मनजीत सिंह तब 3 वर्ष के थे, जब 84 के दंगे हुए। दंगाइयों ने उनके पि‍ता को मौत के घाट उतार दि‍या। दंगाइयों ने पहले उनके मकान पर हमला बोला और उसे तहस नहस कर दि‍या। इसके बाद उनके पि‍ता को मकान के अंदर से घसीटते हुए बाहर ले जाया गया और बीच सड़क पर मौत के घाट उतार दि‍या गया। इतना ही नहीं, काति‍लों ने मनजीत सिंह के दस वर्षीय भाई पर जलते हुए टायर भी फेंके। दंगाई अपने साथ मनजीत के पि‍ता की लाश घसीटते हुए ले गए। उनके पि‍ता की लाश आज तक नहीं मि‍ली है।


आज भी सि‍हर उठते हैं पत्रकार

वरि‍ष्‍ठ पत्रकार राहुल बेदी और जोसेफ मल्‍लि‍कन आज भी दंगों के उन 72 घंटों को याद करके सि‍हर उठते हैं। राहुल बेदी ने त्रि‍लोकपुरी के ब्‍लॉक 32 का दंगा कवर कि‍या था। वह बताते हैं कि पूर्वी दि‍ल्‍ली में जो नरसंहार हुआ, वह पूर्वनि‍योजि‍त था। वहां तकरीबन 320 सि‍ख महि‍ला, पुरुष और बच्‍चे थे। सभी लोगों को दो दि‍नों के अंदर मार दि‍या गया। एक नवंबर को जब बेदी और जोसेफ दंगे की कवरेज कर रहे थे, दंगाइयों ने उन दोनों को भी नि‍शाना बनाया। राहुल बेदी बताते हैं कि मौके पर ऐसा लग रहा था कि जैसे सि‍खों का स्‍लाटर हाउस बना दि‍या गया हो। पुलि‍स मौके पर खड़ी होकर पूरी तरह से तमाशा देख रही थी। दंगाई और हत्‍यारों को देखकर ऐसा लग रहा था कि उन्‍हें कि‍सी बात की कोई जल्‍दी नहीं है। वह सि‍ख महि‍लाओं का बलात्‍कार कर रहे थे और उन्‍हें बुरी तरह से टॉर्चर करके उनकी हत्‍या कर रहे थे।
अरविंद्र सिंह: पूरा परि‍वार चढ़ा दरिंदगी की भेंट

दंगा पीड़ितों में एक रानियां के अरविंद्र सिंह जोकि रानियां वार्ड नं. 13 निवासी ने बताया कि दिल्ली दंगों को हुए भले ही 29 वर्ष गुजर चुके हैं लेकिन इन दंगों में पीड़ित कई सिख परिवारों को अब तक न तो कोई सरकारी सहायता मिली है और न ही कोई सामाजिक स्तर पर उनका पुनर्वास हुआ है। उन्होंने बताया कि 84 के दंगों के समय वह करीब 25 वर्ष के थे। उस समय मानवता के दरिदों ने उसके परिवार के 17 सदस्यों जिसमें पिता, 4 भाई, 3 भाभी, 4 भतीजी, 3 भतीजे, एक बहन व उसकी भानजी थे को गले में जलते टायर डाल कर व मिट्टी का तेल डालकर जिंदा जला दिया था। सीधे-सादे व्यक्तिव वाला अरविंद्र सिंह बात करते-करते रो पड़ता है।

अरविंद्र के अनुसार 1 व 2 नवम्बर 1984 का वह दिन था जब वह अपने पिता अजीत सिंह जो कि लकड़ी की तूंबियां व अन्य सामान बनाने का कार्य करते थे, के कहने पर पैसे लेने जनकपुरी में ही डाबरी मोड़ पर रहने वाले ताहिर हुसैन नकवी के घर गया था। इतने में दंगे शुरू हो गए। हुसैन उस समय घर पर नहीं थे व उनकी बेगम नाजिम उर्फ हुस्ना ने उसे अपना बुर्का पहनाकर छिपाया व उसकी जान बचाई। अरविंद्र के अनुसार जब वह छिपता-छिपाता उत्तम नगर के निकट स्थित गोपाल पार्क में अपने निवास आर-जैड 27 में पंहुचा तो उसका पूरा परिवार दरिंदगी की भेंट चढ़ चुका था। आग में जल चुके उसके पिता, 4 भाई, 3 भाभियां, 4 भतीजे, 3 भतीजियां, एक बहन व उसकी सवा वर्षीय बेटी के शव पहचान में नहीं आ रहे थे।

युवाओं को उद्योग के लिए पैसों के साथ जमीन भी मिलेगी



जयपुर। प्रदेश में 35 साल से कम आयु वाले युवाओं को सरकार अब अपना उद्योग लगाने के लिए धन के साथ-साथ जमीन भी देगी। इसके साथ ही राजस्थान औद्योगिक प्रोत्साहन योजना में रियायतें देकर आगे बढऩे में मदद की जाएगी। चुनावी साल को देखते हुए सरकार ने अब रीको, उद्योग विभाग और आरएफसी के जरिए मध्यम, लघु और अति लघु उद्योगों को क्लस्टर के रूप में विकसित करने का फैसला किया है। सरकार ने हाल ही युवा उद्यमियों के लिए प्रोत्साहन योजना लागू की है। इसमें प्रतिस्पद्र्धा के आधार पर युवाओं के प्रोजेक्टों का चयन किया जाएगा।


चयनित युवा को बहुत ही आसान शर्तों और कम ब्याज पर ऋण दिया जाएगा। रीको की ओर से आरक्षित दर से भी कम राशि में औद्योगिक क्षेत्रों में भूखंड आवंटन करने के साथ ही उद्योग विभाग के माध्यम से इलेक्ट्रिसिटी ड्यूटी, वैट, उत्पाद शुल्क में छूट आदि रियायतें भी दी जाएंगी। रीको के नियमों में अभी औद्योगिक क्षेत्रों में लघु उद्योगों को 30 प्रतिशत भूखंड आरक्षित दर पर दिए जाने का प्रावधान है। परंतु अब आरक्षित दर से भी कम दरों पर 30 प्रतिशत से भी ज्यादा भूखंड आवंटित किए जाएंगे।

इसलिए करना पड़ा फैसला : प्रदेश में लघु और मध्यम उद्योग काफी संकट में हैं। ग्रामीण क्षेत्रों में चलने वाले कुटीर उद्योग तो कमजोर गुणवत्ता, आधुनिक तकनीक कमी और मार्केटिंग नेटवर्क नहीं मिल पाने के कारण लगभग बंद से हो गए हैं। सरकारों ने भी पिछले एक दशक के दौरान राज्य में पूंजी निवेश बढ़ाने के नाम पर बड़े उद्योगों को ही बढ़ावा देने का काम किया है। इस दौरान लघु उद्योगों की समस्याओं पर कोई ध्यान नहीं दिया गया। अब सरकार चाहती है कि मध्यम, लघु और अति लघु उद्योगों से आबादी का एक बड़ा तबका जुड़ा है, इसलिए इसे वोट बैंक में तब्दील करने के लिए इस क्षेत्र पर ध्यान दिया जाए।

सरकारी उपक्रम भी हैं संकट में : राज्य में लघु उद्योगों, हस्तशिल्पियों और कारीगरों को राहत पहुंचाने वाले राजकीय उपक्रम भी पिछले कई साल से वित्तीय संकट के दौर से गुजर रहे हैं। इनमें कई उपक्रम तो ऐसे हैं जिनमें वेतन तक के लाले पड़ रहे हैं। इनमें से कुछ की तो हाल ही सरकार ने आर्थिक मदद भी की है। इनमें राजस्थान राज्य बुनकर संघ, राजस्थान स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज कॉरपोरेशन (राजसिको), नेशनल हैंडलूम कॉरपोरेशन, स्पिनफैड, खादी एवं ग्रामोद्योग बोर्ड, राजस्थान गैर कृषि विकास अभिकरण (रूडा) आदि प्रमुख हैं।

निवेश बढ़ा, उद्योग और रोजगार नहीं: पिछले 7 साल में प्रदेश के लघु उद्योगों में निवेश तो बढ़ा है, लेकिन छोटे उद्योगों और उनमें स्थानीय स्तर पर मिलने वाले रोजगारों में कोई वृद्धि नहीं हुई है। उद्योग विभाग के आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2006-07 में जहां लघु उद्योगों में पूंजी निवेश 155192.90 लाख रुपए था, वहीं यह वर्ष 2012-13 में बढ़कर 278806.43 लाख रुपए हो गया। जबकि उद्योग और रोजगार की संख्या वर्ष 2006-07 की तुलना में कम ही है।

स्वयं सहायता समूहों को नहीं मानते लघु उद्योग: राज्य में करीब 2.50 लाख महिला स्वयं सहायता समूह बने हुए हैं। ग्रामीण और आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग की बहुलता वाले क्षेत्रों के ये स्वयं सहायता समूह पापड़, राखियां, मंगोड़ी, अचार, सिलाई, कढ़ाई, आरी-तारी जैसे कई छोटे-बड़े काम कर रहे हैं। कुछ महिलाएं तो स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से डेयरी भी चला रही हैं। परंतु इन्हें लघु उद्योग का दर्जा नहीं मिलने से सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है। उद्योग विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लघु उद्योग के रूप में एक ही प्रॉपराइटर नहीं होने से इनके पंजीयन में परेशानी आती है और बैंक भी इनके प्रोजेक्ट को आसानी से सपोर्ट नहीं करते हैं। स्वयं सहायता समूह चाहे तो संस्था को लघु उद्योग के रूप में पंजीकृत करवा सकता है।

ये है लघु उद्योगों की समस्याएं: बाजार में बढ़ती प्रतिस्पद्र्धा। मार्केटिंग नेटवर्क की कमी। प्रबंधकीय क्षमता और स्टाफ की कमी। दक्ष एवं प्रशिक्षित कर्मचारियों का अभाव। उत्पादों की गुणवत्ता में कमी। सरकारी प्रोत्साहन नहीं मिलना। उपयुक्त संसाधन न होना। लागत बढऩे और मुनाफा घटने से बंद होने की नौबत। मार्जिनल मनी का अभाव।

दुष्कर्म मामला: थाने पर धरना,खाजूवाला बंद

दुष्कर्म मामला: थाने पर धरना,खाजूवाला बंद
खाजूवाला/बीकानेर। मासूमों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं से जिले के खाजूवाला इलाके में ग्रामीणों का रोष बढ़ता जा रहा है। मंगलवार को दुष्कर्म के विरोध में खाजूवाला बंद के दौरान ग्रामीणों को गुस्सा सड़क पर जुलूस के रूप में निकला।

उधर,स्थानीय जनप्रतिनिधियों के साथ ग्रामीण खाजूवाला थाने के सामने अनिश्चित कालीन धरने पर बैठे हुए हैं। धरने पर बैठे लोग दोषियों को सख्त सजा के साथ खाजूवाला थाने के स्टाफ को बदले और पीडितों के परिवाजनों को मुआवजे की मांग कर रहे हैं।


धरने पर बैठने वालों में स्थानीय विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल भी शामिल हैं। उनका कहना है कि दुष्कर्म के मामले थमने का नाम नहीं ले रहे और अपराधियों में पुलिस का खौफ खत्म होता जा रहा है। जनता अब इन स्थितियों में बदलाव चाहती है। लोगों की मांग है कि थाने का स्टाफ बदला जाए,पीडितों के परिवार को मुख्यमंत्री राहत कोष से 20-20 लाख का मुआवजा दिया जाए। साथ ही पीडिता के परिवार में से किसी एक को सरकारी नौकरी देने की मांग भी की जा रही है।


निष्पक्ष जांच की मांग,एसडीएम को ज्ञापन


धरने और जुलूस के साथ दुष्कर्म पीडित संघर्ष समिति के तत्वावधान में एसडीएम को मामले की निष्पक्ष जांच की मांग वाला ज्ञापन भी सौपा गया है। उल्लेखनीय है कि दो मासूमों के साथ दुष्कर्म के बाद हत्या के आरोपी निजी स्कूल के संचालक राजेश धांगड़ को सोमवार को न्यायालय में पेश कर तीन दिन के रिमांड पर भेजा जा चुका है। उधर,खाजूवाला मण्डी में स्कूली छात्रा के साथ बस में दुष्कर्म करने के आरोपी राजेश बिश्नोई को पुलिस ने सोमवार को गिरफ्तार कर लिया।


पीडिताओं के परिजन भी धरने पर


दुष्कर्म की घटना के विरोध में खाजूवाला विधायक डॉ. विश्वनाथ मेघवाल सोमवार शाम पांच बजे से खाजूवाला थाना के सामने धरने पर बैठ हुए हैं। धरने पर बैठे लोगों में पीडिताओं के परिजन भी शामिल हैं।


बंद में आजजन का समर्थन

घटना के विरोध में समिति ने मंगलवार को खाजूवाला मंडी बंद रखकर विरोध-प्रदर्शन करने के निर्णय के बाद दुष्कम्र पीडित संघर्ष समिति के पदाधिकारियों ने सोमवार को मंडी क्षेत्र के व्यापारियों से संपर्क कर प्रदर्शन में शामिल होकर समर्थन देने का आग्रह किया। आमजन पर इस आग्रह का असर हुआ और मंगलवार को बंद का व्यापक असर दिखाई दिया।

अमूल दूध के दामों में 2 रुपए प्रति लीटर का इजाफा



दिल्ली-एनसीआर में कल सुबह यानी बुधवार से अमूल दूध के दाम बढ़ जाएंगे। अमूल ने दूध के दाम 2 रुपए प्रति लीटर बढ़ाने का फैसला किया है।

दूध के दाम बढ़ाने की जानकारी देते हुए अमूल के प्रबंध निदेशक आरएस सोढी ने बताया, 'हमने दिल्ली और एनसीआर क्षेत्र में दूध के दाम दो रुपये प्रति लीटर बढ़ाने का निर्णय किया है। अब फुल क्रीम दूध की कीमत 40 रुपये से बढ़ाकर 42 रुपये लिटक, जबकि टोंड दूध की कीमत 30 रुपये से बढ़ाकर 32 रुपये प्रति लिटर हो जाएगी। इसी प्रकार डबल टोंड दूध की कीमत 26 रुपये से बढ़ाकर 28 रुपये प्रति लिटर हो जाएगी।'

सोढी ने दूध के दाम बढ़ाने के कारणों में बताया, 'किसानों से हमारे दूध की खरीद लागत बढ़ने और परिवहन लागत में बढ़ोतरी होने के कारण हमने दूध के दाम बढ़ाने का निर्णय किया है। उल्लेखनीय है कि अमूल राजधानी की मुख्य दुध आपूर्तिकर्ता है और रोजाना करीब 23 लाख लिटर दूध बेचती है। इसी प्रकार मदर डेयरी की पैकेज्ड एवं खुले (टोकन वाले) दूध की रोजना बिक्री करीब 30 लाख लीटर है।'

हालांकि अमूल के अलावा दूसरी कंपनियों ने दूध के दाम बढ़ाने की घोषणा अभी नहीं की है। लेकिन संभावना जताई जा रही है कि अब दूसरी कंपनियां भी जल्‍द अपने दूध के दामों में इजाफा कर देंगे।

पेट्रोल हुआ तीन रुपया प्रति लिटर सस्ता


पेट्रोल हुआ तीन रुपया प्रति लिटर सस्ता


नई दिल्ली: पेट्रोल के दाम आधी रात से तीन रुपये प्रति लिटर कम हो जाएंगे।

माना जा रहा है कि चुनावों से पहले यह आम आदमी को सरकार का तोहफ़ा है।

इस कटौती के बाद दिल्ली में पेट्रोल 63.09 रु प्रति लिटर, मुंबई में पेट्रोल 69.73 रु प्रति लिटर, कोलकाता में पेट्रोल 70.35 रु प्रति लिटर और चेन्नई में पेट्रोल 65.90 रु प्रति लिटर हो गया है।

षिक्षा बिना किसी समाज का विकास संभव नही - जाटव

नवकार बाल विधा मंदिर की प्रतिभाओ का हुआ सम्मान

षिक्षा बिना किसी समाज का विकास संभव नही - जाटव



बाड़मेर। मंगलवार की रोज स्थानीय नवकार बाल विधा मंदिर में प्रतिभावान छात्र-छात्राओ का पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया गया। इस दौरान कार्यक्रम के मुख्य अतिथि पूर्व पार्षद छगनलाल जाटव ने कहा कि षिक्षा बिना किसी भी समाज का विकास संभव नही है। इसलिए आप सभी विधार्थी सच्ची लग्न के साथ मेहनत कर आगे बढें। और अपना व समाज का नाम रोषन करें। उन्होंने कहा कि जिन विधार्थीयों का सम्मान हुआ हैं। वे और आगे अच्छी मेहनत कर आगे बढने का प्रयास जारी रखें। और जिन छात्र-छात्राओ ने कम अंक प्राप्त किऐ है, वे अधिक मेहनत कर प्रथम स्थान पर आने का प्रयास करें। 

इस अवसर पर कार्यक्रम की अध्यक्षता करतें हुए उमर फारूख गौरी ने कहा कि विधार्थी एक लक्ष्य निर्धारित चले। और उस लक्ष्य को पाने के लिए कठोर परिश्रम करें। ताकि उन्हें सफलता मिल सकें। इस अवसर पर विधालय के प्रधानाध्यापक दिनेष खत्री ने विधालय के सत्र 2012-13 का परीक्षा परिणाम शत प्रतिषत रहने पर सभी को बधार्इ देते हुए विधार्थीयो को इसी तरह आगे भी परिश्रम करते रहने की बात कही।

वहीं इससे पूर्व अतिथियों द्वारा प्रतिभावान विधार्थीयो को स्मृति चिन्ह देकर उनका सम्मान किया। इस अवसर पर विधालय विकास समिति अध्यक्ष सुरेष जाटोल, सपना चौहान, टीकमाराम, गणेषाराम, दुर्गा, धमेन्द्र फुलवारिया सहित कर्इ गणमान्य लोग उपसिथत थें।

नि:षुल्क प्रवेष प्रारम्भ -

नवकार षिक्षण समिति बाड़मेर द्वारा संचालित नवकार बाल विधा मंदिर हमीरपुरा बाड़मेर में आर टी र्इ के तहत नि:षुल्क प्रवेष राज्य सरकार द्वारा निर्धारित सीटो पर कक्षा प्रवेषिका से दिये जायेगें। इस संबंध में विधालय के प्रधानाध्यापक दिनेष खत्री ने बताया कि आर टी र्इ के तहत नि:षुल्क प्रवेष प्रकिया 1 मर्इ से 16 जुलार्इ तक रहेगी जिनमे 25 प्रतिषत विधार्थीयो को प्रवेषिका में अनिवार्य एवं नि:षुल्क षिक्षा अधिनियम के तहत आर्थिक दृषिट से पिछड़े कमजोर परिवारो, एस सी, एस टी अन्य वर्गो से पिछड़े छात्रो को प्रवेष दिया जायेगा नियमानुसार अधिक छात्रो के होने पर 16 जुलार्इ लाटरी प्रकिया से चयन किया जायेगा।